2:54
दोस्तों क्या आपने कभी ऐसा फील किया है कि
2:58
आप बोल रहे हो लेकिन सामने वाला सुन ही
3:01
नहीं रहा। क्लासरूम में आप आंसर देते हो
3:04
लेकिन टीचर इग्नोर कर देता है। ऑफिस में
3:07
आप आईडिया शेयर करते हो लेकिन मीटिंग में
3:09
कोई नोट नहीं करता। फैमिली गैदरिंग में आप
3:12
बात करते हो लेकिन सबका ध्यान फोन पर है।
3:15
यह फ्रस्ट्रेशन हम सबने महसूस किया है और
3:17
इसी प्रॉब्लम का स्यूशन लेकर आए थे
3:20
कम्युनिकेशन एक्सपर्ट जूलियन ट्रेजर। अपने
3:23
टेक टॉक हाउ टू स्पीक सो दैट पीपल वांट टू
3:28
व्हाई दिस टॉक इज लेजेंड्री? इस टॉक को अब
3:32
तक 50 मिलियन से ज्यादा लोग देख चुके हैं।
3:35
मतलब यह सिर्फ थ्योरी नहीं है। यह
3:37
प्रैक्टिकल प्रॉब्लम है जो दुनिया भर में
3:39
हर किसी के साथ होती है। जूलियन ट्रेजर
3:42
खुद एक साउंड एक्सपर्ट हैं। उन्होंने पूरी
3:44
जिंदगी स्टडी किया है कि आवाज कैसे काम
3:47
करती है और कैसे हम कम्युनिकेशन को
3:49
इफेक्टिव बना सकते हैं। उनका सवाल था क्या
3:52
हम अपनी वॉइस और कम्युनिकेशन को ऐसे यूज
3:56
कर सकते हैं कि लोग सच में सुनना चाहे ना
4:01
अब चलते हैं द कोर आईडिया। जूलियन ट्रेजर
4:04
कहते हैं, स्पीकिंग इज अ स्किल। यह
4:06
जन्मजात गिफ्ट नहीं है। अगर आप सही
4:09
टेक्निक्स सीख लो, तो हर कोई पावरफुल
4:12
स्पीकर बन सकता है। लेकिन प्रॉब्लम यह है
4:15
कि हम बोलना तो सीखते हैं, लेकिन कैसे
4:18
बोलना चाहिए ताकि लोग सुने यह कोई नहीं
4:20
सिखाता। अब बात करते हैं कॉमन मिस्टेक इन
4:24
कम्युनिकेशन। सोचो। आप किसी फ्रेंड से बात
4:27
कर रहे हो। अगर वह हर बार कंप्लेन करता
4:29
है, नेगेटिविटी फैलाता है, तो आप
4:31
ऑटोमेटिकली उससे दूर हो जाते हो ना। यही
4:34
होता है जब हम बिना सोचे बोलते हैं। हमारी
4:38
आदतें धीरे-धीरे हमारी क्रेडिबिलिटी मार
4:40
देती हैं। लोग सोचते हैं इसकी बात सुनने
4:44
लायक नहीं है। फर्स्ट इंप्रेशन इन
4:47
स्पीकिंग। जूलियन ट्रेजर का कहना है जब आप
4:50
बोलते हो तो लोग सिर्फ वर्ड्स नहीं सुनते।
4:52
वो आपकी टोन, आपकी बॉडी लैंग्वेज, आपकी
4:55
एनर्जी सब ऑब्जर्व करते हैं। पहले कुछ
4:59
सेकंड में ही डिसाइड हो जाता है। क्या यह
5:01
इंसान सुनने लायक है या नहीं?
5:04
इसकी एग्जांपल लो। मान लो कोई लड़का लड़की
5:08
को प्रपोज कर रहा है। अगर वह नर्वसली बोल
5:10
रहा है, आवाज कांप रही है, नजरें इधर-उधर
5:13
है, तो उन उसकी बात में कॉन्फिडेंस नहीं
5:16
दिखेगा। लेकिन अगर वही लड़का साफ आवाज में
5:19
आई कांटेक्ट बनाकर स्टेडी टोन में बोले तो
5:22
लड़की ऑटोमेटिकली उसकी बात को सीरियस
5:25
लेगी। फर्क सिर्फ वर्ड्स में नहीं डिलीवरी
5:27
में है। जूलियन ट्रेजर कहते हैं आज
5:30
कम्युनिकेशन पहले से कहीं ज्यादा
5:32
इंपॉर्टेंट है क्योंकि आज की दुनिया
5:34
इंफॉर्मेशन ओवरलोड से भरी हुई है। हर कोई
5:37
बोल रहा है YouTube, Instagram, टीवी,
5:39
न्यूज़, WhatsApp ग्रुप्स लेकिन सुनने
5:42
वाले कम होते जा रहे हैं। ऐसे में अगर आप
5:44
चाहते हो कि लोग आपकी बात जेनुइनली सुने
5:48
तो आपको सीखना होगा कैसे बोले ताकि लोग
5:51
सुनना चाहें। तो दोस्तों, इस टॉक की
5:54
शुरुआत हमें यह सिखाती है। प्रॉब्लम हम सब
5:58
फेस करते हैं कि लोग हमारी बात इग्नोर
6:00
करते हैं। स्यूशन सिंपल है। स्पीकिंग एक
6:03
स्किल है और इसे इंप्रूव किया जा सकता है।
6:06
और जूलियन ट्रेजर हमें बताएंगे कि कैसे हम
6:09
