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गया नमस्कार दोस्तों मैं प्रवीण कुमार परीक्षा जंक्शन ट चैनल पर आप लोगों का
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बहुत-बहुत स्वागत करता हूं और इस वीडियो को जितना भी ज्यादा से ज्यादा हो लाइक
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करें सब्सक्राइब करें और शेयर करें जिससे सुदूर गांव में बैठे हुए बच्चे भी इसका
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ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सके दोस्तों हम लोग अभी चल रहे थे यह फंडामेंटल राइट और
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डीपीएसपी की क्लास हो चुकी है आज हम फंडामेंटल राइट और डीपीएसपी में तुलनात्मक
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अध्ययन इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या कहा सुप्रीम कोर्ट की राय फिर इसमें क्या-क्या अमेंडमेंट्स हुए उन पर हम लोग
0:48
चर्चा करेंगे और इन चीजों पर चर्चा करते हुए हम लोग फंडामेंटल ड्यूटीज पर जाएंगे
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क्या हम लोग फंडामेंटल ड्यूटीज पर जाएंगे तो शुरू करते हैं आइए हम लोग शुरू करते हैं
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देखते हैं कि राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों में किए गए
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संशोधन किसी भी चीज में संशोधन क्यों किया जाता है संशोधन की हमें क्या आवश्यकता
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क्या आवश्यकता है या जीवन में जैसे जीवन में बदलाव आवश्यक है हर चीजों में बदलाव
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आवश्यक है समय एवं परिस्थिति के अनुसार उसमें नई चीजें जुड़ती है कुछ पुरानी चीजें हट जाती है उसी तरीके से राज्य के
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नीति निर्देशक तत्त्वों में भी कुछ चीजें चेंज की गई अर्थात इसमें कुछ नई चीजें जोड़ी गई ठीक है जो समय एवं परिस्थिति की
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मांग थी उन परिस्थितियों के अनुसार संविधान में संशोधन किया गया तो देखते हैं
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सबसे पहला कि 42 में संविधान संशोधन ये 1976 में हुआ था कब हुआ था 1976 में हुआ
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था और 42 व संविधान संशोधन के द्वारा डीपीएसपी अर्थात राज्य के नीति निर्देशक
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तत्वों में कुछ चीजों की कुछ चीजों को ऐड किया गया था जोड़ा गया था जो हमारी जरूरत
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थी तो इसमें क्या जोड़ा गया था तो इसमें अनुच्छेद 39 क 43 क तथा 48 क को शामिल किया गया क्या
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किया गया 42 व संविधान संशोधन द्वारा आर्टिकल 39 में आर्टिकल 43 में और आर्टिकल
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48 में परिवर्तन अर्थात अमेंडमेंट किया गया इसमें कुछ नई चीजें जोड़ दी गई फिर
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इसके पश्चात देखते हैं 44 में संविधान संशोधन में क्या चीज जोड़ी गई तो देखते
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हैं कि यह 42 में संविधान संशोधन के दरमियान हमारे देश की प्रधानमंत्री इंदिरा
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गांधी थी और 44 में संविधान संशोधन जो हुआ था उस दरमियान हमारे देश के प्रधानमंत्री
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कौन थे मुरार जी देसाई तो मुरार जी देसाई के शासनकाल में देखते हैं कि संशोधन के
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माध्यम से आर्टिकल 48 में परिवर्तन किया गया क्या किया गया आर्टिकल 38 में 38 में
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परिवर्तन किया गया अर्थात इसमें संशोधन किया गया और संशोधन करके संशोधन कहां किया
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गया इसके भाषा में संशोधन किया गया क्या किया गया 44 में संविधान संशोधन द्वारा
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अनुच्छेद 38 में अनुच्छेद 38 के भाषा में परिवर्तन किया गया क्या किया गया अनुच्छेद
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38 के परिभाषा में परिवर्तन किया
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गया फिर देखते हैं कि अनुच्छेद आर्टिकल 45
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अनुच्छेद 45 में उल्लेख है कि राज्य प्रारंभिक शैशवावस्था की देखरेख
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और सभी बालकों को उस समय तक जब तक कि वे 6 वर्ष की आयु पूर्ण ना कर ले शिक्षा प्रदान
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करने के लिए प्रयास करेगा यह 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 की धारा तीन
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द्वारा यह 2010 में प्रति स्थापित किया गया अब यहां पर देखते हैं कि अनुच्छेद 45
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में क्या जोड़ा गया अर्थात जब बच्चा जन्म लेता है तो बच्चे के जन्म लेने के पश्चात
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अर्थात 6 वर्ष की अवस्था तक यह हुआ प्रारंभिक शैशवावस्था तो 6 वर्ष की अवस्था
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तक उस उसकी देखभाल की बात की गई है क्या की उसकी देखभाल और शिक्षा की बात की गई है
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यह कब जोड़ा गया था यह 2 10 में जोड़ा गया था और किस संविधान संशोधन के माध्यम से
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जोड़ा गया था ये 86 वें संविधान संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया था तो उसमें जीरो से
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6 वर्ष तक के बच्चे के लिए फिर हम देखेंगे कि फंडामेंटल राइट में 6 प्लस के बच्चों
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के लिए और फंडामेंटल ड्यूटी में छ प्लस के बच्चों के लिए प्रयास किया गया लेकिन इसमें जीरो से 6 वर्ष अर्थात बच्चे के
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जन्म लेने के पश्चात छ वर्ष की अवस्था तक उसके शैशवावस्था की देखभाल की बात की गई
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है और देखते हैं इसी के तहत क्या इसी के तहत हमारे गांव में देखते हैं आंगनवाड़ी
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कार्यक्रम चलाया जाता है जहां पर जो न साल के बच्चे होते हैं कि शुरुआती स्तर की प्रारंभिक शिक्षा अर्थात वहां पर बैठने
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उठने ये सारा चीज सीखते हैं तो इसी के तहत उसका प्रावधान किया गया
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है फिर आगे बढ़ते हैं 97 वा संविधान संशोधन
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97 से संविधान संशोधन अधिनियम 2011 के
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माध्यम से अनुच्छेद 43 ख में सहकारी समिति शब्द को जोड़ा गया
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सहकारी समिति का अर्थ हुआ जहां पर प्राइवेट सेक्टर प्राइवेट सेक्टर भी शामिल
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हो अर्थात वहां पर पब्लिक भी शामिल हो और वहां पर सरकार भी शामिल हो दोनों मिलकर किसी की योजना को चलाते हैं जैसे अमूल
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वगैरह हुआ इसी टाइप की समितियों का इससे जोड़ा गया इस शब्द को जोड़ा गया सहकारी
