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बहुत समय पहले की बात है। जंगलपुर नाम का
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एक खूबसूरत और घना जंगल था। उस जंगल में
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हर तरह के जानवर मस्ती से मिलजुल कर रहते
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थे। उस जंगल में एक मोटा सा प्यारा सा
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हाथी भी रहता था, जिनका नाम गप्पू था।
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गप्पू को खाना सबसे ज्यादा पसंद था। इसलिए
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वह हमेशा रोज कुछ नया खाने की तलाश में
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रहता था। एक दिन गप्पू जंगल में
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घूमते-घूमते एक पेड़ के पास पहुंचा। जहां
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उसे एक अनोखा आम का पेड़ दिखाई दिया। उस
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पर बड़े-बड़े और सुनहरे आम लटक रहे थे।
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आमों की खुशबू इतनी जबरदस्त थी कि गप्पू
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का पेट खुद ही गुड़गुड़ करने लगा। गप्पू
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ने बिना सोचे समझे एक आम को तोड़कर खा
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लिया। बस आम खाते ही गप्पू हवा में उड़ने
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लगा। वो चौक गया। अरे यह क्या? मैं तो उड़
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रहा हूं। गप्पू चिल्लाया। जंगल के सारे
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जानवर उसे उड़ते देखकर हैरान रह गए। चिनकी
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गिलहरी बोली, गप्पू भाई आपने क्या खा
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लिया? गप्पू बोला, "यह तो जादुई आम है। जो
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खाएगा मेरी तरह उड़ेगा।" अब जंगल के सभी
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जानवर उस आम के पीछे भागने लगे। लेकिन तभी
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बूढ़ा और समझदार कछुआ काका आया और बोला,
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रुको। यह आम हर किसी के लिए नहीं है। यह
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पेड़ राजा सिंह के आदेश से संरक्षित है।
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सब चुप हो गए। लेकिन गप्पू को अपनी गलती
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का एहसास हुआ। वो उड़ते-उड़ते वापस आ चुका
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था और उसने कछुआ काका से माफी मांगी। कछुआ
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काका मुस्कुराए लेकिन अब तुम्हें एक काम
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करना होगा। क्या काम? गप्पू ने पूछा।
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तुम्हें हर रोज छोटे जानवरों को फल और
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खाना पहचाना होगा। जैसे तुमने आम खाकर मजा
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लिया वैसे ही सबको भी मदद मिलनी चाहिए।
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गप्पू ने वादा किया और अब वो हर दिन जंगल
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के सभी जानवरों को खाना बांटेगा। सभी
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जानवर उसे अब प्यार से खुशियों वाला गप्पू
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कहने लगे और उस दिन से गप्पू ने सीखा कि
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असली मजा तो बांटने में है और जादू तो
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दूसरों की मदद करने में है।