0:02
सोचिए अगर एक इंसान अपनी बुद्धि से पूरे भारत का इतिहास ही नहीं बल्कि आने वाली कई
0:09
पीढ़ियों की सोच को बदल दे तो क्या आप उसे जीनियस कहेंगे या भगवान? दोस्तों आज हम
0:15
बात करने वाले हैं इतिहास के सबसे बड़े जीनियस वेदव्यास की वो इंसान जिनके बिना
0:22
महाभारत पुराण और हमारी सांस्कृतिक सोच अधूरी है। वेदव्यास का असली नाम था कृष्ण।
0:31
द्वैपना व्यास कृष्ण क्योंकि उनका रंग गहरा शाम था और द्वैपना क्योंकि उनका जन्म
0:39
एक द्वीप यानी आइलैंड पर हुआ और व्यास क्योंकि उन्होंने वेदास को व्यवस्थित या
0:47
कंपाइल्ड किया मतलब एक ही व्यक्ति के अंदर मल्टीपल जीनियस का कॉम्बिनेशन था। स्टोरी
0:54
टेलर, फिलॉसफर, हिस्टोरियन और स्पिरिचुअल साइंटिस्ट। सोचिए आज के जमाने में अगर एक
1:02
बंदा साइमलटेनियसली Google, Netflix और WhatsApp विकपीडिया बन जाए तो आप समझिए कि
1:08
व्यास जी का रोल कितना बड़ा था। आज हम एक WhatsApp ग्रुप भी प्रॉपर्ली मैनेज नहीं
1:15
कर पाते और व्यास ने पूरी सिविलाइजेशन के नॉलेज को ऑर्गेनाइज कर दिया। व्यास के
1:22
बारे में एक कोट है जो बहुत फेमस है। विदाउट व्यासा मैनकाइंड वुड हैव रिमेन
1:29
ब्लाइंड। अगर व्यास ना होते तो मानवता अंधी रह जाती। सोचो एक आदमी की राइटिंग
1:36
पावर ने दुनिया को विज़न दिया। नॉलेज इज पावर। और व्यास ने नॉलेज को इम्मोर्टल बना
1:43
दिया। लेकिन दोस्तों व्यास की कहानी सिर्फ राइटिंग तक लिमिटेड नहीं है। उनका जन्म
1:50
इटसेल्फ एक मिरेकल था और उनके चाइल्डहुड के एक्सपीरियंस ने उन्हें वो जीनियस बनाया
1:57
जो हम आज सेलिब्रेट करते हैं। तो चलिए अगले पार्ट में सुनते हैं कैसे हुआ एक
2:03
दिव्य बच्चे का जन्म जो आगे चलकर बना इतिहास का सबसे बड़ा जीनियस।
2:11
दोस्तों हर जीनियस की जो कहानी है उसकी जड़े उसके बचपन में छुपी होती हैं। लेकिन
2:18
व्यास जी का जन्म ही इतना अद्भुत रहस्य और दिव्य था कि उसे सुनकर आप कहोगे यह किसी
2:25
महाकाव्य से कम नहीं। आइए चलते हैं उस समय में जब एक साधारण मछुआरे की बेटी और एक
2:32
महान ऋषि के मिलन से पैदा हुआ वह बालक जिसने आगे चलकर पूरी मानव सभ्यता का
2:38
नैरेटिव बदल दिया। बात करते हैं सत्यवती और पराशला एक असामान्य जोड़ी। व्यास जी की
2:46
कहानी शुरू होती है उनकी मां सत्यवती से। सत्यवती एक मछुआरे की बेटी थी। उनकी जॉब
2:52
थी बोट्स चलाना और नदी के पार लोगों को ले जाना। सिंपल और ग्राउंडेड जीवन लेकिन एक
2:59
खास बात थी। उनके शरीर से एक तीव्र मछली जैसी गंध आती थी। इसी वजह से लोग उन्हें
3:06
मत्स्य गंधा भी कहते थे। एक दिन जब सत्यवती अपनी नाव लेकर गंगा जी पर सफर कर
3:13
रही थी। तब उनकी मुलाकात हुई महर्षि पराशर से। पराशर एक महान ऋषि थे जिनका नॉलेज और
3:21
तपस्या अनमैच थी और वहीं से स्टार्ट हुआ एक डिवाइन चैप्टर। सोचिए आज के जमाने में
3:29
अगर एक साधारण ऑटो रिक्शा ड्राइवर की बेटी एक नोबल लिटरेट साइंटिस्ट से मिलकर एक
3:36
एक्स्ट्राऑर्डिनरी बच्चा लाती है तो मीडिया में तबाही मच जाती। बस उस जमाने
3:44
में भी ऐसा ही सीन था। एक तरफ सामान्य लाइफ और दूसरी तरफ डिनिटी द डिवाइन
3:50
यूनियन। पराश्र ने सत्यवती से कहा तुम्हारे गर्भ से एक महान आत्मा जन्म लेगी
3:57
जो भविष्य में मानवता को मार्गदर्शन करेगी। इनिशियली सत्यवती हेजिटेट हुई
4:03
क्योंकि उनकी साधारण बैकग्राउंड थी। लेकिन ऋषि ने उन्हें आश्वासन दिया। उनके शरीर से
4:10
मछली जैसी गंध खत्म हो जाएगी और उसकी जगह डिवाइन फ्रेगेंस आ जाएगी। जो बच्चा होगा
4:18
वह एक महान ऋषि होगा और उसके बाद भी सत्यवती एक नॉर्मल जीवन जी सकेगी और वही
4:25
हुआ एक दिव्य वातावरण में सत्यवती के गर्भ से जन्म हुआ एक बालक कृष्ण द्वप्यापन
4:33
व्यास उनका जन्म एक द्वीप पर हुआ था। इसीलिए उन्हें कहा गया द्वपना।
4:40
उनका रंग गहरा शाम था। इसीलिए उनका एक नाम पड़ा कृष्ण। और बाद में जब उन्होंने वेदास
4:47
को व्यवस्थित किया तब उन्हें व्यास कहा गया। यानी एक ही व्यक्ति के तीन नाम
4:53
कृष्ण, दव्यापन और व्यास। और इन्हीं तीन ट्रेट्स ने उन्हें बनाया एक सर्वकालिक
5:00
जीनियस। बचपन से ही व्यास अलग थे। उनकी मेमोरी
5:06
फोटोग्राफिक थी। एक बार सुनते और लाइफ टाइम याद रखते। उनका इंटरेस्ट सिर्फ खेलों
5:12
में नहीं बल्कि नेचर, स्टार्स और श्लोकास में था। उनकी राइटिंग पावर बचपन से ही
5:18
दिखती थी। वो छोटी-छोटी बातें भी कविता और कहानी में लिखते थे। आप और हम बचपन में
5:25