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समिति को जोड़ा गया किस संविधान संशोधन के माध्यम से तो यह 97 वां संविधान संशोधन के
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माध्यम से यह जोड़ा गया
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था अब देखते हैं कि डीपीएसपी में कुछ चीजें उल्लेखित की गई है अर्थात राज्य
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जंजों सक्षम होता जाएगा उन चीजों को इंप्लीमेंट करता जाएगा कब इंप्लीमेंट
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करेगा जब वह अपने योजनाओं का निर्माण करे या विधियों का निर्माण करें इस दरमियान उसका प्र राज्य का यह प्रयास रहेगा कि उन
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चीजों को ज्यादा से ज्यादा समावेश इन चीजों में हो अर्थात डीपीएसपी का ज्यादा से ज्यादा क्या हो इंप्लीमेंटेशन हो ठीक
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है लेकिन डीपीएसपी के अलावा भी संविधान के अन्य भागों में कुछ चीजें ऐसी निर्देशित
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की गई है जो डीपीएसपी से साम्यता रखती है क्या करती है डीपीएससी से साम्यता रखती है
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अब देखते हैं कि यह कैसी चीजें हैं तो संविधान के कुछ अनुच्छेद ऐसे हैं जो नीति
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निदेशक तत्त्वों की तरह ही निर्देश देते हैं क्या होता है नीति निर्देशक तत्व जिस
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तरीके से निर्देश देता है याद रखिए नीति निर्देशक तत्व निर्देश देता है ना कि आदेश
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देता है ठीक है आदेश का वायलेशन पर क्या है आप कोर्ट जा सकते हैं लेकिन नीति निर्देशक तत्व के लिए आप कोर्ट नहीं जा
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सकते हैं तो यहां पर है कि संविधान के अन जगहों पर भी नीति निर्देशक तत्व की तरह ही
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कुछ आर्टिकल्स जो है जो निर्देश देते प्रतीत होते हैं जो इस प्रकार है अब देखते
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हैं कि वह कौन-कौन से आर्टिकल है जो डीपीएसपी की तरह ही निर्देश देते हुए प्रतीत होते हैं जो नीति निर्देशक तत्व के
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टाइप्स के ही लगते हैं तो इसमें सबसे पहला है आर्टिकल 335 क्या है आर्टिकल
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335 आर्टिकल 335 क्या कहता है आर्टिकल देखते हैं कि संघ या राज्य के कार्यों से
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संबंधित क्या संघ या राज्य के कार्यों से संबंधित
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सेवाओं और अधीन पदों की नियुक्ति में अनुसूचित जातियों अनुसूचित जनजातियों के
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दावों का प्रशासन की दक्षता बनाए रखने की संगति के अनुसार ध्यान रखना अर्थात जब कोई
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पद वेकेंट होता है तो वेकेंट पद को भरने के दरमियान हम अनुसूचित जाति एवं जनजाति
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को उस पद के लिए लेंगे साथ ही साथ हम यह भी ध्यान रखेंगे कि प्रशासनिक जो दक्षता
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है उसके साथ किसी प्रकार का दिक्कत ना हो उसके साथ किसी प्रकार का कंप्रोमाइज ना हो
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अर्थात यहां पर वीकर सेक्शन के लिए हम प्रयास भी कर रहे हैं साथ ही साथ क्या प्रयास कर रहे हैं साथ ही साथ प्रशासनिक
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दक्षता को भी हम बनाए रखना चाहते हैं ठीक है ये किस आर्टिकल के तहत कही गई बात ये
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आर्टिकल 335 के तहत कही गई है फिर आगे बढ़ते हैं कि दूसरा आर्टिकल कौन सा है तो
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दूसरा आर्टिकल है 350 को अब देखते हैं 350 को में क्या कहा गया
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है इसमें भाषाई अल्पसंख्यक वर्ग के बालकों को प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा
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की सुविधाएं की बात की गई है ठीक है अब भारत में अल्पसंख्यकों की मान्यता किन-किन
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आधारों पर होती है तो भारत में अल्पसंख्यकों की मान्यताएं जो है वो भाषाई
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और धार्मिक है क्या है भाषाई और धार्मिक आधार पर भारत में अल्पसंख्यकों को चिन्हित
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किया जाता है तो 350 क के तहत कहा गया है कि जो भाषाई अल्पसंख्यक हैं अर्थात जिस
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भाषा को बोलने वाले कम लोग हैं उनके बच्चों को प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में
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शिक्षा की व्यवस्था की बात की गई है कि जो भाषाई अल्पसंख्यक हैं भाषाई अल्पसंख्यकों
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के बच्चों के लिए उनकी मातृभाषा में शिक्षा की व्यवस्था करता है क सा आर्टिकल
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करता है यह 350 को करता है ठीक अगले आर्टिकल में देखते हैं अगला कौन सा है
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आर्टिकल 351 क्या आर्टिकल 351 आर्टिकल 351 में किस
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चीज की चर्चा की गई है तो देखते हैं हिंदी भाषा के विकास के लिए निर्देश दिया गया है
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क्या किया गया है आर्टिकल 3 351 के तहत हिंदी भाषा के विकास के लिए निर्देश दिया
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अब है कि नीति निर्देशक तत्वों की आलोचना अब हम किस आधार पर नीति निर्देशक
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तत्वों की आलोचना कर सकते हैं भाई इसमें ऐसी कौन सी खामी रह गई है इसमें ऐसी कौन सी दिक्कत हो रही हो गई है जिस कारण इसकी
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आलोचना की जा रही है देखते हैं कि नीति निर्देशक तत्व में अच्छ अच्छे तत्त्वों का
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समावेश किया गया अर्थात सावन का जो सावन का जो दिखाई देता सब जगह हरा भरा उसी तरह
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तरीके से से नीति निर्देशक तत्व में प्रयास यह किया गया कि इसमें सम संपूर्ण
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चीजों को डाल दिया जाए अर्थात जनता को और देश को सब कुछ मिल जाए तो जनता को देश को
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संपूर्ण मिलेगा उसके अकॉर्डिंग रिसोर्सेस भी होना चाहिए तो देखते हैं कि हम नीति निर्देशक तत्त्वों की आलोचना किस तरीके से
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कर सकते हैं नीति निर्देशक तत्व न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है ठीक है नीति
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निर्देशक तत्व पहला है नीति निर्देशक तत्व न्यायालय द्वारा परिवर्तनीय या इंफोर्स बल
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नहीं है अब देखते हैं कि जब संविधान सभा में ठीक संविधान सभा में जब यह हुआ था कि
