ओशो का रहस्य: मन से परे असली ज़िन्दगी | Beyond Psychology Summary
Sep 20, 2025
क्या आप जानते हैं कि आपकी ज़िन्दगी की सारी परेशानियाँ आपके दिमाग़ (Mind) के illusions हैं? 🤯 Osho अपनी किताब Beyond Psychology में बताते हैं कि कैसे हम society, family और religion के traps में फँस जाते हैं… और असली आज़ादी awareness और meditation से मिलती है। इस वीडियो में हम Beyond Psychology by Osho का पूरा Hinglish (हिंदी + English) summary लेकर आए हैं, narration-ready style में। 👉 जानिए कैसे: Ego सिर्फ़ एक illusion है Society आपको consciously slave बनाती है Authenticity और awareness आपकी असली ताक़त हैं सच्चा प्यार freedom है, ownership नहीं Death का सामना करके ही असली जीवन जीया जा सकता है ⚡ यह वीडियो आपको Osho के सबसे गहरे विचारों से रूबरू कराएगा।
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जरा सोचिए अगर आपकी सारी परेशानियां, आपकी
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सारी दौड़भा, आपकी सारी टेंशन, सिर्फ आपके
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माइंड के इल्लुजंस हो तो ओशो कहते हैं
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माइंड इज द प्रॉब्लम नॉट द स्यूशन यानी
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दिमाग ही जड़ है हर उलझन की। और इसी को
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समझने के लिए है उनकी किताब बिय्ड
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साइकोलॉजी। नमस्ते दोस्तों, आज से हम शुरू
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कर रहे हैं एक धमाका सीरीज ओशो की किताब
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बिय्ड साइकोलॉजी का डीप समरी और वो भी
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इंग्लिश स्टाइल में यानी कि हिंदी के अपने
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शब्द प्लस इंग्लिश के जज्बात। यह सीरीज हम
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फाइव पार्ट्स में डिवाइड करेंगे। हर पार्ट
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में हम एक नया पर्सपेक्टिव समझेंगे। ओशो
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के थॉट्स, उनके कोड्स और उनको अपनी डेली
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इंडियन लाइफ से कनेक्ट करेंगे। और हां, हर
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पार्ट के एंड में मिलेगा आपको एक छुपा हुआ
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क्लिफ हैंगर जो आपको मजबूर करेगा नेक्स्ट
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पार्ट देखने के लिए। चलते हैं अध्याय नंबर
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एक पर। द इल्लुजन ऑफ द माइंड। ओशो एक लाइन
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बोलते हैं जो दिल को हिला देती है। माइंड
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इज अ ब्यूटीफुल सर्वेंट बट अ डेंजरस
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मास्टर।
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हिंदी में मन एक खूबसूरत नौकर है लेकिन
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खतरनाक मालिक। सोच के देखिए। आजकल जिंदगी
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में हमारी रेस किसके लिए है? एग्जाम्स,
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जॉब्स, सोशल मीडिया पर लाइक्स,
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रिलेशनशिप्स की स्ट्रेस और इन सब का
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प्रेशर दिमाग ही तो क्रिएट करता है। एक 25
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साल का लड़का चंडीगढ़ में सुबह उठते ही
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फोन स्क्रॉल करता है। रील्स, मीम्स और
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दोस्तों की ट्रैवल पिक्स। उसका दिमाग उसको
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बोलता है, तू लूजर है। देख सब कहां पहुंच
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गए? रियलिटी। कुछ भी नहीं हुआ। सिर्फ
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माइंड का इल्लुजन है। ओशो यही बताते हैं
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कि माइंड कास्टेंटली कंपैरिजन और कंपटीशन
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में फंसाता है और जब तक तुम इस माइंड के
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स्लेव हो तुम्हें पीस नहीं मिलेगी। माइंड
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को कंट्रोल करना मत सीखो। उसको समझना
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सीखो। अध्याय नंबर दो ड्रॉपिंग द ईगो। ओशो
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कहते हैं ईगो इज जस्ट एन आईडिया। इट हैज़
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नो एक्सिस्टेंस। अहंकार सिर्फ एक ख्याल
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है। उसकी कोई वास्तविकता नहीं। हमारी सबसे
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बड़ी प्रॉब्लम है अहंकार। घर में देखो,
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ऑफिस में देखो, रिलेशनशिप्स में देखो। ईगो
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हर जगह लड़ाई का रीजन है। एक कपल की छोटी
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सी बात हो जाए, लड़की बोलती है, तुम कभी
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मुझे समझते ही नहीं। लड़के के दिमाग में
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तुरंत ट्रिगर होता है। मैं इतना करता हूं।
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पर तुम कह रही हो मैं समझता नहीं। बस ईगो
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हर्ट होता है और फाइट शुरू।
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ओशो कहते हैं कि अगर तुम ईगो ड्रॉप कर दो
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तो लाइफ एकदम लाइट फील होती है। जितना
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बड़ा अहंकार उतनी बड़ी प्रॉब्लम, जितना
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छोटा अहंकार उतनी बड़ी फ्रीडम। अध्याय
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नंबर तीन अवेयरनेस वर्सेस साइकोलॉजी।
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साइकोलॉजी कहती है तुम्हारा बिहेवियर।
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तुम्हारी चाइल्डहुड कंडीशनिंग, तुम्हारी
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हैबिट्स डिफाइन करती है तुम्हें। लेकिन
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ओशो कहते हैं अवेयरनेस कैन ब्रेक एव्री
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कंडीशनिंग। अवेयरनेस इज द की टू फ्रीडम।
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सजगता ही आजादी की चाबी है। सोचो एक छोटी
