इंसान खुद को दुनिया की सबसे विकसित प्रजाति मानता है…
लेकिन क्या हम जानवरों से अलग हैं?
या हम बस कपड़े पहने हुए बंदर हैं?
Desmond Morris की किताब The Naked Ape बताती है कि:
🐒 हमारी body language कहाँ से आई?
🍖 खाना, sex, aggression – evolution में क्यों जरूरी थे?
👨👩👧👦 परिवार और समाज कैसे बने?
🤫 हमारी प्राचीन प्रवृत्तियाँ आज भी हमें कैसे control करती हैं?
😨 हम डरते क्यों हैं? गुस्सा क्यों होता है? धोखा क्यों देते हैं?
यह video एक रोमांचक सफ़र है—
जहाँ हम समझेंगे हम कौन हैं? और ऐसे क्यों हैं?
📚 Book: The Naked Ape
✍️ Author: Desmond Morris
🎙️ Hindi Audiobook Summary by: Think Better Hindi
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0:00
द नेकर्ड एप हम इंसान आखिर किस जानवर से
0:05
अलग हैं? टेस्म मॉरिस एक जलॉजिस्ट थे।
0:10
मतलब जानवरों का वैज्ञानिक। उन्होंने
0:14
इंसान को भी जानवर की नजर से देखा और एक
0:17
शॉकिंग बात कही। हम इंसान भी एक जानवर है।
0:21
बस थोड़ा सा सिविलाइज हो गए। हम अपने शरीर
0:25
पर कपड़े पहनते हैं, टेक्नोलॉजी बनाते
0:28
हैं, बिल्डिंग खड़ी करते हैं। लेकिन नेचर
0:32
कहती है हम अभी भी वही नेकेड एप है जो कभी
0:37
जंगलों में घूमता था। इस किताब का मकसद
0:41
यही है। इंसान को जानवर के असली रूप में
0:45
समझना। क्यों हम ऐसे सोचते हैं? क्यों
0:48
झगड़ते हैं? क्यों प्यार चाहते हैं? क्यों
0:51
डरते हैं? क्यों दिखावा करते हैं? इसका
0:54
जवाब हमारे एववोल्यूशन में छुपा है।
0:59
इंसान मतलब एप प्लस इमेजिनेशन।
1:03
हमारे सबसे नजदीकी रिश्तेदार कौन? बंदर
1:07
नहीं राजू का चंपू नहीं असल में चिंपासी।
1:11
96% डीएनए मैच। गोरिल्ला बोनोबो इन सबकी
1:17
तरह हम भी एक एब हैं। फर्क बस इतना एब्स
1:22
बालों से ढके हुए ह्यूमंस मोस्टली हेयरलेस
1:26
एब्स पेड़ों में रहते ह्यूमंस घर बनाते।
1:31
एब्स लिमिटेड कम्युनिकेशन करते और ह्यूमंस
1:35
कॉम्प्लेक्स लैंग्वेज। एब्स इंस्टिंक्ट से
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चलते ह्यूमंस इमेजिनेशन से चलते हैं। हमने
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कपड़े पहने कहीं छिपाकर बाल कम दिखाए और
1:47
खुद को स्पेशल मान लिया। इसलिए मॉरिस कहते
1:51
हैं हम है एक जानवर जो खुद को जानवर मानने
1:55
से इंकार करता है। हमारे चार असली काम
2:00
जंगल से शहर आने तक इंसान की जिंदगी चार
2:04
मुख्य और कामों पर चलती रही। पहला खाने की
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तलाश जिसने हमें बनाया हंटर। दूसरी
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सुरक्षा इसके लिए हम बने डिफेंडर।
2:15
तीसरा परिवार उसके लिए वजूद में आई मीटिंग
2:18
एंड पेरेंटिंग। चौथा अपनी जगह बनाना उसके
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लिए आई सोशल हेरार्की। आज हम कितने भी
2:26
मॉडर्न हो जाए हमारी हर एक्टिविटी किसी ना
2:30
किसी तरह इन्हीं चार जरूरतों से निकलती
2:33
है। नौकरी क्यों? खाना चाहिए, पैसा चाहिए,
2:39
जीवित रहने के लिए शादी रिश्ते क्यों?
2:42
परिवार बनाना, स्टेटस, पैसा, इनाम क्यों?
