Watch Live: Preamble to the Constitution of India | Pariksha Jn
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Nov 12, 2024
WE, THE PEOPLE OF INDIA, having solemnly resolved to constitute India into a SOVEREIGN SOCIALIST SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC and to secure to all its citizens: JUSTICE, social, economic and political; LIBERTY of thought, expression, belief, faith and worship; EQUALITY of status and of opportunity; and to promote among them all FRATERNITY assuring the dignity of the individual and the unity and integrity of the Nation;
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सबसे पहले हम लोग संविधान को समझने का प्रयास करेंगे कि आखिरी य संविधान होता क्या है कि नॉर्मली आप लोग जब चलते होंगे
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तो चलने के दरमियान सड़कों पर कहीं कहीं चौराहा आता है क्रॉस रोड कि जहां से एक साथ चार सड़के खुलती है अगर वहां पर रेड
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लाइट्स ना हो वहां पर ट्रैफिक पुलिस ना हो तो क्या होगा य पर जितनी गाड़िया है एक दूसरे से
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आगे निकलने की र में क्या होगी एक दूसरे से टकराए गी इससे धन और जन दोनों की हानि
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होगी गाड़िया टकराए उसे एक्सीडेंट होगा एक्सीडेंट में धन और जन दोनों की हानिया होगी तो इस और अव्यवस्था फैल जाएगी तो
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अव्यवस्था ना फैले धन और जन की हानि ना हो तो यहां पर व्यवस्था बनाए रखने के लिए
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हमने क्या किया कि यहां पर रेड लाइट और ट्रैफिक पुलिस का इंतजाम किया या
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त्यौहारों के दरमिन देखते हैं कि रेलवे स्टेशन पर भीड़ ज्यादा ना हो तो प्लेटफॉर्म टिकट बेचना ब कर दिया जाता है
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कि ज्यादा ज्यादा भीन ना हो तो इसमें अंतत यहां पर रेड लाइट या ट्रैफिक पुलिस या
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प्लेटफॉर्म पर प्लेटफॉर्म टिकट टिकटों का बिकना बंद होना यह किस तरफ इंगित करता है
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कि व्यवस्था को बनाए रखने जब हम इतनी छोटी से क्षेत्र में देखते हैं कि व्यवस्था
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बनाए रखने के लिए रूल्स रेगुलेशन नि कानून की जरूरत है तो आखिर हमारा देश तो बहुत
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विशाल बहुत डाइवर्सिटी है विविधता है और बहुत विविधता है तो निश्चित रूप से जहां
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यहां पर एक दूसरे से आगे निकलने की र में गाड़ियां चिपक रही है एक दूसरे से टकरा
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रही है उसी तरीके से जो इतना विशाल देश है तो लोग अपने अपने इंटरेस्ट को फुलफिल करने
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के लिए क्या होगा कि आपस में उलझे कि हमारा इंटरेस्ट फुलफिल हो दूसरा कहेगा
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हमारा इंटरेस्ट फुलफिल हो इसमें जो मजबूत व्यक्ति वो अपना इंटरेस्ट फुलफिल करेंगे कमजोर क्या होंगे पीछे रह जाएंगे तो जिस
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तरीके से यहां रूल्स रेगुलेशन की जरूरत है उसी तरीके से एक देश को चलाने के लिए भी
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रूल्स रेगुलेशन की जरूरत होती है जिससे कि अव्यवस्था ना फैले ठीक और सबके साथ न्याय
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हो तो जब देखते हैं कि पूरे देश को एक रखने के लिए व्यवस्था बनाए रखने के लिए
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रूस रेगुलेशन की जरूरत होती है उसी को जब हम एक जगह लिख करके लिख देते हैं उसी को
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हम संविधान कते ठीक क्या कहते हैं जब उसे एक जगह कलम बद्ध कर दिया जाता है तो उसे
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ही संविधान कहते हैं इसका मतलब यह हुआ कि देश के आर्थिक राजनीतिक सामाजिक और
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सांस्कृतिक विनियमों को निय मीकर करने के लिए जो
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संहिता लिखी गई उसे ही संविधान कहते हैं जैसे यहां पर हमने देखा कि यहां पर
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व्यवस्था बनाए रखने के लिए रूस रेगुलेशन ट्रैफिक रूल्स और रेड लाइट की जरूरत पड़ी
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से ही देश में व्यवस्था बनाए रखने के लिए और व्यवस्था को चलाए रखने के लिए संविधान
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की जरूरत पड़ी तो संविधान आपने यहां पर अंतत समझ लिया संविधान क्या है आखिर संविधान का उद्देश्य क्या है
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व्यवस्था बनाए रखना ठीक तो निश्चित रूप से देखते हैं कि संविधान का उद्देश्य है
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व्यवस्था बनाए रखना तो इस संविधान का कभी ना कहीं उत्पत्ति हुआ हो कहीं ना कहीं
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इसकी शुरुआत हुई होगी तो इसकी शुरुआत कहां से हुई तो इसकी शुरुआत हम देखते हैं
