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नमस्कार सभी को परीक्षा जंक्शन के इस प्लेटफॉर्म पर सभी का हार्दिक स्वागत है
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और जैसा कि कल हमारा लेक्चर नहीं हुआ आप सभी से
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जितने भी लेक्चर पुराने हो चुके हैं और अभी एक हिस्ट्री की वीडियो जो है व अपलोड हो चुकी है तो सभी देख ले एक बार हिस्ट्री
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की वीडियो को क्योंकि बैटल और प्लासी जैसा बताया हमने आप इतना तो समझ ही गए हैं कि हिस्ट्री भी हम ही कवर कर करा रहे हैं
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आपको और पॉलिटी भी लेकिन सबसे बड़ी इंपॉर्टेंट न्यूज आप सभी के लिए यह है कि
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इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से इस प्लेटफॉर्म के जरिए आपको यहां से लाइव क्लासेस यानी
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अपना जीके का जो पोर्शन है आपको यहां से लाइव सेशन मिलेगा और जीके का ही नहीं आपको
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जो कंपटीशन में आने वाली जो कटेरिना है जो सब्जेक्ट है जैसे कि अपना रीजनिंग भी है आप मैथ है आप बली बात ही जानते हैं
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ज्यादातर तो यहां से आपको परीक्षा जनस
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की तैयारी कर रहे हैं तो उसका एक कॉमन सिलेबस लेकर चलेंगे हम यहां से इस प्लेटफार्म के माध्यम से और लाइव क्लास
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लेना जरूर ना भूले इस बात को क्योंकि यहां से देखो एक आपको एक बेनिफिट इस चीज का
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होगा क्योंकि लाइव सेशन में आप अपनी क्वेरी कुछ भी पूछ सकते हैं और सबसे बड़ी बात है कि लाइव क्लासेस में आपको क्विज
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ऑप्शन भी दिए जाएंगे यानी हर 10 मिनट या 7 मिनट के गैप में टाइम गैप में आपसे
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क्वेश्चन भी पूछे जाएंगे और वो आपके मोबाइल प भी शो किए जाएंगे तो सबसे सब से बड़ी बात है कि आप अपने मोबाइल से भी उसका
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आंसर कर सकते हैं और लाइव सेशन में व मुझे आंसर तुरंत मिलेगा और जो भी बच्चा जो भी
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स्टूडेंट जिस कंपटीशन एग्जाम की तैयारी कर रहा है लेकिन उस क्वेश्चन का आंसर बिल्कुल
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सही देगा और ऑलमोस्ट सही देगा तो ऐसा है इसमें सिस्टम कि मेरिट सिस्टम में वो आएगा
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और मेरिट सिस्टम में आने के बाद यदि वो बच्चा लगातार टॉप बना हुआ है आंसर सही कर
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रहा है ठीक है आंसर सही करने के बाद वो बच्चा टॉप बना हुआ है एवरेज स्टॉप बना हुआ है तो टॉप 10 बच्चों की लिस्ट निकाल के हम
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उन्हें सरप्राइज गिफ्ट करेंगे यानी मंथ के लास्ट में अब वो गिफ्ट क्या होगा इसके लिए
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आप अपने प्रोसेस से जुड़ जाइए पहले क्योंकि कहते हैं कि कर्म करो फल की इच्छा
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मत करो एक आपने श्री कृष्ण ने बोला है कि कर्म करो फल की इच्छा मत करो लेकिन यह भी
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एक साइकोलॉजिकल है कि फल की इच्छा होगी तभी तो कर्म होगा तो मैं आपसे यही कहना
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चाह रहा हूं कि बस आप अपने तरीके पर ध्यान दीजिए जो हम लाइव सेशन ला रहे हैं उसमें
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हर 10 मिनट के गैप में हम आपको क्विज ऑप्शन भी ला रहे हैं आपके राइट आंसर पर एक कॉइन जुड़ेगा और एक कॉइन आपके मार्क्स में
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ऐड होगा जो आपकी टॉप लिस्ट को बढ़ाएगा और उन्हीं टॉप लिस्ट में से हम बच्चों को मंथ
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के लास्ट में सरप्राइज गिफ्ट करेंगे तो ये हमारा प्रोसीजर है जो कि मंडे से स्टार्ट होना है तो आप सभी तैयार रहे क्योंकि हम
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तैयार हैं देखिए तो अब हम चलते हैं अपनी पॉलिटी की तरफ जो चल रहे थे हम ठीक है तो
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पॉलिटी की तरफ आज हम चलने वाले हैं और मैं आपको एक चीज बता दूं सबसे बड़ी बात
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देखो हमारे भारत में पदों की संख्या लगभग लगभग उतनी होती है जितनी आवश्यकता है या
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उतनी नहीं होती है क्योंकि आज हमारे भारत में जितनी भी सरकारी नौकरियों की वैकेंसी निकलती है मैं आपको आज हकीकत से रूबरू करा
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दूं देखो मैं आपको तसल्ली के लिए झूठ बोल दूं है ना आपको बहला दूं फुसला दूं तो
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इससे कोई फर्क नहीं पड़ना है बल्कि मुझ पे एक छोटा सा ये पाप चढ़ जाएगा कि मैंने
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आपको तसल्ली दे दी वो भी झूठ झूठ मास्क की मैं ऐसा नहीं करना चाहता आप सभी को पता है
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कि आजकल के बच्चे कंपटीशन की तैयारी कर रहे हैं बिल्कुल कर रहे हैं और जिनका पैशन है वह कर रहे हैं मेहनत भी कर रहे हैं दिन
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रात और उनके लिए आज हम भी इस प्लेटफार्म के माध्यम से परीक्षा जंक्शन प्लेटफार्म
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के माध्यम से मेहनत कर रहे हैं उनके लिए कंटेंट बनाना उनके लिए क्ज ऑप्शन बनाना ट्स ऑल तो मेरा मानना है कि आज हमारे भारत
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में सरकारी नौकरी आवश्यकता की तुलना में कम है तो मेरा इतना कहना है कि आपका जो भी पैशन है क्योंकि मैं एक किताबों किताबी
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दुनिया से बाहर एक टीचर भी हूं तो सबसे बड़ी बात है कि मेरा बताना फर्ज है आपका जो भी पैशन है उस पैशन को फॉलो
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करिए किसी के दबाब में आकर या किसी की मजबूरी में आकर आप सरकारी नौकरी की तैयारी
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नहीं कर सकते यह हकीकत है आप अपने पैशन को फॉलो करिए कोई व्यक्ति कहता है सर मैं तो
