विदुर नीति | Vidur Niti Full Series | जीवन प्रबंधन, धन, मित्रशत्रु, सफलता के सूत्र | Timeless Wisdom
Sep 30, 2025
विदुर नीति (Vidur Niti) – महाभारत का एक अनमोल हिस्सा, जहाँ विदुर अपने नीति-सूत्रों से जीवन जीने की कला सिखाते हैं। इस वीडियो में आपको विदुर नीति का पूरा सार (Parts 1–5) मिलेगा – एक ही वीडियो में, आसान भाषा और आधुनिक उदाहरणों के साथ। 👉 इस सीरीज़ में आप जानेंगे – Leadership और Self-Control के असली Principles वे गुण और दोष जो जीवन को उठाते या गिराते हैं मित्र और शत्रु की पहचान, संगति का महत्व धन का सदुपयोग और दुरुपयोग – समृद्धि का रहस्य जीवन प्रबंधन और समय प्रबंधन के शाश्वत सूत्र ✨ क्यों देखें यह वीडियो? Practical Life Lessons Modern Examples + Ancient Wisdom
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दोस्तों स्वागत है आपका इस नई सीरीज में
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विदुर नीति। इतिहास गवाह है कि महाभारत
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केवल एक युद्ध कथा नहीं थी बल्कि वह जीवन
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के हर पहलू को समझाने वाला एक
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इनसाइक्लोपीडिया था। और उसी महाभारत के
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उद्योग पर्व में हमें मिलता है विदुर
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निधि। विदुर कौन थे? धृतराष्ट्र के मंत्री
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सत्य और धर्म के मार्गदर्शक कृष्ण के परम
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भक्त और महाभारत के सबसे बुद्धिमान और
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निष्पक्ष पात्र विदुर ने अपने विचारों और
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नीतियों के माध्यम से यह बताया कि सच्चा
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नेतृत्व कैसा होना चाहिए। मनुष्य की
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असफलताओं का कारण क्या होता है और जीवन
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में धर्म तथा व्यवहार का असली अर्थ क्या
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है? आज से हम इस यात्रा की शुरुआत कर रहे
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हैं। इस पहले भाग में हम तीन मुख्य विषयों
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पर चर्चा करेंगे। पहला नेतृत्व यानी
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लीडरशिप और राज्य संचालन। दूसरा मनुष्य के
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भीतर छिपे छह शत्रु। तीसरा सफल और असफल
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जीवन के कारण। पहले बात चलते हैं भाग ए पर
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जिसमें हम बात करेंगे नेतृत्व और राज्य
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संचालन यानी लीडरशिप एंड गवर्नेंस पर।
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विदुर ने कहा राजा वही सफल होता है जो
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स्वयं पर नियंत्रण रखना जानता है। इस
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वाक्य में इतनी शक्ति है कि यदि हम इसे
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गहराई से समझ लें तो लीडरशिप की पूरी
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परिभाषा बदल जाती है। एक आदर्श राजा या
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लीडर के गुण। पहला सत्य निष्ठा जिसको
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अंग्रेजी में बोलते हैं ऑनेस्टी जो सच को
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किसी भी हाल में ना छोड़े। दूसरा धैर्य
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यानी पेशेंस। कठिन समय में भी संतुलित
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रहना। तीसरा विवेक यानी विज़डम। सही निर्णय
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लेने की क्षमता। चौथा संयम यानी सेल्फ
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कंट्रोल। इच्छाओं और भावनाओं पर काबू।
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पांचवा दूरदृष्टि यानी विज़ केवल आज नहीं
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आने वाले कल को भी देखना। अब इसको हम
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मॉडर्न लाइफ एंगल से देखते हैं। आज अगर हम
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बिजनेस लीडर, पॉलिटिशियन या टीम मैनेजर को
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देखें, इन गुणों के बिना कोई टिक नहीं
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सकता। अगर लीडर ट्रुथफुल नहीं है तो उसकी
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क्रेडिबिलिटी तुरंत गिरती है। अगर पेशियस
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नहीं है तो वह किसी भी क्राइसिस में टूट
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जाएगा। अगर विज़ नहीं है तो टीम कभी भी
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लॉन्ग टर्म ग्रोथ नहीं कर पाएगी।
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आगे बात करते हैं राजा के छह शत्रु। द
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सिक्स एनिमीज़ ऑफ अ लीडर। विदुर कहते हैं
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काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मात्सर्य। यह
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छह दुश्मन को पतन की ओर ले जाते हैं। पहला
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काम यानी लस्ट। लालच,