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कि इसकी शुरुआत एक बार की नहीं हुआ है इसका क्रमश विकास हुआ
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है 1600 ईसवी में ईस्ट इंडिया कंपनी आई इंडिया
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इसका उद्देश्य क्या था यह अपने आर्थिक उद्देश्यों से आया था कि हमें इंडिया में
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लाभ कमाना और यहां से लाभ कमा के ब्रिटेन को भेजना है जब इनका उद्देश्य था लाभ
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कमाना जब यहां पर इंडिया में आए उस वक्त जो मुगल मुगल शासन जो था वह पतन शल अवस्था
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में था अर्थात टू फूट रहा था तो उनकी कमजोरी का फायदा उठाकर यह क्या करने लगे
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उनमें हस्तक्षेप करने ल ठीक इनको दिया गया था जाकर आप इंडिया में सिर्फ व्यापार करो
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लेकिन यहां पर ये व्यापार के साथ-साथ क्या करने लगे राजनीतिक मामलों में भी हस्तक्षेप करने लगे क्या आपको पता है कि
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भारत में भी नवरत्न कंपनियां है उनको भी कुछ स्वायत्ता दी जाती है कि जब विदेश में आप जाए तो आप अपना डिसीजन कुछ कुछ खुद भी
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ले सकते हैं जैसे ओजस विदेश लिमिटेड जो जैसे वियतनाम में तेल उ उत्खनन कर रही है
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तो ओएनजीसी विदेश लिमिटेड जो गई है वियतनाम में तेल उत्खनन करने के लिए तो उनको अधिकार दिया गया कि वहां पर आप खुद
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डिसीजन ले सकते लेकिन उनको फायदा कमाने का पावर ये अधिकार दिया गया ना कि वहां पर
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राजनीतिक मामलो में भाग लेने का जब यह इंडिया आए तो मुगल शासन जो पतन शल अवस्था
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में था तो उसमें यह हस्तक्षेप करने लगे हस्तक्षेप करने के परिणाम स्वरूप क्या हुआ कि 1757
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में और 1764 में 1757 में पलासी की लड़ाई हुई और 1764
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बक्सर का युद्ध हुआ अंग्रेजों के साथ जो यहां के बादशाह लड़े थे जो यह युद्ध हुआ
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इसमें अंग्रेज विजित हुए अर्थात अंग्रेज जीत गए अंग्रेज जब जीत गए अब देखते हैं
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जीतने के साथ ही शासन सत्ता किसके हाथ में चली गई अंग्रेजों के हाथ में अंग्रेजों के हाथ में चूंकि अंग्रेजों को जो शासन चलाने
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का जो तरीका पता था वो लोकतांत्रिक था अर्थात जैसे ब्रिटेन में शासन चलाया जाता
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था लोकतांत्रिक तरीके से तो भारत में चलाया जाता था किस तरीके से यहां पर बादशाह हुआ करते थे अर्थात मोनार्की था अब
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मोनार्की से क्या हुआ वो चला गया डेमोक्रेटिक अब वहां पर पले संसद कानून
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बनाती थी फिर उस कानून के अकॉर्डिंग यहां का शस ब्रिटेन का शासन चलता था जब उनके
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पास शासन चला गया तो देखते हैं कि उसी अनुसार
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1773 इंडिया में रेगुलेटिंग एक्ट है अब धीरे-धीरे देखते हैं कि 1773 से यहां पर
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डेवलपमेंट होता है और डेवलपमेंट होता और अंग्रेज चले जाते हैं 1909 का एक्ट हो
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1919 का एक्ट हो 1935 का एक्ट जो 1773 के एक्ट से बहुत ही डेवलप रूप और इंडिया आजाद
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होता है आजाद होने के बाद संविधान सभा फिर एक न कांस्टिट्यूशन का निर्माण करते जिस
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कांस्टिट्यूशन के आधार पर हमारा देश अभी चल रहा है तो आप लोगों को शायद समझ में आ
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गया होगा संविधान क्या है अर्थात संविधान का उद्देश्य क्या है संविधान क्या है कि देश के लोगों का या देश का आर्थिक सामाजिक
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सास्कृतिक वि नियमों को नियम करने के लिए जो संहिता बनाई गई वही संविधान है ठीक और
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इसका उद्देश्य है व्यवस्था बनाए रखने अब आते हैं आज के पहले टॉपिक की तरफ
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आज का टॉपिक क्या है
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प्रस्तावना प्रस्तावना प्रस्तावना का अर्थ होता है कि जब हम किसी कार्य के लिए बाहर
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जाते हैं तो सबसे पहले हम किसी व्यक्ति से जब मिलते तो हम अपना संक्षिप्त परिचय देते
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कि हमारा नाम यह हुआ हम आपके पास इस उद्देश्य हेतु जाते आए उसके बाद वो
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व्यक्ति हमें ले जाता है अपने कमरे में फिर बैठकर और उस पर विस्तार से चर्चा करता है ठीक है उसी तरीके से प्रस्तावना करते