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कुछ तत्व जो कुछ ऐसे चीजें हैं जिनको तुरंत लागू किया जाए और कुछ चीजें ऐसे हैं
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जिनको बाद में जोज राज्य सक्षम होता जाएगा त्यों त्य इसको इंप्लीमेंट करता जाएगा तो
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जो बाद में इंप्लीमेंट किया जाएगा इसे डीपीएसपी कहा गया और इसके लिए हम न्यायालय नहीं जा सकते लेकिन तुरंत क्विक जो
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इंप्लीमेंट किया गया वो फंडा फ मेंटल राइट था उसके लिए हम न्यायालय जा सकते हैं तो डीपीएसवी में अच्छे तत्वों की तो चर्चा की
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गई है और भारत की जनता चाहती भी है कि वो इंप्लीमेंट हो अगर राज उसे इंप्लीमेंट
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नहीं करती है तो उसके लिए हम क्या उसके लिए न्यायालय नहीं जा सकते हैं अर्थात यह
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न्यायालय द्वारा परिवर्तनीय नहीं है क्या यह न्यायालय द्वारा परिवर्तनीय नहीं
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है गुड इवनिंग गुड इवनिंग फिर अगला देखते
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हैं नीति निदेशक तत्त्वों को भारतीय संविधान ने मूलभूत तो घोषित किया है लेकिन
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इन्हें लागू करने के साधनों को स्पष्ट नहीं
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करता अब नीति निर्देशक तत्व को क्या क्या भारतीय संविधान ने क्या कहा मूलभूत अर्थात
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ये आवश्यक है जरूरत है लोगों का लेकिन इसे इंप्लीमेंट करने के लिए हमें जो रिसोर्सेस
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चाहिए थे यह रिसोर्सेस हमें कैसे मिलेगा कहां से मिलेगा इन चीजों का अर्थात इन्ह
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लागू करने के जो साधन है उनको स्पष्ट नहीं किया है कौन भारतीय
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संविधान तीसरा नीति निर्देशक तत्व अक्सर विधायिका
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व न्यायपालिका के मध्य विवाद या संघर्ष का कारण बन जाते हैं क्या है नीति निर्देशक
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तत्व अक्सर विधायिका व न्यायपालिका के मध्य विवाद या संघ र्ष का कारण बन जाते
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हैं अब यहां पर देखते हैं कि जब जब संसद
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ने चाहे वो लोकतांत्रिक विकास की बात हो या किसी भी तरीके से विकास की बात जनता के
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हितों की बात करता है तो कहीं ना व और वो फंडामेंटल राइट में सुधार की बात करता है
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कि हम डीपीएसपी के कुछ तत्वों को इंप्लीमेंट करेंगे तो वहां पर कुछ लोग अपने फंडामेंटल राइट के को आधार बनाकर
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कोर्ट चले जाते हैं तो क्या होता है कि विकास की विकास के पायदान को विकास के
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मानक को इंप्लीमेंट करना विकास के मानक को इंप्लीमेंट करना विधायक को भारी पड़ जाता
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है क्यों कि यहां पर कि फंडामेंटल राइट में आप हस्तक्षेप नहीं कर सकते जैसा पहला
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संविधान संशोधन कि जिसमें जमीन से संबंधित संविधान संशोधन किया गया और लोग इसको आधार
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बनाकर कहां कोर्ट चले गए कि भाई संपत्ति का अधिकार हमारा फंडामेंटल राइट है आप
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संपत्ति आप छीन नहीं सकते हैं और जब तक आप कुछ ही लोगों के पास संपत्ति का
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कंसंट्रेशन बना रहेगा तो सामान्य लोग कैसे जी खा सकते हैं अर्थात उसके लिए कोई कोई
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ना कोई नियम कानून तो बनना चाहिए और इसी को हम देखते हैं बाद में सुधार किया गया और 44 वें संविधान संशोधन के तहत संपत्ति
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का अधिकार मूल अधिकार ना रहकर क्या हो गया कानूनी अधिकार सिर्फ रह गया तो जब जब संसद
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इस म फंडामेंटल राइट को आधार बनाकर या डीपीएसपी को आधार बनाकर न तत्वों का
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समावेश करना चाहती है तो न्यायपालिका यहां पर आर आ जाती है हालांकि बाद में
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न्यायपालिका ने इस मामले में सुधार किया
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है अब देखते हैं नीति निदेशक तत्वों में
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सम्मिलित कई प्रावधानों को आज भी लागू नहीं किया जा सका आप नीति निर्देशक तत्व
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में सम्मिलित कई प्रावधानों को आज भी लागू नहीं किया गया जैसे समान नागरिक संहिता
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अब आलोचना होता है कि सरकार या राज्य जैसे-जैसे सक्षम होता जाएगा वैसे-वैसे
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डीपीएसवी की में जो चीजें उल्लेखित है उनको इंप्लीमेंट किया जाएगा और समान
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नागरिक संहिता पर हमारे माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई बार कहा गया है कि भाई
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इसे इंप्लीमेंट करिए लेकिन हमारे जनमानस में ही मतलब भार भारत में ही कुछ लोग ऐसे
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हैं जो इनका विरोध करते हैं ठीक है अब है कि कुछ लोग इसके पक्ष में है तो कुछ कुछ
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इनके विपक्ष में है तो भारतीय संसद ऐसा कोई कानून नहीं बनाना चाहती है जो किसी पर
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लादा जा रहा हो जबरदस्ती थोपा जा रहा हो कुछ लोग विरोध करते हैं कि यह
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हमारे नॉम से इसका हस्तक्षेप होगा हमारी जो परंपराएं हैं उसमें हस्तक्षेप होगा तो
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हस्तक्षेप होगा इस तो हम इन चीजों को नहीं मानेंगे जैसे कुछ अल्पसंख्यक है कुछ
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अनुसूचित जनजा जाति से हैं जहां इसे इंप्लीमेंट करने पर उनके कल्चर प्रभावित
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होंगे और कल्चर जो है यह आर्टिकल 29 के तहत क्या है आर्टिकल 29 के तहत ये उनका
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फंडामेंटल राइट है आप किसी को उसके अकॉर्डिंग कल्चर जो अपने कल्चर के अकॉर्डिंग जी रहा है अपने भाषा के
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अकॉर्डिंग जी रहा है उनकी अलग जीवन शैली है उससे विमुख नहीं कर सकते तो अगर हम
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समान नागरिक संहिता को इंप्लीमेंट करते हैं तो बहुत लोगों का कहना इससे हम प्रभावित होंगे और चूंकि हमें अपने कल्चर
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के अनुसार जीना यह हमारा फंडामेंटल राइट है तो इस आधार पर यह
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हमारे कल्चर में हस्तक्षेप नहीं कर सकता तो इस पर बहुत विरोधाभास है और समय के साथ
