President of India, How Election of President Conduct in India | Election Process Part-2
Nov 12, 2024
Part -2 : The President of India, recognized legitimately as the president of the Republic of India, is the head of state of the Republic of India. The president is the titular head of the executive, plus the commander-in-chief of the Indian Armed Forces.
The president’s office was created after India developed into a republic on 26 January 1950, when its constitution was implemented. The president is elected indirectly via an electoral college encompassing both houses of the Parliament of India and the legislative assemblies of every Indian state and territory, who are all directly elected.
president of india list
president of india 2024
president of india in hindi
president of india list from 1947 to 2020
president of india salary
president of india twitter
president of india 2023
president of india list from 1947 to 2024
president of india 2022
president of india election
president of india before draupadi murmu
president of india portfolio
president of india email id
president of india list from 1947 to 2020 pdf
president of indian olympic association
president of india all
Show More Show Less View Video Transcript
0:00
ले रहे
0:09
हैं नमस्कार दोस्तों परीक्षा जंक्शन
0:30
अभी द एक्जीक्यूटिव में चल रहे अर्थात राष्ट्रपति नाम राष्ट्रपति टॉपिक अभी चल रहा है और राष्ट्रपति की क्या कौन से
0:37
कार्य एवं अधिकार हैं तो उस पर हम लोग अभी चर्चा कर रहे हैं आज हम लोग उसी पर चर्चा
0:42
करेंगे राष्ट्रपति की क्षम संबंधित शक्तियों के बारे में कि आखिर राष्ट्रपति को क्षमादान संबंधी शक्तियां क्यों दी गई
0:50
आइए चलते हैं देखते हैं
1:05
आर्टिकल 72 के तहत राष्ट्रपति
1:13
को क्षमादान संबंधी शक्तियां दी गई राष्ट्रपति
1:21
को क्षमादान
1:26
संबंधित शक्तियां दी गई
1:40
शक्तियां दी गई इसके तहत हम देखते
1:48
हैं कि इसे तीन पोर्शन में हम तोड़ते हैं कि आखिर क्यों राष्ट्रपति को क्षमादान
1:55
की शक्तियां दी गई आखिर
2:04
क्यों आखिर क्यों राष्ट्रपति को क्षमादान संबंधी शक्तियां दी गई दूसरा इस पर
2:11
न्यायालय का क्या रुक रहा है इस
2:17
पर न्यायालय का
2:22
रुख इस पर न्यायालय का क्या रुक रहा है न्यायालय के इस पर क्या विचार रहे क्या सोच रहे हैं और समान्य क्या होना चाहिए
2:33
और सामान्यत क्या होना
2:47
चाहिए अब आइए एक एक करके हम इन राष्ट्रपति की क्षमादान संबंधित शक्तियों को हमने तीन
2:54
पोर्शन में तोड़ लिया अब एकएक करके इन चीजों की चर्चा करेंगे कि आखिर राष्ट्रपति
3:00
को क्षमादान संबंधित शक्तियां दी गई तो उनके संबंध में क्यों दी गई उस पर न्यायालय का क्या रुख है और समानता क्या
3:07
होना चाहिए तो सबसे पहले हम आखिर क्यों इस पर चर्चा करते
3:14
हैं गलती करना मानवीय स्वभाव होता है क्या गलती करना मानवीय स्वभाव होता है और
3:23
मानवीय गलती करना मानवीय स्वभाव है तो किसी केस के संदर्भ में किसी केस के
3:30
संदर्भ में जब न्यायालय उनके विचार को सुनता है या
3:35
न्यायिक कारवाही होती है तो इसमें कौन भाग लेते हैं न्यायाधीश भाग लेते
3:41
हैं और न्यायाधीश भी कौन होते हैं न्यायाधीश भी एक मानव ही क्या है
3:47
न्यायाधीश भी एक मानव ही है दूसरी तरह जब केस ट्रायल में होता है और ट्रायल
3:54
से पहले जब जांच अधिकारी इसकी जांच करते हैं तो जांच अधिकारी भी कौन होते हैं
4:04
जांच अधिकारी भी मानव होते
4:10
हैं अब कहना यह है कि गलती करना मानवीय स्वभाव है हर एक इंसान से गलती होती है और