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प्राथमिक परिचय संक्षिप्त परिचय या भूमिका तो ये संविधान की भूमिका है प्राथमिक
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परिचय है या संक्षिप्त परिचय है कि भावी संविधान में क्या होगा उसका संक्षिप्त रूप
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यह पहले ही बता देता है ठीक और यह 13
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दिसंबर 1946 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा जे एल नेहरू
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द्वारा संविधान सभा में प्रस्तुत किया
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गया और 22
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जनवरी 1947 को संविधान द्वारा इसे पास कर दिया जो
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संविधान सभा में इसे दिया गया तो संविधान सभा में देने के
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पश्चात उसम इसका नाम रखा गया था ऑब्जेक्टिव लशन ठीक है उसी आधार पर इसको
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उद्देशिका भी बोला जाता है प्रस्तावना भी बोला जाता है यह प्रस्तावना आखिर हमने
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लिया कहां से आखिर हमने य सीखा कहां से तो यह हमने
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लिया है यूएसए से अमेरिका से
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ठीक लेकिन हमारी प्रस्तावना पर जो इफेक्ट है भाषा का व है ऑस्ट्रेलिया का
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हमने प्रस्तावना लिया है अमेरिका से इस पर इफेक्ट भाषा का जो इफेक्ट भाषा हमने लिया
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है इसे ऑस्ट्रेलिया से ठीक और प्रस्तावना में आज तक सिर्फ एक बार संशोधन हुआ
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है 42 वा संशोधन 1976 में हुआ था जिसमें इसमें
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जोड़ा गया था
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समाजवाद धर्म निरपेक्ष या पंत
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निरपेक्ष एवं अखंडता
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एवं अखंडता यह तीन शब्द जोड़े गए थे यह आपको
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एग्जाम में उठाकर पूछता है कोई भी एग्जाम देते हैं वन डे का कोई हो या सिविल सर्विस
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का कोई एग्जाम हो संविधान संशोधन में आज तक प्रस्तावना में जो संशोधन हुआ किस
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संविधान संशोधन के तहत हुआ और कब तो आपको यहां पर ध्यान देने की जरूरत है और
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प्रस्तावना हमने लिया कहां से यूएसए से और इस पर किस किस देश की भाषा इस पर
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परिलक्षित होती है तो ऑस्ट्रेलिया यह दोनों क्वेश्चन आपको एग्जाम में उठा के पूछते रहता है फिर आगे बढ़ते हैं
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प्रस्तावना में शामिल तत्व इसमें कौन-कौन से तत्व शामिल है अब इसे हम तीन पार्ट में
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तोड़ पहले शक्ति का स्रोत क्या है तो संविधान
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संविधान का स्रोत क्या है संविधान के
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स्रोत संविधान के
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स्रोत यह हो गया हम भारत के लोग हम भारत
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के लोग इसका स्वरूप क्या
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है यह संप्रभ है
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पंत
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निरपेक्ष समाजवादी
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है लोकतंत्रात्मक
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है और गणराज्य ठीक इस पर एक एक वर्ड पर फिर
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चर्चा होगी और इसका उद्देश्य क्या
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है इसका उद्देश्य है न्याय
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स्वतंत्रता समानता व्यक्ति की
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गरिमा एकता एवं
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अखंडता और बंधुत्व
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इसे तीन भागों में बांट दिया गया इस संविधान का स्रोत क्या है अर्थात संविधान
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की उपज कहां से हुई है दूसरा स्वरूप इसका स्वरूप य अर्थात दिखने में कैसा है और
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क्या यह पाना चाहता है इसका उद्देश्य क्या है हर एक व्यक्ति का जीवन में एक उद्देश्य होता है कि हम यह करें उसी तरीके से हमारा
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संविधान किस चीज को प्राप्त करना चाहता है तो सबसे पहले हम चर्चा करेंगे संविधान के
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स्रोत पर तो संविधान का स्रोत हम भारत के लोग अर्थात भारत की