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जागरूकता फैलाने के साथ ही साथ आने वाले समयो में हो सकता है कि यह लागू हो जाए
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वर्तमान समय में विरोधाभास की स्थिति में लागू ना किया जाए यही बेहतर है अगले पॉइंट
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में देखते हैं कि नीति निर्देशक तत्वों का महत्व राज्य के लिए नैतिक शिक्षा की तरह है
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जिनसे वह निर्देशित होते हैं लेकिन बाधित नहीं अब इसका अर्थ क्या है नीति निदेशक
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तत्त्वों का महत्व राज्य के लिए नैतिक शिक्षा की तरह है जिससे वह निर्देशित तो
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होते हैं लेकिन बाधित नहीं अर्थात कि भाई निदेश दिए हैं निर्देश दिए हैं अगर उस
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निर्देश को हम नहीं मानते हैं ठीक तो हम पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो हम दंडित नहीं होंगे ठीक अगर
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निर्देशित होते अगर बाधित कब होंगे बाधित होंगे जब जब उ उनके राज्य के माध्यम
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से डीपीएसपी को जबरदस्ती इंप्लीमेंट करवाया जाएगा लेकिन संविधान में य प्रावधान है कि जो जो सक्षम होते जाएंगे
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अब उनकी इच्छा पर है अब उन राज्य के नैतिकता पर है उनकी इच्छा पर है कि वह
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डीपीएसपी को कब कब इंप्लीमेंट करते हैं
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किस तरीके से इंप्लीमेंट करते हैं यह राज्य के इच्छा पर निर्भर है जो जो उनके
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पास संसाधन हो जा होता जाएगा त्य तो यह कहा गया है लेकिन उनके पास संसाधन होते जाते हैं फिर उनके क्रोनोलॉजी में उनकी
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प्राथमिकता क्या है और वह अपनी प्राथमिकता के अनुसार वह अपना कार्य करेंगे और
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डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करने के लिए बाधित नहीं
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है अब देखते हैं कि मूल अधिकार और नीति निर्देशक तत्वों में टकराव की
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स्थिति मूल अधिकार और नीति कभी-कभी मूल अधिकार और डीपीएसपी में क्या होता है
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टकराव की स्थिति बन जाती है और उन परिस्थितियों में क्या किया जाए वो देखते
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हैं संवैधानिक व्यवस्था में नीति निर्देशक तत्त्वों और मूल अधिकार में कई ऐसे बिंदु
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दृष्टि कोचर होते थे जिनको लेकर दोनों के मध्य टकराव बना रहता था अर्थात
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डीपीएसपी और फंडामेंटल लाइट मूल अधिकार दोनों में कुछ ना कुछ ऐसे पॉइंट ऐसे बिंदु
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रहते थे जिनके कारण क्या होता था गतिरोध की स्थिति रहती थी टकराव की स्थिति रहती
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थी लेकिन आवश्यक संशोधन कर इसकी गलत व्याख्या को संतुलित करने का प्रयास किया
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गया है और टकराव के जो बिंदु रहे हैं किन-किन बिंदुओं पर दोनों आपस में टकराव
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या दोनों में गतिरोध रहता था उसे देखते हैं आ
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32 कांस्टिट्यूशन रिमेडी संवैधानिक उपचारों का अधिकार है
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आर्टिकल 32 में यही चर्चा की गई है संवैधानिक उपचारों का अधिकार अब इसके तहत
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मूल अधिकार क्या है न्यायालय द्वारा परिवर्तनीय है और नीति निर्देशक तत्व
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अपरिवर्तनीय अर्थात कि आर्टिकल 32 के अनुसार फंडामेंटल राइट
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न्यायालय द्वारा परिवर्तनीय है इन फोर्सेबल है लेकिन आर्टिकल 37 के अकॉर्डिंग डीपीएसपी कोर्ट द्वारा
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एनफोर्सेबल नहीं है 1951 में चंपकम दोई राजन बनाम मद्रास
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राज केस में न्यायालय के मत का झुकाव भी मूल अधिकार को की ओर ही था अर्थात चमकम
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दोई राजन बनाम मद्रास राज्य के केस में क्या था कि सुप्रीम कोर्ट का जो निर्णय था
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वो फंडामेंटल राइट के बिहाव में था फंडामेंटल राइट की तरफ था ना डीपीएसपी की
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अब अगला देखते हैं केरल शिक्षा विधेयक 1959 के बाद में न्यायालय का महत्व बनाए
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रखने के लिए समन्वय कारी निर्वाचन हार्मोनियम का सिद्धांत अपनाया
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गया किसमें किया गया यह केरल शिक्षा विधेयक में किया गया हार्मो
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इंटरप्रिटेशन अर्थात कि फंडामेंटल राइट और डीपीएसपी दोनों आपस में दोनों में टकराव
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नहीं है बल्कि दोनों आपस में मिलकर
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हार्मोनिक हैं दोनों आपस में मिलक ही भारत का विकास कर सकते हैं यहां की जनता के
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हितों का विकास कर सकते हैं अर्थात हार्मोन सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसका हारमोनियसली
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आगे देखते हैं कि संसद ने 25वां संविधान संशोधन अधिनियम 1971 द्वारा अनुच्छेद 317
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को अंत स्थापित किया और 31 में प्रावधान किया गया कि संसद द्वारा यदि कोई
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विधि 39 ग में उल्लेखित नीति निर्देशक तत्वों को प्राप्त करने हेतु बनाई जाती
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बनाई गई है तो यह विधि इस आधार पर शून्य नहीं मानी जाएगी कि वह अनुच्छेद 14 19 और
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3 में दिए गए मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है अर्थात यहां पर यह डबल छप गया है
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कि 39 सी को इंप्लीमेंट करने में अगर उसके रास्ते में 14 19 और 31 आ जाता है तो यह
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मान्य नहीं होगा क्या 39 सी को इंप्लीमेंट करने के दरमियान आर्टिकल 14 19 और 31 आता
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है तो यह मान्य नहीं होगा यह मान्य होगा यह कौन बोला संविधान ने 25वां संविधान
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संशोधन के तहत यह प्रावधान किया क्योंकि यहां पर सुधार के लिए यह आवश्यक
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था फिर आगे केशवानंद भारती केस में देखते हैं कि केरल राज्य के मामले में न्यायालय
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ने अनुच्छेद 31 ग को वैध माना क्या किंतु इसे न्यायिक पुनर्विलोकन के दायरे में