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सी बात। तुम्हें बचपन से बोला गया तुम
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मैथ्स में वीक हो और अब तुमने मान लिया कि
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तुम्हारा फ्यूचर मैथ्स रिलेटेड फील्ड में
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नहीं हो सकता। लेकिन अगर तुम एक दिन पूरे
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अवेयरनेस के साथ समझो कि यह बस एक बिलीफ
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है जो मुझे फीड किया गया तो तुम उसको तोड़
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सकते हो। एक 30 साल का बंदा जो हर बार
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इंटरव्यू में फेल होता था। जब उसने यह
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समझा कि फेल होना उसकी किस्मत नहीं है। बस
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एक पैटर्न है जिसे वह तोड़ सकता है। उस
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दिन से उसकी लाइफ चेंज हो गई। कंडीशनिंग
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के बीच भी एक छोटी सी अवेयरनेस तुम्हें
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फ्री कर देती है। अध्याय नंबर चार लिविंग
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इन द प्रेजेंट। ओशो कहते हैं द पास्ट इज
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नो मोर। द फ्यूचर इज नॉट येट। ओनली द
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प्रेजेंट इज। अतीत अब नहीं है। भविष्य अभी
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आया नहीं है। सिर्फ वर्तमान है। हमारी
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सबसे बड़ी प्रॉब्लम क्या है? या तो हम
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पास्ट के रिग्रेट्स में जीते हैं। वो
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एग्जाम क्लियर कर लेता तो या फ्यूचर की
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ए्जायटी में कल का इंटरव्यू फेल हो गया तो
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रिजल्ट हम प्रेजेंट मिस कर देते हैं। एक
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दिल्ली का आईटी एम्प्लाइज सोचता रहता है
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अगर मैं ऑन साइड यूएस गया तो लाइफ सेट
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होती। लेकिन वो अभी के मोमेंट में अपनी
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चाय की चुस्की एंजॉय ही नहीं कर पाता। ओशो
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बोलते हैं प्रेजेंट मोमेंट ही असली लाइफ
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है। अगर तुम अभी को जी लो तो तुम्हें और
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तुम ऑटोमेटिकली फुलफिल्ड हो जाओगे। जिंदगी
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अभी चल रही है फोन की स्क्रीन पर नहीं
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तुम्हारी धड़कनों में। अध्याय पांच
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मेडिटेशन द पाथ बिय्ड साइकोलॉजी। ओशो
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मेडिटेशन को एक अल्टीमेट स्यूशन मानते
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हैं। मेडिटेशन इज आर्ट ऑफ बीइंग अवेयर ऑफ
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व्हाट इज हैपनिंग इनसाइड एंड आउटसाइड
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विदाउट जजिंग। ध्यान वह कला है जिसमें आप
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भीतर और बाहर हो रही घटनाओं को बिना जज
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किए देखते हैं। मेडिटेशन का मतलब सिर्फ
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मंदिर में बैठना नहीं है। यह हर जगह हो
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सकता है। तुम खाना खाओ, तुम वॉक करो, तुम
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फ्रेंड से बात करो। बस अवेयरनेस के साथ एक
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22 साल का कॉलेज लड़का जो डिप्रेशन फील
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करता था उसने सिर्फ 10 मिनट डेली मेडिटेशन
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शुरू की। धीरे-धीरे उसने रियलाइज किया कि
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उसका माइंड नेगेटिव थॉट्स क्रिएट करता है।
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लेकिन वो उनसे अटैच होना छोड़ दिया।
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रिजल्ट उसकी लाइफ एक नई एनर्जी से भर गई।
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मोटिवेशन तुम्हें लाइफ के ट्रैफिक से
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निकालकर अपने अंदर के साइलेंस तक ले जाती
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है। तो दोस्तों, अभी तक हमने जाना कि
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माइंड एक सर्वेंट है, मास्टर नहीं। ईगो एक
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इल्लुजन है। अवेयरनेस ही फ्रीडम है। सिर्फ
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प्रेजेंट ही रियलिटी है और मेडिटेशन ही वो
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पाथ है जो तुम्हें माइंड के इल्लुजंस से
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बाहर ले जाता है। लेकिन अब सवाल है क्या
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सिर्फ मेडिटेशन से तुम माइंड के सारे
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ट्रैप्स से बाहर आ सकते हो? या इसके पीछे
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कोई और सीक्रेट है जो ओशो खोलते हैं? इसका
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जवाब हम पार्ट टू में डिस्कवर करेंगे।
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होगा और भी एक्सप्लोसिव क्योंकि ओशो वहां
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बताते हैं व्हाई सोसाइटी डजंट वांट यू टू
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बी फ्री और कैसे तुम्हें कॉन्शियसली स्लेव
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बनाया जाता है।
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सोचिए जरा अगर आपका पूरा समाज, आपका पूरा
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एजुकेशन सिस्टम और यहां तक कि आपके अपने
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पेरेंट्स भी आपको सीक्रेटली एक स्लेव
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बनाने की कोशिश कर रहे हो तो हां ओशो यही
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कहते हैं सोसाइटी सर्वाइव्स ओनली इफ यू आर
