"Karachi Old City Update | Gul Plaza Ramswami Ranchore Line Sewerage Overflow & Road Damage Issue"
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Sep 4, 2025
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[संगीत]
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वोट डालने ये ऑल सिटी एरिया वाले जाते
0:09
हैं। मम्मी डैडी वाले नहीं जाते वो तो सोए
0:11
रहते हैं और ये यही जीतते हैं और इन्हीं
0:13
के साथ जो है ना ये सुलक हो रहा है।
0:16
[संगीत]
0:20
बात ये है कि बारिश के बाद से तो माहौल ये
0:22
थोड़ा सा ऐसा हो गया है। लेकिन ये आज मसला
0:24
चल रहा है। तकरीबन ढाई साल से ये मसला चल
0:26
रहा है।
0:29
[संगीत]
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बरसात से ये चार महीने से पहले से ये काम
0:38
है। ये बरसात का काम नहीं है। बरसात से
0:40
पहले से है।
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[संगीत]
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सर मुझे ये बताएं ये जो सीरीज का मसला है
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कितने दिनों से है? कितने टाइम से है?
0:49
बताया जाता है कि यहां पे एक सरकारी स्कूल
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भी एक प्राइवेट स्कूल। बच्चों को स्कूल
0:52
जाने आने में क्या मुश्किलात है? बताएं।
0:54
भाईजान ये तकरीबन वैसे तो दो ढाई साल से
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चल रहा था। हम अपनी मदद आपके तहत खुलवा
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लेते थे, कर देते थे। लेकिन जिस दिन से
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बारिश हुई है ना 10 दिन हो गए 12 दिन। ये
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मुसलसल जो है ना इसका यही हाल हुआ हुआ है।
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यहां दो-दो स्कूल है। एक स्कूल ये तो बंद
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कर रहे थे। हमने उनसे रिक्वेस्ट की। हमने
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कहा बोला आप लोग कुछ नहीं कर रहे हो।
1:14
इलाके वाले हमारे बच्चे बीमार हो रहे हैं।
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मच्छर काट रहे हैं। और ये गर्ल्स स्कूल
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हैं। दोनों छोटे-छोटे मासूम बच्चे ये पता
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नहीं अल्लाह ना करे कोई गिर जाए। कोई मर
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जाए, कोई हादसा हो जाए तो शायद ये उसी के
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इंतजार में उसके बाद हम जो है ना कोई इस
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पे काम करें। अच्छा फिर आगे जो है ना 12
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रबील अव्वल आ रहा है। अच्छा फिर यहां से
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जुलूस वगैरह भी गुजरते हैं। कभी ट्रैफिक
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जाम है। इन गलियों को इस्तेमाल करते हैं
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ये लोग। तो अब ये कहां से गुजरेगा? क्या
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होगा? और मैं अगर कोई और मजहबी यहां पे
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कुछ होता कोई भी तो यकीन करो रातोंरात जो
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है ना ये काम हो चुका होता लेकिन हमारी
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समझ में नहीं आ रहा ये हमारे साथ ऐसा
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क्यों जुल्म हो रहा है क्या ज्यादती हो
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रही है पैसे सुनने में पैसे भरपूर मिल रहे
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हैं इन लोगों को यूसीियों वालों को टोनों
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को टोन में हर किसी को पैसा भरपूर मिल रहा
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है लेकिन समझ में नहीं आ रहा अच्छा एक बात
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यह भी है वोट डालने ऑल सिटी एरिया वाले
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जाते हैं मम्मी डैडी वाले नहीं जाते वो
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सोए रहते हैं और ये यही जीतते हैं और
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इन्हीं के साथ जो है ना ये सुलूक हो रहा
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है। तो खुदाारा खुदारा अल्लाह के वास्ते
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थोड़ा रहम खाएं हमारे ऊपर कि हम भी इंसान
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है इसी इलाके में जी रहे हैं। हम भी टैक्स
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पे करते हैं। हर चीज पे करते हैं। ऐसा ना
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करो इसके ऊपर जो है कोई नजर शानी करो।
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मुझे ये बताएं आपने यहां पे अब तक कितनी
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कंप्लें कर चुका है?
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भाई कंप्लेंट तो वो खुद चेयरमैन आके उनको
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पकड़ पकड़ के लाए। उनको दिखाएं। वो देखते
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हैं। बोला हां हो जाएगा। अब पता नहीं कब
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होगा कौन से सन में होगा। समझ में नहीं आ
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रहा। अच्छा चलो बोलते इनका एक सवाल है कि
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भाई लेबर नहीं है। लेबर नहीं आप प्राइवेट
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लेबर ले आए। आपको पैसे मिल रहे हैं ना टोन
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की तरफ से यूसी को पैसा मिल रहा है। ₹12
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लाख वो कहां जा रहे हैं?