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जनता हम भारत के लोग अर्थात यहां के संविधान का स्रोत कौन है भारत की जनता
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इससे क्या इससे क्या दिखाई देता है कि संविधान के स्रोत हम भारत के लोग हैं
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अर्थात यहां की जनता अर्थात यहां की जो संप्रभुता है वो यहां की जनता में वेस्ट इसमें शामिल अर्थात
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सर्वे सर्वा अंतिम मालिक जो है सो जनता है जनता जो अंतिम से जो चाहेगी वही हो पहला
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कि यहां की संप्रभुता जनता में वेस्ट है था अंतिम शक्ति किसम शामिल है जनता में
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इससे यह भी दिखाई देता है कि जनता जब मालिक है तो हमारे देश में लोकतंत्र जनता जब मालिक है तो हमारे देश
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में लोकतंत्र तीसरी बात हम भारत के
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लोग इस भाषा पर प्रभाव पड़ा है ऑस्ट्रेलिया से अमेरिका
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में क्या है वहां कहा गया है कि हम संयुक्त राज्य के वहां पर राज्य पर बल दिया गया ठीक है और यहां पर भारत अर्थात
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केंद्र संघ पर जोड़ दिया हम भारत के लोग और अमेरिका में कहा
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गया है हम संयुक्त राज्य के लोग अर्थात वहां पर राज्य पर बल दिया गया है हमारे यहां संघ पर भारत पर बल दिया गया
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और यह बात संघ पर जोड़ दिया गया है ऑस्ट्रेलिया ठीक तीसरी
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बात कि इस हम भारत के लोग इससे यह साबित होता है यह शो होता है कि हमारा देश एक है
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हमारा संविधान एक है और बंधुत्व की भावना से सब हम रह रहे हैं तो संप्रभु संप्रभुता
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इसमें वेस्ट है अंतिम मालिक जनता है इससे यह साबित होता है कि हमारे यहां लोकतंत्र
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है और इससे यह भी साबित होता है कि हमने भले अमेरिका से लिया हो लेकिन हमारे
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संविधान पर प्रभाव किसका है ऑस्ट्रेलिया का ठीक अब आते हैं दूसरा इसके स्वरूप पर
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चर्चा करते इसमें सबसे पहला है संप्रभु संप्रभु का अर्थ क्या होता है
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संप्रभु का अर्थ होता है कि डिसीजन मेकिंग पावर निर्णय निर्माण की
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शक्ति निर्णय की शक्ति
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सो संप्रभु का अर्थ हुआ कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह आंतरिक रूप से हो या बाह्य रूप से
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तो चकि संप्रभुता य देश की चर्चा की गई है तो देश की चर्चा तो देश व आंतरिक रूप से
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भी और बाह रूप से स्वतंत्र है किस चीज में निर्णय लेने कि हम क्या करें ना करें वह
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निर्णय लेने में लेने में सक्षम है लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले क्या भारत निर्णय ले सकता था नहीं ले सकता था
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स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह स्थिति हमारी हुई तो देश का आंतरिक मामला क्या है
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आंतरिक मामला जब हम कोई चीज डिसीजन ले रहे हो तो देश का आंतरिक मामला का मतलब य हुआ
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है कि हम जाति धर्म क्षेत्र भाषा इस आधार पर कोई निर्णय ना ले या इसके दबाव में कोई
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निर्णय ना ले या कोई निर्णय लेते हैं तो कोई अन्य देश का दबाव बाहरी देश का दबाव
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हमारे निर्णय पर ना हो ठीक है अब जैसे इसका उदाहरण स्वरूप देखते हैं कि 2009 में
16:59
रप्पन के खिलाफ श्रीलंका में रप्पन के खिलाफ वहां की आर्मी में आर्मी ने वहां पर
17:04
अपना ऑपरेशन चलाया तो तमिलनाडु में इसका विरोध हुआ कि ऑपरेशन जब चलाया गया तो वहां
17:10
पर तमिल लोगों पर अत्याचार हो रहा तो तमिलनाडु के तमिल लोगों की भावनाए आहत हुई
17:15
तो उसने भारत सरकार पर भारत सरकार से कहा कि आप इसमें हस्तक्षेप करें तो भारत सरकार
17:21
ने क्या कहा ये श्रीलंका का आंतरिक मामला ठीक है हम इसमें या तमिलनाडु के या तमिल
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में जो दबाब बनाया गया केंद्र सरकार पर सरकार उसके दबाब में नहीं आई अर्थात यह
17:34
भारत का आंतरिक मामला था या आंतरिक रूप से सरकार निर्णय लेने में जो निर्णय लेती है
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तो तमिलनाडु के मैटर को लेकर सरकार उसम दबाव में नहीं आई संप्रभुता का ये एक
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उदाहरण के रूप में समझाए गया ठीक है तो संप्रभुता का अर्थ है कि चाहे हम आंतरिक रूप से हो या बाह रूप से हो हम किसी के
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दबाब में या प्रेशर में कोई निर्णय नहीं लेंगे दूसरी बात कभी भी कभी यह कहा जाता
