Sikhism holds a prominent place among the major religions of the world. Followers of this religion are spread all over the world. Emerging from the soil of Punjab, this religion is quenching the spiritual thirst of millions of hearts. Babaji Guru Nanak has spoken of philanthropy, human rights. He wanted to transcend caste restrictions and unite the human world with himself so that the hungry souls of human beings could be satisfied. He have openly condemned the aggressors, the religion of religious bigotry.
#Dr. Amjad Bhatti YT
#World's Biggest Religions
#World's Major Religions
Show More Show Less View Video Transcript
0:00
झाल अजय को कि टाइम
0:07
कि बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम डॉक्टर
0:14
अमजद अली फटी एक नया मौजूद के साथ आखिर मत
0:20
जो हमारा आज का मौजूद दुनिया के बड़े मुजाहिद सीरीज में से एक मत के हवाले से
0:28
हां भाई अपनी बात का आशा करते हैं अब हम देखते हैं कि
0:33
इस वक्त गुजरने के साथ मजा है अपनी सलाह तब्दील करते रहते हैं दुनिया के हर मजहब
0:41
में हुआ है कि प्रदेश में कुछ और था वक्त के साथ-साथ उसमें तब्दीलियां आती गई थी
0:49
कि हिंदुस्तानी सरजमीन पर नमूदार होने वाले मुर्राह शुभ्र खासतौर पर हिंदू मत भी
0:56
इस तब्दीली से गुजरा है वह मत और जैन मत की देहरी के इस वाले से अहम हैं कि
1:04
उन्होंने ब्राह्मण एवं के खिलाफ में आवाज बुलंद की और नए मुलायम की
1:11
बुनियाद रखी कि हिंदू मत में ही से बुद्ध-मत और जैन भक्त पूरे वक्त गुजरने के
1:20
साथ-साथ बुध्दमत ने एक जा मत मजहब की शक्ल अख्तियार कर ली
1:27
है और जैन मत के पैरोकारों ने उक्त हिंदू धर्म के जरिए साया जिंदगी गुजारने में ही
1:35
आपकी आत्मा सूची कि इस्लाम ने हिंदुस्तानी वषरें में हलचल
1:40
जरूर पैदा की मगर वह भी सोलहवीं सदी ईस्वी तक ज्यादातर अ
1:46
की रवायत का मजमूआ बनकर ही रह गया एक मोह के मुताबिक क्योंकि मुसलमान हुक्मरानों ने
1:56
कभी भी इस्लाम की तकलीफ के लिए कुछ सरकारी यह कुंती अदाकारा नहीं बनाया और ना ही
2:03
मुगल भिन्न की सरपरस्ती की लिहाजा मुख्य श्रेय पर गहरी नजर रखने वालों ने
2:10
अपने-अपने तौर पर व श्री स्लोगन जिम्मेदारी निभाई खास तौर पर सूफियां
2:16
ग्राम ने इस जिम्मेदारी को नहाए कामयाबी से निभाया है
2:22
कि इस्लाम से हटकर बात करें तो रामानंद चैतन्या कबीर दास मीरा बाई और बल्ब जैसे
2:29
इस्लाम संतों ने हिंदू मत के क्रश यार और इंतजार को अपने-अपने अंदाज से दूर करने की
2:37
कोशिश की मगर उन्होंने भक्ति तहरीर के तहत रोजमर्रा जिंदगी में तब्दीली लाने की बात
2:45
तो की मगर उनका मकसद ज़्यादातर आंवला मजबूत ग्रहों योनि पंडितों और पुरोहितों
2:52
के शिकंजे से और शेप जैसी बुराइयों से अवाम को निजात दिलाने तक ही में धूप रही
2:59
थी मैं इसी तरह भक्तों की धज्जियों सबको
3:05
शुक्रवार आइंदा जिंदगी में निजाद बुत परस्ती और कसरत परस्ती तक में दूर रही थी
3:12
है इसका नतीजा यह निकला कि वह मजहबी और समाजी झगड़ों में उलझकर रह गए जो के
3:20
भक्तों ने लोगों की समाधि हालत को दुरुस्त करने का ना सोचा इसीलिए उनका ऐतजाज याद
3:29
तहरीक अवाम को किसी एक प्लेटफार्म पर इकट्ठा करने में नाकाम रही थी
3:36
क्या हाल है कि हिंदुस्तानी समाज में उनकी शाखाएं और फिर के जगह-जगह फैले हुए थे व
3:44
हिंदुस्तानी समाज में गुफ्तगू कल मुकाम ना बना सके लोगों में कोई ऐसा जगदीश कुर्मी