3:04
भाई ये पीछे दलित स्कूल है। मुस्लिम स्कूल
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है और ये एमएच ग्रामर स्कूल है। दो स्कूल
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है यहां पे। अब यहां से बच्चे आप देख रहे
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हैं यहां के हालात किस तरीके से बच्चे
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यहां से गुजरते हैं। बच्चों के मां-बाप
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स्कूल के टीचरें स्कूल के सर, स्कूल के
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चौकीदार रोज की बुनियाद पे इलाके में आते
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हैं। हमें शिकायतें करते हैं। हम आगे
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चेयरमैन उनको उठा के बोलते हैं कि भाई
3:23
यहां का पुरसाने वाला के देखो। लेकिन कोई
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वो सिर्फ तसल्ली देके चले जाते हैं। कोई
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पुरसाने हाल नहीं है यहां का। यहां के
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चेयरमैन पीटीआई के चेयरमैन है। पीटीआई का
3:32
टाउन इंचार्ज है। टाउन चेयरमैन पीटीआई का
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है। सिर्फ जाते हैं वहां पे हम लोग के भाई
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हमारे इलाकों के इनके हाल देखो। ये खाली
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के ढक्कन खुलेंगे। अगर बच्चे गुजरेंगे अगर
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वो कोई गिर गया फिर क्या?
3:43
यही ना वो सिर्फ इसी चीज का इंतजार कर रहे
3:45
हैं कि कोई बड़ा सानी हो तब जाके हम बाहर
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निकलें। इनके कोई सरों पे जो है ना इनके
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जुइयां नहीं रेंग रही है। बात ये है कि
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बारिश के बाद से माहौल ये थोड़ा सा ऐसा हो
3:55
गया है। लेकिन ये आज मसला चल रहा है।
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तकरीबन ढाई साल से ये मसला चल रहा है। अब
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ढाई साल के अंदर ईद, बकरा ईद, रमजान जितने
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भी त्यौहार होते हैं ना यहां की आवाम
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बेचारी मजबूर हो गई है। इसी तरीके से
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गुजारने की। अभी तीन दिन बाद जो है रब्बी
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अव्वल के जुलूस निकलेंगे। ये पीछे गली के
4:10
अंदर एक मस्जिद है। यहां से भी जुलूस
4:11
निकलता है। अब बताओ यहां से किस तरीके से
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आवाम गुजरेगी?
4:18
भाई ये सारी जिंदगी सही है। ये हमेशा से
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ही हो रहा है। ये बारिश वारिश का तो
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सिलसिला ना कि बारिश जारी आ रही है। ये तो
4:24
सिलसिला है ही। समझे ना? और गवर्नमेंट को
4:27
भाई गुजारिश है इंतजा है। मतलब ये तो कर
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कर के थक गए। ये तो अब छोटी सी बात है।
4:31
बेकार ये है बोलना। समझे ना? ये हर गली हर
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एरिया बल्कि पूरा कराची तो क्या पूरे
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पाकिस्तान के अंदर है ये। तो भाई हाथ जोड़
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के हाथ भी क्या जोड़ें यार? रब के आगे हाथ
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जोड़ें। आप लोगों के सामने क्या जोड़ें?
4:42
बस आपसे इतना ही कह सकते हैं कि यार ये
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सिलसिला ना खत्म करो। बच्चे बीमार, घरों
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में मच्छर मतलब कोई कुछ कर नहीं सकता। हर
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बंदा परेशान है। हर बंदा भाई भाई जुलूस
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दिलों में गुजरते हैं और इंशाल्लाह
4:55
गुजरेंगे। अल्लाह ताला की जात गुजारेगी।
4:57
ये ये कचरा ये ये सैलविच कुछ भी। ये कुछ
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भी नहीं बिगाड़ सकती। जो चीज गुजरने वाली
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होगी ना तो खुदा ताला वो चीज को गुजारेगा।
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और आखिरी जो भी मतलब होगी ना मंजिल उसकी
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जुलूस की मंजिल किसी भी तबके का आदमी हो
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वो उस मंजिल तक पहुंचेगा जैसे अभी चुप
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ताज़िया था देखो वो अपनी मंजिल पे पहुंचे
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ट्रैफिक था लोग परेशान बिल्कुल बजान हो गए
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थे लेकिन वो अपनी आखिरी सतह पर पहुंचा तो
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पहुंचाने वाली कौन है जात खुदा की जात है
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रास्ते में सारे गटर खुले हुए हैं मरीज भी
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गिर जाते हैं गटर में आवाम भी गिरती है
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इंतजामिया कुछ सोच ही नहीं रही है इस बारे
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में ये करीबी हॉस्पिटल है यहां राम स्वामी
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का नाम ही ग्रामी एक गली का बोले तो सारी
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गलियां ऐसी है यहां की तो
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ये बताइए कौन सा मकाम है कौन सी जगह है वो
5:50
दिखा दे का निजाम है बहुत टाइम से कहा
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जाता है कि गरम गरम हुआ है आजाई कब से है
