Kenichi Ohmae, दुनिया के सबसे बड़े management strategists में से एक,
अपनी किताब The Mind of the Strategist में बताते हैं कि
किस तरह एक साधारण इंसान strategic thinking सीखकर
business, work और life में extraordinary बन सकता है।
इस summary में आप सीखेंगे:
✔ Strategic thinking की असली परिभाषा
✔ 80/20 सोच का practical use
✔ Competitor को quietly कैसे हराएँ
✔ Problem को simplify करके कैसे जीत मिलती है
✔ “Outside-in thinking” क्या है और क्यों powerful है
✔ Strategist की daily habits
✔ Life और business में strategy कैसे apply करें
अगर आप एक businessman हैं, manager हैं, creator हैं, या ऐसा इंसान
जो स्पष्ट सोच और powerful decisions लेना चाहता है—
यह video आपकी life की direction बदल सकती है।
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द माइंड ऑफ द स्ट्रेटजिस्ट। यह किताब
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दुनिया की सबसे पावरफुल स्ट्रेटेजिक
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थिंकिंग बुक्स में से एक है। ऑथर केची
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ओमिया जिसे मिस्टर स्ट्रेटजी कहा जाता है।
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जापान के बिजनेस रेवोल्यूशन का
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मास्टरमाइंड था। लेकिन यह किताब केवल
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बिजनेस वालों के लिए नहीं है। यह किताब
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आपको सिखाती है कैसे दिमाग से स्ट्रांग
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डिसीजंस लिए जाते हैं। कैसे कंफ्यूजन को
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क्लेरिटी में बदला जाता है। कैसे
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प्रॉब्लम्स को नए एंगल से देखा जाता है।
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कैसे कंपटीशन को मात दी जाती है। और कैसे
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कोई भी इंसान स्ट्रेटजिस्ट की तरह सोच
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सकता है। तो चलिए शुरू करते हैं। चैप्टर
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वन स्ट्रेटेजिक थिंकिंग क्या है?
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स्ट्रेटेजिक थिंकिंग का मतलब है प्रॉब्लम
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को ऐसे एंगल से देखना जहां बाकी लोग देख
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ही नहीं पा रहे होते। नॉर्मल इंसान
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प्रॉब्लम देखकर डरता है। स्ट्रेटजिस्ट
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प्रॉब्लम देखकर एक्साइटेड होता है क्योंकि
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उसे पता है हर प्रॉब्लम में ओपोरर्चुनिटी
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छुपी होती है। स्ट्रेटजिस्ट सवाल पूछता है
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इस स्थिति का फायदा कैसे उठाया जाए? यही
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माइंडसेट किसी इंसान को दूसरों से अलग
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बनाता है।
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लोग अक्सर कहते हैं मेरे पास पैसे नहीं
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है। मेरे पास टीम नहीं है। मेरे पास
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सपोर्ट नहीं है। बट कैनीची ओम ये कहते हैं
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इफ योर माइंड इज स्ट्रांग रिसोर्सेज
1:25
ऑटोमेटिकली फॉलो। स्ट्रेटजी का पहला रूल
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पहले दिमाग तैयार करो फिर रिसोर्सेज
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आएंगे। आपके पास पैसा हो या ना हो लेकिन
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दिमाग शार्प है तो आप किसी भी सिचुएशन में
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एडवांटेज ढूंढ लेंगे। एग्जांपल जापान की
1:41
कंपनियां वेस्ट के मुकाबले छोटी थी लेकिन
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उन्होंने स्मार्ट स्ट्रेटजी से पूरा
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वर्ल्ड मार्केट जीता। ओम कहते हैं कि हर
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रणनीति तीन चीजों के बीच बैलेंस से निकलती
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है। पहला कस्टमर, दूसरा कॉम्पिटिट, तीसरा
1:57
कंपनी। यह तीनों सी हर स्ट्रेटजी की
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फाउंडेशन है। पहले कस्टमर सबसे पहले देखें
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कस्टमर्स क्या चाहते हैं? उन्हें किस चीज
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में दर्द है? उन्हें कैसे सरप्राइज किया
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जा सकता है? स्ट्रेटजी का मतलब है कस्टमर
2:14
के दिमाग में घुसकर समझना। क्या उनके लिए
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सबसे ज्यादा मायने रखता है? सेकंड
2:20
कॉम्पिटिट।
2:21
दूसरे क्या कर रहे हैं? उनकी ताकत क्या
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है? उनकी कमजोरी क्या है? यह कहां गलत सोच
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रहे हैं? स्ट्रेटजी शुरू ही वहीं से होती
2:30
है जहां कॉम्पिटिट सोच ही नहीं रहा होता।
2:34
थर्ड कंपनी आप क्या कर सकते हैं जो बाकी
2:37
नहीं कर सकते? आपकी स्ट्रेंथ क्या है?
