Public International Law, Mumbai University LLB 3 & 5 years, New Syllabus 2025 #law #educational
Dec 13, 2025
Mumbai University's LLB syllabus includes Public International Law as a core subject, typically in the Fifth Semester, alongside Human Rights Law, covering its meaning, history, sources (treaties, customs), state jurisdiction, responsibility, the UN system, ICJ, and international law's impact on new areas like space, aviation, trade, and global health.
The syllabus emphasizes both theory and practical application, integrating fundamental legal principles with contemporary international issues, often with a focus on the Indian context within the global framework.
lecture undertaken by: Vaibhav M. Agrawal, Maritime & International Trade Lawyer.
Key Topics in Public International Law (MU LLB)
Fundamentals: Meaning, Scope, Historical Development, Sources (Treaties, Custom, General Principles).
Subjects: States, International Organizations, Individuals.
Statehood & Recognition: Criteria for Statehood, Recognition of States and Governments.
Jurisdiction & Immunities: Territorial, Extraterritorial, Diplomatic & Consular Immunities.
State Responsibility: Principles, Circumstances Precluding Wrongfulness.
Law of Treaties: Vienna Convention on the Law of Treaties (VCLT).
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तो बहुत ही भारी सब्जेक्ट है पब्लिक इंटरनेशनल लॉज़ एंड मुंबई यूनिवर्सिटी के
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लॉ के सिलेबस में चाहे वो थ्री ईयर हो या फाइव ईयर एलएलबी प्रोग्राम हो पब्लिक
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इंटरनेशनल लॉ इज़ एक्सट्रीमली इंपॉर्टेंट पहले यही सब्जेक्ट था पब्लिक इंटरनेशनल लॉ
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एंड ह्यूमन राइट्स लेकिन भगवान की बड़ी कृपा हुई है और अब ह्यूमन राइट्स जो है वो
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सिलेबस से जा चुका है तो अब है पब्लिक इंटरनेशनल लॉज़ तो पब्लिक पब्लिक इंटरनेशनल लॉज़ क्या है? क्या होते हैं? उसके टॉप
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क्वेश्चंस जो ऑलमोस्ट हर साल रिपीटेटिवली आते ही हैं एग्जामिनेशन में। इस वीडियो
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में, इस लेक्चर में हम ए टू जेड सारे क्वेश्चंस के आंसर्स को सॉल्व करेंगे।
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करेक्ट मेथड ऑफ राइटिंग सीखेंगे। कितने पेजेस भरने हैं और कितने पेजेस नहीं, यह
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भी समझेंगे। इसी के साथ हम एंड ऑफ द वीडियो में ये बात करेंगे कि कौन से
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क्वेश्चन सबसे ज्यादा रिपीट होते हैं और कौन से क्वेश्चंस ऐसे हैं जो सबसे ज्यादा
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मार्क्स या वेटेज कैरी करते हैं। बिना किसी समय की बर्बादी के शुरू करते हैं आज की वीडियो के साथ।
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सो जब हम पब्लिक इंटरनेशनल लॉ की बात करते हैं, सबसे पहले ये हमारे लिए समझना बहुत
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ज्यादा जरूरी है कि कुछ आंसर्स ऐसे होते हैं जो आप एज एन एक्सटेंशन किसी भी आंसर
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के साथ कनेक्ट कर सकते हो। सो एक क्वेश्चन जो बहुत ज्यादा जरूरी है वो है व्हाट इज पब्लिक इंटरनेशनल लॉ? डिफाइन इट्स
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कैरेक्टर्स? या सवाल ऐसा भी आ सकता है कि व्हाट इज़ पब्लिक इंटरनेशनल लॉ? व्हाट आर द
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ट्रीटीज़? व्हाट आर दी डॉक्ट्रिंस? व्हाट आर दी थ्योरीज ऑफ पब्लिक इंटरनेशनल लॉ? तो
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ये सारे क्वेश्चंस हम करेंगे ताकि आप इसे एज अ एक्सटेंशन एज अ प्लगइन आप यूज़ कर
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सकें। तो सबसे पहले समझते हैं पब्लिक इंटरनेशनल लॉ है क्या? अब यहां आपको एक महाशय की पूरी कहानी याद करनी पड़ेगी। इस
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महाशय का नाम याद करना पड़ेगा जिसका नाम है ह्यूगो ग्रोटियस। अब यह जो ह्यूगोगोटियस
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थे ही इज़ आल्सो रिगार्डेड ऐज़ दी फादर ऑफ़ इंटरनेशनल लॉ। इसके लिए आप इन्हें मजबूरन
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साइडलाइन नहीं कर सकते। इन्हें आप को इंक्लूड करना ही पड़ेगा। और इन्होंने पब्लिक इंटरनेशनल लॉ के बारे में क्या कहा
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है? यह आपको लिखना पड़ेगा। युगोगोटियस सर ने कहा कि पब्लिक इंटरनेशनल लॉ या
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इंटरनेशनल लॉ। आर दी लॉज़ व्हिच गवर्न दी
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म्यूचुअल रिलेशनशिप बिटवीन टू सोवरन स्टेट्स। सोवरन मतलब इंडिपेंडेंट जिसका
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खुद का पूरा कंट्रोल हो अपनी टेरिटरी पे। सो द लॉज़ व्हिच गवर्न द म्यूचुअल
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रिलेशनशिप बिटवीन टू सोवरन नेशंस, टू सोवरन स्टेट्स बेस्ड ऑन म्यूचुअल कंसेंट
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एंड कॉमन प्रिंसिपल्स। इसे हम सिंपल सरल सुगम भाषा में कहते हैं इंटरनेशनल लॉ।
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यानी कि वो सेट ऑफ लॉज़ जो दो सोवरन
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स्टेट्स के बीच के म्यूचुअल रिलेशनशिप को मेंटेन करने में हेल्प करता है। उसे गवर्न करता है। बेस्ड ऑन व्हाट म्यूचुअल कंसेंट
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एंड आल्सो ऑन कॉमन प्रिंसिपल्स यानी ऑब्वियसली जब तक मेरा एज अ स्टेट म्यूचुअल
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कंसेंट नहीं है। मैं किसी के साथ ट्रीटी नहीं करूंगा। मैं किसी के साथ कन्वेंशंस में नहीं एंटर करूंगा। जब मैं किसी के साथ
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एक ट्रीटी करता हूं। हूं। मैं किसी के साथ एक कन्वेंशन करता हूं। तो मैं उसके साथ लीगली एक रिलेशनशिप में आ गया हूं। और वह
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रिलेशनशिप के टर्म्स क्या है? दोज़ आर दी प्रोविज़ंस ऑफ़ दी रेस्पेक्टिव ट्रीटी और दी कन्वेंशंस। तो सबसे पहले ये समझना यहां पे
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जरूरी था। तो युगो ग्रोटियस ने क्या कहा कि इंटरनेशनल लॉ आर दी लॉज़ दैट गवर्न दी
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म्यूचुअल रिलेशनशिप बिटवीन टू सोवरन स्टेट्स बेस्ड ऑन म्यूचुअल कंसेंट एंड कॉमन प्रिंसिपल्स। एज़ सिंपल एज़ दिस। अब
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आगे बढ़ते हैं। भाई साहब ये तो हमने बात कर ली। अच्छा अब ये जो इंटरनेशनल लॉ है इसके
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कैरेक्टरिस्टिक्स क्या है? इसके ट्रेट्स क्या है? थोड़ा ये समझना भी जरूरी है। तो
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इसके कैरेक्टरिस्टिक्स बेसिक है। ज्यादा सर को लोड नहीं देना है। पांच इसके बेसिक ट्रेड्स हैं। पहला तो स्टेट सोवरेनिटी भाई
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साहब होना बहुत जरूरी है। जब तक के कोई नेशन कोई स्टेट सोवरन नहीं है। इंडिपेंडेंट नहीं है। उसका खुद के ऊपर
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पूरा 100% कंट्रोल नहीं है। तब तक ऑब्वियसली वो किसी और के साथ डील ही नहीं कर सकता। किसी और के साथ ट्रीटीज ही नहीं
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कर सकता। बड़े-बड़े कॉन्फ्रेंसेस में या कन्वेंशंस में अपने को रिप्रेजेंट कर ही नहीं सकता। एज अ स्टैंड अलोन एंटिटी। सो
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स्टेट सोवनिटी होनी बहुत इंपॉर्टेंट है। सेकंड यह कंसेंट बेस्ड लॉज़ हैं। कंसेंट
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बेस्ड यानी कि क्या? जब तक मैं एज अ स्टेट अपनी मर्जी से उसे कंसेंट नहीं करता।
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कंसेंचुअलाइज़ नहीं करता हूं तब तक वो मेरे ऊपर एप्लीकेबल नहीं होंगे। यूनाइटेड नेशंस
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कोई फोर्स नहीं कर सकता यूएन किसी को कि आपको मेरा पार्ट बनना ही पड़ेगा। भाई कंसेंट बेस्ड है। आपका अगर आपकी इच्छा हो
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तो आप बनिए। अभी भी 100% कंट्रीज आर नॉट अ पार्ट ऑफ़ यूनाइटेड नेशंस। करेक्ट? सो इट
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इज़ कंसेंट बेस्ड। थर्ड और सबसे इंपॉर्टेंट ये मल्टीलैटरल होता है। अब मल्टीलैटरल का क्या मतलब हो
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गया? बटरल मतलब दो बाय मल्टीलैटरल मतलब दो से ज्यादा। कई सारी कंट्रीज क्या करती
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हैं? जब ऐसे सेट ऑफ लॉज़ को एक्सेप्ट करती है। ऐसे सेट ऑफ लॉज़ में अपना कंट्रीब्यूशन भी करती है। कैसे बड़े-बड़े ऑर्गेनाइजेशंस
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का पार्ट बनके? जैसे आईएमओ है, आईएलओ है, यूनाइटेड नेशंस खुद अपने आप में है। ऑलराइट। सो इंटरनेशनल लॉज़ में आप जो भी
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ट्रीटी करते हैं मोस्ट ऑफ द टाइम वो मल्टीलैटरल होती है। देखिए जैसे हमारी एक ट्रीटी है नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी जिसके
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बाद आए जिसने नेटो को बनाया। सो जो नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी है जो 1949 में आ गया था।
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ये भी मल्टीलैटरल है। इसमें दो कंट्री नहीं दो से ज्यादा कंट्रीज हैं। तो जब उन्होंने वो ट्रीटी करी तो अब उसके
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प्रोविज़ंस सारी अंडरसाइनिंग कंट्रीज के ऊपर क्या हो गई? इंप्लीमेंट हो गई। तो ये
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मल्टीलैटरल है। ये कंसेंट बेस्ड है। इसके लिए स्टेट सोवनिटी होनी बहुत ज्यादा जरूरी
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है। इसकी कोई सेंट्रलाइज्ड अथॉरिटी नहीं होती है। यानी कि भाई दो देश आपस में ट्रीटी कर रहे हैं या
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मल्टीलैटरल ट्रीटी हो रही है तो इसकी कोई सेंट्रल अथॉरिटी नहीं है जहां पे आके आप कंप्लेंट्स करोगे कि अरे इन्होंने ऐसा कर
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दिया और इन्होंने वैसा कर दिया। सो देयर इज़ नो सेंट्रल अथॉरिटी टू इट। और सबसे इंपॉर्टेंट प्लीज पांचवा याद रखिएगा। देयर
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इज़ नॉन रेट्रोएक्टिविटी। अब बोलेंगे ये बड़े-बड़े शब्द आप वैभव भाई आप तो बस पहले
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नॉर्मल होते हो फिर एकदम से इंग्लिश बोलना शुरू कर देते हो। सो नॉन रेट्रोएक्टिविटी अगर याद नहीं रहता है तो आप याद रखिए
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रेट्रोस्पेक्टिव ये रेट्रोस्पेक्टिव नहीं है। यह प्रोस्पेक्टिव है। इसका मतलब क्या
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हो गया? बहुत सिंपल सी बात है। आज अगर कोई लॉ बना है तो वो कल के किए हुए काम पे
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बीते हुए कल के किए हुए कामों पे नहीं अप्लाई होगा। आने वाले फ्यूचर की एक्टिविटीज पे उस पे अप्लाई हो जाएगा। इसे
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कहा जाता है जब कोई लॉ प्रोस्पेक्टिव एंगल से प्रोस्पेक्टिव ऑब्जेक्टिव से बने ना कि
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रेट्रोस्पेक्टिव। ऑलराइट? सो इसे कहा जाता है नॉन रेट्रोएक्टिविटी। तो ये पांच
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कैरेक्टरिस्टिक्स है। क्या-क्या है? फटाक से इसको रिवाइज़ करते हैं। सबसे पहला तो हो गया स्टेट की सोवनिटी होनी चाहिए। दूसरा
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हो गया कि ये कंसेंट बेस्ड होता है। यह मल्टीलटरल होता है। फिर हमने करा कि यह
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नॉन रेट्रोएक्टिव है। यानी कि इसकी कोई रेट्रोस्पेक्टिवनेस नहीं है। ये प्रोस्पेक्टिव ही होता है। और पांचवा और
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सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट कि ये इसकी कोई सेंट्रल अथॉरिटी नहीं होती है। तो ये हो
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गया बेसिक आपका कैरेक्टरिस्टिक्स। अब आगे बढ़ते हैं। अब भाई इंटरनेशनल लॉ है। चलिए
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ये म्यूचुअल रिलेशनशिप को गवर्न करता है। इसके इतने कैरेक्टरिस्टिक्स है। इसके सोर्सेस क्या हैं? तो सोर्सेज में
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प्राइमरी सोर्सेस ऑफ इंटरनेशनल लॉ चार बहुत इंपॉर्टेंट है। प्लीज यह मत भूलना।
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बिल्कुल मत भूलना। भले ही तुम अपनी रिलेशनशिप एनिवर्सरी भूल जाओ। यह नहीं भूल
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सकते हो। ठीक है? चार प्राइमरी सोर्सेज ऑफ इंटरनेशनल लॉ है।
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सबसे पहला एंड मोस्टेस्ट मेरा वर्ड है। मोस्टेस्टेंट इज कस्टमरी लॉ। अब कस्टमरी लॉ होता क्या
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है? देखो कस्टम्स को पहले समझिए। ये सब आंसर लिख के उसे लंबा करने के काम आएगा।
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ठीक है? कस्टम्स का मतलब होता है वो टाइप की कुछ प्रैक्टिससेस जो इमोरियल टाइम से
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चल रही हैं। इमोरियल मतलब आप याद नहीं रख सकते कि इतनी पुरानी है। सो ऐसे
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प्रैक्टिसेस जो या ऐसे कस्टम्स जो इमोरियल टाइम से चले आ रहे हैं और उन्हें मान्यता