3:50
शऊर बेदार ना कर सके इसकी बुनियाद पर आला वदना को यकजा किया जा सकता है
3:57
कि पंद्रहवीं सदी एसपी के आते-आते बेरुनी हमलावरों के लगातार हमलों ने इंसानियत को
4:04
मजबूर और परेशान किया हुआ था लोग अपने-अपने मुजाहिद की बुनियादी तालीम आपको
4:10
भूलकर तो हम प्रगति में घर खो चुके थे एक दूसरे के यकीन देखो रुलाना और बाहरी
4:18
खून-खराबे में मशगूल रहना उनका माहौल बन चुका था इंसानियत की आंवला 1000 सच्चाई
4:25
क्रॉप लाकर सीरवी किस्सा एक बार ही ना बन कर रह गए थे मुसलमान तो पूजा हिंदू
4:33
बेशुमार सिर्कों में मुक्त SIM हो चुके थे बल्कि सब ही खुदा को भूले बैठे थे इन
4:41
हालात में सिख मत के बानी गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ वह 1400 69
4:50
ई-मेल जिला शेखपुरा जो कि आप ज़िला ननकाना साहिब है कि एक गांव तलवंडी में पैदा हुए
4:57
[संगीत] कि गुरु नानक की मजरूह को हकीकत और सच्चाई
5:02
की तलाश उनकी यह सच्चाई नाम महिलाओं के पास थी और ना ही ब्रह्मा के पास इसका
5:10
श्रॉफ मिलता था ना कि गुरु नानक बड़ौदा निकला कि शब्दों और
5:16
इस्लाम की कार की उपस्थिति से दिलबर ताकातें उन्होंने उस वक्त की सियासत माहिर
5:23
और समाज का गहरी नजर से मुशाहिदा किया उनके यही मुर्शिदाबाद सिख मजहब की बुनियाद
5:31
बनेंगे कि बाबा गुरु नानक ने अपनी काली मार की
5:36
गुनहगार तमाम मजा है कि अच्छी बातों पर रखी और आहिस्ता-आहिस्ता सिखमत 169 मजहब बन
5:44
गया है कि इंसान दोस्त होने के नाते बाबा जी गुरु नानक हिंदुस्तान के प्रवाहित तीसरा दुगना
5:52
बन सकते हैं कि उन्होंने अपनी जिंदगी का ज्यादा वक्त आम घरेलू इंसान की तरह गुजारा और सच तक
6:01
रिहाई के बाद जब घर लौटे तो पहाड़ों व जंगलों की बजाय अपना ठिकाना लोगों के
6:08
दरमियान दैनिक तार की गहमा-गहमी को बनाया गुनाहगारों के निजाद अहमदाबाद और मासूमों
6:16
के मुहाफ़िज़ बनने की बजाय उन्होंने आप इंसान की इस्लाम का बीड़ा उठाया है
6:23
हां बाबा जी गुरु नानक एक हाथ साफ इंसान थे वह चीजों से मुंह फेरकर नहीं सुधर सकते
6:29
थे जिन्हें उस वक्त कि इस्लाम की समाजी और सिद्धार्थ ने बेहद सीमित कर रखा था वह सच
6:37
की तलाश में करिया करिया गांव-गांव शहर शहर घूम में और मुफ्त लखनऊ शहर के मजहबी
6:45
आस्था महाराज ने भी शिरकत की उन्होंने हिंदुओं की मजबूरी किताब वेद स्मृति
6:52
शास्त्र और पुराणों का मुकाबला किया और मुसलमानों की मज़बूरी का पुराने मुझे पर
6:59
भी गौर और फिक्र किया आखिरकार जब वह भी कोशिश में कामयाब हुए और कष्ट पर हकीकत कर
7:07
लिया तो एक नए मजहबी सिख मत की बुनियाद रखी उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों की पर
7:15
सूबेदार रस्मों की शक्ति से मुहम्मद की और एक-एक खिलाफ कि इंसानी हंसती का तसव्वर
7:21
पेश किया कि कोट संभाजी इंकलाब के का हाथ और उबले थे
7:27
इसलिए उन्होने तास्सुब से पांच संभाजीनगर हाथ की तालीम दी उनके परिवार के मुताबक एक
7:35
मिसाल इंसान भेदभाव और अगला-पिछला की दाल का हनन होता है बाबा जी का मोहतरम इंसान
7:43
जात-पात और रंग और नस्ल के ऊपर से पाला तरह होकर सोचता है
7:50
कि सब कुछ मेरा है कि तसव्वर और दुनिया भी ही अश्वत्थामा से हजार होता है
8:02
है जैसा कि सवाल सुधीर समाज में होता है इंसान अपनी तकलीफ की सिलाई में जाया कर
8:08
देता है उसके जैन पर रस्मों-रिवाज का पहरा लग जाता है जिसके बारे में इस पर चलती
8:15
फिरती मशीन बन कर रह जाता है इसी तरह शहद में ज़हरीली रस्मों की अवधि ने हिंदू और