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अधीन घोषित किया क्या है 31 ग को वैध माना कि सही है लेकिन इसका न्याय पुनर्विलोकन
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हो सकता है क्या हो सकता है इसका न्यायिक पुनर्विलोकन हो सकता है इसका रिव्यू हो
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सकता है फिर आगे देखते हैं 42वां संविधान
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संशोधन अधिनियम 1976 में सभी नीति निर्देशक तत्त्वों को अनुच्छेद 14 19 और
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31 पर वरीयता दी गई कब यह 42 में संविधान संशोधन पहला क्या था 25 में संविधान
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संशोधन द्वारा 39 सीप 14 19 और 30 पर वरीयता दी गई थी लेकिन अब क्या है कि
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इसको डीपीएसपी को अगर इंप्लीमेंट किया जाता है तो क्या किया गया 1419 पर वड़ता
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दी गई किस संविधान संशोधन के माध्यम से तो 42 मेंें संविधान संशोधन के माध्यम से फिर
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आगे ये मिनर्वा मिल्स केस में बनाम भारत संघ यह 1980 में आया था कि
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42वां संविधान संशोधन की धारा चार जो सभी नीति निर्देशक तत्वों को अनुच्छेद
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14131 पर बढता प्रदान करती थी को अवैध घोषित किया गया तथा निदेशक तत्त्वों व मूल
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अधिकारों में संतुलन को संविधान का मूल ढांचा घोषित किया गया अब मिनर्वा में 42
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में संविधान संशोधन में क्या किया गया सभी निदेशक तत्वों को 14 1900 31 पर वरीयता दी गई लेकिन मिनर्वा
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मिल्स केस में कहा गया कि ऐसी कोई बात नहीं है दोनों में संतुलन स्थापित किया
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गया अर्थात दोनों एक के पूरक है एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते
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हैं अब वर्तमान में स्थिति देखते हैं वर्तमान में नीति निर्देशक तत्वों और मूल
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अधिकारों में मूल अधिकारों का महत्व अधिक माना जाता है किंतु न्यायालय
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इस बात का भी ध्यान रखती है कि नीति निर्देशक तत्वों की उपलब्धि के लिए राज
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युक्त युक्त तरीके से मूल अधिकार को सीमित कर सकता है अनुच्छेद
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39 ख और 39 ग में उल्लिखित निदेशक तत्त्वों को मूल अधिकार के अनुच्छेद 1419
25:38
पर वरीयता दी गई है अब तो 31 निकल गया अब तो 31 रहा नहीं यह निश्चित कर दिया गया
25:43
अर्थात 14 और 19 पर क्या किया गया है वर्तमान में वरीयता डीपीएसपी को वरीयता
25:49
दिया गया किस पर दिया गया है आर्टिकल 14 और 19 पर व्यता दिया गया
25:56
है अब नीति तव का क्रियान्वयन नीति निर्देशक तत्वों का क्रियान्वयन
26:03
देखते हैं गुड इवनिंग गुड
26:14
इवनिंग संविधान लागू होने के बाद सरकार द्वारा 1950 में नीति निदेशक तत्वों में
26:24
उल्लिखित आदर्शों की प्राप्ति हेतु अनेक योजना गत प्रयास किए गए हैं और यह प्रक्रिया आगे भी
26:32
जारी है अब तक कई नीति निर्देशक तत्त्वों को योजनाओं का आधार बनाया गया यह नीति
26:39
निर्देशक तत्व व संबंधित योजनाएं निम्नलिखित है वर्तमान में सरकार द्वारा क्या की जा रही है बहुत सारी विधियां बनाई
26:46
जा रही है बहुत सारी योजनाएं लाई जा रही है अगर हम उन योजनाओं का अध्ययन करें तो
26:51
उसकी जर में कहीं ना कहीं आपको डीपीएसपी मिलेगा अर्थात सरकार द्वारा जो बहुत सारी
26:57
योजना लाई जा रही है योजना या कल्याणकारी
27:07
योजना इसकी जर में कौन है इसकी जर में डीपीएसपी ही है डीपीएसपी ही है अर्थात जब
27:15
इसका शुरुआत हम खो जेंगे कि इस किससे प्रेरणा लेकर सरकार द्वारा इन योजनाओं का निर्माण किया गया है तो हम देखेंगे क्
27:23
प्रेरणा कहीं ना कहीं सरकार को डीपीएसपी से मिली है और विशेषकर वैश्वीकरण का जब
27:28
बढ़ा 990 के दशक के पश्चात जब हमने अपनी अर्थव्यवस्था को खोला और सरकार के आमदनी
27:35
के स्रोत बढ़े तो जो जो सरकार के आमदनी के स्रोत बढ़े त्यों त्य सरकार ने क्या किया
27:40
डायवर्सिफाई होकर बहुत सारी योजनाओं को क्रियान्वित किए है क्या कि है बहुत सारी
27:45
योजनाओं को क्रियान्वित की है अब देखते हैं कि किसके किस अनुच्छेद के
27:55
तहत सरकार कौन सा योजना लाई है और क्याक की है आर्टिकल 39 के तहत देखते हैं कि
28:03
भूमि सुधार के माध्यम से विकेंद्रीकरण का प्रयास सिलिंग लाया गया कि अर्थात जिनके
28:09
पास बहुत ज्यादा जमीन है तो ज्यादा जमीन है और जिनके पास जमीन नहीं है भूमिहीन है
28:15
जिनके पास जमीन है तो एक हद से ज्यादा जो जमीन उनके पास था उन जमीनों को सरकार ने ले लिया और जो भूमिहीन है उनके पास बांट
28:24
दिया जमीदारी प्रथा का उन्मूलन समान कार्य हेतु समान वेतन के आधार पर
28:32
समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 तो यह सब देखते हैं कि सरकार ने क्या किया है यह सब
28:38
प्रयास किए हैं किससे प्रेरणा लेकर तो डीपीएसपी से प्रेरणा लेकर डीपी एसपी से
28:45
प्रेरणा लेकर सरकार ने क्या किया है डीपीएससी से प्रेरणा लेकर सरकार ने अपने
28:50
कानून और योजनाओं में सुधार किया कानून
28:56
बनाया फिर योजनाओं का निर्माण किया क्या किया योजनाओं का निर्माण
29:10
हुआ दूसरा है आर्टिकल 40 आर्टिकल 40 से प्रेरणा लेकर क्या हुआ
29:17
73वां एवं 74वां संविधान संशोधन हुआ जिससे स्थानीय निकाय जो लोकल सेल्फ गवर्नमेंट जो
29:24
बॉडी थी वह अस्तित्व में आई क्या जो लोकल से गवर्नमेंट की बॉडी थी व चाहे ग्राम
29:30
पंचायत हो या नगरपालिका हो या चाहे शहरों की बात हो या गांव की बात हो उस बॉडी को
29:36
अस्तित्व में लाया गया इससे फायदा क्या हुआ इससे फायदा हुआ कि हमारे यहां जो लोकतंत्र है भारत दुनिया का इकलौता ऐसा
29:44
उदाहरण है जहां पर एक साथ तीन सरकारें कार्य करती है केंद्र सरकार राज्य सरकार
29:50
और लोकल सेल्फ गवर्नमेंट पंचायत ठीक तो यहां पर इससे क्या फायदा हुआ कि तृणमूल
29:55
स्तर पर बेसिक लेवल पर लोकतंत्र मजबूत हुआ क्या हुआ बेसिक लेवल पर लोकतंत्र मजबूत
30:03
हुआ और बेसिक लेवल पर जनता का शासन में भागीदारी सुनिश्चित हुआ शासन में डायरेक्ट
30:09
जनता भाग लेकर अपने लिए खुद कानून बना रही है पंचायत में क्या है पंचायत में इसके
30:15
माध्यम से जनता प्रत्यक्ष रूप से शासन भागीदारी ले रही है विशेषकर वैसे सेक्टर के वैसे लोगों के लिए जो वीकर सेक्शन में
30:22
आते थे उनके लिए सीटों का आरक्षण किया गया जिसे महिलाओं के लिए अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति ओबीसी के लिए क्या हुआ
30:29
उनके लिए यहां पर सीटों का आरक्षण आरक्षण दिया गया अर्थात वह भी शासन की शासन की
30:34
भागीदारी प्रत्यक्ष रूप से भाग ले अर्थात इसके माध्यम से सोशल जस्टिस की प्राप्ति
30:40
हुई क्या हुई सोशल जस्टिस की प्राप्ति
30:47
हुई ठीक तो यहां पर हमने क्या देखा आर्टिकल 40 यहां पर जो गांधी जी का प्लान
30:55
था कि ग्राम पंचायत का उससे इंप्लीमेंट क्या हुआ राज्य ने किया और राज्य ने किया
31:01
किसके तहत 73वें और 74 वें संविधान संशोधन के माध्यम से बेसिक लेवल पर लोकतंत्र की
31:08
स्थापना हुई लोग इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं इसके माध्यम से सामाजिक न्याय भी सुनिश्चित हुआ विकास की
31:16
गति भी तेज हुई ठीक है क्या हुआ विकास की गति भी तेज हुई इसके पश्चात देखते हैं
31:22