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लालच या अनुचित इच्छाएं। दूसरा क्रोध यानी
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एंगर। आवेश में लिए गए निर्णय हमेशा गलत
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होते हैं। तीसरा लोभ यानी ग्रीड। अधिक
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पानी की भूख कभी संतुष्ट नहीं होती। चौथा
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मोह यानी अटैचमेंट। गलत रिश्तों या आदतों
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से बंध जाना। पांचवा मद यानी ईगो या
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अप्राइड। मैं ही सब कुछ हूं का भाव। छहवा
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मात्सर्य यानी जेलसी। दूसरों की सफलता
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देखकर जलन।
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अगर कोई सीईओ लालच में आकर अनएथिकल डील्स
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करें तो कंपनी बर्बाद हो सकती है। अगर कोई
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पॉलिटिशियन गुस्से में जनता से उलझ जाए तो
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रिस्पेक्ट खो देता है। अगर कोई स्टूडेंट
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अटैचमेंट में आकर डिस्ट्रैक्श में फंस जाए
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तो करियर डूब जाता है। विदुर का संदेश साफ
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था। पहले स्वयं पर विजय पाओ तभी दुनिया पर
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विजय पा सकोगे। भाग बी में हम बात करते
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हैं सफल और असफल जीवन के कारण।
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विदुर नीति का दूसरा बड़ा पक्ष है जीवन
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प्रबंधन। विदुर ने स्पष्ट कहा है कि कुछ
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लोग चाहे जितना प्रयास कर ले वह कभी सफल
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नहीं हो सकते। सो असफल लोगों की क्या
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पहचान है? पहला जो आलसी यानी लेजी होते
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हैं। दूसरा जो क्रोधित यानी एंग्री स्वभाव
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के होते हैं। तीसरा जो हर समय दूसरों की
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बुराई यानी बैकबाइटिंग में लगे रहते हैं।
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चौथा जो बड़ों और गुरुओं का अपमान करते
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हैं। पांचवा जो अनुशासन हीन जीवन जीते
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हैं। अब इसके मॉडर्न कनेक्शन देखते हैं।
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लेजी एंप्लॉय किसी भी कॉर्पोरेट सेटअप में
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आगे नहीं बढ़ सकता। एंग्री पर्सन कभी
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लीडरशिप रोल नहीं ले सकता।
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डिसरिस्पेक्टफुल स्टूडेंट कभी नॉलेज हासिल
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नहीं कर सकता। अब इसमें सफलता का मार्ग जो
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विदुर ने बताया है। तो विदुर ने आदतों
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यानी हैबिट्स पर बहुत जोर दिया। उन्होंने
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कहा, आदतें ही इंसान की किस्मत बनाती हैं।
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आज के जमाने में यही बात एटॉमिक हैबिट्स
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बुक भी कहती है। डेली छोटे-छोटे एकशंस
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आपकी आइडेंटिटी बनाते हैं। अगर आप रोज
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डिसिप्लिन के साथ काम करते हो तो लॉन्ग
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टर्म सक्सेस पक्की है। अब आते हैं भाग सी
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धर्म और व्यवहार। विदुर ने धर्म को बहुत
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सरल शब्दों में परिभाषित किया। जो अपने और
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समाज के हित में हो वही धर्म है। मित्र और
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शत्रु की पहचान। मित्र वही है जो कठिन समय
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में आपके साथ खड़ा हो। शत्रु वही है जो
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मुस्कान के पीछे छिपकर आपकी हार देखना
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चाहता हो।
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कॉर्पोरेट वर्ल्ड में असली दोस्त वही है
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जो आपकी प्रमोशन से खुश हो। सोशल सर्कल
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में असली शत्रु वही है जो आपके सामने
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तारीफ करें और पीछे से आपकी छवि खराब
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करें। अब
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निष्कर्ष जो हम अभी तक का जो मैंने सुनाया
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उसका यह है कि आज हमने विदुर नीति के पहले
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भाग से तीन बातें सीखी। पहला लीडरशिप की