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नॉट फ्री यानी समाज की पूरी मिशनरी आपके
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फ्रीडम के खिलाफ काम करती है दोस्तों
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पार्ट वन में हमने समझा माइंड एक सर्वेंट
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है मास्टर नहीं ईगो एक इल्लुजन है
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अवेयरनेस ही फ्रीडम है प्रेजेंट ही असली
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रियलिटी है मेडिटेशन ही रास्ता है माइंड
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से बाहर जाने का अब पार्ट टू में हम गहराई
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में उतरेंगे क्यों सोसाइटी नहीं चाहती कि
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आप सच में फ्री हो। अध्याय छ सोसाइटी एंड
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स्लेवरी। यशु कहते हैं सोसाइटी एकिस्ट
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बिकॉज़ यू आर रिप्रेस्ड। समाज इसीलिए टिकता
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है क्योंकि आप दबाए गए हैं। सोचिए अगर हर
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इंसान सच में इंडिपेंडेंट, क्रिएटिव और
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फ्री हो जाए तो क्या होगा? कोई भी बेकार
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जॉब नहीं करेगा। कोई भी बेवजह रूल्स फॉलो
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नहीं करेगा। कोई भी लोग क्या कहेंगे कि डर
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में नहीं जिएगा। और यही तो है जो सोसाइटी
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नहीं चाहती। भारत में हर घर में एक ही बात
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सुनाई देती है। डॉक्टर बनो, इंजीनियर बनो,
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आईएएस बनो। रेयरली कोई बोलता है पोएट बनो,
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डांसर बनो। क्यों? क्योंकि सोसाइटी को
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चाहिए ओबिडिएंट रोबोट्स ना कि क्रिएटिव
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रैबल्स। सोसाइटी को तुमसे डर है क्योंकि
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तुम अगर सच में फ्री हो गए तो वह तुम्हें
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कंट्रोल नहीं कर पाएगी। अध्याय सात
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एजुकेशन इज अ कंडीशनिंग मशीन। ओशो कहते
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हैं एजुकेशन इज नथिंग बट अ वे टू
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डिस्ट्रॉय योर ओरिजिनलिटी। शिक्षा बस आपकी
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मौलिकता को नष्ट करने का एक तरीका है।
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स्कूल और कॉलेज का सिस्टम क्या करता है?
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यूनिफार्म पहनो। सेम सिलेबस पढ़ाओ। सेम
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एग्जाम्स दो। सेम करियर बनाओ। रिजल्ट
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ओरिजिनल सोच मर जाती है। एक 10 साल का
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बच्चा क्लास में ड्राइंग बनाता है। टीचर
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बोलती है यह मत बनाओ। तो यह सिलेबस में
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नहीं है। बच्चे का क्रिएटिव माइंड हो वहीं
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दब जाता है। 15 साल बाद वही बच्चा एमबीए
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करता है। लेकिन अंदर से क्रिएटिव बच्चा
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कहीं खो चुका होता है। एजुकेशन आपको सोचने
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नहीं देती। सिर्फ रिपीट करने के लिए ट्रेन
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करती है। अध्याय आठ रिलीजन फियर का
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बिजनेस। रिलीजन के बारे में ओशो बहुत
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क्लियर है। ऑल रिलीजंस हैव एक्सप्लइटेड
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मैन थ्रू फियर एंड ग्रीड। सभी धर्मों ने
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मनुष्य का शोषण किया है डर और लालच के
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जरिए। डर अगर तुमने यह नहीं किया तो नर्क
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मिलेगा। लालच अगर तुमने यह किया तो स्वर्ग
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मिलेगा। यह दोनों ही ट्रिक्स इंसान को
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डिपेंडेंट रखते हैं। एक आदमी सोचता है अगर
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मैं रोज पूजा नहीं करूंगा तो भगवान नाराज
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हो जाएंगे। अब वो पूजा कर रहा है डिवोशन
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से नहीं डर से। यही साइकोलॉजी है। ओशो
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कहते हैं असली स्पिरिचुअलिटी डर और लालच
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से ऊपर उठती है। सच्चा धर्म है फियर से
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फ्री होना ना कि फियर में जीना। अध्याय नौ
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फैमिली प्रेशर। ओशो एक और गहरी बात कहते
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हैं। द फैमिली इज द फर्स्ट प्रजन। परिवार
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पहली जेल है। पेरेंट्स सोसाइटी के छोटे
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एजेंट्स होते हैं। वो अपने बच्चों पर अपने
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अधूरे सपनों का बोझ डालते हैं। एक लड़की
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को म्यूजिक पसंद है। लेकिन पेरेंट्स कहते
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हैं म्यूजिक से क्या होगा? सीए बनो। लड़की
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मजबूरी में कॉमर्स पढ़ती है लेकिन अंदर से
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टूट जाती है। और मानते हैं कि फैमिली भी
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अनजाने में आपको फ्री होने से रोकती है।
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पेरेंट्स आपको जन्म देते हैं लेकिन अक्सर
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आपकी आत्मा को मार देते हैं। अध्याय नंबर
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10 ब्रेकिंग द चेंज। तो स्यूशन क्या है?