2:46
हरारकी। आर्मी, पुलिस क्यों, सुरक्षा चाहे
2:50
Netflix हो, सोशल मीडिया हो, जिम हो या
2:53
डेटिंग ऐप। सब जंगल वाले दिमाग की नई
2:56
वर्जन है।
2:59
हंटर का दिमाग अभी भी जिंदा है। पहले
3:02
इंसान रोज शिकार करता था। दौड़ता था, पेड़
3:06
चढ़ता था। भूखे रहने की आदत थी। आज हम एसी
3:10
रूम में बैठे बैठे दिन में कितनी दौड़ा?
3:14
हार्डली जीरो। लेकिन शरीर अभी भी वही है
3:17
जो रनिंग प्लस हंटिंग के लिए बना था। इस
3:21
मिसमैच से ही मोटापा, डायबिटीज, ए्जायटी,
3:25
डिप्रेशन बढ़ते हैं। हमारा शरीर पुराने
3:28
युग में अटका है पर दुनिया नई हो चुकी है।
3:31
वी स्टिल फियर लाइक एब्स। जंगल में हर
3:34
आवाज खतरा हो सकती थी। इसलिए दिमाग ने
3:38
फियर सिस्टम बहुत स्ट्रांग बनाया। आज कोई
3:41
शेर नहीं आता। पर दिमाग अभी भी डराता है।
3:45
फ्यूचर का डर, जॉब का डर, रिलेशनशिप का
3:48
डर, सोसाइटी क्या सोचेगी इसका डर? हम
3:51
आधुनिक कपड़े पहनते हैं। पर दिमाग आज भी
3:55
जंगल के रूल्स पर चलता है। सोशल हरारकी
3:58
में सबसे बढ़िया। जानवर ग्रुप में एक लीडर
4:02
होता है जिसके पास खाना और पार्टनर का
4:04
अधिकार ज्यादा। इंसान ने भी यही किया।
4:07
अधिक पैसा मतलब अधिक पावर। बड़ी गाड़ी
4:11
मतलब बड़ा दर्जा, बड़ी पोस्ट मतलब सम्मान
4:15
और खूबसूरत पार्टनर मतलब स्टेटस। हम
4:18
सेल्फी क्यों लेते हैं? सोशल मीडिया पर शो
4:21
ऑफ क्यों करते हैं? सीधा सा कारण ऊपर
4:24
दिखने की पुरानी एनिमल इंस्टिंक्ट। हमने
4:27
जंगल छोड़ा पर हैरार्की का खेल नहीं
4:30
छोड़ा।
4:32
लव, सेक्स और फैमिली। यह नेचर का प्लान
4:35
है। टेस्टमैन मॉरिस कहते हैं, लव कोई
4:38
मैजिक नहीं। नेचर का सबसे स्मार्ट ट्रिक
4:41
है ताकि दो लोग मिलने के बाद साथ रहे और
4:45
बच्चा जीवित रहे। पहले जैसे ही फीमेल
4:49
चूजेस द बेस्ट मेल। मेल कमपीट्स टू
4:52
इंप्रेस। दोनों मिलकर बच्चे की सुरक्षा।
4:56
सोशल रिचुअल्स बदल गए। मंडप फेरे। डायमंड
5:00
रिंग्स पर असली रीज़न वही है। स्ट्रांग
5:02
ऑफस्प्रिंग सर्वाइवल। हम रोमांटिक महसूस
5:06
करते हैं। पर असली खेल बायोलॉजी खेल रही
5:09
होती है।
5:12
नेकडनेस इंसान के सबसे अलग दिखता है।
5:15
हमारे शरीर पर बाल कम क्यों? क्योंकि
5:17
दौड़ने में आसानी। गर्मी में पसीना तेजी
5:20
से निकलता। डिजीज कम लगती और सबसे बड़ा
5:24
कारण नजदीकी रिश्तों में स्किन टच
5:27
बॉन्डिंग बढ़ती है। लोग एक दूसरे के करीब
5:30
आते हैं। यही फैमिली सिस्टम को मजबूत
5:33
बनाता है। इसलिए हमारा शरीर भी प्यार के
5:36
लिए डिजाइन हुआ है। ह्यूमन फेस मतलब
5:41
कम्युनिकेशन का सबसे बड़ा हथियार हमारे
5:44
चेहरे की मसल 40 प्लस है। माइक्रो
5:47
एक्सप्रेशनंस बनाती है जो बोले बिना मैसेज
5:50
भेजती है। मुस्कान का मतलब मैं दोस्त हूं।
5:54
गुस्सा का मतलब दूरी रखो। दुख का मतलब
5:57
मुझे सहारा चाहिए। और अट्रैक्शन का मतलब
6:00
कनेक्शन चाहिए। एब्स बॉडी लैंग्वेज से बात
6:03
करते हैं। हम फेस से बातें कर लेते हैं।
6:07
इसीलिए इंसान ने सबसे तेजी से सोसाइटी
6:11
बनाई। अब आते हैं क्रिएटिविटी एंड
6:14
इमेजिनेशन। असली फर्क। चिंपाजी टूल्स
6:18
बनाता है। ह्यूमंस दुनिया बना देते हैं।
6:21
हम सोच सकते हैं कल क्या होगा? मैंने सपने
6:24
में क्या देखा? मैंने अपनी दुनिया कैसी
6:27
बनाना चाहता हूं। यही इमेजिनेशन ने हमें
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जंगल से चांद पर पहुंचा दिया। हम एप ही
6:34
हैं। पर सोच में सुपर एप बन गए।
6:39
आगे चलते हैं। अभी तक हमने देखा कि हम
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इंसान भी एक एप है। बस कपड़े पहनकर मॉडर्न
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हो गए हैं। लेकिन दिमाग अभी भी जंगल वाले
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नियम मानता है। आगे हम समझेंगे हम प्यार
6:53
क्यों करते हैं? परिवार क्यों बनाते हैं?