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असली परिभाषा सत्य, धैर्य, विवेक और सेल्फ
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कंट्रोल। दूसरा मनुष्य के छह शत्रु लस्ट,
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एंगर, ग्रीड, अटैचमेंट, ईगो और जेलसी।
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तीसरा सफलता और असफलता का असली कारण हमारी
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हैबिट्स और डिसिप्लिन। जो विदुर नीति को
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समझ लेता है उसके लिए जीवन का हर मोड़
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आसान हो जाता है। अब हम अगले भाग की ओर
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बढ़ेंगे। भाग दो में हम गहराई में समझेंगे
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कि एक व्यक्ति किन गुणों से राजा या लीडर
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बन सकता है और किन दोषों से उसका पतन
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निश्चित है। इस तरह हमारा सफर स्मूथली
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अगले हिस्से में जाएगा।
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दोस्तों पिछले भाग में हमने जाना कि विदुर
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नीति हमें क्या सिखाती है? एक आदर्श नेता
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या इंसान के गुण क्या हैं? मनुष्य के छह
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शत्रु कौन से हैं? और सफलता व असफलता का
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असली कारण क्या होता है? अब समय है एक कदम
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और आगे बढ़ने का। आज हम बात करेंगे कौन से
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गुण इंसान को राजा बना देते हैं और कौन से
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दोष उसके जीवन को पूरी तरह बर्बाद कर देते
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हैं। भाग ए वे गुण जो मनुष्य को राजा बना
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देते हैं। विदुर नीति कहती है कि राजा
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केवल जन्म से नहीं बनता। असली राजा वह है
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जो अपने गुणों से लोगों के दिलों पर राज
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करता है। प्रमुख गुण पहला सत्य यानी
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ट्रुथफुलनेस। जो झूठ से दूरी बनाए रखे वही
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जनता का विश्वास जीतता है। मॉडर्न लाइफ
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एंगल की बात करते हैं। किसी भी बिजनेस या
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स्टार्टअप की नीव ऑनेस्टी पर ही टिकती है।
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दूसरा दानशीलता यानी जेरसिटी जो केवल लेता
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है वह हमेशा अकेला रह जाता है। जो बांटता
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है वही लोगों के दिलों में बसता है। तीसरा
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धैर्य और क्षमा। पेशेंस एंड फॉरगिवनेस।
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गुस्से में लिया निर्णय नाश का कारण होता
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है। फॉरगिवनेस लीडरशिप की सबसे बड़ी ताकत
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है। चौथा दूरदृष्टि यानी विज़ राजा वही जो
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केवल आज का नहीं आने वाले समय का भी सोच
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सके। मॉडर्न लाइफ के संदर्भ में एक विजनरी
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सीईओ ही कंपनी को लंबे समय तक चला सकता
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है। पांचवा सहानुभूति यानी एमथी जनता की
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तकलीफ को महसूस करना ही असली नेतृत्व है।
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बिना एमथी के कोई भी लीडर डिक्टेटर बन
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जाता है। राजा बनने के लिए ताज नहीं गुणों
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का मुकुट चाहिए। भाग भी वे दोष जो मनुष्य
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को बर्बाद कर देते हैं। विदुर नीति में
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दोषों का विस्तृत वर्णन है। विदुर कहते
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हैं दोष ऐसे रोग हैं जो धीरे-धीरे जीवन को
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खा जाते हैं। इसमें जो प्रमुख दोष है पहला
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अत्यधिक कामना एक्सेसिव डिजायर। इच्छा
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पूरी हो जाए तो और बढ़ती है। ना पूरी हो
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तो दुख देती है। मॉडर्न एंगल के हिसाब से
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देखें आज का कंज्यूमरिज्म नई-नई चीजें
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खरीदने की दौड़। दूसरा अत्याधिक क्रोध
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एक्सेसिव एंगर को क्रोध बुद्धि को जला
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देता है। ऑफिस पॉलिटिक्स या घर के झगड़े
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का सबसे बड़ा कारण यही है। तीसरा लोभ यानी