अपनी वॉइस, वर्ड्स और हैबिट्स बदलकर ऐसे
6:13
स्पीकर बन सकते हैं जिसे लोग सच में सुनना
6:17
चाहे। दोस्तों जूलियन ट्रेजर कहते हैं अगर
6:21
आप चाहते हो लोग आपकी बात सुने तो सबसे
6:24
पहले आपको यह समझना होगा कि क्या लोग और
6:27
क्यों लोग इग्नोर कर देते हैं। उन्होंने
6:30
कहा हमारी कम्युनिकेशन में सात ऐसी
6:33
हैबिट्स हैं जिन्हें उन्होंने नाम दिया द
6:35
सेवन डेडली सिंस ऑफ स्पीकिंग। पहला गसिप
6:39
दूसरों की बुराई करना। हम सबको गसिप करना
6:43
आसान लगता है। लेकिन सोचो अगर आप हमेशा
6:45
दूसरों की बुराई करते हो तो सामने वाला
6:48
सबकॉन्शियसली सोचता है। यह मेरे बारे में
6:52
भी पीठ पीछे यही करेगा। रिजल्ट लोग आपसे
6:55
दूरी बनाने लगते हैं। टेंपरेरी अटेंशन मिल
6:58
सकता है। लेकिन लॉन्ग टर्म रिस्पेक्ट गायब
7:01
हो जाती है। दूसरा जजिंग। हर वक्त जज
7:04
करना। अगर आप किसी से बात कर रहे हो और वह
7:07
हर बार जजमेंटल टोन में जवाब दे तो आपको
7:10
कैसा लगेगा? एग्जांपल आप एक्साइटेड होकर
7:13
किसी को बताते हो मैंने नया बिजनेस शुरू
7:16
किया है और वो अप्लाई करता है। अरे इसमें
7:19
तो बहुत रिस्क है। फेल हो जाओगे। ऐसे लोग
7:22
धीरे-धीरे बोरिंग और नेगेटिव लगने लगते
7:24
हैं। इसीलिए कन्वर्सेशन में ओपन माइंडेड
7:27
रहना जरूरी है। तीसरा नेगेटिविटी। हर चीज
7:31
में नकारात्मकता। कुछ लोग हर बात में
7:34
नेगेटिव निकालते हैं। वेदर अच्छा है तो
7:37
बोलेंगे गर्मी बहुत है। न्यू प्रोजेक्ट है
7:39
तो बोलेंगे यह तो कभी नहीं चलेगा।
7:42
नेगेटिविटी का ओवरडोस लोगों को आपकी कंपनी
7:46
से दूर कर देता है क्योंकि हम नेचुरली
7:48
पॉजिटिव और हेल्पफुल लोगों को सुनना पसंद
7:51
करते हैं। चौथा कंप्लेनिंग हमेशा शिकायत
7:55
करना। सोचो अगर आपका दोस्त हर बार मिलने
7:58
पर सिर्फ कंप्लेंट्स करता है, जॉब खराब
8:00
है, बॉस खराब है, कंट्री खराब है तो आप
8:03
उसकी बात कितनी देर सुन पाओगे? कंप्लेनिंग
8:07
शॉर्ट टर्म सिंपैथी दिलाती है, लेकिन
8:09
लॉन्ग टर्म में लोग आपको इग्नोर करने लगते
8:12
हैं। पांचवा एक्सक्यूसेस जिम्मेदारी से
8:16
भागना। जूलियन ट्रेजर कहते हैं कुछ लोग हर
8:20
बार एक्सक्यूसेस बनाते हैं। अगर काम सही
8:22
नहीं हुआ तो ब्लेम किसी और पर डाल देंगे।
8:25
लेकिन जब आप एक्सक्यूसेस बनाते हो तो आपकी
8:28
क्रेडिबिलिटी ऑटोमेटिकली गिर जाती है। लोग
8:31
मान लेते हैं कि आप जिम्मेदारी लेने वाले
8:33
इंसान नहीं हो। छठा एक्सेजरेशन बढ़ा
8:37
चढ़ाकर कहना। अगर आप कैक्ट्स को ट्विस्ट
8:40
करके एकरेट करते हो तो शॉर्ट टर्म में लोग
8:44
इंप्रेस्ड हो सकते हैं। लेकिन जल्दी ही
8:46
उन्हें लगेगा कि आप ऑथेंटिक नहीं हो।
8:49
एग्जांपल कोई कहे मैंने यह प्रोजेक्ट
8:52
अकेले किया जबकि सबको पता है कि पूरी टीम
8:54
थी। ऐसी आदत ट्रस्ट को डिस्ट्रॉय कर देती
8:58
है। सातवां डॉग्मैटिज्म। अपनी राय को
9:01
अल्टीमेट ट्रुथ बना लेना।
9:04
डॉग मैटिज्म का मतलब है हर बार अपनी
9:07
ओपिनियन को फैक्ट की तरह प्रेजेंट करना।
9:09
जैसे सिर्फ मेरा तरीका सही है। बाकी सब
9:12
गलत है। ऐसे लोग रिजिड लगते हैं। इनके साथ
9:16
डिस्कशन डिबेट में बदल जाती है। रिजल्ट
9:19
लोग उन्हें सुनना ही बंद कर देते हैं।
9:22
अब बात करते हैं व्हाई दी सेवन हैबिट्स आर
9:25
डेंजरस। चुरलियन ट्रेजर कहते हैं। यह सात
9:28
हैबिट्स स्लोली आपकी क्रेडिबिलिटी को खत्म
9:31
कर देते हैं। लोग कॉन्शियसली या
9:33