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दे दी गई है एज व्हाट एज अ लॉ। देखो इंडिया में भी कस्टमरी लॉ है।
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किसी भी लॉ का पहला फाउंडेशन ही कस्टमरी लॉ होता है। क्योंकि लॉज़ किस बेसिस पे
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बनते हैं? हमारे उस स्टेट की प्रैक्टिससेस, कल्चर, ट्रेडिशंस, कस्टम्स कैसे चलते आ रहे हैं। सो जब कस्टम्स व्हेन
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देयर आर नॉट इन कॉन्फ्लिक्ट विथ लॉ। नॉट इन कॉन्फ्लिक्ट विद द बेसिक स्ट्रक्चर। हम
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उसे मान लेते हैं। हम उसे मान्यता देते हैं कि यह भी अपने आप में एक लॉ है। उसके
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लिए उन कस्टम्स का यूनिवर्सली एक्सेप्ट होना बहुत ज्यादा जरूरी है। ऐसा नहीं
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चलेगा कि एक ग्रुप फॉलो करता है, एक ग्रुप फॉलो नहीं करता। ये नहीं चलता। यूनिफॉर्मली एंड यूनिवर्सली वो फॉलो होना
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चाहिए। एक्सेप्ट होना चाहिए। और जो करंट लॉस है उसके साथ कॉन्फ्लिक्ट में नहीं आना चाहिए। फॉर एग्जांपल कि अगर मान लेते हैं
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किसी एक स्टेट में स्लेवरी एक कस्टम था। लेकिन आज के लॉज़ में स्लेवरी इज़
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एब्सोलुटली प्रोहिबिटेड। तो ऐसा कस्टम लॉ नहीं बन सकता। तो सबसे पहला सोर्स क्या
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है? कस्टमरी लॉ। फिर आता है ट्रीटीज़ एंड कन्वेंशंस। अब ट्रीटीज़ एंड कन्वेंशंस क्या है? बहुत सिंपल सी बात है। ट्रीटी एक
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लेमनैन टर्म में आप समझ लो। जब हम कोई सोववरन स्टेट एक एग्रीमेंट में जाता है,
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एक एग्रीमेंट साइन करता है किसी दूसरे सोवरन स्टेट के साथ या बहुत सारे सोवन स्टेट्स के साथ। ऑलराइट? इसे कहा जाता है
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एक ट्रीटी या एक कन्वेंशन। ठीक है? बहुत सिंपल सी बात है। तो जब हम
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ऐसी कोई ट्रीटी या ऐसा कोई कन्वेंशन का पार्ट बनते हैं तो वो भी हमारा सोर्स ऑफ
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इंटरनेशनल लॉ ऑफ इंटरनेशनल लॉ का सोर्स बन जाता है। अब यह कैसे पॉसिबल है? यह क्या
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बात हो गई? हां, बिल्कुल। जैसे आपकी कंपनी ने या आप जब कॉलेज में एडमिशन लेते हो तो
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क्या करते हो? आप एडमिशन फॉर्म भरते हो। कॉलेज के टर्म्स एंड कंडीशंस को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के टर्म्स एंड कंडीशंस
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को एकनॉलेज करते हो। जैसे अटेंडेंस हो गया, एग्जामिनेशन हो गया, इंटरनल
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एग्जामिनेशन इंटरनल एग्जामिनेशन में सबमिशन हो गया। आप ये सबको इधर करते हो और एग्री करते हो और फिर आप अपना साइन करते
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हो। मतलब क्या? अब वो भी एक टाइप का एक टाइप का कॉन्ट्रैक्ट है जो आपके ऊपर अब लीगली बाइंडिंग हो गया है। सिमिलरली जब हम
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किसी भी ट्रीटी या कन्वेंशन में एंटर होते हैं तब क्या हो जाता है? वो हमारे ऊपर लीगली बाइंडिंग हो जाते हैं। तो सेकंड
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क्या है? कन्वेंशंस एंड ट्रीटीज़ एज अ सोर्स ऑफ़ इंटरनेशनल लॉ। प्राइमरी सोर्स है ये सब। याद रखना।
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थर्ड जब हम किसी भी टाइप के जनरल प्रिंसिपल्स को मान्यता देते हैं। अब जनरल
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प्रिंसिपल्स क्या होते हैं? जनरल प्रिंसिपल्स यानी कि वो प्रिंसिपल्स, वो नॉर्म्स, वो रूल्स, वो रेगुलेशंस, वो लॉज़
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जो यूनिवर्सली एक्सेप्टेड हैं। फॉर एग्जांपल राइट टू इक्वलिटी, राइट टू लाइफ,
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राइट टू जस्टिस, नॉन डिस्क्रिमिनेशन ये सब क्या है? आप इनको बिल्कुल जनरल प्रिंसिपल्स की श्रेणी में डाल सकते हैं।
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अच्छा श्रेणी थोड़ा भारी वर्ड हो गया ना? कैटेगरी में डाल सकते हैं। ठीक है? सो ये
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जनरल प्रिंसिपल्स को क्योंकि यूनिवर्सली इसको मान्यता दे दी गई है। तो जनरल प्रिंसिपल्स कभी भी उसमें आपको एग्जेंपशन
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नहीं मिलता है। तो जनरल प्रिंसिपल्स ऑफ लॉ को भी एक प्राइमरी सोर्स ऑफ इंटरनेशनल लॉ
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माना गया है। अब फोर्थ पहला हमने करा कस्टमरी लॉ। फिर हमने करा ट्रीटीज़ एंड
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कन्वेंशंस। फिर हमने करा जनरल प्रिंसिपल्स। और अब भाई जो सब जगह
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एप्लीकेबल है जुडिशियल प्रेसिडेंस। अब जुडिशियल प्रेसिडेंट्स क्या होते हैं? जिनको प्रेसिडेंट बड़ा भाई प्रेसिडेंट हो
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इंडिया का प्रेसिडेंट मत लिख देना। इट इज़ पी आर ई सी ई डी एन टी। ठीक है? नॉट पी ओ
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अपना प्रेसिडेंट वाला प्रेसिडेंट नहीं है। ठीक है? सो जुडिशियल प्रेसिडेंट यानी
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जुडिशियल डिसीजंस। किसके? इधर इंडिया का हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट मत लिखना। ऐसा नहीं चलता है। इंटरनेशनल लॉ पढ़ रहे हैं।
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अपने देश से थोड़ा बाहर निकलो ये सब समझने के लिए। ओके? तो इंटरनेशनल लॉ में क्या
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होगा? इंटरनेशनल लॉ में भाई जो इंटरनेशनल कोर्ट्स हैं, ट्रिब्यूनल्स हैं उनके जुडिशियल प्रेसिडेंट्स। अच्छा ऐसी बात
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नहीं है कि रिस्पेक्टिव कंट्रीज के सुप्रीम कोर्ट्स का कोई कंट्रीब्यूशन नहीं है। होता है। जैसे इंडिया के सुप्रीम
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कोर्ट का इंटरनेशनल लॉ में कंट्रीब्यूशन है। ओके? वैसे ही यूरोपियन कोर्ट्स का भी
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है, अमेरिकन कोर्ट्स का भी है, ब्रिटिश कोर्ट्स का भी है। लेकिन जुडिशियल प्रेसिडेंट सबसे हाईएस्ट स्टैंडर्ड्स में
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सबसे टॉप प्रायोरिटी पे किसके माने जाते हैं? इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस,
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इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर लॉ ऑन द सी। ऑलराइट। तो, यह इवन यू आल्सो हैव योर
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इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट, यू आल्सो हैव योर परमानेंट सेंटर फॉर आर्बिट्रेशन। ये
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सारी चीजें भी होती हैं। लेकिन जुडिशियल प्रेसिडेंट्स जो हैं वो आईसीजे, आईटी लॉस ये सब के माने जाते हैं। आईसीसी के माने
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जाते हैं। ऑलराइट क्योंकि हम इंटरनेशनल लेवल पे बात कर रहे हैं। तो चार सोर्सेस क्लियर हो गए। पहला क्या था? सबसे पहला
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हमने करा कस्टमरी लॉ, ट्रीटीज़ एंड कन्वेंशंस, जनरल प्रिंसिपल्स और सबसे
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इंपॉर्टेंट जुडिशियल प्रेसिडेंस। अब ये सोर्सेस हो गए। अब भाई साहब हमने डेफिनेशन
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करा है इंटरनेशनल लॉ का। हगो ग्रोटियस के पैर पढ़ लिए। फिर हमने बात करी
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कैरेक्टरिस्टिक्स की। पांच कैरेक्टरिस्टिक्स कर लिए। हमने चार सोर्सेस ऑफ प्राइमरी सोर्स ऑफ इंटरनेशनल
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लॉ कर लिए। अब ये इंटरनेशनल लॉ का पर्पस क्या है? वो तो कोई बता दो। तो चलो बता
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देते हैं। ठीक है? इंटरनेशनल लॉ का चार मेन पर्पस इसके होते हैं। सबसे पहला पर्पस
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क्या है? और मैंने बड़े बेसिक-बेसिक वाले लिए हैं ताकि अगेन आप लोग कंफ्यूज नहीं हो। पेपर में कुछ का कुछ नहीं लिख के आओ
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और फिर यह नहीं कहो कि वैभव ने तो बताया नहीं। तो इसके लिए अभी बता रहा हूं। ठीक है? चार मेन सोर्स चार मेन ऑब्जेक्टिव्स
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हैं, पर्पस हैं इंटरनेशनल लॉ के। पहला इंटरनेशनल पीस एंड सिक्योरिटी को मेंटेन
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करना। ठीक है? इंटरनेशनल पीस एंड सिक्योरिटी को मेंटेन करके रखना। सेकंड एंड मोस्टेंट
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टू प्रोटेक्ट ह्यूमन राइट्स। अगर कभी ह्यूमन राइट वायलेशन होता है, इंटरनेशनल
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लेवल पर हो जाता है, बोलोगे इंटरनेशनल लेवल पर कैसे होता है? बिल्कुल हो सकता है। आप पब्लिक इंटरनेशनल लॉ पढ़ रहे हो।
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इसके बहुत सारे केस लॉज़ हैं। ऑलराइट। जबभी वॉर्स होती हैं जबभी कोई बहुत बड़ा
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कॉन्फ्लिक्ट हो जाता है। तो क्या होता है? बहुत सारी ह्यूमन राइट्स वायलेट होते हैं।
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तो क्योंकि इतनी कंट्रीज कभी-कभी इनवॉल्वड होती है तो जाओगे कहां? गुहार कहां लगाओगे? ऐसा हिस्ट्री में हो चुका है। मैं
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यह नहीं कह रहा सिर्फ यही एक एग्जांपल है। लेकिन यह बहुत इंपॉर्टेंट एग्जांपल है। ठीक है? तो सेकंड क्या है? प्रोटेक्शन ऑफ
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ह्यूमन राइट्स। थर्ड प्रोटेक्शन ऑफ़ एनवायरमेंट। बहुत ज्यादा जरूरी है। अब
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प्रोटेक्शन ऑफ़ एनवायरमेंट कैसे होता है? यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ लॉ ऑफ़ द सी में। इसके लिए प्रोव प्रोविज़ंस दिए हुए
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हैं। मारपोल एक चीज है। उसको कभी पढ़िएगा। ठीक है? दैट इज ऑल अबाउट मैरिटाइम
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पोल्यूशन। ठीक है? यह जो आपके ग्रीन हाउस गैसेस हैं, आप सबको याद होगा बहुत टाइम पहले यह हुआ
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था कि ओजोन लेयर में एक होल हो गया था। ओके? तो क्या हो रहा था? डायरेक्टली जो
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यूवी लाइट्स हैं, जो यूवी रेज हैं, वो क्या करती भाई? अर्थ अगर बड़ा हो जाता वो होल तो क्या होता? ऑब्वियसली अर्थ वुड हैव
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गॉन लाइफलेस। ठीक है? सो सारी कंट्रीज दे केम टुगेदर एंड दे रिपयर्ड इट। अब रिपेयर
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मतलब सिला नहीं है बैठ के। ऐसे वो एनवायरमेंट लॉज़ एनवायरमेंट के उस तरीके के
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वो सारे रिफॉर्म्स लेकर आए। सब लोगों ने फॉलो करा। तब जाके काफी समय में वो रिपेयर हुआ। रिस्टोर हुआ। इंटरनेशनल लॉ ये भी
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कहता है कि हमें कभी भी इस लेवल का एनवायरमेंट डैमेज नहीं करना चाहिए जहां वो
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खुद एनवायरमेंट खुद को रिपेयर ही ना कर पाए। तो प्रोटेक्शन ऑफ़ एनवायरमेंट। ठीक
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है? एंड प्रोटेक्शन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड एंड इकोनमी। यानी कि क्या इंडिया एज अ
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सोववरन स्टेट कई सारे नेशंस के साथ में क्या है? उनके ट्रेड रिलेशंस हैं।
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इकोनॉमिक रिलेशंस हैं। ऑलराइट। हम बहुत सारी चीजें इंपोर्ट करते हैं। बहुत सारी चीजें एक्सपोर्ट भी करते हैं। तो जिनके
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साथ इंपोर्ट कर रहे हैं और जिनको एक्सपोर्ट कर रहे हैं उनके साथ हमारे ट्रेड रिलेशंस हैं ना। तो ऐसी हवा में ट्रेड रिलेशंस हैं। ऐसा नहीं होता। हर चीज
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लिखा पढ़ी में होती है। आप लॉ स्टूडेंट्स हो। आपको ये पता होना चाहिए। सबके लिए एग्रीमेंट्स होते हैं, कॉन्ट्रैक्ट्स होते
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हैं हर चीज़ के लिए। जहां जरूरत है वहां ट्रीटीज़ भी होती हैं। तो यह कौन प्रोटेक्ट करेगा? ये सब इंटरनेशनल लॉ प्रोटेक्ट करता
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है। अच्छा अब ये ट्रीटी ट्रीटी हम इतने टाइम से चल रहे हैं। ये ये ट्रीटी इंटरनेशनल लॉ के अंडर आएगा। ये बोला
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किसने? तो यहां आता है वियना कन्वेंशन ऑन लॉ ऑफ़
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ट्रीटीज़ 1969। यह भी आप लोग को याद रखना बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है। ऑलराइट। सो वियना कन्वेंशन
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ऑन लॉ ऑफ ट्रीटीज 1969 ने ये बोला है। उसका ये डिक्लेरेशन था। उसका ही कंक्लूजन
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था क्या? कि जितनी भी ट्रीटीज़ हो चाहे वो सिंगल इंस्ट्रूमेंट में हो या मल्टीपल इंस्ट्रूमेंट्स में होने दो। लेकिन आएगा
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इंटरनेशनल लॉ के अंडर ही। ऑलराइट। सो दिस इज़ वेरीेंट। सो इसी के साथ हमारे चार मेन
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ऑब्जेक्टिव्स भी कवर हो जाते हैं। अब हम बात करते हैं इसकी थ्योरीज़ क्या-क्या हैं? ऑलराइट। इंटरनेशनल लॉ की थ्यरीज़ क्या है?