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क्या हमें सोसाइटी, एजुकेशन, रिलीजन,
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फैमिली सब कुछ छोड़ देना चाहिए? और कहते
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हैं डोंट फाइट द सोसाइटी जस्ट सी इट्स
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गेम। समाज से लड़ो मत। बस उसका खेल देखो।
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अवेयरनेस से आप सोसाइटी के सारे ट्रैप्स
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देख सकते हैं। पर जब आप देख लेते हैं तो
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वह आपकी पकड़ नहीं सकती। वह आपको सोसाइटी
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आपको पकड़ नहीं सकती। अगर आपको पता है कि
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एड्स आपको मैनपुलेट करते हैं तो आप उन पर
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कंट्रोल पा सकते हो। लेकिन अगर आप अनअवेयर
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हो तो आप हर प्रोडक्ट खरीदते जाएंगे।
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ट्रैप को जान लेना ही ट्रैप से बाहर
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निकलना है। तो दोस्तों अभी हमने जाना
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सोसाइटी को जरूरत है रिप्रेस्ड लोगों की।
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एजुकेशन ओरिजिनलिटी डिस्ट्रॉय करती है।
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रिलीजन फियर और ग्रीड पर चलता है। फैमिली
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पहला प्रजन है और अवेयरनेस ही आपको उन सब
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चेंज से फ्री करती है। लेकिन अब सवाल है
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अगर सोसाइटी, फैमिली और रिलीजंस सब हमें
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मैनपुलेट करते हैं तो हम अपनी
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इंडिविजुअलिटी कैसे डिस्कवर करें? इसका
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जवाब ओशो देते हैं पार्ट थ्री में। अगला
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पार्ट होगा और भी ज्यादा आयु अपनी क्योंकि
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ओशो वहां बताते हैं व्हाट इट रियली मीन्स
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टू लिव ऑथेंटिकली यानी असली इंडिविजुअलिटी
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कैसे पैदा होती है? असली पहचान कौन है? वो
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जो सोसाइटी ने दी है, तुम एक स्टूडेंट हो,
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तुम एक डॉक्टर हो, तुम एक फादर हो। या फिर
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कोई और ओशो कहते हैं, योर इंडिविजुअलिटी
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इज हिडन अंडर बोरोड आइडेंटिटीज। यानी आपकी
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असली इंडिविजुअलिटी
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उन लेबल्स के नीचे दब गई है जो दूसरों ने
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आप पर चिपकाए हैं। पार्ट वन में हमने
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माइंड, ईगो और मेडिटेशन समझा। पार्ट टू
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में सोसाइटी, एजुकेशन, रिलीजन और फैमिली
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के ट्रैप्स खोले। और अब पार्ट थ्री में हम
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जानेंगे इंडिविजुअलिटी क्या है और ऑथेंटिक
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जिंदगी कैसे जी जाए? अध्याय 11 बोरोड
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आइडेंटिटीज। ओशु कहते हैं यू आर लिविंग
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विद बोरोड नॉलेज, बोरोड कैरेक्टर, बोरोड
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आइडियाज। आप उधार के ज्ञान, उधार के
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चरित्र और उधार के विचारों के साथ जी रहे
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हैं। पेरेंट्स कहते हैं तुम्हें सक्सेसफुल
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बनना है। टीचर्स कहते हैं यह सब्जेक्ट
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तुम्हारे लिए सही है। रिलीजन कहता है यह
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करो वरना पाप होगा। सोसाइटी कहती है लोग
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क्या कहेंगे? इन सबके बीच असली में खो
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जाता है।
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जैसे कोई बंदा जो बीकॉम करना चाहता था
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लेकिन फैमिली के दबाव में इंजीनियरिंग कर
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गया। बाहर से वो इंजीनियर है लेकिन अंदर
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से खाली है। यही बोरोड आइडेंटिटी है।
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बोरोड आइडेंटिटी से सिर्फ बोरोड लाइफ
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मिलती है। अध्याय 12 ऑथेंटिसिटी द रियल
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फ्रीडम। ओशु कहते हैं ऑथेंटिसिटी इज टू बी
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योरसेल्फ विदाउट फियर विदाउट मास्क।
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प्रामाणिकता बिना डर बिना नकाब के खुद
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होना। ऑथेंटिक इंसान का मतलब है जो सोचता
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है वही बोलता है और जो बोलता है वही करता
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है। अगर आपको म्यूजिक पसंद है लेकिन
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सोसाइटी कहती है सीए बनो तो ऑथेंटिसिटी
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यही होगी कि आप म्यूजिक चुने। अगर आप किसी
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को ना कहना है लेकिन आप डर के मारे हां
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कहते हैं तो आप ऑथेंटिक नहीं है। ऑथेंटिक
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इंसान कभी लूज नहीं करता। या तो जीता है
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या सीखता है। अध्याय 13 ड्रॉपिंग मास्क।
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हम सब मास्क पहनकर जी रहे हैं। ऑफिस में
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प्रोफेशनल मास्क। घर में ओबिडिएंट बेटा
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बेटी का मास्क। सोशल मीडिया पर हैप्पी और