8:23
मुसलमान दोनों को निकला कि बस मांगी में घर कर रखा था बाबा जी गुरु नानक अपने कलाम
8:30
में हिंदुओं और मुसलमानों की समाजी और मस्ती हालत का नक्शा यों पेश करते हैं
8:38
का कर्ज माफ इस पोस्ट को यह मुसलमान निवासी अदा करते
8:45
हैं और जैनुल पहनकर घूमने वाले हिंदू लोगों पर जुल्म करना अपना फर्ज समझते हैं
8:53
मैं ब्राह्मण मानक वालों के घर जाकर पूजा-पाठ का केंद्र खुश होते हैं इन दोनों
9:00
का सरमाया और कारोबार जूर पर मम्मी है और वह झूठ के लिए प्रिंस कमाते हैं शर्मोहाया
9:09
दुनिया से उठ चुका है हर तरफ झूठ ही झूठ है माथे पर तिलक लगा रखा है कमर पर जब रंग
9:17
की धोती है मगर हाथ में छुरी लेकर लोगों का पूर्ण करते हैं ऐसे लोग भी हैं जो नीले
9:24
रंग के कपड़े पहनकर हाकिमों की निगाह में छीत बनने की कोशिश करते हैं जो लोग यह है
9:31
कि ब्राह्मन जिन लोगों को मिली आज कहते हैं उन्हीं की कमाई से मजबूरी फरमाइश की
9:38
अदायगी करते हैं दूसरी तरफ मुसलमान जिस बकरे की गर्दन बहुत देसी जुबान यह अरबी का
9:46
कलमा पढ़कर चोरी करते हैं उसी का गोश्त खाते हैं और ऊपर से यह भी कहते हैं कि
9:53
हमारे कुं रीफ मत आना दैनिक जहां रोटी करते कहीं
9:58
हमारी और आखिरी पलीद ना हो जाए और हम पुलिस ना हो जाए अच्छा लगे वह मुसलमान
10:04
पुनीत जिस्म के साथ गलत कार्य करते हैं नानक इन दोनों से कह दे पाती इसकी तब नसीब
10:13
होगी जब सच्चाई का दामन थाम ओके बाबा गुरु
10:18
नानक कि कैसे वो आश्चर्य की ख्वाहिश रखते हैं जो ना हिंदू हो और ना मुसलमान
10:23
कि वह यह भी समझते थे कि नहीं अगर आदमी के बगैर लोगों को इस्लाम की खतरों से आगाह
10:29
करना मुश्किल होता हैं इसीलिए गुरु नानक ने समाज की खराबियों की निशान रही करना
10:36
शुरू की आपकी समाधि चितवत और शंखनाद किया गांव के बारे में सैयद मोहम्मद लतीफ इसकी
10:43
आधी पंजाब में लिखते हैं कि चश्मा
10:48
तमिल लंबी जद्दोजहद के दौरान गुरु नानक की कोशिशों का मकसद उन मजबूत और स्मार्ट यह
10:55
लाख रात को खत्म करना या कम करना था जो हिंदुस्तान के दो बड़े बस भी करो हो यह
11:01
मुसलमानों और हिंदुओं के धर्म या झगड़े और प्रकाश का बाय थे उन्हें इस कोशिश में
11:07
बड़ी हद तक कामयाब हुई उन्होंने हिंदू मुस्लिम फसाद आपको स्वस्थ नापसंद किया और
11:14
नोएडा आने के बाद हम इस लुक प्यार-मोहब्बत और भलाई को अपने पेश करता नए मदद की
11:22
गुड़िया बनाएं भक्तों और सूफियों की तरह बाबा जी गुरु नानक ने रब से मोहब्बत को
11:29
इंसान का मकसद देहात करार दिया उन्होंने घास-पात और बाहरी रस्मों-रिवाज की मुखालफत
11:37
की समाज की इस क्लास की बीमारियों और गलतियों का एहसास और उनको दूर करने की
11:43
फिक्र उनके वेतन का एक लाश भी साथी कि योग गुरु नानक के कार्यकर्ता मजबूत फिर
11:51
के की बुनियाद दो असूलों दैनिक खुदा की इबादत और इंसानी बाय चेहरे पर उस बार की
11:59
दे अपनी तारीफ में उन्होंने सात बार पूंछा और समाजी अधिक में मसावात को ग़ैर इंसानी
12:06
करार दिया मुस्लिम छात्रों के लिए उपलब्ध धर्मों का तो संवर्ग झूठ करार दिया
12:12
उन्होंने सबके लिए एक ही मजहब की तालीम जी और वह मजहब था इंसानियत जातियों और फिर को
12:21
मैं तक्सीम हिंदुस्तानी समाज के लिए मूसा बाद का यह दृश्य इंकलाब की हैसियत रखता था
12:28
उन्होंने एक मुसलमान मार्किंग को गैर मुस्लिम हराया और एक अछूत को एक मुकद्दस
12:34
ब्राह्मण के बराबर दर्जा दिया उन्होंने अपनी बात यहां से शुरू की तिजारत बात की