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आप बोलोगे यार वैभव भाई थ्यरीज भी हैं। हां जी बिल्कुल थ्यरीज हैं। भाई उस टाइम
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पे ये बड़े-बड़े एमिनेंट जरिस्ट्स थे। उस टाइम की रिक्वायरमेंट थी तो जैसे-जैसे
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वक्त बदलता रहता है नई-नई चीजें आती रहती हैं। तो उसके साथ वी हैव टू अप्ट एंड अडॉप्ट आल्सो। सो पांच इसकी मेन थ्योरीज़
18:15
हैं। पहला है नेचुरल लॉ थ्योरी। अब नेचुरल लॉ थ्योरी क्या होता है? सी नेचुरल लॉ थ्योरी इज़ वेरी वेरी सिंपल। यानी कि
18:23
नेचुरली आप इसको जनरल प्रिंसिपल से भी कंपेयर कर सकते हो। देखो जो इनहेरेंट बाय लॉ जो इनहेरेंट राइट्स एंड ऑब्लिगेशंस हैं
18:31
जो यूनिवर्सली एक्सेप्टेड है जो जनरल प्रिंसिपल्स हैं ठीक है जिसमें कोई एक्सेंपशन नहीं हो सकता। ऑलराइट उसे तो
18:37
फॉलो करना ही करना है। बस मैंने आपको शॉर्ट में बताया यही होती है नेचुरल लॉ थ्योरी। वैसे भी तुम कौन सा दो-दो पेज
18:43
लिखने वाले हो नेचुरल लॉ थ्योरी और ये सब थ्योरीस पे। ठीक है? फिर नेचुरल लॉ थ्योरी
18:48
के बाद आता है पॉजिटिविस्ट थ्योरी। पॉजिटिव स्टरी क्या कहता है? जब एक सोवरन
18:54
स्टेट ने दूसरे सोवरन स्टेट के साथ या मल्टीपल सोवरन स्टेट्स के साथ क्या करा है? कोई ट्रीटी करी है, कोई कन्वेंशन करी
19:01
है। ऑलराइट। तो क्या हो गया? वो उसके ऊपर लीगली बाइंडिंग हो गई। वो लीगली बाइंडिंग
19:07
हो जाती है। और ये क्या होना चाहिए? ये वंटरीली कंसेंट बेस्ड इन्वॉल्वमेंट होना चाहिए। इसे कहते हैं पॉजिटिव थ्योरी। फिर
19:14
आती है रियलिस्ट थ्योरी। अब रियलिस्ट थ्योरी क्या है? रियली स्टडी बहुत सिंपल है। वह बोलती है भाई कोई भी सोवरन स्टेट
19:21
को जब तक उसे यह नहीं लगता कि मेरे पर्सनल इंटरेस्ट के साथ यह पर्टिकुलर ट्रीटी
19:29
कन्वेंशन या इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन अलाइन होती है। मैं इसका पार्ट नहीं बनूंगा। मैं साइन नहीं करने वाला। रियलिस्टिकली बात
19:36
करो। पॉजिटिव पॉजिटिव रखो साइड में। रियलिस्टरी बोलती है अनलेस एंड अंटिल अ
19:41
सोवरन स्टेट फील्स क्या कि उसके पर्सनल इंटरेस्ट के साथ वो पर्टिकुलर ट्रीटी
19:48
कन्वेंशन या इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन अलाइन नहीं होती है तो वो उसकी उसमें पार्ट नहीं लेगा उसमें पार्टिसिपेट नहीं करेगा उसको
19:55
साइन नहीं करेगा लगता है तो कर लेगा फिर रियलिस्टिकली सोचते हैं फिर आती है लिबरल
20:00
थ्योरी अब लिबरल थ्योरी क्या होती है लिबरल थ्योरी ये कहती है कि कोई भी भाई बड़ी इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन जो सबके कॉमन
20:08
इंटरेस्ट को साथ में लेकर के चलती है। जैसे यूनाइटेड नेशंस तो जब यूनाइटेड नेशन चार्टर बना था 1945 में तब क्या था? भाई
20:16
इतनी सारी कंट्रीज के कॉमन इंटरेस्ट को साथ में लेकर के चले थे। तो ऐसे किसी
20:21
ऑर्गेनाइजेशन का पार्ट बन जाते हैं लोग। कोई सोवन स्टेट्स होती हैं वो बन जाती हैं। किसी के ऊपर प्रेशर है क्या? गन
20:28
पॉइंट पे रखा है क्या? नहीं ना? सिंपल। बनना है तो बनो। ये होती है लिबरल थ्योरी।
20:34
अब लिबरल थ्योरी के बाद में हम आ जाते हैं कंस्ट्रक्टिविस्ट थ्योरी। कंस्ट्रक्टिविस्ट थ्योरी क्या कहती है कि
20:39
भाई लॉज़ कभी भी फिक्सेटेड हो ही नहीं सकते हैं। नॉर्म्स कभी भी फिक्सेट हो ही नहीं सकते हैं। क्यों नहीं हो सकते हैं? फॉर अ
20:46
वेरी-वेरी सिंपल रीज़न बिकॉज़ भाई लॉ एवर इवॉल्विंग है। जैसे हर देश का
20:51
कॉन्स्टिट्यूशन को एक लिविंग डॉक्यूमेंट कहते हैं। क्योंकि उसमें अमेंडमेंट्स होते रहते हैं, चेंजेस होते रहते हैं। भाई
20:57
समय-समय की बात है। काश उन्होंने भी ये चीज समझी होती।
21:03
तो एनीवे सो एक कॉन्स्टिट्यूशन क्या होता है? जैसे वो एक लिविंग डॉक्यूमेंट है। एवर रिवॉल्विंग है वैसे ही इंटरनेशनल लॉज़ भी
21:09
एवर रिवॉल्विंग है। उसको फिक्सेट नहीं कर सकते। अगर फिक्सेट कर देंगे तो क्या हो जाएगा साहब? अगर उसको फिक्सेट कर देंगे तो
21:17
क्या हो गया? वो एक टाइम के बाद आउटडेटेड हो जाएंगे। किसी काम के नहीं आएंगे। अभी आईपीसी को चेंज किया ना? सीआरपीसी को चेंज
21:23
किया ना? क्यों? आउटडेटेड हो गए भाई साहब। नए लॉस चाहिए। लेकर आओ। जो समय के साथ
21:29
चलता है वही बलवान। सिंपल सी बात है। ठीक है? तो बेसिकली यह थी आपकी पांच थ्योरीज।
21:37
नेचुरल लॉ थ्योरी, पॉजिटिविस्ट थ्योरी, रियलिस्ट थ्योरी, लिबरल थ्योरी और साथ में
21:43
कंस्ट्रक्टिविस्ट थ्योरी। अब पांच डॉक्ट्रिन्स भी है। आई आई प्रॉमिस ये
21:49
लास्ट है इस आंसर में। लेकिन थोड़ा तो आंसर लंबा लिखना पड़ेगा क्योंकि क्या है तुम लोग पढ़ तो लेते हो। लेकिन लिखने के
21:56
टाइम पर ना एकदम ब्लैंक समझ नहीं आता लिखना क्या है तो ऐसा नहीं हूं इसके लिए ये सब बता रहा हूं कुछ तो याद रहेगा इतने
22:03
में से तो जो याद रहेगा उसके लिए मेरे को पॉइंट्स तो बताना पड़ेगा नहीं तो फिर बोलोगे वैभव ने बताया नहीं है तो बता रहा
22:10
हूं मेरे पास मत आना बाद में क्या बताया नहीं पांच डॉक्ट्रिंस हैं ठीक है तो पहली
22:15
डॉक्ट्रिन क्या है पहली है स्टेट सोवनिटी की डॉक्ट्रिन यानी कि क्या स्टेट सोवनिटी
22:21
का मतलब होता है अपुनिज भगवान है मतलब मतलब सिंपल मेरे टेरिटरी में मेरा ही
22:30
जुरिसडिक्शन चलेगा। मेरे ही लॉस चलेंगे। मेरी अपनी पॉलिटिकल फ्रीडम है, अपनी
22:36
इकोनॉमिक फ्रीडम है, राइट्स हैं। उसमें कोई आके मुझे ज्ञान नहीं दे सकता
22:41
है। सो, अ सोवरन स्टेट इन इट्स ओन टेरिटरी हैज़ द राइट टू प्रैक्टिस इट्स ओन
22:47
जुरिसडिक्शन, पॉलिटिकल राइट्स, पॉलिटिकल फ्रीडम एंड इकोनमिक फ्रीडम। उसमें कोई कुछ
22:53
बाकी बोल नहीं सकता। इसी से रेलेवेंट एक सेकंड डॉक्ट्रिन है जिसको कहा जाता है
22:58
डॉक्ट्रिन ऑफ नॉन इंटरवेंशन। मतलब एक तो क्लियर बात हो गई कि मेरे देश
23:04
में जो चल रहा है वो मैं देखूंगा। कोई और देख नहीं सकता है। और इससे ज्यादा इंपॉर्टेंट क्या चीज है? भाई मैं किसके
23:09
साथ ट्रीटी कर रहा हूं? मैं किसके साथ कन्वेंशन कर रहा हूं? मैं किसके साथ एग्रीमेंट कर रहा हूं? उसमें कोई थर्ड कंट्री आके मेरे को ज्ञान नहीं देगी।
23:16
कि अरे वो वो वो है ना वो वो पाकिस्तान है ना। हां नहीं उसने उसने दो दिन पहले ऐसा किया। वो
23:24
करना करना नहीं ऐसा करना नहीं चलेगा ठीक है मुझे जो करना है मैं करूंगा आप इंटरवीन
23:31
नहीं कर सकते इंटरफेयर नहीं कर सकते थे ठीक है अपने घर को देखो दूसरों के घरों के बच्चे
23:40
में टांग मत अड़ाओ अपनी ठीक है एनीवे पर्सनली मत लेना तो सेकंड क्या है
23:48
डॉक्ट्रिन ऑफ़ नॉन इंटरवेंशन थर्ड आता है पैक्ट
23:53
सर्वेंाडा। अब यह पैक्ट सर्वांडा क्या है? यह कोई हॉगवर्ड्स का स्पेलेल जैसा लगता
23:58
है। पितृदेव संरक्षणम ऐसा नहीं है। पैक्ट सर्वांडा इसका मतलब
24:06
होता है एग्रीमेंट्स मस्ट बी केप्ट इन सिंपल टर्म्स। इसका क्या मतलब हुआ? भाई
24:12
साहब आपने किसी के साथ एग्रीमेंट करा है। यानी क्या? किसी भी दूसरे सोवन स्टेट के
24:18
साथ आपने एग्रीमेंट करा है, ट्रीटी करी है, कन्वेंशन करी है तो क्यों हवा में की दिखाने के लिए करी? नहीं ना वो इंडिया
24:26
नहीं है। वो फॉलो करना पड़ेगा आपको। यू कैन नॉट बायपास इट। एग्रीमेंट्स मस्ट
24:31
बी केप्ट। अच्छा इंटरनेशनल ट्रीटीज जब हम करते हैं तो वो इंडिया में कैसे अप्लाई होती है? आर्टिकल 253 है जिसके थ्रू क्या
24:39
होता है? ये जो इंटरनेशनल ट्रीटीज हैं उसको कॉमन लॉ में इंक्लूड करने का
24:44
प्रोसीजर है, प्रोविजन है। ठीक है? क्योंकि इंडिया क्या फॉलो करता है? डुअलिस्टिक थ्योरी को फॉलो करता है। अभी
24:51
इस पे आगे आएंगे हम। ठीक है? तो ये इंपॉर्टेंट है। पैक्ट सरवांडा। फोर्थ जस
24:57
कॉगिस यानी नॉन डेरिगेशन। जस कॉगिंस का मैंने आपको पहले ही बता दिया। भाई जस कॉगिंस का मतलब बहुत सिंपल होता है जो
25:04
जनरल प्रिंसिपल्स हैं। ओके? ये कुछ ऐसे लॉस, रूल्स, नॉर्म्स, रेगुलेशंस,
25:09
प्रैक्टिससेस, प्रिंसिपल्स ऐसे होते हैं जो यूनिवर्सली एक्सेप्टेड है। जो इनहेरेंट
25:15
राइट है। कोई सोवन स्टेट का कंसेंट नहीं चाहिए। किसी सोवन स्टेट के सर्टिफिकेट की
25:21
जरूरत नहीं चाहिए मुझको। उसको वैलिडेट करने के लिए। फॉर एग्जांपल अगर आप बोर्न ह्यूमन हो तो आपको राइट टू इक्वलिटी है,
25:28
राइट टू लाइफ है, राइट टू नॉन डिस्क्रिमिनेशन है, इक्वलिटी बिफोर जस्टिस है।
25:35
इसमें कोई एक्सेंपशन नहीं हो सकता। कोई एक्सेप्शन नहीं हो सकता है। एक्सेप्शन
25:41
ऑब्वियसली अब तुम कांड करोगे तो सब एक्सेप्शन ही है फिर। लेकिन एक्सेप्शनंस
25:47
नहीं मिल सकते। ठीक है? इसे कहा जाता है जस्ट कॉगिंस। डॉक्ट्रिन ऑफ़ जस्ट कॉगिंस।
25:53
ऑलराइट। तो जस्ट कॉगिंस भी हो गया। अब आता है रिस्पांसिबिलिटी टू प्रोटेक्ट जिसे हम
25:59
कहते हैं आर टू पी। आर टू पी। ओके?
26:04
रिस्पांसिबिलिटी टू प्रोटेक्ट क्या? भाई हर स्टेट की अपनी खुद की भी रिस्पांसिबिलिटी कुछ है इंटरनेशनल लॉस को
26:11
कंट्रीब्यूट करने की। उसको प्रोटेक्ट करने की ठीक है? अपनी टेरिटरी तो प्रोटेक्ट करेगा ही करेगा। बाहर के इंटरेस्ट को भी
26:18
प्रोटेक्ट करो। ठीक है? समाज सेवा कर लो। कुछ तो कर लो। कुछ तो शर्म करो। यह मतलब
26:25
लेने देने की बात नहीं है। गिव एंड टेक है भाई। यू नो इट्स अ टू वे ट्रीट लाइक दिस
26:31
से। तो यह आपका बेसिक आंसर था टू दी क्वेश्चन। अगर आपको पूछा जाए के भाई इंटरनेशनल लॉ
26:39
क्या है? उसके सोर्सर्सेस क्या है? उसकी थ्यरीज़ क्या है? उसकी डॉक्ट्रिंस क्या है? उसके ऑब्जेक्टिव्स क्या है? यही यही एक
26:46
आंसर है। और ये सब जगह में इंक्लूड हो जाएगा। ये सब जगह आ जाएगा। ठीक है? तो क्या-क्या हमने करा? पहले हमने उसका
26:53
डेफिनेशन करा। युगोगोटियस साहब के पैर पढ़ के उसका डेफिनेशन लिखना। कैरेक्टरिस्टिक्स कितने हैं? पांच कैरेक्टरिस्टिक्स हैं।
27:00
सोवनिटी ऑफ़ स्टेट है, कंसेंट बेस्ड है। कोई सेंट्रल अथॉरिटी नहीं है। मल्टीलैटरल है, नॉन रेट्रो एक्टिविटी है। चार
27:06
सोर्सेस। क्या-क्या चार सोर्सेस हैं उसके? पहला ट्रीटीज़ एंड कन्वेंशंस हैं। कस्टमरी लॉ है। जुडिशियल प्रेसिडेंट है। जनरल
27:12
प्रिंसिपल्स हो गए। चार सोर्सेस कर लिए। पांच उसके चार पर्पस हैं। सॉरी चार पर्पस।
27:18
क्या? प्रोटेक्शन ऑफ ह्यूमन राइट्स, प्रोटेक्शन ऑफ एनवायरमेंट, प्रोटेक्शन ऑफ इंटरनेशनल पीस एंड सिक्योरिटी एंड टू
27:25
मेंटेन इंटर हेल्दी रिलेशंस इन इंटरनेशनल ट्रेड एंड इकोनॉमिक रिलेशंस। उसमें हेल्दी रिलेशंस मेंटेन करना बहुत इंपॉर्टेंट है।
27:32
फिर पांच थ्यरीज़ कौन सी? नेचुरल लॉ थ्योरी, रियलिस्ट थ्योरी, पॉजिटिविस्ट थ्यरी, लिबरल थ्योरी और कंस्ट्रक्टिविस्ट
27:39
थ्योरी। और वैसे ही पांच क्या है? इसमें डॉक्ट्रिनस है डॉक्ट्रिन ऑफ़ स्टेट सोवनिटी नंबर वन डॉक्ट्रिन ऑफ़ नॉन इंटरवेंशन पैक्ट
27:46
सर्वांडा एंड डॉक्ट्रिन ऑफ़ जस्ट कॉग्स डॉक्ट्रिन ऑफ़ रिस्पांसिबिलिटी टू प्रोटेक्ट ये याद रखना अब मत बोलना वैभव
27:54
ने बताया नहीं ठीक है आधे घंटे का लेक्चर दे दिया एक आंसर पे ताकि तुम्हें समझ आ
28:00
जाए ऑलराइट सो ये आंसर आप किसी भी और दूसरे आंसर में मर्ज बहुत ईजीली कर सकते
28:07
हो या पूरा आंसर लिखने की जरूरत नहीं है कोई भी पार्ट इसमें से भाई किसी में कैरेक्टरिस्टिक्स ऑब्जेक्टिव लिख दिए।
28:13
सोर्सेस तो लिखना ही लिखना। देखो तीन चीज मैं अपने एंड से रेकमेंड करूंगा। प्लीज
28:18
तीन चीजें आप कहीं भी लिख सकते हो कि इंटरनेशनल लॉ क्या है? उसके सोर्सेस क्या
28:24
हैं? प्राइमरी सोर्सेस क्या हैं? ठीक है? और उसका पर्पस क्या है? और अगर 30 मार्क
28:31
कहां बनना है, हां, तो थ्योरीज भी डाल दो। ठीक है? सो ये था पहला क्वेश्चन का आंसर
28:38
डिफाइन इंटरनेशनल लॉ, सोर्सेज, थ्योरीज, डॉक्ट्रिंस, पर्पस।
28:43
ठीक है? एंड कैरेक्टरिस्टिक्स। ऑलराइट। अब आगे बढ़ते हैं नेक्स्ट क्वेश्चन पर। तो
28:50
मुंबई यूनिवर्सिटी के 3 एंड फाइव ईयर एलएलबी में एक जो हमारा पब्लिक इंटरनेशनल
28:55
लॉ का सब्जेक्ट है उस सब्जेक्ट के एग्जाम में ये क्वेश्चन बहुत इंपॉर्टेंट है समझना
29:02
कि ट्रीटी क्या है? उसके पर्पस क्या है? उसके फॉर्मेशन के स्टेजेस क्या होते हैं?
29:08
स्टेप्स क्या होते हैं? कौन से ग्राउंड पे वो टर्मिनेट हो सकती है? ऑलराइट। तो ये क्वेश्चन भी आपको पता होना बहुत-बहुत
29:16
ज्यादा जरूरी है। अब बिना किसी वक्त की बर्बादी के अब आगे चलते हैं। नहीं तो फिर आप बोलोगे वैभव ने बताया ही नहीं। ठीक है?
29:22
तो शुरू करते हैं। पहली बात तो ये ट्रीटी किस बला का नाम है। ऑलराइट। ट्रीटी बहुत
29:28
सिंपल सी चीज है। ट्रीटी इज़ अ काइंड ऑफ़ एन एग्रीमेंट। एंड इट इज़ अ फॉर्मल लीगल
29:34
एग्रीमेंट और अ बॉन्ड आल्सो यू कैन से इन सर्टेन केसेस व्हिच इज़ डन बिटवीन टू और
29:41
मोर देन टू सोवरन स्टेट्स बट कंसेंट बेस्ड इनवॉलंटरीली नहीं वंटरीली ऑलराइट वंस यू
29:50
गेट इंटू अ ट्रीटी क्या हो जाता है वो लीगली बाइंडिंग हो जाती है सारे अंडरसाइंड पार्टीज पे ठीक है वेरी बेसिक ज्यादा
29:58
दिमाग इसमें लगाना नहीं है ऑलराइट तो ये ट्रीट ट्रीटीज इंटरनेशनल लॉ में कहां से आ
30:04
गया? ऑलराइट। तो ट्रीटीज इंटरनेशनल लॉ में आया बिकॉज़ ऑफ
30:11
अ ट्रीटी इटसेल्फ। जिसे कहा जाता है वियना कन्वेंशन ऑन द लॉ
30:17
ऑफ़ ट्रीटीज़ 1969। इसकी वजह से जो है ट्रीटीज़ से कहा जाता है इसकी वजह से
30:22
ट्रीटीज़ केम इंटू दी इंटरनेशनल लॉ। इंटरनेशनल लॉज़ ही से गवर्न करते हैं। तो
30:28
ट्रीटी क्या होता है? हमें समझ में आ गया। कन्वेंशन क्या होता है? समझ में आ गया? एक ही बात है। बाय एंड लार्ज एक ही बात है। ऑलराइट। अब टाइप्स ऑफ ट्रीटीज़ क्या होती
30:35
हैं? ठीक है? तो टाइप्स ऑफ ट्रीटीज़ बहुत आसान है। सबसे पहले बटरल ट्रीटीज़। अब ये
30:41
बटरल क्या है? बाय का मतलब होता है टू। ठीक है? तो जब दो सोवरन स्टेट्स के बीच
30:48
में कोई एक ऐसा एग्रीमेंट या ट्रीटी करी जाती है। उसे हम कहते हैं बटरल ट्रीटी। मैं आपको बहुत शॉर्ट में एक्सप्लेन कर रहा
30:55
हूं। लेकिन सारे इंपॉर्टेंट पॉइंट्स कवर कर रहा हूं क्योंकि तुम इतने ईमानदार अगेन हो नहीं कि तुम बड़े-बड़े इैबोरेशन में ये
31:02
सारे पॉइंट्स लिखो क्योंकि पॉइंटर्स बहुत ज्यादा हैं। ठीक है? तो 13 मार्क्स या 15 मार्क्स के लिए इतना ज्यादा तो तुम लिखने
31:09
वाले हो नहीं। तो इतनी ईमानदारी मुझे मुझे तो मत दिखाओ प्लीज प्लीज। ठीक है? तो पहले
31:15
तो कितनी टाइप की ट्रीटी होती है भाई? पांच टाइप की ट्रीटी होती है। पहला बटरल जो दो सोवन स्टेट्स के बीच में हो। ओके?