6:55
ईर्ष्या क्यों होती है? और बच्चा पालना
6:59
इतना इंपॉर्टेंट क्यों है? इन सवालों का
7:01
जवाब हमारी एनिमल इंस्टिंक्ट्स में छुपा
7:04
है। लव मतलब सर्वाइवल का सबसे बड़ा टूल।
7:08
टेस्टमेंट मॉरिस कहते हैं प्यार नेचर का
7:11
सबसे स्मार्ट खोज है ताकि दो लोग साथ रहे
7:15
और बच्चा सुरक्षित रहे। जंगल में बच्चा
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अपने पेरेंट्स के बिना सर्वाइव नहीं कर
7:21
सकता था। इसीलिए नेचर ने यह सिस्टम बनाया।
7:24
अट्रैक्शन, रोमांस, इमोशन, कमिटमेंट,
7:28
पेरेंटिंग। सब चाइल्ड सर्वाइवल के लिए बना
7:31
है ना कि सिर्फ हैप्पीनेस के लिए। हम
7:34
सोचते हैं हम प्यार के लिए शादी करते हैं।
7:37
नेचर कहती है बच्चा पालने के लिए साथ रहो।
7:43
सेक्स सिर्फ मजा नहीं है। यह नेचर का
7:46
सर्वाइवल प्रोग्राम है। इंसान साल भर
7:49
सेक्सुअली एक्टिव रहता है। किसी भी सीजन
7:51
में बच्चा पैदा कर सकता है। फेस टू फेस
7:54
इंटिमेसी पसंद करता है। क्यों? क्योंकि
7:57
फेस टू फेस क्लोजनेस से बॉन्डिंग स्ट्रांग
8:01
होती है। इमोशंस शेयर होते हैं। रिलेशनशिप
8:04
लंबा चलता है और रिलेशनशिप स्ट्रांग रहेगा
8:07
तो बच्चा सर्वाइव करेगा। यानी सेक्स मतलब
8:11
पेयर बॉन्डिंग क्लू। इसीलिए मॉरिस कहते
8:14
हैं हमारी बॉडीज भी प्यार को लॉन्ग
8:17
लास्टिंग बनाने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
8:20
आगे बात करते हैं जेलसी। यह प्यार की
8:23
कमजोरी नहीं सुरक्षा है। जब मेल और फीमेल
8:26
पेयर बन बनाते हैं तभी एक खतरा होता है।
8:30
कोई और मेल पार्टनर चुरा ले। बच्चा किसी
8:33
और का हो जाए। रिसोर्सेज बांटने पड़े।
8:36
इससे बचने के लिए नेचर ने जेलसी को जन्म
8:39
दिया। इंसान को बुरा लगता है जब पार्टनर
8:42
किसी और में इंटरेस्ट दिखाए। क्योंकि यह
8:45
एनिमल ब्रेन की टेरिटरी डिफेंस है। हम
8:49
कहते हैं आई एम पजेसिव। बायोलॉजी कहती है
8:52
दिस इज सर्वाइवल इंस्टिंक्ट। जेलसी का काम
8:55
रिलेशनशिप को प्रोटेक्ट करना।
8:59
अब बात करते हैं व्हाई फीमेल्स चूज़
9:01
केयरफुली। नेचर के अनुसार फीमेल की चॉइस
9:05
सबसे पावरफुल होती है। क्यों? क्योंकि
9:07
बच्चा उसके शरीर से बनता है। उसकी सुरक्षा
9:11
भी वही करती है। उसके शरीर की एनर्जी भी
9:14
वही लगाती है। इसलिए वह चाहती है बेस्ट
9:17
पार्टनर जो प्रोटेक्ट करे जो रिसोर्सेज दे
9:20
जो लॉयल्टी रखे जो बच्चा पालने में साथ
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दे। इसीलिए फीमेल सिलेक्शन स्ट्रांग होती
9:27
है और मेल कंपटीशन ज्यादा होता है।
9:32
व्हाई मेल्स शो ऑफ सो मच? पीकॉक पंख
9:36
फैलाता है। लायन दहाड़ता है। गोरिल्ला
9:39
चेस्ट थंपिंग करता है। इंसान एक्सपेंसिव
9:42
कैजेट्स, बिग कार्स, ब्रांडेड क्लोथ्स,
9:45
फिजिकल फिटनेस, सोशल स्टेटस सब इंप्रेस
9:49
करने का खेल है। टेस्टमेंट, मोरस कहते हैं
9:53
मेल शो ऑफ इज सेक्सुअल सिग्नलिंग। हम
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सेल्फी क्यों लेते हैं? सोशल मीडिया पर
10:00
हाईलाइट क्यों करते हैं? क्योंकि एनिमल
10:03
नेचर कहती है, मुझे बेस्ट पार्टनर चाहिए।