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नॉलेज के लिए पढ़ना चाहता हूं तो बिल्कुल बेशक पढ़े किसने मना किया है क्या ज्ञान कभी निरर्थक जाता है क्या कभी नहीं तो कोई
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नॉलेज के लिए पढ़ना चाहता है कोई कंपटीशन एग्जाम को निकालने के लिए पढ़ना चाहता है तो दोनों तरीके से हम तैयार हैं और आप सभी
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यहां जुड़िए और फायदा उठाइए चलिए तो आज हम इंडियन पॉलिटी की बात
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वही अपनी सब्जेक्ट और यह हमारा पीछा तभी छोड़ेगी जब
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इससे हम मोहब्बत करेंगे देखो इंसान की फितरत और किसी भी किताब की फितरत एक जैसी
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होती है बस एक ही फर्क है किताब और इंसानों में यह फर्क है कि इंसान की फितरत
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परिस्थितियों वस बदल जाती है और किताबों की फितरत परिस्थितियों के अनुसार नहीं
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बदलती किताबें हमें कभी भी धोखा नहीं दे सकती लेकिन इंसान कोई भी इंसान हो मैं
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किसी पर्टिकुलर की बात नहीं कर रहा कोई भी इंसान हो चाहे आपका दोस्त रहा हो कभी या कोई भी हो वह आपको
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फितरत फितरत स्थिति के अनुसार आपको दगा भी दे सकता है लेकिन आपका साथ भी निवा सकता
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है हर कोई इंसान ऐसा नहीं होता लेकिन कुछ अच्छे भी हैं तो कुछ बुरे भी हैं इसलिए
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इंडियन पॉलिटी जिस सब्जेक्ट से आपको मोहब्बत हो गई जिस सब्जेक्ट से आपको प्यार
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हो गया तो मैं मानता हूं जब भी आप किसी इंसान से जब इतनी चाहत रखते हो आपने देखा
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है और आप तो बहुत अच्छे मास्टर है इस चीज के आप कुछ तो पीएचडी करके बैठे होंगे जब
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आप किसी इंसान को इतना चाह लेते हो कि उसके बिना रह ही नहीं सकते तो वही एक किताब करती है जब आप किताब को मोहब्बत
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करते हो किताब को पसंद करते तो आप किताब को नहीं पढ़ते किताब आपको पढ़ना स्टार्ट कर देती तो कुछ ऐसी बातें और कुछ ऐसी
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मोटिवेशनल बातें आपको हमेशा याद दिलाती रहेंगी आत्मविश्वास बढ़ती रहेंगी इंडियन पॉलिटी और आज का चैप्टर है डाल लीजिए सभी
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फंडामेंटल राइट्स मूल अधिकार इनको मौलिक अधिकार भी कहा जाता
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है इंडियन पॉलिटी में हमारा चैप्टर है मौलिक
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अधिकार मौलिक अधिकार फंडामेंटल
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राइट्स चलिए तो देखो मौलिक अधिकार की हम बात कर लेते हैं मौलिक अधिकार में सबसे बड़ी बात मैं
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आपसे कहना चाहता हूं कि इस मौलिक अधिकार इसका नाम क्यों रखा गया देखो सबसे पहले ये
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हमारे संविधान में कहां मिलते हैं बच्चों एक बार देख लेते हैं ये हमारे संविधान में
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संविधान के भाग तीन और अनुच्छेद 12 से लेकर 35 तक मिलते हैं आप सभी को पता है जब
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मैं प्रस्तावना पढ़ा रहा था प्रिंबल पढ़ा रहा था तो प्रिंबल में यह साफ-साफ मैंने
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मौलिक अधिकारों को बताया था और मैंने यह भी बोला था कि यहां पर मैं इतना एक्सप्लेन
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नहीं कर सकता क्योंकि टीचर्स की भी कुछ लिमिटेशंस होती हैं कि वह कब कहां कैसे
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क्या बोलना है वो टीचर तय करता है तो इसलिए मैंने प्रस्तावना के प्रस्तावना में
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मौलिक अधिकारों के बारे में ज्यादा नहीं बोला था क्योंकि वही बोल देता तो इस चैप्टर को कौन कराता फिर इस चैप्टर को आगे
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कैसे करते तो इसलिए हमें कुछ इंटरेस्टिंग पॉइंट छोड़ने पड़ते हैं ताकि आप उसे चैप्टर पढ़ो तो चैप्टर में ही समझो चलिए
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लेकिन परिचय में बता चुका था मौलिक अधिकार हमारे संविधान के भाग तीन में पाए जाते
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हैं और यह डाले गए थे भीमराव अंबेडकर जी के द्वारा जो ड्राफ्टिंग क चीफ थे तो
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संविधान के भाग तीन में और अनुच्छेद आपका है 12 से
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35 या 12 से 35 तक आपको यह दिए गए हैं मौलिक अधिकार जिन्ह संविधान के भाग तीन
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में डाला गया है इसके बाद दूसरी बात करते हैं यह भारत के यानी भारत के संविधान के
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भाग तीन को भारत के संविधान के भाग तीन को
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भाग तीन को भारत के संविधान
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का भारत के संविधान का संविधान का मैगना काटा कहा जाता
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है मैगना काटा कहा जाता
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है मैगना काटा कहा जाता तो भारत के संविधान के के भाग तीन को भारत के संविधान
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का मैगना काटा कहा जाता है अच्छा ये मैगना काटा जो शब्द है ये बड़ा बार-बार आ रहा है
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जब आपको पता है जब मैं इतिहास पढ़ा रहा था तो इतिहास में भी मैंने यही बात कही थी
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आपसे कही थी ना जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी आ रही थी सन 1600 में 31 दिसंबर को
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तो महारानी एलिजाबेथ ने अपने ब्रिटिश अधिकारियों को क्या जारी किया था एक घोषणा पत्र जारी किया था मैगना काटा जारी किया
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था आप इतना समझ लीजिए कि मैगना काटा का मतलब होता है एक वह घोषणा पत्र एक वह
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घोषणा पत्र यानी वह डिक्लेरेशन लेटर जिस पर हमारे अधिकार लिखे हुए होते हैं या कोई