अनकॉन्शियसली डिसाइड कर लेते हैं। इसकी
9:36
बात सुनने लायक नहीं और कम्युनिकेशन का
9:39
पहला रूल यही है। अगर लोग सुनना ही बंद कर
9:42
दें तो आपके वर्ड्स का कोई असर नहीं
9:45
बचेगा। सोचो हमारे आसपास ऐसे रिलेटिव्स,
9:49
कोलीग्स या दोस्तों की कमी नहीं है जो हर
9:52
बार मिलते ही गसिप, कंप्लेंट्स या
9:54
नेगेटिविटी में फंस जाते हैं। आप खुद भी
9:56
नोटिस करोगे कि ऐसे लोगों से आप अवॉइड
10:00
करने लगते हो। वहीं जो लोग ऑनेस्ट,
10:02
पॉजिटिव और रिस्पेक्टफुल होते हैं, उनकी
10:04
बात ऑटोमेटिकली दिल तक पहुंचती है। तो
10:07
दोस्तों, इस हिस्से में हमें क्लियर लेसन
10:09
मिलता है। अगर आप चाहते हो कि लोग सच में
10:12
आपकी बातें सुने, तो इन सेवन डेडली सिंस
10:16
से बचो। क्योंकि कम्युनिकेशन सिर्फ बोलने
10:18
का नाम नहीं है। यह ट्रस्ट और रिस्पेक्ट
10:21
बनाने का प्रोसेस है। और अगर आपने गसप,
10:25
नेगेटिविटी और एक्सक्यूसेस से भरा
10:28
कम्युनिकेशन किया, तो लोग आपकी बात सुनने
10:31
से पहले ही इग्नोर कर देंगे। दोस्तों,
10:35
हमने देखा कि कम्युनिकेशन की सबसे बड़ी
10:37
प्रॉब्लम क्या है? गॉसिप, नेगेटिविटी,
10:40
कंप्लेनिंग, जजिंग। अब सवाल यह है तो सही
10:44
तरीका क्या है बोलने का? जूलियन ट्रेजर
10:46
कहते हैं। अगर आप चाहते हो कि लोग सच में
10:48
आपकी बात सुने तो आपको अपनी कम्युनिकेशन
10:51
को फोर स्ट्रांग फाउंडेशंस पर खड़ा करना
10:54
होगा। उन्होंने इसका सिंपल फार्मूला दिया
10:57
हेल एच ए आई एल। एच मतलब ऑनेस्टी या
11:01
ईमानदारी। सबसे पहली चीज ऑनेस्टी। अगर आप
11:04
सच बोलते हो तो ऑटोमेटिकली आपकी
11:06
क्रेडिबिलिटी बन जाती है। लेकिन ऑनेस्टी
11:10
का मतलब ब्लंट होना नहीं है। मतलब यह नहीं
11:12
कि आप सामने वाले को हर्ट करो। ऑनेस्टी का
11:16
मतलब है फैक्ट्स क्लियर रखना। एग्जरेशन से
11:19
बचना। एग्जांपल अगर आप इंटरव्यू में हो और
11:23
आपसे पूछा जाए क्या आपको यह सॉफ्टवेयर आता
11:26
है? तो ऑनेस्टली या ऑनेस्टली यह है कि अगर
11:29
आपको नहीं आता तो साफ कहो। नहीं आता लेकिन
11:32
सीखने में फास्ट हूं। यह आंसर इंटरव्यूअर
11:35
को आप पर भरोसा दिलाएगा।
11:38
आगे ए यानी ऑथेंटिसिटी। जैसे हो वैसे हो।
11:42
दूसरी फाउंडेशन है ऑथेंटिसिटी। अगर आप खुद
11:45
को मास्क करके पेश करोगे, फेक बनोगे तो
11:48
लोग जल्दी समझ जाएंगे। ऑथेंटिक होना मतलब
11:51
है आप जैसे हो वैसे ही रहो। अगर आप नेचुरल
11:54
हो तो लोग आपसे कनेक्ट करेंगे। सचिन
11:57
तेंदुलकर वह हमेशा ग्राउंडेड और ऑथेंटिक
12:00
रहे इसलिए लोग उन्हें सिर्फ क्रिकेटर नहीं
12:03
रोल मॉडल मानते हैं। आगे आय यानी
12:06
इंटेग्रिटी। बातों और काम में
12:09
कंसिस्टेंसी। इंटेग्रिटी का मतलब है आपके
12:12
वर्ड्स और एक्शंस में कंसिस्टेंसी होना।
12:15
अगर आप बोलो एक चीज और करो दूसरी चीज तो
12:19
लोग आप पर भरोसा नहीं करेंगे। एग्जांपल
12:22
लीडर कहे टाइम की वैल्यू सबसे ज्यादा है
12:24
और खुद ही हर मीटिंग में लेट आए तो उसकी
12:26
बात कोई सीरियस नहीं लेगा। इंटीग्रिटी का
12:30
मतलब है जो बोलो वही फॉलो करो। तभी लोग
12:33
आपकी सुनेंगे और मानेंगे। एल मींस लव,
12:38
रिस्पेक्ट और गुडविल। चौथी और सबसे
12:40
इंपॉर्टेंट फाउंडेशन है लव। मतलब आप
12:43
दूसरों के लिए गुडविल रखो। रिस्पेक्ट रखो।
12:46
अगर आप सिर्फ ईगो से बोलते हो, दूसरों को
12:49
दबाने के लिए बोलते हो तो लोग सुनेंगे
12:51