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है कि वर्तमान में ग्लोबलाइज जो दुनिया है ग्लोबलाइज दुनिया परस्पर एक दूसरे पर
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निर्भर है ठीक है और बहुत सारे पैक्ट एग्रीमेंट हो रहे हैं कि सब लोग एक जगह बैठते हैं और जो व्यक्ति का व्यक्तिगत
18:13
मामला है वह ग्लोबल मुद्दा बनके उठा कि अगर पर्यावरण से जुड़ा हुआ मुद्दा हमारे यहां है तो यह ग्लोबल प्रॉब्लम है तो
18:20
उसमें हम शामिल होकर इस समस्या का समाधान चाहते हैं तो यहां पर है कि अगर हम किसी एग्रीमेंट से जुड़े अर्थात बाध्य हो गए
18:27
बाध हो गए तो हमारे निर्णय की जब एग्रीमेंट पर हमने साइन कर दिया तो यह निर्णय की शक्ति हमारे पास रह जाती है कि
18:34
हम उस एग्रीमेंट के अकॉर्डिंग डिसीजन लेते हैं तो इसका अर्थ हुआ कि अगर हम किसी
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एग्रीमेंट के चाहे वह किसी रीजनल सेक्टर में हो चाहे जैसे सार्क
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का गठन हुआ हो बमक का गठन हुआ हो या कॉमनवेल्थ हो या डब्ल्यूटीओ हो भारत बहुत
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जगहों पर क्या है उसमें शामिल उस एग्रीमेंट में शामिल है अगर शामिल है तो
18:57
हमने साइन किया तो उसके डिसीजन के अकॉर्डिंग चलना है तो भारत पर यह कभी दबाव
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नहीं रहा था कि आप शामिल हो या कभी दबाव नहीं है कि आप निकल जाओ भारत अपने नेशनल
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इंटरेस्ट अर्थात हमारा जो भारत का जो हित है तो भारत अपने हित को पूरा करने के लिए
19:13
उसमें शामिल हुआ है और भारत को लगता है कि अगर हमारा हित पूरा नहीं हुआ तो वो उसे निकल भी सकता है इस पर भारत पर किसी
19:20
प्रकार का दबाव नहीं है हां कुछ मामले जो वैश्विक मुद्दा बना है जैसे वो चाहे
19:25
पर्यावरण का मुद्दा हो या निशस्त्रीकरण अर्थात किसी भी देश के पास कोई ऐसा संहारक
19:31
हथियार ना हो ठीक है या आतंकवाद का मुद्दा हो यह सभी देशों का मुद्दा है तो हम
19:36
मानवता के नाते उसमें शामिल हुए हैं लेकिन हम पर किसी प्रकार का दबाव नहीं है भारत की संपता पर इस इसका कोई इफेक्ट नहीं
19:45
पड़ता ठीक आगे है पंत निरपेक्ष अब पंत निरपेक्ष का को ही धर्म
19:53
निरपेक्ष कहा जाता है ठीक है भारत में धर्म निरपेक्ष जैसे इसमें गता में कहा गया
19:59
है कि जो आप अपना कत आपका धर्म है अपने कर्तव्य का पालन कर ठीक है तो यहां पर
20:05
लेकिन धर्म के मायने में बोला गया है कि भारत किसी भी धर्म को नहीं माने भारत इस
20:11
मामले में न्यूट्रल है कि सभी धर्मों से हम समान दूरी रखेंगे किसी के साथ कोई
20:17
भेदभाव नहीं बढ़ते अर्थात किसी धर्म के अगेंस्ट भी नहीं है ना किसी धर्म के हम
20:22
नजदीक है सबसे हम समान दूरी रखेंगे किसी के फेवर में हम नहीं जाएंगे ठीक यहां पर
20:29
पंत निरपेक्ष का अर्थ क्या हुआ कि सभी धर्मों से हम समान दूरी
20:35
रखेंगे देश किसी धर्म का पक्ष नहीं लेगा हां इस पर की पंत निरपेक्षता की स्पष्ट
20:41
कोई परिभाषा नहीं थी लेकिन दो 1994 में में एस आर बंबई केस में कहा गया कि पंथ
20:48
निरपेक्षता या धर्म निरपेक्षता वही है कि अगर किसी जनता को कोई राइट्स दिया गया है
20:54
ईमानदारी से उस राइट्स का पालन वह कर ले सरकार उसके साथ किसी प्रकार का भेदभाव
21:00
नहीं करती अर्थात वो व्यक्ति संविधान की नजर में सिर्फ एक जनता है और जनता की नजर
21:07
जनता के तहत वह अपने हर राइट्स का प्रयोग कर रहा है अर्थात भारत धर्म निरपेक्ष
21:12
अर्थात धर्म और जाति के आधार पर उसके साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ तो हम धर्म निरपेक्ष
21:18
ठीक है
21:24
समाजवाद समाजवाद का अर्थ हुआ कि जो समाज समानता पर आधारित जहां पर शोषण
21:32
नहीं होता शोषण मुक्त समानता पर आधारित समाज समाजवाद कहलाया तो भारत में जो
21:39
समाजवाद है वह लोकतांत्रिक समाजवाद और एक मार्स का जो यूरोप का
21:45
समाजवाद है वह हिंसा पर आधारित अब इसमें लोकतांत्रिक समाजवाद और
21:52
मार्क्सवाद या उस समाजवाद में क्या अंतर है उसमें सत्ता परिवर्तन जो होता है
21:57
यूरोपीय समाज में व हिंसा के माध्यम से होता है अहिंस क्रांति होती है और एक शासक
22:03
दूसरे शासक को हटा देता है लोकतांत्रिक समाजवाद में क्या होता है कि यहां पर
22:08
मतपत्र के माध्यम से एक दूसरे को अपदस्थ करते अर्थात जिनको जनता का ज्यादा समर्थन
22:15
रहता है वह सत्ता में आते हैं जो चुनाव में हार जाते हैं वह सत्ता से निकल जाते हैं तीसरा जो यूरोपियन समाजवाद है तो वहां
22:23
पर प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं होती ठीक वहां पर प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं हो होती है
22:29
सारा रिसोर्सेस जो होता है उस पर राज्य का कब्जा होता है लेकिन लोकतांत्रिक समाजवाद
22:34
में प्राइवेट प्रॉपर्टी भी होती है और पब्लिक प्रॉपर्टी अर्थात सरकारी और
22:39
प्राइवेट दोनों होता है इस समाजवाद लोकतांत्रिक समाजवाद मिक्सड
22:45
इकोनॉमी होती है ठीक है कि जैसे देखते हैं कि ओएनजीसी नवरतन कंपनिया है सरकारी लोग
22:50
यहां पर अडानी टाटा विरला यह सब भी प्राइवेट सेक्टर भी है और पब्लिक सेक्टर भी है तो इस समाज में अब है कि भ ने
22:58
समाजवाद को अपनाया तो 90 के दशक के पश्चात 1990 के पश्चात जब भारत ने ग्लोबलाइजेशन
23:04
को अपनाया यह कहा जाने लगा कि भारत अब समाजवाद से दूर होता जा रहा है भारत
23:12
समाजवाद से दूर होता जा रहा है तो यहां पर हमने उत्पादक गतिविधियों से अपने को भले