31:21
सेकंड मल्टीलैटरल ट्रीटी। नाउ मल्टीलैटरल ट्रीटी इज़ दैट टाइप ऑफ़ ट्रीटी व्हिच इज़
31:26
एग्जीक्यूटेड साइन एंड एग्ज़क्यूटेड बिटवीन टू मोर देन टू कंट्रीज। जैसे नॉर्थ
31:32
अटलांटिक ट्रीटी है हमको पता है। जैसे हमारा यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ़ लॉ ऑफ़
31:38
सी था। ठीक है? जैसे जनेवा कन्वेंशन था। बहुत सारी कंट्रीज इसमें इन्वॉल्वड हैं। दो से ज्यादा ही तो उसको मल्टीलैटरल जब
31:45
मल्टीपल कंट्रीज इन्वॉल्व होती हैं। ठीक है? तो उसे कहा जाता है मल्टीलैटरल ट्रीटी। अब इसके बाद में हम आ जाते हैं
31:51
यूनिवर्सल ट्रीटी। अब यूनिवर्सल ट्रीटी क्या होती है? ये वो ट्रीटी होती है जो ओपन टू ऑल है। भाई जिसने आना है साइन करना
31:57
है कर लो और इसको उसका पार्ट बन जाओ। यूनिवर्सली ओपन है सबके लिए। तो ये यूनिवर्सल ट्रीटी होती है। फिर आते हैं
32:04
रीजनल ट्रीटी। रीजनल ट्रीटी जो होती है, रीजनल ट्रीटी इज़ ओनली फॉर अ सर्टेन ग्रुप
32:10
ऑफ़ कंट्रीज और फॉर अ सर्टेन ज्योग्राफिक रीजन ओनली। यूरोपियन यूनियन बनी, काउंसिल
32:17
ऑफ यूरोप बना। यह सब भी किसके थ्रू हुआ है? अरे ट्रीटी ऑफ़ वेस्ट फालिया। ट्रीटी ऑफ़ वेस्ट फालिया ऑफ़ 1648 इज़ नोन एंड
32:26
कंसीडर्ड एज द मेन फाउंडेशन फॉर योर इंटर मॉडर्न इंटरनेशनल लॉज़।
32:33
उसमें स्टेट सोवनिटी की बात की हुई थी। उसमें फ्रीडम्स की बात की हुई थी। इक्वलिटी टू स्टेट्स की बात की थी। तो
32:41
बहुत सारे स्टेट उसका पार्ट बने थे। लेकिन वो सडन ज्योग्राफिक है। नॉर्थ अलर्टिंग ट्रीटी अभी अपन ने बात की। नॉर्थ अटलांटिक
32:48
ट्रीटी जिस से नेटो बना है वह सबके लिए थोड़ी थी। सर्टन ग्रुप ऑफ कंट्रीज के लिए थी। सो इसे कहा जाता है रीजनल ट्रीटी जो
32:56
कुछ ग्रुप ऑफ कंट्रीज के लिए हो या फिर वो एक ज्योग्राफी के लिए हो। उस उस
33:01
ज्योग्राफी की कंट्रीज के लिए ओपन हो। फिर आता है फ्रेमवर्क ट्रीटी। भाई ऐसी कोई ट्रीटी है जिसने कुछ फ्रेमवर्क्स या
33:07
गाइडलाइंस को जरा सजेस्ट कर दिया या उसने फ़ूलेट कर दिया। सबसे बड़ा एग्ज़ांपल वियना कन्वेंशन ऑफ़ लॉ ऑफ़ लॉ ऑफ़ ट्रीटीज़। उसने
33:14
क्या किया? बता दिया ना जो भी ट्रीटी होगी वो इंटरनेशनल लॉ के अंडर आ जाएगी। तो क्या
33:20
किया? फ्रेमवर्क बता दिया उसने। सो दिस कैन बी टेकन एज एन एग्जांपल। मैं
33:25
ये नहीं कह रहा कि यही एक एग्जांपल है या ये बहुत प्रिसाइज़ एग्जांपल है। ऐसा मैं नहीं कह रहा। लेकिन दिस कैन बी कंसीडर्ड
33:30
एस वन ऑफ़ द एग्जांपल्स। बेसिकली वही ट्रीटी जो फ्रेमवक्स सेट कर दे किसी
33:35
प्रोजेक्ट के लिए, किसी पर्टिकुलर टाइप के एसोसिएशन के लिए, किसी टाइप के बड़े ऑब्जेक्टिव को अचीव करने के लिए फ्रेमवर्क
33:42
ट्रीटी उसे कहा जाता है। ऑलराइट। अब टाइप्स ऑफ ट्रीटी हो गई। टाइप्स ऑफ़ ट्रीटी के बाद आता है भाई ट्रीटीज़ का फॉर्मेशन
33:49
कैसे होता है? स्टेप्स क्या है? भगवान से डरो और ईमानदारी से ये छह पॉइंट
33:55
याद कर लेना। ठीक है? टाइप्स ऑफ ट्रीटी और फॉर्मेशन ऑफ़ ट्रीटी। क्योंकि यह तुम कहीं
34:01
भी डाल सकते हो। ठीक है? फॉरेशन ऑफ ट्रीटी अगर तुम्हें नहीं आया, एग्जाम में अगर तुम
34:07
ब्लैंक हो रहे हो, चुल्लू भर पानी हाथ में ले लेना अपने ईमानदारी से। ठीक है?
34:12
क्योंकि मैं तो बता रहा हूं। और इससे ज्यादा आसान तरीके से तुम्हें कोई और बता नहीं सकता। फॉरमेशन ऑफ ट्रीटी भाई साहब छह
34:21
चीजें होती हैं उसमें। पहले नेगोशिएशंस होते हैं। अब नेगोशिएशन का मतलब मांडोली,
34:27
भावतोल वो नहीं होता। अंडरस्टैंड नेगोशिएशन का मतलब जो कंट्रीज के जो सोवरन
34:33
स्टेट्स के रिस्पेक्टिव रिप्रेजेंटेटिव्स हैं वह आएंगे बैठेंगे और छाए पे छड़छा
34:39
करेंगे। क्या कि इस पर्टिकुलर ट्रीटी की जिसमें हम एंटर हो रहे हैं उसके टर्म्स
34:46
क्या होने चाहिए? कंडीशंस क्या होने चाहिए? उसके प्रिंसिपल्स वगैरह वगैरह वगैरह सब कुछ क्या होना चाहिए? कॉन्टेक्स्ट क्या होना चाहिए? दे
34:51
नेगोशिएट। जब ये सारी बातचीत हो गई कि हां ये टर्म्स कंडीशंस होंगे। हम ऐसे इंप्लीमेंट करेंगे
34:58
फला ढिमका सब हो गया। नेगोशिएशन के बाद आता है अडॉप अप्शन ऑफ़ टेक्स्ट। अब ये
35:03
अडॉप्शन ऑफ़ टेक्स्ट किसे कहते हैं? अब बोलोगे अडॉप्शन ऑफ़ टेक्स्ट मतलब फोंट होता
35:08
है क्या? फोंट नहीं होता है। ठीक है? अडॉप्शन ऑफ़ टेक्स्ट का मतलब होता है उसका
35:15
कॉन्टेक्स्ट। ओके? प्रिसाइज़ वर्ड्स। क्या यूज़ करने हैं उस ट्रीटी में? कौन सी लैंग्वेज में वो
35:23
ट्रीटी करनी है? उसका ऑब्जेक्टिव पर्पस क्या है? उसका प्रएमबल क्या है? देखो इसको
35:29
मैं सिंपल एग्जांपल से आपको समझाता हूं। जब कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच बैठती है इंडिया में सुप्रीम कोर्ट में किसी भी टाइप का जब
35:37
ऐसा कॉन्फ्लिक्ट आता है जहां पे डिसीजन लेना मुश्किल हो रहा है। तब आप प्लीज याद करो। आप लोगों ने ये पढ़ा होगा। और अगर
35:43
नहीं पढ़ा है तो मेहरबानी करके पढ़ो। वकील बनने वाले हो। कुछ शर्म करो। ठीक है? जब
35:50
डिफिकल्टी होती है और जब सब कुछ फेल हो जाता है तो ओरिजिनल इंटेंट ऑफ दी
35:56
कॉन्स्टिट्यूशन फ्रेमवर्क वो लिया जाता है कि ओरिजिनल इंटेंट क्या था कॉन्स्टिट्यूशन बनाने का? बेसिक स्ट्रक्चर क्या है
36:02
कॉन्स्टिट्यूशन का? यहां पे भी अडॉप्शन ऑफ़ टेक्स्ट में प्रएमबल लैंग्वेज प्रिसाइज़
36:08
वर्ड्स टू बी यूज़। ये सारी चीजें कंसीडर की जा सकती हैं। तो आपने पहले क्या करा?
36:13
सबसे पहले आपने नेगोशिएशन करा, अडॉप्शन ऑफ़ टेक्स्ट करा। अब सब कुछ हो गया। सेट हो गया। अब सिग्नेचर होगा। ठीक है? सिग्नेचर
36:21
कौन करेगा भाई? यही जो ऑथराइज्ड रिप्रेजेंटेटिव्स हैं वही सिग्नेचर करेंगे
36:26
इस ट्रीटी में। अब ये साइन करने से ट्रीटी फोर्स में आ गई क्या? ले ऐसा नहीं होता।
36:34
इतना इजी नहीं है। ट्रीटी एक बार आपने साइन कर दी।
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तो जो मोनेस्टिक थ्योरी को बिलीव करते हैं वो है वो स्टेट्स में तो वो अप्लाई हो जाती है क्योंकि उनके लिए जो इंटरनेशनल लॉ
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है। ठीक है? वो सुप्रीम है। वो सुपीरियर है देन योर नेशनल लॉज़ डोमेस्टिक लॉज़।
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लेकिन जो ड्यूलिस्टिक थ्योरी को मानते हैं जैसे इंडिया वहां पर क्या होता है? पहले
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ही आपने ट्रीटी साइन कर दी तो ट्रीटी साइन करने से वो लागू नहीं होगी। वो थर्ड फोर्थ
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स्टेप में जाएगी। जिसे कहा जाता है रेटिफिकेशन। साइन करी। अब इसको जरा पार्लियामेंट में लाओ। लेजिस्लेचर के
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सामने लाओ। इसको अप्रूव कराओ गवर्नमेंट से।
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जब वह ट्रीटी अप्रूव होगी, रेक्टिफाई होगी, उसके बाद फिफ्थ एंट्री इनू फोर्स तब
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वो फोर्स में आएगी। तो अब इसमें एक सवाल बड़ा अजीब आता है कि भाई एक बात बताओ जब
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वो साइन करने से फोर्स में आई ही नहीं तो साइन किया क्यों है? हां। तो भाई फॉर्मल
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एक्सेप्टेंस है उस ट्रीटी के लिए फॉर्मल एकनॉलेजमेंट है। यह कैसे मालूम पड़ेगा?
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जैसे तुमने अपने स्कूलों में किया होगा कि तुम अपने रामू काका को पापा बना के ले गए।
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पेरेंट टीचर मीटिंग में साइन करके आ जाता है। तो ऐसा नहीं चलता ना इट इज़ अ वैलिडेशन। सिग्नेचर करना पड़ता है। क्यों
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सिग्नेचर करना पड़ता है? बताना पड़ता है ना। मैं आपको लेमन टर्म में समझा रहा हूं। बताना पड़ता है ना कि ये देखो भाई
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इन्होंने साइन करा है। मतलब दे एक्सेप्ट एंड दे एकनॉलेज द टर्म्स एंड कंडीशंस ऑफ़ द ट्रीटी। अब बताओ पास करना है कि नहीं?
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तो जब यह हो जाएगा अप्रूवल आ जाएगा तब वह रटिफाई हो जाएगी। रटिफिकेशन वर्ड है
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अप्रूवल भ्रूवल लिखने की गलती मत करना। ठीक है? मेरा श्राप लगेगा तुम लोगों को।
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रटिफिकेशन बड़े हो जाओ थोड़े वोकैबलरी पीपल्स प्लीज।
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रटिफाई होने के बाद क्या होगा? वो एंट्री इनटू फोर्स हो जाएगी। मतलब फोर्स में आ जाएगी। फोर्स में आ गई। उसके बाद छवीं चीज
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होगी। क्या? इट विल बी इंप्लीमेंटेड बेस्ड ऑन व्हाट? एस पर दी प्रोविज़ंस ऑफ द
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ट्रीटी। तब जाके वो इंप्लीमेंट होगी। एज सिंपल एज दिस। ज्यादा दिमाग लगाने का ना
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को। वेरी सिंपल। ठीक है? तो क्या-क्या स्टेप्स हैं? पहले नेगोशिएशन होगा। फिर
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अडप्शन ऑफ़ टेक्स्ट होगा। फिर सिग्नेचर होगा बाय रिप्रेजेंटेटिव्स। फिर वो रैटिफिकेशन में जाएगी। रटिफाई हो जाती है
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तो फिर एंट्री इंटू फ़ में आ जाएगी। और फिर वो एंप्लई करना पड़ेगा। यानी अप्लाई करना पड़ेगा। इंडिया में यही फॉलो होता है और
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रटिफाई होने के बाद कैसे इंप्लीमेंट होता है ये ध्यान रखना सारे नर के बच्चों को
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अभी बता रहा हूं जभी किसी भी टाइप की ट्रीटी को साइन करके आते हो ना रटिफाई हो
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जाती है ना डायरेक्टली वो ब पार्ट नहीं बन जाता डायरेक्टली उसको आप अप्लाई नहीं कर सकते आर्टिकल 253 के अंडर ये सारे
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प्रोविज़ंस हैं जहां कहा जाता है तब तक कोई इंटरनेशनल ट्रीटी आप पे अप्लाई नहीं होती जब तक आप उसको कॉमन लॉ का पार्ट नहीं बना
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लेते पढ़ा करो थोड़ा ठीक है? तो ये है। तो अब आपको फॉर्मेशन भी
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पता चल चुकी है। ट्रीटी की फॉर्मेशन कैसे होती है? अब इंटरप्रिटेशन कैसे होता है किसी भी ट्रीटी का? इट इज़ वेरी सिंपल।
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इंटरप्रिटेशन यानी कि इंटरप्रेट कैसे करेंगे उसको? समझना क्या कैसे समझा जाए कि
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किस कॉन्टेक्स्ट में बात की गई है? तो अब मैंने क्या कहा? किस कॉन्टेक्स्ट में?