4:19
न्यायाधीश भी इन चीजों से परे नहीं है उनसे भी गलती हो सकती है क्योंकि वह भी
4:24
मानव है जांच अधिकारी भी गलती कर सकते हैं क्योंकि कि वो भी मानव है जब जांच अधिकारी
4:34
ने हो सकता है कि जांच अधिकारी ने जांच किया हो और उनसे कोई मानवीय भूल के कारण
4:40
केस अलग दिशा में चली गई हो और किसी व्यक्ति को इससे दंडित कर दिया गया हो अर्थात जांच अधिकारी
4:47
के क्या जांच अधिकारी के सिर्फ एक गलत डिसीजन के कारण उसे भूल के कारण क्या हुआ
4:54
इस केस अलग दिशा में चला गया और चूंकि न्यायाधीश के समक्ष जो
5:00
भी स्रोत आए क्योंकि वह तथ्यों पर ध्यान देकर अपना निर्णय सुनाते हैं तो जांच
5:06
अधिकारी ने क्या किया भूल के कारण गलत तथ्य प्रोस दिया गलत तथ्य प्रस्तुत किया
5:12
इस कारण व्यक्ति को दंडित कर दिया गया और दंडित कर दिए जाने के
5:17
पश्चात उस भूल का सुधार कैसे किया जाए क्या दंडित किए जाने के पश्चात उस भूल का
5:25
सुधार कैसे किया जाए तो इस भूल सुधार के लिए चाहे वह जांच
5:31
अधिकारी से भूल हुई हो या न्यायाधीश से भूल हुई हो तो भूल को स्वीकार करने के लिए
5:37
भूल को भूल हुई भूल को सुधारने के लिए सबसे पहला क्षमादान संबंधित शक्ति यहां पर
5:46
कारगर होगी क्षमादान कारगर होगी अर्थात जिस
5:51
व्यक्ति ने गलती नहीं किया उसे गलती की सजा क्यों मिले अर्थात इससे सुधारने का
5:57
मौका मिलता है क्या अपनी भूल को सिस्टम को अपनी भूल को सुधारने का मौका मिलता है
6:03
क्या होता है सिस्टम को व्यवस्था
6:08
को को अपनी
6:16
भूल सुधारने का मौका मिलता
6:22
है का मौका मिलता है
6:31
क्या देखें कि मानवीय भूल के कारण गलत डिसीजन हो गया तो उस मानवीय भूल को यहां
6:37
पर क्या किया जा रहा है क्षमादान करके अर्थात उसे सुधारा जा सकता है
6:47
दूसरा क्षमा करना क्षमा
6:56
करना मानवीय सभ्यता का मानवीय सभ्यता
7:06
का मानवीय सभ्यता का उच्चतम अभिव्यक्ति है क्या है उच्चतम
7:16
अभिव्यक्ति है
7:23
तीसरा अगर किसी व्यक्ति ने गलती की कर लिया हो और गलती के पास उसे पश्चात ताप हो
7:29
रहा हो और फिर पुनः गलती ना करने की कसम खा रहा हो किसी व्यक्ति ने गलती कर लिया
7:35
हो और इस बात का उसे क्या हो रहा हो पश्चाताप हो रहा हो फिर जीवन में गलती ना
7:40
करें और वह व्यवस्था में पुनः समाहित हो जाए तो उसे भी एक मौका देता
7:49
है
7:56
पुनः पश्चाताप के पश्चात
8:05
पश्चात पुनः
8:13
गलती ना करने
8:19
और समाहित समाज
8:24
में पुनः समाहित होकर पुनः समाज में पुनः शामिल
8:33
होकर होकर सब जीवन जीने के
8:40
लिए स
8:45
जीवन जीने के
8:51
लिए प्रेरित करता है क्या करता है प्रेरित करता
8:58
है और देखते हैं कि महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता
9:04
महात्मा गांधी ने इस संदर्भ में क्या कहा था अपराध से घ घरना करो अपराधी से नहीं
9:10
क्या अपराध से घरना करो अपराधी से नहीं अर्थात अगर अपराधी को पश्चाताप होता है
9:16
पुनः गलती ना करने की कसम खाता हो और समाज में पुनः शामिल होकर सभ जीवन व्यतीत करना
9:22
चाहता हो तो इसे उसे एक मौका निश्चित रूप से देना चाहिए तो इन तर्कों के माध्यम से
9:29
देख कि राष्ट्रपति को जो क्षमादान की शक्ति दी गई है वह क्या है एकदम जायज है और सही है
9:36
अब दूसरी तरफ आते हैं
9:42
कि इस पर न्यायालय का क्या रुक रहा है इस
9:49
पर न्यायालय का
9:55
रुख क्या रहा
10:02
क्या रहा तो न्यायालय के संदर्भ में देखते हैं कि केहर
10:07
सिंह बनाम भारत संघ में क्या केहर
10:15
सिंह केहर सिंह
10:23
बनाम भारत संघ वाद में
10:30
वाद यह 1987 में केस आया
10:36
था इसमें सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना था
10:41
इसमें सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन
10:49
था क्या था याची
10:54
को याची अर्थात जो प्रार्थना कर रहा हो कि हमें क्षमा कर दिया जाए उन्हें याची कहा
11:01
जाता है या याचक कहा जाता है याची
11:11
को स्वयं प्रस्तुत ना
11:17
होकर स्वयं प्रस्तुत
11:38
याची को स्वयं प्रस्तुत ना
11:44
होकर लिखित आवेदन के माध्यम से
11:53
लिखित आवेदन के माध्यम से
12:01
माध्यम से याची को स्वयं प्रस्तुत ना होकर लिखित
12:09
आवेदन के माध्यम से क्षमादान मांगना
12:15
होगा क्षमादान मांगना
12:21
होगा दूसरा राष्ट्रपति इस पर कोई भी निर्णय
12:31
राष्ट्रपति इस पर कोई भी
12:39
निर्णय कोई भी
12:45
निर्णय मंत्री परिषद की सलाह से मंत्री
12:54
परिषद की सलाह से मंत्री की सलाह अर्थात कानून मंत्रालय
13:01
की सलाह कानून
13:08
मंत्रालय मंत्र पर परिषद की सलाह से
13:14
लेगा ठीक राष्ट्रपति इस पर कोई भी निर्णय स्वयं
13:20
ना लेकर इस पर क्या होगा मंत्री परिषद की सलाह को इसमें वह मानेंगे ठीक
13:35
तीसरा
13:42
राष्ट्रपति इस पर अपने विवेका
13:51
अनुसार अपने विवेका अनुसार
13:59
भी निर्णय ले सकते हैं निर्णय ले सकते
14:09
हैं भले
14:14
ही न्यायालय ने भले ही न्यायालय का रुख कुछ भी हो
14:23
रुख कुछ भी हो
14:30
इसमें हमने क्या देखा राष्ट्रपति इस पर कोई भी निर्णय ले सकते हैं या लेंगे लेकिन इसमें मंत्री परिषद की सलाह विशेष का
14:36
कानून मंत्रालय की सलाह सलाह क्या होगी कानून मंत्रालय इसमें सलाह देगा राष्ट्रपति अपने विवेक अनुसार निर्णय ले
14:42
सकते हैं अर्थात व न्यायालय से अलग रुख अपना सकते हैं फिर तत्पश्चात आगे देखते
14:49
हैं कि न्यायालय का इस पर यह रुख था इसके पश्चात कुछ राज्यों में राज्यपाल को भी
14:55
क्षमादान संबंधी शक्तियां है तो विशेषकर तमिलनाडु और हरियाणा ना में क्या हुआ कि
15:01
वहां पर अपराधियों को क्षमा करके छोड़ा जाने लगा क्या हुआ अपराधियों को क्षमा करके छोड़ा जाने लगा तो सुप्रीम कोर्ट ने
15:09
उस पर रोक लगाया सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया उस पर रोक लगाया और 2000 2006
15:16
में एक केस आया था जिस केस के तहत 2006
15:22
में एक केस आया था इस केस के तहत
15:30
इपर बनाम इप
15:38
बनाम आंध्र
15:43
प्रदेश आंध्र प्रदेश यह केस था इस केस में यह डिसीजन था कि राष्ट्रपति इस पर अगर कोई
15:51
निर्णय लेते राष्ट्रपति या राज्यपाल इस पर कोई क्षमादान संबंधी कोई निर्णय लेते हैं तो इसका न्यायिक पुनर्विलोकन हो सकता है
16:03
न्यायिक पुनर्विलोकन
16:09
हो सकता है अर्थात न्यायिक समीक्षा हो सकती है न्यायिक पुनर्विलोकन हो सकता है कि
16:17
राष्ट्रपति या राज्यपाल ने जो निर्णय लिया है वह तर्क संगत है या नहीं किसका किस केस
16:23
में ईपुरु केस में ईपुरु बनाम आंध्र प्रदेश केस यह 2006 में आया चूंकि यह जो
16:29
न्यायिक पुनर्विलोकन का जो प्रावधान है 2006 के केस में दिया गया है अर्थात
16:35
न्यायालय यह जांच कर सकती है कि पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर क्या
16:41
राष्ट्रपति को सलाह तो नहीं दिया गया या राज्यपाल को सलाह तो नहीं दिया गया है तो
16:47
इसके कारण इसको न्याय पुनर्विलोकन के दायरे में लाया गया वतमा अब इसमें होना
16:53
क्या चाहिए अब तीसरा पॉइंट है इसमें होना क्या चाहिए
17:10
तो इसमें संवैधानिक जो प्रावधान किया गया है राष्ट्रपति को क्षमादान संबंधित
17:15
शक्तियां तो यहां पर देखते हैं कि दिनोंदिन
17:20
अपरा संगी अपराध बढ़ते जा रहे हैं आतंकवाद की घटनाएं बढ़ती जा रही है तो इसमें
17:26
राष्ट्रपति द्वारा जो निर्णय लिया जाए वह सोच समझ कर लिया जाए क्या सोच समझ कर लिया
17:33
जाए क्षमादान सभ समाज के लिए क्षमादान एक बहुत बड़ा नैतिक शिक्षा है क्या कि नैतिक
17:39