23:18
हटा लिया और इसे एक आलेख द्वारा समझने का प्रयास करते हैं कि हमारे यहां प्राइवेट
23:24
सेक्टर को भी पूर्ण अनुमति दी गई है और पब्लिक सेक्टर को भी अगर हम
23:31
टाटा और बिरला को अगर हमारे यहां मौका दिया जा रहा है तो
23:39
इस मौके का लाभ उठा के य ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट कमाएंगे और ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट अगर कमाएंगे तो गवर्नमेंट को
23:46
ज्यादा से ज्यादा टैक्स देंगे और ज्यादा से ज्यादा जब इन्ह टैक्स मिलेगा तो गवर्नमेंट क्या करेगी उन टैक्सों का
23:52
ज्यादा से ज्यादा योजना चलाएगी ठीक है किनके लिए गरीब लोगों के लिए तो उनका
23:57
ज्यादा से ज्यादा कल्याणकारी योजना क्या होगी सरकार बना सके बना कर के गरीब लोगों का कल्याण कर सकती है अगर इनको ज्यादा
24:05
मौका ना दिया जाए तो सरकार को टैक्स कहां से देंगे और सरकार के पास उतने रिसोर्सेस
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नहीं है कि गरीबों का कल्याण अपने बहुत ज्यादा लगा के कर सकते उनके लिए कहीं ना कहीं इनके लिए सरकार को यहां पर यह
24:17
लाभकारी यहां पर कि इन्ह प्राइवेट सेक्टर को ज्यादा से ज्यादा मौका दिया गया मिक्सड
24:23
इकॉनमी के तहत ज्यादा से ज्यादा इन्होने लाभ कमाया ज्यादा से ज्यादा सरकार को टैक्स दिया और सरकार ने ज्यादा से ज्यादा
24:30
कल्याणकारी योजनाएं चलाकर जो वीकर सेक्शन है तो यहां पर हम क्या देख रहे हैं कि
24:35
हमारा जो समाजवाद है लोकतांत्रिक समाजवाद हमने क्या किया उत्पादक गतिविधियों पर से
24:40
अपना नियंत्रण भले हटा लिया अर्थात जो सरकारी संपत्ति है या सरकारी फैक्ट्रियां है सरकार उनका क्या कर रही निजीकरण कर रही
24:47
है लेकिन इस इनको पूरा मौका दिया गया और इनके माध्यम से जो वितरण मूलक न्याय है अर्थात
24:55
जो हम कल्याणकारी योजनाएं करते हैं उस पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देकर हमने अपने
25:00
समाजवादी चरित्र को बनाए रखा समझ में
25:06
आया अब है अगला लोकतांत्रिक लोकतंत्रात्मक
25:11
गणराज्य लोकतंत्रात्मक गणराज्य किसे कहते हैं या लोकतंत्र किसे कहा जाता है जो जनता
25:17
का जनता के लिए जनता का शासन हो एक गेट्स बर्ग संमेलन गट्स बर्ग में अब्राहम लिंकन
25:23
द्वारा यह बताया गया था कि लोकतंत्र है जनता का जनता के लिए जनता दवा शासन तो
25:30
लोकतंत्र कितने तरीके का होता लोकतंत्र दो तरीके का होता है एक प्रत्यक्ष दूसरा
25:36
अप्रत्यक्ष पूरे दुनिया में एक ही देश है जहां पर प्रत्यक्ष लोकतंत्र है जो स्विटजरलैंड ठीक है और पूरी दुनिया में
25:45
अप्रत्यक्ष लोकतंत्र और अप्रत्यक्ष लोकतंत्र के तहत भी दो तरह की शासन
25:50
प्रणाली एक है संसदीय
25:55
दूसरा है अध्यक्षीय
26:04
संसदीय में जो मंत्रिमंडल होता है इसका सामूहिक उत्तरदायित्व होता है अर्थात उसका
26:10
सपोर्टिव लोकसभा में उनका सपोर्टर कम हो जाए या संसद में उनका सपोर्टर कम हो जाए तो उन्हें क्या करना होगा रिजाइन करना
26:17
पड़ेगा ठीक है इनका अर्थात प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री तक सामूहिक रूप से
26:23
उत्तरदाई होते हैं ठीक है दूसरा
26:28
संसद के प्रति उत्तरदाई होते हैं तीसरा और ये इनका जो कार्य काल होता है
26:35
निश्चित नहीं होता अर्थात जब तक उनको समर्थन रहेगा तब तक होगा लेकिन अध्यक्ष
26:40
में यहां पर सामूहिक उत्तरदायित्व यहां पर व्यक्तिगत उत्तर दय य पर राष्ट्रपति
26:48
हो यहां पर हेड ऑफ स्टेट जो होगा हेड ऑफ स्टेट वो राष्ट्रपति होगा हेड ऑफ स्टेट
26:55
कौन होगा वो राष्ट्रपति होगा य हेड ऑफ स्टेट जो है और जो य पर कार्यकारी जैसे
27:02
हमारे य प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति मिलकर दोनों के नाम से चलता है यहां पर सर्वे सर्वा सिर्फ राष्ट्रपति ठीक है यहां पर
27:10
इनका कार्यकाल जो है चार साल तक व स्थाई रहता यहां पर स्थायित्व की संभावना ज्यादा
27:15
रहती है यहां पर जैसा फिक्स यहां पर ता वैसा फिक्स यहां पर नहीं होता अध्यक्षीय
27:22
शासन प्रणाली यूएसए में सय प्रणाली भारत में
27:30
है ब्रिटेन में है जापान में है इन सारे देशों में संसदीय
27:39
शासन प्रणाली है और दक्ष शासन प्रणाली कहां पर है यूएसए में कहीं कहीं कुछ कुछ
27:45
देशों में संसदीय और अध्यक्षीय को दोनों को जोड़ दिया जाता है कुछ गुण इनका ले लिया जाता है कुछ गुण इनका ले लिया जाता
27:51
है जैसे कुछ गुण इनका श्रीलंका से मिलता है जैसे फ्रांस में है तो इसमें दोनों का
27:57
मिक्स कुछ कुछ लेकर मिक्स कर दिया जाता है तो भारत में संसदीय प्रणाली को अपनाया गया
28:03
और संसदीय प्रणाली को 1973 में केशवानंद भारती केस आया था उसमें कहा गया बेसिक
28:10
स्ट्रक्चर अर्थात कि हम संसदीय प्रणाली को छोड़ दूसरी प्रणाली को अपना नहीं सकते
28:16
संसदीय प्रणाली में संसद को किसी प्रकार बेसिक स्ट्रक्चर में सरकार किसी प्रकार का
28:22
परिवर्तन नहीं कर सकती है संविधान संशोधन द्वारा अगला
28:28
गणराज्य गणराज्य का अर्थ होता है कि किसी भी देश में छोटा से छोटा पद हो या बड़ा से
28:35
बड़ा पद किसी भी प्रकार को अनुवांशिक रूप से अ अर्थात पारिवारिक रूप से उस पद को
28:40
नहीं भरा जा सकता इस पर कोई भी व्यक्ति देश का कोई भी जनता उस पद पर जा सकता है
28:47
तो भारत का सुप्रीम पद कौन सा हुआ राष्ट्रपति अर्थात उस पर किसी प्रकार का अनुवांशिक रूप से कोई उस पर नहीं बैठ सकता
28:55
उस पर चुनाव होता है उस चुनाव में कोई भी नर्मल व्यक्ति भाग लेकर राष्ट्रपति बन
29:00
सकता है तो जहां पर हेड ऑफ स्टेट का चुनाव होता हो ठीक है उसे ही गणराज्य कहते हैं
29:06