आर्टिकल 41 क्या कहता है आर्टिकल 41 क्या कहता है आर्टिकल 41 के के तहत देखते हैं
31:29
औद्योगिक विवाद अधिनियम अर्थात न्यूनतम
31:36
मजदूरी अधिनियम मनरेगा योजना दिव्यांगों हेतु आरक्षण ध वृद्धों
31:43
हेतु पेंशन योजना और मातृ सुरक्षा योजना आर्टिकल 41 के तहत देखते हैं क्या है
31:50
मिनिमम मजदूरी भाई न्यूनतम मजदूरी इतना इससे कम नहीं हो सकता क्या न्यूनतम मजदूरी
31:56
इससे कम नहीं हो सकता अर्थात इससे कम वो क्या है वो शोषण है और शोषण क्या है कानूनन अपराध है दूसरी बात देखते हैं कि
32:04
आर्टिकल 41 से प्रेरणा लेकर क्या है मनरेगा योजना भारत में कुशल श्रमिकों के
32:10
लिए जो पढ़े लिखे लोग हैं उनके उनके लिए रोजगार के लिए विज्ञापन आता है जो अशिक्षित है आखिर उनके लिए भी तो राज्य को
32:17
सोचना होगा जो अशिक्षित है जहां पर मैनुअल वर्क होता है उनके लिए स्टेट ने क्या किया
32:22
मनरेगा योजना लाया जहां मैनुअल वर्क होता है दिव्यांगों
32:28
अर्थात जो दिव्यांग व्यक्ति हैं और समर्थ है उनके लिए हर एक जगह पर आरक्षण की
32:35
व्यवस्था की गई है कि उनका भी शासन में अर्थव्यवस्था में सब जगह उनकी भी भागीदारी
32:41
सुनिश्चित हो साथ ही साथ सब जगह एक्टिव होकर वो भी भाग ले सके तो इनके लिए क्या
32:47
किया गया है कि यह भी वहां तक पहुंच सके तो देखते होंगे सार्वजनिक स्थल हो जहां पर यह पहुंच नहीं सकते भीर भार के कारण इनके
32:54
लिए अलग से क्या किया जा रहा है इनके लिए अलग से गलियारे की व्यवस्था की जा रही है कि स्पेशली ये उन्हीं के लिए आरक्षित होगा
33:01
इस इस रास्ते से जो दिव्यांग लोग हैं वह आएंगे जाएंगे कहां पर मिला में या
33:06
सार्वजनिक स्थानों पर और इसी आर्टिकल से देखते हैं प्रेरणा
33:12
लेकर वृद्धावस्था पेंशन मातृ सुरक्षा योजना या आपका विधवा पेंशन सभी किससे
33:19
प्रेरणा सबके किस आट के से प्रेरणा लेक बनाई गई है तो देखते हैं आर्टिकल 41
33:24
प्रेरणा तो इससे हमें क्या दिखाई दे रहा है कि कहीं ना कहीं जो राज्य है राज्य
33:30
अपने योजनाओं के माध्यम से क्या कर रही है इन चीजों को डीपीएसपी को निश्चित रूप से
33:36
इंप्लीमेंट कर रही है क्या कर रही है निश्चित रूप से इंप्लीमेंट डीपीएसपी को कर रही है आगे देखते
33:45
हैं अनुच्छेद 45 आर्टिकल 45 में किस चीज की चर्चा की गई
33:53
है गुड इवनिंग गुड इवनिंग अनुच्छेद 45 में 86 वां संविधान संशोधन
34:02
2002 द्वारा अनुच्छेद 45 की विषय वस्तु को बदलते हुए 21 को के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष
34:11
की आयु तक के सभी बच्चे को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया अर्थात मूल अधिकार के अंतर्गत लाया गया और
34:19
फिर देखते हैं इसी के तहत क्या है कि प्रारंभिक शैशवावस्था अर्थात प्रारंभिक
34:27
शैशवावस्था वस्था में उसकी देखभाल कौन करेगा यह किसका कर्तव्य है यह राज्य का
34:32
कर्तव्य है आर्टिकल 46 क्या कहता है आर्टिकल 46 कहता है कि अनुसूचित जाति और
34:40
अनुसूचित जनजाति हेतु शिक्षा संस्थाओं में और लोक नियोजन में आदि में छूट तो इसके
34:47
लिए क्या किया गया संविधान संशोधन के तहत हम 154 पढ़ते हैं 15 च शिक्षा में और 16
34:54
चर लोक नियोजन में सरकार ने स्टेट ने के लिए प्रयास अनुसूचित जाति और अनुसूचित
35:00
जनजाति के लिए आर्टिकल 154 और 164 के तहत प्रयास किया है कि वो उनका भी शिक्षा में
35:06
भागीदारी सुनिश्चित हो सके लोक नियोजन में उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो
35:15
सके अनुच्छेद 41 को के तहत देखते हैं क्या है बाघ परियोजना क्या है बाग परियोजना
35:23
हाथी परियोजना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम राष्ट्रीय वन नीति अब यहां पर देखते हैं
35:31
बाग परियोजना अब इससे प्रेरित होकर हमारे यहां
35:36
बाग विलुप्त होने की स्थिति में थे जब स्टाक होम सम्मेलन हुआ क्या हुआ स्टाक होम
35:42
सम्मेलन यह पर्यावरण से रिलेटेड था तो स्टाक होम सम्मेलन के पश्चात राज इस मामले
35:48
में जागरूक हुआ क्या हुआ इस मामले में जागरूक हुआ और विशेषकर जाग हु पर्यावरण
35:53
संरक्षण के प्रति और लुप्त प्राय प्राणी जो हमारे जंगल लो में है और लुप्त का की
35:59
स्थिति में आ गए तो उनके लिए भी संरक्षण की परियोजना बनाई गई और उसके तहत देखते हैं बाग परियोजना जिसके तहत सरिस्का वगैरह
36:06
का फॉर्मेशन हुआ और इसी के तहत हाथी परियोजना भी चलाई गई वन्य जीव संरक्षण
36:14
अधिनियम कि अगर कोई आखेट अर्थात शिकार जबरदस्ती करता है चुरा के करता है तो उनके
36:20
तहत उनका नियम कानून बनाए गए राष्ट्रीय वन नीति बनाए गई वनों की संख्या को बढ़ाने का
36:25
प्रयास किया गया कि पर्यावरण रूप से हम छह की स्थिति में ना हो बेहतर की स्थिति में जाएं और अभी देखते हैं कि सरकार ऐसा कानून
36:33
ही ऐसे ऐसे करे कानून का निर्माण किया है कि आप पेड़ नहीं काट सकते हैं और पेरों को
36:38
बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है इसके और इसे पुरस्कृत भी किया जा रहा है आर्टिकल
36:44
49 में देखते हैं कि इससे अभिप्रेरित होकर क्या किया
36:49
गया तो राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के संरक्षण हेतु या पर्यटन को बढ़ावा देने
36:56
हेतु विभिन्न योजनाएं अब है कि राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों का
37:01
संरक्षण यह किससे प्रेरित है आर्टिकल 49 से प्रेरित है तो हम देखते हैं एएसआई कौन
37:09
एएसआई आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया राष्ट्रीय महत् के स्मारक को संरक्षण करती
37:15
है इसके प्रति जागरूक होती है जोयो ही ऐ को पता चलता है कि फलाने जगह पर कुछ
37:21
पुरानी मतलब अतीत कालीन चीजें मिली है वहां पर एएसआई क्या होता है तुरंत पहुंच
37:26
जाकर पहुंचकर उसे अपने कब्जे में लेता है उसे संरक्षित करने का प्रयास करता है क्योंकि वह भारत की धरोहर
37:33
है अब आटल 51 क्या है इससे प्रेरणा लेकर देखते हैं यह अंतरराष्ट्रीय मामलों से
37:39
जुड़ा हुआ है अंतरराष्ट्रीय शांति तो पंचशील समझौता हमने कब किया था इसके साथ
37:45
चाइना के साथ किया था 29 अप्रैल 1954 को किया था तो प पंचशील समझौता किसके साथ हुआ
37:51
था और यह हुआ था इंडिया और चाइना के बीच
37:58
और पंचशील समझौता जो शांति को बढ़ावा देता है किससे प्र प्रेरित था यह आर्टिकल 51 से
38:05
प्रेरित है गट निरपेक्ष आंदोलन की स्थापना यह किससे प्रेरित है तो कहीं ना कहीं यह
38:11
भी 51 से प्रेरित है कि गुट निरपेक्ष आंदोलन या गुट निरपेक्ष की जो स्थापना की
38:17
गई थी तो पूरी सेकंड वर्ल्ड वर के पश्चात पूरी दुनिया दो भागों में बट गई थी और दो
38:23
भागों में बंटने के पश्चात एक तरफ पूंजीवादी देश दूसरी तरफ साम्यवादी देश दोनों में हथियारों की होर जंग तो इस
38:31
स्थिति में भारत क्या है शांति का समर्थक देश है तो भारत का कहना था कि हम अपने
38:36
स्वतंत्र विदेश नीति को फॉलो करेंगे शांति के समर्थक है हम किसी गुट के साथ शामिल
38:42
नहीं होंगे हम गुट निरपेक्ष हैं तो यह किससे गुट निरपेक्ष आंदोलन किससे अभिप्रेरित था यह आर्टिकल 51 से
38:49
अभिप्रेरित था अब देखते हैं कि डीपीएसपी और फंडामेंटल
38:57
राइट में अंतर क्या है क्या डीपीएसपी और फंडामेंटल राइट में अंतर क्या
39:04
है तो सबसे पहले देखते हैं मूल अधिकार मूल अधिकार की चर्चा संविधान के
39:11
भाग तीन में किया गया है और आर्टिकल 12 से लेकर 35 तक इसका उल्लेख है क्या फंडामेंटल
39:19
राइट की चर्चा भाग तीन में की गई है और आर्टिकल 12 से लेकर 35 तक इसकी चर्चा की
39:26
गई है लेकिन राज्य के नीति निर्देशक तत्व की चर्चा कहां की गई है यह भाग चार में की
39:31
गई है और क आर्टिकल कहां से कहां तक 36 से 51 तक इसकी चर्चा की गई है ठीक यह
39:38
व्यक्तियों को दिया गया अधिकार है क्या है यह व्यक्तियों को दिया गया अधिकार है यह
39:43
क्या है यह राज्यों के सौंपे गए दायित्व है यह राज्य को सौंपा गया दायित्व है
39:49