12:41
तो फिर एक इंसानों की अपनी पैदा करता है क्योंकि रब की कोई जात नहीं लिया
12:47
हुआ था उसकी मुस्लिमों की भी कोई सजा नहीं होनी चाहिए फरमाते हैं
12:55
कि मैं फोन उठा यह है कि खुदा की कोई जॉब नहीं है मैं अपने आप को अजीम कहने से कोई खुदा की
13:03
नजर में अजीम नहीं होता उसकी अदालत में साथ और पैदाइश खाकर में नहीं लाए जाते
13:10
बल्कि साथ को बुलंदियों अजमत अमाल के फसल होती है जात पात ही नसीब का एक और अंदाज
13:18
मुलाहजा को यानि साथ में क्या रखा है कर की पहचान होनी चाहिए जोरदार पात वाला मोरा
13:27
खाए वहीं मरेगा इसी तरह एक और जगह फरमाते हैं
13:33
मैं अपनी जात की पहचान करो और काम कि बात को छोड़ो क्योंकि हम और के बाद जाम को
13:39
नहीं पूछा जाएगा इसी तरह गुरु नानक इंसानी मूसा बाद का दर्शाव देते हैं यानी सब
13:49
अजीमुल मर्तबा है मुझे कोई गम साथ दिखाई नहीं देता अरब ने ही सबको खूबसूरत असली
13:56
किया है और सब एक ही रोशनी की किरने हैं इस रोशनी की हकीकत उसकी रहमत फिर सुबह
14:03
मिलती है और उसके कर्म को कोई नहीं मिटा सकता अगर आपके नजदीक जात-पात की कोई
14:10
हैसियत नहीं नहीं कि एक जगह लिखते हैं
14:19
275 का सवाल पशु लें महज है चार पार्ट पर फक्र बेमानी है जब तमाम मसलों का सहारा
14:27
गांव की जात है तो फिर अगर कोई खुद को मुक्त दर ख्याल करता है तो उसे यह भी याद
14:33
रखना चाहिए कि रॉक के नजदीक उसकी क्या हैसियत है बाबा जी फरमाते हैं
14:41
लिए रब के हाल-चाल पात नहीं बल्कि इंसान के माल देख जाएंगे लिहाजा इंसान को यह सूल
14:48
बातें नहीं करनी चाहिए और अगर इंसान फिर भी बाज नहीं आता फिर उसकी रब के सामने
14:54
रुसवाई वह घी हां बाबा जी गुरु नानक एक और मुकाम पर
15:02
जात-पात की नई यह बयान करते हैं कि कोई
15:07
शख्स अपनी साथ का गुमान ना करें जो खुदा की पहचान कर ले वही मॉरीशस है है बेवकूफ
15:13
तू साथ का गुमान ना कर इस गुट के नतीजे में खराबी है लोग कई फिर को पर अखबार में
15:20
तक SIM है लेकिन सब की मालिकों हालत ट्रंप की रात है सारी दुनिया की तरह ही एक ही
15:28
मिट्टी से हुई है और हां लिखने मुक्त लंच सोचते हैं बनाए हैं हर जिस्म के पांच
15:34
नासिर इत्र की भी हैं कौन कह सकता है कि किसमें कौन सा आंसर शामिल नहीं तुम आम
15:40
इंसान बराबर हैं की कला मीना निक में
15:46
में बहुत सारे भक्तों के संतों का किला मौजूद है भक्त कबीर
15:53
कि यह चंद इशहार जात-पात के हवाले से गिरने कैसी है उसकी अभी की मुलाहजा कीजिए
16:02
है यानी सैफ पंडित जब तो अपनी मां के पेट में था उस वक्त तो अपनी जात नहीं पहचानता
16:08
था तुम्हारा मोलू खुदा के नूर से पैदा हुई है है पंडित हमें यह तो बता कि तू कब से
16:15
ब्राह्मण है और हम कब से शुरू तक वह ऐसे ही खुद को ब्राह्मण कहकर वक्त जाया कर रहा
16:22
है अगर तू आकर ब्राह्मण है और हमसे आला आला है तो हमसे मुफ्त तरीके से क्यों पैदा
16:29
नहीं हुआ हम तो उसे ब्राह्मण कहते हैं जिसे खुदा का पूर्व हासन को इस वर्ष मंदिर
16:37
में बाबा जी ने अपना रिश्ता नीच राशि वालों से जोड़ा है
16:43
यहां पर मानते हैं के बीजों में जो सबसे नीच साथ है और उससे
16:49
भी यूनिक जाता है नानक उसके साथ रहना चाहता है वह हालात से किनाराकशी करता है
16:57
क्योंकि जहां नीच जात रहते हैं रब की नजरे करम भी वहां अब पड़ती है
17:04
हां बाबा जी गुरु नानक कुछ सियासी रहनुमा न थे कि वह सिर्फ लोगों के दुख-दर्द देखकर हर
17:11
वक्त हम सदा रहने वाले एहसास इंसान थे वह अपने दौर की हुकूमतों और उनके कारिंदों की