2:41
आपकी यूनिक कैपेबिलिटी क्या है? स्ट्रेटजी
2:44
तब जन्म लेती है जब यह तीनों सी एक लाइन
2:47
में आ जाते हैं।
2:50
ओम यह कहते हैं मार्केट फैक्ट्स से नहीं
2:53
परसेप्शन से चलता है। मतलब लोग रियलिटी
2:56
नहीं देखते। लोग परसेप्शन देखते हैं। और
3:00
परसेप्शन बनाने वाले ही स्ट्रेटजिस्ट होता
3:02
है। अगर चार ब्रांड्स एक जैसा प्रोडक्ट
3:05
बेच रहे हो तो जीत उस ब्रांड की होती है
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जिसने परसेप्शन बनाया। हम सबसे बेहतर हैं।
3:12
तुम हमारी प्रॉब्लम समझते हैं। स्ट्रेटजी
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का असली खेल परसेप्शन का खेल है।
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स्ट्रेटजिस्ट कभी भी पूरी प्रॉब्लम को एक
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साथ नहीं अटैक करते। वे समस्या को
3:24
छोटे-छोटे भागों में तोड़ देते हैं। फिर
3:27
हर हिस्से में हिडन ओपोरर्चुनिटीज ढूंढते
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हैं। यह मेथड कहलाता है डिवाइड एंड कॉनकर
3:33
स्ट्रेटजी। जब आप किसी बड़ी प्रॉब्लम को
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छोटे टुकड़ों में डिवाइड करते हैं तो
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सडनली वह मैनेजेबल लगने लगती है। उदाहरण
3:42
के तौर पर अगर आपको बिजनेस इंप्रूव करना
3:44
है तो पूरा बिजनेस मत देखो। अलग-अलग पीसेस
3:48
देखो। प्राइस, क्वालिटी, डिलीवरी, डिमांड,
3:51
कंपटीशन, मार्केट कैप हर जगह थोड़ी-थोड़ी
3:54
इंप्रूवमेंट एक बड़ा रिजल्ट देती है। लोग
3:58
मेहनत में विश्वास करते हैं। स्ट्रेटजीस
4:01
फोकस में विश्वास करते हैं। और हम यह कहते
4:04
हैं एफर्ट कभी भी वेस्ट हो सकती है। लेकिन
4:08
फोकस जहां लगे वहां एक्सप्लोजन जैसा
4:11
रिजल्ट आता है। स्ट्रेटजी का मतलब है पूरी
4:14
ताकत उस जगह लगाना जहां ओपोनेंट सबसे
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कमजोर है। अगर आप हर जगह लड़ने लगोगे तो
4:20
एनर्जी भी खत्म होगी और जीत भी नहीं
4:24
मिलेगी। स्ट्रेटजी सिर्फ लॉजिक नहीं है।
4:27
स्ट्रेटजी सिर्फ क्रिएटिविटी भी नहीं है।
4:30
स्ट्रेटजी मतलब दोनों का परफेक्ट मिक्स।
4:33
लॉजिकली प्रॉब्लम एनालाइज करो। क्रिएटिवली
4:36
सॉल्यूशन निकालो। यही रीजन है कि
4:39
स्ट्रेटजिस्ट आर्टिस्ट जैसे भी होते हैं
4:42
और इंजीनियर जैसे भी दे थिंक डिफरेंटली
4:46
सबसे कॉमन मिस्टेक क्या है? लोग कंपटीशन
4:50
को देखकर उसे कॉपी करते हैं। ओम ये कहते
4:53
हैं कॉपी करना स्ट्रेटजी नहीं कॉपी करना
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फेलियर की शुरुआत है। क्योंकि अगर आप किसी
4:59
को कॉपी करते हैं तो आप हमेशा उसके पीछे
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रहेंगे। स्ट्रेटजी का मतलब है कुछ ऐसा
5:05
करना जिसकी किसी ने कल्पना भी ना की हो।
5:10
अब चलते हैं पार्ट टू की तरफ।
5:14
स्ट्रेटजी सीखी नहीं जाती, समझी जाती है
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और विकसित की जाती है। पार्ट वन में हमने
5:22
समझा कि स्ट्रेटेजिक थिंकिंग क्या है और
5:24
कैसे शुरू होती है। अब पार्ट टू में हम