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घोषणा लिखी होती है या कोई आदेश लिखा होता है उस शब्द को उस प्रारूप को उस ड्राफ्ट
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को मैगना काटा कहा जाता है यानी ये वह ड्राफ्ट होता है आप चाहो तो एक नॉलेज के
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लिए लिख सकते हो कि वह ड्राफ्ट वह ड्राफ्ट जिस
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पर जिस पर जिस पर आदेशों का घोषणा आदेशों की घोषणाएं
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लिखी होती है आदेशों की घोषणाएं घोषणाएं लिखी जाती
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हैं आदेशों की घोषणाएं लिखी जाती है उस शब्द को कहते हैं मैगना काटा लेकिन अब आगे
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चलते हैं आगे देखो अब यह बात आप समझ गए यहां तक
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लेकिन एक बात मुझे समझ में नहीं आ रही य क्या आप मुझे बताना चाहेंगे या फिर मैं खुद ही सोच लू तो क्या सोचना है मुझे और
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क्या आपको बताना है कि भारत के संविधान के भाग तीन को 12 से 35 तक डाला गया है भारत
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के संविधान के भाग तीन को मैगना काटा कहा जाता है हमारे यहां पर देखा जाए भारत के
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यानी 1949 के संविधान में 1949 का जो संविधान था अब बोलोगे सर आप दो संविधान की
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बात क्यों करते हो हमें कंफ्यूज करते हो अरे भाई दो संविधान की बात नहीं कर रहे हम हम संविधान एक ही है लेकिन उसमें थोड़ा
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बहुत संशोधन होके यानी परिस्थितियों के अनुसार थोड़ा बहुत संशोधन किया गया और संशोधन के बाद संविधान तो वही है लेकिन
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उसमें अमेंडमेंट करके उस संविधान का थोड़ा क्राइटेरिया बढ़ा दिया गया है इतना है जो
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हमेशा संशोधन होते रहेंगे चाहे सरकार किसी की भी हो 1949 के संविधान
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में आप सभी को पता है कि सात मूल अधिकार थे कितने थे सात मूल अधिकार
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थे सात मूल अधिकार थे ठीक है कौन से थे एक बार पर डिस्कस कर लेते हैं पहला मूल
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अधिकार की बात करें तो पहला है कौन सा है पहला समानता का अधिकार कौन सा समानता का
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अधिकार समता का अधिकार और यह आता है हमारे आर्टिकल में
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14 से 18 में उसके बाद दूसरी बात हम करते हैं आपसे एक आता है समता के बाद जो है 14
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से 18 एक है स्वतंत्रता का
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अधिकार स्वतंत्रता का अधिकार यही है ना और स्वतंत्रता के अधिकार की बात करें तो यह
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आर्टिकल आपका आता है 19 से लेकर 22 तक उसके बाद हम बात करते हैं आपसे
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तीसरा ठीक है तीसरा आर्टिकल हमारे पास क्या है तीसरा पॉइंट जो है तीसरा आर्टिकल नहीं
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तीसरा पॉइंट है उसके बाद आता है शोषण के विरुद्ध
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अधिकार राइट टू एक्सप्लोइटेशन राइट टू अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन शोषण के विरुद्ध
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अधिकार और यह आर्टिकल आपको मिलेगा
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उसके बाद हम बात करते हैं आपसे नेक्स्ट शोषण के विरुद्ध के बाद जो
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आपका आर्टिकल आता है वह आता है या नाम से आता है जो भी है आप उसे कहते
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हो एक मिनट 3 24 25 वाला आएगा नी धार्मिक स्वतंत्रता का
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अधिकार धार्मिक स्वतंत्रता
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का अधिकार और और ये हमारा मिलेगा आर्टिकल 25 से लेके 28 तक और एक आपका आता है
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नेक्स्ट नेक्स्ट पॉइंट है पांचवा पांचवे में आपको मिल सकता है 29 से लेकर 30 जिसे
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कहते हैं शिक्षा व संस्कृति का अधिकार शिक्षा
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व संस्कृति का अधिकार यह जहां तक अल्पसंख्यकों के लिए
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होता है इतना बता दूं मैं आपको हिंट के तौर पर तोय आपका आएगा आर्टिकल 29 से लेकर 30 तक उसके बाद
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नेक्स्ट है आपका और लास्ट है छ ही मूल अधिकार है लेकिन साल आपने तो सात लिखा है
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अरे सातवा कौन सा था बता दूंगा अभी आप इ टेंशन मत लिया करें इतने जल्दी हाइपर ना
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हुआ करें आप ठीक है सर लिखा कुछ और है बता कुछ और रहे हो ऐसा कुछ भी नहीं है अभी
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वर्तमान में छह मूल अधिकार है केवल हमारे पहले सात हुआ करते थे 1949 के संविधान में
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लेकिन ये आज का संविधान है छठा पॉइंट है आपका संवैधानिक उपचारों का
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उपचारों का अधिकार और यह आपका है
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आर्टिकल आर्टिकल क्या है आपका 32 यानी आर्टिकल 32 ठीक है तो कुल मिला के हम इन
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संविधान की मा इन अधिकारों की बात करें तो ये छह मूल अधिकार है टोटल कितने हैं टोटल
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हुए हमारे छह मूल अधिकार तो इसका मतलब क्या है सर आपने सात
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का मतलब क्या लिखा देखो सात का मतलब मैं आपको बता देता हूं डियर ये सात का मतलब है
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हमारे 1949 के संविधान में सात मूल अधिकार थे छह तो ये थे और सातवा था संपत्ति का
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अधिकार राइट टू प्रॉपर्टी संपत्ति का अधिकार ये जो संपत्ति का अधिकार था ना यह