17:18
नली से असुरता रहते थे उनसे यह देख बर्दाश्त नहीं होता था कि लोगों की खून
17:25
पसीने की कमाई से हुक्मरान तब का नाजायज मुनाफाखोरी करके अपनी तो यहां पर जा रहे
17:33
और लोग बेबसी से उनका मुंह तक 13वें हुक्मरानों पूर्ण के कारिंदों के मुताबिक
17:39
बाबा जी गुरु नानक ही सियासी आ गई मुलाकात हो
17:46
वो मासूम यह कि हरण शाहिद और मुकामी अफसरों को तबीयत या हफ्ता कहा जाता है
17:53
दरअसल यह जिसके खादम होते हैं उन्हें ही मैक्रम बना लेते हैं बाबाजी कहते हैं कोई
18:02
बात नहीं इस जहान में ना सही उम्र और के बाद ही सही यह समझ जाएंगे जब अगले जहां
18:09
इनकी कोई करो कि मत ना होगी कि कि वहां यह की की आलम और दानिशवर वही होगा
18:16
जिसने खुदा से लॉ लगाई होगी ट्रक की जड़ें इस कदर गहरी होगी उतना ही उसका छाया घना
18:24
होगा मॉर्फिन यह कि जिस बादशाह का अवाम से रिश्ता मजबूत होगा उन लोगों की
18:33
है उतनी ही ज्यादा मेहनत करेगा मगर यहां तो हुकूमत ईमेल कार और उमरा को लॉक क्लब
18:40
की नींद सोए हुए हैं उनका रवैया शेरों जैसा है और अहलकारों का कुत्तों जैसा मगर
18:48
दोनों अवाम को नाजायज तंग कर रहे हैं वह तो मजे की नींद सोते हैं लेकिन अवाम
18:55
बेचैनियों बेताब है वह ऐसे ही लोगों को मैं सुनकार दरिंदों की तरह नाखूनों से
19:02
जख्मी करते रहते हैं याद रखो जब रब के असुर हाजरी होगी कमाल की कोशिश होगी तो
19:10
ऐसे हुक्मरानों और उनके उतरा और मशीनों को सख्त नदामत और शैंपू सारी का सामना करना
19:17
पड़ेगा हां बाबा जी गुरु नानक का रिश्ता क्योंकि अवाम से था इसलिए उन्होंने हमेशा हम कि
19:23
फलों के भूत के बारे में सोचा उन्होंने लोगों के इरादे पर अमल में ताहिर और पैदा
19:29
किया और जामोद रस्मों पर 1000 से पीछा छुड़ाना चाह
19:36
है क्योंकि वह सबको एक इंसानी मांस करेगा लोकल समय देते इसलिए उन्होंने इंसानी
19:42
भाईचारे और समाजी मूसा बाद के उसूलों को वषरें की बुनियाद बनाने की कोशिश की लेकिन
19:48
वो आश्चर्य की रफ्तार ही कुछ और थी लिहाजा उन्होंने सरेआम ऐसे मुख्य श्रेय की खुशामद
19:56
की है फरमाते हैं
20:01
कि यह माहिरा कुत्ते कि मुझे ऐसा अच्छा लग रहा है कि ऐसा ही वक्त आ गया है
20:07
जब दूसरों का माल खाना अपना हक समझा जा रहा है लोग झूठ बोलकर एक दूसरे की तरफ मूह
20:16
करके लौटते हैं 13 धर्म का सफर खत्म हो चुका है जिंदगी पर
20:22
मजा हो चुकी है ऐसे लोगों ने मरने के बाद ब्रेव कार ही छोड़ जाने हैं
20:28
दूध लाने कहता है कि किस्मत में जो लिखा था वह जी रहे हैं मालिक का हुक्म पूरा हो
20:34
कि रहता है औरतें नासमझ और मर्द उनके सैयद बने हुए हैं ने सिर अपने नर्स पर ग्रेट और
20:44
पाती थी कि जैसे उस आफ खत्म हो चुके हैं जो चीजें खाने की नहीं उठाई जा रही है
20:50
धर्म अपने घर में जा छुपा है इस तो करती थी उसके साथ ही जा चुकी है इस सूरते हाल
20:58
में है ना ने अपने रखी जाती है जिससे सहारा समझना काफी है लिहाजा और किसी का
21:07
क्या भरोसा है अब हम देखते हैं कि बाबा जी कीर्तन की रात में ज्यादा का रूप नारायण तक का आया है
21:14
गाजी की नाइंसाफी उन्हें एक आंख नहीं भाती है वह शहद की नाइंसाफियों पर आतंकित करते
21:21
हुए बाबूजी पर आते हैं कि का जी की जिम्मेदारी इंसाफ करना होता
21:29
है लेकिन उस तस्वीर घुमाता है और खुद आकर जिक्र करता है यानि जो उसका काम है वह
21:35
नहीं कर रहा बल्कि दूसरे कामों में लगा हुआ है मगर साफ-साफ तस्वीर के साथ-साथ को
21:42