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ग्रीड। लालच कभी संतुष्ट नहीं होता।
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करप्शन, स्कैम्स, फ्रॉड्स। यही लोभ का
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परिणाम है। चौथा अज्ञान यानी इग्नोरेंस।
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विदुर कहते हैं अज्ञानी व्यक्ति अंधे के
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समान है। नॉलेज ही आज की सबसे बड़ी करेंसी
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है। पांचवा अहंकार यानी ईगो। जो व्यक्ति
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ईगो में जीता है, वह कभी लंबे समय तक
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लोगों का प्यार नहीं भा सकता। कई राजा और
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नेता अपने अहंकार की वजह से धराशाई हुए।
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गुण जीवन को ऊंचाई पर ले जाते हैं और दोष
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धीरे-धीरे कब्र खोद देते हैं। भाग सी
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विदुर नीति के अनुसार राजा का कर्तव्य
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विदुर नीति सिर्फ गुण दोष की बात नहीं
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करती बल्कि यह बताती है कि राजा यानी लीडर
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का असली कर्तव्य क्या है? पहला जनता की
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रक्षा प्रोटेक्शन ऑफ पीपल राजा का पहला
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धर्म प्रजा की रक्षा है। आज के लीडर्स
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चाहे पॉलिटिकल हो या कॉर्पोरेट उनका पहला
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दायित्व एंप्लाइज या कस्टमर्स की भलाई है।
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दूसरा न्याय यानी जस्टिस बिना न्याय के
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राज्य टिक नहीं सकता। फियर पॉलिटिक्स ही
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किसी भी ऑर्गेनाइजेशन को सस्टेनेबल बनाती
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है। तीसरा धन का सही उपयोग। राइट यूज़ ऑफ
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वेल्थ। विदुर कहते हैं राजा को धन संग्रह
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के लिए नहीं जन कल्याण के लिए चाहिए।
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सीएसआर कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी
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नाम का एक इनिशिएटिव होता है जो कंपनीज़
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करती हैं। तो यह बड़ी-बड़ी कंपनीज़ जन कल्याण
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के लिए करती हैं। चौथा धर्म पालन।
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अपहोल्डिंग धर्म। धर्म का अर्थ धार्मिक
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कर्मकांड नहीं बल्कि समाज हित है। मॉडर्न
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एंगल में इसको देखें तो एथिकल लीडरशिप
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होनी चाहिए। अब आते हैं भाग डी पर। आधुनिक
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जीवन में विदुर नीति की उपयोगिता। विदुर
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नीति के यह सूत्र केवल राजाओं पर नहीं
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बल्कि आज के हर इंसान पर लागू होते हैं।
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अगर आप स्टूडेंट हैं, आपकी मेहनत और
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डिसिप्लिन ही आपको आगे ले जाएगा। अगर आप
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बिजनेसमैन हो, ऑनेस्टी और विज़न ही आपको
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सफलता दिलाएंगे। अगर आप एंप्लॉय हो,
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लॉयल्टी और पेशेंसी आपकी ग्रोथ तय करेंगे।
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विदुर नीति केवल महाभारत की कहानी नहीं यह
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आज के हर घर, हर ऑफिस और हर क्लासरूम की
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जरूरत है।
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भाग दो में हमें यह सीखने को मिलता है
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राजा यानी लीडर बनने के लिए गुण चाहिए।
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ट्रुथ, पेशेंस, विज़न और एमथी। दोष डिजायर,
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एंगर, क्रीड, इग्नोरेंस और ईगो जीवन को
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बर्बाद कर देते हैं। असली लीडरशिप पावर
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पोजीशन में नहीं बल्कि कर्तव्य और
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जिम्मेदारी निभाने में है। अब हम अगले भाग
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की ओर बढ़ेंगे। भाग तीन में हम समझेंगे
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विदुर नीति के अनुसार मित्र और शत्रु की
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पहचान कैसे करें और कैसे इंसान गलत संगति
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में आकर अपना भविष्य खो देता है।
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दोस्तों
