0:00
सोचो अगर आपको किसी पूरी किताब का हर
0:04
पन्ना हर लाइन वर्ड टू वर्ड याद करना पड़े
0:07
या अगर आपको कोर्ट रूम में बिना नोट्स के
0:10
5 घंटे का स्पीच देना हो क्या आप कर
0:12
पाओगे? आज से 2000 साल पहले लोग यह कर
0:16
पाते थे और इसे कहते हैं द आर्ट ऑफ
0:19
मेमोरी। फ्रांसिस एड्स बताती हैं कि
0:23
मेमोरी सिर्फ एग्जाम पास करने की ट्रिक
0:26
नहीं थी। एंशिएंट ग्रीस और रोम में मेमोरी
0:29
एक आर्ट थी। एक ऐसी कला जिसे इंसान
0:32
इन्फ्लुएंस, पावर और सक्सेस हासिल कर सकता
0:35
था। लोग स्पीचेस को याद करने के लिए दिमाग
0:38
में मेमोरी पैलेसेस बनाते थे। अपने दिमाग
0:41
में एक पूरा घर, मंदिर या थिएटर इमेजिन
0:44
करते थे और इस उस जगह से के हर कोने को
0:48
किसी इंफॉर्मेशन से कनेक्ट कर देते थे। द
0:51
आर्ट ऑफ मेमोरी इज एन आर्ट ऑफ प्लेसेस एंड
0:54
इमेज। आर्ट ऑफ मेमोरी जगहों और इमेजेस की
0:57
कला है। मान लो आपको एग्जाम के लिए 10
1:01
चैप्टर्स याद करने हैं। नॉर्मल तरीका है
1:03
बार-बार रटना। मेमोरी पैलेस तरीका है अपने
1:06
घर के हर कमरे को एक-एक चैप्टर से कनेक्ट
1:09
कर दो। अब बस अपने घर का मेंटल वॉक थ्रू
1:12
करो और हर चैप्टर ऑटोमेटिकली याद हो
1:15
जाएगा। मेमोरी कोई गिफ्ट नहीं यह एक
1:21
अब बात करते हैं व्हाई इट मैटर्ड देन उस
1:23
टाइम इसकी क्याेंस थी? एंशिएंट सोसाइटी
1:26
में प्रिंटिंग प्रेस, Google और फोंस नहीं
1:29
थे। लीडर्स और ऑरेटर्स को बिना पेपर पूरे
1:32
स्पीचेस डिलीवर करने होते थे। फिलॉसफर्स
1:35
को बड़े टेक्स्ट याद रखने पड़ते थे। जजेस
1:38
और लॉयर्स को पूरे आर्गुमेंट्स दिमाग में
1:40
होल्ड करने होते थे। इसलिए मेमोरी उस समय
1:43
की सबसे बड़ी सुपर पावर थी। इन एंटीक्विटी
1:47
मेमोरी वास नॉट अ मैकेनिकल एड बट अ
1:50
क्रिएटिव फैकल्टी। प्राचीन काल में मेमोरी
1:53
कोई मैकेनिकल टूल नहीं थी बल्कि क्रिएटिव
1:55
ताकत थी। आज भी सोचो अगर आप बिना स्लाइड्स
1:59
के पूरा प्रेजेंटेशन डिलीवर कर दो ऑडियंस
2:02
शॉक्ड रह जाएगी और आपको एक्सपर्ट मानेगी।
2:05
यही पावर एंशिएंट मेमोरी आर्ट देती थी।
2:09
नॉलेज तो सबको है। फर्क मेमोरी और डिलीवरी
2:15
फ्रांसिस येट्स इस किताब में एंशिएंट से
2:18
लेकर रेनोसेंस तक मेमोरी की जर्नी
2:20
एक्सप्लेन करते हैं। कैसे ग्रीक पोएट
2:23
साइमोनाइड्स ने एक्सीडेंट से मेमोरी पैलेस
2:26
खोजा। कैसे रोमंस ने इसे स्पीचेस और
2:29
पॉलिटिक्स में यूज किया और कैसे रेनोसेंस
2:32
सोल्जर्स ने इसे मैजिक और फिलॉसफी से
2:35
जोड़ा। पार्ट वन में हमने समझा मेमोरी एक