10:07
सो दिखाओ कि तुम अच्छे हो।
10:11
अब चलते हैं पेरेंटिंग की तरफ। सबसे बड़ा
10:13
प्रूफ कि हम ये हैं। जितना टाइम और एनर्जी
10:17
हम अपने बच्चों पर लगाते हैं। वैसा कोई और
10:20
जानवर नहीं लगाता। लंबे समय तक दूध
10:22
पिलाना, वॉकिंग, स्पीकिंग, सोशल रिचुअल्स
10:26
या रूल्स सिखाना, इमोशनल सपोर्ट देना और
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एजुकेशन में सालों लगाना। इसका साइंटिफिक
10:33
रीजन इंसान का दिमाग बहुत कॉम्प्लेक्स है।
10:37
इसे फुल्ली डेवलप होने में 20 प्लस साल
10:40
लगते हैं। इसीलिए फैमिली और पेरेंटिंग
10:42
सिस्टम हमारी स्पीशीज में सबसे मजबूत है।
10:46
हम कहते हैं मेरा बच्चा मेरी जान है। नेचर
10:49
कहती है यह तुम्हारी स्पीशीज का फ्यूचर
10:53
है।
10:55
मोनोगैमी एक पार्टनर काफी है। एक स्पीशीज
10:59
में इंसान मोनोगैमी की तरफ सबसे ज्यादा
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झुका हुआ है। क्यों? क्योंकि हमारा बच्चा
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बहुत डिपेंडेंट होता है। दो पेरेंटल
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सपोर्ट से ही सर्वाइव होता है। फादर
11:10
प्रोटेक्शन एंड रिसोर्सेज। मदर केयर एंड
11:13
इमोशनल सेफ्टी। इंसान इसलिए इंसान में
11:16
बियर बॉन्डिंग स्ट्रांगेस्ट है। इसी
11:19
बॉन्डिंग को सोसाइटी ने मैरिज, कस्टम्स,
11:22
रिचुअल्स में बदल दिया। लेकिन असल रीज़न
11:25
वही चाइल्ड सर्वाइवल।
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अब बात करते हैं एक बहुत इंटरेस्टिंग
11:31
टॉपिक। व्हाई डू वी गॉसिप? हम कहते हैं
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गॉसिप यानी चुगली करना बुरा है। पर मॉरिस
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बताते हैं गॉसिप एक्चुअली इंफॉर्मेशन
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एक्सचेंज है। जंगल में कौन भरोसे लायक,
11:43
कौन खतरा, कौन अच्छा लीडर, कौन किसके साथ
11:48
यह जानना सर्वाइवल की की थी। आज भी वही
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काम गसिप करता है। ग्रुप को कनेक्ट रखता
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है। ट्रस्ट और रेपुटेशन तय करता है। सोशल
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बॉन्डिंग बनाता है। असली ताकत जानकारी
12:02
किसके पास है? गसिप मतलब मानव का सोशल
12:05
क्लू।
12:07
ए्स ग्रुप में लीडर के पास सबकी नजर होती
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है। इंसान भी यही चाहता है। लाइक्स,
12:13
फॉलोअर्स, प्रमोशंस, पब्लिक प्रज़,
12:17
पॉपुलैरिटी यह सब हमारे ब्रेन को सिग्नल
12:20
देता है। तुम ग्रुप में टॉप पर हो। और यही
12:24
सेटिस्फेक्शन ह्यूमन हैप्पीनेस का बड़ा
12:27
हिस्सा है। डसमेंट मॉरिस कहते हैं, हम शो
12:30
ऑफ नहीं अपने ग्रुप में जगह पक्की कर रहे।
12:36
होते हैं।
12:39
अब तक हमने समझा कि इंसान प्यार, परिवार
12:42
और सोशल बॉन्डिंग क्यों बनाता है? पर सवाल
12:44
यह भी है हम हिंसक क्यों हो जाते हैं?