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सीखेंगे कंपटीशन को हराने के साथ सबसे
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शक्तिशाली स्ट्रेटजीस कैसे कम रिसोर्सेज
5:33
में भी बड़ा एडवांटेज लिया जाए। स्ट्रेटजी
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में साइकोलॉजी की भूमिका, जैपनीज कंपनीज
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के रियल एग्जांपल्स और यह माइंडसेट बदलाव
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जो किसी को भी स्ट्रेटजिस्ट बना देता है।
5:45
चलिए शुरू करते हैं। कैनीची ओमे कहते हैं
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स्ट्रेटजी तभी जीतती है जब कॉम्पिटिट को
5:51
वीक पोजीशन पर मजबूर किया जाए। यहां सबसे
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पावरफुल सात मूव्स है। पहला सेलेक्टिव
5:58
वीकनेस अटैक। कॉम्पिटिट हर जगह स्ट्रांग
6:01
नहीं होता। उसके कुछ हिडन कमजोर स्पॉट
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होते हैं। स्ट्रेटजिस्ट वही स्पॉट टारगेट
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करता है जहां ओपोनेंट लीस्ट प्रिपयर्ड हो।
6:11
उदाहरण अगर कॉम्पिटिट का डिलीवरी वीक है
6:14
आप फास्ट डिलीवरी दें। अगर कॉम्पिटिट
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एक्सपेंसिव है आप अफोर्डेबल बने। अगर
6:20
कॉम्पिटिटिव स्लो डिसीजन मेकिंग है आप
6:23
लाइटनिंग फास्ट रिसोंड करें। विनिंग
6:26
स्ट्रेटजी इज ओपोनेंट की वीकनेस पर हमला।
6:30
सेकंड फोकस स्ट्रेटजी वन पॉइंट ब्रेक
6:34
थ्रू। वेस्टर्न कंपनीज हर फ्रंट पर फाइट
6:37
करती हैं। जापान की कंपनीज एक ही पॉइंट पर
6:41
लेजर फोकस करती हैं और वहां एक्सप्लोजन
6:45
जैसा इंप्रूवमेंट कर देती हैं। ओम यह कहते
6:48
हैं एक जगह एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी बनकर अब
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पूरा मार्केट कैप्चर कर सकते हैं।
6:53
एग्जांपल Sony ने टीवी में पिक्चर
6:56
क्वालिटी पर फोकस किया। बाकी कंपनीज सब
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फीचर्स बनाने में लगी रही। रिजल्ट Sony
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बिकम किंग। थर्ड क्रिएट वैल्यू गैप इमोशनल
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प्लस फंक्शनल। स्ट्रेटजी का सबसे बड़ा खेल
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है कस्टमर को ऐसा वैल्यू देना जो
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कॉम्पटीिट दे ही ना सके। यह वैल्यू दो तरह
7:15
की होती है। फंक्शनल वैल्यू जैसे बेटर
7:17
क्वालिटी, लोअर प्राइस, फास्ट सर्विस या
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इमोशनल वैल्यू जैसे ट्रस्ट, रिस्पेक्ट,
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प्राइड, कंफर्ट स्टेटस। कोई भी कॉम्पिटिट
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दोनों वैल्यूस को एक साथ नहीं दे पाता। जो
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कंपनी यह कर ले वह अनबिटेबल हो जाती हैं।
7:33
चौथा गेम चेंजिंग इनोवेशन लीफ फ्रॉग
7:37
स्ट्रेटजी। कॉम्पिटिटर्स के लेवल पर लड़ने