कॉमिक्स पढ़ते थे। व्यास अपने माइंड में पूरे महाकाव्य लिख डालते थे। सोचिए आज के
5:33
बच्चे मोबाइल गेम्स में लग जाते हैं। पर अगर आज कोई 12 साल का बच्चा एक प्योर 500
5:40
पेज का एपिक लिख दे तो हम सब उसे चाइल्ड प्रोडजी बोलेंगे। व्यास एग्जैक्टली वैसे
5:46
ही थे। एक लिविंग प्रोडजी प्रोडजी मतलब कम उम्र में बहुत ज्यादा टैलेंट।
5:53
व्यासा के चाइल्डहुड से एक चीज क्लियर की। वह सिर्फ ज्ञान इकट्ठा नहीं करते थे बल्कि
6:01
उसका विश्लेषण भी करते थे। एग्जांपल के लिए अगर कोई कहता सूर्योदय होता है तो
6:06
व्यास पूछते क्यों कैसे? किस नियम से? आज के बच्चे साइंस के एक्सपेरिमेंट्स करते
6:11
हैं। व्यास अपना मन में ही साइंटिफिक लॉजिक बना लेते थे और इसी वजह से उन्हें
6:18
लोग कहते थे वो बच्चा नहीं चलता फिरता इनसाइक्लोपीडिया है। एक श्लोक उनके बारे
6:24
में लिखा गया। व्यासो नमः महर्षि
6:30
सर्व विशारदा अर्थ व्यास नाम के महर्षि सभी शास्त्रों
6:36
में परंगत थे। व्यासा की स्टोरी सिर्फ एक एंशिएंट टेल नहीं है। यह आज के 18 से 45
6:45
एज ग्रुप के लिए भी एक बहुत बड़ा लेसन है। पहला फैमिली बैकग्राउंड से फर्क नहीं
6:50
पड़ता। सत्यवती एक पछुआरे की बेटी थी। फिर भी उनका बेटा दुनिया का सबसे बड़ा
6:55
हिस्टोरियन बना। आज के जमाने में भी चाहे आप टिएर थ्री सिटी के हो या लोअर मिडिल
7:02
क्लास से अगर आप फोकस हो तो आप दुनिया में अपना नाम कर सकते हो। दूसरा क्यूरोसिटी इज
7:09
द अल्टीमेट पावर। विसा के पास कोई गैजेट्स नहीं थे बट उनकी जिज्ञासा उन्हें जीनियस
7:14
बनाती थी। आज हमारे पास Google है, चैपबिटी है। पर अगर क्यूरोसिटी ही डेड है
7:20
तो कोई टूल हमें जीनियस नहीं बना सकता। तीसरा तपस्या इज ग्रेटर देन टैलेंट। व्यास
7:26
ने अपने ज्ञान और तपस्या से दुनिया को बदला। टैलेंट से स्टार्ट होता है बट तपस्या से ग्रेटनेस बनती है। और इससे हमें
7:36
यह भी सीख मिलती है कि डोंट कंप्लेन क्रिएट। जिज्ञासा और मेहनत ही आपको अमर
7:41
बनाती है। कहते हैं जब व्यास छोटे थे उनके आसपास के लोग अक्सर पूछते यह बच्चा इतनी
7:47
जल्दी सब कैसे याद कर लेता है? उनकी मां सत्यवती कहती थी यह साधारण बच्चा नहीं है।
7:53
यह भगवान विष्णु का अंश है। और सच में व्यासा का ओरा ऐसा था कि लोग उनसे मिलते
8:00
ही फील करते इस बच्चे में कुछ एक्स्ट्राऑर्डिनरी है। सोचिए आजकल के
8:05
पेरेंट्स अपने बच्चों को ट्यूशन पर ट्यूशन भेजते हैं। लेकिन व्यासा जैसा बच्चा बिना
8:10
किसी ट्यूशन, बिना किसी गैजेट सब कुछ अपने दम पर सीख ले। दैट्स ट्रू जीनियस। पराशरा
8:18
ने व्यासा का जन्म एक के समय ही भविष्यवाणी कर दी थी। यह बालक सिर्फ एक
8:23
ऋषि नहीं होगा बल्कि कल के युगों का मार्गदर्शक होगा। इसके शब्दों से दुनिया
8:29
चलती रहेगी और वही हुआ। व्यासा के लिखे हुए ग्रंथ आज भी लाखों लोगों के जीवन को
8:36
मार्गदर्शन देते हैं। विदाउट व्यासा मैनकाइंड वुड हैव रिमेन ब्लाइंड। अगर व्यास ना होते तो मानवता अंधी रह जाती और
8:44
सच में उनकी राइटिंग्स ने ही हमें सिविलाइजेशन का रोड मैप दिया। तो दोस्तों
8:49
व्यास के चाइल्डहुड एक ऐसा चैप्टर था जो उनके एक अद्भुत बेस दे गया। उनका जन्म
8:56
मिरेकुलस था। उनकी मां साधारण बैकग्राउंड से आई थी और उनका बचपन फुल ऑफ ब्रिलियंस
9:01
था। लेकिन असली धमाका अभी बाकी है। चाइल्डहुड के बाद व्यास ने उठाया एक ऐसा
9:07
कदम जो आज तक किसी ने रिपीट नहीं किया। उन्होंने लिखा महाभारत द ग्रेटेस्ट एपिक
9:13
एवर और अगले पार्ट में हम डिटेल में देखेंगे महाभारत लिखने की कहानी और कैसे
9:19
व्यासा ने एक पूरी सिविलाइजेशन का ब्लूप्रिंट लिख डाला।
9:27
दोस्तों सोचो एक ऐसी किताब जो सिर्फ एक कहानी नहीं बिल्कुल एक पूरा संसार हो। एक
9:35
ऐसी एपिक जो पॉलिटिक्स भी सिखाए, स्पिरिचुअलिटी भी, साइकोलॉजी भी और हम
9:41
ह्यूमन बिहेवियर का सबसे बड़ा एक्सरे भी हो। यह है महाभारत। द ग्रेटेस्ट एपिक एवर
9:48
रिटन बाय वेद व्यासा। और बिलीव मी अगर महाभारत ना होती तो आज हमारा हिस्ट्री,
9:55
कल्चर और डेली लाइफ सब कुछ अलग होता। व्हाई महाभारत इज नॉट जस्ट अ स्टोरी।
10:02
व्यासा जी ने जब महाभारत लिखना शुरू किया था तब उन्होंने डिसाइड किया यह सिर्फ एक
10:08
एपिक नहीं होगा। यह एक मिरर ऑफ ह्यूमन लाइफ होगा। और आज भी महाभारत को कहा जाता
10:17
है व्हाट इज फाउंड हियर मे बी फाउंड एल्सवेयर बट व्हाट इज नॉट फाउंड हियर विल