2:38
कला है और एंशिएंट वर्ल्ड में यह सर्वाइवल
2:40
स्किल थी। लेकिन असली सवाल यह है यह
2:43
मेमोरी पैलेस सिस्टम शुरू कैसे हुआ? इसकी
2:46
शुरुआत एक शॉकिंग डिजास्टर से हुई थी और
2:49
वो कहानी हम जानेंगे पार्ट टू में। स्टे
2:54
क्या आपको पता है कि दुनिया की सबसे
2:56
पावरफुल मेमोरी टेक्निक एक एक्सीडेंट से
2:58
पैदा हुई थी। जी हां, मेमोरी पैलेस सिस्टम
3:01
का जन्म ग्रीस में एक ट्रेजडी के बाद हुआ
3:04
और यह कहानी आपको हैरान कर देगी। लेजेंड
3:07
कहते हैं कि ग्रीक पोएट साइमोनाइड्स ऑफ
3:10
सीओस एक ग्रैंड बैंकेट में इनवाइटेड थे।
3:13
डिनर चल ही रहा था कि अचानक हॉल की छत गिर
3:16
गई और सबकी मौत हो गई। बॉडीज इतनी बैडली
3:20
क्रश थी कि कोई पहचान नहीं पा रहा था कि
3:22
कौन कहां बैठा था। लेकिन सामोनाइज ने अपनी
3:25
मेमोरी की मदद से सबको पहचान लिया क्योंकि
3:28
उन्हें परफेक्टली याद था कि हर गेस्ट किस
3:31
जगह बैठा था। यहीं से आईडिया आया जगहों और
3:34
पोजीशंस को मेमोरी से जोड़ना। सेमोनेट्स
3:37
डिस्कवर्ड दैट ऑर्डर ऑफ प्लेसेस सेल्स
3:40
ऑर्डर ऑफ थॉट्स। सेमोनेट्स ने पाया कि
3:43
जगहों का ऑर्डर थॉट्स को याद रखने का
3:45
ऑर्डर बनाता है। सोचो आपको ग्रोसरी लिस्ट
3:49
याद रखनी है। नॉर्मल तरीका बार-बार लिखना।
3:53
मेमोरी पैलेस तरीका मिल्क, मेन गेट,
3:57
ब्रेड, सोफा, एप्पल्स, टीवी। अब बस अपने
4:01
घर के अंदर वॉक करो और सब आइटम्स रिकॉल हो
4:04
जाएंगी। जगहों से जुड़ी हुई चीजें दिमाग
4:10
अब बात करते हैं ग्रीक मेथड ऑफ लॉकी यानी
4:13
प्लेसेस। इस टेक्निक को कहते हैं मेथड ऑफ
4:15
लॉकी। लॉकी मतलब प्लेसेस यानी आपके दिमाग
4:19
में एक फमिलियर जगह बनाओ। घर, मंदिर,
4:22
गार्डन या थिएटर हर जगह पर इंफॉर्मेशन को
4:25
रख दो। फिर जब रिकॉल करना है तो बस उस जगह
4:28
में मेंटली वॉक करो। टू रिमेंबर वन हैड टू
4:31
इमेजिन वॉकिंग थ्रू अ बिल्डिंग एंड
4:33
प्लेसिंग विविड इमेज इन इट। याद रखने के
4:36
लिए इंसान को एक बिल्डिंग में वॉक करना और
4:39
उसमें विविड इमेजेस रखना होता था।
4:42
हिस्ट्री एग्जाम में पांच बैटल्स मान लो
4:45
आपको याद रखनी है। एंट्रेंस, बैटल ऑफ
4:48
पानीपत। लिविंग रूम हो गया बैटल ऑफ
4:50
प्लासी, किचन हो गया बैटल ऑफ बक्सर,
4:53
बेडरूम हो गया 1857 रिवोल्ट और बालकनी हो
4:57
गई बैटल ऑफ कारगिल। अब बस घर का मेंटल टूर
5:01
करो और सब याद आ जाएगा। सो मेमोरी पैलेस
5:05
का मतलब है ब्रेन का Google ड्राइव। अब
5:08
बात करते हैं व्हाई इट वर्क्ड? इट वर्क्ड?