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एक्चुअली में इसको इंग्लिश में कहते थे राइट टू प्रॉपर्टी यानी आरटीपी और राइट टू प्रॉपर्टी का मतलब होता
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है संपत्ति का अधिकार होता है जैसे कि जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की जमीन पर
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अपनी संपत्ति का दावा पेश करता है वह कहता है कि य संपत्ति मेरी है तो इसका क्या है
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इस तरह से मिसयूज होने लग गया था और इस तरीके से जब किसी भी अधिकार का दुरुपयोग होने लग जाता है तो उस पर सुप्रीम कोर्ट
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ये जांच भी कर सकती है इन्वेस्टिगेशन कर सकती है और सरकार भी इस पर क्या कर सकती
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है कोई कानून पारित करके इसको हटा भी सकती है आपको क्या लगता है कि यह सारे अधिकार
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क्या आपको परमानेंट मिल गए हैं क्या संसद इनमें कभी भी संशोधन नहीं कर सकती क्या
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संसद इनमें कटौती नहीं कर सकती क्या संसद इन पर कोई लिमिटेशंस नहीं लगा सकती बिल्कुल लगा सकती है जो आज आगे बढ़ने वाले
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हैं वो इसी चीज के ऊपर है जब हम मूल अधिकारों की विशेषताएं पढ़ेंगे यानी स्पेशलिटी एंड प्रॉपर्टीज स्पेशलिटी एंड
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प्रॉपर्टीज ऑफ द फंडामेंटल राइट्स इन द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन जब हम पढ़ेंगे तो ये सारी चीज पढ़ेंगे
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इसलिए सरकार को लगा संपत्ति का अधिकार जो है उस समय इसका दुरुपयोग होने लग गया था मोरा जी देसाई की सरकार के समय और मोरा जी
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देसाई जब भारत के प्रधानमंत्री बने 1977 में आफ्टर इंदिरा गांधी क्योंकि इंदिरा गांधी की इमरजेंसी के बाद जो सरकार आई थी
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वो एक गैर कांग्रेसी सरकार थी जिसका नाम था जनता दल की सरकार अब वही जनता दल है जिसका आज नाम भारतीय जनता पार्टी है तो
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बीजेपी पहले इसको जेपी कहते थे जनता पार्टी तो जनता दल जो था उसकी सरकार में
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1977 में जो पीएम बने थे उस समय देश के वह थे मोरार जी
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देसाई मोरार जी देसाई और बहुत ही रंदर नेता थे लेकिन इनकी सरकार गिर गई थी बस
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एक्चुअली में यह था मोरार जी देसाई तो मोरार जी देसाई जो थे और इनके समय उप प्रधानमंत्री कौन थे
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यदि आपसे पूछ लिया जाए कि 1977 में मोरार जी देसाई के समय भारत के दो प्रधानमंत्री
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काम करते थे उनको लिख लेना एक तो थे जगजीवन राम जग जीवन
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राम एक तो पहले उ प्रधानमंत्री थे और उसके बाद थे दूसरे थे
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कौन चौधरी थे उनका नाम एक मिनट रुको थोड़ा मिस कर रहा हूं मैं चौधरी
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थे हां चौधरी थे ठीक है तो चौधरी साहब ये
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एक तो उप प्रधानमंत्री थे और जगजीवन राम यानी हमारे देश में दो प्रधानमंत्री पहली
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बार कब बने थे मोरार जी देसाई की सरकार में बने थे और फिर बने थे अटल बिहारी वाजपेई सरकार में कौन लाल कृष्ण आवारी
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क्योंकि अटल बिहारी वाजपेई जब प्रधानमंत्री थे तो उस समय लालकृष्ण आंगनवाड़ी भारत देश के उपप्रधानमंत्री थे
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देखो डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर का जो पद होता है वो हमारे संविधान में नहीं है मैं आपको बता दूं उप प्रधानमंत्री को पद केवल
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उसकी गरिमा यानी व्यक्ति के सम्मान के तौर पर उसको दिया जाता है या कार्यभार को
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प्रधानमंत्री के कार्यभार को कम करने के लिए या उसके काम के बोझ को कम करने के लिए उप प्रधानमंत्री का पद दे दिया जा सकता है
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या किसी पॉलिटिकल परसेप्शन से भी दे सकते हैं जरूरी नहीं है कि जो पद दिए जा रहे
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हैं क्या वह संविधान में ही है ऐसा नहीं है ठीक है यानी डेप सीएम उपमुख्यमंत्री का
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कोई पद ही नहीं होता लेकिन फिर भी आपको पता है कि अभी जम्मू कश्मीर में जो सुरेंद्र चौधरी जम्मू कश्मीर यानी केंद्र
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शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के जो उप मुख्यमंत्री बने हैं सुरेंद्र चौधरी और मुख्यमंत्री कौन है उमर अब्दुल्ला ठीक है
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जो नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी से आते हैं तो अभी यूटी में क्या हुआ था जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला ने शपथ ली सीएम की अब
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मुख्यमंत्री तो संविधान में उल्लिखित है दिया गया है डिस्क्रिप्शन में लेकिन उप मुख्यमंत्री और उप प्रधानमंत्री का पद
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संविधान में कहीं भी नहीं है लेकिन पॉलिटिकल परसेप्शन
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से अपने मुख्यमंत्री या अपने प्रधानमंत्री का कार्य बोझ कम करने के लिए समझ गए ना या
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व्यक्ति को सम्मान देने के लिए उप प्रधानमंत्री का पद दिया जा सकता है ठीक है जैसे कि आपको लगता है जैसे मैं आपको
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बता दूं एक्चुअली में जैसे कि सरदार पटेल की बात करते हैं सरदार वल्लभ भाई पटेल हमारे देश के पहले उप प्रधानमंत्री थे कौन
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थे डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर थे और वही डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर देश के गृहमंत्री भी थे तो कुल मिलाकर आप ये