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नॉट बी फाउंड एनीवेयर जो यहां मिलता है वो कहीं और भी मिलेगा लेकिन जो यहां नहीं है
10:33
वो कहीं भी नहीं मिलेगा। इसका मतलब सिंपल है। महाभारत एक ऐसा इनसाइक्लोपीडिया है जो
10:40
लाइफ के हर एंगल को कवर करता है। राजनीति, धर्म, अर्थ यानी इकोनॉमिक्स, काम यानी
10:48
डिजायर्स, मोक्ष मतलब स्पिरिचुअलिटी, वारे एंड पीस, लॉयलिटी एंड बिट्रियल, लव एंड
10:55
हेट्रड, सैक्रिफाइस एंड ग्रीड मतलब पूरा ह्यूमन साइकोलॉजी एक बुक के अंदर। सोचिए
11:03
आज के जमाने में Netflix सीरीज, गेम ऑफ थ्रोन्स या सीक्रेट गेम्स देखते हो ना?
11:09
उसमें पॉलिटिक्स, पावर, बिट्रेल, ग्रीड सब कुछ होता है। लेकिन महाभारत उससे हजार
11:15
गुना ज्यादा लेयर्ड है। और वह भी बिना किसी डायरेक्टर, वीएफएक्स या बजट के।
11:21
सिर्फ व्यास जी के वर्स ने एक ऐसी दुनिया क्रिएट कर दी जो आज भी रेलेवेंट है। व्यास
11:29
जी को पता था कि उनकी कहानी इतनी विशाल है कि उसे लिखना ह्यूमनली इंपॉसिबल है। सो
11:35
उन्होंने डिसाइड किया कि उन्हें एक डिवाइन स्क्राइब चाहिए जो उनके वर्ड्स को लिख
11:41
सके। और तब उन्होंने अप्रोच किया लॉर्ड गणेशा को। व्यासा और गणेशा एक अनोखी
11:48
जोड़ी। व्यासा ने कहा गणेश जी आप मेरी हेल्प कीजिए महाभारत लिखने में। गणेश जी
11:54
बोले ठीक है पर एक शर्त है मैं बिना रुके लिखूंगा। अगर आपने एक बार भी रुकवाया तो
12:02
मैं छोड़ दूंगा। व्यास ने भी एक शर्त रख दी। ठीक है। पर आप भी हर शब्द लिखने से
12:09
पहले उसका अर्थ समझाओगे। और यह डील फाइनल हो गई। रिजल्ट व्यास तेज तेज बोलते रहे।
12:17
गणेश जी लिखते रहे और महाभारत लिखी गई। सोचिए आज के जमाने में एक ऑथर अपना बुक
12:26
लिखता है और एक टाइपिस्ट बिना रुके उसे टाइप करता है। अगर ऑथर स्लो हो गया तो
12:32
टाइपिस्ट छोड़ देगा। बस वही सीन था। व्यास और गणेश एक अल्टीमेट राइटिंग पेयर बन गए।
12:39
ग्रेट वर्क हमेशा टीम वर्क से होता है। इवन अ जीनियस नीड्स कोबोरेशन। महाभारत का
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कोर कुरुक्षेत्र वार महाभारत का सबसे बड़ा हाईलाइट था कुरुक्षेत्र का युद्ध एक ऐसा
12:52
युद्ध जो सिर्फ 18 दिन चला लेकिन उसने पूरी मानव सभ्यता हिला दी और व्यास ने
13:01
अपने लेखन से उस युद्ध के हर पहलू को इमोर्टल बना दिया। कौरव वर्सेस पांडव का
13:07
संघर्ष, शकुनी के छल, दुर्योधन का अहंकार,
13:12
द्रोपदी का अपमान, अर्जुन का मोह, कृष्ण के उपदेश यानी भगवत गीता।
13:20
अब बात करते हैं द ह्यूमन ड्रामा। महाभारत सिर्फ युद्ध की स्टोरी नहीं थी। यह ह्यूमन
13:25
इमोशंस का इनसाइक्लोपीडिया था। लॉयल्टी, करण का दोस्ती के लिए अपना सब कुछ त्याग
13:32
देना। ग्रीड दुर्योधन का ईगो और लालच जो उसकी हार का कारण बना विज़डम कृष्ण का
13:39
उपदेश जो आज भी गीता में अमर है सैक्रिफाइस भीष्म का आजीवन ब्रह्मचर्य का
13:44
वो रिवेंज द्रोपदी का बदला लेने का संकल्प हर एक कैरेक्टर एक साइकोलॉजिकल लेसन था।
13:53
सोचिए ऑफिस पॉलिटिक्स एक टीम मेंबर अपना काम करता है पर दूसरा उसकी पीठ पीछे
13:59
प्लानिंग करता है। यह तो शकुनी करता था या फिर कोई फ्रेंड जो हमेशा आपके साथ खड़ा
14:06
रहता है वही तो कर्ण था दुर्योधन के लिए। इसीलिए महाभारत सिर्फ एक पुरानी किताब
14:12
नहीं यह आज भी कॉर्पोरेट लाइफ, फैमिली डिस्प्यूट्स और पॉलिटिक्स में रेलेवेंट
14:18
है। भगवत गीता, द सोल ऑफ महाभारत। सबसे
14:23
बड़ा हाईलाइट था भगवत गीता। कुरुक्षेत्र के युद्ध के बीच जब अर्जुन को डाउट हुआ
14:30
मैं अपने ही भाइयों को कैसे मारूं? तब कृष्ण ने कहा यू हैव द राइट टू वर्क बट
14:36
नेवर टू द फ्रूट्स ऑफ वर्क। तुम्हें केवल कर्म करने का अधिकार है। फल की चिंता मत
14:42
करो। और वहीं से निकली फिलॉसफी ऑफ कर्म योगा। मतलब डोंट गेट स्टक इन ओवरथिंकिंग
14:50
डू योर ड्यूटी। रिजल्ट्स अपने आप आएंगे। आगे बात करते हैं महाभारत एस हिस्ट्री एंड
14:56
फिलॉसफी। महाभारत एक तरफ एक इतिहास था। दूसरी तरफ एक फिलॉसफी हिस्ट्री वार किंग्स
15:05
पॉलिटिक्स फिलॉसफी धर्म मोरलिटी स्पिरिचुअलिटी। व्यास ने दोनों को एक साथ
15:11
मिलाकर बना दिया एक ऐसा मास्टर पीस जो आज भी दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य है।
15:18
इन महाभारता द ट्रुथ्स ऑफ लाइफ आर वन वि द थ्रेड्स ऑफ धर्मा महाभारत में जीवन के
15:26
सत्य धर्म की ढोल से बुने गए हैं। अब बात करते हैं व्हाई महाभारत इज रेलेवेंट टुडे।
