0:09
हैं नमस्कार दोस्तों परीक्षा जंक्शन
0:30
अभी द एक्जीक्यूटिव में चल रहे अर्थात राष्ट्रपति नाम राष्ट्रपति टॉपिक अभी चल रहा है और राष्ट्रपति की क्या कौन से
0:37
कार्य एवं अधिकार हैं तो उस पर हम लोग अभी चर्चा कर रहे हैं आज हम लोग उसी पर चर्चा
0:42
करेंगे राष्ट्रपति की क्षम संबंधित शक्तियों के बारे में कि आखिर राष्ट्रपति को क्षमादान संबंधी शक्तियां क्यों दी गई
0:50
आइए चलते हैं देखते हैं
1:05
आर्टिकल 72 के तहत राष्ट्रपति
1:13
को क्षमादान संबंधी शक्तियां दी गई राष्ट्रपति
1:26
संबंधित शक्तियां दी गई
1:40
शक्तियां दी गई इसके तहत हम देखते
1:48
हैं कि इसे तीन पोर्शन में हम तोड़ते हैं कि आखिर क्यों राष्ट्रपति को क्षमादान
1:55
की शक्तियां दी गई आखिर
2:04
क्यों आखिर क्यों राष्ट्रपति को क्षमादान संबंधी शक्तियां दी गई दूसरा इस पर
2:11
न्यायालय का क्या रुक रहा है इस
2:22
रुख इस पर न्यायालय का क्या रुक रहा है न्यायालय के इस पर क्या विचार रहे क्या सोच रहे हैं और समान्य क्या होना चाहिए
2:33
और सामान्यत क्या होना
2:47
चाहिए अब आइए एक एक करके हम इन राष्ट्रपति की क्षमादान संबंधित शक्तियों को हमने तीन
2:54
पोर्शन में तोड़ लिया अब एकएक करके इन चीजों की चर्चा करेंगे कि आखिर राष्ट्रपति
3:00
को क्षमादान संबंधित शक्तियां दी गई तो उनके संबंध में क्यों दी गई उस पर न्यायालय का क्या रुख है और समानता क्या
3:07
होना चाहिए तो सबसे पहले हम आखिर क्यों इस पर चर्चा करते
3:14
हैं गलती करना मानवीय स्वभाव होता है क्या गलती करना मानवीय स्वभाव होता है और
3:23
मानवीय गलती करना मानवीय स्वभाव है तो किसी केस के संदर्भ में किसी केस के
3:30
संदर्भ में जब न्यायालय उनके विचार को सुनता है या
3:35
न्यायिक कारवाही होती है तो इसमें कौन भाग लेते हैं न्यायाधीश भाग लेते
3:41
हैं और न्यायाधीश भी कौन होते हैं न्यायाधीश भी एक मानव ही क्या है
3:47
न्यायाधीश भी एक मानव ही है दूसरी तरह जब केस ट्रायल में होता है और ट्रायल
3:54
से पहले जब जांच अधिकारी इसकी जांच करते हैं तो जांच अधिकारी भी कौन होते हैं
4:04
जांच अधिकारी भी मानव होते
4:10
हैं अब कहना यह है कि गलती करना मानवीय स्वभाव है हर एक इंसान से गलती होती है और
4:19
न्यायाधीश भी इन चीजों से परे नहीं है उनसे भी गलती हो सकती है क्योंकि वह भी
4:24
मानव है जांच अधिकारी भी गलती कर सकते हैं क्योंकि कि वो भी मानव है जब जांच अधिकारी
4:34
ने हो सकता है कि जांच अधिकारी ने जांच किया हो और उनसे कोई मानवीय भूल के कारण
4:40
केस अलग दिशा में चली गई हो और किसी व्यक्ति को इससे दंडित कर दिया गया हो अर्थात जांच अधिकारी
4:47
के क्या जांच अधिकारी के सिर्फ एक गलत डिसीजन के कारण उसे भूल के कारण क्या हुआ
4:54
इस केस अलग दिशा में चला गया और चूंकि न्यायाधीश के समक्ष जो
5:00
भी स्रोत आए क्योंकि वह तथ्यों पर ध्यान देकर अपना निर्णय सुनाते हैं तो जांच
5:06
अधिकारी ने क्या किया भूल के कारण गलत तथ्य प्रोस दिया गलत तथ्य प्रस्तुत किया
5:12
इस कारण व्यक्ति को दंडित कर दिया गया और दंडित कर दिए जाने के
5:17
पश्चात उस भूल का सुधार कैसे किया जाए क्या दंडित किए जाने के पश्चात उस भूल का
5:25
सुधार कैसे किया जाए तो इस भूल सुधार के लिए चाहे वह जांच
5:31
अधिकारी से भूल हुई हो या न्यायाधीश से भूल हुई हो तो भूल को स्वीकार करने के लिए
5:37
भूल को भूल हुई भूल को सुधारने के लिए सबसे पहला क्षमादान संबंधित शक्ति यहां पर
5:46
कारगर होगी क्षमादान कारगर होगी अर्थात जिस
5:51
व्यक्ति ने गलती नहीं किया उसे गलती की सजा क्यों मिले अर्थात इससे सुधारने का
5:57
मौका मिलता है क्या अपनी भूल को सिस्टम को अपनी भूल को सुधारने का मौका मिलता है
6:03
क्या होता है सिस्टम को व्यवस्था
6:16
भूल सुधारने का मौका मिलता
6:31