12:48
युद्ध क्यों करते हैं? झगड़े, गुस्सा,
12:51
ईर्ष्या कहां से आते हैं? कैस्मेन मॉरिस
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कहते हैं, यह भी एनिमल इंस्टिंक्ट का ही
12:57
हिस्सा है। टेरिटरी यह मेरी जगह है। जंगल
13:00
में हर जानवर की एक जगह होती है। एक एरिया
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जहां वह शिकार करता है। अपने परिवार को
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सुरक्षित रखता है और दूसरों को आने नहीं
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देता। हम इंसान भी बिल्कुल वही करते हैं।
13:15
अपना घर, अपनी कॉलोनी, अपनी जाति, अपना
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गांव, अपना देश, अपने लिए रीजन यह सब
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टेरिटरी के मॉडर्न वर्जनंस हैं। हल कहते
13:25
हैं अपना देश, अपनी जमीन। नेचर कहती है यह
13:30
टेरिटोरियल इंस्टिंक्ट है। बॉर्डर्स क्यों
13:33
होते हैं? वर्ल्ड मैप को देखिए। लाइंस
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खींची हुई हैं। इन लाइंस ने ही बनाया
13:39
सिटीजनशिप, वॉर, नेशनल प्राइड, पॉलिटिक्स,
13:43
माइग्रेशन इशूज़। बॉर्डर ना हो तो झगड़ा
13:46
कम। लेकिन दिमाग कहता है, यह मेरी टेरिटरी
13:50
है। किसी को छूने मत दो। एनिमल्स ग्राउंड
13:54
पर निशान बनाते हैं। हमने नक्शों पर लाइन
13:57
खींच दी।
14:00
जब टेरिटरी या स्टेटस को खतरा हो तो दिमाग
14:04
इंस्टेंट रिएक्शन देता है गुस्सा, वॉर,
14:07
वायलेंस, ब्लडशेट। इंसान फिजिकल वेपन्स
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बनाता है। लेकिन इंस्टिंक्ट वही है जो
14:14
एप्स में है। टेस्टमेंट मॉरिस कहते हैं
14:17
इंसान लड़ने वाला जानवर है। पर लड़ाई का
14:21
तरीका मॉडर्न हो गया है। पहले डंडा था, अब
14:24
न्यूक्लियर बम है। इंस्टिंक्ट वही है। बस
14:28
हथियार बदल गए।
14:31
ग्रुप वर्सेस ग्रुप हम बनाम वो इंसान
14:35
हमेशा ग्रुप्स में रहता है। फैमिली ग्रुप,
14:38
रिलीजन ग्रुप, लैंग्वेज ग्रुप, पॉलिटिकल
14:41
ग्रुप, नेशन ग्रुप, ग्रुप बनते ही
14:44
कंपैरिजन शुरू। हम अच्छे वो बुरे। हमारी
14:48
बात सही उनकी गलत। यही सोच युद्ध शुरू
14:52
करवाती है। मॉरिस कहते हैं ह्यूमन नेचर को
14:55
एनिमी चाहिए ताकि ग्रुप स्ट्रांगली यूनाइट
14:59
रहे। इसीलिए युद्ध के समय कम्युनिटी एकजुट
15:03
हो जाता है। अब बात करते हैं स्पोर्ट्स
15:07
युद्ध का सुरक्षित रूप। खेल क्या है? दो
15:09
टीम एकदर्शक समूह, जीत या हार, स्ट्रेटजी,
15:13
टेरिटरी, गोल पोस्ट या कोट। यह युद्ध का