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कूल इंसान का मास्क। ओशो कहते हैं ड्रॉप
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ऑल मास्क एंड यू विल फाइंड योर ओरिजिनल
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फेस। सभी मुखौटे गिरा दो और तुम अपना असली
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चेहरा पाओगे। Instagram पर लोग खुश दिखते
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हैं लेकिन अंदर से डिप्रेस्ड होते हैं।
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मास्क है। एक आदमी बाहर दोस्तों में बोल्ड
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बनता है लेकिन घर जाकर रोता है। मास्क है।
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मास्क उतारना पेनफुल है। लेकिन जरूरी है।
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मास्क जितना मोटा पेन उतना गहरा। अध्याय
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14 लिविंग ऑथेंटिकली इन इंडियन
14:01
कॉन्टेक्स्ट। अब सवाल यह है ऑथेंटिक रहना
14:04
आसान नहीं है। भारत जैसे देश में जहां हर
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जगह जजमेंट है, लोग क्या कहेंगे? ओशु कहते
14:09
हैं, द ग्रेटेस्ट करेज इज टू बी योरसेल्फ
14:11
इन अ वर्ल्ड दैट कास्टेंटली ट्राइ टू मेक
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यू समबडी एल्स। सबसे बड़ा साहस है इस
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दुनिया में खुद होना जो तुम्हें हर समय
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कोई और बनाने की कोशिश करती है। एक लड़की
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दिल्ली में जींस पहन पहनकर निकलती है और
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लोग कमेंट्स करते हैं अगर वो फिर भी वही
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पहनती है तो उस उसे कंफर्टेबल है तो वो
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ऑथेंटिक है। एक लड़का बॉलीवुड एक्टर बनना
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चाहता है लेकिन फैमिली सीए बनाना चाहती
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है। अगर वह अपने सपने के पीछे जाता है तो
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वह ऑथेंटिक है। ऑथेंटिसिटी का दूसरा नाम
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है हिम्मत।
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अध्याय नंबर 15 रिस्पांसिबिलिटी ऑफ बीइंग
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ऑथेंटिक। ऑथेंटिक होने का मतलब सेल्फिश
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होना नहीं है। ओशु कहते हैं व्हेन यू आर
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ऑथेंटिक यू टेक फुल रिस्पांसिबिलिटी ऑफ
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योर लाइफ। जब आप प्रामाणिक होते हैं, आप
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अपनी जिंदगी की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं।
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यानी अगर आपने अपना रास्ता चुना है तो
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ब्लेम मत करो। अगर आपने म्यूजिक चुना है
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तो स्ट्रगल भी एक्सेप्ट करो। अगर आपने
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बिजनेस चुना है तो लॉस भी एक्सेप्ट करो।
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ऑथेंटिक इंसान एक्सक्यूसेस नहीं देता।
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रिस्पांसिबिलिटी लेता है। एक्सक्यूसेस
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मास्क वाले देते हैं। रिस्पांसिबिलिटी
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ऑथेंटिक लोग लेते हैं। अध्याय 16 अवेयरनेस
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प्लस ऑथेंटिसिटी इक्वल टू ट्रांसफॉर्मेशन।
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ओशो एक फार्मूला देते हैं। अवेयरनेस प्लस
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ऑथेंटिसिटी इक्वल टू ट्रांस
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ट्रांसफॉर्मेशन। अवेयरनेस आपको ट्रैप्स
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दिखाती है। ऑथेंटिसिटी आपको असली सेल्फ
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जीने देती है और दोनों मिलकर आपकी लाइफ
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ट्रांसफॉर्म कर देते हैं। एक 28 साल की
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लड़की कॉर्पोरेट जॉब में अनहै थी।
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अवेयरनेस आई कि यह जॉब उसके लिए नहीं है।
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ऑथेंटिसिटी आई कि उसने फैमिली से साफ कहा
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मैं यह छोड़ रही हूं और आर्ट पर्स्यू कर
16:00
रही हूं। अब वो एक सक्सेसफुल पेंटर है।
16:04
अवेयरनेस बिना ऑथेंटिसिटी अधूरी है और
16:07
ऑथेंटिसिटी के बिना अवेयरनेस अंधी है। तो
16:11
दोस्तों अब हमने जाना बोरोड आइडेंटिटीज
16:14
हमें फेक लाइफ जीने पर मजबूर करती हैं।
16:17
ऑथेंटिसिटी का मतलब है खुद होना बिना डर
16:20
बिना मास्क। मास्क उतारना पेनफुल है लेकिन
16:22
जरूरी है। ऑथेंटिसिटी हिम्मत मांगती है और
16:26
रिस्पांसिबिलिटी भी। अवेयरनेस और
16:28
ऑथेंटिसिटी मिलकर ट्रांसफॉर्मेशन लाती है।
16:30
लेकिन अब सवाल है जब हम ऑथेंटिक हो जाते
16:33
हैं तो हमारी रिलेशनशिप्स पर क्या असर
16:36
पड़ता है? क्या दोस्ती, प्यार, शादी सब
16:39
बदल जाते हैं? इसका जवाब ओशो देते हैं
16:42
पार्ट फोर में। अगला पार्ट रिलेशनशिप्स पर
16:45
होगा जहां ओशो बताते हैं लव विदाउट
16:47
अटैचमेंट। फ्रीडम विदाउट फियर यानी कैसे
16:51
सच्चा प्यार ओनरशिप नहीं बल्कि फ्रीडम
16:54
देता है। प्यार यह शब्द सुनते ही दिल में
16:59
एक्साइटमेंट भी आता है और डर भी। लेकिन ओश
17:02
कहते हैं लव इज फ्रीडम नॉट पोजेशन। यानी
17:05
असली प्यार कभी बंधन नहीं होता बल्कि
17:08
आजादी देता है। सवाल है क्या हमारे रिश्ते
17:10
सच में ऐसे हैं? पार्ट वन में माइंड, ईगो
17:14
और मेडिटेशन हमने देखा। पार्ट टू में कैसे
17:16
सोसाइटी, फैमिली और रिलीजन के ट्रैप्स में
17:18
हम फंसते हैं। पार्ट थ्री में
17:20
इंडिविजुअलिटी और ऑथेंटिसिटी। और अब पार्ट
17:23
फार फोर में हम उतरेंगे सबसे पर्सनल ज़ोन
17:26
में। लव रिलेशनशिप्स और फ्रीडम। अध्याय 17
17:31
लव वर्सेस अटैचमेंट। ओशो कहते हैं, लव इज
17:35
द फ्रेगेंस ऑफ़ फ्रीडम। अटैचमेंट इज द
17:37
स्मेल ऑफ प्रज़न। प्यार स्वतंत्रता की
17:40
खुशबू है। लगाव जेल की बदबू। ज्यादातर लोग
17:44
सोचते हैं कि प्यार मतलब ओनरशिप। तुम
17:47
सिर्फ मेरे हो। तुम्हें सिर्फ मेरी बात
17:50
माननी होगी। लेकिन यह प्यार नहीं यह
17:52
अटैचमेंट है। एक लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को
17:55
हर 10 मिनट में कॉल करता है। कहां हो?