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कॉन्टेक्स्ट अपने आप में एक चीज है। पहले तो ऑर्डिनरी मीनिंग लिटरल इंटरप्रिटेशन कर लो यार। जो लिखा है वही मतलब है। सेकंड
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होता है कॉन्टेक्स्ट। किस कॉन्टेक्स्ट में बात बोली? फॉर एग्जांपल भाई लेट्स से वैभव
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एक अच्छा लड़का है या वैभव अच्छा है? हां वो तो मैं हूं मुझे मालूम है। लेकिन किस
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सेंस में अच्छा? पढ़ाई में अच्छा है, व्यवहार में अच्छा है, रिश्तों में अच्छा है, पैसे में अच्छा है, काम में अच्छा है,
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किस में अच्छा है? किस कॉन्टेक्स्ट में अच्छा है? तो कॉन्टेक्स्ट देखा जाता है।
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फिर उसके बाद में ऑब्जेक्टिव एंड पर्पस क्या था ट्रीटी का? उसके बेसिस पर भी उसका
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इंटरप्रिटेशन हो सकता है। भाई किस चीज को डिलीवर करने के लिए क्या ऑब्जेक्टिव्स को अचीव करने के लिए ट्रीटी बनाई गई थी? ये
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भी तो बात है। तो ये थर्ड पॉइंट है। इस बेसिस पे भी ट्रीटी को क्या किया जा सकता है? इंटरप्रेट किया जा सकता है। फिर एक
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चीज़ होती है जिसे हम कहते हैं सब्सिकुएंट प्रैक्टिस। कि भाई आपने ट्रीटी को रटिफाई करने के बाद
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क्या-क्या किया? सब्सिक्वेंट यानी उसके बाद में क्या-क्या किया? उसके बेसिस पे भी ट्रीटी का इंटरप्रिटेशन हो सकता है। तो
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कौन सी-कौ इसमें फिर सप्लीमेंट्री एक्टिविटीज भी है वही जो उसके इर्द-गिर्द आपने एडिशनल क्या-क्या काम करे ट्रीटी की
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वजह से तो वो भी उसके बेसिस पे भी क्या होती है? ये मैंने बहुत लेमनैन टर्म में समझाया। उसके बेसिस पे भी इसका इंटरप्रिटेशन होता है। तो किन पांच चीजों
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पे इंटरप्रिटेशन हो सकता है? ऑर्डिनरी मीनिंग, कॉन्टेक्स्ट, पर्पस एंड ऑब्जेक्टिव, सब्सिक्वेंट प्रैक्टिससेस एंड
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सप्लीमेंट्री एक्टिविटी। ठीक है? अब भाई किसी भी ट्रीटी का ऑब्जेक्टिव क्या होता
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है? उसका मेन पर्पस या सिग्निफिकेंस क्या होता है? पहली बात तो ये कि भाई डिस्प्यूट रेोल्यूशन में बहुत काम आती है क्योंकि
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उसके टर्म्स सारे क्लियर होते हैं। तो डिस्प्यूट रेोल्यूशन में काम आता है। फिर लीगली बाइंडिंग होती है दोनों पार्टीज के
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ऊपर। यानी कोई भी ये नहीं बोल सकता कि हां किया तो था ना क्या कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसा भी एक अरेंजमेंट होता है जहां आप साइन
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करो सब कुछ लिखा रहेगा लेकिन लीगली बाइंडिंग नहीं है। उसको कहते हैं एम ओ यू
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यानी कि मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग। वो लीगली बाइंडिंग नहीं होता। लीगली
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एनफोर्सिएबल नहीं है। ठीक है? क्योंकि इट्स जस्ट एन अंडरस्टैंडिंग। लेकिन
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ट्रीटीज़ लीगली बाइंडिंग होती है। फिर उसके बाद क्या होता है भाई? ये पीस, इंटरनेशनल पीस एंड सिक्योरिटी को मेंटेन करने के
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बहुत काम आता है। ऑलराइट। क्यों? क्योंकि भाई किसने वायलेशन करा है, किसने ब्रीच करा है? ये सब भी तो समझना जरूरी है। कैसे
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मालूम पड़ेगा? ट्रीटी में सब लिखा है। एंड फोर्थ इंटरनेशनल कॉरपोरेशन। सारे
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इंटरनेशनल कॉरपोरेशंस में ट्रीटीज कन्वेंशंस के थ्रू ही इंटरनेशनल कॉरपोरेशन होता है। क्योंकि पर्टिकुलर किसी
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ऑब्जेक्टिव को अचीव करने के लिए की गई होगी। अब ट्रीटीज का जो टर्मिनेशन है वो कैसे होता है? तो ट्रीटीज का टर्मिनेशन भी
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भाई जैसे इसको मैं आप लोग के लिए सिंपल बनाता हूं। अगर तुम में से किसी ने भी कॉन्ट्रैक्ट्स पढ़ा होगा लॉ ऑफ़
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कॉन्ट्रैक्ट्स ऑलमोस्ट सेम चीज है। जैसे क्या है म्यूचुअल कंसेंट से कोई
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कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो सकता है? हां हो सकता है। तो वैसे ही ट्रीटी भी खत्म हो सकती है म्यूचुअल कंसेंट से। अब ये ट्रीटी आगे
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नहीं चलानी। इसको एंड करो तो म्यूचुअल कंसेंट से खत्म हो सकता है। ब्रीच और किसी ने मटेरियल ब्रीच कर दिया वो ट्रीटी का।
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टर्म्स को वायलेट कर दिया। प्रोविजंस को वैलिड कर दिया तो इट कैन बी द ट्रीटी इज
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टर्मिनेटेड। थर्ड जब आपकी इंपॉसिबिलिटी टू परफॉर्मेंस है। भाई साहब ऐसे कुछ
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प्रोविज़ंस हैं जो हम परफॉर्म ही नहीं कर सकते जिसको हम इंप्लीमेंट ही नहीं कर सकते या जिसको हम क्या नहीं प्रैक्टिस में ला
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ही नहीं सकते हैं। तो इसको कहते हैं इंपॉसिबिलिटी ऑफ़ परफॉर्मेंस। तो जब ऐसी कोई इंपॉसिबिलिटी ऑफ़ परफॉर्मेंस होती है
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तो वहां पे भी वो ट्रीटी क्या हो सकती है? 100% टर्मिनेट हो सकती है क्योंकि
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इंपॉसिबिलिटी ऑफ़ परफॉर्मेंस यहां पे आ जाती है। फिर अगर के कोई फंडामेंटल चेंज
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इन सिनेरियो हो जाता है। फंडामेंटल चेंज इन सिचुएशन आ जाता है जिसे हम कहते हैं रेबिस सिक स्टंटिबिस।
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तो अगर कोई फंडामेंटल चेंज आ गया सरकमस्टेंस में सिनेरियो में तभी भी वो ट्रीटी क्या हो जाएगी? टर्मिनेट हो जाएगी।
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फिफ्थ एंड फॉर मोस्टेंट इंटर अगर किसी भी टाइप का कॉन्फ्लिक्ट है किसके साथ? जस्ट कॉगिंस के साथ। अब जस्ट ऑगेंस क्या होता
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है भाई? जो प्रिंसिपल्स, नॉर्म्स, लॉज़ यूनिवर्सली एक्सेप्टेड है जिसमें कोई एक्सेंपशन नहीं चलता। अगर कोई भी प्री
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एकिस्टिंग ट्रीटी ऐसे न्यू प्रीरी नॉर्म्स के साथ कॉन्फ्लिक्ट में आती है ऐसी ट्रीटी
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नहीं चलेगी। टर्मिनेट हो जाएगी। एग्जांपल मान लो कॉलोनियल एराज़ में अगर किसी ने कोई
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ट्रीटी करी होगी कि भाई फॉर एग्जांपल किसी एक स्टेट से जो है
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स्लेव्स भेजे जाएंगे कहीं पर ट्रीटी की हुई है। लेकिन आज की डेट में न्यू प्रीरी
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नॉर्म्स आए वहां पर तो स्लेवरी प्रोहिबिटेड है। तो क्या हो गया? प्री एकिस्टिंग ट्रीटी है। होगी न्यू प्रीएमरी
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लॉ के साथ क्या है? कॉन्फ्लिक्ट में है टर्मिनेट इमीडिएटली। तो ये है आंसर। ट्रीटीज़ क्या है? उसका
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फॉर्मेशन के स्टेप्स क्या है? टर्मिनेशन किस ग्राउंड पे हो सकता है? उसके ऑब्जेक्टिव्स क्या है? कितनी टाइप की
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ट्रीटीज़ होती है? खबरदार अब अगर तुमने गलती की तो बहुत शॉर्ट एंड स्वीट में मैंने बताया है। ठीक है? तो क्या-क्या है?
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पहले ट्रीटी हमने डिफाइन कर दी। उसके बाद हमने वियना कन्वेंशन ऑफ लॉ ऑफ़ ट्रीटीज़। ये भूलना मत। 1969 भूलना मत इसको। ठीक है?
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इसकी वजह से इंटरनेशनल लॉ में ये आया हुआ है। फिर टाइप्स ऑफ़ ट्रीटीज़। पांच कौन सी
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टाइप की ट्रीटीज़ होती हैं? बटरल, मल्टीलैटरल, यूनिवर्सल, रीजनल और फ्रेमवर्क ट्रीटी। तो यह नहीं भूलना है।
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इसके साथ में फॉर्मेशन ऑफ ट्रीटीज में छह स्टेप्स, नेगोशिएशन, अप्शन ऑफ टेक्स्ट, सिग्नेचर, सिग्नेचर के
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बाद रटिफिकेशन होता है। रेटिफिकेशन के बाद एंट्री इंटू फ़ आ जाती है। जब एंट्री इंटू फ़ आ जाती है, उसके बाद में क्या होता है?
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सिंपल सी बात है। वो इंप्लीमेंट हो जाती है। टर्मिनेशन के ग्राउंड अगेन पांच जैसे
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म्यूच म्यूचुअल कंसेंट से टर्मिनेट कर सकते हो। ब्रीच मटेरियल ब्रीच किसी ने कर दिया इनवॉल्व पार्टीज में से तो
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इंपॉसिबिलिटी टू परफॉर्मेंस फंडामेंटल चेंज इन द सरकमस्टेंस एंड अगर किसी भी
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टाइप का कोई भी कॉन्फ्लिक्ट है विद जस्ट कॉगिस ठीक है ये पांच चीज हो गई अब मेजर
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ट्रीटीज कौन-कौन सी है तो मेजर ट्रीटीज बहुत सारी होती है पहले वियना कन्वेंशन ऑफ़
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लॉ ऑफ़ ट्रीटीज़ याद रखना 1969 यूनाइटेड नेशन चार्टर्स 1945 यूनाइटेड नेशन
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कन्वेंशन ऑफ़ लॉ ऑफ़ द सी 1982 नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी 1949 जेनेवा
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कन्वेंशन 1949 उसके साथ में आपका क्योटोो प्रोटोकॉल 1997 पेरिस एग्रीमेंट 2015
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और एनपीटी जो नॉन प्रोफेरेशन हुई थी दैट इज़ इन 1968
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ठीक है। अ इसके साथ में हां आई थिंक मैंने बाय एंड लार्ज सब कवर कर दिया है। ठीक है?
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हां मैं मैं ले बैठता हूं रेफरेंस के लिए काम आता है। ठीक है? तो यह इतनी सारी
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चीजें हैं, ट्रीटीज हैं। यह याद रखना और अब हम बढ़ते हैं हमारे अगले क्वेश्चन की
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तरफ। सो, मुंबई यूनिवर्सिटी के थ्री ईयर एंड फाइव ईयर एलएलबी के ये कोर्स में
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पब्लिक इंटरनेशनल लॉ के सब्जेक्ट में एक और बहुत इंपॉर्टेंट सवाल आता है एग्जाम्स
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में। और वैसे भी आपको पता होना बहुत जरूरी है जिसे हम कहते हैं व्हाट इज द इंटरनेशनल
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लॉ ऑफ सी जो कवर होता है यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ लॉ ऑफ़ द सी 1982 के अंडर ठीक
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है क्या है ये इसके अंदर क्या-क्या कवर होता है मैरिटाइम ज़ोंस क्या है उसके
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एडवांटेजेस क्या है बिना किसी वक्त की बर्बादी के तुरंत शुरू करते हैं नहीं तो फिर आप बोलोगे वैभव ने बताया नहीं ठीक है
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तो सबसे पहले तो भाई भाई यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑफ लॉ ऑफ़ द सी 1982 है क्या?
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देखो पहले हम कुछ चीजें समझ लेते हैं। पहले क्या होता था कि जो ये वाटर बॉडीज
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हैं, ठीक है? उसप कोई जरिसडिक्शन का कोई सेट फ्रेमवर्क नहीं था। यानी कि उसके ऊपर
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कोई लॉज़ या कोई ऐसे उसके मैरिटाइम ज़ोंस नहीं थे। तो टेरिटोरियल सी जो है जिसके
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ऊपर 100% जुरिसडिक्शन होता है एक कंट्री का वो कैसे फॉलो होता था? ये बड़ी एक इंटरेस्टिंग कहानी है कि पहले तोप होती
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थी, कैनंस होती थी। तो कई लोग कई स्टेट्स क्या करते थे? हमारी कैनन कितनी दूर तक
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फायर कर सकती है? उसके बेसिस पे डिसाइड करते थे टेरिटोरियल सी कितना?
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भाई किसी का थ्री नॉटिकल माइल्स हो गया तो उसकी टेरिटोरियल सी उतनी हो गई। किसी का
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पांच नॉटिकल माइल है तो उसका उतना हो गया। अब उन्होंने बोला तो गड़बड़ हो जाएगी यार क्योंकि टेक्निक ये तो टेक पे डिपेंड करता
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है। तो साला कल कोई मिसाइल ल्च करेगा। वो बोलेगा मेरी तो 5000 नॉटिकल माइल तक जाती
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है। तो यह तो पंगा है। तब बहुत सारे कॉन्फ्लिक्ट होने लगे कि
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मेरी टेरिटोरियल सी में यह घुस गया। मेरे कॉन्टिनेंटल सर्विसेस ने यह ले लिया, वो ले लिया। ये सब कांसेप्ट्स एक्चुअली बाय द
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वर्ड दे वर नॉट देयर। तो फिर यूनाइटेड नेशन कन्वेंशन ऑफ़ लॉ ऑफ़ द सी 1982 में आया। और फिर क्या हुआ? मैरिटाइम ज़ों्स
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डिफाइन करे गए। अब मैरिटाइम ज़ों्स क्या-क्या है? सबसे पहले तो देखो टेरिटोरियल सी आता है। टेरिटोरियल सी क्या होता है? टेरिटोरियल सी
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वो ज़ोन है। मैरिटाइम में वह जोन है पानी में जहां
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किसी भी सोवरन स्टेट का 100% जुरिसडिक्शन है। 100% कंट्रोल है। आप समझ जाओ जैसे वो
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उस देश का ही पार्ट है। मतलब सच्ची में है बट वो उसका पूरा सब उसकी चलती है वहां पे।
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ठीक है? टेरिटोरियल सी में एंटर करना मतलब आप उस देश में एंटर कर चुके हो। तो टेरिटोरियलॉटर्स
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12 नॉटिकल माइल तक होते हैं। अब आप बोलोगे ये नॉटिकल माइल क्या है? किलोमीटर में ना
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गलती से भी भगवान के लिए एग्जाम में किलोमीटर में आंसर मत लिख के आना। एग्जामिनर होगा ना ऐसे पेपर फाड़ के उड़ा
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देगा। थोड़ा सुधर जाओ यार। मतलब मतलबर्स
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में किलोमीटर नहीं होता। जमीन नहीं है वो। 1 नॉटिकल माइल इज इक्वल टू 1.852
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कि.मी. लेकिन खबरदार तुमको कसम है तुम्हारे पूरे खानदान की अगर
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तुमने किलोमीटर में आंसर लिखा तो नॉटिकल माइल में ही लिखना। ठीक है? तो कितने
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नॉटिकल माइल तक होता है? 12 नॉटिकल माइल तक। अरे लेकिन वैभव भाई 12 नॉटिकल माइल
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कैलकुलेट कहां से होगा? यह मुझे मालूम है तुम लोग के दिमाग में आया नहीं है क्योंकि तुमको क्या लेना देना है कि कहां से
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कैलकुलेट हो रहा है नहीं हो रहा है लेकिन मेरा काम है बताना नहीं तो फिर बोलोगे वैभव ने बताया नहीं इसके लिए अभी बता रहा हूं 12 नॉटिकल माइल का जो एरिया होता है
50:22
वो कवर होता है वो स्टार्ट होता है कैलकुलेट होता है बेस लाइन से अब बेस लाइन क्या होती है देखो जब आपने हाई टाइड लो
50:30
टाइड सुना होगा तो जब लो टाइड में पानी अब मान लो ये ये जमीन है मान लो ठीक है अब
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पानी लो टाइड में सबसे नीचे कहां तक आया मानो यहां तक आया तो इस पॉइंट को जमीन पर
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कहा जाएगा बेस लाइन। यहां से पानी में 12 नॉटिकल माइल क्या हो गया? टेरिटोरियल सी
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हो गया। समझ आ गया? इसका बहुत ही फेमस केस है। आपका एंग्लोन नॉर्वेनियन फिशरीज केस
50:57
है। ठीक है? पढ़ के जाना एंग्लोन नॉर्वेनियन फिशरीज केस क्या होता है। ठीक
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है? अब इसके बाद में आता है कंटग्यू जोन। 12 नॉटिकल माइल के बाद
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24 नॉटिकल माइल तक आता है कंटिग्यूस ज़ोन। अब ये कंटिग्यूस ज़ोन क्या होता है? कंटिग्यूस ज़ोन एक ऐसी ज़ोन है अ आपके में
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जहां आपका 100% जुरिसडिक्शन नहीं होता। लेकिन वहां आपकी कस्टम्स एक्टिव होती है।
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इमीग्रेशन, फिसिकल प्रैक्टिससेस वो सब आपका एक्टिव रहता है। वहां आपका 100% जुरिसडिक्शन नहीं होता। पार्शियल
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जुरिसडिक्शन होता है। ठीक है? एक तरीके से। अब यह 24 तो 12 नॉटिकल माइल से 24
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निकल माइल आपका कंटगोन उसके बाद 200 नॉटिकल माइल तक भाई साहब आपका होता है
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एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन जहां आपका कोई जुरिसडिक्शन आइडियली है नहीं वहां आपके राइट्स एंड प्रिविलजेस है फॉर एग्जांपल
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जैसे इंडिया का एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन है तो वो 200 नॉटिकल माइल तक चलेगा लेकिन उसमें है क्या मतलब वहां आपको एक्सक्लूसिव
51:58
राइट है एक्सप्लोरेशन का एक्सप्लइटेशन का एक्सप्लइटेशन मतलब क्या नेचुरल रिसोर्सेज
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को एक्सप्लइट करना किसी को एक्सप्लइट करना नहीं तो जाओगे आईसीसी में इंटरनेशनल
52:10
क्रिमिनल कोर्ट में ठीक है तो नेचुरल रिसोर्सेज को एक्सप्लइट करने का राइट सिर्फ आपको है वहां पे वहां के
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कॉन्टिनेंटल वहां के सी बेड से क्या करना मिनरल्स निकालना ओर्स निकालना वहां पे
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साइंटिफिक रिसर्च कंडक्ट करना नेविगेट किया सब राइट आपकी सिर्फ आपको है उस
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कंट्री को है जिसका एक्सक्लूसिव इकोनमिक ज़ोन है या तो उन कंट्रीज को है जिसके साथ
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इस पर्टिकुलर कंट्री ने एग्री एग्रीमेंट की है भाई। जैसे बहुत सारे स्टेट्स होते हैं। ठीक है? जिनके पास समुद्र है ही
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नहीं। नेपाल के पास तो समुद्र है नहीं। ठीक है? भूटान के पास तो है नहीं। कहां से
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करेगा? तो इंडिया के साथ एग्रीमेंट कर सकते हैं कि ठीक है भाई हम भी करें। क्या
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मतलब? थोड़ा सा चलेगा। आ जाओ। ऐसा तो ये होता है एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन।
52:58
एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन में भी बड़ा एक इंपॉर्टेंट केस है जो है फिशरीज़ जुरिसडिक्शन केस। भाई ये स्पेन और कनाडा
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के बीच में हुआ था। ठीक है? अब इसी के ठीक नीचे भाई साहब एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन
53:10
के ठीक नीचे आपको दिखेगा कॉन्टिनेंटल शेलफ बेसिकली जो सी बेड होती है वो 200 नॉटिकल
53:17
माइल के परे भी जाता है। वहां पे भी आपको एक्सप्ल एक्सप्लोरेशन का एक्सप्लइटेशन का
53:22
रिसोर्सेज निकालना करना। ठीक है? ये सब चीजों का आपको राइट है। अगेन जुरिसडिक्शन
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का कुछ नहीं। यहां पे कोई कोई लेना देना जुरिसडिक्शन का नहीं होता है। अब 200 नॉटिकल माइल भी मैंने पार कर दिया। अब अब
53:33
आप इंटरनेशनल वॉटर्स में आ गए हो। यानी कि अब आप हाई सीज़ में आ चुके हो। जब आप हाई सी में आ जाते हो। वहां पे मौज है, बल्ले
53:40
बल्ले है। क्योंकि वहां किसी का कोई जुरिसडिक्शन नहीं है। किसी का कोई भी से नहीं है। आस्क नहीं है। वेरी सिंपल। हाई
53:48
सीज़ में किसी का जुरिसडिक्शन नहीं होता। वो इंटरनेशनल वॉटर्स कहा जाता है पॉपुलर कल्चर में। ठीक है?