5:11
क्योंकि ह्यूमन ब्रेन नेचुरली विजुअल और
5:15
स्पेशल मेमोरी में स्ट्रांग है। फसेस,
5:18
प्लेसेस और इमेजेस दिमाग को इली स्टिक
5:21
करते हैं। वर्ड्स और नंबर्स जल्दी भूल
5:24
जाते हैं। एंशिएंट लोग इसी स्ट्रेंथ का
5:26
फायदा उठाते थे। द एंशिएंट मेमोरी रिलैक्ड
5:30
ऑन द नेचुरल पावर ऑफ विजुअलाइजेशन।
5:33
प्राचीन मेमोरी सिस्टम विजुअलाइजेशन के
5:35
नेचुरल पावर पर आधारित था। अगर आपको मान
5:40
लीजिए आज के टाइम पर 10 फार्मूलाज़ याद
5:43
करने हैं तो ड्राई पढ़ने से बोरिंग लगेगा।
5:45
लेकिन अगर आप हर फार्मूला को किसी फनी
5:48
इमेज से जोड़ दो तो वो इंस्टेंटली याद
5:54
को इमेजिन करो कि आइंस्टाइन साइकिल चला
5:56
रहा है और लाइट निकल रही है। फनी और
6:00
शॉकिंग इमेजेस मतलब मेमोरी का सुपर ग्लू।
6:04
साइमोनाइट्स ने शुरुआत की लेकिन ग्रीक्स
6:07
के बाद रोमंस ने इस आर्ट को और भी रिफाइन
6:09
किया। उन्होंने इसे ऑडिटरी स्पीचेस में
6:12
यूज करना शुरू किया। कोर्ट रूम्स और
6:14
पॉलिटिक्स में यह सर्वाइवल स्किल बन गई।
6:17
तो दोस्तों, पार्ट टू में हमने देखा कि
6:19
कैसे एक ट्रेजडी ने दुनिया के सबसे
6:21
पावरफुल मेमोरी सिस्टम मेमोरी पैलेस को
6:24
जन्म दिया। लेकिन रोमंस ने इसे एक नए लेवल
6:27
पर ले जाकर पावर और पॉलिटिक्स का हथियार
6:30
बना दिया। तो सवाल है रोमन ओरेटर्स ने इस
6:33
टेक्निक को कैसे यूज किया? इसका जवाब
6:35
मिलेगा आपको पार्ट थ्री में। सोचो अगर
6:39
आपको बिना नोट्स देखे कोर्ट रूम में 5
6:42
घंटे की स्पीच देनी पड़े तो आप कैसे
6:45
करोगे? एंशिएंट रोम में यह कोई मिरेकल
6:48
नहीं बल्कि एक ट्रेंड स्किल थी और इसी वजह
6:50
से रोमन ओरेटस को हिस्ट्री का गोल्डन एज
6:55
मेमोरी पैलेसेस का असली बूम रोम में हुआ।
6:58
रोमन सोसाइटी में पब्लिक स्पीकिंग सबसे
7:00
इंपॉर्टेंट स्किल थी। लीडर्स, लॉयर्स और
7:03
पॉलिटिशियंस को बिना रिटन नोट्स पूरे
7:06
स्पीचेस डिलीवर करने होते थे। और ऑडियंस
7:09
एक्सपेक्ट करती थी कि स्पीकर हर पॉइंट हर
7:12
कोर्ट याद रखें। द ट्रेन मेमोरी वाज़ एन
7:14
इनडिस्पेंसिबल पार्ट ऑफ द रोमन ऑेटर्स
7:17
इक्विपमेंट। ट्रेन मेमोरी रोमन ऑरिटर के
7:20
लिए एक जरूरी हथियार था। आगे बात करते हैं
7:23
सिसरो और क्वटिलियन मास्टर्स ऑफ मेमोरी।
7:27
सिसेरो रोम के सबसे फेमस ओरिएटर ने मेमोरी
7:30
पैलेस को रिफाइन करके अपनी स्पीचेस को
7:32
फ्लोलेस बना दिया। क्वीन टिलियन एक टीचर
7:36
ऑफ रेट्रिक ने अपनी किताब इंस्टट्यूटियो
7:39
और एट्रिया में लिखा कि हर स्टूडेंट को
7:41
मेथड ऑफ लॉकी सीखना चाहिए। यह लोग सिर्फ
7:44
फैक्ट्स नहीं याद करते थे। वो पूरे
7:46
आर्गुमेंट्स, जोक्स, एग्जांपल्स और इमोशंस