17:58
किससे बात कर रहे हो? यह इनसिक्योरिटी है।
18:01
प्यार नहीं। असली प्यार वही है जिसमें आप
18:04
दूसरे को स्पेस देते हैं। प्यार में
18:07
पकड़ना नहीं होता। छोड़ना होता है। अध्याय
18:10
18 फ्रीडम इन रिलेशनशिप्स। ओशो कहते हैं
18:13
इफ लव गिव्स यू चे्स इट इज नॉट लव लव
18:18
ऑलवेज गिव्स यू विंग्स अगर प्यार तुम्हें
18:22
जंजीरें देता है तो वह प्यार नहीं है
18:24
प्यार हमेशा तुम्हें पंख देता है सोचिए
18:26
अगर आपका पार्टनर सच में आपको लव करता है
18:29
तो वह चाहेगा कि आप ग्रो करें अपने सपने
18:32
पूरे करें एक पत्नी अपने हस्बैंड से कहती
18:34
है तुम अपना बिजनेस शुरू करो रिस्क लो मैं
18:37
तुम्हारे साथ खड़ी हूं यह फ्रीडम वाला लव
18:39
है लेकिन अगर वह कहे सेफ जॉब मत छोड़ना
18:42
वरना हम खत्म हो जाएंगे। यह फियर वाला
18:44
अटैचमेंट है। जहां डर है वहां प्यार नहीं
18:47
है। जहां प्यार है वहां डर नहीं है।
18:50
अध्याय 19 व्हाई रिलेशनशिप्स फेल। ओशो के
18:54
हिसाब से ज्यादातर रिलेशनशिप फेल इसीलिए
18:56
होती है क्योंकि लोग पार्टनर को बदलना
18:59
चाहते हैं। यू डोंट लव द पर्सन यू लव योर
19:02
आईडिया ऑफ द पर्सन। आप इंसान से नहीं
19:05
इंसान के बारे में अपनी कल्पना से प्यार
19:07
करते हैं। एक लड़की सोचती है उसका
19:10
बॉयफ्रेंड परफेक्ट होगा हमेशा केयरिंग
19:12
हमेशा अवेलेबल। लेकिन जब रियलिटी में वो
19:15
अलग निकलता है तो क्लैश होता है। असल में
19:17
हम पार्टनर से प्यार नहीं करते। हम अपनी
19:20
फेंटसी से प्यार करते हैं। और जब वो
19:22
फेंटसी टूटती है तब दर्द होता है।
19:25
एक्सपेक्टेशंस ही लव किलर हैं। अध्याय 20
19:30
लव विदाउट पोज़ेसिवनेस। ओशु कहते हैं लव
19:33
शुड नॉट बी अ रिलेशनशिप। इट शुड बी अ
19:36
स्टेट ऑफ बीइंग।
19:38
प्यार कोई रिश्ता नहीं एक अस्तित्व की
19:42
अवस्था होना चाहिए। यानी आप प्यार इसलिए
19:45
करते हैं क्योंकि आप प्यार से भरे हुए हैं
19:46
ना कि इसलिए कि आपको बदले में कुछ चाहिए।
19:50
जैसे सूरज की रोशनी सबको मिलती है वैसे ही
19:53
आपका प्यार भी फ्री फ्लो होना चाहिए। बिना
19:56
कंडीशन बिना डिमांड अगर हस्बैंड वाइफ से
20:00
बोले मैं तुमसे इसलिए प्यार करता हूं
20:03
क्योंकि तुम मेरी देखभाल करती हो तो यह
20:06
ट्रांजैक्शन है प्यार नहीं सच्चा प्यार
20:09
होगा मैं तुमसे इसलिए प्यार करता हूं
20:11
क्योंकि मैं प्यार से भरा हुआ हूं। प्यार
20:14
दो लोगों का सादा नहीं आत्मा की ओवरफ्लू
20:18
है। अध्याय 21 लव एंड अलोनलेस
20:22
ओशो एक गहरी बात करते हैं। अनलेस यू कैन
20:25
बी हैप्पी अलोन यू कैन नॉट बी हैप्पी
20:28
टुगेदर। जब तक आप अकेले में खुश नहीं रह
20:32
सकते। आप साथ में भी खुश नहीं रह सकते।
20:36
बहुत लोग लव में इसलिए जाते हैं क्योंकि
20:39
वह अकेलेपन से भागना चाहते हैं। लेकिन ओशो
20:42
कहते हैं पहले अकेले रहकर कंप्लीट बनो। जब
20:47
तुम अकेले में भी खुश रहो तभी तुम किसी और
20:51
के साथ सच में प्यार कर सकते हो। अगर एक
20:55
लड़का अंदर से एम्प्टी है और वो
20:56
गर्लफ्रेंड सिर्फ अपनी लोनलेसनेस भरने के
20:59
लिए चाहता है तो वो कभी सेटिस्फाइड नहीं
21:02
होगा।
21:03
लेकिन अगर वह पहले खुद में कंप्लीट है तो
21:06
उसका प्यार ज्यादा प्योर होगा। खाली लोग
21:10
प्यार नहीं करते। वो यूज करते हैं। अध्याय
21:14
22 मैरिज एंड फ्रीडम। ओशो मैरिज को भी एक
21:19