7:40
की बजाय उन्हें पीछे छोड़ दो। ऐसा कुछ करो
7:43
जो बिल्कुल नया हो। एग्जांपल जापान जब
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वर्ल्ड बड़ी गैस कजलिंग कार्स बना रहा था।
7:50
Toyota ने स्मॉल फ्यूल एफिशिएंट कार्स बना
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दी। मार्केट शिफ्ट हो गया। कॉम्पिटिटर्स
7:55
कन्फ्यूजन में यही होती है लीफ फ्रॉग
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स्ट्रेटजी। पांचवा रिमूव द अननेसेसरी।
8:02
कंपनीज़ अक्सर कॉम्प्लेक्सिटी बढ़ाती रहती
8:05
है। स्ट्रेटजीस कॉम्प्लेक्सिटी हटाते हैं
8:08
और यह कहते हैं रिमूव व्हाट डजंट ऐड
8:11
वैल्यू। तभी क्लेरिटी आती है कम चीजें, कम
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खर्च, ज्यादा स्पीड। ज्यादा स्पीड मतलब
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ज्यादा विनिंग चांसेस। स्ट्रेटजिस्ट का
8:21
काम है कट करना ना कि जोड़ते रहना।
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सिक्स्थ रिअरेंज द इंडस्ट्री इक्वेशन। अगर
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करंट रूल्स आपको डिसएडवांटेज में डालते
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हैं। रूल्स बदल दो। उदाहरण कॉम्पिटिटर्स
8:35
फिक्स्ड प्राइस लेते हैं। आप सब्सक्रिप्शन
8:37
दे दो। कॉम्पिटिटर्स रिटेल बेचते हैं। आप
8:40
डायरेक्ट टू कस्टमर बेचो। कॉम्पिटिटर्स
8:42
प्रोडक्ट बेचते हैं। आप सर्विस बेचो।
8:47
इंडस्ट्री के गेम बदलने वाला ही रियल
8:50
स्ट्रेटजिस्ट होता है। सेवंथ यूज
8:52
कॉम्पिटिटर्स स्ट्रेंथ अगेंस्ट देम।
8:58
कॉम्पिटिटर्स यह सबसे स्मार्ट स्ट्रेटजी
9:01
है। जैसे जूडो में अपोनेंट की ताकत उसी
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उसे ही गिराने में उपयोग होती है। उदाहरण
9:07
अगर कॉम्पिटिट बहुत बड़ा है, वह स्लो
9:10
होगा। अगर ब्रांड बहुत फेमस है,
9:13
एक्सपेंसिव होगा। अगर टीम ह्यूज है
9:15
ब्यूरोक्रेसी ज्यादा होगी। इन स्ट्रेंथ्स
9:18
को वीकनेस की तरह यूज करो। आगे चलते हैं।
9:22
स्ट्रेटजी में साइकोलॉजी का महत्व।
9:24
स्ट्रेटजी सिर्फ नंबर्स का खेल नहीं है।
9:27
यह दिमागों का खेल है। ओम यह कहते हैं
9:31
परसेप्शन रियलिटी से पावरफुल होती है।
9:33
मतलब अब मार्केट में बेस्ट ना हो फिर भी
9:36
आप जीत सकते हैं। अगर लोग आपको बेस्ट
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समझते हैं। साइकोलॉजी स्ट्रेटजिस्ट का
9:42
सबसे शक्तिशाली वेपन है। फियर, होप,
9:45
ट्रस्ट, आइडेंटिटी, लॉयलिटी इन इमोशंस को
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समझने वाला स्ट्रेटजिस्ट कभी हारता नहीं।
9:53
जापान की कंपनीज रिसोर्स पुअर थी। फिर भी
9:56
उन्होंने दुनिया जीती। कैसे? शार्प
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थिंकिंग, जोन फोकस, वेस्ट इलिमिनेशन,
10:02
कंटीन्यूअस इंप्रूवमेंट, स्मार्ट
10:04
पोजीशनिंग, कस्टमर ऑब्सेशन, स्ट्रेटजिस्ट
10:07
रिसोर्स की कमी से नहीं डरता। वह रिसोर्स
10:10
की कमी को एडवांटेज बना देता है। Toyota
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ने वर्ल्ड डोमिनेशन कैसे किया? फ्यूल
10:16
एफिशिएंसी बढ़ाई, प्राइसिंग कम रखा, जीरो