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बताइए नेहरू और सरदार पटेल जी नेहरू और सरदार पटेल जी दोनों में से कौन बड़ा था
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कोई बड़ा नहीं था कोई बड़ा नहीं था दोनों बराबर थे हां आपको लगा सर आप नेहरू
20:06
बोलेंगे मैं नेहरू नहीं बोल सकता क्योंकि पटेल जी की गरिमा और पटेल जी की प्रतिष्ठा
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का सवाल हो जाएगा बिल्कुल नहीं क्योंकि पटेल जी उतनी ही अपनी प्रशासनिक दक्षता
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अपनी प्रशासनिक कुशलता और उसके बाद अपनी कूटनीतिक कैपेबिलिटी को देखते हुए मैं
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पटेल जी को नेहरू जी से कम नहीं आ सकता क्योंकि पटेल जी पटेल जो थे सरदार वल्लभ
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भाई पटेल वो अपनी ढ इच्छा शक्ति के कारण भी माने जाते थे अपनी कोट नीति के कारण भी जाने जाते थे और उनकी प्रशासनिक कुशलता तो
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अरे सुभानल्लाह थी तो पटेल जी को मैं नेहरू जी से कम नहीं कह सकता लेकिन बराबर
20:44
कह सकता हूं क्योंकि नेहरू जी भी अपने पार्टी के सबसे युवा और सबसे जनता के बीच में लोकप्रिय नेता भी हुआ करते थे तो
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इसलिए नेहरू जी ने पटेल जी को सम्मान देने के लिए क्योंकि उस समय पॉलिटिकल परसेप्शन
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तो नहीं हो सकता लेकिन उन्हें सम्मान देने के लिए उन्हें गरिमा देने के लिए उन्हें
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सीनियर लीडर के होने के नाते देश का पहला डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर बनाया गया था आप
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सभी को याद होना चाहिए उसके बाद जगजीवन राम चौधरी चरण
21:15
सिंह मैं कह रहा कोई ना कोई तो है मैं थोड़ा भूल रहा हूं चौधरी चरण सिंह यह वो
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है जिससे कम समय रहिए हालांकि 1979 की बात बता रहा हूं मैं आपको ठीक है तो जगजीवन
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राम और चरण सिंह ठीक है आप मुझे बताइए एक मात्र ऐसे उप प्रधानमंत्री मैं आपसे
21:34
क्वेश्चन पूछता हूं भारत के एक मात्र बाया भारत के वह उप प्रधानमंत्री जो बाद में
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प्रधानमंत्री बने कौन थे जगजीवन राम चौधरी चरण सिंह लालकृष्ण आवारी या सरदार वल्लभ
21:48
भाई पटेल देखो सरदार वल्लभ भाई पटेल कभी भी देश के प्रधानमंत्री नहीं रहे एक बतौर
21:55
प्रधानमंत्री कभी नहीं आए पहली बात जग जीवन राम कभी नहीं आए लाल कृष्ण आंगनवाड़ी
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कभी नहीं आए आंसर क्या है आपका चौधरी चरण सिंह तो यही तो चीज है आपको बुद्धि तो
22:07
लगानी पड़ेगी भाई साहब क्योंकि बिना कांसेप्ट के आप यह नहीं कर
22:12
सकते टोटल छह मूल अधिकार है संपत्ति के अधिकार को मोरा जी देसाई की सरकार के समय
22:18
क्या कर दिया हटा दिया गया और एक कांस्टिट्यूशन अमेंडमेंट किया गया जिसका नाम था 44 1978 और इस संपत्ति के अधिकार
22:26
को संविधान के भाग तीन से निकाल कर कहां रख दिया गया और इसको रख दिया गया आज
22:32
संविधान के भाग 12 में और अनुच्छेद कौन सा अनुच्छेद
22:38
था 300 ए अनुच्छेद 300a में और संविधान के भाग 12
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में रख दिया गया है और आज इसे मौलिक अधिकार ना कह के क्या कहते हैं इसको आज
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कानूनी अधिकार के नाम से जाना जाता कानूनी अधिकार के नाम से जाना जाता है राइट टू
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प्रॉपर्टी को आप सभी समझ गए ना चलिए आज मेरी एक सर से बात हुई अ मैं आपको
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बता दूं देखो सबसे बड़ी चीज है कि जरूरी नहीं कि किताबी ज्ञान ही आपको सब
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कुछ काम आए कभी-कभी जीवन में बहुत कुछ भी और भी काम आता है आपका अनुभव आता है आपका कैरेक्टर आता है और कैरेक्टर बनाना बहुत
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देखो स्टूडेंट्स मैं एक बात कहूंगा कि कैरेक्टर को बनाने में सालों लग जाते हैं
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लेकिन ईगो बनने में थोड़ा सा ही समय लगता है लेकिन जिस चीज को बनने में थोड़ा सा ही
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समय लगता है वह आपको जल्दी बर्बाद कर देने वाला होता है जैसे ईगो नाम की जो चीज होती
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है ना आजकल लेकिन आजकल जो ईगो नाम का चीज है ना ये दुनिया को पता है और दुनिया में
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बिल्कुल उस इंसानों के अंदर कूटकूट के भरा हुआ है ो लेकिन यदि मैं किसी से यह पूछूं
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कि सर आपका कैरेक्टर है क्या मैं मानता हूं कि 100 में से 20 लोगों का कैरेक्टर है 80 लोगों का कोई कैरेक्टर नहीं लेकिन
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उनमें ईगो जरूर मिल जाएगा तो मुझे यह समझ में नहीं आता कि जिस व्यक्ति में कैरेक्टर है उसमें कभी ईगो नहीं हो सकता बिल्कुल
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नहीं हो सकता यह बात सत्य है लेकिन जिस व्यक्ति में ईगो है उसका कभी कैरेक्टर
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नहीं होगा यानी कैरेक्टर और ईगो यह ऐसी वो तलवार हैं जो कभी एक मेन में नहीं आ
24:20
सकती कभी नहीं आ सकती यदि आपका कैरेक्टर आसमान है तो आपका ईगो जमीन है और धरती और
24:27
आसमान कभी साथ नहीं मिल सकते क्योंकि मिल गए तो बवंडर हो जाएगा भुकाल आ जाएगा इसलिए
24:35
हमारे स्वर्गीय हमारे स्वर्गीय आदरणीय रतन टाटा जी भी ये कहते हैं कि जल्दी से मिली
24:42
सफलता ईगो डेवलप करती है और देर से मिली हुई सफलता कैरेक्टर को डेवलप करती है अब
24:48
आपको कैरेक्टर पसंद है या आपको ईगो पसंद है आप चूज कर लीजिए क्योंकि ईगो आपको
24:54
मिलेगा विरासत में मिला हो या आपने कमाया हो वो आपको जल्दी ही बर्बाद कर देने वाला
24:59
है लेकिन जो एक कैरेक्टर है वो आपको देर से जरूर मिलेगा मेहनत से मिलेगा संघर्ष से
25:04
मिलेगा लेकिन वो कैरेक्टर आपको हमेशा ऊपर उठाएगा लोगों से यूनिक बनाएगा
25:11
आपको बस यही चीज याद रखना जैसे कहते हैं कि फास्ट सक्सेस बिल्ड्स ईगो एंड फास्ट
25:19
सक्सेस बिल्ड्स ईगो एंड स्लो सक्सेस बिल्ड्स
25:25
कैरेक्टर तो चलिए यह कधि हो गया अब आपसे क्वेश्चन य कैसे पूछा जाएगा मैं आपको बता
25:31
दूं एक तो पूछा जा सकता है मौलिक अधिकार वाला कि संपत्ति का अधिकार भारतीय संविधान
25:37
के आज किस भाग में है आपका आंसर होना चाहिए भाग 12 में है सर आर्टिकल पूछे तो