रिश्वत भी लेता है और सच्चाई का फोन पर करता है और अगर कोई वजह पूछे तो किताब खोल
21:48
कर अपने हाथ में पढ़कर सुना देता है करूंगी थप्पड़
21:54
मैं इग्नोर जगह लिखते हैं मैं कभी झूठ बोलता है और रिश्वत लेता है
22:00
ब्राह्मण इंसान को क़त्ल करके नहाता है स्नान करता है फिल्म से आ रही जोगी सीधी
22:07
राह नहीं चलता यह तीनों की योनि क़ाज़ी ब्राह्मण और जो कि खुद को भाई-चारे का आलम
22:15
पता कहने वाले इंसानी बस्ती का सबब बने हुए हैं
22:20
हां बाबा जी गुरु नानक रखें और कार की तलाश में गौतम बुद्ध की तरह हिंदुस्तान
22:26
बार का सफर करते हैं बल्क से रूबरू ने मूल की दौरे करते हैं अपने चकली दौरों के
22:32
दौरान गुरु नानक जी ने लोगों के समक्ष भी शिकायत का गहरी नजरों से मुकाबला किया
22:39
आखिरकार वे इस नतीजे तक पहुंचे के लोग मोहब्बत और भक्ति को छोड़कर जहर रस्मों
22:45
रिवाज को ही इबादत का दर्द जाती है बैठे हैं जो खुदा तक रसायन का जरिया हर भी नहीं
22:52
फरमाते हैं है अबे कोई चोर किसी का माल लूटकर अपने
22:58
बुजुर्गों की नजर कर दे तो ऐसा मामला आगे चलकर अपनी पहचान खुद कराएगा योग बुजुर्गों
23:04
को चोर समझा जाएगा दल धनिए ब्राह्मण जिसने
23:10
यह रस्म अदा की है कि हाथ काटे जाएंगे तो कि सेना ने वहां चलकर उस खावत का अच्छा
23:18
जरूर मिलेगा जो मेहनत की कमाई से की गई होगी मखदूम यह हुआ कि खुदा तक रस आय का
23:25
जरिया हराम की कमाई से साबित करना नहीं होता बल्कि इस का प्यार बुराइयों से बचना
23:32
होता है इनमें यह चार बुराइयां खास तौर पर क्लिक है पर बाबा जी फरमाते हैं
23:41
की कोठी अकल कि मुर्दा समीर डूंगरी मेरा टशन है बेरहमी
23:48
कसाइन है चुगली करना चूड़ी प्लैन हरामखोरी करना है
23:55
का गुस्सा करना चांडाल की मानिंद होता है यह चारों बुराइयां हर वक्त इंसान के अंदर
24:00
रहती हैं लिहाजा अंदर की सफाई जरूरी है मगर उस जमाने में तो मुसलमानों हिंदुओं और
24:07
जिगर मुजाहिद के पैरोकारों की कुछ यूं हालत थी यानि जब कोई हिंदू धर्म में दाखिल
24:13
होने के लिए आता है तो ब्राह्मण मंत्र पढ़कर जैनों उसके गले में डाल देता है लेकिन अगर कोई जैनों पहनकर भी बुरे काम
24:21
करता रहे तो फिर उसकी स्नान करने का क्या फायदा मुसलमान अपने मजहब की अस्मत बयान
24:27
करता है वह कहता है कि हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर ईमान लाए बगैर
24:33
खुदा कपूर नसीब नहीं होता मगर जो तालीम दुर उर्मिला ने दी उस पर बहुत कम अमल करता
24:41
है ने कमल किए बगैर किसी को जन्नत नहीं मिलती जोगियों के गिरोह में शामिल होने के
24:47
लिए कानों में मुंद्रे पहनने पड़ते हैं और कर जोगी मंजिले मक़सूद तक पहुंचने के लिए
24:53
दर-दर की कि खाता है वह यह भूल जाता है कि खुदा हर जगह मौजूद है यहां सब मुसाफिर है तेरा
25:01
मिलते ही घड़ी भर में तैयार को जाना है जो शख्स दुनिया में खुदा को पहचान लेता है
25:08
घुम भरने के बाद भी रखी पहचान कर लेगा वरना हिंदू या मुसलमान का शेखी बघारना है
25:15
उस जूस है बाबा जी गुरु नानक का ख्याल है कि रंग-बिरंगे कपड़े पहनने से इंसान खुदा
25:21
तक रिहर्सल नहीं कर सकता है बल्कि सच्चे दिल से खुदा को याद करना है और इंसानियत
25:27
के लिए उपलब्ध शक्कर और रहमों करम ही इंसान को अब दिया कि उक्त कार पावन दे
25:32
सकता है वह जानते थे कि दांत समाज या मार्शल से जुदा होकर नहीं रह सकता है
25:40
क्या कहते हैं यो यो हनी धर्म योगी के पैबंद लगे कपड़े
25:47