क्या देखें कि मानवीय भूल के कारण गलत डिसीजन हो गया तो उस मानवीय भूल को यहां
6:37
पर क्या किया जा रहा है क्षमादान करके अर्थात उसे सुधारा जा सकता है
6:47
दूसरा क्षमा करना क्षमा
6:56
करना मानवीय सभ्यता का मानवीय सभ्यता
7:06
का मानवीय सभ्यता का उच्चतम अभिव्यक्ति है क्या है उच्चतम
7:23
तीसरा अगर किसी व्यक्ति ने गलती की कर लिया हो और गलती के पास उसे पश्चात ताप हो
7:29
रहा हो और फिर पुनः गलती ना करने की कसम खा रहा हो किसी व्यक्ति ने गलती कर लिया
7:35
हो और इस बात का उसे क्या हो रहा हो पश्चाताप हो रहा हो फिर जीवन में गलती ना
7:40
करें और वह व्यवस्था में पुनः समाहित हो जाए तो उसे भी एक मौका देता
7:56
पुनः पश्चाताप के पश्चात
8:24
में पुनः समाहित होकर पुनः समाज में पुनः शामिल
8:33
होकर होकर सब जीवन जीने के
8:51
लिए प्रेरित करता है क्या करता है प्रेरित करता
8:58
है और देखते हैं कि महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता
9:04
महात्मा गांधी ने इस संदर्भ में क्या कहा था अपराध से घ घरना करो अपराधी से नहीं
9:10
क्या अपराध से घरना करो अपराधी से नहीं अर्थात अगर अपराधी को पश्चाताप होता है
9:16
पुनः गलती ना करने की कसम खाता हो और समाज में पुनः शामिल होकर सभ जीवन व्यतीत करना
9:22
चाहता हो तो इसे उसे एक मौका निश्चित रूप से देना चाहिए तो इन तर्कों के माध्यम से
9:29
देख कि राष्ट्रपति को जो क्षमादान की शक्ति दी गई है वह क्या है एकदम जायज है और सही है
9:42
कि इस पर न्यायालय का क्या रुक रहा है इस
10:02
क्या रहा तो न्यायालय के संदर्भ में देखते हैं कि केहर
10:07
सिंह बनाम भारत संघ में क्या केहर
10:23
बनाम भारत संघ वाद में
10:30
वाद यह 1987 में केस आया
10:36
था इसमें सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना था
10:41
इसमें सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन
10:54
को याची अर्थात जो प्रार्थना कर रहा हो कि हमें क्षमा कर दिया जाए उन्हें याची कहा
11:01
जाता है या याचक कहा जाता है याची
11:11
को स्वयं प्रस्तुत ना
11:38
याची को स्वयं प्रस्तुत ना
11:44
होकर लिखित आवेदन के माध्यम से
11:53
लिखित आवेदन के माध्यम से
12:01
माध्यम से याची को स्वयं प्रस्तुत ना होकर लिखित
12:09
आवेदन के माध्यम से क्षमादान मांगना
12:15
होगा क्षमादान मांगना
12:21
होगा दूसरा राष्ट्रपति इस पर कोई भी निर्णय
12:31
राष्ट्रपति इस पर कोई भी
12:45
निर्णय मंत्री परिषद की सलाह से मंत्री
12:54
परिषद की सलाह से मंत्री की सलाह अर्थात कानून मंत्रालय
13:08
मंत्रालय मंत्र पर परिषद की सलाह से
13:14
लेगा ठीक राष्ट्रपति इस पर कोई भी निर्णय स्वयं
13:20
ना लेकर इस पर क्या होगा मंत्री परिषद की सलाह को इसमें वह मानेंगे ठीक
13:42
राष्ट्रपति इस पर अपने विवेका
13:51
अनुसार अपने विवेका अनुसार
13:59
भी निर्णय ले सकते हैं निर्णय ले सकते
14:14
ही न्यायालय ने भले ही न्यायालय का रुख कुछ भी हो
14:30
इसमें हमने क्या देखा राष्ट्रपति इस पर कोई भी निर्णय ले सकते हैं या लेंगे लेकिन इसमें मंत्री परिषद की सलाह विशेष का
14:36
कानून मंत्रालय की सलाह सलाह क्या होगी कानून मंत्रालय इसमें सलाह देगा राष्ट्रपति अपने विवेक अनुसार निर्णय ले
14:42
सकते हैं अर्थात व न्यायालय से अलग रुख अपना सकते हैं फिर तत्पश्चात आगे देखते
14:49
हैं कि न्यायालय का इस पर यह रुख था इसके पश्चात कुछ राज्यों में राज्यपाल को भी
14:55
क्षमादान संबंधी शक्तियां है तो विशेषकर तमिलनाडु और हरियाणा ना में क्या हुआ कि
15:01
वहां पर अपराधियों को क्षमा करके छोड़ा जाने लगा क्या हुआ अपराधियों को क्षमा करके छोड़ा जाने लगा तो सुप्रीम कोर्ट ने
15:09
उस पर रोक लगाया सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया उस पर रोक लगाया और 2000 2006
15:16