10:19
डिफेक्ट मैन्युफैक्चरिंग अपनाया। ग्लोबल
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डिस्ट्रीब्यूशन बनाया। कस्टमर ट्रस्ट
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हाईएस्ट रखा। Toyota कंपटीिटर से कभी फाइट
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नहीं करती। वह अपनी रूल्स पर खेलती है।
10:30
स्ट्रेटजी का असली मतलब यही है दूसरों की
10:33
गेम मत खेलो। अपनी गेम बनाओ। कैनीची और
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कहते हैं स्ट्रेटजिस्ट फैक्ट्स नहीं
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पॉसिबिलिटीज देखते हैं। नॉर्मल लोग कहते
10:42
हैं यह नहीं हो सकता। स्ट्रेटजिस्ट कहता
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है अगर सोचे तो सब हो सकता है।
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स्ट्रेटजिस्ट होने का मतलब अलग देखना। तेज
10:51
सोचना, सही काटना, सही जोड़ना, अपनी ताकत
10:55
पहचानना, सामने वाले की वीकनेस ढूंढना और
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फियर के बजाय क्लेरिटी से काम लेना।
11:04
जब दिमाग फैक्ट से आगे देखने लगे वही
11:08
स्ट्रेटजिस्ट बनता है। अभी तक हमने समझा
11:11
कॉम्पिटिट को हराने की सबसे पावरफुल
11:14
टेक्निक्स। अब आगे हम सीखेंगे डिसीजन
11:16
मेकिंग कास्टली साइंस बड़ी समस्याओं को
11:19
सिंपल बनाने की कला स्ट्रेटेजिक इंट्यूशन
11:22
कैसे डेवलप होती है रियल केस स्टडीज और वो
11:25
माइंडसेट शिफ्ट जो किसी को भी
11:27
स्ट्रेटजिस्ट बना देता है। चलिए शुरू करते
11:30
हैं। स्ट्रेटजिस्ट की असली पहचान उसके
11:33
डिसीजंस से होती है। ओमिया कहते हैं पुअर
11:36
स्ट्रेटजिस्ट डिटेल में खो जाता है। क्रेट
11:39
स्ट्रेटजिस्ट डिटेल से ऊपर उठ जाता है।
11:42
क्यों? क्योंकि स्ट्रेटजिस्ट का काम है
11:45
80% इंपॉर्टेंट चीजें देखना। बाकी 20% को
11:49
इग्नोर करना। लोग छोटी-छोटी बातों में उलझ
11:51
जाते हैं। कौन सा कलर, कौन सी सेटिंग, कौन
11:54
सा बटन? लेकिन स्ट्रेटजिस्ट पूछता है इसका
11:57
बॉटम लाइन इंपैक्ट क्या है? यही
11:59
स्ट्रेटजिस्ट डिसीजन मेकिंग है।
12:02
कॉम्प्लेक्सिटी दुश्मन है। क्लेरिटी दोस्त
12:05
है। स्ट्रेटजिस्ट हर बड़ी प्रॉब्लम से
12:08
पूछता है। व्हाट्स द कोर? असली केंद्र
12:10
क्या है? जब कोर पकड़ लिया तो हाफ
12:13
प्रॉब्लम खुद ही सॉल्व हो जाती है। उदाहरण
12:16
अगर बिजनेस सेल्स गिर रही हो तो यह मत
12:19
सोचो मार्केटिंग वीक है। प्रोडक्ट वीक है।
12:22
कंपटीशन स्ट्रांग है। मार्केट शिफ्ट हो
12:25
रही है। कस्टमर प्रेफरेंसेस बदल रही हैं।
12:28
यह सब नॉइज़ है। स्ट्रेटजिस्ट पूछेगा सेल्स
12:31
क्यों गिर रही है? एक लाइन में और उस कोर
12:34
को सॉल्व करते ही बाकी सब अपने आप सुधर
12:37
जाता है।
12:39
स्ट्रेटजिस्ट केवल लॉजिक से नहीं चलते।
12:42
उनकी इंट्यूशन शार्प होती है। इंट्यूशन
12:44
मतलब इंस्टेंट जजमेंट मगर एक्सपीरियंस पर
12:47
आधारित। ओम यह कहते हैं इंट्यूशन कोई
12:50
मैजिक नहीं। यह डीप ऑब्जरवेशन के साथ सीख
12:53
के साथ प्रैक्टिस का रिजल्ट है। इंट्यूशन
12:56
डेवलप करने के तरीके। पहला बहुत ऑब्जर्व
12:59
करो। लोग क्या करते हैं? क्यों करते हैं?