जरूर लेकिन दिल से कनेक्ट नहीं करेंगे।
12:54
लेकिन अगर आप केयर और रिस्पेक्ट से बोलते
12:57
हो तो लोग आपकी बात सुनने के साथ-साथ फील
13:00
भी करेंगे। अब्दुल कलाम जिन उन्होंने हर
13:03
स्पीच रिस्पेक्ट और लव के साथ दी। रिजल्ट
13:06
उनकी बात सिर्फ सुनी नहीं गई। महसूस भी की
13:11
अब सोचो आप किसी मीटिंग में बोल रहे हो।
13:15
अगर आप ऑनेस्ट हो लोग भरोसा करेंगे। अगर
13:18
आप ऑथेंटिक हो लोग कनेक्ट करेंगे। अगर आप
13:20
इंटेग्रिटी रखते हो लोग मानेंगे। अगर आप
13:23
लव दिखाते हो लोग फील करेंगे। यही है वो
13:26
कॉम्बिनेशन जो आपकी वॉइस को पावरफुल बनाता
13:29
है। अब आगे बात करते हैं व्हाई हील
13:32
वर्क्स। जूलियन ट्रेजर कहते हैं लोग सिर्फ
13:35
आपके वर्ड्स नहीं सुनते। वो आपके इंटेंशन
13:38
को भी महसूस करते हैं। अगर आपका इंटेंशन
13:41
साफ है तो आपकी बात ऑटोमेटिकली दिल तक
13:44
पहुंचती है। हेल प्रिंसिपल्स आपकी
13:46
कम्युनिकेशन को ऐसा बना देते हैं कि लोग
13:49
इग्नोर नहीं कर सकते। सोचो हमारे
13:52
पॉलिटिक्स और सोसाइटी में कितने लोग ऐसे
13:55
हैं जो गसिप, नेगेटिविटी और एग्जरेशन में
13:58
फंसे रहते हैं। उनकी स्पीचेस शॉर्ट टर्म
14:01
अटेंशन लेती हैं। लेकिन लोग उन्हें
14:03
सीरियसली नहीं लेते। दूसरी तरफ वो लीडर्स
14:06
जो ऑनेस्टी, ऑथेंटिसिटी और इंटेग्रिटी से
14:09
बोलते हैं उनकी बात सालों तक याद रहती है।
14:13
तो दोस्तों जूलियन ट्रेजर का तीसरा बड़ा
14:15
लेसन है पावरफुल कम्युनिकेशन सिर्फ अच्छे
14:18
शब्दों का नाम नहीं है बल्कि सही
14:20
प्रिंसिपल्स पर खड़े होने का नाम है। हील,
14:23
ऑनेस्टी, ऑथेंटिसिटी, इंटीग्रिटी और लव।
14:26
अगर आप इन चार क्वालिटीज के साथ बोलते हो
14:29
तो लोग आपकी बात सिर्फ सुनेंगे नहीं बल्कि
14:34
दिल से मानेंगे। दोस्तों
14:37
जूलियन ट्रेजर कहते हैं दुनिया का सबसे
14:39
पावरफुल साउंड है ह्यूमन वॉइस। इसी वॉइस
14:43
से आप लोगों को इंस्पायर कर सकते हो। इसी
14:45
से आप प्यार जता सकते हो और इसी से आप
14:49
पूरी दुनिया बदल सकते हो। लेकिन प्रॉब्लम
14:51
ये है कि हम में से ज्यादातर लोग अपनी
14:54
वॉइस को प्रॉपर्ली इस्तेमाल करना सीखते ही
14:57
नहीं। हम बोलना सीखते हैं पर कैसे बोलना
15:00
है ये कोई नहीं सिखाता। सोचो आप एक ही बात
15:04
दो अलग तरीकों से बोलो। पहला नर्वस वॉइस
15:07
में तेज, हाई पिस्ट बिना पॉज के। दूसरा
15:10
काम और स्टेडी वॉइस में क्लियर वर्ड्स सही
15:13
पेस कॉन्फिडेंट टोन। सेम वर्ड्स होने के
15:17
बावजूद इफेक्ट कंप्लीटली डिफरेंट होगा।
15:21
पहले केस में लोग इग्नोर करेंगे। दूसरे
15:23
केस में लोग सुनकर मानेंगे। यानी आपकी
15:26
वॉइस आपकी क्रेडिबिलिटी डिसाइड करती है।
15:30
अब बात करते हैं द फोर टूल्स ऑफ वॉइस।
15:32
जूलियन ट्रेजर कहते हैं कि वॉइस के चार
15:35
सबसे बड़े टूल्स हैं। रजिस्टर, टिमबर,
15:38
प्रोसडी और पेस या साइलेंस। आइए इन्हें
15:42
डिटेल में समझते हैं। पहला रजिस्टर मतलब
15:45
पिच लेवल। रजिस्टर मतलब आप किस पिच पर
15:48
बोलते हो? हाई पिच्ड नर्वस वॉइस मतलब
15:52
इमैच्योर और अनट्रस्ट वर्दी लगती है। डीप
15:56
और ग्राउंडेड वॉइस अथॉरिटी और ट्रस्ट
15:59
दिलाती है। एग्जांपल सोचो अगर कोई लीडर हर
16:03
बार हाई पिच्ड स्क्वीकी वॉइस में बोले तो
16:07
ऑडियंस उसे लाइटली लेगी। लेकिन अमिताभ
16:09
बच्चन या मॉर्गन फ्री मैन जैसी डीप वॉइस
16:13
सुनते ही रिस्पेक्ट आ जाता है। ट्रिक जब