25:43
30a बता देना और संपत्ति के अधिकार को आज संविधान में किस अधिकार के नाम से जाना
25:50
जाता है तो आपका आंसर होना चाहिए मैं आपको ऑप्शन देता हूं पहला है मौलिक अधिकार
25:56
दूसरा है कानूनी अधिकार तीसरा है लोकतांत्रिक अधिकार और चौथा है राजनीतिक
26:01
अधिकार तो आपका आंसर होना चाहिए सर कानूनी अधिकार उसके बाद हमारे संविधान में कितने
26:07
मूल अधिकार थे सात थे लेकिन आज कितने हैं छह इसको यहां से निकाल कर फेंका वहां रख
26:12
दिया बताइए इसको क्या कहते हैं संविधान का मैगना काटा कहते हैं या घोषणा पत्र कहते
26:18
हैं या ड्राफ्ट कहते हैं या प्रारूप कहते हैं इसको संविधान का समझे चलिए अब थोड़ा
26:25
सा आगे चलते हैं आगे बढ़ते हैं एक बार यहां से
26:39
आजकल एक करंट में जो न्यूज चल रही है आजकल सबसे बड़ा करंट में जो न्यूज चल रहा
26:46
है आजकल वो लॉरेंस बिश्नोई का चल रहा है ठीक है और देखो मैं किसी भी व्यक्ति का
26:53
पक्ष या विपक्ष में नहीं हूं सीधी बात है मतलब मैं ईमानदारी से कह रहा हूं मेरा कोई
26:58
पक्ष विपक्ष नहीं है मैं केवल आडलज आपको बता रहा हूं ठीक जैसे कि अभी लॉरेंस विश्
27:04
का बहुत बड़ा ट्रेन चल रहा है और लॉरेंस विभी जैसे की बड़ी बड़ी हस्तियों बॉलीवुड की हस्तियों को जो धमकी दी है और जिस
27:12
प्रकार से वह खालिस्तानिस में काम कर रहा है हां लेकिन मैं खालिस्तानिस में भी नहीं
27:17
हूं इतना मैं कह सकता हूं लेकिन बॉलीवुड हस्ती में जो हो रहा है मैं उसको नहीं जानता ठीक
27:23
है सबसे बड़ी बात है कि आज लॉरेंस बस का जो एक चर्चे में है लॉरेंस बिश्नोई की कुछ
27:32
लोग तुलना जैसे मेरा मानना है मैंने गणित लगाया वा सा कुछ लोग लॉरेंस विश् की तुलना दादू ब्राइम अंडरवर्ल्ड डॉन से कर रहे थे
27:40
मैंने कल देखा तो एक जो व्यक्ति बोल रहे थे फिर वो उनका पॉइंट ऑफ व्यू हो सकता है
27:45
ऐसा सोचते होंगे तो ठीक है मैं इसका भी सम्मान करता हूं लोरेंस ब के बारे में कुछ
27:50
दा ब्रा से वो क्या कर रहे थे तुलना कर रहे थे और तुलने में उन्हो को ऐसे बोला कि
27:56
लॉरेंस विश्नोई जो है व द ब्रा ही है तो मुझे एक चीज समझ में आई कि ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि दाद ब्राइम की जो हिस्ट्री
28:03
रही है वो एक क्रिमिनल की रही है वो एक क्रिमिनल बिजनेसमैन था वो वसूली करते थे
28:09
साब वो मासूमों की जान लेता था दादू ब्रम जो थे तभी तो भारत में प्रवेश नहीं है
28:15
उसको आज भी दाद ब्राहिम यदि भारत के किसी भी सीमा पर पाया गया तो तुरंत शूट आउट किया जाएगा भारत की सरकार यह ऐलान करती है
28:24
और हर व्यक्ति को अधिकार देती है कि यदि दाद प्राम आपको कहीं भी देखे आप मारिए हम
28:29
आपको इनाम देंगे ठीक है तो दयद ब्रम जिसकी सरकार
28:34
चाहे सरकार कोई भी हो आज की सरकार यदि कल की सरकार या परसों की सरकार यही बोल रही
28:40
थी कि दद ब्राइम एक क्रिमिनल बिजनेस मैन था मासम की जान लेने वाला था वो कभी भी
28:48
मतलब कहते जिसके अंदर दिल नहीं होता लेकिन यहां पर लॉरेंस विश् का फैक्टर थोड़ा अलग है यहां पर देखो मैं मानता हूं कि कानून
28:56
को अपने हाथ में लेना एक अपराध होता है कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए ठीक है चाहे कैसे भी हो लेकिन एक बात तो
29:03
माननी पड़ेगी पूरा भाई साहब पूरा इंडिया ला के
29:08
पट दिया इस व्यक्ति ने पूरा बॉलीवुड पूरा मतलब खालिस्तान तक डर डर के बैठ गए हैं
29:15
लोग खालिस्तान की बात करें देखो खालिस्तान का समर्थन मैं नहीं करता मैं इतना यकीन है
29:21
मुझे मैं खालिस्तानी हों का बिल्कुल समर्थन नहीं करता हकीकत हैय कैसे क्योंकि
29:27
मुझे का तो नहीं पता लेकिन मैं खाले सानियों का समर्थन नहीं करता क्यों नहीं करता जो देश को तोड़ने की बात करते हैं
29:34
मैं उनका समर्थन बिल्कुल भी नहीं करूंगा ठीक है क्योंकि जो बंदूकों की ट्रेनिंग लेते हैं देश को तोड़ने के लिए
29:42
जो जो देश के विरोधी नारे लगाते हैं मैं उनके समर्थन में तो बिल्कुल बात नहीं कर सकूंगा 1 परट सिंपति नहीं है मेरे
29:49
खालिस्तानी यह मेरा अपना समर्थन है यह मेरी विभक्ति है मैं बोल सकता हूं लेकिन
29:54
जो लॉरेंस बिश्नोई जो खालिस्तानिस कर रहा है वो तो मुझे कहीं ह तक ठीक है लेकिन
30:00
बॉलीवुड को लेकर उसकी कुछ अपनी एक समाज को लेकर अपने कल्चर को लेकर थोड़ी सी डिबेट हो गई है तो उस चक्कर में भी थोड़ा सा व
30:07
बॉलीवुड में भी अपना इंटरप्ट कर रहा है और बहुत ही बकाल के साथ कर रहा है लॉरेंस
30:12
बिसन की जो अभिव्यक्ति है वो थोड़ी राष्ट्रवादी प्र यानी राष्ट्र को लेकर वह बंदा बहुत ज्यादा
30:26
डिस्पेरटनेस को लेकर डेसपरेट हो जाए ये पक्की बात है अब देखो आप उसे कनमल
30:35
कह दो तो पॉजिटिव वे में कह दो या नेगेटिव वे में कह दो लेकिन क्योंकि मैं वीडियो देख रहा था भगत
30:42
सिंह का नाम लिया है लॉरेंस बसम भगत सिंह का राम प्रसाद बिस्मिल जी का नाम लिया है जो इतने बड़े नेता है भगत सिंह हमारे
30:49
हमारे देश के आदरणीय शहीद भगत सिंह उनका नाम लिया है तो कम से कम मैं इतना पहचान चुका हूं कि दादू ब्राहमम की जो
30:56
आईडियोलॉजी है और जो लॉरेंस बन की जो विचारधारा है वो दोनों में जमीन आसमान का फर्क है ठीक है क्योंकि लॉरेंस मिसन की जो
31:04
धारणा है जो अवधारणा है उनका कांसेप्ट है वो राष्ट्रवादी प्रवृत्ति का उसने कहा था
31:09
कि डोंट वांट टू बी डिवाइडेड अ कंट्री ऑन ऑन खालिस्तानी यानी जो भी देश
31:16
को तोड़ने की बात करेगा मैं उसको तोडूंगा मैं उसको बाटूंगी जो देश को बांटे
31:23
अब बांटने का मतलब समझ आप क्या क्या कहना चाह रहा है वो तो यह मैं प्रवृत्ति बता
31:28
रहा था दोनों की प्रवृत्ति बहुत अलग है जितना मैंने एनालाइज किया जितना मैंने महसूस किया खैर कोई नहीं तो आजकल लॉरेंस ब
31:35
चर्चे में है और देखो 30 साल का उसकी उम्र केवल 30 साल की है पूरे देश में बकाल मचा
31:42
रखा है अपना और खालिस्तान तो चुप के बैठ गए वह नजर नहीं आ रहे क्योंकि आने भी नहीं
31:47
चाहिए भाई मैं तो सीधी बात कहता हूं आने भी नहीं चाहिए जो देश को तोड़ने की बात करेगा उसे
31:54
हमारे देश में रहने की कोई जगह नहीं है बाट जाइए लेकि जाओ फिर भी मारे जाओगे सीधी
32:00
कहता हूं बाहर जाओगे फिर भी मारे जाओगे चलिए कोई नहीं हम तो विचारधारा की बात कर
32:06
रहे थे और लोरेंस बिन जो खालिस्तानी के प्रति कर रहा है बहुत अच्छी बात है करता
32:11
रहे मैं तो कहता हूं करता रहे ठीक है क्योंकि मुझे भारत से प्यार
32:17
है मैं भारत के लिए भारत का नागरिक हूं मुझे भारत से प्यार है और जो मेरे देश को तोड़ने की बात करेगा हम उसको तोड़ेंगे
32:24
सीधी बात केंगे चलिए आगे चलते हैं नेक्स्ट अब मुझे एक चीज बताइए आप जैसे हम
32:29
फंडामेंटल राइट्स में आगे बढ़े आपने देखा मुझे यहां की हम बात कर रहे थे आप सभी से
32:36
ठीक है यह हम बात कर रहे थे तो इसकी बात करते करते हमने यहां तक अपना पूरा देख लिया था लेकिन अब हम थोड़ी प्रॉपर्टीज को
32:43
पढ़ लेते हैं नहीं पहले अर्थ को पढ़ लेते हैं क्योंकि अर्थ बहुत जरूरी है डियर आप