13:01
कब करते हैं? दूसरा पैटर्न्स पहचानो। हर
13:05
मार्केट, हर कॉम्पिटिट, हर कस्टमर में
13:07
पैटर्न होते हैं। पैटर्न पकड़ना मतलब पावर
13:10
पकड़ना। थर्ड एक्सपेरिमेंट करो। छोटे
13:13
टेस्ट करो। उसी से बिग क्लेरिटी मिलती है।
13:17
चौथा पास्ट मिस्टेक्स मत भूलो।
13:20
स्ट्रेटजिस्ट मिस्टेक का रिकॉर्ड रखता है।
13:22
वह खुद का टीचर होता है। स्ट्रेटजिस्ट
13:26
इमोशंस से हटकर सोचता है। इमोशनल डिसीजंस
13:30
को ब्लर कर देते हैं। फियर, ईगो, एंगर,
13:33
ग्रीड, ओवर कॉन्फिडेंस। स्ट्रेटजिस्ट इन
13:36
सबको एक तरफ रखकर पूछता है, व्हाट इज द
13:39
बेस्ट मूव पॉसिबल? डिटचमेंट का मतलब कोल्ड
13:42
होना नहीं है। यह मतलब है डिसीजन को
13:44
इमोशनल वेट से मुक्त रखना।
13:48
ओम कहते हैं स्लो स्ट्रेटजी नो स्ट्रेटजी।
13:51
आज कंपटीशन इतनी फास्ट है कि स्लो डिसीजन
13:54
फेलियर है। स्पीड तब आती है जब क्लेरिटी
13:57
हो जब कंफ्यूजन कम हो जब अननेसेसरी चीजें
14:00
कट कर दी जाए जब 80-20 रूल फॉलो हो।
14:04
स्ट्रेटेजिस्ट अर्ली मूवर एडवांटेज समझता
14:07
है। पहले मूव करने वाला विनर बनता है।
14:10
Honda दो जॉइंट्स से कम्पीट कर रहा था।
14:13
Yamaha और Suzuki। Honda ने बहुत सिंपल
14:16
स्ट्रेटजी बनाई। हम हर साल कॉम्पिटिट से
14:19
ज्यादा नए मॉडल ल्च करेंगे। कॉम्पिटिटर्स
14:23
शॉक डेवलपमेंट टीम्स प्रेशर में Honda का
14:26
मार्केट शेयर लगातार बढ़ने लगा। यह सिंपल
14:29
आईडिया था लेकिन इसका इंपैक्ट मैसिव था।
14:32
स्ट्रेटजीस हमेशा कॉम्प्लेक्स नहीं होती।
14:35
सही प्लेस पर सही प्रेशर डाल देना ही गेम
14:39
बदल देता है। स्ट्रेटजिस्ट हमेशा वर्स्ट
14:42
केस और बेस्ट केस दोनों सोचता है। अगर
14:45
कॉम्पिटिट प्राइस कम करे तो अगर कस्टमर
14:49
डिमांड बदले तो अगर नया प्लेयर मार्केट
14:52
में आए तो अगर रेगुलेशन बदल जाए तो व्हाट
14:55
इज थिंकिंग आपको प्रिपेयर रखती है। आप
14:58
फ्यूचर को कंट्रोल नहीं कर सकते लेकिन
15:00
उससे डर नहीं लगता। ओम यह कहते हैं झगड़े
15:04
का स्यूशन लड़ाई के अंदर से नहीं लड़ाई के
15:07
बाहर से दिखता है। इसका मतलब अपनी कंपनी
15:10
को बाहर से देखो। कस्टमर के नजरिए से
15:13
देखो। कॉम्पिटिट के नजरिए से देखो। किसी
15:17
न्यूट्रल व्यूअर की तरह देखो।
15:19
स्ट्रेटजिस्ट अपनी सिचुएशन को आउटसाइड इन
15:22
व्यू से देखता है। यही रीजन है कि उसे वह
15:25
चीजें दिख जाती हैं जो बाकी नहीं देख
15:28
पाते।
15:30
ग्रेट स्ट्रेटजिस्ट कम बोलते हैं ज्यादा
15:33
ऑब्जर्व करते हैं। क्यों? क्योंकि
15:35
स्ट्रेटजी दिमाग में बनती है। शोर में
15:38
नहीं। साइलेंस मतलब क्लेरिटी। क्लेरिटी
15:42
मतलब करेक्ट स्ट्रेटजी। करेक्ट स्ट्रेटजी
15:45
मतलब मैसिव एडवांटेज। स्ट्रेटजी दिमाग का
15:50
खेल नहीं नजरिया का खेल है। अब चलते हैं
15:53
फाइनल पार्ट की तरफ। इस पार्ट में हम
15:56
सीखेंगे द फोर सी स्ट्रेटेजिक मॉडल बिजनेस
16:00
प्लस लाइफ में यूज होने वाली स्ट्रेटजीस
16:02
कॉम्पिटिट को क्वाइटली हराने की कला
16:05
स्ट्रेटेजिक माइंडसेट हैबिट्स और ओमिय की
16:08
पूरी फिलॉसफी चलिए चलते हैं। कैनीची ओमिय
16:14
पूरी किताब का सार चार सी में देते हैं।
16:16
पहला कस्टमर सबसे पहले समझो कस्टमर चाहता
16:20
क्या है और क्यों चाहता है कंपनी के नजरिए
16:22
से मत सोचो। कस्टमर के नजरिए से सोचो।
16:25
स्ट्रेटजी का पहला कदम हमेशा यही है।
16:28
कस्टमर को क्या चीज सबसे ज्यादा वैल्यू
16:31
देती है। अगर यह क्लियर हो गया तो आपकी
16:34
स्ट्रेटजी कभी फेल नहीं होगी। दूसरा
16:36
कंपटीशन कंपिटिट से लड़ाई हथियार की नहीं
16:40
दिमाग की होती है। स्ट्रेटजिस्ट पूछता है
16:42
कॉम्पिटिट की वीकनेस क्या है? हम कहां
16:45
उनको दबा सकते हैं? हम उनसे अलग कैसे दिख
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सकते हैं? कंपटीशन को गलत समझना बिजनेस की
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सबसे बड़ी गलती है। थर्ड कॉरपोरेशन यानी
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कंपनी स्ट्रेंथ। हर कंपनी के पास कुछ
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ताकतें होती हैं। स्ट्रेटजिस्ट उन्हें
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पहचान कर आगे बढ़ता है। एग्जांपल Honda की
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स्ट्रेंथ, इंजीनियरिंग स्पीड, Apple की
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स्ट्रेंथ, डिज़ प्लस सिंपलीसिटी, Asian
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Paints की स्ट्रेंथ, डिस्ट्रीब्यूशन
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नेटवर्क। आपकी लाइफ में भी आपकी यूनिक
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स्ट्रेंथ स्ट्रेटजी की शुरुआत है। आप
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जिससे सच में अच्छे हो उसी पर खेलो। चौथा