जिसके माध्यम से राज्य सुशासन की स्थापना और लोक कल्याण सुनिश्चित कर सके क्या यह
39:56
फंडामेंटल य लोगों का क्या है या व्यक्तियों का अधिकार है डीपीएस भी क्या है यह राज्य का दायित्व है कि इसे जल्दी
40:04
से जल्दी और ज्यादा से ज्यादा इंप्लीमेंट करें जिससे सुशासन की स्थापना हो जिससे
40:10
लोक कल्याण की अभिवृद्धि हो यह न्यायालय फंडामेंटल राइट न्यायालय
40:17
द्वारा प्रवर्तनीय है इनफर्स बल है अगर राज्य से इंप्लीमेंट नहीं करता है तो राज्य के खिलाफ इसे इंप्लीमेंट कराने के
40:23
लिए आप कोर्ट में जा सकते हैं लेकिन यह न्यायालय द्वारा इ फोर्सेबल नहीं है अर्थात इसके लिए आप कोर्ट में नहीं जा
40:31
सकते हैं यह न्यायालय द्वारा इफोर्स बल है न्यायालय जा सकते हैं न्यायालय इसको जबरदस्ती इंप्लीमेंट करवाया इफोर्स करवाया
40:37
किसके तहत ये आर्टिकल 32 के तहत
40:42
ठीक लेकिन यह न्यायालय द्वारा अपरिवर्तनीय अर्थात इफोर्स बल नहीं
40:49
है फंडामेंटल राइट में राजनीतिक लोकतंत्र का आदर्श निहित है और डीपीएस में डीपीएसपी
40:56
में सामाजिक और थिक लोकतंत्र का आदर्श निहित है क्या है फंडामेंटल राइट में
41:01
राजनीतिक लोकतंत्र और डीपीएसपी में सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र निहित
41:12
है मूल अधिकार का स्वरूप सामान्यत नकारात्मक है क्या है मूल अधिकार का
41:19
स्वरूप मूलत नकारात्मक है और नीति निर्देशक तत्व का स्वरूप क्या है सकारात्मक
41:25
है मूल अधिकार के क्रियान्वयन होने पर अनेक युक्ति परि सीमाए है अर्थात कि
41:32
फंडामेंटल तो फंडामेंटल लाइ तो हमें चाहिए लेकिन परिस्थिति वस युक्तियुक्त अर्थात
41:37
रेशनल आधार पर हम उस पर रोक लगा सकते हैं क्या रेशनल आधार पर उस पर रोक लगा सकते
41:43
हैं जैसे आर्टिकल 19a क्या 191 क्या कहता है वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
41:50
लेकिन लोक व्यवस्था सदाचार विदेशी देशों के साथ संबंधों को आधार पर हम क्या कर
41:55
सकते हैं उस पर युक्त युक्त प्रति बंध लगा सकते हैं युक्त युक्त उसकी सीमाएं हैं और
42:01
डीपीएसपी पर कोई सीमाएं नहीं है डीपीएसपी कोई सीमाएं नहीं है इस पर रोक आप नहीं लगा सकते हैं यह राज्य का दायित्व
42:09
है मूल अधिकारों को संविधान का विशेष संरक्षण प्राप्त है जो आर्टिकल 32 के तहत
42:15
उच्चतम न्यायालय और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय अगर आपका फंडामेंटल राइट
42:21
बाधित होता है तो आर्टिकल 32 के तहत आप सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं और
42:27
आर्टिकल 226 के तहत आप हाई कोर्ट जा सकते हैं क्या है कि संविधान का विशेष संरक्षण
42:33
है क्या है मूल अधिकार का संरक्षण करता है कौन है सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट अगर यह
42:39
बाधित होता है तो आर्टिकल 32 के तहत आप सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं और आर्टिकल 226
42:45
के तहत आप हाई कोर्ट जा सकते हैं लेकिन नीति निदेशक तत्त्वों को लागू करना
42:50
नैतिकता पर आधारित है अर्थात ये सरकार की इच्छा मंतव्य पर है कि वो कितना मतलब वो
42:57
कितना नैतिक रूप से चाह रही है कि हम लोक कल्याण की अभिवृद्धि करते हैं अर्थात उसके नैतिकता उसकी इच्छा पर आधारित है वह इसे
43:05
कोई विशेष संरक्षण प्राप्त नहीं है अर्थात कोर्ट द्वारा न्यायालय द्वारा इसको संरक्षण प्राप्त नहीं
43:17
है मूल अधिकारों का निलंबन विशेष प्रक्रिया द्वारा अनुच्छेद 358 और 359 के
43:24
आधार पर हो सकता है अर्थात राष् ीय आपातकाल के दरमियान फंडामेंटल राइट पर
43:30
फंडामेंटल राइट को क्या निलंबित किया जा सकता है लेकिन नीति निर्देशक तत्व जब तक
43:35
लागू ना किए जाए स्वतः निलंबित है अर्थात नीति निर्देशक तत्व जब तक लागू नहीं किया
43:41
गया है यह तो राज्यों की इच्छा पर है जब तक लागू नहीं किया गया अर्थात वह स्वतः ही निलंबित है यह आपका हो गया मूल अधिकार और
43:48
राज्य के नीति निर्देशक तत्व अब हम लोग चलते हैं फंडामेंटल
44:13
फंडामेंटल फंडामेंटल ड्यूटी यह 42 में संविधान संशोधन द्वारा लाया
44:34
समिति समिति की अनुशंसा
44:43
पर इसे भाग च भाग चार के क में शामिल किया गया
44:50
है और आर्टिकल 51 में 51 क के तहत इसकी चर्चा की गई
44:58
है इसमें शुरुआत में 10 मौलिक कर्तव्य की चर्चा की गई
45:12
थी चर्चा की गई थी बाद में एक संविधान संशोधन के माध्यम से इसमें एक और जोड़ा
45:19
गया जो कुल होकर यह 11 हो गया ठीक अब इसमें देखते हैं कि मौलिक कर्तव्य
45:26
क्यों लाया गया तो जिस दरमियान इसकी अनुशंसा की गई थी उस समय देश की परिस्थिति
45:33
जो थी वो विषम स्थिति थी अर्थात सरकार के खिलाफ बहुत सारे मूवमेंट चल रहे थे विशेषक
45:40
जैसे जयप्रकाश नारायण ठीक है बहुत सारे मूवमेंट चल रहे थे तो फिर इस पर सरकार ने
45:46
इस पर विचार किया कि क्यों ना हम फंडामेंटल ड्यूटी लाए कि हम तो
45:53
फंडामेंटल राइट तो दिए हुए ही है तो फंडामेंटल राइट बिना ड्यूटीज के बिना
45:59
कर्तव्य के अधिकार क्या है बिना कर्तव्य के अधिकार एक तरह से क्या है उसमें मजा
46:04
नहीं आता है तो अधिकार के साथ-साथ कर्तव्य का भी रहना आवश्यक है तो स्वर्ण सिंह
46:11
कमेटी के अनुशंसा पर फंडामेंटल ड्यूटीज को लाया गया क्योंकि वो परिस्थितियां ऐसी थी जो सरकार के खिलाफ जो माहौल बन रहा था उस
46:19
माहौल से उस परिवेश से उस उन परिस्थितियों से जोझ के लिए सरकार द्वारा फंडामेंटल
46:25
ड्यूटीज को लाया गया यह यूएसएसआर से अभिप्रेरित था किससे यूएसएसआर से वर्तमान
46:33
में पूंजी कुछ पूंजीवादी देश हैं पूंजीवादी
46:48
नीदरलैंड नीदरलैंड यहां पर भी क्या है यहां पर भी
46:54
ड्यूटीज की चर्चा की गई है ड्यूटीज की चर्चा की गई
47:02
है चर्चा की गई है यह साम्यवादी देश
47:11
था लेकिन यह किस टाइप का देश है यह पूंजीवादी देश है अर्थात भारत इकलौता देश नहीं है जहां
47:19
पर मौलिक कर्तव्य की चर्चा की गई है भारत के अलावा भी विश्व में कुछ ऐसे देश हैं
47:26
जहां पर म कर्तव्य की चर्चा की गई है अब आगे देखते हैं कि हमारे यहां कौन-कौन से
47:32
मौलिक कर्तव्य हैं हमारे यहां कौन-कौन से मौलिक कर्तव्य
47:41
हैं जो जिनकी हमारे यहां पर चर्चा की गई है तो इसके तहत देखते
47:47
हैं पहला है संविधान का
47:53
पालन संविधान का पालन
48:04
आदर्शों संस्थाओं आदर्शों
48:29
राष्ट्रगान का आदर राष्ट्रगान का
48:36
आदर पहले फंडामेंटल ड्यूटीज में चर्चा की गई है कि हर एक व्यक्ति का यह कर्तव्य है
48:42
कि संविधान का पालन करें क्या करें हर एक व्यक्ति है भारत के हर एक व्यक्ति का यह
48:48
मतलब कर्तव्य है ड्यूटी है कि वह संविधान का पालन करें उनके आदर्शों संस्थाओं
48:55
राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्र का आदर करें उनका मान सम्मान रखें उनका आदर करें संविधान का
49:02
पालन करें यह क्या यह किनका कर्तव्य है यह भारत के हर एक नागरिकों का कर्तव्य है कि
49:09
उन्हें फंडामेंटल ड्यूटीज के तहत संविधान का पालन आदर्शों संस्थाओं राष्ट्रीय ध्वज
49:16
और राष्ट्रगान का आदर करना चाहिए दूसरे में चर्चा की गई है देश की प्रभुता एकता
49:51
सुरक्षा देश के हर एक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह देश की संप्रभुता या
50:00
प्रभुता एकता एवं अखंडता का सम्मान करें और देश की
50:06
सुरक्षा सुनिश्चित करें सुनिश्चित करने में अपना योगदान दे क्या करें देश की एकता
50:11
अखंडता प्रभुता का सम्मान करें और देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने में अपना योगदान
50:16
दे अगले पॉइंट में है
50:29
तथा समान भ्रातृत्व की भावना
50:35
का तृत्व की भावना का
50:44
विकास विकास अब समरसता की बात की गई है और समान
50:50
भ्रातृत्व की बात की गई है क्योंकि भारत एक क्या है डायवर्सिफाई कंट्री है विशेषता
50:57
मतलब विविधता विविधता लिए हु देश है यहां पर बहुत सारे जाति बहुत सारे धर्मों की बात की गई है और उन लोगों के बीच अ समरसता
51:04