15:33
आज भी हम महाभारत को पढ़कर अपने जीवन के क्वेश्चन के आंसर ले सकते हैं। फैमिली
15:39
फाइट्स लर्न फ्रॉम पांडवास और कौरवास करियर में डेलोमास अर्जुन और गीता का
15:46
स्यूशन रिलेशनशिप लॉयल्टी करण और दुर्योधन का एग्जांपल पावर पॉलिटिक्स शकुनी और
15:52
दुर्योधन का केस स्टडी महाभारत इज बेसिकली एक लाइफ मैनुअल है। आज के जमाने में
16:02
स्टार्टअप फाउंडर्स अपनी टीम बनाते हैं। अगर टीम में ट्रस्ट और क्लेरिटी नहीं तो
16:08
स्टार्टअप फेल। बस वही महाभारत में हुआ। पांडव टीम के अंदर यूनिटी थी। कौरव टीम
16:15
सिर्फ ईगो रिजल्ट पांडव ने महाभारत जीता।
16:20
मतलब यूनिटी बीट्स ईगो। धर्म बीट्स अधर्मा।
16:26
अब व्यासा का जो जीटीएस था महाभारत में उसकी बात करते हैं। सोचो एक इंसान ने अपने
16:32
दिमाग से लिख दिया 1 लाख श्लोकास 18 परवास यानी सेक्शंस हर एंगल ऑफ लाइफ
16:41
कवर किया और यह लिखने के बाद भी उनका दिमाग क्लियर था। उन्होंने और भी पुराण
16:47
लिखे। कोई भी एक मॉडर्न ऑथर एक बुक लिखने के बाद बर्न आउट फील करता है। लेकिन व्यास
16:54
एक राइटिंग मशीन थे। एक डिवाइन जीनियस। महाभारत इज नॉट जस्ट अ स्टोरी ऑफ़ अ वॉर।
17:00
इट इज द स्टोरी ऑफ मैनकाइंड। महाभारत केवल युद्ध की कहानी नहीं बल्कि मानवता की
17:06
कहानी है। तो दोस्तों, महाभारत सिर्फ एक महाकाव्य नहीं, एक लिविंग गाइड है जो हर
17:12
युग में रेलेवेंट रहेगी। व्यास ने अपने पेन से एक ऐसी दुनिया क्रिएट कर दी जो आज
17:18
भी चल रही है। लेकिन आपको पता है व्यास के जीनियस यहां खत्म नहीं होता। महाभारत के
17:24
बाद उन्होंने किया एक ऐसा काम जो और भी अद्भुत था। उन्होंने वेदास को ऑर्गेनाइज
17:30
किया और पुराणों का निर्माण किया। अगले पार्ट में हम देखेंगे कैसे व्यास ने नॉलेज
17:36
को इमोर्टल बनाया और कैसे उन्होंने हमें दिया एक कंप्लीट स्पिरिचुअल लाइब्रेरी।
17:47
दोस्तों महाभारत लिखने के बाद व्यासा ईली रिटायर हो जाते क्योंकि
17:55
उन्होंने ऑलरेडी दुनिया का सबसे बड़ा एपिक लिख दिया था। लेकिन नहीं उन्होंने डिसाइड
18:01
किया। अगले युग के लोग सिर्फ कहानी से सेटिस्फाई नहीं होंगे। उन्हें चाहिए एक
18:07
सिस्टमेटिक नॉलेज सिस्टम। और वहीं से स्टार्ट हुआ व्यास का अगला महान कार्य।
18:14
वेदास और पुरानास को ऑर्गेनाइज करना। यही काम है जिसने उन्हें बना दिया अमर। द
18:23
चैलेंज ऑफ नॉलेज। उस जमाने में नॉलेज सिर्फ श्रुति यानी सुना हुआ के रूप में
18:31
था। ऋषिज अपने शिष्यों को ओरली सिखाते थे। प्रॉब्लम जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता
18:39
याददाश्त वीक होती गई और रिस्क था कि पूरा ज्ञान खो जाएगा। व्यास ने रियलाइज किया
18:46
अगर मैंने इस ज्ञान को व्यवस्थित करके लिखित रूप नहीं दिया तो आने वाली पीढ़ियां
18:53
अंधी रह जाएंगी। और इसी विज़न के साथ उन्होंने शुरू किया एक ऐसा काम जो किसी भी
19:00
ह्यूमन के लिए ऑलमोस्ट इंपॉसिबल था। सोचिए
19:05
आज के जमाने में एक स्टूडेंट अपना कॉलेज का लेक्चर नोट्स भी प्रॉपर्ली ऑर्गेनाइज
19:11
नहीं कर पाता और व्यास ने पूरा भारतवर्ष का एक्यूमुलेटेड नॉलेज एक जगह कंपाइल कर
19:17
दिया। दैट्स लाइक मेकिंग Google विकपीडिया ऑन लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस सब एक ही इंसान
19:23
के दिमाग से मतलब नॉलेज प्रिजर्व्ड मतलब
19:28
सिविलाइजेशन सेव्ड। अब बात करते हैं डिवीजन ऑफ द वेदास। व्यासा ने सबसे पहले
19:35
किया चार वेदास का डिवीजन। पहला ऋग्वेद उसमें हिम्स यानी स्तुतियां। मोस्टली
19:42
प्रेयर्स टू डाइटीस। देवताओं के लिए प्रार्थना है। दूसरा सामवेदा म्यूजिक और
19:49
चट्स जो रिचुअल्स में गाए जाते थे। तीसरा यजुर्वेदा रिचुअल्स और सैक्रिफाइसेस के
19:56
प्रैक्टिकल गाइडलाइंस रीति रिवाज। चौथा अथर्ववेदा
20:01
डेली लाइफ। दिनचर्या की हीलिंग कैसे ठीक होना है। मंत्रों का उच्चारण और
20:07
स्पिरिचुअल प्रैक्टिस। उन्होंने हर एक वेद को एक अलग डिसिप्लिन को सौंपा।
20:14
पायला को दिया ऋग्वेदा, जाइमिनी को दिया सामवेदा।
20:20
वैशम पयाना को दिया यजुर्वेदा और सुमंतु को अथर्ववेदा। इस तरह नॉलेज एक सिस्टमेटिक
20:29
फॉर्म में फैलिया। व्यास डिवाइडेड द सिंगल वेदा इनू फोर
20:34
पार्ट्स टू प्रिजर्व इट फॉर मैनकाइंड। व्यास ने एक वेद को चार भागों में विभाजित
20:40
किया ताकि मानवता के लिए उसे सुरक्षित रखा जा सके। यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे आज एक