32:48
लिख दीजिए कि मौलिक अधिकार यानी इनको मूल क्यों कहते
32:54
हैं मौलिक अधिकार या मूल अधिकार कह दो एकही बात देखो देखो मूल अधिकार को मूल
33:01
अधिकार इसलिए कहते हैं आप लिख द कि इन अधिकारों
33:11
को इन अधिकारों को मूल इसलिए कहा
33:17
गया इन म इन अधिकारों को मूल इसलिए कहा
33:26
गया क्योंकि इन अधिकारों को मूल इसलिए कहा गया
33:35
क्योंकि इसलिए कहा गया
33:41
क्योंकि क्योंकि यह व्यक्तियों के क्योंकि यह व्यक्तियों
33:47
की आजादी की सुरक्षा करते हैं क्योंकि य व्यक्तियों
33:53
की आजादी की सुरक्षा करते हैं आजादी की सुरक्षा करते
34:02
हैं और और सरकार के कठोर
34:15
कठोर नियमों के खिलाफ काम करते
34:21
हैं के खिलाफ काम करते हैं
34:33
हैं के खिलाफ कार्य करते हैं
34:39
और और क्या करते हैं और व्यक्ति का और
34:44
व्यक्ति का सॉरी नियमों के खिलाफ काम करते हैं
34:51
और और न्यायालय द्वारा और न्यायालय द्वारा इन्हें
34:59
इन्हें सुरक्षा की गारंटी प्रदान दी जाती है सुरक्षा की गारंटी प्रदान की जाती
35:06
है गारंटी प्रदान की जाती है इन्ह सुरक्षा की
35:12
गारंटी प्रदान की जाती है और यह व्यक्ति का चह मुखी विकास करते
35:20
हैं और यह व्यक्ति का व्यक्तियों का
35:28
विकास और विकास कैसे डेवलपमेंट कैसे करते हैं आपने पूछा सर कि सर राइट्स हमारे में
35:34
डेवलपमेंट कैसे कर सकता है तो आपको पता होना चाहिए कि राइट्स डेवलप कैसे कर सकता है देखिए जैसे व्यक्तियों को डेवलप कैसे
35:41
करेगा जैसे कि इस तरीके से कर सकता है पहला जैसे कि भौतिक विकास करेगा
35:47
उनसे कहते मेंटली फिजिकली डेवलपमेंट भौतिक विकास करेगा उनका मानसिक
36:02
मानसिक विकास भी करेगा भौतिक विकास मानसिक विकास उनका
36:15
विकास और उनका एक नैतिक विकास भी
36:22
करेगा यानी कुल मिलाकर मैं कहना चाह रहा हूं कि जब व्यक्तियों का विकास हो रहा है
36:27
न्यायालय के द्वारा इन्ह सुरक्षा की गारंटी प्रदान है कि भैया न न्यायालय यह कहता है कि हमारे संविधान में दिए गए सभी
36:34
मूल अधिकार मेरी सुरक्षा के डगरे में है यानी मैं कोर्ट यह कहता है चाहे सेशन
36:40
कोर्ट हो चाहे हाई कोर्ट हो चाहे सुप्रीम कोर्ट हो सुप्रीम कोर्ट भी यही कहता है और हाई कोर्ट भी यही कहता है कि हम आर्टिकल
36:47
32 और 226 का प्रयोग करके इन मूल अधिकारों को सुरक्षा की गारंटी देते हैं यानी कोई
36:53
भी व्यक्ति या कोई भी सरकार इनसे छेड़छाड़ करेगा तो चाहे वो कोई छोटा व्यक्ति हो
36:59
चाहे कोई बड़ा हो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी उसको दंडित किया जाएगा यानी मूल
37:04
अधिकार हमेशा सुरक्षित रहेंगे व्यक्तियों के लिए और यदि मान लो व्यक्तियों ने इनके खिलाफ करना बात कर दिया जिस दिन तो
37:11
व्यक्तियों के खिलाफ भी ये कार्यवाही हो सकती है यानी न्यायालय मल मौलिक अधिकारों
37:18
में हनन करने वाला कोई भी व्यक्ति चाहे छोटा हो चाहे बड़ा हो चाहे अमीर हो चाहे गरीब हो चाहे ऊंचा हो चाहे नीचा हो कोई
37:24
फर्क नहीं पड़ता किसी की जात हो या किसी का धर्म किसी भी तरीके का कोई भेदभाव नहीं पड़ता यानी न्यायालय उस पर कार्यवाही
37:31
करेगा ही करेगा चाहे वोह कोई सरकारी क्यों ना हो चाहे भारत का राष्ट्रपति ही क्यों ना हो
37:37
चाहे भारत का प्रधानमंत्री क्यों ना हो यह कभी भी मौलिक अधिकारों के खिलाफ जाकर कोई
37:43
भी ऐसा कानून नहीं बना सकते जिससे व्यक्तियों के अधिकारों का अनन हो रहा हो और यदि व्यक्तियों के अधिकारों का अनन हो
37:49
रहा है तो न्यायालय द्वारा न्यायालय में उनको जाकर हम चुनौती दे सकते हैं कि सर
37:54
सरकार ने मेरे इस राइट्स को छीनने की कोशिश की मुझसे यह तो मेरा राइट है तो याद
38:00
रखना न्यायालय वहां पर आपका ही पक्ष लेगा यदि आप वहां सही है तो लेकिन आपने मौलिक
38:07
अधिकारों की आड़ में कोई ऐसा काम कर दिया है जो आपको नहीं करना चाहिए था या संविधान
38:14
से परे जाकर या कानून से बड़ा बनने की आपने कोशिश की है तो फिर सुप्रीम कोर्ट आपको वही डांटे और वही आपके खिलाफ भी
38:21
कारवाई करेगा समझ गए ना चलिए तो इन्हें आजादी की सुरक्षा करते हैं ये और सरकार के
38:28
कठोर नियमों के खिलाफ काम करते हैं सरकार चाह के भी कभी भी ऐसा कानून नहीं बना सकती
38:35
या चाह कर तो छोड़ो यदि चाहने के साथ भी यदि ऐसा कानून बना भी देती है वो बना भी
38:42
देती है तो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट को यह पावर है राज्यों के मामले में हाई
38:47
कोर्ट को और केंद्र के मामलों में सुप्रीम कोर्ट को भारत के मामले में सुप्रीम कोर्ट को यह पावर है कि वो किसी भी विधान मंडल
38:55
या संसद से पारित हुए किसी भी कानून को तुरंत निरस्त कर सकती है अब आप पूछोगे सर
39:01
संसद में बिलाया और राष्ट्रपति ने उस पर हस्ताक्षर कर दिया मान लो संसद से कल को कोई बिल पारित
39:08
होता है बहुमत से ठीक है क्योंकि मौलिक अधिकारों में संशोधन किया है इसका मतलब यह
39:13
है कि वो बहुमत से किया होगा ठीक है 368 से किया होगा स्पेशल मेजॉरिटी से किया होगा ठीक है अब मान लो संसद बिल पारित कर
39:21
देती है और वो कानून बनने के लिए जाता है राष्ट्रपति के पास जैसा कि आप सभी ने पढ़ा है कि संसद के मामले में राष्ट्रपति की
39:27
शक्ति क्या होती है यानी पार्लियामेंट पावर ऑफ द इंडियन प्रेसिडेंट क्या होती है
39:33
व्ट आर द व्ट आर द पावर ऑफ पार्लियामेंट पवर पार्लियामेंट पावर ऑफ द इंडियन
39:38
प्रेसिडेंट क्या होती है राष्ट्रपति की पावर होती है कि संसद से पारित हुए किसी भी विधेयक पर वह अपनी जब तक सहमति नहीं दे
39:46
देता तब तक वह भारत का कानून नहीं बनता या भारत में लागू नहीं होता यानी वो
39:51
अधिनियमित नहीं होता समझ गए लेकिन मान लो संसद से पारित हुआ कोई भी विधेयक जो मूल
39:58
अधिकारों के खिलाफ है और राष्ट्रपति ने उस पर सिग्नेचर कर दिया तो याद
40:03
रखना यह अधिनियम यह कानून पूरे भारत में लागू नहीं होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने
40:10
इसे असंवैधानिक करार दिया और सुप्रीम कोर्ट के पास पावर है कि वह किसी भी ऐसे
40:16
नियम जो सरकार ने बनाया हो और जो मूल अधिकारों के खिलाफ हो उसको सुप्रीम कोर्ट
40:21
पूरे देश में लागू नहीं होने देगा और तुरंत उसी समय संसद के इस बिल को कर देगा
40:28
कानून को खत्म कर देगा ठीक है इसलिए मौलिक अधिकारों के संरक्षक जो होता
40:34
है उसको न्यायालय कहा जाता है यहां पर लिख सकते हैं कि मौलिक अधिकारों के लिख सकते हैं कि
40:43
अदालतें अदालतें एवं न्यायालय अदालत एवं न्यायालय
40:49
को न्यायालयों को या फिर भारत की सुप्रीम
40:54
कोर्ट या फिर भारत की सुप्रीम कोर्ट
40:59
को भारत की सुप्रीम कोर्ट
41:05
को मौलिक अधिकारों का संरक्षक कहा जाता
41:11
है मौलिक अधिकारों का संरक्षक कहा जाता
41:24
है मौलिक अधिकारों का संरक्षक कहा जाता है तो यह बात याद रखना इसे गार्डियन ऑफ दिया
41:31
यानी सुप्रीम कोर्ट को क्या कहते हैं मौलिक अधिकारों का गार्जियन कहते हैं ठीक है तो आप लिख सकते हैं इसे छोटी भाषा में