ट्रैप मानते हैं अगर उसमें फ्रीडम नहीं
21:21
हो। मैरिज इज ब्यूटीफुल ओनली इफ इट
21:24
हेल्प्स बोथ टू ग्रो। अदरवाइज इट इज अ
21:27
प्रजन। शादी तभी सुंदर है अगर वह दोनों को
21:30
ग्रो करने दे। वरना वो जेल है। भारत में
21:33
मैरिज को सेक्रेड बॉन्ड माना जाता है।
21:36
लेकिन ओशो कहते हैं सेक्रेट तब है जब
21:38
उसमें इंडिविजुअलिटी और ग्रोथ हो। अगर
21:42
मैरिज सिर्फ ड्यूटी और कॉम्प्रोमाइज पर
21:44
टिक रही है तो वो जंजीर है। एक हस्बैंड
21:47
अपनी पत्नी से कहता है तुम्हें हर हाल में
21:50
मेरे पेरेंट्स की बात माननी होंगी। यह
21:52
जबरदस्ती है। लेकिन अगर वो कहे तुम अपनी
21:54
चॉइस से जियो मैं सपोर्ट करूंगा। तब मैरिज
21:58
सच में लव बनती है। मैरिज का मतलब केज
22:01
नहीं विंग्स होना चाहिए। तो दोस्तों हमने
22:04
जाना लव और अटैचमेंट में अंतर। फ्रीडम यह
22:08
प्यार की असली पहचान है। रिलेशनशिप्स फेल
22:11
होती है एक्सपेक्टेशंस और फेंटसी की वजह
22:14
से। असली प्यार डिमांड नहीं करता। सिर्फ
22:18
देता है। एलोननेस पहले सीखो तभी टुगेदरनेस
22:22
सक्सेसफुल होगी। मैरिज सीक्रेड है अगर वह
22:26
ग्रोथ और फ्रीडम दे। लेकिन अब सवाल है अगर
22:29
लव और रिलेशनशिप्स भी माइंड के इल्लुजंस
22:32
से भरे हुए हैं तो असली स्पिरिचुअल फ्रीडम
22:35
कैसे मिलेगी? इसका जवाब ओशो देते हैं
22:37
पार्ट फाइव में। अगला पार्ट होगा इस सीरीज
22:40
का सबसे पावरफुल हिस्सा। जहां ओशु बताते
22:43
हैं मेडिटेशन, डेथ और बिय्ड साइकोलॉजी
22:46
यानी कैसे हम आखिरी ट्रुथ फेस करते हैं और
22:50
उससे भी परे जाते हैं।
22:54
सोचिए कल सुबह अगर आप उठे ही नहीं क्या
22:59
होगा? ओशो कहते हैं ओनली बाय फेसिंग डेथ
23:03
यू स्टार्ट लिविंग ट्रूली। यानी मौत का
23:07
सामना करके ही असली जिंदगी जीना शुरू होती
23:10
है। और यही है इस किताब का सबसे गहरा सच।
23:15
अब पार्ट फाइव में डेथ मेडिटेशन और बियड
23:18
साइकोलॉजी को हम डिस्कस करेंगे। अध्याय 23
23:21
डेथ द अल्टीमेट ट्रुथ। ओशो कहते हैं डेथ
23:25
इज नॉट द एंड इट इज द बिगिनिंग ऑफ अ न्यू
23:28
जर्नी। मृत्यु अंत नहीं है। यह एक नई
23:32
यात्रा की शुरुआत है। हमारी सबसे बड़ा डर
23:35
क्या है? मौत। लेकिन ओशो कहते हैं मौत से
23:38
डरना नहीं। इसको सेलिब्रेट करना चाहिए।
23:41
भारत में किसी की डेथ होती है तो घर मातम
23:43
में डूब जाता है। लेकिन अगर हम समझे कि
23:45
डेथ सिर्फ एक ट्रांजिशन है तो हमारी सोच
23:48
बदल जाए। योशु कहते हैं जो आदमी मौत को
23:50
एक्सेप्ट कर लेता है वो सच में फियरलेस
23:52
जीता है। जिसने मौत को गले लगा लिया उसके
23:56
लिए जिंदगी में कोई डर नहीं बचता। अध्याय
23:59
24 मेडिटेशन द की बियों्ड साइकोलॉजी ओशो
24:02
बार-बार कहते हैं मेडिटेशन इज द ओनली वे
24:05
टू गो बियों्ड साइकोलॉजी मेडिटेशन इज
24:08
गोइंग बियों्ड द माइंड बिय्ड थॉट्स इनू
24:10
साइलस ध्यान का मतलब है मन से परे जाना
24:14
विचारों से परे जाकर मौन में उतरना
24:17
मेडिटेशन आपको दो गिफ्ट्स देती है पहला
24:19
अवेयरनेस आप माइंड के इल्लुजंस को पहचानते
24:22
हो दूसरा साइलेंस आप एक स्पेस में जाते हो
24:26
जहां कोई थॉट नहीं सिर्फ शांति
24:29
एक 35 साल का आदमी हर रोज स्ट्रेस में जी
24:32
रहा था। जब उसने मेडिटेशन शुरू की,
24:35
धीरे-धीरे उसने अपने माइंड की रनिंग
24:38
कमेंट्री को ऑब्जर्वर की नजर से देखना
24:42
शुरू किया और वहीं से उसकी हीलिंग शुरू