7:49
तक मेमोरी पैलेसेस में स्टोर करते थे।
7:54
आज के टाइम पे अगर हम पॉलिटिक्स के
7:55
एग्जांपल लें सोचो अगर आज कोई पॉलिटिशियन
7:58
बिना पेपर देखे पूरे दो घंटे फैक्ट्स डाटा
8:01
और पोएट्री मिक्स करके भाषण दे लोग उसको
8:03
जीनियस मानेंगे। रोम में यही डेली लाइफ
8:06
था। रोम में पावर का सीक्रेट था मेमोरी
8:09
कंट्रोल करो। ऑडियंस कंट्रोल करो। अब बात
8:13
करते हैं हाउ पीपल एट दैट टाइम यूज्ड
8:16
मेमोरी पैलेसेस। ओरेटस अपने दिमाग में
8:19
फोरम, टेंपल्स और स्ट्रीट्स इमेजिन करते
8:22
थे। हर जगह पर स्पीच का एक पार्ट रख देते
8:25
थे। जब स्पीच देना होता तो बस उस जगह को
8:28
मेंटली वॉक करते जाते। द ओरेटर वॉक्ड इन
8:31
इमेजिनेशन थ्रू द बिल्डिंग रिकवरिंग ह
8:34
स्पीच एस ही वेंट। ऑरेटर इमेजिनेशन में
8:37
बिल्डिंग से गुजरता और स्पीच रिकवर करता
8:40
जाता। अब मान लीजिए आपने कॉलेज में
8:42
प्रेजेंटेशन देनी है। आपके पास 10
8:44
स्लाइड्स हैं। अगर लैपटॉप क्रैश हो गया तो
8:47
मेमोरी पैलेस में हर स्लाइड को किसी जगह
8:50
पर रख दो। अब चाहे प्रोजेक्टर फेल हो जाए
8:53
आप कॉन्फिडेंटली बोल सकते हो। मेमोरी
8:56
पैलेस मतलब आपकी स्पीच का इनविज़िबल
9:01
नाउ व्हाई इट वाज़ सो पावरफुल। इट वाज़ सो
9:04
पावरफुल क्योंकि रोम में रिटन
9:06
डॉक्यूमेंट्स रेयर थे। ऑडियंस रिटन
9:09
टेक्स्ट कंपेयर नहीं कर सकती थी। इसीलिए
9:12
ऑडिटर की मेमोरी ही उसकी उसका
9:14
क्रेडिबिलिटी बनाती थी। स्ट्रांग मेमोरी
9:17
मतलब स्ट्रांग लीडर। टू कमांड द मेमोरी
9:20
वास टू कमांड रिस्पेक्ट। मेमोरी पर कमांड
9:23
का मतलब रिस्पेक्ट पर कमांड था।
9:27
अब इंडियन कोर्ट रूम की एग्जांपल लेते
9:28
हैं। इमेजिन करो एक लॉयर बिना पेपर पूरे
9:31
कानून की धारा केस प्रेसिडेंस और फैक्ट्स
9:35
एफर्टलेसली बोल दे जज भी इंप्रेस्ड हो
9:38
जाएगा। रोम में यही होता था। नॉलेज
9:40
इंप्रेस करता है लेकिन फ्लोलेस रिकॉल शॉक
9:43
करता है। मेमोरी मतलब पॉलिटिकल पावर। रोमन
9:47
सेनेटर्स अपने्सट्स को डिबेट में हराने के
9:50
लिए मेमोरी पैलेसेसिस यूज करते थे। अगर
9:53
कोई डिटेल भूल जाता तो ऑडियंस उसे वीक
9:55
मानती लेकिन फ्लोलेस रिकॉल वाला स्पीकर
9:59
इंस्टेंटली ऑथॉरिटी गेन कर लेता। टीवी
10:02
डिबेट में एक कैंडिडेट फैक्ट्स भूल जाए और
10:06
दूसरा बिना देखे डाटा बोल दे किस कौन
10:09
जीतेगा? एग्जजेक्टली यही फार्मूला रोमंस
10:12
यूज करते थे। रोम का गोल्डन एज सिर्फ
10:15
स्पीचेस का नहीं मेमोरी का भी था। तो
10:17
दोस्तों, हमने देखा कि रोम में मेमोरी
10:19
पैलेस सिर्फ लर्निंग टूल नहीं था। यह पावर
10:22
का वेपन था। सिरो और कॉन्टिलियन ने इसे
