Apara ekadashi ka mahatva | apara ekadashi ka mahatva kya hai | अपरा एकादशी का महत्व
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May 23, 2025
Apara ekadashi ka mahatva | apara ekadashi ka mahatva kya hai | अपरा एकादशी का महत्व
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[संगीत]
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अपरा एकादशी का त्यौहार है यह त्यौहार
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ज्यष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि
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को मनाई जाती है इसे अचला एकादशी के नाम
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से भी जाना जाता है जैसा कि नाम से ही भी
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पता चलता है कि अपरा मतलब इस व्रत को रखने
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से भक्त को अपार सफलता मिलती है वह सभी
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पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष को
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प्राप्त करता है ऐसी मान्यता है कि इस दिन
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व्रत रखने से मनुष्य को
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यज्ञ अश्वमेध यज्ञ और त स्थान के बराबर का
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फल प्राप्त होता है अपरा एकादशी पर भगवान
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विष्णु को पंचामृत ऋतु फल केसर की मिठाई
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मखाने की खीर पंजीरी आदि से भोग लगाने पर
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भक्तों को मनचाहा फल मिलता है आइए जानते
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हैं अपरा एकादशी व्रत को क्यों रखा जाता
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है अपरा एकादशी व्रत
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महाभारत
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में युधिष्ठिर कहने लगे भगवान कृष्ण से हे
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माधव जष्ठ कृष्ण एकादशी का नाम क्या है
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उनका क्या महत्व है कृपा करके मुझे बताइए
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तब भगवान श्री कृष्ण से लगे हे राजन यह
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एकादशी अचला तथा अपरा दो नामों से जानी
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जाती
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है जष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी अपरा एकादशी
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है क्योंकि यह अपार धन देने वाली है जो
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मनुष्य के इस व्रत को रखते हैं जो मानव इस
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व्रत को रखकर करते हैं इस संसार में
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प्रसिद्ध हो जाते हैं इस दिन भगवान
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त्रिविक्रम की पूजा की जाती है अपार अपरा
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एकादशी के व्रत के प्रभाव से ब्रह्मा
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ब्रह्म हत्या भूत योनि दूसरे की निंदा आदि
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सब पाप मिट जाते हैं इस व्रत के करने से
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परस्त्री गमन झूठी गवाही देना झूठ बोलना
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झूठे शास्त्र पढ़ाना या पढ़ना झूठा सारे
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सब नष्ट हो जाते हैं जो क्षत्रिय युद्ध से
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भाग जाए नरकगामी हो परंतु अपरादशी का व्रत
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रखने से वे स्वर्ग को प्राप्त करते हैं जो
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शिष्य गुरु से शिक्षा ग्रहण करते हैं फिर
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उनकी निंदा करते हैं वे अवश्य नरक में
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जुड़ जाते हैं मगर अपराग का व्रत करने से
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इस पाप से मुक्त हो जाते हैं जो फल तीनों
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पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा को स्नान
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करने या गंगा तट पर पितों को पिंडदान करने
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से प्राप्त होता है वही अपरा एकादशी का
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व्रत करने से प्राप्त होता है ठीक है अपरा
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एकादशी का बहुत सारा फल है तो इन्हें जरूर
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कहना चाहिए ये छोटी सी स्टोरी सुनाते हैं
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इसके बारे में एक बार धोमि नामक ऋषि जंगल
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में कहीं से गुजर रहे थे उन्हें उन्हें एक
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प्रेत को देखा जो तपोवल से उसके अतीत को
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जान लिया उन्हें एक भटकते हुए प्रेत को
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देखा तो धम ऋषि को तपोवल से उस प्रेत की
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सारी कहानी जान गए क्या है क्यों ऐसा हुआ
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कर रहा है अपने तपोवल के से प्रेत उत्पाद
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का कारण समझा ऋषि ने प्रसन्न होके उस
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प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक
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विद्या का उपदेश दिया यानी वो था ना वो
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प्रेत पीपल के पेड़ पे था उसको उतारा और
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पूरा विद्या को उपदेश दिया उस ऋषि ने राजा
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वो राजा था प्रेत से मुक्ति के स्वयं को
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अपराशी का व्रत किया और उसे उस संगत से
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छुड़ाने का पुण्य प्रेत को समर्पित कर
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दिया इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत
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से मुक्ति मिल गई और इसी को धन्यवाद देता
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हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्प विमान से
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बैठकर स्वर्ग चला गया यानी अपरा एकादशी
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व्रत बहुत ही फायदेमंद है 1000 तपस्या के
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बराबर एकादशी का फल मिलता है इसलिए एकादशी
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का
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व्रत पूरे पूर्व पूज पूरे विधि विधान से
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अवश्य करना चाहिए थैंक यू दोस्तों वीडियो
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कैसा लगे मुझे जरूर बताइएगा और हमारे
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वीडियो को लाइक और चैनल को सब्सक्राइब
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जरूर कर लेना