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एक बार अज्ञात वास के दौरान पांडवों ने
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भगवान श्री कृष्ण से अपने कष्टों का कारण
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पूछा श्री कृष्ण ने कहा यह सब पितृ ऋण के
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कारण है तब श्री कृष्ण के कहने पर पांडवों
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ने ओंकार पर्वत पर मां नर्मदा और कावेरी
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संगम के पावन तट पर भगवान शिव की ऋण
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मुक्तेश्वर रूप में आराधना की और ऋण
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मुक्तेश्वर मंदिर की स्थापना की
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यहां आज भी लाखों श्रद्धालु चने की दाल से
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रुद्राभिषेक करते हैं और समस्त प्रकार के
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कर्जों से मुक्ति पाते हैं चाहे वह भौतिक
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ऋण हो कर्म ऋण हो या पितृ ऋण
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यह प्राचीन मंदिर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
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के 4 किमी लंबे ओम आकार के परिक्रमा मार्ग
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पर स्थित है जहां शिवपुत्री नर्मदा और
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कावेरी का पवित्र संगम भी
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है अब आप भी इस पावन स्थान पर आकर या घर
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बैठे भी ऑनलाइन ऋण मुक्ति पूजा कर सकते