24:44
हुई। ध्यान वो दरवाजा है जो तुम्हें माइंड
24:47
की जेल से बाहर ले जाता है। अध्याय 25
24:50
बिय्ड माइंड बिय्ड साइकोलॉजी। ओशो कहते
24:54
हैं साइकोलॉजी कैन ओनली स्टडी द माइंड बट
24:56
ट्रुथ इज बिय्ड माइंड। मनोविज्ञान सिर्फ
25:00
मन का अध्ययन कर सकता है लेकिन सत्य मन से
25:03
परे है। साइकोलॉजी आपको एनालाइज करता है।
25:07
कैटेगराइज करता है। इंट्रोवर्ट,
25:09
एक्सट्रोवर्ट, डिप्रेस्ड, एशियस। लेकिन
25:11
मेडिटेशन आपको फ्री करता है हर लेबल से।
25:14
अगर डॉक्टर आपको कहे कि आप एशियस हैं तो
25:16
आप उस लेबल के साथ जीने लगते हो। लेकिन
25:19
अगर आप मेडिटेशन करो तो आप समझते हो कि यह
25:22
ए्जायटी आप नहीं हो। यह सिर्फ माइंड का
25:25
क्लाउड है।
25:27
लेबल्स साइकोलॉजी देता है। फ्रीडम
25:29
मेडिटेशन देता है। अध्याय 26 द आर्ट ऑफ
25:32
डाइंग लिविंग फुली। ओशो एक बहुत गहरी बात
25:35
कहते हैं। इफ यू लर्न हाउ टू डाई, यू लर्न
25:38
हाउ टू लव। अगर आप मरना सीख लें तो जीना
25:41
भी सीख जाएंगे। मरना सीखना मतलब हर पल
25:45
पुरानी चीजों को छोड़ना। पुराना गुस्सा
25:47
छोड़ो। पुरानी ग्रिजेस छोड़ो, पुरानी
25:49
आदतें छोड़ो। हर दिन छोटे-छोटे डेथ
25:53
एक्सेप्ट करके ही आप फ्रेश जी सकते हो। एक
25:57
इंसान जिसने अपनी पुरानी फेलियर स्टोरीज
26:00
छोड़ दी, वो नई ओपोरर्चुनिटीज को ओपन
26:02
हार्ट से ले पाया। हर पल मरना सीखो। हर पल
26:05
जीना सीखो। अध्याय 27 सेलिब्रेशन द वे ऑफ
26:10
ओशो। ओशो कहते हैं लाइफ शुड नॉट बी अ
26:12
टेंशन। इट शुड बी अ सेलिब्रेशन। जिंदगी
26:15
टेंशन नहीं उत्सव। होना चाहिए। जब आप
26:19
मेडिटेशन से माइंड से ऊपर उठते हैं, डेथ
26:23
को एक्सेप्ट करते हो, तब आपकी पूरी लाइफ
26:25
एक सेलिब्रेशन हो जाती है। ओशो के कम्यून
26:29
में लोग डांस करते थे, लाफ करते थे,
26:31
मेडिटेट करते थे क्योंकि उनके लिए
26:33
स्पिरिचुअलिटी का मतलब था सेलिब्रेशन ना
26:36
कि सीरियस होना। स्पिरिचुअल होना मतलब
26:39
सीरियस नहीं होना, सेलिब्रेट होना है।
26:42
दोस्तों बिय्ड साइकोलॉजी के इस पूरे सफर
26:45
में हमने जाना पार्ट वन माइंड सर्वेंट है,
26:47
मास्टर नहीं, ईगो इल्लुजन है, अवेयरनेस और
26:50
मेडिटेशन की है। पार्ट टू सोसाइटी,
26:53
एजुकेशन, रिलीजन और फैमिली हमें स्लेव
26:55
बनाते हैं। अवेयरनेस से हम फ्री हो सकते
26:57
हैं। पार्ट थ्री ऑथेंटिसिटी का मतलब है
27:00
मास्क हटाकर खुद होना। बोरोड आइडेंटिटीज
27:03
छोड़ना। पार्ट फोर लव इज इक्वल टू फ्रीडम
27:07
अटैचमेंट इज इक्वल टू प्रजन अलोन होकर ही
27:09
टुगेदर रहना पॉसिबल है। पार्ट फाइव डेथ को
27:13
एक्सेप्ट करना मेडिटेशन से साइलेंस पाना
27:15
और लाइफ को सेलिब्रेशन में बदलना ही असली
27:18
फ्रीडम है। तो दोस्तों ओशो का मैसेज साफ
27:21
है। माइंड से परे जाओ। ऑथेंटिसिटी से
27:23
जियो। लव को फ्रीडम की तरह देखो। डेथ को
27:26
एक्सेप्ट करो और मेडिटेशन से बिय्ड
27:28
साइकोलॉजी पहुंचो। यही असली जिंदगी है।
27:31
फियरलेस, फ्री और फुल ऑफ सेलिब्रेशन। अगर
27:35
आपको यह पूरी सीरीज पसंद आई हो तो इस
27:37
वीडियो को लाइक करो। कमेंट में बताओ कि
27:39
ओशो की कौन सी बात आपके दिल को सबसे
27:42
ज्यादा लगी और चैनल को सब्सक्राइब करना मत
27:45
भूलना ताकि और भी ऐसी जबरदस्त बुक समरीज
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आप तक पहुंचती रहे। धन्यवाद।
27:53
हम्म