10:25
ऑडिटरी का फाउंडेशन बनाया और ट्रेन मेमोरी
10:28
ने पॉलिटिशियंस को ऑडियंस का मास्टर बना
10:31
दिया। लेकिन मेडिएवल और रेनोसेंस स्कॉलर्स
10:34
ने मेमोरी को सिर्फ स्पीचेस तक सीमित नहीं
10:37
रखा। उन्होंने इसे मैजिक, फिलॉसफी और पूरे
10:40
कॉस्मोस से कनेक्ट कर दिया। कैसे एक सिंपल
10:43
मेमोरी पैलेस यूनिवर्स समझने का तरीका बन
10:46
गया। यही शॉकिंग चैप्टर मिलेगा पार्ट फोर
10:49
में। स्टे ट्यूंड। द आर्ट ऑफ मेमोरी बाय
10:53
फ्रांसिस ए यस। सोचो अगर कोई आपसे कहे कि
10:57
सिर्फ मेमोरी पैलेसेस से आप यूनिवर्स की
11:00
हिडन पावर्स को समझ सकते हो। कॉस्मिक
11:02
सीक्रेट्स अनलॉक कर सकते हो। क्या आप
11:05
मानोगे? रेनोसेंस के स्कॉलर्स ने यही दावा
11:08
किया था। और यही कहानी है उस किताब की का
11:13
मिडवल और रेनोसेंस पीरियड माने 14 टू 16
11:17
सेंचुरी में आर्ट ऑफ मेमोरी सिर्फ स्पीचेस
11:20
या कोर्ट्स तक लिमिटेड नहीं रहा। अब
11:22
मेमोरी को मैजिक फिलॉसफी और साइंस से
11:25
जोड़ा जोड़ दिया गया। स्कॉलर्स मानते थे
11:28
कि अगर आप इमेजिनेशन सी सिंबल्स और
11:30
कॉस्मिक स्ट्रक्चर्स को मेमोरी पैलेसेसिस
11:33
में रखो तो आप पूरे यूनिवर्स को
11:36
अंडरस्टैंड कर सकते हो। फॉर ब्रूनो मेमोरी
11:39
वास नॉट ओनली अ मेथड ऑफ रिकॉल बट अ वे ऑफ़
11:42
क्रस्पिंग द स्ट्रक्चर ऑफ द कॉस्मोस।
11:45
ब्रूनो के लिए मेमोरी सिर्फ रिकॉल की कला
11:47
नहीं बल्कि ब्रह्मांड की संरचना समझने का
11:51
तरीका था। तो इसमें कुछ की फिगर्स हुए।
11:53
पहला रोमन लूल 13थ सेंचुरी उन्होंने सर्कल
11:57
डायग्राम्स और व्हील्स बनाए। हर सर्कल पर
11:59
कॉन्सेप्ट्स और डिवाइन नेम थे। इन्हें
12:02
रोटेट करके लोग कॉम्प्लेक्स रिलेशनशिप्स
12:04
याद रखते थे। बेसिकली मेमोरी को उन्होंने
12:07
डिवाइन मेडिटेशन बना दिया। दूसरा चियोडानो
12:11
ब्रूनो 16 सेंचुरी ब्रूनो का मानना था कि
12:14
मेमोरी पैलेसेस सिर्फ नॉलेज नहीं देते
12:16
बल्कि कॉस्मिक पावर्स से कनेक्ट कराते
12:19
हैं। वो इबोरेट पैलेसेस बनाते जिनमें
12:22
गॉड्स एस्ट्रोलॉजी सिंबल्स और मैजिकल
12:25
इमेजेस होते। उनके लिए मेमोरी एक ऑकल्ट
12:28
साइंस थी। अब इसको एक देसी स्पिरिचुअल
12:32
कॉन्टेक्स्ट में समझते हैं। जैसे हम मंदिर
12:34
में जाते हैं और हर मूर्ति या सिंबल हमें
12:37
किसी कांसेप्ट जैसे धैर्य, शक्ति, करुणा
12:39
की याद दिलाता है। वैसे ही रेनोसेंट
12:42
स्कॉलर्स अपने पैलेसेस में ऐसी ही इमेजेस
12:45
रखते थे ताकि हर जगह से कॉस्मिक आईडिया
12:49
याद रहे। मेमोरी पैलेसिस ने उस वक्त नॉलेज
12:54
को टेंपल बना दिया। अब आगे चलते हैं।
12:57
व्हाई रेननेसेंस लव्ड मेमोरी आर्ट्स?