में एक केस आया था जिस केस के तहत 2006
15:22
में एक केस आया था इस केस के तहत
15:43
प्रदेश आंध्र प्रदेश यह केस था इस केस में यह डिसीजन था कि राष्ट्रपति इस पर अगर कोई
15:51
निर्णय लेते राष्ट्रपति या राज्यपाल इस पर कोई क्षमादान संबंधी कोई निर्णय लेते हैं तो इसका न्यायिक पुनर्विलोकन हो सकता है
16:09
हो सकता है अर्थात न्यायिक समीक्षा हो सकती है न्यायिक पुनर्विलोकन हो सकता है कि
16:17
राष्ट्रपति या राज्यपाल ने जो निर्णय लिया है वह तर्क संगत है या नहीं किसका किस केस
16:23
में ईपुरु केस में ईपुरु बनाम आंध्र प्रदेश केस यह 2006 में आया चूंकि यह जो
16:29
न्यायिक पुनर्विलोकन का जो प्रावधान है 2006 के केस में दिया गया है अर्थात
16:35
न्यायालय यह जांच कर सकती है कि पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर क्या
16:41
राष्ट्रपति को सलाह तो नहीं दिया गया या राज्यपाल को सलाह तो नहीं दिया गया है तो
16:47
इसके कारण इसको न्याय पुनर्विलोकन के दायरे में लाया गया वतमा अब इसमें होना
16:53
क्या चाहिए अब तीसरा पॉइंट है इसमें होना क्या चाहिए
17:10
तो इसमें संवैधानिक जो प्रावधान किया गया है राष्ट्रपति को क्षमादान संबंधित
17:15
शक्तियां तो यहां पर देखते हैं कि दिनोंदिन
17:20
अपरा संगी अपराध बढ़ते जा रहे हैं आतंकवाद की घटनाएं बढ़ती जा रही है तो इसमें
17:26
राष्ट्रपति द्वारा जो निर्णय लिया जाए वह सोच समझ कर लिया जाए क्या सोच समझ कर लिया
17:33
जाए क्षमादान सभ समाज के लिए क्षमादान एक बहुत बड़ा नैतिक शिक्षा है क्या कि नैतिक
17:39
आधार भले ही हो लेकिन बढ़ती घटनाओं के चाहे वह संगे अपराध हो बलात्कार की घटना
17:46
हो आतंकवाद की घटना हो इसको ध्यान में रखते हुए क्षमादान की शक्तियों को
17:53
इंप्लीमेंट किया जाना चाहिए ठीक है सिर्फ एक तरफा नहीं कि हम क्षमा करते जा रहे हैं
17:59
कि सामने वाला व्यक्ति ने किस तरह का अपराध किया है क्या इसका अपराध क्षम है सब
18:05
समाज के लिए उस अनुसार मंत्रि परिषद को सलाह भी देनी चाहिए और राष्ट्रपति को उसी
18:11
अनुसार अपने या अपने विवेका अनुसार उसी तरह का निर्णय लेना चाहिए तो आपने यहां पर
18:16
क्या पढ़ा राष्ट्रपति के क्षमादान संबंधी शक्तियां और राष्ट्रपति के क्षमादान
18:21
संबंधी शक्तियों में हमने क्या देखा कि राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्तियां दी
18:27
गई है और इस शक्तियों का व प्रयोग भी करते हैं और इसके पश्चात न्यायालय का रुख क्या
18:33
रहा है कि यह बहुत अच्छी बात है लेकिन इसका न्यायिक समीक्षा हो सकती है न्यायिक
18:39
पुनर्विलोकन हो सकता है कि आखिर किस मंतव्य से किस इंटेंशन से वो क्षमा कर रहे
18:45
हैं और वर्तमान में होना क्या चाहिए तो समय परिस्थिति देखकर इसमें राष्ट्रपति का
18:52
निर्णय और मंत्रि परिषद द्वारा दिया गया सलाहकार वो देश हित में ही होना चाहिए ये
18:57
टॉपिक खत्म हो अब चलते हैं अगली दिशा में क्योंकि कल हम लोग चर्चा कर रहे
19:06
थे राष्ट्रपति की शक्तियों के बारे में राष्ट्रपति
19:14
की शक्ति के बारे में तो राष्ट्रपति की शक्ति के तहत हमने
19:20
दो तरह का एक शांति कालीन अधिकार की बात किया था
19:29
शांति कालीन अधिकार दूसरा आपातकालीन अधिकार
19:47
अधिकार हमने शांति कालीन अधिकार पर चर्चा कर ली है इस अधिकार पर हमने चर्चा कर ली
19:54
है आज हम आपातकालीन अधिकार के संदर्भ में च चचा करेंगे क्या करेंगे आपातकालीन
20:00
अधिकार के संदर्भ में चर्चा
20:08
करेंगे गुड इवनिंग गुड
20:14
इवनिंग आपातकालीन अधिकार के तहत देखते
20:21
हैं राष्ट्रपति को आर्टिकल 352 352 के तहत अधिकार है
20:32
356 के तहत अधिकार है और 360 के तहत अधिकार
20:40
है 352 के तहत क्या अधिकार है इसे राष्ट्रीय आपातकाल भी कहते हैं
20:56
आपातकाल 3566 के तहत राष्ट्रपति