आधार भले ही हो लेकिन बढ़ती घटनाओं के चाहे वह संगे अपराध हो बलात्कार की घटना
17:46
हो आतंकवाद की घटना हो इसको ध्यान में रखते हुए क्षमादान की शक्तियों को
17:53
इंप्लीमेंट किया जाना चाहिए ठीक है सिर्फ एक तरफा नहीं कि हम क्षमा करते जा रहे हैं
17:59
कि सामने वाला व्यक्ति ने किस तरह का अपराध किया है क्या इसका अपराध क्षम है सब
18:05
समाज के लिए उस अनुसार मंत्रि परिषद को सलाह भी देनी चाहिए और राष्ट्रपति को उसी
18:11
अनुसार अपने या अपने विवेका अनुसार उसी तरह का निर्णय लेना चाहिए तो आपने यहां पर
18:16
क्या पढ़ा राष्ट्रपति के क्षमादान संबंधी शक्तियां और राष्ट्रपति के क्षमादान
18:21
संबंधी शक्तियों में हमने क्या देखा कि राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्तियां दी
18:27
गई है और इस शक्तियों का व प्रयोग भी करते हैं और इसके पश्चात न्यायालय का रुख क्या
18:33
रहा है कि यह बहुत अच्छी बात है लेकिन इसका न्यायिक समीक्षा हो सकती है न्यायिक
18:39
पुनर्विलोकन हो सकता है कि आखिर किस मंतव्य से किस इंटेंशन से वो क्षमा कर रहे
18:45
हैं और वर्तमान में होना क्या चाहिए तो समय परिस्थिति देखकर इसमें राष्ट्रपति का
18:52
निर्णय और मंत्रि परिषद द्वारा दिया गया सलाहकार वो देश हित में ही होना चाहिए ये
18:57
टॉपिक खत्म हो अब चलते हैं अगली दिशा में क्योंकि कल हम लोग चर्चा कर रहे
19:06
थे राष्ट्रपति की शक्तियों के बारे में राष्ट्रपति
19:14
की शक्ति के बारे में तो राष्ट्रपति की शक्ति के तहत हमने
19:20
दो तरह का एक शांति कालीन अधिकार की बात किया था
19:29
शांति कालीन अधिकार दूसरा आपातकालीन अधिकार
19:37
क्या आपातकालीन
19:47
अधिकार हमने शांति कालीन अधिकार पर चर्चा कर ली है इस अधिकार पर हमने चर्चा कर ली
19:54
है आज हम आपातकालीन अधिकार के संदर्भ में च चचा करेंगे क्या करेंगे आपातकालीन
20:00
अधिकार के संदर्भ में चर्चा
20:08
करेंगे गुड इवनिंग गुड
20:14
इवनिंग आपातकालीन अधिकार के तहत देखते
20:21
हैं राष्ट्रपति को आर्टिकल 352 352 के तहत अधिकार है
20:32
356 के तहत अधिकार है और 360 के तहत अधिकार
20:40
है 352 के तहत क्या अधिकार है इसे राष्ट्रीय आपातकाल भी कहते हैं
20:49
राष्ट्रीय
20:56
आपातकाल 3566 के तहत राष्ट्रपति
21:07
शासन और 36 360 के तहत वित्तीय आपात की
21:13
चर्चा की गई है वित्तीय आपात की चर्चा की गई है तो हमने क्या देखा 352 के तहत
21:23
राष्ट्रीय आपात की चर्चा 356 के तहत राष्ट पति शासन और 360
21:31
के तहत वित्तीय आपातकाल की चर्चा की गई है अब हम एकएक करके इन तीनों आपात के बारे
21:37
में जानकारी लेंगे सबसे
21:45
पहले आर्टिकल 352 के बारे
21:53
में जब राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाए क्या जब राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाए
22:03
कि युद्ध वाह
22:14
आक्रमण आक्रमण और सशस्त्र विद्रोह
22:29
सशस्त्र विद्रोह सशस्त्र विद्रोह 44 में संविधान संशोधन द्वारा
22:35
जोड़ा गया 44 में
22:43
संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा
22:55
गया सशस्त्र विद्रोह से पहले क्या क्या जुड़ा हुआ था
23:05
आंतरिक संघर्ष क्या सशस्त्र विद्रोह की जगह पर आंतरिक
23:13
संघर्ष या आंतरिक अशांति आंतरिक
23:23
अशांति तो आर्टिकल 350 के तहत युद्ध बाह्य आक्रमण और सशस्त्र
23:29
विद्रोह राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति है तो वह राष्ट्रीय आपात
23:36
की घोषणा राष्ट्रीय आपात की घोषणा कर सकता
23:46
है की
23:52
घोषणा कर सकता है
23:58
अर्थात राष्ट्रीय य व्यवहारिक रूप में राष्ट्रीय आपात की घोषणा करने का सलाह और
24:03
मसरा कौन देता है मंत्री परिषद कौन देता है मंत्री परिषद की सलाह से वह राष्ट्रीय
24:10