13:01
रेननेसेंस लव्ड मेमोरी आर्ट्स। क्योंकि
13:03
प्रिंटिंग प्रेस आने से पहले बुक्स रेयर
13:06
थी। स्कॉलर्स को बड़े टेक्स्ट याद करने
13:08
पड़ते थे। फिलॉसफी, साइंस और थियोलॉजी को
13:11
सिंबल्स से मेमोरी पैलेसेस में स्टोर किया
13:14
जाता। और यही सिंबल्स उनके लिए स्पिरिचुअल
13:16
मेडिटेशन भी थे। द आर्ट ऑफ मेमोरी इन द
13:19
रेनोसेंस बिकम अ यूनिवर्स साइंस।
13:22
एम्ब्रेसिंग फिलॉसफी, रिलीजन एंड मैजिक।
13:24
रेननेसेंस में मेमोरी की कला एक यूनिवर्सल
13:27
साइंस बन गई जिसमें फिलॉसफी, रिलीजन और
13:29
मैजिक शामिल थे। आज लोग मेडिटेशन एप्स यूज
13:33
करते हैं। ब्रेथ काउंट करते हैं। मंत्रा
13:36
मंत्रास रिपीट करते हैं। रेननेसेंस
13:38
स्कॉलर्स मेमोरी पैलेसेस को मेडिटेशन टूल
13:40
मानते थे। हर इमेज हर स्टैच्यू उनके दिमाग
13:43
को डिसिप्लिन और फोकस देता था। मेमोरी
13:46
पैलेसेस थे उनके लिए मेडिटेशन हॉल्स।
13:50
ब्रूनो का बिलीफ था कि अगर आप एस्ट्रोलॉजी
13:53
सिंबल्स और डिवाइन इमेज पैलेसेस में रखो
13:56
तो आप हिडन एनर्जीस कंट्रोल कर सकते हो।
13:59
कुछ स्कॉलर्स ने इसे माइंड पावर और ऑकल्ट
14:02
प्रैक्टिससेस से जोड़ दिया। चर्च ने इसे
14:05
सस्िशियस माना और इसी वजह से कई मेमोरी
14:07
स्कॉलर्स पर चार्जेस लगे। जैसे आज भी कुछ
14:11
लोग जेम स्टोंस, यंत्रास या मंत्रास को
14:14
मेमोरी और फोकस बढ़ाने वाले मानते हैं।
14:16
वैसे ही रेनेसेंस स्कॉलर्स मेमोरी पैलेसेस
14:19
में एस्ट्रोलॉजी सिंबल्स यूज करते थे।
14:22
नॉलेज, पावर और मैजिक सब कुछ मेमोरी
14:26
पैलेसिस में था। अब मेमोरी पैलेसिस की कुछ
14:29
डिसएडवांटेज डाउन साइड्स पे थी। मेमोरी
14:32
पैलेसिस की यह मैजिक ओवरलोडिंग कई
14:35
प्रैक्टिकल यूज़ से हट गई। स्कॉलर्स सोचने
14:38
लगे कि सिर्फ स्पीचीस या लर्निंग का टूल
14:40
नहीं बल्कि हिडन पावर्स की की है। यही
14:42
शिफ्ट रेनेसेंस की मिस्टिसिज्म को बढ़ाता
14:46
है। द रेननेसेंस आर्ट ऑफ मेमोरी वाज़ एज मच
14:49
अबाउट विज़ एज इट वाज़ अबाउट रिकॉल।
14:52
रेनेसेंस की मेमोरी आर्ट रिकॉल से ज्यादा
14:54
विज़ के बारे में थी। सोचो अगर कोई
14:58
स्टूडेंट पढ़ाई को सिर्फ एग्जाम पास करने
15:00
के लिए नहीं बल्कि कॉस्मिक ट्रुथ्स समझने
15:03
का तरीका मान ले। यही रेनसेंस माइंडसेट
15:06
था। मेमोरी आर्ट मतलब नॉलेज प्लस मेडिटेशन
15:09
प्लस मैजिक। तो दोस्तों रेनेसेंस में
15:13
मेमोरी पैलेसेस सिर्फ लर्निंग टूल नहीं
15:15
रहे। वो स्पिरिचुअल और मैजिकल प्रैक्टिस
15:17
बन गए। लल ने व्हील्स बनाए। ब्रूनो ने
15:20
कॉस्मिक पैलेसेस बनाए और स्कॉलर्स ने
15:22
मेमोरी को डिवाइन मेडिटेशन माना। लेकिन अब
15:25
सवाल है क्या यह एंशिएंट और रेनोसेंस
15:28
मेमोरी टेक्निक्स मॉडर्न दुनिया में काम
15:30
करती है? स्मार्टफोनस और Google के दौर
15:33
में क्या हमें अब भी मेमोरी पैलेसिस की
15:36
जरूरत है? इसका जवाब मिलेगा आपको पार्ट
15:38
फाइव में मॉडर्न लेसंस प्लस कंक्लूजन।
15:42
ओके दोस्तों आज हमारी मेमोरी स्मार्टफोन
15:45
और Google ने आउटसोर्स कर दी है। नंबर्स
15:47
याद नहीं कांटेक्ट्स फोन में रास्ते याद
15:50
नहीं मैप्स में। बर्थडेज याद नहीं
15:52
Facebook में। लेकिन सवाल यह है क्या हमें
15:55
एंशिएंट में मेमोरी आर्ट्स की अब भी जरूरत
15:57
है? जवाब है हां। और यही है इस किताब द
16:00
आर्ट ऑफ मेमोरी का सबसे बड़ा सबक। पहले हम
16:04
क्विक रिककैप करते हैं अभी तक की जर्नी
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का। पार्ट वन में हमने सीखा मेमोरी कोई
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गिफ्ट नहीं बल्कि एक आर्ट है। पार्ट टू
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में हमने सीखा ग्रीक पोएट साइमोनाइड्स ने
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एक ट्रेजडी से मेमोरी पैलेस डिस्कवर किया।
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पार्ट थ्री में रोमंस ने इसे स्पीचेस और
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पॉलिटिक्स का सबसे बड़ा हथियार बना दिया।
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और पार्ट फोर में हमने जाना अरेसेंस
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स्कॉलर्स ने मेमोरी को मैजिक फिलॉसफी और