21:07
शासन और 36 360 के तहत वित्तीय आपात की
21:13
चर्चा की गई है वित्तीय आपात की चर्चा की गई है तो हमने क्या देखा 352 के तहत
21:23
राष्ट्रीय आपात की चर्चा 356 के तहत राष्ट पति शासन और 360
21:31
के तहत वित्तीय आपातकाल की चर्चा की गई है अब हम एकएक करके इन तीनों आपात के बारे
21:37
में जानकारी लेंगे सबसे
21:45
पहले आर्टिकल 352 के बारे
21:53
में जब राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाए क्या जब राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाए
22:14
आक्रमण आक्रमण और सशस्त्र विद्रोह
22:29
सशस्त्र विद्रोह सशस्त्र विद्रोह 44 में संविधान संशोधन द्वारा
22:43
संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा
22:55
गया सशस्त्र विद्रोह से पहले क्या क्या जुड़ा हुआ था
23:05
आंतरिक संघर्ष क्या सशस्त्र विद्रोह की जगह पर आंतरिक
23:13
संघर्ष या आंतरिक अशांति आंतरिक
23:23
अशांति तो आर्टिकल 350 के तहत युद्ध बाह्य आक्रमण और सशस्त्र
23:29
विद्रोह राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति है तो वह राष्ट्रीय आपात
23:36
की घोषणा राष्ट्रीय आपात की घोषणा कर सकता
23:58
अर्थात राष्ट्रीय य व्यवहारिक रूप में राष्ट्रीय आपात की घोषणा करने का सलाह और
24:03
मसरा कौन देता है मंत्री परिषद कौन देता है मंत्री परिषद की सलाह से वह राष्ट्रीय
24:10
आपात की घोषणा कर सकता है अब राष्ट्रीय आपात की जब घोषणा कर देगा तो राष्ट्रीय
24:38
पश्चात के पश्चात दोनों सदनों
24:48
से दोनों सदनों से एक महीने के
24:54
अंदर एक महीने के दरमियान
25:02
अनुमोदन आवश्यक है क्या अनुमोदन आवश्यक
25:16
है और जब एक बार अनुमोदन हो गया तो यह छ महीने पर तक जारी रहेगा छ महीने तक जारी
25:26
रहेगा तक ज छ महीने के
25:32
पश्चात छ महीने के पश्चात लगातार जारी रहने के
25:37
लिए दोनों सदनों का पुनः अनुमोदन आवश्यक है दोनों सदनों
25:44
का पुनः अनुमोदन आवश्यक
25:51
है पुनः अनुमोदन इसको जारी रखने के लिए क्या है
25:56
दोनों सदनों का पुनः अनुमोदन क्या है आवश्यक
26:04
है अब देखते हैं कि राष्ट्रीय आपात की उद्घोषणा कर दी गई
26:12
हो उसी के साथ लोकसभा का कार्यकाल भी खत्म होने वाला हो तो उस स्थिति में क्या हो
26:18
सकता है लो जब राष्ट्रीय आपात की स्थिति लागू हो तो उस स्थिति में लोकसभा को
26:43
लिए एक वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है
26:53
आगे बढ़ाया जा सकता है
27:01
ठीक क्या इफेक्ट पड़ता है अब देखते हैं कि
27:07
राष्ट्रीय आपात की उद्घोषणा के पश्चात शासन व्यवस्था पर क्या असर पड़ता
27:15
है राष्ट्रीय उद्घोषणा के पश्चात
27:30
के पश्चात शासन पर क्या प्रभाव पड़ता
27:37
है शासन पर क्या प्रभाव पड़ता
27:48
है देखते हैं कि राष्ट्रीय उ घोषणा के पश्चात शासन पर क्या इफेक्ट पड़ता है सबसे
27:55
पहला राज्य की कार्यपालिका
28:06
कार्यपालिका केंद्रीय कार्यपालिका के तहत आ जाती है
28:14
केंद्रीय केंद्रीय कार्यपालिका के
28:27
है राज्य की विधायिका
28:32
की विधायिका केंद्रीय विधायिका के तहत आ जाती
28:49
है केंद्रीय विधायिका के
28:56
तहत आजा ठीक राज्य की कार्यपालिका केंद्रीय
29:03
कार्यपालिका के तहत आ जाती है साथ ही साथ राज्य की विधायिका केंद्रीय विधायिका के
29:08
तहत आ जाती है अर्थात जो भी विधायक शक्तियों के संदर्भ में है उस पर निर्णय
29:14
कौन लेगा केंद्रीय विधायिका लेगी अर्थात राज्य सूची के विषय में अगर कोई कानून
29:19
बनाना होगा तो कौन कानून बनाएगा वो केंद्रीय विधायक का कानून बनाएगी ना कि
29:25
राज्य के विधायक का कानून बनाएगी ठीक ये तो हो गया आपका कि राज्य की कार्यपालिका
29:31
शक्ति और विधायिका विधायिका शक्ति के संदर्भ
29:46
राष्ट्रपति राजस्व वितरण के संदर्भ
29:52
में वितरण के संदर्भ में