आपात की घोषणा कर सकता है अब राष्ट्रीय आपात की जब घोषणा कर देगा तो राष्ट्रीय
24:17
आपात की घोषणा के
24:23
पश्चात राष्ट्रीय
24:29
आपात की घोषणा के
24:38
पश्चात के पश्चात दोनों सदनों
24:48
से दोनों सदनों से एक महीने के
24:54
अंदर एक महीने के दरमियान
25:02
अनुमोदन आवश्यक है क्या अनुमोदन आवश्यक
25:16
है और जब एक बार अनुमोदन हो गया तो यह छ महीने पर तक जारी रहेगा छ महीने तक जारी
25:26
रहेगा तक ज छ महीने के
25:32
पश्चात छ महीने के पश्चात लगातार जारी रहने के
25:37
लिए दोनों सदनों का पुनः अनुमोदन आवश्यक है दोनों सदनों
25:44
का पुनः अनुमोदन आवश्यक
25:51
है पुनः अनुमोदन इसको जारी रखने के लिए क्या है
25:56
दोनों सदनों का पुनः अनुमोदन क्या है आवश्यक
26:04
है अब देखते हैं कि राष्ट्रीय आपात की उद्घोषणा कर दी गई
26:12
हो उसी के साथ लोकसभा का कार्यकाल भी खत्म होने वाला हो तो उस स्थिति में क्या हो
26:18
सकता है लो जब राष्ट्रीय आपात की स्थिति लागू हो तो उस स्थिति में लोकसभा को
26:29
लोकसभा को के समय
26:37
को एक वर्ष के
26:43
लिए एक वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है
26:53
आगे बढ़ाया जा सकता है
27:01
ठीक क्या इफेक्ट पड़ता है अब देखते हैं कि
27:07
राष्ट्रीय आपात की उद्घोषणा के पश्चात शासन व्यवस्था पर क्या असर पड़ता
27:15
है राष्ट्रीय उद्घोषणा के पश्चात
27:30
के पश्चात शासन पर क्या प्रभाव पड़ता
27:37
है शासन पर क्या प्रभाव पड़ता
27:48
है देखते हैं कि राष्ट्रीय उ घोषणा के पश्चात शासन पर क्या इफेक्ट पड़ता है सबसे
27:55
पहला राज्य की कार्यपालिका
28:00
की
28:06
कार्यपालिका केंद्रीय कार्यपालिका के तहत आ जाती है
28:14
केंद्रीय केंद्रीय कार्यपालिका के
28:21
तहत आ जाती
28:27
है राज्य की विधायिका
28:32
की विधायिका केंद्रीय विधायिका के तहत आ जाती
28:49
है केंद्रीय विधायिका के
28:56
तहत आजा ठीक राज्य की कार्यपालिका केंद्रीय
29:03
कार्यपालिका के तहत आ जाती है साथ ही साथ राज्य की विधायिका केंद्रीय विधायिका के
29:08
तहत आ जाती है अर्थात जो भी विधायक शक्तियों के संदर्भ में है उस पर निर्णय
29:14
कौन लेगा केंद्रीय विधायिका लेगी अर्थात राज्य सूची के विषय में अगर कोई कानून
29:19
बनाना होगा तो कौन कानून बनाएगा वो केंद्रीय विधायक का कानून बनाएगी ना कि
29:25
राज्य के विधायक का कानून बनाएगी ठीक ये तो हो गया आपका कि राज्य की कार्यपालिका
29:31
शक्ति और विधायिका विधायिका शक्ति के संदर्भ
29:38
में तीसरा
29:46
राष्ट्रपति राजस्व वितरण के संदर्भ
29:52
में वितरण के संदर्भ में
29:59
में कोई नया आदेश दे सकते हैं कोई नया
30:09
आदेश दे सकते
30:16
हैं यह तीन चीजें हुई लोकसभा की राष्ट्रीय उद्घोषणा के पश्चात शासन पर क्या इफेक्ट
30:22
पता है कार्यपालिका विधायिका या राजस्व संदर्भित अब देखते हैं कि हमा फंडामेंटल
30:28
राइट पर क्या इफेक्ट पड़ता है
30:40
राष्ट्रीय आपात का मूल अधिकार
30:50
पर मूल अधिकार पर क्या प्रभाव पड़ता है
31:00
क्या प्रभाव पड़ता
31:10
है राष्ट्रीय आपात का मूल अधिकार पर क्या प्रभाव पड़ता है तो इसके तहत देखते हैं
31:17
सबसे पहले राष्ट्रीय आपात जब युद्ध या वा वाह आक्रमण के संदर्भ में हो तो हो सकता
31:23
है कि पूरा पूरे देश में राष्ट्रीय आपात ना लागू किया जाए मान लेते हैं कि जम्मू
31:29
कश्मीर पर अटैक होता है तो हम तमिलनाडु में राष्ट्रीय आपात की स्थिति घोषणा क्यों करेंगे अर्थात हो सकता है कि किसी क्षेत्र
31:36
विशेष में भी हो राष्ट्रीय आपात क्षेत्र विशेष में भी हो आंतरिक सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में हो
31:44
सकता है पूरे देश में एक साथ लागू हो लेकिन युद्ध या वाह्य आक्रमण की स्थिति में हो सकता है कि देश के किसी एक पार्ट
31:50