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कॉस्मिक ट्रुथ से कनेक्ट किया। पार्ट फाइव
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में हमने जाना कि मॉडर्न दुनिया में
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मेमोरी पैलेसेस हमें फिर से फोकस और
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क्लेरिटी दे सकते हैं। द आर्ट ऑफ मेमोरी
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इज द आर्ट ऑफ थॉट इटसेल्फ। मेमोरी की कला
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क्यों जरूरी है यह? आज भी आज डिस्ट्रैक्शन
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इनफाइनाइट है। इंस्टा रील्स, WhatsApp
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पिंग्स, YouTube शॉट्स। यहां 30 सेकंड से
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ज्यादा टिकता ही नहीं। स्टूडेंट हो या
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प्रोफेशनल फोकस और रिकॉल दोनों वीक हो रहे
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हैं। मेमोरी पैलेसेस और विजुअलाइजेशन
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टेक्निक्स आज भी काम करते हैं क्योंकि
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ब्रेन नेचुरली विजुअल और स्पेशल
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इंफॉर्मेशन स्ट्रांगली याद रखता है। यह
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इमेजिनेशन को एक्टिवेट करता है और यह फोकस
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आपको हिस्ट्री एग्जाम के 10 बैटल्स याद
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करने हैं। नॉर्मल तरीका रखना भूल जाना।
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मेमोरी बैलेंस तरीका अपने घर के हर कमरे
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में एक बैटल रख दो। अब बस मेंटल वॉक थ्रू
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करो और सब रिकॉल हो जाएगा। स्मार्टफोन भूल
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सकता है ट्रेन ब्रेन कभी नहीं।
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प्रेजेंटेशन आपने देनी है। उसमें 15 की
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पॉइंट्स याद रखने हैं। अगर आप नोट्स पर
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डिपेंड करोगे ऑडियंस को लगेगा कि आप
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प्रिपेयर नहीं हो। लेकिन अगर आप मेमोरी
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पैलेस से सब रिकॉल कर लो। आप एक्सपर्ट
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लगोगे। कॉन्फिडेंस तभी आता है जब नॉलेज
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आपके पॉकेट में नहीं आपके दिमाग में हो।
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अगर आपको किसी को इंप्रेस करना है, उसका
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नाम और छोटी डिटेल्स याद रखो। सर, पिछली
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बार आपने कहा था कि आपकी बेटी डांस सीख
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रही है। वो कैसी है अब? बस सामने वाला
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इंस्टेंटली कनेक्ट फील करेगा और यह तभी
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पॉसिबल है जब मेमोरी ट्रेन हो। डिटेल्स
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याद रखने वाला इंसान दिलों में जगह बना
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लेता है। अब बात करते हैं न्यूरोसाइंस
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प्लस आर्ट ऑफ मेमोरी। मॉडर्न न्यूरो साइंस
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भी मानती है विजुअलाइजेशन और एसोसिएशन
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मेमोरी को बूस्ट करते हैं। ब्रेन की
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हिपोकैंपस जो स्पेशल मेमोरी कंट्रोल करती