20:48
कंपनी अपना डाटा सर्वर्स में डिवाइड करती है। एक सर्वर वीडियोस के लिए, एक सर्वर
20:56
इमेजेस के लिए, एक सर्वर टेक्स्ट के लिए। व्यास ने भी एक विशाल डेटा को कैटेगरीज
21:03
में डिवाइड कर दिया। इससे क्या पता चलता है? ऑर्गेनाइजिंग
21:08
नॉलेज इज मोर पावरफुल देन जस्ट कलेक्टिंग इट।
21:14
नॉलेज को इकट्ठा नहीं करना। उसको बड़े सही तरीके से संभालना है। अब बात करते हैं द
21:20
क्रिएशन ऑफ पुरानास की। वेदास के बाद व्यास ने एक और मास्टर पीस दिया। 18
21:27
पुराना। यह थे एक तरह से पब्लिक एडिशन ऑफ नॉलेज।
21:33
क्योंकि वेदास ज्यादा कॉम्प्लेक्स और रिचुअलिस्टिक थे। जटिल थे थोड़े। हर इंसान
21:41
वेदास नहीं पढ़ सकता था। इसीलिए व्यास ने बनाए पुरानाज़।
21:47
सिंपल कहानियों के रूप में ज्ञान विष्णु पुराण, शिव पुराण, भगवत पुराण,
21:54
मार्कंड्याय पुराण, ब्रह्म पुराण और ऐसे ही टोटल 18 पुराण। सोचिए आज के जमाने में
22:01
एक आईआईटी प्रोफेसर एडवांस्ड फिजिक्स की किताब लिखता है जो सिर्फ एक्सपर्ट्स समझ
22:09
सकते हैं। फिर वही प्रोफेसर एक सिंपल स्टोरी बुक बनाता है जो बच्चे और आम लोग
22:17
भी ईली समझ सकें। बस वही डिफरेंस था। वेदास मतलब एडवांस एडिशन। पुरानाज़ मतलब
22:24
स्टोरी टेलिंग एडिशन। द पुराणास आर द स्टोरीज दैट ब्रिंग फिलोसफी टू द कॉमन
22:30
मैन। पुराण वे कहानियां हैं जो दर्शन को आदमी तक पहुंचाती हैं।
22:37
सो यहां से यह सीखने को मिलता है कि स्टोरी टेलिंग इज द बेस्ट वे टू ट्रांसफर विज़डम।
22:43
कॉम्प्लेक्स नॉलेज बिकम्स इमोर्टल व्हेन टोल्ड एस स्टोरीज। मतलब अपनी बुद्धिमता को
22:49
किसी में ट्रांसफर करना तो बेस्ट है स्टोरी टेलिंग। और जो जटिल ज्ञान होता है
22:55
वह भी सदियों तक चलता है। इमोर्टल हो जाता है जो ना नष्ट हो सके अगर उसको स्टोरीज की
23:02
फॉर्म में बताया जाए। तो जो व्यासा का विज़न था वो था नॉलेज फॉर ऑल।
23:09
व्यासा की जीनियस बात यह थी कि उन्होंने रियलाइज कर लिया था अगर ज्ञान सिर्फ
23:14
स्कॉलर्स के पास रहेगा तो सोसाइटी डेवलप नहीं करेगी। हर इंसान को नॉलेज मिलना
23:19
चाहिए। चाहे वह किसान हो, व्यापारी हो या राजा। इसीलिए उन्होंने पुरानाज़ बनाए। सो
23:26
दैट सबको एक्सेस हो। बिल्कुल वैसे ही जैसे आज YouTube और पॉडकास्ट ने नॉलेज
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डेमोक्रेटाइज कर दिया है। पहले सिर्फ इलीट क्लास को हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड की एजुकेशन मिलती थी। अब एक गांव का बच्चा भी
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सेम नॉलेज फ्री में एक्सेस कर सकता है। व्यासा ने भी वही काम किया। उन्होंने
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नॉलेज को डेमोक्रेटाइज कर दिया। इससे हमें यह ज्ञान मिलता है कि ट्रू जीनियस मेक्स
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नॉलेज एक्सेसिबल। आगे बात करते हैं व्यास एंड ब्रह्मसूत्रास
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की। व्यास ने सिर्फ वेदास और पुराण ही नहीं बल्कि लिखे ब्रह्मसूत्रास जो वेदांता
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फिलॉसफी का बेस है। यह शॉर्ट एफिज्म थे जो स्पिरिचुअलिटी के अल्टीमेट ट्रुथ्स को
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समराइज करते थे। एग्जांपल अतो ब्रह्मा चजनासा
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अब ब्रह्मा को जानने की इच्छा करनी चाहिए। सोचिए आज के जमाने में कोई प्रोफेसर पूरा
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फिलॉसफी एक WhatsApp स्टेटस के जितने छोटे वाक्य में लिख दे। यही था ब्रह्मसूत्रस का
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स्टाइल। छोटे वाक्य गहरे अर्थ। मतलब डेप्थ इज़ नॉट इन क्वांटिटी बट इन क्वालिटी।
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क्लेरिटी। क्वांटिटी में गहराई नहीं है। गहराई तो क्लेरिटी में है।
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सो अब बात करते हैं इंपैक्ट ऑफ व्यासास वर्क। व्यासा के काम के बिना वेदास खत्म
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हो जाते। पुरानास एकिस्ट ही नहीं करते। वेदांता फिलॉसफी डेवलप नहीं होती और हमारी
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कल्चरल आइडेंटिटी अधूरी होती। व्यासा ने सिर्फ लिखा नहीं उन्होंने एक नॉलेज