पर ही वह लागू हो जब राष्ट्रीय आपात जब लागू होता है तो मूल अधिकार पर इसका क्या
31:57
प्रभाव पड़ता है इस पर हम लोग अभी चर्चा
32:10
करेंगे युद्ध या वाह्य
32:19
आक्रमण वह आक्रमण की स्थिति
32:25
में आर्टिकल 19 के
32:32
तहत आर्टिकल 19 क्या हो जाता है निलंबित हो जाता है निलंबित हो जाता
32:39
है कब युद्ध या वाह आक्रमण जब होगा तो उस दरमियान आर्टिकल 19 क्या हो जाएगा निलंबित
32:47
हो जाएगा लेकिन सशस्त्र
32:56
या संघर्ष की स्थिति में या आंतरिक
33:06
अशांति
33:24
स् युद्ध या बाह आक्रमण के दरमियान आर्टिक निलंबित हो जाता है
33:29
लेकिन सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में सशस्त्र
33:38
विद्रोह की स्थिति में जब राष्ट्रीय आपात लागू किया जाएगा तो आर्टिकल 19 जारी रहेगा
33:46
आर्टिकल 19 निलंबित नहीं होगा
33:53
क्या निलंबित नहीं होगा
34:00
युद्ध या बाह आक्रमण की स्थिति में क्या होगा आर्टिकल 19 निलंबित हो जाएगा लेकिन
34:05
सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में आर्टिकल 19 निलंबित नहीं होगा यह उद्घोषणा आर्टिकल
34:12
358 के तहत की जाती है 358 के तहत ठीक
34:18
इसके पश्चात देखते हैं आर्टिकल 359
34:29
के तहत आर्टिक 20 और 21 को छोड़कर
34:35
20 और 21 को छोड़कर को छोड़कर
34:44
सभी अधिकार
34:50
अधिकार निलंबित हो जाते हैं
34:57
जाते हैं अर्थात आप अपने फंडामेंटल राइट के तहत इसे इफोर्स कराने के लिए जो आपको
35:06
कोर्ट जाने का भी अधिकार है तो कोर्ट जाने का भी अधिकार नहीं रहता है न्यायालय जाने
35:12
का भी अधिकार न्यायालय जाने
35:20
का अधिकार
35:25
भी नहीं रहता है
35:32
तो हमने अभी राष्ट्रीय आपात के आपातकाल के संदर्भ में पढ़ा अब आते हैं आर्टिकल 356
35:38
के बारे में आर्टिकल
35:45
356 यह किससे संदर्भित है यह राष्ट्रपति राज्यों
35:55
में राष्ट्रपति शासन से संबंधित है
36:01
राष्ट्रपति शासन से संबंधित
36:10
है आर्टिकल 356 किससे संदर्भित है तो राज्यों में राष्ट्रपति शासन से संबंधित
36:17
है आर्टिकल 356 क्या कहता है राष्ट्रपति
36:24
को को यह समाधान हो जाए को
36:30
यह समाधान हो जाए हो
36:37
जाए कि राज्य की संवैधानिक मशीनरी कि राज्य की
36:42
संवैधानिक
36:52
मशीनरी फेल हो गई
36:59
फेल हो गई तो राष्ट्रपति को यह समाधान कैसे होगा राष्ट्रपति को यह समाधान कैसे
37:05
होगा तो हो सक इसे राज्यपाल के प्रतिवेदन से भी हो सकता
37:10
है राज्यपाल के प्रतिवेदन
37:17
से या अन्य स्रोत से या अन्य स्रोत
37:25
से और राष्ट्रपति को यह लगता है कि राज्य का संवैधानिक मशीनरी फेल हो गया अर्थात
37:31
वहां पर शासन व्यवस्था वहां की जो सरकार है वह नहीं चला पा रही है क्या वहां की
37:37
वहां का शासन तंत्र वहां की राज्य सरकार नहीं चला पा रही है अर्थात वहां का संवैधानिक मशीनरी फेल हो गया हो इस स्थिति
37:45
में वहां पर राष्ट्रपति शासन लग सकता है नहीं तो आर्टिकल 365 के
37:53
तहत आर्टिकल 365 के तहत
37:59
केंद्र के निर्देश
38:04
को देश को
38:11
राज मानने से इंकार कर दे राज मानने से क्या कर दे इनकार कर
38:20
दे तो ऐसी स्थिति में
38:30
तो ऐसी स्थिति में क्या राष्ट्रपति
38:46
शासन लगाया जा सकता
38:51
है ठीक या संवैधानिक मशीनरी के फेल होने
38:56
पर या केंद्र का निर्देश मानने से राज्य इंकार कर दे तो ऐसी परिस्थिति में क्या है
39:02
कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता इन परिस्थितियों में शासन तंत्र पर
39:08
क्या इफेक्ट पड़ता है 300
39:14
आर्टिकल 356 के क्रियान्वयन
39:21
पर पर राज्य पर क्या प्रभाव पड़ता है
39:31
क्या प्रभाव पड़ता
39:39
है आर्टिकल 356 के क्रिया बन पर राज्य पर क्या प्रभाव पड़ता है आप लोग इसका जवाब
39:46