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है सबसे पावरफुल होती है। मेमोरी पैलेसिस
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हिपोकैंपस की नेचुरल ताकत को एक्टिवेट
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करते हैं। द मेमोरी आर्ट्स वर लेस अबाउट
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स्टोरेज एंड मोर अबाउट इमेजिनेशन। मेमोरी
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आर्ट्स स्टोरेज से ज्यादा इमेजिनेशन के
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बारे में थी। अब इसकी देसी प्रैक्टिकल
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एप्लीकेशन के बारे में जानते हैं। तो जो
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स्टूडेंट हैं वो सब्जेक्ट्स को पैलेस में
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ऑर्गेनाइज करें। प्रोफेशनल्स मीटिंग्स और
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प्रेजेंटेशंस को मेंटल पैलेस में स्टोर कर
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लो। एंटरप्रेन्यर्स बिजनेस स्ट्रेटजीस और
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मार्केट डाटा पैलेसेस में अरेंज करो।
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क्रिएटर्स आइडियाज को इमेजज़ और पैलेसेस से
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लिंक करो। मेमोरी पैलेस सिर्फ याद रखने का
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ट्रिक नहीं। यह क्लेरिटी और क्रिएटिविटी
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का वेपन है। अब यहां से हमें एक लाइफ लेसन
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भी मिलता है। फ्रांसिस यट्स हमें रिमाइंड
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करती हैं कि मेमोरी सिर्फ नोट्स और डेटा
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का स्टोरेज नहीं है। यह हमारी सोच,
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इमेजिनेशन और क्रिएटिविटी का फाउंडेशन है।
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एंशिएंट लोगों ने इसे आर्ट बनाया। मॉडर्न
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लोग इससे फिर से सीख कर अपनी
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प्रोडक्टिविटी और कॉन्फिडेंस मल्टीप्लाई
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कर सकते हैं। टू रिकवर द आर्ट ऑफ मेमोरी
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इज टू रिकवर द पावर ऑफ द माइंड। मेमोरी की
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कला को वापस पाना मतलब दिमाग की शक्ति को
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वापस पाना है। मेमोरी पैलेसिस का मतलब
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माइंड पैलेसिस। इमेजिनेशन के साथ जब
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डिसिप्लिन मिलता है तो सुपर ह्यूमन रिकॉल
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होती है। जो याद रखता है वही जीतता है। तो
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दोस्तों, यह थी फ्रैंकस ए वेट्स की
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लेजेंडरी किताब द आर्ट ऑफ मेमोरी की समरी।
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अगर आपको यह जर्नी इंटरेस्टिंग लगी तो
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लाइक करो। कमेंट में बताओ कि आप मेमोरी
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पैलेस किस चीज के लिए यूज करना चाहोगे और
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चैनल को सब्सक्राइब करना मत भूलना ताकि हर
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हफ्ते आपको ऐसी ही माइंड ब्लोइंग किताबों
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की समरीज मिलती रहे। रिमेंबर मेमोरी इज
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नॉट अ गिफ्ट। इट्स एन आर्ट। लर्न इट,
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मास्टर इट एंड रूल विद इट। थैंक यू।