5:54
कितने टाइम से
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ये देखिए तकरीबन ये छ महीने हो गए और ये
6:00
गटर का पानी यहां तकरीबन तीन से 4 इंच
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लेवल तक जमा है छ महीने फूल प्लाजा की
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मशहूर मार्केट है और छोटी-मोटी मार्केटें
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मौजूद है और समझ ले कि यहां के सदर ने भी
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बहुत कोशिश की कि ये मसला हल हो जाए।
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कुलबिलाजा के सदर ने भी बहुत कोशिश की। हम
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उनके भी बहुत मशकूर है कि उन्होंने बहुत
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कोशिश की। फिर मजबूरन यहां के दुकानदार
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हजरात इतने मजबूर हो गए हैं कि उनको पैसे
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देकर मलबा खरीद कर यहां डलवाना पड़ रहा
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है। ताकि यहां पर कुछ गुजर बसर हो सके। हम
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देखें यहां दुकानदार है। किराए की दुकानें
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हम लेकर बैठे हुए हैं। और सामने है मस्जिद
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हम मस्जिद तक भी नहीं जा सकते। इतना बुरा
6:38
मसला है। ये कोई और डीसी ऑफिस बिल्कुल
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हमारे सामने है। उनके सामने सारी चीजें
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हैं कि यहां पे इतना मलबा लोग खरीद कर डाल
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रहे हैं। पता नहीं किधर गई का इंतजाम यहां
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ऑफिस सामने हो या नहीं हो। कहा जाता है कि
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जो यहां के नुमाइंदे होते हैं उनके लिए
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कंप्लेंट जाती है। उनको कहां तक कंप्लेंट
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मिली?
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देखिए नुमाइंदों को तो हमारे जो बड़े-बड़े
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ने सबको इंफॉर्मेशन है। ये कोई किसी बंद
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गली का काम नहीं है। ये कोई 4 इंच की गली
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नहीं है कि किसी को इंफॉर्मेशन नहीं है।
7:04
जब आप चैनल वाले यहां पहुंच गए तो यकीनन
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नुमाइंदे भी यहां देख कर जा चुके हैं।
7:09
आप मुझे बताएं ये मसला कितने दिन से है?
7:11
कितना बता दें?
7:12
यार ये मसला जो है ना काफी टाइम से चल रहा
7:14
है मेरे भाई। जो कि ये हल हो के नहीं दे
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रहा है अभी तक। इस पे माशा्लाह गुल गुलजा
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के जो सदर है तनवीर पास्ता उन्होंने बहुत
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कोशिश की है आगे पीछे सब जगह बोलने की
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लेकिन यहां की कोई जो है ना सुन नहीं रहा
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बात ना कुछ कर रहा है कहने की बात ये है
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जितना जल्दी हो सके इस मसले को हल किया
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जाए मैं खुले अल्फाजों में बयान नहीं करना
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चाह रहा हूं कहने को तो मेरे पास बहुत कुछ
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है। मैं यहां का रिहाइशी हूं। ला के मकई
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मैं सबके लिए बहुत कुछ कहने के लिए बहुत
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कुछ है। मेरे पास बहुत कुछ है। वीडियो हद
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से ज्यादा आ चुकी है। लेकिन कहने की बात
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ये मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहूंगा।
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ईद मिलाद नबी सल्लल्लाहहु अलह वसल्लम की
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आमद आमद मगर कराची की सड़कें तबाह हाल
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सीवरेज का निजाम दरम सदर टाउन ओल्ड सिटी
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एरिया गार्डन शू मार्केट रामस्सामी जुबली
8:19
और साथ ही साथ गुल प्लाजा जो कि पूरा बुरा
8:23
हाल हो चुका है गलियों का रोडों का सीवरेज
8:26
का निजाम धरम हो चुका है। पानी दुकानों के
8:30
अंदर आ रहा है। दुकानदारों का कहना है कि
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सीवरेज का जो गटर लाइन है, जो सीवरेज की
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लाइन है, वह पानी हमारी दुकानों के अंदर
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जा रहा है। जिसकी बिना पर हम मलवा अपनी
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दुकानों के आगे डाल रहे हैं। जगह-जगह
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कंप्लेंट देने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं
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हो रही। अगर हम जाती तौर पे अगर कोई खड्डा
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करते हैं या कोई गुल प्लाज़ा के लिए कोई
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लाइन लेते हैं तो दीगर लोग हमें परेशान
8:53
करने आ जाते हैं। मगर जब हम अपनी शिकायत
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सरकारी इदारों में जाकर देते हैं कि इस
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मसले को हल किया जाए मगर हल नहीं किया
9:02
जाता।