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पिछले भाग में हमने देखा कि कौन से गुण
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इंसान को राजा बना देते हैं और कौन से दोष
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उसके जीवन को बर्बाद कर देते हैं। हमने यह
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भी समझा कि असली लीडरशिप केवल पद में नहीं
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बल्कि कर्तव्य और जिम्मेदारी निभाने में
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है। अब आज के इस भाग तीन में हम बात
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करेंगे विदुर नीति के अनुसार मित्र और
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शत्रु की पहचान और सही गलत संगति का जीवन
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पर प्रभाव।
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भाग ए मित्र की पहचान। हाउ टू आइडेंटिफाई
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अ ट्रू फ्रेंड? विदुर कहते हैं वह मित्र
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नहीं जो केवल सुख में साथ दे। असली मित्र
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वही है जो दुख और संकट में भी आपके साथ
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खड़ा हो। असली मित्र की विशेषताएं। पहला
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वर्ल्डली गेन से ऊपर रिलेशनशिप। जो मित्र
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केवल लाभ देखने आए वह मित्र नहीं व्यापारी
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है। दूसरा
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कॉन्फिडेंशियलिटी
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जो आपकी बातों को दूसरों तक ना पहुंचाए।
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तीसरा लॉयल्टी जो आपकी अनुपस्थिति में भी
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आपकी इज्जत की रक्षा करें। चौथा
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सैक्रिफाइस जो अपने लाभ को त्याग कर भी
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आपके लिए खड़ा हो जाए। पांचवा ऑनेस्ट
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फीडबैक जो चापलूसी ना करें बल्कि सच्चाई
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बोलने का साहस रखे।
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कॉर्पोरेट वर्ल्ड में सच्चा फ्रेंड वही
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कोलीग है जो प्रमोशन के समय आपकी सफलता
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देखकर खुश हो। स्टूडेंट लाइफ में सच्चा
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फ्रेंड वही है जो आपको डिस्ट्रैक्शंस से
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बचाकर पढ़ाई पर फोकस कराए। सच्चा मित्र
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वही है जो आपके गिरने पर आपको उठाए और
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आपके उड़ने पर तालियां बजाए। बाग बी शत्रु
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की पहचान हाउ टू रिकॉग्नाइज एन एनिमी।
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विदुर नीति में शत्रु की पहचान भी उतनी ही
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विस्तार से की गई है। विदुर कहते हैं जो
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सामने मुस्कुराए और पीछे से वार करे वही
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सबसे खतरनाक शत्रु है। शत्रु की विशेषताएं
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पहला बैकस्टपर जो आपकी अनुपस्थिति में
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आपके खिलाफ बोले। दूसरा जेलस जो आपकी
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तरक्की देखकर जलन महसूस करें। तीसरा
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मैनपुलेटर जो आपके हित में दिखाकर जो आपको
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हित में दिखाकर अपना काम निकाल ले। चौथा
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हिपोक्रेट जो सामने तो आपके प्रति सॉफ्ट
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दिखे लेकिन भीतर द्वेष रखे। पांचवा
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ओपोरर्चुनिस्ट जो केवल समय आने पर आपके
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साथ खड़ा हो बाकी समय
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गायब हो जाए।
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ऑफिस पॉलिटिक्स में ऐसे लोग मिलते हैं जो
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सामने यस सर कहते हैं लेकिन बॉस के सामने
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आपकी शिकायत कर देते हैं। सोशल मीडिया पर
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भी कुछ लोग आपके पोस्ट पर स्माइली डालते
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हैं पर अंदर ही अंदर कंपैरिजन और जेलसी से
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भरे होते हैं। शत्रु वही है जो आपके पीठ
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पर खंजर मार दे और आपके सामने फूल पेश
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करें। भागसी संगति का प्रभाव द पावर ऑफ
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एसोसिएशन। विदुर नीति कहती है जैसी संगति
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वैसा जीवन। अगर इंसान गलत संगति में पड़
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जाए तो उसका भविष्य अंधकार में हो जाता