चैट के माध्यम से दे सकते हैं आप लोग जवाब भी दीजिए निश्चित रूप से आप लोग का हम जवाब पढ़ेंगे
40:16
आर्टिकल 356 के तहत जब राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है तो राष्ट्रीय आपातकाल में
40:22
दोनों सदनों द्वारा एक महीने के तहत एक महीने के अंदर अनुमोदन आवश्यक है इसमें
40:27
कितना है दो महीना दो महीने
40:33
में दोनों सदनों
40:40
द्वारा द्वारा साधारण बहुमत
40:49
से साधारण बहुमत से
40:57
अनुमोदन आवश्यक है आवश्यक
41:06
है जब एक बार राष्ट्रपति शासन लग जाता है तो वह छ महीने के लिए रहता
41:15
है और छछ महीने तक करके अधिकतम तीन वर्षों
41:22
तक अधिकतम
41:28
तीन वर्षों
41:33
तक राष्ट्रपति
41:41
शासन लगा सकते हैं अगर तीन वर्ष से ज्यादा होगा तो
41:48
संविधान संशोधन करना पड़ेगा क्या अगर तीन वर्ष से ज्यादा जारी रखना होगा तो क्या करना होगा संविधान संशोधन करना होगा इसके
41:56
पश्चात देखते कि आर्टिकल 356 जब इंप्लीमेंट होता है तो
42:02
राज्य के सारे कृत राज्य के राज्य सरकार
42:12
के सारे कृत केंद्र सरकार के अधीन आ जाता है
42:19
केंद्र सरकार के
42:25
अधीन के अधीन आ जाता
42:33
है और राज्य की विधायिका
42:40
विधायिका संसद के अधीन आ जाती है संसद के
42:53
अधीन आ जाती है
43:00
अभी तक कितना बार के देश में राष्ट्रपति शासन तो बहुत सारे राज्यों
43:06
में बहुतों बार लगाया गया राष्ट्रीय आपातकाल कब लगाया गया राष्ट्रीय
43:18
आपातकाल तीन बार लगाया गया है 1962 में
43:23
भारत चीन युद्ध के दरमियान
43:31
1971 में भारत पाक
43:38
युद्ध और 1975 में आंतरिक अशांति के नाम
43:49
पर अशांति के नाम पर तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया है आज तक भारत में
43:56
वित्तीय पात काल नहीं लागू हुआ है आज
44:05
तक भारत में वित्तीय
44:16
आपातकाल लागू नहीं हुआ है लागू नहीं
44:25
हुआ य राष्ट्रपति के आपातकालीन संबंधी अधिकार है क्या है यह राष्ट्रपति के
44:32
आपातकालीन संबंधी अधिकार है अब बढ़ते
44:45
हैं
44:50
राष्ट्रपति रबर
44:55
स्टम है या नहीं ठीक राष्ट्रपति रबर स्टांप है या
45:04
नहीं भारत में संसदीय शासन प्रणाली अपनाई
45:09
गई भारत में संसदीय
45:17
शासन प्रणाली अपनाई गई है
45:30
और संसदीय प्रणाली के तहत
45:37
राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होता है संवैधानिक
45:45
प्रमुख होता है अब इसमें देखते
45:53
हैं कि रबर स्टांप है
46:03
रबर स्टांप है इसके तहत रबर स्टांप है इसके तहत हम
46:11
किन बातों की चर्चा कर सकते हैं कि ऐसी कौन सी परिस्थितियां है जिससे राष्ट्रपति को रबर स्टांप बोला जाता
46:25
है आर्टिक
46:31
74 मंत्रि परिषद की
46:37
नियुक्ति मंत्रि परिषद की
46:44
नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री एवं मंत्र परिषद की नियुक्ति करता है तो प्रधानमंत्री उ उन्हीं को नियुक्त करता है
46:52
जो लोकसभा में बहुमत प्राप्त पार्टी के जो नेता होते हैं
46:57
जो मेजॉरिटी के नेता होते हैं उनको उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है और
47:02
उनकी सलाह से मंत्र परिषद के अन्य सदस्यों की नियुक्ति होती है अर्थात यहां पर
47:07
राष्ट्रपति का मनमानी नहीं चलता है अर्थात राष्ट्रपति को जो सलाह दिया जाता है उस
47:13
सलाह के अनुसार राष्ट्रपति को कार्य करना पड़ता है तो सबसे पहला है कि मंत्री परि
47:19
प्रधानमंत्री एवं मंत्री परिषद की नियुक्ति ठीक
47:27
संवैधानिक
47:33
संवैधानिक विवेकाधिकार का
47:43
अभाव का अभाव और
47:49
तीसरा धन विधेयक और संविधान संशोधन विधेयक के अलावा अन्य विधेयक उनके पास अगर जाता
47:55
है तो राष् ति मैक्सिमम क्या कर सकता है उसे पुनर्विचार के लिए वापस लौटा सकता है
48:01
अगर संसद उसे हुबहू पुनः राष्ट्रपति के पास भेजती है तो पुनर्विचार तो उसे