16:16
भी इंपॉर्टेंट बात करनी हो तो थोड़ा डीप
16:19
और स्टेडी रजिस्टर यूज करो। दूसरा टिमबर
16:23
यानी वॉइस क्लेरिटी एंड कलर। टिमरी आपकी
16:28
आवाज का नेचुरल टेक्सचर है। हारश वार्म
16:32
नेल या स्मूथ यह वो चीज है जो आपकी वॉइस
16:35
को यूनिक बनाती है। वार्म टिमरी कनेक्ट
16:38
करता है। हारश या शार्प टिमरी डिस्टेंस
16:41
क्रिएट करता है। एग्जांपल लता मंगेशकर की
16:45
वॉइस में सॉफ्टनेस और वांट थी। इसीलिए
16:47
उनकी सॉन्ग्स दिल में उतरती थी। दूसरी तरफ
16:51
हारश शाउटिंग वॉइस आपको इरिटेट कर देती
16:54
है। तो ट्रिक आपकी वॉइस में वार्मथ लाने
16:58
के लिए कॉन्शियसली स्माइल करके बोलो। जब
17:01
आप मुस्कुरा कर बोलते हो आपकी टिमरी
17:04
ऑटोमेटिकली वार्म हो जाती है। थ्री
17:07
प्रोसडी यानी रिदमम एंड इंटूनेशन।
17:11
प्रोसीडी का मतलब है आपके बोलने का
17:14
म्यूजिकिकल पैटर्न। अगर आप मोनोटोोन में
17:16
बोलोगे फ्लैट और बिना उतार-चढ़ाव तो लोग
17:18
बोर्ड हो जाएंगे। वेरिएशन जरूरी है। कभी
17:22
जोर देना, कभी सॉफ्ट बोलना, कभी पॉज लेना।
17:25
एग्जांपल इमेजिन अगर कोई शायर मोनोटोोन
17:28
में पोएट्री पढ़े जीरो इफेक्ट होगा। लेकिन
17:31
जब वो सही रिदमम और टोन में पढ़ता है।
17:34
ऑडियंस तालियां बजा देती है। ट्रिक है
17:37
प्रैक्टिस करो कि एक ही सेंटेंस अलग-अलग
17:40
इमोशंस में बोलो। खुशी, गुस्सा, सरप्राइज,
17:43
सैडनेस। इससे आपकी प्रोसडी नेचुरली
17:46
इंप्रूव होगी। फोर्थ पेस एंड साइलेंस। अगर
17:51
आप बहुत फास्ट बोलते हो तो लोग कैच नहीं
17:54
कर पाएंगे। अगर बहुत स्लो बोलते हो तो लोग
17:56
बोर हो जाएंगे। बैलेंस चाहिए। राइट स्पीड
17:59
और सही पॉज। और सबसे पावरफुल टूल है
18:02
साइलेंस। पॉज लेने से आपकी बात में वेट
18:05
आता है। पॉज मतलब कंट्रोल। एग्जांपल
18:08
नरेंद्र मोदी की स्पीचेस में पॉज बहुत
18:11
होता है। वो एक लाइन बोलकर पॉज करते हैं।
18:14
ऑडियंस खुद उस लाइन को अब्सॉर्ब करती है।
18:18
ट्रिक जब भी कोई इंपॉर्टेंट बात करो तो
18:20
उसके बाद दो-तीन सेकंड्स पॉज लो। यह आपकी
18:24
बात को हाईलाइट कर देगा।
18:27
अब बात करते हैं व्हाई वी इग्नोर सम
18:29
स्पीकर्स? इंडिया में आपने देखा होगा कुछ
18:32
टीचर्स बोरिंग लगते हैं क्योंकि वह
18:34
मोनोटोन में फास्ट बोलते हैं। ना रजिस्टर
18:36
कंट्रोल होता है ना प्रोसडी। दूसरी तरफ
18:39
कुछ टीचर्स की बात दिल तक जाती है क्योंकि
18:41
उनकी वॉइस में एनर्जी, रिदमम और क्लेरिटी
18:44
होती है। वॉइस ही वो फर्क बनाती है। वॉइस
18:47
मतलब इंस्ट्रूमेंट। जूलियन ट्रेजर कहते
18:49
हैं। अपनी वॉइस को एक म्यूजिक
18:51
इंस्ट्रूमेंट मानो। अगर आप उसे इसे ट्यून
18:54
और कंट्रोल कर सको तो आप स्पीच को
18:57
ऑर्केस्ट्रा की तरह पावरफुल बना सकते हो।
19:00
इमेजिन करो एक सिंगर अपनी आवाज को
19:02
प्रैक्टिस करता है। वैसे ही अगर आप अपनी
19:04
स्पीकिंग वॉइस को डेली प्रैक्टिस करोगे तो
19:06
आपकी कम्युनिकेशन कंप्लीटली बदल जाएगी। तो
19:10
दोस्तों जूलियन ट्रेजर का चौथा बड़ा लेसन
19:12
है वर्ड्स से ज्यादा मैटर करती है आपकी
19:15
वॉइस डिलीवरी। अगर आप चाहते हो कि लोग
19:18
आपको सुने तो अपनी वॉइस के चार टूल्स
19:21
फास्टर करो। पहला रजिस्टर गहरी स्टेडी
19:24
आवाज दूसरा टिमरी वार्मथ और सॉफ्टनेस
19:28
तीसरा प्रोसीडी रिदमम और वेरिएशन फोर्थ
19:32
पेस एंड साइलेंस सही स्पीड और पॉज का
19:35
मैजिक याद रखो पावरफुल वर्ड्स अगर कलर टोन