41:39
कहे तो लेख सुप्रीम कोर्ट
41:44
को सुप्रीम कोर्ट को मौलिक अधिकारों का गार्जियन कहा जाता
41:50
है मौलिक अधिकारों का गार्जियन
42:05
अब यह क्वेश्चन पूछ सकते हैं कि सर मान लो कल को सुप्रीम कोर्ट ना रहे ऐसा कभी नहीं होगा लेकिन मान लो एक कल्पना कर लेते हैं
42:14
कि कल को सुप्रीम कोर्ट ना रहे हमारे भारत में तो क्या सरकार मौलिक अधिकारों की सुरक्षा कर सकती है देखो कर भी सकती है और
42:22
नहीं भी कर सकती यह सरकार पर डिपेंड करेगा लेकिन मेरा मानना यह है की सरकार जो होती
42:28
है वो एक राजनीतिक इकाई होती है हमारी एक पॉलिटिकल पार्टी होती है और याद रखना जब
42:35
कभी भी सरकार सरकार को हमने तानाशा बनते देखा भी है जब जब देश में हमारे सुप्रीम कोर्ट
42:42
कमजोर होगी उस समय हमारे मौलिक अधिकारों का हनन होगा क्या होगा हनन होगा बात ना
42:49
आपको भी पता है देश का देश को मजबूत करने के चक्कर में देश को मजबूत करने के हवाले
42:57
से जब इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू की थी वो भी गलत तरीके से और जब गलत
43:04
तरीके से इमरजेंसी लागू की है और उसमें भी मौलिक अधिकारों को सारे मिटा दिया गया आप
43:10
सोच रहे हो जिसे संविधान की आत्मा कहते हैं उस भाग को परिवर्तन कर दिया गया आप
43:16
समझ रहे हो ये कितनी बड़ी तानाशाही थी लेकिन मैं मानता हूं कि इंदिरा गांधी का नेतृत्व भारत के लिए बहुत अच्छा भी था
43:23
क्यों क्योंकि भारत की एकता और अखंडता के लिए इंदिरा गांधी जानी जाती है और हमेशा
43:28
इतिहास में जानी जाएंगी जो भारत को एक करके चली गई जो भारत को अखंड करके चली गई
43:34
वो इंदिरा गांधी हमारे बीच नहीं है तो उनको इनके लिए भी याद किया जाता है लेकिन
43:39
उनको एक बुरे समय के लिए भी याद किया जाता है कि उन्होंने जो इमरजेंसी लगाई व गलत तरीके से लगाई और कोई व्यक्ति इमरजेंसी
43:47
गलत तरीके से तभी लगा सकता है जब वह मौलिक अधिकारों के खिलाफ जाता है तानाशाही करता
43:53
है जब भी जा सकता है क्योंकि ऐसे ही सरकार कोई इतना बड़ा फैसला और इतना कठोर फैसला
44:00
नहीं ले सकती वो तभी ले सकती है जब उसके इरादे ठीक नहीं होते तो मेरा भी यह भी कहना है मैं ऐसा
44:09
नहीं है कि इंदिरा गांधी के केवल एक बुरे पक्ष की बात कर रहा हूं इंदिरा गांधी के एक अच्छा पक्ष भी था इंदिरा गांधी ने जिस
44:16
समय हमारे भारत को एक किया और उस समय आपको बता दूं एक सिक्किम का बहुत बड़ा केस भी था चाइना कभी भी आपको पता है कि चाइना जो
44:24
है चाइना की सीना हमसे लगती है 3338 किलोमीटर की सीमा लगती है इंडिया चाइना का
44:30
बॉर्डर लगभग इतना लंबा है 3300 3400 के आसपास है ठीक है तो 3300 3400 किलोमीटर की
44:36
सीमा लगती है 3400 88 किलोमीटर 3488 किलोमीटर की लगती है चाइना
44:45
केवल भारत भारत में इसे 2000 किलोमीटर की सीमा मानता है पहले आपको पता है चाइना कभी
44:51
सिक्किम को भारत का अंग नहीं मानता था लेकिन जब से इंदिरा गांधी सरकार ने 36
44:57
संवैधानिक संशोधन 1900 76 जब किया
45:02
1976 किया तब आपको पता है सिक्किम पर आज चाइना डिस्प्यूट नहीं करता है य इंदिरा
45:08
गांधी की पावर है इंदिरा गांधी की दूसरी पावर की हम बात करते हैं आज सिक्किम पर कोई विवाद नहीं है चाइना का सिक्किम को वह
45:16
कहता है खुद अपने मिनिस्ट्री में कमेंट कमिट किया गया कि चाइना सिक्किम को भारत
45:21
का अंग मानता है वो अरुणाचल को नहीं मानता होगा मैं मानता हूं इस बात को वो कमिट भी कर रहता इस चीज को लेके चाइना और इंडिया
45:29
के बीच में देखो इतनी चाइना खुद सिक्किम को लेके इतना वो हो गया पहली बात दूसरी
45:36
बात करते हैं इंदिरा गांधी की दूसरी पावर की बात करें जो हमारे लिए फायदेमंद थी क्या थी कोई बता सकता
45:43
है जैसे कि बांग्लादेश को आजाद करवाना जब पूर्वी पाकिस्तान जो था जिसको हम
45:49
बांग्लादेश आज कहते हैं कि पूर्वी पाकिस्तान में जो एक्चुअली में हमारी भारत
45:55
की इंटीग्रिटी हमारी भारत की सोव निटी और हमारी बात की फ्रेटरनिटी को जो ये नुकसान पहुंचाते थे पाकिस्तान वाले आज इ
46:02
पाकिस्तान को आंख दिखाई और बांग्लादेश को आजाद करवा के उसका नाम सॉरी पूर्वी पाकिस्तान को आजाद करवा के बांग्लादेश
46:10
बनाया शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में आप सोच रहे हो ये इंदिरा गांधी की दूसरी
46:15
पावर थी भारत के हित में बहुत मतलब काफी सारे चेंजेज थे समझ गए
46:22
ना तो इंदिरा गांधी की पावर है ये इंदिरा गांधी के अच्छे पक्ष भी है कुछ
46:27
चलिए उसके अलावा हम बात करते हैं आप यहां तक समझ चुके हैं अदालत और न्यायालयों को
46:34
भारत की सुप्रीम कोर्ट का मौलिक अधिकारों का संरक्षक कहा जाता है एक बार मैंने एसएससी में क्वेश्चन दे दिया था ऑफलाइन
46:39
ऑफलाइन वाले बच्चों को यह मैंने एक्चुअली में पढ़ाया नहीं था उस समय और देखो छोटी-छोटी चीजें कभी निकल जाती है दिमाग
46:46
से तो मैंने एक बार दे दिया कि भारत में मौलिक अधिकारों का
46:53
संरक्षक किसे माना गया है भारत में मौलिक अधिकारों का या भारत के संविधान में मौलिक
47:00
अधिकारों का संरक्षक किसे माना गया है यानी हु इज द गार्डियन ऑफ फंडामेंटल राइट्स ठीक है इसका आंसर मैंने ऑप्शन में
47:09
क्या लिखा ऑप्शन में लिखा मैंने अदालतें यानी कोर्ट उसके बाद या सुप सॉरी सुप्रीम
47:16
कोर्ट ऑप्शन ए ऑप्शन बी लिखा मैंने गवर्नमेंट सरकारें या राज्य हो या केंद्र
47:22
हो कोई भी हो सरकारें तीसरा क्या लिखा मैंने तीसरा लिखा मैंने नौकर जिसे ब्यूरोक्रेसी कहते हैं कलेक्टर आईएस
47:29
आईपीएस आईएफएस अखिल भारतीय सेवाए ऑल इंडियन सर्विसेस यह लिखा मैंने नौकरशाही
47:34
और एक लिखा मैंने क्या ले सकते हैं न्यायपालिका विधायिका और भारत का राष्ट्रपति ये लिख दिया मैंने
47:43
क्योंकि भारत का राष्ट्रपति अदालत यानी न्यायालय और
47:49
सरकारें या फिर तुम्हारी नौकरशाही तो पता है बच्चों ने क्या किया बच्चों ने
47:54
नौकरशाही पर क्लिक किया भैया ब्यूरोक्रेसी कलेक्टर हमारे राइट्स को बचाएगा क्योंकि
47:59
वो राइट्स पढ़ के आया है अरे भाई कलेक्टर से भी बड़े और भी लोग हैं यहां पर अदालतें
48:05
ये तय करती है कि कौन सा अधिकार लागू होगा और कौन सा अधिकार लागू नहीं या कौन सा
48:11
अधिकार मौलिक अधिकार है और कौन सा अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है ये तय करने वाला सुप्रीम कोर्ट होता है ना कि सरकार होती
48:17
है और संविधान की व्याख्या करने का अधिकार भी किसको दिया गया है सुप्रीम कोर्ट को
48:22
दिया गया है अदालतों को दिया गया है ना कि सरकारों को दिया ठीक है सरकारें तो
48:27
संविधान को फॉलो करती हैं लेकिन संविधान को पालन करवाने वाला सुप्रीम कोर्ट होता
48:34
तो चलिए और सबसे बड़ी खबर हमारे सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जो नेक्स्ट मंथ सक्ड होने वाले हैं और यह
48:42
रिप्लेस करेंगे डीवाई चंद्र चूर्ण को उनका नाम होगा संजीत खन्ना यह करंट की न्यूज है
48:47
आप सभी इसको कोट कर लीजिए तो फिर मिलते हैं आपसे जल्दी ही नमस्कार सभी को जय हिंद