48:07
राष्ट्रपति को क्या होता है उस पर साइन करना होता है पुनर्विचार के
48:16
पश्चात के पश्चात भेजे गए विधेयक पर
48:27
विधेयक पर
48:33
हस्ताक्षर करना होता
48:38
है ठीक यह रबर स्टांप है अर्थात राष्ट्रपति को जो कहा गया है वह सुनना
48:45
पड़ा अब है कि रबर स्टांप नहीं है रबर स्टांप
48:57
रबर स्टांप नहीं
49:03
है रबर स्टांप नहीं है अब अगर किसी पार्टी को मेजॉरिटी नहीं मिली है त्रिशंकु संसद
49:10
अगर बना है त्रिशंकु संसद की स्थिति में किसी
49:18
पार्टी को मेजॉरिटी नहीं मिला तो वहां पर वह अपना विवेक का प्रयोग कर सकता है क्या
49:24
वह अपना विवेक अर्थात किसी प किसी को पहले बुलाकर उसे मौका सरकार बनाने का मौका दे
49:30
सकता है क्या त्रिस त्रिस को संसद की स्थिति में अल्पमत वाली
49:39
सरकार अल्पमत वाली
49:47
सरकार त्रिशंकु संसद अल्पमत वाली सरकार अल्पमत माली सरकार में अगर कोई विधेयक
49:54
उसके पास साइन होने के लिए जाता है तो वह गाइड कर सकता है क्यों यहां पर कहा जाता
49:59
है कि प्रेसिडेंशियल एक्टिविज्म अर्थात जैसे पिछले च जब प्रणव मुखर्जी जब
50:06
राष्ट्रपति थे तो उस दमन बार-बार क्या होता था कि अध्यादेश जारी किया जा रहा था
50:12
तो राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि यह लोकतंत्र का गला घोटना हुआ कि आप बिना
50:17
विचार किए बार-बार अध्यादेश ला रहे हैं अर्थात यहां पर प्रेसिडेंशियल एक्टिविज्म
50:22
हुआ अर्थात वहां पर जो प्रेसिडेंट तेज तरार होते हैं वहां पर वो क्या करते हैं एक्टिव हो जाते हैं तो त्रिशंकु संसद अगर
50:30
बन जाता वहां पर राष्ट्रपति का विशेष पावर मिल जाता है ठीक अल्पमत सरकार में पॉकेट
50:38
बटो की स्थिति में
50:43
पॉकेट पॉकेट बटो का प्रयोग करके क्या पॉकेट बटो का प्रयोग करके इसके
50:51
साथ ही साथ प्रधानमंत्री की मृत्यु के पश्चात
50:56
एकाय एक मान लेते हैं प्रधानमंत्री की मृत्यु हो जाती
51:02
है प्रधानमंत्री की मृत्यु के
51:09
पश्चात पश्चात की
51:15
स्थिति ठीक तो इन सारी परिस्थितियों में क्या है वह रबर स्टांप नहीं अर्थात अपने
51:21
स्वविवेक का भी प्रयोग कर सकता है एक जगह हमने क्या देखा कि उससे सलाह मानना बा
51:26
अधिकारी होता है और कभी-कभी क्या होता है विशेष परिस्थितियों में उसे अपना एक्टिविज्म दिखाना पड़ता है अब संवैधानिक
51:33
स्थिति क्या है संवैधानिक
51:44
स्थिति संवैधानिक स्थिति में मान्य उच्चतम न्यायालय द्वारा कहा गया
51:53
है क्या कि भारत संसदीय प्रणाली है भारत में क्या है संसदीय प्रणाली
52:04
है दूसरा राष्ट्रपति नाम मात्र का प्रधान
52:15
है प्रधान है वास्तविक
52:23
शक्तियां शक्तियां मंत्र परिषद में निहित
52:34
है निहित है अर्थात राष्ट्रपति क्या है संवैधानिक
52:40
प्रधान है भारत का संवैधानिक प्रधान
52:48
है इस तरीके से हम क्या देखते हैं कि भारत का राष्ट्रपति
52:58
राष्ट्रपति अमेरिकन राष्ट्रपति से कुछ
53:07
कम से कुछ कम
53:13
और ब्रिटेन के राजा से कुछ अधिक है ब्रिटेन के राजा
53:22
से कुछ अधिक है
53:28
अब ब्रिटेन के राजा को पुनर्विचार के विधेयक को पुनर्विचार के लिए वापस करने का हक और अधिकार नहीं है लेकिन हमारे
53:34
राष्ट्रपति को है तो इस तरह से देखते हैं कि संवैधानिक रूप से जो प्रावधान है वह
53:40
हमारे संवैधानिक अध्यक्ष संविधानिक संवैधानिक रूप से प्रधान है वास्तविक
53:45
शक्तियां मंत्रि परिषद में निहित है और हमारे जो राष्ट्रपति हैं अमेरिकन राष्ट्रपति से कुछ कुछ कम और ब्रिटेन के
53:52
राजा से कुछ अधिक है तो आज हमारा राष्ट्रपति टॉपिक खम हो गया नेक्स्ट डे एक
53:58
नए टॉपिक के साथ आपके समक्ष उपस्थित होंगे तब तक के लिए नमस्कार जय हिंद जय
54:25
भारत और
#Education
#Government
#Other