और समान भ्रातृत्व की बात की गई है जब यह समरसता और समान भ्रातृत्व की बात रहेगी
51:10
तभी देश की एकता अखंडता प्रभुता सुरक्षा सुनिश्चित होगी क्या होगी जब यह चीजें
51:16
उपस्थित रहेगी तब तभी यह चीजें सुनिश्चित हो पाएंगे
51:44
एवं गौरवशाली गौरवशाली परंपरा का संरक्षण
51:53
परंपरा का संरक्षण अब यहां पर देखते हैं आर्टिकल 29 के तहत
52:01
हर एक व्यक्ति को अपनी संस्कृति में जीने का हक और अधिकार है तो यहां पर है समासिक
52:06
संस्कृति एवं गौरवशाली जो हमारी परंपरा रही भारत की गौरवशाली परंपरा क्या रही
52:11
उदार चरि चरिता ना वसुदेव कुटुंबकम पूरी दुनिया को पूरी धरती को अपना भाई मानता है
52:19
सबको एक मानता है तो जो हमारी समासिक संस्कृति रही है सब मिलजुलकर रहने की और
52:24
जो हमारी गौरवशाली परंपरा रही उसके संरक्षण की बात कौन कर रहा है फंडामेंटल ड्यूटीज में इसकी चर्चा की जा
52:31
रही है पर्यावरण की रक्षा एवं
52:49
संरक्षा पर्यावरण की संरक्षा या संरक्षण
53:14
संरक्षण तो भारत आदि काल से भारत क्या रहा है भारत आदि काल से आदि काल
53:23
से पर्यावरण का संरक्षण करता रहा है क्या देखते हैं कि यहां पर वृक्षों को ही देवता
53:29
माना जाता है क्या वृक्षों को ही देवता मानकर पूजा की जाती है जैसे पीपल का पेर
53:35
पीपल और बरगद फिर देखते हैं तुलसी कहा भी जाता है
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कि घर में तुलसी द्वारे नेम क्यों आवे वैद हकीम ठीक है अब देखते हैं कि बहुत सारे
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जैसे विशेषकर बिहार और यूपी में वहां पर शादी विवाह के दरमियान आम और मभु विवाह
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होता है अर्थात पेरों के संरक्षण का जो कल्चर है व हम आदिकाल से अपने साथ सहजीवन
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में जीते आए हैं क्या है अपने साथ जीते आए हैं और कहीं ना कहीं पर्यावरण संरक्षण के
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प्रति जो शाकाहार की अर्थात जो खानपान की शैली है उसके तहत जो शाकाहार की व्यवस्था
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है कहीं ना कहीं यह पर्यावरण संरक्षण को अपना सहयोग प्रदान करती
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है अब अगला देखते हैं अगला क्या है
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दृष्टिकोण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
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और ज्ञानार्जन की भावना का विकास और ज्ञानार्जन
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विकास ठीक अब अगले में चलते हैं आगे क्या चर्चा की गई
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है सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा सार्वजनिक सार्वजनिक
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सुरक्षा यहां पर सार्वजनिक संपत्ति अर्थात सरकारी जो संपत्ति है देखते हैं कि तोर फोर में लोग ल लग जाते हैं तो यहां पर
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सार्वजनिक सुर संपत्ति सुरक्षा की बात की गई है क्योंकि यह सार्व सार्वजनिक संपत्ति
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अंतत यहां के लोगों के हितों के लिए ही है इसलिए इसकी सुरक्षा की जानी चाहिए ना कि
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इसको तोर फोर में लग जाना चाहिए तो मौलिक कत सार्वजनिक संपत्ति के सुरक्षा की बात की
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गई है फिर अगले पॉइंट में चर्चा की गई है कि व्यक्तिगत एवं सामूहिक प्रयास द्वारा
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सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने का प्रयास व्यक्तिगत
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तथा सामूहिक क्षेत्रों में क्षेत्रों
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आगे बढ़ने का प्रयास चाहे वह व्यक्तिगत प्रयास से हो या
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सामूहिक प्रयास से हो निश्चित रूप अगर विकास करना है तो लगातार आगे बढ़ने रहने
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बढ़ते रहने का प्रयास करते रहना
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होगा और लास्ट है संरक्षक
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शिक्षा देने का प्रयास करेगा क्या करेगा शिक्षा देने का प्रयास
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करेगा अर्थात हम यहां देखते हैं कि कुल 11 चर्चा की गई है क्या कुल 11 फंडामेंटल की
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चर्चा की गई है हमारे संविधान में जो लास्ट वाला है यह संविधान संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया है ठीक और कहीं ना
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कहीं जो फंडामेंटल ड्यूटी की चर्चा की गई है इन सारी बातों को हम अपने जीवन में
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जीते भी है क्या करते हैं इन सारी बातों को हम अपने जीवन में जीते भी हैं और जीवन
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में जीने और कभी भी अधिकार अध कर्तव्य विहीन अधिकार जो होता
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है वो निस्पंद होता है उसमें मजा नहीं आता अधिकार में मजा आएगा जब उसके साथ-साथ
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कर्तव्य हो जितना बड़ा आप अधिकार चाहते हैं उतने ही बड़े कर्तव्य है जितना बड़ा
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आप अधिकार राज्य से चाहते हैं उतने ही बड़े कर्तव्य आपका राज्य के प्रति कर्तव्य भी है तो कर्तव्य का निर्वहन कीजिए राइट्स
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अधिकार आपको अपने आप मिलेगा और राइट्स का जो ही आप राइट्स का उपयोग करते हैं तो ही
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आपको अपने कर्तव्यों का भी ध्यान रखना होगा यह निर्देश है क्या है यह निर्देश है
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आदेश नहीं है क्या है यह निर्देश देश है अर्थात इसका वायलेट करते हैं तो इसके लिए आपको दंडित नहीं किया जाएगा लेकिन यह आप
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अपनी जीवन शैली में इसे अपना सकते हैं राष्ट्रीय ध्वज संहिता के तहत और विशेषक
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2016 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह निर्णय दिया गया कि जब सिनेमा हॉलो में 2016 में
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इसकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय दिया गया कि 2016 में कि जब सिनेमा हॉल में
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राष्ट्र ध्वज का जब शुरुआत होगी तो राष्ट्रगान बजेगा राष्ट्रगान का धुन बजेगा
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और वहां पर राष्ट्रीय धवज झंडा फहराता हुआ दिखाई देगा और इस दरमियान जो हॉल में
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व्यक्ति खड़े रहेंगे वह राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान के सम्मान में खड़े हो जाएंगे
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अर्थात कहीं न कहीं से देखते हैं लोग अपने जीवन शैली में भी उतार रहे हैं तो आज आप
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लोगों का फंडामेंटल राइट डीपीएसपी और फंडामेंटल ड्यूटी की क्लास खत्म हो गई और
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अगली क्लास में हम एक नए टॉपिक के साथ पुनः आपके सामने प्रस्तुत होंगे तब तक के लिए नमस्कार जय हिंद जय भारत