पहनने से नहीं बनता ना ही हाथ में आशा पकड़ने जिस्म पर राख मलने और ना ही सर
25:55
मुंडवाने से बनता है धर्म वक्त लच्छेदार शुरू करने का नाम की नहीं असल धर्म सबको
26:02
एक ऐसा समझना है कब्रिस्तान में बैठने से ख़ुदा नहीं मिलता और ना ही देश-विदेश फिर
26:09
मैं और तीरथ नहाने से खुदा की राह मिलती है दुनिया में मालो दौलत थे बेनियाज़ रहकर
26:16
खुदा की तलाश की जा सकती है संगत चुगे
26:22
इंसान में खिदमत और एस्सार का जज्बा पैदा करती है लेहाज़ा गुरु नानक जी ने संगत
26:28
यानि इस टमाटर पर बहुत जोर दिया है वह सब संगत को ऐसा समाज कहते हैं यहां सिर्फ
26:35
जाते बारीक लकी हम्द ओ सना की जाती है संगत उनकी तबीयत के लिए समाधि स्लाइड होने
26:42
अधिक उपयुक्त बन गया इसलिए इसमें आम लंगर का इंतजाम भी किया क्या यहां जात-पात रंग और नस्ल और मजहब की
26:51
कोई कहना थी लंगर में मजबूत फिर के की तफरी के बगैर सब को एक जगह पर खाना खिलाया
26:58
जाता था इस तरह भूखों को खाना खिलाना सिखों के मजहब का हिस्सा बन गया इसी वजह
27:05
से सिख धर्म में क्रॉस और समाज जिस तरह कुछ बड़ी अहमियत दी गई है बाबा जी गुरु
27:12
नानक के उपकार ने हिंदुस्तान के वासियों में रोहानी और 1 लाख की बेदारी पैदा की
27:18
उन्होंने मजहब में शिर्क अब बारी है पर औषधि नुक्ताचीनी की और अपने आपको किसी फिर
27:25
के साथ नहीं जोड़ा बाबा जी ने लोगों को सीधा रास्ता दिखाया उनके नजदीक सिर्फ खुद
27:32
आए वह चीज है जो अव्वल और लाइक है और हर जगह मौजूद है उन्होंने मजहब के तीन
27:39
गुमशुदा रास्ते तलाश किए है यानी मजबूत की उम्र श्रद्धालुओं को बाद
27:44
याद किया और हिंदुओं की चार जातकों को एक म्यूजियम का किया यानी वह भारत के खिलाफ
27:51
थे उन्होंने चारों गधा दोनों को रूहानी मूसा बात का दर्द दिया और इन्हें एक दूसरे
27:57
की इज्जत करना सिखाया उन्होंने सबको मोहब्बत की राह दिखाई थी यह कैसे मतलब की
28:03
रात दूसरा ही रस्मों रिवाज और मुक्त से उबर रहा हो
28:08
क्यों कहा जाता है कि जंग बादशाह के लिए ऐसे खेल की तरह होती है जिसमें जीत हार
28:13
कोई अहमियत नहीं रखती मतलब यह कि जंग के नतीजे में हुक्मरान तब का हमेशा फायदे में
28:20
रहता है मगर यही जंग आवाम के लिए तबाही और बर्बादी जाती है जन्म के बाद शहनाइयां और
28:28
ढोल बजने वाले मुकाम पर हैं जहां कभी ऐड इशरत की जिंदगी बसंती थी वहां कंट्रौल
28:34
दिखाई देते हैं बादशाहों की दौलत की हवस ने बहुत से लोगों को गुमराह किए रखा लेकिन
28:40
यह बात औरत इंसान के साथ अगले जहान नहीं जाएगा बाबा जी ने हुक्मरानों को नसीहत का
28:48
जो इंसान दोस्त अंदाज अपनाया उस की एक मिसाल मुलाहजा को
28:55
कि यह ने इशरत की जिंदगी गुजारने वाले आज कहां है वह हाथी घोड़ों की तमिल कतारें
29:00
आरामदेह बिस्तर आज कहां है मेरी समझ में तो यही बात आती है थे यहां बहुत ज़ोर है
29:06
ताज और तख्त के मजे लूटने के लिए जिल्लत का सामना किया है इंसान तो फिर भी नहीं
29:13
समझता बाबा जी कहते हैं हुक्मरानों का तो जंग के बाद भी कुछ नहीं बिगड़ता बात तो उन
29:19
भूखे-नंगे और बेबस और बेसहारा लोगों की है जिनके स्वरों से छत भी छीन जाती है और
29:26
औरतें बेवा हो जाती हैं और कुछ अपने शहरों के इंतजार में खड़ी हो जाती हैं
29:36
कि बेरुनी हमलावरों के खिलाफ बाबा जी के लाल चौक में यह बात घर कर चुकी थी कि
29:41
मुल्क की तबाही का यह हमलावर वायरस है अक्षर मौकों पर उन्होंने इन लूटमार करने
29:49
वालों की बला मुरम्मत की है लेकिन कभी-कभी ज़ेर-ए-लब कल मैं यह कहने का अंदाज भी