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है। अच्छी संगति का प्रभाव मनुष्य का
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कररेक्टर स्ट्रांग होता है। जीवन में
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डिसिप्लिन और पॉजिटिविटी आती है। सही
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मार्गदर्शन मिलता है। उदाहरण के तौर पर
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अर्जुन को कृष्ण जैसी संगति मिली। इसीलिए
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वह महान योद्धा और धर्म का रक्षक बना। अब
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बात करते हैं बुरी संगति का प्रभाव। गलत
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आदतें लगती हैं। निर्णय क्षमता नष्ट हो
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जाती है। जीवन का पतन निश्चित हो जाता है।
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दुर्योधन को शकुनी जैसी संगति मिली और वही
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उसके पतन का कारण बना। अगर स्टूडेंट अच्छे
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फ्रेंड्स के साथ है तो उसका करियर संवर
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सकता है। अगर वही स्टूडेंट नशे या गलत
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कंपनी में चला गया तो जीवन बर्बाद हो सकता
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है। बिजनेसमैन का सही मेंटोर की की संगति
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मिले तो ग्रोथ होती है। गलत एडवाइजर मिल
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जाए तो बिजनेस क्रैश हो जाता है। कंपनी
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डिसाइड्स योर डेस्टिनी। संगति ही जीवन की
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दिशा तय करती है। भाग डी विदुर नीति के
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प्रैक्टिकल टिप्स। विदुर नीति हमें यह
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सिखाती है कि मित्र को परखने में समय
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लगाओ। पर एक बार चुनने के बाद उस पर भरोसा
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करो। दूसरा शत्रु को कभी हल्के में मत लो।
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उसकी चाले हमेशा छिपी रहती हैं। तीसरा
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बुरी संगति से दूरी बनाना सबसे बड़ी
16:04
तपस्या है। चौथा अच्छी संगति में रहकर
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अपने जीवन को निखारो।
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आज के डिजिटल एज में भी यही लागू होता है।
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सोशल मीडिया पर भी अपनी संगति वाइजली
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चुनो। हुम यू फॉलो हुूम यू इंटैक्ट विद
16:20
यही आपके विचार और हैबिट्स बनाते हैं। भाग
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तीन में हमें यह स्पष्ट सीखने को मिलता
16:26
है। पहला असली मित्र वही है जो लाभहानि से
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परे होकर आपके साथ खड़ा हो। दूसरा शत्रु
16:33
वही है जो सामने मुस्कुराकर पीछे से वार
16:36
करे। तीसरा संगति का चुनाव ही जीवन की
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दिशा तय करता है। मित्र और शत्रु की पहचान
16:43
कर लो। आधा जीवन आसान हो जाएगा। अब हम
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अगले भाग की ओर बढ़ेंगे। भाग चार में हम
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चर्चा करेंगे विध नीति में धन यानी वेल्थ
16:53
और उसके सही गलत उपयोग पर दिए गए विचार।
16:56
कैसे धन का सदुपयोग व्यक्ति और समाज दोनों
16:59
को ऊपर उठाता है और कैसे धन का दुरुपयोग
17:03
जीवन को पतन की ओर ले जाता है। दोस्तों
17:07
पिछले भाग में हमने जाना कि विधुर नीति
17:10
किस प्रकार हमें शत्रु और मित्र की पहचान
17:13
कराना सिखाती है और क्यों संगति यानी
17:16
कंपनी जीवन की दिशा तय करती है। आज के इस
17:19
चौथे भाग में हम एक और महत्वपूर्ण विषय पर
17:21
चर्चा करेंगे। धन यानी वेल्थ। धन मनुष्य
17:24
के जीवन में वरदान भी है और अभिशाप भी। धन
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का सही उपयोग इंसान और समाज दोनों को ऊपर
17:30
उठाता है। जबकि गलत उपयोग पतन और विनाश का
17:34
कारण बनता है। भाग ए विदुर के अनुसार धन
17:38
का महत्व। विदुर नीति कहती है धन वही है
17:41
जो सही समय पर सही स्थान पर सही उद्देश्य
17:44
के लिए खर्च हो। धन क्यों आवश्यक है? पहला
17:47
जीवन निर्वाह यानी लाइवलीहुड। बिना धन के
17:51
जीवन की बुनियादी आवश्यकताएं पूरी नहीं हो
17:54
सकती। दूसरा सामाजिक प्रतिष्ठा सोशल
17:57
स्टेटस धन से व्यक्ति समाज में सम्मान पा
18:01
सकता है। तीसरा सहायता यानी हेल्पिंग
18:04
अदर्स। धन से दूसरों की मदद और समाज सेवा
18:08
संभव है। चौथा सुरक्षा यानी सिक्योरिटी।
18:12
धन भविष्य की अनिश्चितताओं से बचाव करता
18:16
है। आज की दुनिया में धन, एजुकेशन, हेल्थ,
18:19
ट्रैवल, करियर हर जगह जरूरी है। परंतु
18:23
विदर कहते हैं कि धन का महत्व तभी है जब
18:25
वह सदुपयोग में आए। धन साधन है। साध्य
18:30
नहीं। भाग बी धन का सदुपयोग। राइट यूज़ ऑफ
18:35
वेल्थ। विधुर नीति स्पष्ट कहती है धन वही
18:39
सार्थक है जो धर्म और समाज हित में लगाया
18:42
जाए। धन का सही उपयोग। पहला शिक्षा में
18:46
निवेश इन्वेस्टमेंट इन एजुकेशन। नॉलेज ही
18:49
असली पूंजी है। दूसरा दान और सेवा चैरिटी
18:53
एंड सर्विस। जरूरतमंद की मदद सबसे बड़ा
18:57
धर्म है। तीसरा परिवार का पालन पोषण।
19:00
फैमिली वेलफेयर। धन का पहला अधिकार परिवार