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तो जब वो हाई सी है तो वहां तो कितनी फ्रीडम होगी? क्या-क्या फ्रीडम है? पहली बात आपको नेविगेशन की फ्रीडम है। यानी कि
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नेविगेट करो। वहां पर बौजे मारो भररे मारो किसको दिक्कत नेविगेट कर सकते हो। वहां का
54:08
जो एरोस्पेस है उस पानी के ऊपर जो एरोस्पेस है उसमें आप ओवरफ्लाईट कर सकते हो। टेरिडोरल सी में ईजीली बिना परमिशन के
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नहीं कर सकते आपको। परमिशन लेनी पड़ती है। हाईसीज में ओवरफ्लाइट करो। नेविगेट करो,
54:22
ओवरफ्लाइट करो आराम से। वहां पे आर्टिफिशियल आइलैंड बना दो तो भी चलेगा। क्यों? क्योंकि भाई किसी का जुरिसडिक्शन
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तो है नहीं। वहां पर एक्सप्लोरेशन करो, एक्सप्लइटेशन करो, सबमरीन केबल्स, पाइप
54:33
लाइन बैठा दो सी बेड पे तभी भी चलेगा। कोई प्रॉब्लम नहीं है। नो प्रॉब्लम और फिशिंग
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भी कर सकते हो। कोई दिक्कत नहीं है। जुरिसडिक्शन तो किसी का है नहीं। इसके लिए
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आप देखेंगे कई सारी जो शैडो वेसल्स होती हैं, शैडो फ्लट वो हाई सीज़ में क्या करती
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हैं? एक शिप से दूसरे शिप में। शैडो फ्लट्स क्या होती है? भाई शैडो फ्लड वो होती हैं बेसिकली जो सेंशंड नेशंस होते
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हैं जिनको किसी ट्रेड के इंटरनेशनल ट्रेड के कुछ आस्पेक्ट्स में ऑपरेट करने का राइट नहीं है वो बेनामी शिप्स को लेके जाती हैं
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और कमोडिटीज को एक शिप से दूसरे शिप में ट्रांसफर करती है कहां पे हाई सीज में
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क्योंकि हाई सी में किसी का जुरिसडिक्शन नहीं होता है ठीक है ये तो ये सब फ्रीडम
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है हाई सीज में आपको ओके अब कुछ और नेविगेशन के भी फ्रीडम्स होते हैं हाई सी
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में नहीं अदरवाइज जैसे राइट टू टू इनोसेंट पैसेज। अब राइट टू इनोसेंट पैसेज क्या है? यह जनरली वॉरशिप्स के लिए होता है। से फॉर
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एग्जांपल इंडिया की टेरिटोरियल सी से यूके की वॉरशिप्स जा रही है तो वो जा सकती है। 100% जा सकती है भाई। लेकिन उसको इनोसेंट
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पैसेज के थ्रू जाना पड़ेगा। कोई अलग से जगह नहीं है। इनोसेंट पैसेज मतलब उसको अपनी इनोसेंस दिखानी पड़ेगी। कैसे?
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जितनी मेन बैटरीज हैं, मेन गंस है। अच्छा बैटरी का मतलब इंजन वाला बैटरी नहीं।
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बैटरी का मतलब होता है जो मेन गंस हैं, उसको कवर करना पड़ेगा, बंद करना पड़ेगा।
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मिसाइल के साइलोस जो ऐसे खुलते हैं फिर मिसाइल निकलती है उसको बंद करना पड़ेगा। यानी कि उसको ये दिखाना पड़ेगा। हम
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इनोसेंटली चुपचाप यहां से सिर्फ जा रहे हैं। सिर्फ पैसेज कर रहे हैं यहां से। हमारा इंटेंशन आपको अटैक करने का नहीं है।
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इसके लिए सबसे इंपॉर्टेंट एक केस था। अ दैट केस इज़ द कोरफू चैनल केस। जो कोरफू
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चैनल केस है वो इसी में हुआ था। बेसिकली दिस वाज़ बिटवीन अल्बेनिया एंड ब्रिटिश
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वॉरशिप्स। तो हुआ क्या था? ये 1946 के कुछ सीरीज ऑफ इवेंट्स के केसेस हैं। हुआ ये था
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बेसिक सेंस में कि ब्रिटिश वॉरशिप्स जो है वो जा रही थी कोरफू चैनल से पास हो रही थी
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एंड दे एंटर्ड दे वर गोइंग थ्रू द टेरिटोरियल वॉटर्स ऑफ़ अल्बेनिया। अब हुआ क्या? उनके अलबेनिया के टेरिटोरियल वॉटर्स
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में माइंस थी। तो जब ये ब्रिटिश वॉरशिप उन माइंस से टकराई तो ब्लास्ट हो गया। ब्लास्ट हो गया तो इनकी वॉरशिप्स को बहुत
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डैमेज हुआ और कैजुअल्टी भी हुई। यानी कि लॉस ऑफ़ लाइफ हुआ। तो आईसीजे के पास केस गया यानी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के
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पास ये केस गया। तो अल्बेनिया ने बोला अरे ये हमारे टेरिटोरियल वॉटर्स में आके हमारी सोवनिटी को चैलेंज कर रहे हैं।
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तो आईसीजे ने बोला कि भाई गपचुप बैठ ऐसा कुछ नहीं है। उनका राइट टू इनोसेंट पैसेज
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है। वो जा सकते हैं। आप पे अटैक करने नहीं आए थे। ठीक है? लेकिन ब्रिटिश वॉरशिश ने
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एक गड़बड़ करी। उन्होंने जब ब्लास्ट हुआ तो उनको वहीं रुक जाना चाहिए था। लेकिन उन्होंने क्या करा? आगे माइंड स्वीपिंग
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ऑपरेशंस करे। मतलब माइंड स्वीपिंग ऑपरेशंस जनरली ये होते हैं। नेवी क्या करती है? बाकी के माइंस को निकाल देती है। ठीक है?
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तो उन्होंने जो माइंड स्वीपिंग ऑपरेशंस किए उसकी वजह से अल्बेनिया की सोवनिटी डेफिनेटली चैलेंज हुई। क्यों चैलेंज हुई?
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सिंपल रीज़ बिकॉज़ माइंड स्वीपिंग का राइट इनको नहीं था। वो अनऑथराइज़्ड एक्टिविटी
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थी। अल्बेनिया से परमिशन लेनी चाहिए थी। ओके? दीज़ आर सम बेसिक थिंग्स। तो ये जो माइंड स्वीपिंग ऑपरेशंस था आईसीजे ने बोला
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यूके तुम ये नहीं कर सकते थे। तो ये सारे कुछ केस लॉज़ हैं। लैंडमार्क जजमेंट्स हैं। प्लीज ये पढ़ के जाना। ठीक है? तो राइट टू
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इनोसेंट पैसेज होता है कंट्रीज को। ऑलराइट? अब राइट टू इनोसेंट पैसेज के बाद एक और चीज होती है जिसे हम कहते हैं
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ट्रांजिट पैसेज। यानी कि बेसिकली क्या होता है? वेरी सिंपल। शांति से हम पैसेज कर रहे हैं। शांति से हम क्या कर रहे हैं?
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ट्रांजिट कर रहे हैं। उसका भी राइट है। उसकी भी अथॉरिटी है। अब और एक चीज़ होती
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है। फ्रीडम ऑफ़ नेविगेशन है। नेविगेट आप कर सकते हो। एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन से कर सकते हो। कंटेक्ट ज़ोन से कर सकते हो। ठीक
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है? अब यूनाइटेड नेशन कन्वेंशन ऑफ लॉ ऑफ़ सी के अंडर में या आपके इंटरनेशनल लॉ ऑफ़
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सी के अंडर डिस्प्यूट रेोल्यूशन कैसे होता है? भाई मैंडेटरी डिस्प्यूट रेोल्यूशन का प्रोविज़ है। यानी कि करना ही पड़ेगा। चाहे
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आप वो नेगोशिएशन से करो, आर्बिट्रेशन से करो, कंसिलिएशन से करो, आप जुडिशियल
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रेज़ोल्यूशन करो, कुछ भी करो, करना तो पड़ेगा ही पड़ेगा। आर्बिट्रेशन में मैटर्स जाते हैं बहुत सारे। अच्छा यहां पे
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आर्बिट्रेशन परमानेंट सेंटर फॉर आर्बिट्रेशन में मैटर्स जा सकते हैं। तो ये सब के भी
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प्रोविज़ंस हैं। और इसी के साथ में आईटी लॉज़ के अंडर जाता है। यानी इंटरनेशनल
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ट्रिब्यूनल फॉर लॉ ऑफ़ द सी के अंडर भी ये केसेस जाते हैं। जहां से क्या हो सकता है? रूलिंग आ सकती है, जजमेंट्स आ सकते हैं।
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ठीक है? तो ये कुछ मैंडेट्स हैं। डिस्प्यूट रेजोल्यूशन तो करना ही है। देखो बहुत सारे इंपोर्ट एक्सपोर्ट्स जब होते
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हैं सो एज अ लीगल प्रोफेशनल चीज तुमको बता रहा हूं। तो चार्टर पार्टी एक डॉक्यूमेंट
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होता है। बिना चार्टर पार्टी के आप ये सब या एफओबी सीआईएफ टर्म्स के आप बेसिकली
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एक्सपोर्ट्स कर ही नहीं सकते हो। तो चार्टर पार्टी में आर्बिट्रेशन क्लॉज़ होता ही होता है। यानी कि अगर के डिस्प्यूट हुआ
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तो आर्बिट्रेशन क्लॉज़ के अकॉर्डिंग ही डिस्प्यूट रेोल्यूशन होगा कि सीट ऑफ़ आर्बिट्रेशन कहां होगी? यानी कहां
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आर्बिट्रेशन होगा? कौन से कंट्री के आर्बिट्रेशन लॉज़ फॉलो करेंगे? इंडिया के करेंगे, यूके के करेंगे, सिंगापुर के
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करेंगे कि करना है? सो ये सब होता है। तो ये आंसर इतना सही था। इसमें क्या-क्या
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हमने कवर करा? पहले तो मैरिटाइम ज़ों्स कौन से कौन से होते हैं? टेरिटोरियल सी 12 नॉटिकल माइल था। कंटिग्यूस ज़ोन 24 नॉटिकल
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माइल्स। योर एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन 200 नॉटिकल माइल्स। कॉन्टिनेंटल शेलफ अगेन
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अंडर 200 एंड बिय्ड और हाई सीज़ होता है। फ्रीडम्स हमने करी। बहुत सारी फ्रीडम्स
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होती हैं हाई सी में। जैसे फिशिंग का, ओवर फ्लाइट का, आर्टिफिशियल आइलैंड्स का, सीबेट पाइपलाइंस का, केबल्स का,
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एक्सप्लोरेशन का, एक्सप्लइटेशन का, नेविगेशन का ये सारे फ्रीडम्स होते हैं।
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फिर उसके बाद डिस्प्यूट रेोल्यूशन कैसे-कैसे कर सकते हो? नेगोशिएशन, कंसिलिएशन, मीडिएशन, आर्बिट्रेशन,
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जुडिशियल रेजोल्यूशन सब बट करना मैंडेटरी है। ठीक है? तो ये है आपका पूरा आंसर। अब
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इसके क्वेश्चंस अलग-अलग वे में आ सकते हैं। जैसे ये आपको पूछ सकते हैं डिस्कस इन डिटेल द कन्वेंशन ऑफ लॉ ऑफ़ द सी या ये
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क्वेश्चन ऐसे भी आ सकता है कि टेरिटोरियल सी क्या है? तो भी आपको पूरा ही लिखना है कि खाली टेरिटोरियल सी लिखोगे तो कैसे
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चलेगा? फिर आता है एक्सप्लेन वेरियस फ्रीडम्स एंड हाई सी। क्वेश्चन ऐसे भी आ सकता है या क्वेश्चन ऐसे भी आ सकता है कि
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पीसफुल सेटलमेंट ऑफ़ डिस्प्यूट्स कैसे होता है? अंडर द इंटरनेशनल कन्वेंशन ऑफ़ लॉ ऑफ़ द सी। सब में आंसर आपको यही लिखना पड़ेगा। और
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डिस्प्यूट पीसफुल डिस्प्यूट रेोल्यूशन है तो ये सारे पॉइंट्स आप थोड़े इबोरेट कर दीजिएगा नेगोशिएशन कंसिलिएशन का मीडिएशन
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का ऑलराइट बट ये आंसर तो लिखना ही लिखना है और वन ऑफ़ द मोस्टेंट क्वेश्चंस है ये
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आता ही आता है। ऑलराइट इसमें कुछ-कुछ लैंडमार्ड जजमेंट्स हैं। पढ़ के जाना। जैसे
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एंग्लो नॉर्वेनियन फिशरीज़ केस है। एसएस लोटस केस है। अ फिर फिशरीज़ जुरिसडिक्शन
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केस है। फिर आपका कोरफू चैनल केस है। ऑलराइट। आइलैंड ऑफ़ पालमास केस है। फिर
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नॉर्थ सी कॉन्टिनेंटल शेलफ केस है। रेनबो वॉरियर केस है। यह सब करने ही करने हैं। भूलना मत। अब एलएलबी थ्री ईयर एंड फाइव
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ईयर प्रोग्राम में और एक बड़ा इंपॉर्टेंट क्वेश्चन आता है अंडर द सब्जेक्ट ऑफ़ पब्लिक इंटरनेशनल लॉ के डेवलपमेंट और
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ओरिजिन क्या था पब्लिक इंटरनेशनल लॉ का? तो, यह बड़ा ही छोटा सा आंसर है। ठीक है?