29:59
में कोई नया आदेश दे सकते हैं कोई नया
30:16
हैं यह तीन चीजें हुई लोकसभा की राष्ट्रीय उद्घोषणा के पश्चात शासन पर क्या इफेक्ट
30:22
पता है कार्यपालिका विधायिका या राजस्व संदर्भित अब देखते हैं कि हमा फंडामेंटल
30:28
राइट पर क्या इफेक्ट पड़ता है
30:40
राष्ट्रीय आपात का मूल अधिकार
30:50
पर मूल अधिकार पर क्या प्रभाव पड़ता है
31:10
है राष्ट्रीय आपात का मूल अधिकार पर क्या प्रभाव पड़ता है तो इसके तहत देखते हैं
31:17
सबसे पहले राष्ट्रीय आपात जब युद्ध या वा वाह आक्रमण के संदर्भ में हो तो हो सकता
31:23
है कि पूरा पूरे देश में राष्ट्रीय आपात ना लागू किया जाए मान लेते हैं कि जम्मू
31:29
कश्मीर पर अटैक होता है तो हम तमिलनाडु में राष्ट्रीय आपात की स्थिति घोषणा क्यों करेंगे अर्थात हो सकता है कि किसी क्षेत्र
31:36
विशेष में भी हो राष्ट्रीय आपात क्षेत्र विशेष में भी हो आंतरिक सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में हो
31:44
सकता है पूरे देश में एक साथ लागू हो लेकिन युद्ध या वाह्य आक्रमण की स्थिति में हो सकता है कि देश के किसी एक पार्ट
31:50
पर ही वह लागू हो जब राष्ट्रीय आपात जब लागू होता है तो मूल अधिकार पर इसका क्या
31:57
प्रभाव पड़ता है इस पर हम लोग अभी चर्चा
32:10
करेंगे युद्ध या वाह्य
32:19
आक्रमण वह आक्रमण की स्थिति
32:32
तहत आर्टिकल 19 क्या हो जाता है निलंबित हो जाता है निलंबित हो जाता
32:39
है कब युद्ध या वाह आक्रमण जब होगा तो उस दरमियान आर्टिकल 19 क्या हो जाएगा निलंबित
32:47
हो जाएगा लेकिन सशस्त्र
32:56
या संघर्ष की स्थिति में या आंतरिक
33:24
स् युद्ध या बाह आक्रमण के दरमियान आर्टिक निलंबित हो जाता है
33:29
लेकिन सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में सशस्त्र
33:38
विद्रोह की स्थिति में जब राष्ट्रीय आपात लागू किया जाएगा तो आर्टिकल 19 जारी रहेगा
33:46
आर्टिकल 19 निलंबित नहीं होगा
33:53
क्या निलंबित नहीं होगा
34:00
युद्ध या बाह आक्रमण की स्थिति में क्या होगा आर्टिकल 19 निलंबित हो जाएगा लेकिन
34:05
सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में आर्टिकल 19 निलंबित नहीं होगा यह उद्घोषणा आर्टिकल
34:12
358 के तहत की जाती है 358 के तहत ठीक
34:18
इसके पश्चात देखते हैं आर्टिकल 359
34:29
के तहत आर्टिक 20 और 21 को छोड़कर
34:35
20 और 21 को छोड़कर को छोड़कर
34:50
अधिकार निलंबित हो जाते हैं
34:57
जाते हैं अर्थात आप अपने फंडामेंटल राइट के तहत इसे इफोर्स कराने के लिए जो आपको
35:06
कोर्ट जाने का भी अधिकार है तो कोर्ट जाने का भी अधिकार नहीं रहता है न्यायालय जाने
35:12
का भी अधिकार न्यायालय जाने
35:32
तो हमने अभी राष्ट्रीय आपात के आपातकाल के संदर्भ में पढ़ा अब आते हैं आर्टिकल 356
35:45
356 यह किससे संदर्भित है यह राष्ट्रपति राज्यों
35:55
में राष्ट्रपति शासन से संबंधित है
36:01
राष्ट्रपति शासन से संबंधित
36:10
है आर्टिकल 356 किससे संदर्भित है तो राज्यों में राष्ट्रपति शासन से संबंधित
36:17
है आर्टिकल 356 क्या कहता है राष्ट्रपति
36:24
को को यह समाधान हो जाए को
36:37
जाए कि राज्य की संवैधानिक मशीनरी कि राज्य की
36:59
फेल हो गई तो राष्ट्रपति को यह समाधान कैसे होगा राष्ट्रपति को यह समाधान कैसे
37:05
होगा तो हो सक इसे राज्यपाल के प्रतिवेदन से भी हो सकता
37:10
है राज्यपाल के प्रतिवेदन
37:17
से या अन्य स्रोत से या अन्य स्रोत
37:25
से और राष्ट्रपति को यह लगता है कि राज्य का संवैधानिक मशीनरी फेल हो गया अर्थात
37:31
वहां पर शासन व्यवस्था वहां की जो सरकार है वह नहीं चला पा रही है क्या वहां की
37:37
वहां का शासन तंत्र वहां की राज्य सरकार नहीं चला पा रही है अर्थात वहां का संवैधानिक मशीनरी फेल हो गया हो इस स्थिति
37:45