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कॉस्ट। कॉस्ट सिर्फ पैसा नहीं है। कॉस्ट
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इज टाइम, एनर्जी एंड एफर्ट। स्ट्रेटजिस्ट
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हमेशा पूछता है सबसे कम कॉस्ट में सबसे
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बड़ा बेनिफिट कैसे मिले? इसको कहते हैं
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लीवरेज। और लीवरेज ही स्ट्रेटजी का असली
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इंजन है। स्ट्रेटजिस्ट की एक खास बात है।
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वह हर चीज नहीं करता। वह सिर्फ सही चीज
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करता है। डाटा और टूल्स हेल्पफुल है। पर
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असली स्ट्रेटजी एक सवाल से शुरू होती है।
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हमें क्या छोड़ना है? क्योंकि स्ट्रेटजी
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जोड़ने का नहीं कम करने का खेल है। कमजोर
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प्रोडक्ट्स छोड़ दो। वीक मार्केट्स छोड़
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दो। कंफ्यूजिंग फीचर्स हटाओ। अनक्लियर
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गोल्स हटाओ। कम करके ही क्लेरिटी और पावर
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आती है। ग्रेट स्ट्रेटजी बाहर से सिंपल और
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ऑब्वियस लगती है लेकिन अंदर से डीप सोच पर
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बनी होती है। और हम यह कहते हैं स्ट्रेटजी
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कभी अनाउंस नहीं की जाती। स्ट्रेटजी
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क्वाइटली एग्जीक्यूट की जाती है। उदाहरण
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कंपिटिट को कंफ्यूज करो। सडनली प्राइिंग
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शिफ्ट करो। अनएक्सेक्टेड मार्केट एंटर
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करो। अनसीन कस्टमर नीड पकड़ो।
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स्ट्रेटजिस्ट नॉइज़ नहीं करता। वह क्वाइटली
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गेम बदल देता है। स्ट्रेटजिस्ट का दिमाग
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आम लोगों से अलग होता है। पहला वो पहले
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ऑब्जर्व करता है फिर बोलता है ऑब्जरवेशन
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इज एडवांटेज। दूसरा वो प्रॉब्लम्स को
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छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़ता है।
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प्रॉब्लम स्मॉल मतलब स्यूशन स्मॉल। तीसरा
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वो शॉर्ट टर्म इमोशंस से बाहर रहकर लॉन्ग
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टर्म इंपैक्ट देखता है। इमोशनलेस थिंकिंग
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इज क्लेरिटी। चौथा वह हर चीज का वर्स्ट
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केस पहले कैलकुलेट करता है। प्रिपयर्ड
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माइंड इज फियरलेस एक्शन। पांचवा वह
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पैटर्न्स पहचानता है। हर मार्केट बदलती
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है। पर पैटर्न्स रिपीट होते हैं। पैटर्न्स
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समझना मतलब फ्यूचर समझना।
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यस। यह किताब बिजनेस के लिए है लेकिन उसकी
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स्ट्रेटजी आपकी लाइफ में 100% काम करती
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है। एग्जांपल्स टाइम मैनेजमेंट सबसे
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इंपॉर्टेंट काम चुनो। बाकी इग्नोर करो यही
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80-20 रूल है। हेल्थ एक चीज पर फोकस करो।
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जैसे डेली वॉक और सिंपल डाइट कॉम्प्लेक्स
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प्लांस नहीं चलते। रिलेशनशिप्स हर
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आर्गुमेंट्स जरूरी नहीं। कोर प्रॉब्लम