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ये छोटे से आंसर को हम बहुत ही ब्रीफ में करेंगे। इसमें आपको अटैच क्या करना है?
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आपको अपेंड क्या करना है? ताकि आपका आंसर लंबा हो वो भी हम करेंगे। बिना वक्त की बर्बादी के शुरू करते हैं। सबसे पहले तो
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ओरिजिन एंड डेवलपमेंट हुआ कैसे? अब इसमें चार चीजें हैं। एंशिएंट टाइम में यानी कि
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एंशिएंट रूट्स इसके जाते हैं मेसोपोटामिया। ग्रीस, इजिप्ट, रोम। वहां से ये बने।
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क्योंकि वहां पे क्या बात करी थी? स्टेट सोवनिटी की बात करी। वहां पे सोशल जस्टिस
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की बात करी थी। वहां पे इक्वलिटी की बातें करी। पहले पहले पब्लिक इंटरनेशनल लॉ ये सब जब बातें हो रही थी तो पहले वहां से निकला
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ऐसा माना जाता है। तो एंशिएंट रूट्स थे। फिर आया रेनजंस एंड मेडिवल एरा। तो जब रेनजंस एंड मेडिवल एरा आया उस टाइम पे
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बहुत बड़े अटेमप्ट्स किए गए टू अबॉलिश दी मोनार्की सिस्टम। ठीक है? तो मोनार्क्स की
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पावर को लिमिट करने के लिए बहुत अटेम्प्ट्स हुए। मेजर अटेम्प्ट्स हुए। ये था रेनजेंस पीरियड एंड मेडिवल पीरियड में।
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फिर आगे बढ़े 17 टू 18 सेंचुरी को कहा जाता है एनलाइटमेंट एरा। तो जब एनलाइटमेंट एरा
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आया तो इस एनलाइटमेंट एरा में क्या हुए? थ्यरीज़ निकाली गई राइट्स पे, सोशल
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कॉन्ट्रैक्ट्स पे। ये सारे कॉन्ट्रैक्ट्स एंड राइट्स जो हैं फंडामेंटल राइट्स वगैरह ये एनलाइटमेंट एरा में आए। और 18 टू 19
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सेंचुरी में जो है मॉडर्न डिक्लेरेशन हुए, फॉर्मलाइजेशनंस होना शुरू हो गया। कोडिफिकेशन होने शुरू हो गए। किसके?
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इंडिविजुअल राइट्स के, इंटरनेशनल लॉज़ के। और सारे कस्टमरी लॉ को कंसीडर करना ये सब
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करना। अब अगर आप देखोगे तो यही चार चीजें हैं। एंशिएंट रूट्स, मेडिवल रेनजेंस पीरियड, 17 सेंचुरी जिसको हमने एनलाइटमेंट
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एरा कहा और उसके बाद 18 टू 19 सेंचुरी का टाइम जहां पे आपके मॉडर्न लॉज़ आए। आंसर
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इतना ही है। लेकिन अब इसके साथ आप कनेक्ट क्या करेंगे? तो आप इसके साथ कनेक्ट
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करेंगे सोर्सेस ऑफ इंटरनेशनल लॉ। कितने सोर्सर्सेस होते हैं? प्राइमरी सोर्सेस चार हैं। क्या-क्या? कस्टमरी लॉ होता है।
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ट्रीटीज एंड कन्वेंशंस हैं। जनरल प्रिंसिपल्स ऑफ लॉ एंड जुडिशियल
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प्रेसिडेंस जैसे इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस के, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के, इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल ऑफ़ लॉ ऑन द सीके।
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फिर उसके बाद आते हैं इंटरनेशनल लॉ के सोर्सेस के बाद इसके पर्पस क्या है? तो
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चार मेन पर्पस है टू प्रोटेक्ट एनवायरमेंट, टू प्रोटेक्ट ह्यूमन राइट्स, टू प्रोटेक्ट इंटरनेशनल ट्रेड एंड इकोनमिक
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रिलेशंस एंड टू मेंटेन इंटरनेशनल पीस एंड सिक्योरिटी।
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ठीक है? अब इसके साथ आगे जब हम बढ़ेंगे तो यहां पे भी एक बहुत इंपॉर्टेंट चीज आ जाती
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है कि इसकी थ्यरीज़ क्या-क्या है? इंटरनेशनल लॉ की थ्योरीज़ क्या है? ये भी आप लिख सकते हैं। पांच थ्यरीज़ हैं। नेचुरल
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लॉ थ्यरी है, पॉजिटिविस्ट थ्योरी है। साथ में आपकी कंस्ट्रक्टिविस्ट थ्योरी है,
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रियलिस्ट थ्योरी है, लिबरल थ्योरी है। और पांच डॉक्ट्रिन भी लिख सकते हैं। डॉक्ट्रिन ऑफ़ जस्ट टॉगिंस, डॉक्ट्रिन ऑफ़
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पैक्टा, सन सरवांडा, डॉक्ट्रिन ऑफ़ स्टेट सोवनिटी, डॉक्ट्रिन ऑफ़ नॉन इंटरवेंशन एंड
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डॉक्ट्रिन ऑफ़ रिस्पोंसिबिलिटी टू प्रोटेक्ट। अब ये सब क्या है? सोर्सेस बता दिए, पर्पस बता दिए, थ्योरीज़ बता दी। और
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हमने क्या बता दिया आपको? डॉक्ट्रिंस बता दी। अब इसका एक्सप्लेनेशन क्या है? तो इसके लिए आपको फर्स्ट पार्ट में जाना
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पड़ेगा और हमारी अलग से इसके लिए वीडियो अपलोडेड है। तो काइंडली चेक इट। लिंक इज
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इन द डिस्क्रिप्शन। वहां पे आपको इन चारों का पूरा इबोरेटेड डिस्कशन और एक्सप्लेनेशन
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मिल जाएगा। तो, यह आंसर तो इतना ही है। इससे आपका बेड़ा पार एग्जाम में हो जाएगा।
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छोटा आंसर है। गड़बड़ मत करना। प्लीज। एलएलबी 3 ईयर एंड फाइव ईयर का जो
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प्रोग्राम है उसमें पब्लिक इंटरनेशनल लॉ के अंडर एग्जाम्स में एक बहुत इंपॉर्टेंट क्वेश्चन आता है। देखो ये पहले पब्लिक
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इंटरनेशनल लॉ एंड ह्यूमन राइट्स था लेकिन अब हो गया पब्लिक इंटरनेशनल लॉ ऊपर वाले की बड़ी कृपा हुई है। और अब यहां पे एक
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बड़ाेंट क्वेश्चन आता है कि नेशनलिटी क्या है? व्हाट इज नेशनलिटी एंड व्हाट आर इट्स कैरेक्टरिस्टिक्स? किसी की नेशनलिटी मिल
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कैसे सकती है? जा कैसे सकती है? तो बिना किसी वक्त की बर्बादी के ये क्वेश्चन करते हैं। तो नेशनलिटी एग्जजेक्टली है क्या?
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देखो नेशनलिटी एक लीगल रिलेशनशिप है। लीगल रिलेशनशिप है या लीगल बॉन्ड है बिटवीन एन
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इंडिविजुअल एंड द सोवरन स्टेट। नेशनलिटी से यह पता चलता है कि लीगली आप उस
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पर्टिकुलर रिस्पेक्टिव सोवरन स्टेट के मेंबर हो। ये बहुत इंपॉर्टेंट पॉइंट है लिखना। और मेहरबानी करके वकील बनने वाले
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हो, प्रोफेशनल बनने वाले हो। थोड़ी शर्म करो और ऊपर वाले से डरो। ठीक है? यह लिख
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लेना। थोड़े लीगल टर्म्स लिख लिया करो। तो इट्स अ लीगल बॉन्ड बिटवीन हुम
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इंडिविजुअल एंड द सोवरन स्टेट। जो क्या बताता है? मेंबरशिप बताता है कि भाई मैं इस कंट्री का क्या हूं? सिटीजन हूं। इस
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कंट्री का मेंबर हूं। लीगली। हर एक देश में जरूरी नहीं है कि नेशनलिटी
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और सिटीजनशिप को एक जैसा ट्रीट करें। लेकिन इंडिया में करते हैं। यह ध्यान रखना। तो अब जब आप किसी भी कंट्री के
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नेशनल बनते हो तो सर्टेनली आपको कुछ उसके राइट्स मिलते हैं और कुछ ड्यूटीज मिलती हैं। इंडिया के भी सर्टेन राइट्स हैं जो
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उसके सिटीजंस को मिलते हैं। सर्टेन ड्यूटीज हैं जो उसके सिटीजंस को फुलफिल करनी होती हैं। ऑलराइट ये चीज हो जाती है।
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अब इसमें सबसे इंपॉर्टेंट बात है कि एक्विजिशन कैसे होती है नेशनलिटी की? यानी कि आपको नेशनलिटी मिल कैसे सकती है? तो
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पहला तो होता है बाय बर्थ। बाय बर्थ के अंदर दो चीज है जिसको कहते हैं जस्ट सॉली एंड जस्ट सेंगुनिस जस्ट सोली मतलब क्या जब
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मैं उस कंट्री की टेरिटोरियल ज्योग्राफी में पैदा होता हूं उसकी सोइल पे पैदा होता
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हूं तो नेचुरली मुझे क्या मिलती है उसकी मेंबरशिप मिल जाती है मैं मुझे उसकी
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नेशनलिटी मिल जाती है क्योंकि बाय बर्थ मैं वहां का हो गया तो उसको कहते हैं जस्ट
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सॉली कि मैं पैदा ही वहां हुआ हूं सेकंड होती है जस्ट सगविनस अब जस्ट सेंग्विनस का
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मतलब क्या होता है? रिलेशन बाय ब्लड। यानी भले ही मैं वहां की सोइल पे पैदा नहीं हुआ
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हूं। भले ही मैं उस टेरिटोरियल ज्योग्राफी में नहीं पैदा हुआ। बट माय पेरेंट्स आर नेशनल्स ऑफ इंडिया। सो नेचुरली आई गेट द
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सिटीजनशिप। आई गेट द नेशनलिटी एज इन इंडियन बिकॉज़ माय पेरेंट्स आर नेशनल ऑफ़ इंडिया। इसको कहते हैं जस्ट सेंग्वनिस।
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ऑलराइट। तीसरी चीज़ होती है बाय नेचुरलाइजेशन। नेचुरलाइजेशन मतलब क्या? अरे नेचुरली आपने
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लीगल प्रोसीजर्स करे। लीगल स्टेप्स फॉलो करे वो सारा प्रोसेस फॉलो करा लीगल तो आप
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क्या बन गए आप वहां के नेशनल बन गए उस कंट्री के आपको वहां की सिटीजनशिप मिल गई तो बाय नेचुरलाइजेशन फोर्थ होता है बाय
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मैरिज यानी कि भाई आप अब अपनी बहू विलायत से लेकर आए हो तो नेचुरली वहां की
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सिटीजनशिप तो उसको आप रखोगे नहीं यहां की रखोगे अनलेस एंड अंटिल यू हैव एनी अदर इंटेंशनंस व्हिच आई वुड नॉट लाइक टू गेट
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इंटू पर से बट बाय मैरिज या आप कहीं नहीं चले गए तो वहां की नेशनलिटी आपको मिलेगी।
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ऑलराइट। तो बाय मैरिज ये चीज़ होती है। एंड बाय अडॉप्शन भाई कहीं किसी और कंट्री से आपने बच्चा अडॉप्ट किया या आप यहां लेकर आ
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गए या विवेस तो ऑब्वियसली वैसी आपको नेशनलिटी या आपको सिटीजनशिप मिल जाती है।
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तो ये टोटल पांच केसेस होते हैं जिससे आपको क्या मिलती है? नेशनलिटी या सिटीजनशिप मिलती है। पहला बाय बर्थ। बाय
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बर्थ में दो चीज़ जस्ट सॉली जस्ट सग्वनिस यानी अह टेकिंग बर्थ ऑन द सइल ऑफ़ या
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टेरिटोरियल ज्योग्राफी ऑफ़ दैट कंट्री या थ्रू द ब्लड बाय ब्लड पेरेंट्स वहां के तो
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आपको वहां की सिटीजनशिप या नेशनलिटी मिल गई। फिर बाय नेचुरलाइज़ेशन। नेचुरलाइज़ेशन
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कैसे? आपने लीगल प्रोसीजर्स फॉलो करे, स्टेप्स फॉलो करे तो आपको वहां की सिटीजनशिप या नेशनलिटी मिल गई। एंड
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मोस्टेंट आपको क्या मिल गया? आपने बाय मैरिज आपने वहां की सिटीजनशिप ली या आपने
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वहां का नेशनल नेशनलिटी एक्सेप्ट करी उन्होंने आपको एक्सेप्ट करा एंड बाय अडॉप अप्शन तो ये पांच चीजें बहुत इंपॉर्टेंट
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है ये एक्विजिशन ऑफ़ नेशनलिटी है। अब इसके बाद और एक इंपॉर्टेंट चीज आती है कि भाई लॉस कैसे हो सकता है? तो लॉस आपने खुद ने
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पहला तो रिवोक कर दिया। खुद ने आपने वहां की नेशनलिटी गिव अप कर दी उस देश की। तो वैसे वो रिवोक हो जाती है या क्या होता है
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वहां पे आपकी नेशनलिटी चली जाती है। सेकंड अगर देश ने आपसे आपकी नेशनलिटी छीन ली,
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अगर आपने कोई फ्रॉड किया है, कोई आपने नेशनल सिक्योरिटी को थ्रेट दिया, देश निकाला दे दिया आपको या आपने कोई भी ऐसा
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काम करा हुआ है जहां पे क्या हो गया? आप क्रिमिनली प्रोसक्यूट हो गए। इतना बड़ा
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कांड कर दिया कि देश ने आपसे आपकी नेशनलिटी छीन ली। ठीक है? फिर और एक स्टेट
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में आपकी नेशनलिटी जा सकती है। जब आपके पास ड्यूल या मल्टीपल सिटीजनशिप्स हो। नेशनलिटीज हो। देखो इंडिया को एंटरटेन
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नहीं करता। कुछ देश करते हैं, कुछ नहीं करते। इंडिया नहीं करता। तो अगर आपके पास ड्यूल या मल्टीपल नेशनलिटीज हैं तो वो
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एक्सेप्टेड नहीं है। तो ऐसे स्टेट में आपकी नेशनलिटी चली जाती है। तो ये सारी
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चीजें थी कि भाई नेशनलिटी क्या होती है? नेशनलिटी कैसे मिलती है? और नेशनलिटी कैसे
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जा सकती है? ऑलराइट। अब इसके बाद में अगर आपको इस आंसर को लंबा
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करना है तो उस आंसर को आप लंबा कर सकते हो बाय राइटिंग अबाउट इंटरनेशनल लॉ। उसके लिए
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हमने सेपरेट स्टैंडर्ड वीडियो बनाई हुई है। लिंक उसका डिस्क्रिप्शन में है। यू कैन चेक दैट आउट। तो भाई साहब अब थ्री ईयर
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एंड फाइव ईयर एलएलबी कोर्स में मुंबई यूनिवर्सिटी के अंडर जो पब्लिक इंटरनेशनल
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लॉ का सब्जेक्ट है उसमें एक बहुत ही फर्राटेदार क्वेश्चन आता है एग्जाम्स में जिसको हम कहते हैं रिकॉग्निशन ऑफ स्टेट्स
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एंड कॉन्स्टिट्यूटिव एंड डिक्लेरेटरी थ्योरी किसे कहते हैं? तो आंख, नाक, कान,
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मुंह के पर्दे खोल के इस आंसर को सुनो और गड़बड़ मत करना। मेरा नाम खराब करने की
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कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मैं तो बता रहा हूं सब कुछ। बाद में मत कहना कि मैंने बताया नहीं। ठीक है? वैभव सब बताता है।
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ऑलराइट। चलो बिना किसी वक्त की बर्बादी के आगे बढ़ते हैं। सबसे पहले रिकॉग्निशन ऑफ़ स्टेट होता कैसे है? तो देखिए रिकॉग्निशन
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ऑफ़ स्टेट चार तरीके से। चार मेन इसके पैराटर्स हैं। अंडर पब्लिक इंटरनेशनल लॉ
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या इंटरनेशनल लॉ जिसमें किसी भी स्टेट को एज अ स्टैंड अलोन या इंडिपेंडेंट या सोवन स्टेट की मान्यता दी जाती है। पहला उस
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स्टेट की डिफाइंड ज्योग्राफी होनी चाहिए यानी टेरिटोरियल उसकी बाउंड्री होनी चाहिए। ठीक है? सेकंड उसकी एक परमानेंट
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पपुलेशन होनी चाहिए। उसके सिटीजंस होने चाहिए। थर्ड उस स्टेट की एक अपनी खुद की इफेक्टिव
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गवर्नमेंट होनी चाहिए। ऑब्वियसली अगर सरकार ही नहीं है तो चलाएगा कौन देश? ये