19:04
का है। चौथा संकट के समय उपयोग, इमरजेंसी
19:08
फंड, भविष्य की अनिश्चितताओं के लिए धन
19:11
सुरक्षित रखना। पांचवा न्याय और धर्म की
19:14
रक्षा। प्रोटेक्शन ऑफ धर्म एंड जस्टिस। धन
19:18
का प्रयोग समाज को नैतिक बनाने में होना
19:21
चाहिए। आज भी जो व्यक्ति अपनी इनकम का एक
19:24
हिस्सा डोनेशन या सीएसआर में लगाता है,
19:26
वही वास्तव में धन का सदुपयोग करता है।
19:30
स्टूडेंट्स के लिए पैसा किताबों और
19:32
स्किल्स में लगाना सबसे बड़ी इन्वेस्टमेंट
19:34
है। धन वही जो बांटने पर बढ़े और दूसरों
19:38
की जिंदगी बदल दे। भाग सी धन का दुरुपयोग।
19:43
मिसयूज़ ऑफ वेल्थ। विदुर नीति चेतावनी
19:46
देती है। धन यानी लोभ। यदि लोभ, दिखावा और
19:50
अन्याय में लगाया जाए तो वही धन विनाश का
19:53
कारण बनता है। अब बात करते हैं धन के गलित
19:56
उपयोग की। पहला भोग विलास लग्जरी एंड ओवर
19:59
इंटेलिजेंस। अनावश्यक ऐश्वर्य जीवन को पतन
20:03
की ओर ले जाता है। दूसरा अन्याय यानी
20:06
इनजस्टिस। रिश्वत, भ्रष्टाचार, काला धन यह
20:09
समाज को खोखला करते हैं। तीसरा दिखावा
20:12
यानी शो ऑफ। केवल स्टेटस दिखाने के लिए धन
20:15
खर्च करना। चौथा नशा और व्यसन एडिकशंस
20:19
शराब, जुआ, ड्रग्स, धन का सबसे बड़ा
20:22
दुरुपयोग। पांचवा स्वार्थ यानी सेल्फिशनेस
20:26
केवल खुद पर खर्च करना और समाज से मुंह
20:28
मोड़ लेना। हिस्ट्री गवाह है कि कई
20:32
साम्राज्य धन के दुरुपयोग के कारण ढह गए।
20:36
आज भी जो लोग केवल लग्जरी और दिखावे में
20:38
पैसा बहाते हैं, वे कठिन समय में टूट जाते
20:42
हैं। धन अगर दिशा सही ना पाए, तो वही धन
20:45
विनाश की जड़ बन जाता है। विदुर नीति
20:48
बार-बार यह बताती है। हम भाग डी पे आ गए
20:51
हैं। धन और नैतिकता। वेल्थ एंड एथिक्स।
20:54
विदुर नीति बार-बार यह बताती है कि धन और
20:57
नैतिकता का संतुलन सबसे जरूरी है। विदुर
21:01
के अनुसार आदर्श दृष्टिकोण क्या है? पहला
21:04
धन कमाना बुरा नहीं है। बुरा है अनैतिक
21:07
तरीके से धन कमाना। सच्चा धन वह है जो
21:10
आपके साथ दूसरों को भी लाभ पहुंचाए। जो धन
21:14
केवल अहंकार और दिखावे के लिए हो, वह कुछ
21:17
ही समय का मेहमान है। अब बिजनेस एथिक्स आज
21:22
हर ऑर्गेनाइजेशन का सबसे बड़ा आधार है। जो
21:25
कंपनियां केवल प्रॉफिट पर फोकस करती हैं,
21:27
वे जल्दी गिरती हैं। जो कंपनियां एथिक्स
21:30
और सस्टेनेबिलिटी अपनाती है, वह लंबे समय
21:33
तक टिकती हैं। धन और धर्म जब साथ चलते
21:37
हैं, तभी समृद्धि स्थाई होती है। भाग ई
21:41
विद्युर नीति के आधुनिक प्रयोग विदुर नीति
21:44
को आज हम इन प्रैक्टिकल स्टेप्स में लागू
21:47
कर सकते हैं। पहला इनकम का एक हिस्सा
21:49
इन्वेस्टमेंट में लगाएं। फ्यूचर
21:51
सिक्योरिटी के लिए दूसरा हर महीने थोड़ा
21:54
हिस्सा चैरिटी डोनेशन के लिए रखें। तीसरा
21:58
लाइफस्टाइल सिंपल रखें। दिखावे में धन
22:00
बर्बाद ना करें। चौथा एजुकेशन और स्किल्स
22:04
में अधिक से अधिक निवेश करें। पांचवा गलत
22:08
रास्तों से मिले धन से हमेशा दूर रहे। भाग
22:12
चार में हमें यह सीखने को मिलता है। पहला
22:14
धन जरूरी है परंतु उसका महत्व तभी है जब
22:18
वह सदुपयोग में आए। दूसरा धन का सही
22:21
उपयोग, एजुकेशन, फैमिली, चैरिटी,
22:24
सिक्योरिटी और धर्म की रक्षा। तीसरा धन का
22:28
गलत उपयोग, लग्जरी, इनजस्टिस, शो ऑफ
22:31
एडिकशंस और सेल्फिशनेस। चौथा असली समृद्धि
22:34
वही है जहां धन और धर्म साथ-साथ हो। धन
22:38
साधन है जीवन को आगे बढ़ाने का। परंतु
22:41
साध्य हमेशा धर्म और समाज हित होना चाहिए।
22:44
अब हम अगले और अंतिम भाग की ओर बढ़ेंगे।
22:48
भाग पांच में हम जानेंगे विदुर नीति के
22:50
अनुसार जीवन प्रबंधन यानी लाइफ मैनेजमेंट
22:53
के गहरे सूत्र। कैसे हम व्यक्तिगत और
22:55
सामाजिक जीवन दोनों को संतुलित कर सकते
22:58
हैं और क्या विद्युत नीति आज भी टाइमलेस
23:01
विडम कही जाती है।
23:04
दोस्तों पिछले भाग में हमने चर्चा की कि
23:07
धन का सदुपयोग व्यक्ति और समाज दोनों को
23:10
ऊपर उठाता है। जबकि उसका दुरुपयोग पतन और
23:14
विनाश का कारण बनता है। अब इस अंतिम भाग
23:18
में हम विदुर नीति के सबसे व्यापक पहलू की
23:20
ओर बढ़ेंगे। जीवन प्रबंधन यानी लाइफ
23:23
मैनेजमेंट, व्यक्तिगत और सामाजिक संतुलन
23:26
और वह कारण कि क्यों विदुर नीति को आज भी
23:30
टाइमलेस विज़डम कहा जाता है। भाग ए विदुर
23:33
नीति और जीवन प्रबंधन। विदुर कहते हैं
23:36
जीवन तभी सफल है जब वह संतुलित हो। अब इस
23:39
संतुलन के तीन आधार हैं। पहला धर्म
23:42
राइटसनेस सही और गलत में भेद। दूसरा अर्थ
23:46
यानी वेल्थ। जीवन यापन और सामाजिक हित के
23:50
लिए धन। तीसरा काम यानी डिजायर्स।
23:54
नियंत्रित इच्छाएं और अनुशासित जीवन। आज
23:58
हम इस वर्क लाइफ इसे हम वर्क लाइफ बैलेंस
24:01
कहते हैं। करियर जरूरी है लेकिन हेल्थ और
24:04
फैमिली की कीमत पर नहीं। मनी जरूरी है
24:07
लेकिन एथिक्स खोकर नहीं। डिजायर जरूरी है
24:10
लेकिन एडिक्शनंस बनकर नहीं। जीवन की असली
24:14
कला है बैलेंस। भाग बी विदुर नीति और समय
24:18
प्रबंधन यानी टाइम मैनेजमेंट। विदुर
24:21
स्पष्ट कहते हैं समय ही सबसे बड़ा धन है।
24:24
इसे खोकर कुछ भी वापस नहीं पाया जा सकता।
24:27
समय का सही उपयोग जरूरी है। पहला सुबह का
24:31
समय सीखने और आत्मचिंतन के लिए। दूसरा
24:34
दोपहर का समय कर्म और कार्य के लिए। तीसरा
24:38
रात्रि का समय विश्राम और ऊर्जा संचय के
24:42
लिए। स्टूडेंट्स के लिए पढ़ाई और रेस्ट का
24:45
बैलेंस जरूरी है। एंटरप्रेन्योर के लिए
24:48
प्लानिंग और एग्जीक्यूशन का सही अनुपात
24:51
आवश्यक है। प्रोफेशनल्स के लिए टाइम
24:53
ब्लॉकिंग और प्रोडक्टिविटी टूल्स जरूरी
24:56
हैं। जिसने समय जीता उसने दुनिया जीती।
25:00
भाग सी विदुर नीति और व्यावहारिक बुद्धि
25:04
प्रैक्टिकल विज़डम। विद्यु नीति केवल
25:06
आदर्शवाद नहीं बल्कि पूरी तरह प्रैक्टिकल
25:08
है। अब इसमें जो प्रैक्टिकल सूत्रस है उन
25:11
पर बात करते हैं। पहला किस पर भरोसा करें?