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इंफ्रास्ट्रक्चर क्रिएट किया जिसमें सिविलाइजेशन सर्वाइव और थ्राइव कर सके।
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व्यासा इज नॉट जस्ट अ राइटर। ही इज़ द आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन थॉट। व्यासा केवल
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लेखक नहीं बल्कि भारतीय विचारधारा के वस्तुकार हैं। बिल्कुल वैसे ही जैसे स्टीव
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जॉब्स ने Apple का इकोसिस्टम बनाया। फस, एप्स, सर्विसेज सब एक सिस्टम में कनेक्ट।
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विसन ने भी नॉलेज का एक इकोसिस्टम बनाया। वेदास, पुरानास, ब्रह्मसूत्र, महाभारत।
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इससे क्या ज्ञान मिलता है? सिस्टम्स लास्ट लगर देन इंडिविजुअल्स।
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लोग आते जाते रहेंगे, सिस्टम्स चलते रहते हैं। बिल्ड इकोसिस्टम्स नॉट जस्ट
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प्रोजेक्ट्स। एक प्रोजेक्ट पे मतलब तुम काम मत करो, काम करो बट एक इकोसिस्टम बनाओ
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जिससे बार-बार नए-नए प्रोजेक्ट्स आते रह। अब बात करते हैं व्यासास के टाइमलेस लेसन
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की। व्यासा का विज़ का सबसे बड़ा लेसन यह है। सिर्फ अपने लिए जीनियस बनना इनफ नहीं
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है। रियल जीनियस वही है जो अपने नॉलेज को सिस्टम बनाकर अगली पीढ़ियों तक पहुंचा दे।
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आज अगर हम महाभारत, गीता, वेदास, पुराणास पढ़ रहे हैं तो वो व्यासक के फोर साइट की
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वजह से है। थिंक अबाउट डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम। उन्होंने सिर्फ मिसाइल टेक्नोलॉजी
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ही नहीं बनाई बल्कि अपने बुक्स और स्पीचेस के जरिए लाखों युवाओं को इंस्पायर किया।
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विस भी वही कर गए। उनका नॉलेज इमोर्टल हो गया। नॉलेज दैट डाइस विद यू इज वेस्टेड। जो
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ज्ञान आपके साथ चला गया वो तो वेस्ट हो गया। एक चार्टर्ड अकाउंटेंट है वो अपनी नॉलेज अपने साथ ले गई। उनका स्वर्गवास हो
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गया तो नॉलेज तो साथ में ही चली गई। ट्रू जीनियस लिव्स फॉर एवर थ्रू ह वर्क। ऐसा
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काम करो कि आपकी जीनियस चलता रहे। अल्बर्ट आइंस्टाइन महात्मा गांधी उनका जो काम है
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वह चलता जा रहा है। तो दोस्तों व्यासा ने एक ऐसी लाइब्रेरी बना दी जो आज भी लाखों
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लोगों के लिए मार्गदर्शन है। उन्होंने वेदास को ऑर्गेनाइज किया। पुरानाज़ लिखे। ब्रह्मसूत्रास दिए एक कंप्लीट इकोसिस्टम
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ऑफ नॉलेज। लेकिन एक सवाल यहां खड़ा होता है। एक इंसान जो इतना महान था, इतना
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क्रिएटिव था। क्या उसने अपने जीवन में कभी दुख दर्द संघर्ष फेस नहीं किया? क्या उनकी
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लाइफ सिर्फ एक स्ट्रेट लाइन ऑफ सक्सेस थी? अगला पार्ट पार्ट फाइव होगा सबसे ज्यादा
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इमोशनल और पावरफुल। व्यासा के जीवन का संघर्ष, उनकी लेगसी और उनसे निकलने वाली
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जीवन पार्ट। और एंड में मैं दूंगा एक धमाकेदार रिककैप प्लस मोटिवेशनल कंक्लूजन।
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दोस्तों हर कहानी का एक अंत होता है।
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लेकिन व्यास जी की कहानी का अंत नहीं क्योंकि उनकी लिखी हुई किताबें और उनका
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ज्ञान आज भी चल रहा है। व्यास सिर्फ एक इंसान नहीं थे। वह एक विचारधारा थी। एक