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पकड़ो। सेम प्रिंसिपल जैसा बिजनेस में।
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मनी कहां पैसा वेस्ट हो रहा है या बिजनेस
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स्ट्रेटजी जैसा ही कॉस्ट एनालिसिस है।
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लाइफ स्ट्रेटजिस्ट बनने का मतलब हर चीज
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में क्लेरिटी प्लस एक्शन। स्ट्रेटजी सिर्फ
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प्लान नहीं स्ट्रेटजी मतलब प्लान के साथ
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करज क्योंकि सही स्ट्रेटजी हमेशा
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अनकंफर्टेबल होती है। एग्जांपल गलत
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प्रोडक्ट बंद करना, लॉस मेकिंग वर्क
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छोड़ना, कंपटीिट को ओपन फाइट देना,
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मार्केट में रिस्की मूव लेना।
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स्ट्रेटजिस्ट में करेज होता है। वह हार्ड
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डिसीजंस लेने से नहीं डरता। ओमियक कहते
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हैं असली कारण है मेंटल लेजीनेस। लोग
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सोचना नहीं चाहते। लोग एजम्पशनंस पर चलते
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हैं। लोग डाउट्स में फंस जाते हैं। लोग
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डाटा से डरते हैं। लोग फोकस नहीं कर पाते।
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स्ट्रेटजिस्ट बनने का पहला कदम थिंकिंग की
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क्वालिटी इंप्रूव करना है। सोचने की
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क्वालिटी बढ़ती है। सवाल पूछने से,
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ऑब्जर्व करने से, लिखकर क्लेरिटी लेने से,
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गलतियों से सीखने से और डिस्ट्रैक्शन कम
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करने से।
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अब बात करते हैं द स्ट्रेटजिस्ट
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टूलकिट। टूल नंबर वन 80 20 थिंकिंग 20%
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चीजें सबसे बड़ा रिजल्ट देती हैं। बस
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उन्हें आइडेंटिफाई करो। टूल टू कोर
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प्रॉब्लम फाइंडर हर प्रॉब्लम हर बड़ी
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प्रॉब्लम से पूछो इसका कोर क्या है? टूल
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थ्री थ्री सी एनालिसिस कस्टमर प्लस
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कंपटीशन प्लस कंपनी स्ट्रेंथ टूल फोर
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व्हाट एफ मैप हर डिसीजंस का बेस्ट केस और
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वर्स्ट केस पहले देखो टूल फाइव फोकस
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फिल्टर जो चीजें गोल में हेल्प नहीं करती
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उसे छोड़ दो।
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अब बात करते हैं स्ट्रेटजी का फाइनल
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फार्मूला। पूरी किताब को एक फार्मूला में
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बॉयल कर देते हैं। स्ट्रेटजी मतलब सही
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प्रॉब्लम प्लस सही लिवरेज प्लस सही
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टाइमिंग। प्रॉब्लम गलत तो स्ट्रेटजी
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बेकार, लिवरेज गलत तो टाइम वेस्ट, टाइमिंग
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गलत। तो अपोरर्चुनिटी कौन? स्ट्रेटजिस्ट
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का असली काम इन तीनों को बिल्कुल सही
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अलाइन करना है। ओमे कहते हैं स्ट्रेटजिस्ट
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वह है जो वहां देखकर सोच लेता है जहां
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बाकी लोग सोच कर देख भी नहीं पाते। और यही
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इस बुक का सार है। धन्यवाद।