में वहां पर राष्ट्रपति शासन लग सकता है नहीं तो आर्टिकल 365 के
37:53
तहत आर्टिकल 365 के तहत
38:11
राज मानने से इंकार कर दे राज मानने से क्या कर दे इनकार कर
38:20
दे तो ऐसी स्थिति में
38:30
तो ऐसी स्थिति में क्या राष्ट्रपति
38:51
है ठीक या संवैधानिक मशीनरी के फेल होने
38:56
पर या केंद्र का निर्देश मानने से राज्य इंकार कर दे तो ऐसी परिस्थिति में क्या है
39:02
कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता इन परिस्थितियों में शासन तंत्र पर
39:08
क्या इफेक्ट पड़ता है 300
39:14
आर्टिकल 356 के क्रियान्वयन
39:21
पर पर राज्य पर क्या प्रभाव पड़ता है
39:39
है आर्टिकल 356 के क्रिया बन पर राज्य पर क्या प्रभाव पड़ता है आप लोग इसका जवाब
39:46
चैट के माध्यम से दे सकते हैं आप लोग जवाब भी दीजिए निश्चित रूप से आप लोग का हम जवाब पढ़ेंगे
40:16
आर्टिकल 356 के तहत जब राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है तो राष्ट्रीय आपातकाल में
40:22
दोनों सदनों द्वारा एक महीने के तहत एक महीने के अंदर अनुमोदन आवश्यक है इसमें
40:27
कितना है दो महीना दो महीने
40:40
द्वारा द्वारा साधारण बहुमत
40:57
अनुमोदन आवश्यक है आवश्यक
41:06
है जब एक बार राष्ट्रपति शासन लग जाता है तो वह छ महीने के लिए रहता
41:15
है और छछ महीने तक करके अधिकतम तीन वर्षों
41:41
शासन लगा सकते हैं अगर तीन वर्ष से ज्यादा होगा तो
41:48
संविधान संशोधन करना पड़ेगा क्या अगर तीन वर्ष से ज्यादा जारी रखना होगा तो क्या करना होगा संविधान संशोधन करना होगा इसके
41:56
पश्चात देखते कि आर्टिकल 356 जब इंप्लीमेंट होता है तो
42:02
राज्य के सारे कृत राज्य के राज्य सरकार
42:12
के सारे कृत केंद्र सरकार के अधीन आ जाता है
42:33
है और राज्य की विधायिका
42:40
विधायिका संसद के अधीन आ जाती है संसद के
43:00
अभी तक कितना बार के देश में राष्ट्रपति शासन तो बहुत सारे राज्यों
43:06
में बहुतों बार लगाया गया राष्ट्रीय आपातकाल कब लगाया गया राष्ट्रीय
43:18
आपातकाल तीन बार लगाया गया है 1962 में
43:23
भारत चीन युद्ध के दरमियान
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युद्ध और 1975 में आंतरिक अशांति के नाम
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पर अशांति के नाम पर तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया है आज तक भारत में
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वित्तीय पात काल नहीं लागू हुआ है आज
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आपातकाल लागू नहीं हुआ है लागू नहीं
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हुआ य राष्ट्रपति के आपातकालीन संबंधी अधिकार है क्या है यह राष्ट्रपति के
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आपातकालीन संबंधी अधिकार है अब बढ़ते
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स्टम है या नहीं ठीक राष्ट्रपति रबर स्टांप है या
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नहीं भारत में संसदीय शासन प्रणाली अपनाई
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शासन प्रणाली अपनाई गई है
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और संसदीय प्रणाली के तहत
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राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होता है संवैधानिक
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प्रमुख होता है अब इसमें देखते
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हैं कि रबर स्टांप है
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रबर स्टांप है इसके तहत रबर स्टांप है इसके तहत हम
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किन बातों की चर्चा कर सकते हैं कि ऐसी कौन सी परिस्थितियां है जिससे राष्ट्रपति को रबर स्टांप बोला जाता