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सिस्टम थे। एक ऐसी शक्ति थी जो आज भी हमारे डिसीजंस, हमारी सोच और हमारी जिंदगी
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को इन्फ्लुएंस करती है। बात करते हैं व्यास जी के पर्सनल स्ट्रगल्स की। व्यास जितने महान थे उनका
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जीवन उतना ही संघर्षों से भरा था। उन्होंने दुनिया को महाभारत दी। वेदास को
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ऑर्गेनाइज किया। पुराणास लिखे लेकिन उनके खुद के जीवन में भी दुख था। पहला फैमिली
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कॉन्फ्लिक्ट्स। महाभारत के मुख्य कररेक्टर्स पांडव और कौरव इनडायरेक्टली
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व्यासा के ही वंशज थे। मतलब जिस युद्ध का उन्होंने वर्णन किया वह उनकी अपनी फैमिली
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का युद्ध था। दूसरा लोनलीनेस इतना बड़ा जीनियस होने के बावजूद व्यासा अकेले पड़
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जाते थे। उनकी तपस्या उन्हें सोसाइटी से अलग कर देती थी। तीसरा हैवी
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रिस्पांसिबिलिटी। इमेजिन कीजिए एक इंसान के शोल्डर्स पर पूरा सिविलाइजेशन का नॉलेज
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सेव करने की रिस्पांसिबिलिटी हो और वह प्रेशर व्यास जी ने झेला।
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आज के जमाने में भी देखिए एक सीईओ या विज़नरी लीडर दुनिया के लिए एक हीरो होता
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है। बट पर्सनली वो डिप्रेशन, स्ट्रेस और लोनलीनेस फेस करता है। बिल्कुल वही व्यासा
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के साथ भी हुआ। इससे सीखने को मिलता है कि जीनियस भी
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इंसान होता है। स्ट्रगल्स के बिना ग्रेटनेस कंप्लीट नहीं होती।
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व्यास जी की कहानी से निकलते हैं कुछ ऐसे लेसंस जो आज के 18 से 45 एज ग्रुप के लिए
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लाइफ चेंजिंग है। पहला बैकग्राउंड डजंट डिफाइन डेस्टिनी। व्यासा एक मछुआरे की
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बेटी से जन्मे थे। आज भी हम एक्सक्यूसेस देते हैं। मेरी
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फैमिली रिच नहीं। मेरे पास रिसोर्सेज नहीं। व्यासा के पास भी कुछ नहीं था। बस
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जिज्ञासा और तपस्या। और वही उन्हें बनाया गया इतिहास का सबसे
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बड़ा जीनियस। इससे हम सीखते हैं एक्सक्यूज़ेस मत दो।
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एफर्ट शुरू करो। दूसरा ऑर्गेनाइज योर नॉलेज। व्यास ने वेदास को चार भागों में
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डिवाइड करके दिखाया कि ऑर्गेनाइज्ड नॉलेज ही सिविलाइजेशन को बचाता है। आज हम अपना
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डाटा, अपने गोल्स, अपनी लर्निंग को ऑर्गेनाइज नहीं करते और इसी वजह से
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कंफ्यूज रहते हैं। तो कहने का मतलब है क्लेरिटी क्रिएट्स
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पावर। तीसरा स्टोरी टेलिंग इज द स्ट्रांगेस्ट टूल। पुराना एक एग्जांपल है।
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व्यास ने फिलॉसफी को कहानियों के रूप में दिया। आज भी एक अच्छा यूबर या
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एंटरप्रेन्योर वही करता है। स्टोरीज के थ्रू विडम डिलीवर करता है। मतलब फैक्ट्स
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इनफॉर्म एंड स्टोरीज ट्रांसफर। चौथा ड्यूटी अबव कंफर्ट।
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भगवत गीता का सार है डू योर ड्यूटी विदाउट वरिंग अबाउट रिजल्ट्स। अर्जुन को भी डाउट
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था लेकिन कृष्ण ने बोला कर्म कर फल की चिंता छोड़ आज के युद्ध के लिए यही सबसे