ब्रिटेन में गणराज्य नहीं है ब्रिटेन में संवैधानिक राजशाही अर्थात वहां के जो हेड ऑफ स्टेट है व अनुवांशिक रूप से आते हैं
29:14
जापान में अनुवांशिक रूप से आते हैं अर्थात वहां पर संवैधानिक राजशाही है वह गणराज संसदीय लोकतंत्र है लेकिन वहां पर
29:21
संवैधानिक राजशाही है ये यहां का भारत के संविधान का ये स्वरूप
29:30
जिसके स्वरूप में क्याक शामिल है संप्रभु पंथ निरपेक्ष समाजवाद लोकतंत्र और गणराज्य
29:38
पांच थे अब भारत जो है भारत का संविधान क्या प्राप्त करना चाहता है इन दोनों को
29:44
मिटा दे
30:01
सबसे पहला है न्याय कि भारत का संविधान क्या प्राप्त करना चाहता है तो भारत का संविधान न्याय
30:09
न्याय में है सबसे पहले
30:16
सामाजिक आर्थिक
30:24
राजनीतिक सबको सामाजिक न्याय मिले सब को आर्थिक न्याय मिले सबको राजनीतिक न्याय
30:30
मिले और सबसे पहले हम समझेंगे ये न्याय आखिर क्या हो जब दो पक्ष होता है अब यह
30:38
दोनों पक्ष व्यक्ति भी हो सकता है ठीक है एक पक्ष व्यक्ति हो सकता है दूसरा कोई
30:43
संस्था हो सकता है कोई इंस्टिट्यूशन हो सकता है जब दो पक्षों के बीच बेहतर
30:49
सामंजस्य हो कोई एक दूसरे से ठगा हुआ महसूस ना करे ठीक है जहां पर शोषण ना हो
30:55
वही न्याय जहां पर लोग अपने हित को पूरा कर सके तो भारत में देखते हैं कि सामाजिक
31:02
रूप से क्या भारत में सामाजिक न्याय है सामाजिक न्याय का अर्थ हुआ कि यह नदी
31:09
है अब इस नदी पर एक शेर भी पानी पीने के लिए जा रहा है एक बकरी भी जा रही है बकरी
31:17
जब जा रही है तो भ से अगर शेर हमें अगर पानी पीते हुए अगर हमें शेर देख लिया है
31:24
तो हमें मार खाएगा अर्थात बकरी के मन में भय है है किससे है इस शेर से लेकिन प्यास
31:30
बकरी को भी लगी हुई है अर्थात उसका इंटरेस्ट है और शेर का भी जितना इंटरेस्ट बकरी का प्यास से उतना इंटरेस्ट शेर का है
31:38
जब यह बकरी बिना भय और भेदभाव ठीक है इस नदी पर जाकर पानी पी ले अर्थात
31:45
अपने हित को पूरा कर ले ठीक वही आपका सामाजिक न्याय अर्थात इस समाज में जो
31:52
भेदभाव व्याप्त है और इस भेदभाव के कारण बहुत सारे लोग जो है सो अपना इंटरेस्ट
31:58
फुलफिल नहीं कर पाते और अपना इंटरेस्ट फुलफिल नहीं करने के कारण वो सदियों से पिछड़े रहे तो वो अपने जो उनके साथ जो
32:06
भेदभाव हो रहा है और जो उनके मन में भ है भ है इन दोनों के बिना अगर उनका इंटरेस्ट
32:11
फुलफिल होने लगे ठीक है तो अपने इंटरेस्ट को फुलफिल कर रहे तो वही स्थिति सामाजिक
32:18
न्याय की तो भारत सरकार ने क्या किया भारतीय संविधान ने क्या किया जो वीकर
32:23
सेक्शन है तो वीकर सेक्शन को उस भय और भेदभाव से निकाल के लिए संविधान में
32:28
प्रावधान किया आर्टिकल 15 के तहत किया गया है आर्टिकल 15 ती के तहत महिलाओं बच्चों
32:35
के लिए आर्टिकल 15 च के तहत किया गया है कि समाज के जो विकर सेक्शन है उनको शिक्षा में उनको आरक्षण का प्रावधान किया गया है
32:42
कि उनके मन से जो विक र चुके अभी तक किसी कारणवश भेद भ और भेदभाव के कारण तो उनको
32:49
आगे बढ़ाने का काम किया जाएगा तो सामाजिक न्याय आपका यहां पर फिर आर्टिकल 17 के तहत
32:55
देखते हैं अ स्पता का अंत किया गया है क्यों किया गया है तो वहां पर भेदभाव
33:02
होता अर्थात आर्टिकल 15 16 17 के माध्यम से सामाजिक न्याय को प्राप्त करने का
33:09
प्रयास किया गया दूसरा आर्थिक न्याय आर्थिक न्याय में
33:14
देखते हैं कि डीपीएसपी में भी प्रावधान किया गया है कि जब कोई एक काम करते हैं तो
33:20
काम करते हैं जैसे महिला एवं पुरुष एक ही काम करते हैं तो वेतन भी उनको समान मिलना
33:25
चाहिए किसी प्रकार का वहां पर भेदभाव नहीं होना चाहिए राजनीतिक न्याय हमारे यहां
33:31
गरीब हो या अमीर हो हमारे यहां गरीब हो गरीब अमीर को भी एक व्यक्ति एक वोट देने
33:37
का अधिकार है किसी भी चुनाव में खड़ा होने का अधिकार है उतना ही हक और अधिकार गरीब
33:42
लोगों को लोगों के पास ही यही हुआ आपका राजनीतिक न्याय तो न्याय के लेवल देखते
33:48
हैं कि उद्देश्य हमारा क्या है सभी तरह का न्याय अर्थात सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक
33:54
न्याय की प्राप्ति ठीक दूसरा
34:00
स्वतंत्रता स्वतंत्रता में आपका हुआ वाक अभिव्यक्ति विचार और
34:07
अभिव्यक्ति उपासना धर्म य सब आधार पर इनको
34:12
अधिकार है वा विचार विचार क्या है मानसिक
34:19
क्रिया विचार क्या है मानसिक क्रिया
34:30
अब जो हम विचार कर रहे हैं उसे अभिव्यक्त करें जब अभिव्यक्त करेंगे तो उसे एक्सेप्ट
34:38
करेंगे अर्थात उसमें हमारी आस्था होगी ठीक है आस्था होगी उसे हम मानेंगे धर्म में और
34:44
फिर धर्म के अनुसार जब उपासना करेंगे उपासना में होता है कि आत्मा का परमात्मा में विलीन हो जाना या ब्रह्म से एकाकार हो
34:52
जाना तो यह पांच तरह की इसमें स्वतंत्रता दी गई है जो आपको आर्टिकल 19 के विचार एवं
34:58
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है किसी को भी बोलने पर पाबंदी नहीं है तो इसमें
35:03
है कि आंतरिक रूप से साथ बाह्य रूप में बाह रूप में बाह किसी तरह से संप्रभुता
35:08
में प्रेशर नहीं हम लेंगे उसी तरीके से स्वतंत्रता में इनर और आउटर दोनों स्तर से
35:14
हम स्वतंत्र है हमारी स्वतंत्रता पर किसी प्रकार की बाधा नहीं है और इस तरह के
35:19
विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आर्टिक 19 के तहत दिया गया
35:25
है और धार्मिक स्त्रता आपको 25 से 28
35:33
तक ठीक अगला है समानता इसमें है प्रतिष्ठा एवं अवसर की
35:41
समानता यह आपको आर्टिकल 14 से 18 तक इसकी चर्चा की गई है कि र की समानता दी गई
35:49
प्रतिष्ठा इसमें आर्टिकल 17 के साथ अ स्पता का अंत कर दिया गया ठीक है तो जो
35:54