15:17
नॉन वायलेंट वर्जन है। स्पोर्ट, इमोशंस
15:20
वही ट्रिगर करते हैं। अग्रेशन, विक्ट्री
15:23
डांस, अप्पोनेंट्स को हराने की चाह। फैन
15:27
क्यों पिट जाते हैं? क्योंकि दिमाग के लिए
15:30
टीम मतलब माय ट्राइब। हम कहते हैं क्रिकेट
15:33
फीवर, फुटबॉल पैशन। एववोल्यूशन कहती है यह
15:36
वॉर सब्सीट्यूट है। अब आते हैं रिलीजन
15:40
हमारा सुपर ट्राइब। रिलीजन कैसे बनी? एक
15:43
जैसे बिलीव्स वाले लोग एक साथ पूजा,
15:47
रिचुअल्स, एक आइडेंटिटी, एक प्रोटेक्शन
15:50
ग्रुप। इससे एक सुपर ट्राइब बना जो एक
15:53
दूसरे को प्रोटेक्ट करें और फ्यूचर को
15:55
मीनिंगफुल बनाए। इसीलिए लोग अपनी रिलीजन
15:59
के लिए सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। नेचर
16:03
कहती है ट्राइब जितना बड़ा सर्वाइवल उतना
16:06
आसान।
16:08
वॉर सबसे ऊपर का एनिमल इंस्टिंक्ट ह्यूमन
16:13
हिस्ट्री मोस्टली वॉर की कहानी है। हर वॉर
16:16
के पीछे दो ही कारण। द रियल इंस्टिंक्ट
16:20
टेरिटरी और मॉडर्न एक्सक्यूज लैंड यार
16:23
बॉर्डर्स। रियल इंस्टिंक्ट में आते थे
16:26
रिसोर्सेज मॉडर्न एक्सक्यूज ऑयल वाटर एंड
16:29
पावर रियल इंस्टिंक्ट डोमिनेंस और मॉडर्न
16:33
एक्सक्यूज पॉलिटिक्स एंड सुपीरियरिटी एंड
16:36
द रियल इंस्टिंक्ट इज ग्रुप सेफ्टी और
16:39
मॉडर्न एक्सक्यूज डिफेंस एंड सिक्योरिटी।
16:42
हम सोचते हैं हम रीजन से फाइट करते हैं।
16:45
असल में इंस्टिंक्ट से फाइट करते हैं।
16:48
डसमंड मॉरिस कहते हैं हम पैदाइशी पीसफुल
16:52
नहीं पैदाइशी अग्रेसिव स्पीशीज है जिसे
16:56
सिविलाइजेशन कंट्रोल में रखती है। अगर
16:59
कंट्रोल हट जाए जंगल का इंसान बाहर आ जाता
17:03
है।
17:05
स्टेटस में सबसे ऊपर हरार्की हर जगह है।
17:09
ऑफिस पोजीशन, इनकम, लग्जरी, फेम, ब्यूटी,
17:12
एजुकेशन, कास्ट, रिलीजन लीडर्स, ग्रुप में
17:16
सबसे ऊपर। जिसको जगह मिलती है, वह अधिक
17:21
रिसोर्सेज लेता है और अपना फ्यूचर
17:24
सुरक्षित करता है। Instagram, ब्रांडिंग,
17:27
पॉलिटिकल रैली सब स्टेटस, कंपटीशन के नए
17:31
रूप हैं। हम ऊपर जाना चाहते हैं क्योंकि
17:34
दिमाग कहता है जिसके जगह ऊंची, उसकी ऊंचाई
17:38
या उसकी सेफ्टी ऊंची। एंड व्हाई डू वी फील
17:42
शेप? एनिमल्स में अगर कोई गलत करे तो
17:45
ग्रुप उसे पनिश करता है या बाहर निकाल
17:49
देता है। इंसान में यही फियर शेम के रूप
17:52
में है। लोग क्या कहेंगे? सोसाइटी कैसे जज
17:55
करेगी? शेम का असली काम ग्रुप से ना निकाल
17:59
दिए जाओ यानी सर्वाइवल सेफ्टी। अब चलते
18:03
हैं हीरोइज्म की तरफ। मैं सबके लिए लड़ा।
18:07
वॉर में सोल्जर्स क्यों जान देते हैं?