19:38
में बोले जाए तो मीनिंगलेस हो जाते हैं
19:40
लेकिन सिंपल वर्ड्स भी पावरफुल वॉइस के
19:43
साथ बोले जाए तो हिस्ट्री बना सकते हैं।
19:47
दोस्तों अब तक हमने समझा कि वॉइस के चार
19:52
टूल्स क्या हैं? रजिस्टर, टिमबरी,
19:53
प्रोसीडी और पेस एंड साइलेंस। लेकिन सवाल
19:56
है वॉइस को इंप्रूव कैसे करें? जूलियन
19:59
ट्रेजर ने अपनी टॉक में कुछ एक्सरसाइजज़
20:01
शेयर की। यह सिंपल है, प्रैक्टिकल है और
20:04
कोई इन्हें घर पर प्रैक्टिस कर सकता है।
20:06
हर कोई बंदा इन्हें घर पर प्रैक्टिस कर
20:08
सकता है। पहला वार्म अप एक्सरसाइजज़। वॉइस
20:12
को रेडी करना। जैसे एथलीट वार्म अप करता
20:14
है, वैसे ही वॉइस को भी वार्म अप चाहिए।
20:17
हमिंग सुबह बोलने से पहले सॉफ्टली हम करो।
20:20
यह वोकल कॉ्स को जेंटली एक्टिवेट करता है।
20:23
सिंगर भी यही करते हैं परफॉर्मेंस से
20:25
पहले। आगे लिपिल होठों को बंद करके हवा
20:29
बाहर छोड़ो। बर यह टेंशन रिलीज करता है और
20:34
ब्रेथ कंट्रोल इंप्रूव करता है। सायरन्स
20:37
अपनी आवाज को लो से हाई तक ले जाओ। जैसे
20:40
पुलिस सायरन यह आपको रजिस्टर यह आपके
20:44
रजिस्टर को फ्लैक्सिबल बनाता है। सोचो
20:47
प्लेबैक सिंगर्स जैसे अरिजीत सिंह या
20:49
श्रेया घोषाल उनकी आवाज हर बार क्लियर और
20:51
पावरफुल क्यों लगती है? क्योंकि वह हर
20:54
सेशन से पहले यह वार्म अप्स करते हैं।
20:58
दूसरा ब्रीथिंग एक्सरसाइज स्ट्रांग बेस
21:01
बनाना। जूलियन ट्रेजर कहते हैं वॉइस की
21:04
स्ट्रेंथ आती है ब्रेथ से। नॉर्मल शैलो
21:07
चेस्ट ब्रीथिंग वीक वॉइस बनाती है। डीप
21:11
डायफोग्राम ब्रीथिंग राउंडेड और पावरफुल
21:13
वॉइस बनाती है। प्रैक्टिस लेट जाओ और डीप
21:17
ब्रेथ लो। ध्यान दो। आपका चेस्ट नहीं आपका
21:20
पेट ऊपर नीचे होना चाहिए। और फिर
21:22
धीरे-धीरे हा साउंड के साथ हवा बाहर
21:25
छोड़ो। ट्रिक रोज 5 मिनट डीप ब्रीथिंग
21:29
प्रैक्टिस करो। इससे आपकी वॉइस स्टेडी
21:31
होगी और लॉन्ग सेंटेंसेस बोलने में दम
21:34
नहीं टूटेगा। आगे रेजोनेंस ड्रिल्स वॉइस
21:37
को डेप्थ देना। अगर आपकी वॉइस वीक या थिन
21:40
लगती है तो रेजोनेंस प्रैक्टिस करो। चेस्ट
21:44
पर हाथ रखो और बोलो ओम या आ फील करो
21:48
वाइब्रेशन। जितनी रेजोनेंस बॉडी में महसूस
21:50
होगी उतनी पावरफुल आपको आवाज लगेगी।
21:54
ती एग्जांपल लेते हैं। अमिताभ बच्चन की
21:56
वॉइस रेजोनेट करती है। इसलिए उनकी आवाज
21:59
सुनकर ऑटोमेटिकली रिसेस्पेक्ट आता है। आगे
22:03
है आर्टिकुलेशन एक्सरसाइज जिनका मतलब है
22:06
क्लेरिटी इंप्रूव करना। बहुत लोग बोलते
22:08
वक्त वर्ड्स क्लियर नहीं निकालते। रिजल्ट
22:11
लोग कहते हैं क्या कहा? फिर रिपीट करो।
22:13
सॉल्यूशन एंड आर्टिकुलेशन ड्रिल्स। रेड
22:16
लेदर येलो लेदर। बार-बार फास्ट बोलो। जैसे
22:19
रेड लेदर येलो लेदर। रेड लेदर येलो लेदर।
22:22
आगे यूनिक न्यूयॉर्क प्रैक्टिस करो। यूनिक
22:26
न्यूयॉर्क कच्चा पापड़ पक्का पापड़
22:29
बार-बार बोलो। यह एक्सरसाइज टंग और लिप्स
22:33
को फ्लैक्सिबल बनाते हैं। जिससे वर्ड्स
22:36
साफ निकलते हैं। स्टेज एक्टर्स और न्यूज़
22:39
एंकल्स रोज आर्टिकुलेशन ड्रिल्स करते हैं।
22:42
इसीलिए उनकी डिक्टेशन क्रिस्टल क्लियर
22:45
लगती है। पांचवा प्रोसडी एंड अरेंज
22:48
प्रैक्टिस। बोरिंग मोनोटोन से बचना।
22:51
मोनोटोन सबसे बड़ा एनिमी है कम्युनिकेशन
22:53