भूम फी के हम न्याय और स्वतंत्रता में पाते हैं उसी का पूर्व की समानता कहता
36:00
है कि प्रतिष्ठा अर्थात आर्टिकल 15 के तहत किसी के साथ भी धर्म जाति लिंग क्षेत्र
36:08
किसी भी आधार पर हम किसी के साथ ना कोई व्यक्ति भेदभाव कर सकता है ना ही कोई राज
36:14
भेदभाव कर सकता ठीक 16 के तहत अवसर की समानता सबको एक समान अवसर दिया जाएगा हां
36:21
उसी में आगे चलकर कि जो विक सेक्शन है सरकार उनके लिए विशेष प्रावधान करेगी
36:28
अब ये तीन चीज आती है व्यक्ति की गरिमा एकता एवं अखंडता और
36:36
बंध व्यक्ति का जीवन गरिमामय जीवन जीने में है ना कि पशुपत जीवन जीने में अर्थात
36:43
उस प्रकार का किसी प्रकार की उस पर बंदिश ना लगाई जाए उसे गरिमामय जीवन य आर्टिकल
36:49
21 में बोला गया है कि व्यक्ति का जीवन गरिमामय जीवन जीने गरिमामय जीवन हम कैसे
36:55
जी सकते हैं जब हम हमें हर अधिकार के साथ जैसे आर्टिकल 21 में बहुत सारे अधिकार
37:01
जोड़े गए कि सोने का अधिकार जब रामदेव जी पर अटैक ये हुआ था पुलिस लाठी चार्ज की थी
37:07
उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोने का भी अधिकार आर्टिकल 21 में शामिल है स्वच्छ
37:13
पर्यावरण स्वास्थ यह सब आपका है कि व्यक्ति एक स्वस्थ होकर ही स्वस्थ सोच
37:18
सकता है गर्मा में जीवन जी सकता है तो व्यक्ति की गरिमा आर्टिकल 21 में इसको शामिल किया गया
37:24
है ये एक पार्ट है कांस्टिट्यूशन के द्वारा अब दूसरा देखते हैं अब यहीं पर य
37:30
तीनों चीज एक दूसरे जुड़ा हुआ बंधुत्व जब हम एक छत के नीचे रहते एक देश में रहते
37:36
हैं तो यहां पर विभिन्न जाति धर्म के लोग तो इसमें दो पक्षों के
37:42
बीच दो पक्षों के बीच प्रेम होना चाहिए साहचर्य होना चाहिए सहयोग होना चाहिए जब
37:49
दो पक्षों के बीच प्रेम रहेगा साच सचर रहेगा सहयोग रहेगा तभी बंधुता की भावना
37:56
बनी रहेगी और की भावना कब बनी रहेगी जब यह सारा इंप्लीमेंटेशन ईमानदारी से
38:01
कांस्टिट्यूशन के द्वारा जनता इसका फायदा लेगी अगर इसमें भेद भाव होता है तो क्या
38:07
दो पक्षों के मध्य बेहतर सचर बेहतर प्रेम बेहतर सहयोग रह पाएगा नहीं रह पाएगा जब
38:12
बेहतर सहयोग नहीं रह पाएगा तो बंधुता की भावना टिक पाएगी एक दूसरे के खिलाफ य
38:19
षड्यंत्र होगा तो जब एक दूसरे के खिलाफ षड्यंत्र होगा जब आपसी सहयोग आपसी प्रेम
38:25
नहीं रह पाएगा तो क्या व्यक्ति की बच पाएगी जब व्यक्ति की गरिमा नहीं बच पाएगी तो
38:31
क्या देश एक एव अखंड रहेगा तो देश को टारगेट है देश को एकता एवं अखंडता में
38:37
बांधे रहने के लिए बंधुत्व की भावना को जीवित रखना होगा और साथ ही व्यक्ति की
38:44
गरिमा को बचाए रखना होगा और यह सारा तभी हो पाएगा जि जिनके राइट्स दिए गए हैं
38:49
राइट्स का ईमानदारी से पालन होता रहे अब यह सारा चीज तो आप एक्सप्लेनेशन हो गया है
38:56
अब है कि इस पर सुप्रीम कोर्ट की क्या राय सुप्रीम कोर्ट में 1960 में बेरुबारी
39:03
का मामला आया था तो बेरुबारी केस
39:11
में यह 1960 में आया इसमें कहा गया किय संविधान का अंग
39:18
नहीं है तो संविधान का अंग नहीं है अर्थात इसमें संशोधन नहीं हो सकता संविधान का जो
39:24
अंग रहेगा उसी में संशोधन होगा य संविधान का अंग नहीं है इसमें संशोधन नहीं हो सकता
39:30
उसके बाद 1963 में गोलकनाथ वाद आया गलक अनाथ
39:37
वाद में जो चीफ जस्टिस थे वो एम हिदायतुल्ला थे एक संविधान का पार्ट नहीं
39:43
है दूसरा यह संविधान की आत्मा है तीसरा यह
39:48
शाश्वत है अप परिवर्तनशील अर्थात इसमें किसी प्रकार का संशोधन नहीं
39:53
हो सकता तो हिदायतुल्ला ने क्या कि इस संविधान की आत्मा अंबेडकर आर्टिकल 32 को
40:00
संविधान की आत्मा कहते हैं यहां पर एम हिदायतुल्ला प्रिंबल को संविधान की आत्मा कर रहा है इसके साथ ही एक ठाकुरदास भार्गव
40:07
थे उन्होंने भी इसे संविधान की आत्मा कहा ठीक है तो इसमें देखते हैं बेरू बारी और
40:12
गोलकनाथ वाद में ये कहा गया कि संविधान का पाट नहीं है इसलिए इसमें किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हो सकता लेकिन इसके पश्चात
40:20
आता है 1973 में गोलक केशवानंद भारतीय केस
40:26
उसमें इसे संविधान का पार्ट माना गया संविधान का अंग है दूसरा संविधान का अंग होने के कारण
40:33
इसमें परिवर्तन या संशोधन हो सकता है लेकिन बेसिक स्ट्रक्चर में किसी प्रकार का
40:39
संशोधन नहीं हो सकता प्रिंबल को आधार बनाकर हम कोर्ट नहीं जा सकते क्या प्रिंबल
40:46
को आधार बनाकर हम कोर्ट नहीं जा सकते कोर्ट का कोर्ट जाने का आधार कोई स्पष्ट उपखंड ही होगा या अनुबंध ही होगा सिर्फ
40:55
प्रिंबल के आधार पर हम कोट नहीं जा सकते तो केशवानंद भारतीय में इसे संविधान का अंग माना जिसे बाद में एसआर बंबई केस
41:02
एलआईसी केस वगैरह में भी इसी चीज को फॉलो किया गया तो यहां पर तीन पार्ट में देखें
41:07
कि यहां पर क्या कि पहला इसमें एक बार संशोधन किया गया 1976 में 42 संविधान
41:13
संशोधन द्वारा जिसमें समाजवादी धन निरपेक्ष एवं अखंडता सब जोड़ा गया दूसरा
41:19
इसमें जो वाद आए हैं तो उसमें 1973 का केशवानंद भारतीय वाद जो है यही बार-बार
41:24
पूछा जाता है कि इसमें संविधान अ माना गया है ठीक है इसी को एलआईसी और एसर ब केस
41:31
फॉलो किया गया और इसका इसके आगे जैसे के एम मुंसी के
41:36
कते पॉलिटिकल होरोस्कोप अत यह राजनीतिक जनप है जनप क्या है जनप बताता है भावी
41:43
लाइफ में कोई व्यक्ति क्या करेगा उसी अनुसार संविधान में आगे क्या होगा यह पॉलिटिकल होरोस्कोप उसकी व्याख्या यह
41:50
संविधान य प्रस्तावना करता है ठीक है य प्रल का जो टॉपिक है आज आपका इतना
42:07
हे
#Human Rights & Liberties
#Legislative Branch
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