18:09
क्योंकि ग्रुप लॉयल्टी स्ट्रांगेस्ट है।
18:11
अगर कोई ग्रुप के लिए अपना सब त्याग दे,
18:14
ग्रुप उसे रिस्पेक्ट देता है। स्थाई
18:17
स्टेटस देता है। उसका नाम इतिहास में लिख
18:20
देता है। मॉरिस कहते हैं हीरोइज़्म सेल्फिश
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नहीं सर्वाइवल स्ट्रेटजी है। ताकि ग्रुप
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उसे याद रखे।
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ओके। इंसान जंगल से शहर तक आ गया। जानवर
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से स्मार्ट एप बन गया। हमने टेक्नोलॉजी
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बनाई, लैंग्वेज बनाई, साइंस, आर्ट और
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कल्चर बनाया। लेकिन डसमैन मॉरिस कहते हैं
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मॉडर्न इंसान एक उलझन में जी रहा है।
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ब्रेन अभी भी प्राचीन नियम मानता है।
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दुनिया पूरी तरह बदल चुकी है। यानी पुराने
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हार्डवेयर में नया सॉफ्टवेयर डाल दिया गया
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है। और यही हमारी परेशानियों की जड़ है।
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क्यूरोसिटी हमें आगे खींचती है। एनिमल्स
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अपनी जरूरत तक सीमित रहते हैं। पर इंसान
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पूछता है मैं कौन हूं? दुनिया क्या है?
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लाइफ का मतलब क्या है? स्टार्स के पीछे
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क्या है? यही क्यूरसिटी हमें एक्सप्लोर
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कराती है। स्पेस मिशनंस, साइंस डिस्कवरीज,
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न्यू मेडिसिंस, न्यू इन्वेंशनंस। अगर
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इंसान एनिमल ब्रेन ना होता तो शायद चांद
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पर ना पहुंच पाता। क्यूरोसिटी मतलब
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एववोल्यूशन की सबसे ऊंची छलांग।
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इमेजिनेशन हमारी सबसे अनोखी ताकत। हम कैसे
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ऐसे सीन्स सोच सकते हैं जो कभी हुए ही
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नहीं। फ्यूचर की प्लानिंग, सपनों की
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दुनिया, स्टोरीज, मूवीज, आर्ट हम लैंग्वेज
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की वजह से आने वाले टाइम का नक्शा बना
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लेते हैं। इसी इमेजिनेशन ने गन को रॉकेट
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बना दिया और हट को स्काई स्क्रेपर। हमने
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दुनिया को अपने दिमाग पे बनाया। फिर जमीन
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पर बना दिया। क्रिएटिविटी हम अलग क्यों
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हैं? एब्स टूल्स इस्तेमाल कर लेते हैं।
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लेकिन इंसान क्रिएशन करता है। म्यूजिक,
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डांस, पोएट्री, पेंटिंग, फिलॉसफी यह सब
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प्रैक्टिकल सर्वाइवल नहीं। फिर भी यह
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हमारा डीपेस्ट बिहेवियर है। मॉरिस कहते
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हैं क्रिएटिविटी हमें एनिमल से ऊपर उठाती
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है। आर्ट हमारी इनम फ्रीडम की अभिव्यक्ति
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है। एक एब जिसके पास विंग नहीं लेकिन
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इमेजिनेशन उसे उड़ने देता है।
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व्हाई डू वी केप्ट बोर्ड? जंगल में बोर्डम
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नहीं था। हर दिन सर्वाइवल का स्ट्रगल था।
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मॉडर्न लाइफ में एसी रूम, फास्ट फूड,
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रेडीमेड कंफर्ट, सेफ्टी और तब दिमाग कहता
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है अब क्या करूं? इससे ए्जायटी, डिप्रेशन,
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ओवरथिंकिंग, एडिक्शन शुरू होते हैं। हम
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आराम चाहते थे पर जरूरत से ज्यादा आराम
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दिमाग को बीमार कर देता है। टेक्नोलॉजी
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आगे बढ़ी पर दिमाग पीछे रह गया। गाड़ियां
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तेज, इंटरनेट तेज, फ्लाइट्स तेज, लाइफ
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तेज। पर दिमाग वही पुराना जो धीरे-धीरे
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अडप्ट होता है। इस मिसमैच से स्ट्रेस,
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पैनिकिक, सोशल प्रेशर, आइडेंटिटी क्राइसिस
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इनमें ग्रोथ हुई। हमने जंगल छोड़ा पर
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दिमाग को अपडेट नहीं किया। ग्रुपिज्म से
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ग्लोबलिज्म तक, आइडेंटिटी की उलझन। हमारा