का। प्रैक्टिस एक सिंपल लाइन लो। आज का
22:56
दिन शानदार है। इसे अलग-अलग इमोशंस से
23:00
बोलो। खुशी, गुस्सा, दुख, एक्साइटमेंट।
23:02
इससे आपके वॉइस रेंज और प्रोसडी इंप्रूव
23:05
होगी। ऑडियंस को लगेगा कि आपकी बातों में
23:08
लाइफ है। एग्जांपल शाहरुख खान का डायलॉग
23:11
डिलीवरी हर लाइन में इमोशन और वेरिएशन।
23:14
यही प्रोसडी की ताकत है। सिक्स्थ पेस एंड
23:17
साइलेंस ट्रेनिंग। बहुत लोग या तो बहुत
23:20
तेज बोलते हैं या बहुत स्लो और पॉज लेना
23:22
तो जैसे भूल ही जाते हैं। प्रैक्टिस किसी
23:25
पैराग्राफ को जोर से पढ़ो। हर दो-तीन
23:27
सेंटेंसेस के बाद पॉज करो। ऑब्जर्व करो कि
23:30
पॉज से आपकी बात का इंपैक्ट कितना बढ़
23:33
गया। देसी एग्जांपल नरेंद्र मोदी की
23:36
स्पीचेस पॉज्स उनकी बात को वेट देते हैं।
23:39
ऑडियंस ऑटोमेटिकली अब्सॉर्ब करती है।
23:42
सातवां डेली रूटीन हैक्स जूलियन ट्रेजर
23:45
कहते हैं। एक्सरसाइज सिर्फ मॉर्निंग में
23:48
मत करो। इन्हें डेली रूटीन में शामिल करो।
23:50
फोन पर बात करते वक्त कॉन्शियसली स्माइल
23:54
करो। आपकी वॉइस इंस्टेंटली वार्म हो
23:56
जाएगी। पब्लिक में बोलने बोल बोलते वक्त
23:59
डीप ब्रीथ लेकर स्टार्ट करो। आपकी वॉइस
24:02
स्टेडी रहेगी। मिरर के सामने प्रैक्टिस
24:05
करो। आप ऑब्जर्व कर पाओगे कि आपकी बॉडी और
24:08
वॉइस सिंक में है या नहीं। याद रखो आपकी
24:11
वॉइस भी एक हैबिट है। अगर आप डेली 10 मिनट
24:14
प्रैक्टिस करते हो तो कुछ हफ्तों में
24:17
नोटिसेबल इंप्रूवमेंट दिखेगा। जैसे जिम
24:19
में मसल बिल्ड होता है वैसे ही वॉइस भी
24:22
डेली प्रैक्टिस से स्ट्रांग होती है।
24:25
नाउेंट क्वेश्चन इज व्हाई दिस मैटर्स? इट
24:28
मैटर्स बिकॉज़ सोचो आप जॉब इंटरव्यू में
24:32
नर्वस होकर फास्ट बोल रहे हो। रिजल्ट
24:34
इंटरव्यूअर कंफ्यूज्ड और अनइंप्रेस्ड।
24:36
लेकिन अगर आप डीप ब्रीथिंग, क्लियर
24:38
आर्टिकुलेशन और स्टडी पेस के साथ बोलते
24:41
हो, तो वही इंटरव्यूअर सोचता है। यह
24:44
कैंडिडेट कॉन्फिडेंट और कैपेबल है। यही
24:47
फर्क एक्सरसाइजज़ बनाती हैं। तो दोस्तों,
24:50
जूलियन ट्रेजर की एक्सरसाइजज़ हमें यह
24:52
सिखाती हैं। पहला वॉइस को इंस्ट्रूमेंट की
24:55
तरह ट्रीट करो। दूसरा डेली वार्म अप
24:58
ब्रीथिंग और रेजोनेट रेजोनेंस ड्रिल्स
25:00
करो। तीसरा आर्टिकुलेशन और प्रोसडी
25:03
प्रैक्टिस से वर्ड्स क्लियर और
25:05
इंटरेस्टिंग बनाओ। चौथा साइलेंस और पॉजेस
25:08
का यूज करना सीखो। याद रखो आपकी आवाज आपकी
25:11
सबसे बड़ी ताकत है। अगर आप इसे मास्टर कर
25:15
लो तो लोग सिर्फ सुनेंगे नहीं बल्कि आपकी
25:18
बातों को याद भी रखेंगे। दोस्तों, अब हम
25:22
पहुंच गए हैं जूलियन ट्रेजर की लेजेंड्री
25:25
टॉक के आखिरी हिस्से पर। इतनी देर तक हमने
25:28
वॉइस डिलीवरी और एक्सरसाइज सीखी। अब सवाल
25:31
ये है तो इससे हमें क्या मिला? पहला द
25:34
प्रॉब्लम। लोग हमें इग्नोर करते हैं
25:36
क्योंकि हम गॉसिप, नेगेटिविटी,
25:37
एक्सक्यूसेस और मोनोटोोन में बोलते हैं।
25:40
दूसरा द सॉल्यूशन, हील, ऑनेस्टी,
25:43
ऑथेंटिसिटी, इंटेग्रिटी एंड लव। अगर आप इन
25:46
चार पिलर्स पर खड़े होकर बोलते हो तो आपकी
25:49
बात ऑटोमेटिकली दिल तक जाएगी। तीसरा द
25:52
पावर ऑफ वॉइस। आपके वसी आपका असली
25:55
इंस्ट्रूमेंट है रजिस्टर, टिमरी,
25:57
प्रोसीडी, पेस और साइलस। इन्हें कंट्रोल
26:00
करना सीखो। चौथा प्रैक्टिकल एक्सरसाइज,