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नियुक्ति मंत्रि परिषद की
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नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री एवं मंत्र परिषद की नियुक्ति करता है तो प्रधानमंत्री उ उन्हीं को नियुक्त करता है
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जो लोकसभा में बहुमत प्राप्त पार्टी के जो नेता होते हैं
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जो मेजॉरिटी के नेता होते हैं उनको उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है और
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उनकी सलाह से मंत्र परिषद के अन्य सदस्यों की नियुक्ति होती है अर्थात यहां पर
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राष्ट्रपति का मनमानी नहीं चलता है अर्थात राष्ट्रपति को जो सलाह दिया जाता है उस
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सलाह के अनुसार राष्ट्रपति को कार्य करना पड़ता है तो सबसे पहला है कि मंत्री परि
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प्रधानमंत्री एवं मंत्री परिषद की नियुक्ति ठीक
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संवैधानिक विवेकाधिकार का
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तीसरा धन विधेयक और संविधान संशोधन विधेयक के अलावा अन्य विधेयक उनके पास अगर जाता
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है तो राष् ति मैक्सिमम क्या कर सकता है उसे पुनर्विचार के लिए वापस लौटा सकता है
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अगर संसद उसे हुबहू पुनः राष्ट्रपति के पास भेजती है तो पुनर्विचार तो उसे
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राष्ट्रपति को क्या होता है उस पर साइन करना होता है पुनर्विचार के
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पश्चात के पश्चात भेजे गए विधेयक पर
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है ठीक यह रबर स्टांप है अर्थात राष्ट्रपति को जो कहा गया है वह सुनना
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पड़ा अब है कि रबर स्टांप नहीं है रबर स्टांप
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है रबर स्टांप नहीं है अब अगर किसी पार्टी को मेजॉरिटी नहीं मिली है त्रिशंकु संसद
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अगर बना है त्रिशंकु संसद की स्थिति में किसी
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पार्टी को मेजॉरिटी नहीं मिला तो वहां पर वह अपना विवेक का प्रयोग कर सकता है क्या
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वह अपना विवेक अर्थात किसी प किसी को पहले बुलाकर उसे मौका सरकार बनाने का मौका दे
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सकता है क्या त्रिस त्रिस को संसद की स्थिति में अल्पमत वाली
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सरकार त्रिशंकु संसद अल्पमत वाली सरकार अल्पमत माली सरकार में अगर कोई विधेयक
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उसके पास साइन होने के लिए जाता है तो वह गाइड कर सकता है क्यों यहां पर कहा जाता
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है कि प्रेसिडेंशियल एक्टिविज्म अर्थात जैसे पिछले च जब प्रणव मुखर्जी जब
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राष्ट्रपति थे तो उस दमन बार-बार क्या होता था कि अध्यादेश जारी किया जा रहा था
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तो राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि यह लोकतंत्र का गला घोटना हुआ कि आप बिना