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बड़ा मंत्र है। फोकस ऑन एफर्ट रिजल्ट्स विल फॉलो पांचवा बिल्ड फॉर जनरेशंस। व्यास
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ने ऐसा सिस्टम बनाया जो हजारों साल तक चल रहा है। वो अपने लिए नहीं फ्यूचर के लिए
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लिख रहे थे। आज अगर हम भी अपना काम सिर्फ आज के लिए नहीं बल्कि अगले 50 साल के लिए करें तो हम
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भी इमोर्टल बन जाएंगे। डोंट जस्ट मेक मनी मेक लेगसी।
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चलिए दोस्तों अब एक छोटी सी रिवाइंड करते हैं। पार्ट वन में हमने देखा व्यासा का
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परिचय। उनका नाम, उनके पहचान और उनकी इंटेलेक्चुअल पावर। पार्ट टू में उनके
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मिरेकल्स, जन्म और चाइल्डहुड कैसे एक मछुआरे की बेटी और एक ऋषि के मिलन से आया
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एक वॉकिंग इनसाइक्लोपीडिया। पार्ट थ्री महाभारत। दुनिया का सबसे बड़ा
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महाकाव्य, एक ऐसी किताब जो लाइफ के हर एस्पेक्ट को कवर करती है। पार्ट फोर वेदास
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और पुरानास व्यासा का नॉलेज इकोसिस्टम जहां उन्होंने कॉम्प्लेक्स विडम को
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ऑर्गेनाइज और सिंपलीफाई किया। पार्ट फाइव उनकी स्ट्रगल्स, उनके लाइफ लेसंस और उनकी
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अमर लेगसी। व्यासा की लेगसी इतनी विशाल है कि उन्हें
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एक टाइटल दिया गया वेदव्यासा यानी वेदास को ऑर्गेनाइज करने वाला व्यासा। और आज भी
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हर गुरु शिष्य परंपरा में कहा जाता है व्यास विष्णु रूपाया व्यासार रूपाया
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विष्णुवे व्यास विष्णु के रूप है और विष्णु व्यास के रूप मतलब व्यास एक डिवाइन
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एंबोडीमेंट है नॉलेज का बिल्कुल वैसे ही जैसे मॉडर्न दुनिया आइंस्टाइन को साइंस का
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सिंबल मानती है शेक्सपियर को लिटरेचर का उसी तरह व्यास को इंडियन सिविलाइजेशन
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नॉलेज का सिंबल माना जाता है। व्यास मतलब नॉलेज प्लस विज़न प्लस इम्मोर्टलिटी। अगर
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आप अपने काम को लिगसी बना दो तो आप कभी नहीं मरते।
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दोस्तों व्यास की कहानी एक सिंपल मैसेज देती है। जीनियस बनने के लिए बैकग्राउंड
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नहीं तपस्या चाहिए। अगर आप अपना ज्ञान सिर्फ अपने पास रखो तो वह मर जाएगा। अगर
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आप उसे दुनिया के साथ शेयर करो तो आप अमर हो जाओगे। व्यास ने हमें दिखाया कि एक
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इंसान अपनी लेखनी से सिविलाइजेशन बना सकता है और अगर उन्होंने कर दिखाया
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यह काम थाउजेंड्स ऑफ इयर्स पहले तो हम क्या नहीं कर सकते आज के जमाने में जिंदगी
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छोटी है लिगसी बड़ी बनाओ दोस्तों अगर आपको व्यासा जी की ये अमर कहानी पसंद आई तो
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लाइक बटन दबाओ कमेंट में बताओ कि व्यासा की लाइफ से आपने सबसे बड़ा लेसन क्या निकाला और ऐसे ही पावरफुल कहानियों के
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चैनल को सब्सक्राइब करो क्योंकि अगली वीडियो में हम लेकर आएंगे एक और महान
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व्यक्तित्व की ऐसी कहानी जो आपकी सोच बदल दे। तब तक याद रखो व्यासा की तरह अपना
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ज्ञान और मेहनत दुनिया के साथ शेयर करो क्योंकि वही है असली अमरता।