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पहला ग्रुप छोटा था। फैमिली, ट्राइब,
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विलेज। अब कंट्री रिलीजन ग्लोबल कम्युनिटी
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आइडेंटिटी जितनी बड़ी हुई कंफ्यूजन उतना
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बड़ा मैं कौन मैं कहां बिलोंग करता हूं
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मैं किस ग्रुप का हूं मोरिस कहते हैं
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आइडेंटिटी बदलने से दिमाग असुरक्षित महसूस
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करता है इसी इनसिक्योरिटी से एक्सट्रीम
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नेशनलिज्म हीट रेसिज्म बढ़ते हैं। कंपटीशन
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बहुत ज्यादा बहुत तेज। पहले हायरार्किकल
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फाइट छोटे ग्रुप्स में होती थी। अब ग्लोबल
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टैलेंट कंपटीशन, कॉर्पोरेट रेस, सोशल
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मीडिया कंपैरिजंस, पैसा, लुक्स, फेम
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कास्टेंट प्रेशर यह कंटीन्यूअस कंपटीशन
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दिमाग को फाइट मोड में रखता है। जिससे
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मेंटल एनर्जी खत्म होती है। अकेलापन,
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मॉडर्न जेल, इंसान, सोशल एनिमल है। ग्रुप
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में जीने की आदत है। आज लाखों लोग क्राउड
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में रहकर भी अकेले हैं। ऑनलाइन फ्रेंड्स
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लेकिन ऑफलाइन कोई नहीं। बिजी लाइफस्टेड नो
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रियल बॉन्डिंग यह लोनलीनेस दिमाग में
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सर्वाइवल फियर जगाती है। अगर मैं अकेला
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हूं तो मेरी सिक्योरिटी कहां इसीलिए
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एंग्जायटी बढ़ती है। फ्यूचर की सबसे बड़ी
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चैलेंज हमारे अंदर दो दुनिया रहती है।
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अंदर क्या है? जंगल माइंड। बाहर क्या है?
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मॉडर्न सोसाइटी। अंदर इंस्टिंक्ट। बाहर
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लॉजिक। अंदर फियर, बाहर टेक्नोलॉजी, अंदर
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स्माल ग्रुप्स, बाहर ग्लोबलाइजेशन, अंदर
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सर्वाइवल फोकस, बाहर सक्सेस फोकस। यह
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कॉन्फ्लिक्ट ही हमारे सारे कल्चरल और
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साइकोलॉजिकल
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इश्यूज की जड़ है। टेस्टमेंट मॉरिस कहते
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हैं, अगर इंसान अपनी जड़ को भूलेगा तो खुद
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को खो देगा। नेचर की ओर लौटो। मॉडर्न लाइफ
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बैलेंस करो। सॉल्यूशन यही है। बॉडी को
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नेचुरल एक्टिविटी चाहिए। वॉक, सनलाइट,
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मूवमेंट, नेचुरल टाइम, माइंड को रियल सोशल
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बॉन्डिंग चाहिए। फैमिली, फ्रेंड्स,
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ट्रस्ट, स्ट्रेस से बचने के लिए मेडिटेशन,
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डीप ब्रीथिंग, हॉबीज़, सर्वाइवल इंस्टिंक्ट
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को सही डायरेक्शन दो। क्रिएटिविटी,
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लर्निंग पर्पस। हम आर्टिफिशियल वर्ल्ड में
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फंसे हैं। पर हमारी जरूरत अभी भी नेचुरल
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है। हम मॉडर्न लगते हैं। लेकिन दिमाग अभी
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भी कहता है लव करो, ग्रुप बनाओ, कमपीट
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करो, टेरिटरी प्रोटेक्ट करो, बच्चे पालो,
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फ्यूचर सुरक्षित रखो, रिस्पेक्ट पाओ,
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सर्वाइव करो।
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इंसान एनिमल है लेकिन एक थिंकिंग एनिमल
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है।
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टेस्टमैन मॉरिस कहते हैं अगर हम अपनी
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एनिमल नेचर को समझ लें तो हम इंसानियत को
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बेहतर समझ पाएंगे।
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हम नेक कडेप है। यह हमारी सच्ची पहचान है।
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जंगल से आए हैं और हम आसमान की ओर जा रहे
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हैं। लेकिन आगे बढ़ते हुए अपनी असलियत मत
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भूलो। धन्यवाद।
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#Anthropology