26:03
डेली वार्म अप, ब्रीथिंग, आर्टिकुलेशन,
26:05
प्रोसीड ड्रिल्स। यह आपकी वॉइस को
26:07
स्टेडीली पावरफुल बना देंगे।
26:11
जूलियन ट्रेजर कहते हैं, द ह्यूमन वॉइस इज
26:13
द मोस्ट पावरफुल साउंड इन द वर्ल्ड। इसी
26:16
वॉइस से लीडर्स रेवोलशंस लाते हैं। इसी से
26:18
टीचर्स जनरेशंस इंस्पायर करते हैं। इसी से
26:21
पेरेंट्स बच्चों को वैल्यू सिखाते हैं। और
26:23
इसी से आप अपना फ्यूचर शेप कर सकते हो।
26:26
अगर वॉइस स्ट्रांग और इफेक्टिव हो तो आपकी
26:29
बात दुनिया तक पहुंच सकती है। अगर आप वॉइस
26:33
लेकिन अगर वॉइस वीक है, मोनोटोनस है,
26:35
अनक्अर है तो सबसे अच्छे आइडियाज भी वेस्ट
26:38
हो जाते हैं। इंडिया में आप गांधी जी के
26:41
एग्जांपल लो। उनके पास ना आर्मी थी, ना
26:43
पैसा, ना पावर। लेकिन उनकी आवाज में
26:45
ऑनेस्टी, ऑथेंटिसिटी और लव था। रिजल्ट
26:48
पूरी दुनिया ने उनकी बात सुनी। आज भी अगर
26:50
आप YouTube पर उनकी स्पीचेस सुनो तो उनकी
26:53
सिंपलीसिटी और टोन दिल छू लेती है। यही
26:55
पावर है वॉइस की। अब बात करते हैं हाउ टू
26:59
अप्लाई टुडे। अब सवाल यह है कि आप इस
27:01
नॉलेज को आज से कैसे यूज कर सकते हो? सबसे
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पहले नोटिस करो कि आप डेली लाइफ में कैसे
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बोलते हो? क्या आप बहुत फास्ट बोलते हो?
27:08
क्या आप मोनोटोन में बोलते हो? क्या आप
27:11
पॉज लेना भूल जाते हो? दूसरा छोटे-छोटे
27:14
रिलैक्स एक्सरसाइज अडॉप्ट करो। मॉर्निंग
27:17
में 5 मिनट हमिंग, डीप ब्रीथिंग और
27:19
आर्टिकुलेशन ड्रिल। बस इतना ही आपकी वॉइस
27:22
को स्टेडीली इंप्रूव करेगा। तीसरा जब भी
27:25
इंपॉर्टेंट बात करनी हो, इंटरव्यू,
27:28
प्रेजेंटेशन या फैमिली डिस्कशन तो डीप
27:30
ब्रेथ लो, स्टेडी वॉइस अडॉप्ट करो और
27:32
पॉजेस का यूज करो। जूलियन ट्रेजर कहते
27:36
हैं, वॉइस प्रैक्टिस सिर्फ प्रोफेशनल्स के
27:38
लिए नहीं है। यह हर इंसान के लिए है। सोच
27:40
के देखो। अगर आपकी वॉइस पावरफुल हो तो
27:42
करियर में ग्रोथ आसान होगी। अगर आपकी वॉइस
27:45
वार्म और ऑथेंटिक हो तो रिलेशनशिप्स बेटर
27:47
होंगी। और अगर आपकी वॉइस क्लियर और स्टेडी
27:50
हो तो लीडरशिप नेचुरल हो जाएगी। तो चैलेंज
27:53
ये है आज से ही अपनी वॉइस पर काम शुरू करो
27:56
क्योंकि इंप्रूवमेंट सिर्फ सुनकर नहीं
27:58
आती। प्रैक्टिस से आती है। तो दोस्तों इस
28:01
टॉक का सबसे बड़ा मैसेज यही है। सीखो ऐसे
28:04
बोलना कि लोग सच में सुनना चाहें। गसिप और
28:07
नेगेटिविटी छोड़ो। हील प्रिंसिपल्स अपनाओ।
28:10
वॉइस को डेली एक्सरसाइज से स्ट्रांग करो
28:13
और याद रखो आपकी वॉइस यह आपकी आइडेंटिटी
28:16
है। अब मैं आपसे पूछना चाहता हूं आपकी
28:18
कम्युनिकेशन में सबसे बड़ी चैलेंज क्या
28:20
है? क्या वो क्लेरिटी है? कॉन्फिडेंस है
28:22
या स्टेज फियर? कमेंट्स में जरूर बताइए।
28:26
और हां, अगर आपको यह समरी पसंद आई तो इसे
28:28
अपने दोस्तों के साथ शेयर करें क्योंकि
28:30
ज्यादा शायद किसी की जिंदगी बदलने के लिए
28:34
सिर्फ आपकी शेयर की हुई ओआईसी काफी हो। और
28:37
अगर आपने अभी तक हमारी सर केन रबिनसन वाली
28:41
क्रिएटिविटी टॉक और एमी कडू वाली बॉडी
28:43
लैंग्वेज टॉक नहीं देखी तो उन्हें भी जरूर
28:46
चेक कीजिए क्योंकि हमारी कोशिश सिंपल है।
28:49
सोचो बेहतर, बोलो बेहतर और जियो बेहतर।