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इंडिया के साथ हुआ था। 47 में इंडिपेंडेंस तो मिल गई लेकिन अपना कॉन्स्टिट्यूशन बना था क्या तब तक? कॉन्स्टिट्यूशन नहीं बना
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था। तो इफेक्टिव गवर्नमेंट गवर्नेंस कहां से आएगी? यह सारी चीजें ध्यान में रखी
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जाती है। तो हमको कुछ चीजें पहले की कंटिन्यू रखनी पड़ी। ऑलराइट? क्योंकि ब्रिटिशर्स की ये वन ऑफ द कंडीशंस भी थी
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कि पहले आप बना तो लो आपका कॉन्स। अब ये ये सब बहुत ही ज्यादा डिबेटेबल टॉपिक्स
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हैं। हम उसमें नहीं जाएंगे। लेकिन मेन क्या है? इफेक्टिव गवर्नेंस। इफेक्टिव गवर्नमेंट वहां की होनी चाहिए। तीसरा
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पॉइंट। और चौथा मोस्टेंट उस सोवरन स्टेट की खुद की अपनी कैपेसिटी होनी चाहिए।
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दूसरी सोवन स्टेट्स के साथ या लेट मी रिफ्रेज दूसरे रिकॉग्नाइज स्टेट्स के साथ
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ट्रीटीज और एग्रीमेंट्स में एंटर करने की कैपेसिटी होनी चाहिए। ये चार
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प्रीरक्व्विजिट्स हैं। किसी भी नए बने हुए देश को एज अ रिकॉग्नाइज स्टेट का दर्जा
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मिलने के लिए। क्या खुद की डिफाइंड टेरिटोरियल ज्योग्राफिकल बाउंड्री होनी चाहिए? आपके पास सिटीजंस होने चाहिए यानी
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परमानेंट पॉपुलेशन होनी चाहिए। आपके पास आपकी इफेक्टिव गवर्नमेंट होनी चाहिए और
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कैपेसिटी होनी चाहिए टू एंटर इनू एग्रीमेंट्स एंड ट्रीटीज विद अदर रिकॉग्नाइज स्टेट्स। अब देखो भाई इसमें दो
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चीजें होती हैं। एक होती है कंस्टीट्यूटिव थ्योरी और एक होती है डिक्लेरेटरी थ्योरी। प्यार से शॉर्ट में बता रहा हूं।
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कंस्टिट्यूटिव थ्योरी ये होती है सिंपल। ऐसे किसी देश को तब तक रिकॉग्निशन नहीं
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मिलेगा जब तक बाकी के रिकॉग्नाइज स्टेट्स उसको रिकॉग्निशन दे नहीं देते। भले ही उसने ये चारों स्टेप्स फॉलो किए लेकिन जब
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तक दूसरे रिकॉग्नाइज़ स्टेट्स उसको रिकॉग्निशन नहीं देते, मान्यता नहीं देते
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तो उसको मान्यता मिलेगी नहीं। सेकंड होती है डिक्लेरेटरी थ्योरी। डिक्लेरेटरी थ्योरी क्या बोलती है? भाड़ में गए दूसरे
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के रिकॉग्नाइज़्ड स्टेट्स। भाई मैंने ये चार पॉइंट्स ये चार पैराटर्स अचीव कर लिए।
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मैं रिकॉग्नाइज़्ड स्टेट हो गया। दिस इज़ हाउ इट गोज़। वेरी सिंपल। तो ये दो थ्योरी
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होती है कंस्टीट्यूटिव थ्योरी और डिक्लेरेटरी थ्योरी। ऑलराइट। खाली पैराटर्स मिलने हैं। अब प्रोसेस क्या होता
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है किसी भी स्टेट के बनने का? किसी भी रिकॉग्नाइज्ड स्टेट के बने। स्टेट बनता कैसे है? कंट्री बनती कैसे है? तो भाई दो
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लाइव एग्जांपल देता हूं। जैसे इंडिया बना वैसे डीलोनाइजेशन यानी कि जब डीलोनाइजेशन हो जाती है पहले
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की बनी हुई कॉलोनीज़ थी। भाई ईस्ट इंडिया कंपनी ने कॉलोनीज़ बनाई थी इंडिया में कॉलोनाइज़ किया था हमको। फिर जब वो चली गई
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डीलोनाइज़ हो गए हम। तो हम एज़ एन इंडिपेंडेंट स्टेट एज़ अ रिकॉग्नाइज़ स्टेट बन गए। ठीक है? और दूसरा जो बांग्लादेश के
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साथ हुआ 1971 की वॉर के बाद ईस्ट पाकिस्तान वेस्ट पाकिस्तान था तो जब क्या
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हो गया एक पाकिस्तान उड़ गया और बांग्लादेश बना तो उसको क्या कहते हैं
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उसको हम कहते हैं डिजोल्यूशन सक्सेशन भी एक तरीके से कह सकते हैं लेकिन डिसोल्यूशन कहना ज्यादा बेटर होगा तो डिजोल्यूशन इज़ द
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सेकंड थिंग यानी कि जब एक देश टूट के मल्टीपल देशों में बन जाता है मल्टीपल
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ड्रग कनेक्शन देखो इंडिया के साथ भी एक तरीके से तो ये हुआ है इंडिया में पहले कितनी सारी कंट्रीज थी अफगानिस्तान पाकिस्तान फिर उसके बाद में भूटान
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बांग्लादेश ये सब क्या थे ये इंडिया के पार्ट थे कहीं ना कहीं बहुत-ब पहले तब तो
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इंडोनेशिया भी था म्यांमार भी काफी हद तक ठीक है तो अब क्या हो गया अब सब अलग-अलग
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अलग-अलग देश बन गए तो क्या हो गया ये डिजोल्यूशन हो गया तो जब डिजोल्यूशन में
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एक बड़ा देश टूट के छोटे-छोटे देशों में बन जाता है तो उसको रेजोल्यूशन कहते हैं और वैसे ही जब छोटे-छोटे देश एक साथ आके
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एक बड़ा देश बना लेते हैं तो उसको कहते हैं यूनिफिकेशन ऐसे भी एक स्टेट बन सकता है और सबसे इंपॉर्टेंट होता है सक्सेशन
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यानी कि जब सक्सीड कर लिया आपको किसी और ने तो उसको सक्सेशन कहते हैं। वैसे भी एक
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स्टेट बन जाता है। ठीक है? अब टाइप्स ऑफ़ रिकॉग्निशन की अगर हम बात करें तो दो टाइप
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की रिकॉग्निशन होती है। एक कहते हैं डिफेक्टो रिकॉग्निशन और एक होती है डिजर रिकॉग्निशन या कुछ लोग इसको डिजोर भी कहते
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हैं। मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसे क्या कहते हैं? उसका प्रोनंसिएशन क्या है। ठीक है? अब तुम उसे मोजितो कहो
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या मोतो कहो मिलेगा तो वही तुमको तो डिफक्टो रिकग्निशन का मतलब होता है
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टेंपरेरी रिकग्निशन यानी कि जब आपकी गवर्नमेंट ऐसे किसी स्टेट की गवर्नमेंट की
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परमानेंस या उसकी लेजिटिमिटी अनसर्टेन है तो टेंपरेरी रिकॉग्निशन ठीक है तो उसे
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कहते हैं डिफेक्ट रिकॉग्निशन और डिजोर है या डिजोर रिकॉग्निशन का मतलब होता है परमानेंट यानी कि उसकी इफेक्टिव गवर्नमेंट
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की कंप्लीट लेजिटमेट रिकॉग्निशन उसको मिल चुकी है। तो इसको कहते हैं डिजोर
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रिकॉग्निशन। तो इस आंसर में भाई साहब चार चीजें बहुत इंपॉर्टेंट है। पहले रिकॉग्निशन ऑफ़ स्टेट
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कैसे होता है? चार चीजों से होता है। उसकी डिफाइंड टेरिटरी होनी चाहिए। परमानेंट पॉपुलेशन होनी चाहिए। इफेक्टिव गवर्नमेंट
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होनी चाहिए। कैपेसिटी टू एंटर इन रिलेशंस यानी कि एग्रीमेंट्स या ट्रीटज़ विद अदर स्टेट्स। ऑलराइट। फिर प्रोसेस क्या होता
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है? प्रोसेस भी उसके होते हैं चार। डीलोनाइजेशन सक्सेशन सक्सेशन डिसोल्यूशन या यूनिफिकेशन
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आगे कौन सी दो थ्योरीज़ है कंस्टीट्यूटिव थ्योरी और डिक्लेरेटरी थ्योरी
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कॉन्स्टिट्यूटिव क्या बोलता है भले ही आपने पैराटर्स अचीव किए जब तक दूसरे रिकॉग्नाइज़्ज़ स्टेट आपको रिकग्निशन नहीं
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देते तब तक आप रिकॉग्नाइज़ नहीं हो डिक्लेरेटरी क्या बोलता है भाड़ में गए दूसरे के दूसरे रिकॉग्नाइज़्ड स्टेट्स चार
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ये पैराटर्स मैंने अचीव कर लिए मैं रिकॉग्नाइज़ हो गया और सेकंड दो टाइप के
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वापस थ्यरीज़ डिजोर रिकॉग्निशन और डी इफेक्टो रिकॉग्निशन डिफेक्टो टेंपरेरी जब
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तक आपकी गवर्नमेंट की जो लेजिटिमेसी है वो परमानेंट नहीं है यानी कि वो कहीं ना कहीं
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उसकी लेजिटसी जो है वो अनसर्टेन है और डिजोर का मतलब होता है जब लेजिटिमेसी
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कंप्लीट लेजिटसी है परमानेंट है और आपकी गवर्नमेंट परमानेंट है तो उसको डिजोर है या डिजोर रिकॉग्निशन कहते हैं। इस आंसर
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में गड़बड़ मत करना। एलएलबी 3 ईयर एंड फाइव ईयर मुंबई यूनिवर्सिटी के एग्जाम में
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जो पब्लिक इंटरनेशनल लॉ है वहां पर एक बहुत ही भयानक शॉर्ट नोट का क्वेश्चन आता है यानी छह
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मार्क का क्वेश्चन आता है। ये कभी-कभी 13 मार्क के लिए भी आ जाता है जिसको हम कहते हैं आइलैंड ऑफ़ पालमास केस। ये हुआ क्या
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था? हम वो समझाने यहां बैठे हैं। और सब नर के बच्चों को यह क्लियर कर दूं। यह सुनने
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के बाद अगर तुम्हें कंफ्यूजन हुआ। ठीक है? तो वापस सुन लेना। यह मत कहना वैभव ने
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बताया नहीं। कंटिन्यू करते हैं। चलो। तो आइलैंड ऑफ पालमास केस क्या था? तो यह
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बेसिकली पूरी कहानी, केस और किस्सा था सोवनिटी के ऊपर। किसकी सोवनिटी? आइलैंड ऑफ़
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पालमास की। आज इसको हम मयांगस कहते हैं। ठीक है? तो ये जो आइलैंड ऑफ़ पालमास है, ये
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है क्या? भाई साहब ये पैसिफिक ओसियन में आता है फिलीपींस और इंडोनेशिया के बीच में। ठीक है? तो अब इसमें पंगा यह हो गया
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कि यार बिलोंग किसको करते हैं फिलीपींस को या इंडोनेशिया को? तो यह जब सब
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कॉन्फ्लिक्ट्स हुए तब यूनाइटेड नेशंस सॉरी यूनाइटेड स्टेट्स और नीदरलैंड्स आया
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सामने। यूनाइटेड स्टेट्स ने ये केस लड़ा ऑन बिहाफ ऑफ़ फिलीपींस और नेदरलैंड्स ने ये केस लड़ा ऑन बिहाफ ऑफ़ इंडोनेशिया।
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यूनाइटेड स्टेट्स ने ये कहा और ये केस गया कहां था? ये केस गया था पीसीए में यानी कि
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परमानेंट सेंटर परमानेंट कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन में। तो परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में जब ये केस गया वहां पे
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यूनाइटेड स्टेट्स ने ये आर्गुममेंट करी कि ये जो पूरा आइलैंड ऑफ़ पालमास है ये बिलोंग
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करता है फिलीपींस को। क्यों? क्योंकि फिलीपींस था जिसने इसको डिस्कवर करा और वहां पे इसकी ऑक्यूपेशनल प्रेजेंस है।
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यानी कि क्या है? उसकी वहां पे पहले से ही प्रेजेंस है और इन्होंने उसको डिस्कवर करा
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हुआ था। ठीक है? और वहां पे फिलीपींस अपना ऑक्यूपेशन इफेक्टिवली चलाता भी है। लेकिन
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नीदरलैंड ने जो क्लेम करा नेदरलैंड ने बोला कि ठीक है होगा लेकिन सोवनिटी हम क्लेम करते हैं। यानी कौन इंडोनेशिया
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क्लेम करती है। क्यों? क्योंकि हमारी कंटीन्यूअस और इफेक्टिव कंट्रोल है। इनका
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ऑक्यूपेशन होगा लेकिन कंट्रोल तो हमारा है ना वहां पे। थ्रू व्हाट? थ्रू दी डच ईस्ट
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इंडीज एडमिनिस्ट्रेशन इसको इंडोनेशिया गवर्न करता है। तो जो आर्बिट्रल अवार्ड था
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यह 1928 में आया। और जो आर्बिट्रल अवार्ड दिया हमारी परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन
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ने इंटरनेशनल लॉ के अंडर वो दिया था नेदरलैंड्स के यानी इंडोनेशिया के फेवर में और उन्होंने ये बोला कि भाई ठीक है
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वहां पे ट्रिब्यूनल ने प्रिंसिपल ऑफ ऊटी पोस्टिडेटिस जरिस लगाया यानी कि एज यू
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पोज़ेस अंडर लॉ इसका मतलब क्या है उन्होंने कहा कि भाई ठीक है हमने माना कि फिलीपींस
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का वहां पे ऑक्यूपेशनल होगा ऑक्यूपेशन होगा इफेक्टिव ऑक्यूपेशन होगा डिस्कवरी उन्होंने क्योंकि हो सकता है लेकिन
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कंट्रोल किसका है? गवर्नेंस किसकी चल रही है? कंटीन्यूअस गवर्नेंस किसकी चल रही है? तो वो चल रही है डच ईस्ट इंडीज
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एडमिनिस्ट्रेशन यानी कि किसकी? इंडोनेशिया की चल रही है। इसके लिए ये किसको बिलोंग करता है? ये आइलैंड बिलोंग करता है टू दी
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सोवनिटी ऑफ़ इंडोनेशिया। ऑलराइट। बहुत शॉर्ट में आपको समझाया है। और यहां पे जो
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अह बेसिस दिया यानी रेशियो डिसिडेंडी था वो यह था कि भाई सोवनिटी इज़ बेस्ड ऑन
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इफेक्टिव एडमिनिस्ट्रेशन ऑलराइट एंड कंट्रोल तो रैशन यही था यहां पे कि ट्रिब्यूनल ने
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बोला जो नीदरलैंड्स हैं वहां पे उसका इफेक्टिव टेरिटोरियल कंट्रोल था और गवर्नेंस थी ओवर आइलैंड ऑफ़ पालमास इसके
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लिए वहां पे डेथ सोवनिटी है। तो ये केस बहुत इंपॉर्टेंट है। देखो 13 मार्क के लिए इतना आया नहीं है लेकिन शॉर्ट नोट्स के
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लिए 100% आता है। तो प्लीज ये ध्यान से करके जाना। सो भाई ये था सारी कहानी। अब
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तक हमने जितने भी इंपॉर्टेंट क्वेश्चंस हैं जो रिपीिटेटिवली आए हैं अंडर पब्लिक इंटरनेशनल लॉ थ्री ईयर एंड फाइव ईयर एलबी
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प्रोग्राम में वो कवर किए हैं। प्लीज पढ़ के जाओ और अगर आपको इसके डिटेल्ड नोट्स
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चाहिए या ब्रीफ में कंसाइज नोट्स भी चाहिए तो इट इज़ अवेलेबल ऑन आवर वेबसाइट कमर्सन।
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आप कमर्स सीऑन के कांटेक्ट अस सेक्शन से यू कैन ड्रॉप अस एन ईमेल और यू कैन ड्रॉप
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अस अ मैसेज एंड वी विल सप्लाई दीज़ नोट्स टू यू डेफिनेटली देयर आर सम टर्म्स एंड
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कंडीशंस फॉर इट व्हिच वी शैल डिस्कस वंस वी मीट यू ऑन दी अदर साइड टिल देन स्टे
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ट्यून सब्सक्राइब टू द चैनल फॉर लेटेस्ट वीडियोस एंड सच एजुकेशनल वीडियोस और अगर
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तुम्हें एग्जाम में फेल नहीं होना है तो एंड हिट द बेल आइकॉन फॉर मोर नोटिफिकेशंस
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अब जाओ आओ पढ़ाई करो। टेक केयर।