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विचार किए बार-बार अध्यादेश ला रहे हैं अर्थात यहां पर प्रेसिडेंशियल एक्टिविज्म
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हुआ अर्थात वहां पर जो प्रेसिडेंट तेज तरार होते हैं वहां पर वो क्या करते हैं एक्टिव हो जाते हैं तो त्रिशंकु संसद अगर
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बन जाता वहां पर राष्ट्रपति का विशेष पावर मिल जाता है ठीक अल्पमत सरकार में पॉकेट
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पॉकेट पॉकेट बटो का प्रयोग करके क्या पॉकेट बटो का प्रयोग करके इसके
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साथ ही साथ प्रधानमंत्री की मृत्यु के पश्चात
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एकाय एक मान लेते हैं प्रधानमंत्री की मृत्यु हो जाती
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है प्रधानमंत्री की मृत्यु के
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स्थिति ठीक तो इन सारी परिस्थितियों में क्या है वह रबर स्टांप नहीं अर्थात अपने
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स्वविवेक का भी प्रयोग कर सकता है एक जगह हमने क्या देखा कि उससे सलाह मानना बा
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अधिकारी होता है और कभी-कभी क्या होता है विशेष परिस्थितियों में उसे अपना एक्टिविज्म दिखाना पड़ता है अब संवैधानिक
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स्थिति क्या है संवैधानिक
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स्थिति संवैधानिक स्थिति में मान्य उच्चतम न्यायालय द्वारा कहा गया
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है क्या कि भारत संसदीय प्रणाली है भारत में क्या है संसदीय प्रणाली
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है दूसरा राष्ट्रपति नाम मात्र का प्रधान
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है प्रधान है वास्तविक
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शक्तियां शक्तियां मंत्र परिषद में निहित
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है निहित है अर्थात राष्ट्रपति क्या है संवैधानिक
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प्रधान है भारत का संवैधानिक प्रधान
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है इस तरीके से हम क्या देखते हैं कि भारत का राष्ट्रपति
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राष्ट्रपति अमेरिकन राष्ट्रपति से कुछ
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और ब्रिटेन के राजा से कुछ अधिक है ब्रिटेन के राजा
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अब ब्रिटेन के राजा को पुनर्विचार के विधेयक को पुनर्विचार के लिए वापस करने का हक और अधिकार नहीं है लेकिन हमारे
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राष्ट्रपति को है तो इस तरह से देखते हैं कि संवैधानिक रूप से जो प्रावधान है वह
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हमारे संवैधानिक अध्यक्ष संविधानिक संवैधानिक रूप से प्रधान है वास्तविक
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शक्तियां मंत्रि परिषद में निहित है और हमारे जो राष्ट्रपति हैं अमेरिकन राष्ट्रपति से कुछ कुछ कम और ब्रिटेन के
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राजा से कुछ अधिक है तो आज हमारा राष्ट्रपति टॉपिक खम हो गया नेक्स्ट डे एक
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नए टॉपिक के साथ आपके समक्ष उपस्थित होंगे तब तक के लिए नमस्कार जय हिंद जय