29:56
अपनाया है शर्माते हैं कि इंसान के 5 दुश्मन है यानी लालच गुस्सा
30:03
आ व स्वस्थ दूंगी और खुद ही ने उसे गिरफ्तार है 25 हैं और मैं तन्हा ने अपने घर बाहर
30:11
मालूम स्वाद की पार्षद कैसे करूं मेरा गिफ्ट खंडहर बन चुका है उसके अंदर मंदिर
30:17
था जिसे लूट लिया गया है यह तो ऐसा था जैसे अकेली औरत को गिरफ्तार कर लिया गया
30:25
हो अब हम देखते हैं कि हमलावरों की मुरम्मत करने की एक वजह मुकामी उपकरणों का ना हेलो
30:32
होना भी अच्छा बाबा जी समझते थे कि अगर मौका मिला उस महान कुछ करने की पहल और दयानतदार होते तो बिरूनी हमलावरों को हमला
30:40
करने की हिम्मत नहीं होती इसीलिए उन्होंने मुकाम हुक्मरानों को कोर्चे शुक्र है कम
30:47
आते हैं यो यो हनी अगर रहनुमा पोर्चे शुरू हो तो वह दूसरों को क्या राह दिखाएगा जो खुद
30:54
ग्रस्त था यह मंगल हो कि वह दूसरों की क्योंकि रहनुमाई करेगा अंदर तो अंधेरा ही फैला है का गुरु नानक
31:03
जी ने जहां सियासी और सामाजिक जाम पर धन की थी वहां उनकी निगाह औरत पर की बड़ी जो
31:10
रस्मों-रिवाज की चक्की में पिस रही थी बाबा जी के जमाने में औरतों की हालत बहुत
31:16
अख्तर थी उन्होंने औरत को उसका जायज मुकाम दिलवाने की भरपूर कोशिश की उन्होंने
31:23
उन्होंने अवाम को और अपके बलंबा काम का एहसास दिलवाया और उसके साथ ना सिर्फ
31:29
हमदर्दी से पेश आने की तलकीन की बल्कि उसके समाजी रुतबे की बुलंदी के लिए
31:35
जिद्दोजहद देखी फरमाते हैं
31:41
है और उसके बदन में हमारी तसीम होती है हम औरत इसे जन्म लेते हैं और से ही हमारी मनी
31:47
होती है और उससे ही हमारी शादी होती है औरत के तो बहुत से हमारे रिश्ते नाते काम
31:54
होते हैं वहीं नस्ल को आगे बढ़ाने का स्वागत है जब एक औरत फॉर हो जाए तो दूसरी
32:01
तलाश करते हैं यानी कि हम एक TV को हो जाए तो दूसरी स्लाइस करते हैं हम उस औरत की
32:06
अस्मत से कैसे इंकार कर सकते हैं जिसमें राजकुमार राजू को जन्म दिया और उससे ही
32:11
औरत पैदा होती है और उसके बगैर कोई पैदा नहीं होता इससे वक्त खुदा पैदा नहीं हुआ
32:19
है नानक मर्द हो या औरत जिसकी जुबान पर ट्रंप की तारीफ है वहीं खुश नसीब है वहीं
32:27
रखी सचिव बार घाव में इज्जत पाए का यह कि अब हमारी सारी पुस्तकों को समेटने की
32:34
कोशिश करते हैं तो हम देखते हैं कि बाबा जी गुरु नानक का प्रभाव इंसान दोस्ती का
32:42
प्रभाव था कि उन्होंने अपने आप कारों तालीमात में हर
32:47
मजहब नस्ल और फिर के को मुक्त किया है उन्होंने खास तौर पर किसी मजहब को कमतर
32:54
करार नहीं दिया यहां इस बात की बहुत ही जरूरी है कि गुरु नानक जी ने हिंदू धर्म
33:00
और इस्लाम में स्त्री हम मांगी पैदा करना नहीं चाहिए बल्कि वह तो एक ऐसे मजहब के
33:08
मुतलाशी थे जिसमें तमाम मजा है कि आला तालीम आदत को यकजा कर लिया जाए क्योंकि उस
33:15
समय थे कि उस वक्त के मुजाहिद का सही लिहाजा इंसानों के दरमियान फिर कवायद का
33:23
पेस्ट बना हुआ है और आप लोगों को एक नए मजहब की जरूरत है
33:29
कि गुरु नानक जी ने वक्त की इस जरूरत को पूरा करने की कोशिश की और मदद की सारी
33:35
दवाइयां की मुरम्मत की लोगों को वह मुहब्बत का दर्द हुआ था और खुद को इंसान
33:43
दोस्तों में शुमार करवा दिया था बहुत शुक्रिया
33:49
है कि आपके फीडबैक का इंतजार रहेगा सामने की करें और लोगों को थामने की करने की तरफ
33:57
गई थी अ अजय को हुआ है
34:05
झाल का
#Religious Music
#Religion & Belief
#Human Rights & Liberties