25:14
भरोसा वही जो आपको कठिन समय में ना छोड़े।
25:18
दूसरा किससे दूरी रखें उस व्यक्ति से जो
25:21
लोभी, क्रोधी और कपटी हो। तीसरा कैसा जीवन
25:24
जिए? सिंपल, डिसिप्लिन और पपसफुल। चौथा
25:28
समस्या का समाधान कैसे करें? भावनाओं से
25:31
नहीं, बुद्धि से निर्णय लें।
25:34
मॉडर्न एग्जांपल्स लेते हैं। नेगोशिएशंस
25:37
में कामनेस विदुर का ही प्रिंसिपल है। टीम
25:40
मैनेजमेंट में ट्रांसपेरेंसी विदुर की ही
25:43
टीचिंग है। प्रैक्टिकल विज़डम ही है असली
25:46
इंटेलिजेंस।
25:48
भाग डी विदुर नीति और समाज। विदुर केवल
25:51
व्यक्तिगत जीवन का नहीं बल्कि समाज की भी
25:54
बात करते हैं। समाज के लिए विदुर के कुछ
25:56
संदेश हैं। पहला समानता इक्वलिटी। भेदभाव
26:00
समाज को तोड़ता है। दूसरा न्याय यानी
26:03
जस्टिस। अन्याय पर मौन रहना भी अपराध है।
26:07
तीसरा करुणा यानी कंपैशन। कमजोर की मदद ही
26:11
असली धर्म है। चौथा नेतृत्व यानी लीडरशिप।
26:14
नेता वही जो जनता को परिवार समझे। आज के
26:18
समाज में भी करप्शन, इनजस्टिस और इनकलिटी
26:22
सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। विदुर नीति इन
26:25
सबका समाधान देती है। धर्म और न्याय को
26:28
सर्वोपरि रखो। समाज तभी टिकेगा जब न्याय
26:32
और करुणा साथ होंगे। भाग ई विदुर नीति की
26:37
आज के युग में प्रासंगिता। विदुर नीति कोई
26:41
केवल महाभारत का हिस्सा नहीं बल्कि यह आज
26:43
भी उतनी ही रेलेवेंट है। स्टूडेंट्स के
26:46
लिए यह डिसिप्लिन और सही कंपनी का महत्व
26:48
बताती है। प्रोफेशनल्स के लिए यह टाइम
26:50
मैनेजमेंट और प्रैक्टिकल विज़डम सिखाती है।
26:53
लीडर्स के लिए यह एथिक्स, विज़न और एमथी की
26:56
शक्ति दिखाती है। सोसाइटी के लिए यह
26:59
जस्टिस और कंपैशन की नींव रखती है। विदुर
27:02
नीति टाइमलेस है। कल भी जरूरी थी, आज भी
27:05
जरूरी है और कल भी जरूरी रहेगी।
27:09
अब जब हम विदुर नीति की इस पांच भागों की
27:11
यात्रा पूरी कर चुकी कर कर चुके हैं तो
27:14
चलिए इसके मुख्य संदेशों को याद कर लें।
27:17
पहला सेल्फ कंट्रोल और लीडरशिप के
27:20
प्रिंसिपल्स। दूसरा गुण और दोष उत्थान और
27:23
पत्न का कारण। तीसरा मित्र और शत्रु की
27:27
पहचान तथा संगति का महत्व। चौथा धन का
27:31
सदुपयोग और दुरुपयोग। पांचवा जीवन
27:34
प्रबंधन, समय प्रबंधन और समाज के लिए
27:37
संदेश। विदुर नीति हमें यह सिखाती है कि
27:41
इंसान का असली शत्रु बाहर नहीं बल्कि अंदर
27:44
है लोभ, क्रोध, अहंकार। असली मित्र वही है
27:48
जो सच्चाई में साथ दे। असली धन वही है जो
27:51
समाज हित में काम आए। और असली सफलता वही
27:54
है जो संतुलित जीवन जीकर धर्म के मार्ग पर
27:58
चलकर मिले। विदुर नीति केवल महाभारत की
28:01
कहानी नहीं यह हर युग का रूल बुक है।
28:05
दोस्तों, इस तरह हम विदुर नीति सीरीज यहीं
28:08
समाप्त होती है। मुझे पूरा विश्वास है कि
28:10
इन पांच भागों में बताए गए यह टाइमलेस
28:13
लेसंस आपके जीवन को दिशा देंगे। अगर आपने
28:17
ध्यान से सुना है तो आपने केवल ज्ञान ही
28:19
नहीं बल्कि एक ऐसा रोड मैप पाया है जिससे
28:22
आप अपने व्यक्तिगत जीवन, प्रोफेशनल जर्नी
28:25
और सामाजिक जिम्मेदारी तीनों को बैलेंस कर
28:28
सकते हैं। धन्यवाद।