It’s OK by Jaya Kishori | ज़िंदगी को हल्का जीना सीखिए | Book Summary in Hindi
Oct 27, 2025
कभी सोचा है — क्यों हम हर दिन perfect बनने की कोशिश में खुद से ही दूर होते जा रहे हैं? हर गलती पर guilt, हर असफलता पर दुख, हर रिश्ते को बचाने का pressure… और फिर भी मन नहीं शांत। ✨ Jaya Kishori की किताब “It’s OK” हमें सिखाती है — कि ज़िंदगी perfect नहीं होती, पर फिर भी खूबसूरत हो सकती है। यह किताब एक gentle reminder है कि — 💞 खुद से दया करना भी self-care है, 🕊️ छोड़ देना भी strength है, 🙏 और हर परिस्थिति में “It’s OK” कहना — यही spiritual maturity है। 🌿 इस किताब से आप सीखेंगे:
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हर दिन हम खुद से लड़ते हैं। हर बात में
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सही होने की कोशिश, हर रिश्ते को निभाने
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की जिम्मेदारी, हर गलती का बोझ और उस पर
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भी मुस्कुराने की मजबूरी। पर जिया किशोरी
0:15
कहती है इट्स ओके। हां, अगर आज आपका दिल
0:19
भारी है, इट्स ओके। अगर आप सब कुछ सही
0:22
करते हुए भी थक गए हैं, इट्स ओके। अगर
0:25
आपके पास हर सवाल का जवाब नहीं, इट्स
0:27
स्टिल ओके। क्योंकि यह किताब हमें सिखाती
0:31
है परफेक्ट होना जरूरी नहीं, पीसफुल होना
0:34
जरूरी है। हर बार स्ट्रांग बनना जरूरी
0:37
नहीं। कभी-कभी बस इंसान बनना भी ठीक है।
0:42
जिया किशोरी कहती है, वी आर लिविंग इन अ
0:45
जनरेशन दैट नोस हाउ टू अचीव एवरीथिंग
0:48
एक्सेप्ट पीस। हम हर चीज पाना जानते हैं
0:52
पर शांति नहीं। इस किताब की शुरुआत एक
0:55
सिंपल पर गहरी रियलाइजेशन से होती है। हम
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सब जिंदगी को बहुत सीरियसली लेने लगे हैं।
1:02
हर इमोशन को सप्रेस करते हैं। हर गलती पर
1:05
खुद को पनिश करते हैं। इट्स ओके। एक
1:08
रिमाइंडर है कि थोड़ा रुकना, थोड़ा
1:10
मुस्कुराना और थोड़ा छोड़ देना भी जरूरी
1:13
है। पीस पाने के लिए परफेक्शन छोड़नी
1:16
पड़ती है।
1:18
हर रिश्ते में, हर रोल में हम एक
1:21
एक्सपेक्टेशन कैरी करते हैं। लोग क्या
1:24
सोचेंगे? अगर मैं फेल हो गया तो, अगर मैं
1:26
गलत निकला तो
1:28
जिया कहती है एक्सपेक्टेशन इज द बिगेस्ट
1:31
थीफ ऑफ पीस। एक्सपेक्टेशन सबसे बड़ा चोर
1:35
है जो हमारी शांति चुरा लेता है। हम
1:38
Instagram पर किसी और की सक्सेस देखकर
1:41
दुखी होते हैं क्योंकि हमने अपनी लाइफ का
1:44
मीनिंग कंपैरिजन में खो दिया है। कंपैरिजन
1:47
की आग में खुशी सबसे पहले जलती है। भगवत
1:51
गीता में श्री कृष्ण भी यही कहते हैं।
1:53
कर्म करो पर फल की चिंता मत करो।
1:56
एक्सपेक्टेशन छोड़ो, एक्सपीरियंस पकड़ो।
2:00
जिया कहती है, वी वियर स्माइल्स लाइक
2:03
मास्क एंड फॉरगॉट टू ब्रीथ। हम मुस्कान को
2:07
नकाब बना लेते हैं और सच में जीना भूल
2:10
जाते हैं। कभी किसी पार्टी में हम
2:13
मुस्कुराते रहे पर अंदर से टूटे हुए थे।
2:16
वो मोमेंट बताता है कि हम अपीरेंसेस जी
2:19
रहे हैं। ऑथेंटिसिटी नहीं।
2:22
दुनिया को दिखाना आसान है। खुद से मिलना
2:26
मुश्किल। जैसे कबीर कहते थे मुख में राम
2:29
बगल में छुरी यानी अंदर और बाहर का
2:32
डिस्कनेक्ट ही दुख का कारण है। फील करो
2:35
क्योंकि सप्रेस करना स्पिरिचुअल सुसाइड
2:38
है। जिया कहती है इट्स ओके टू क्राई टू
2:42
फॉल टू पास। रोना भी प्रेयर है क्योंकि वह
2:46
सच्चा रिलीज है। आपने नोटिस किया होगा जब
2:49
बहुत देर बाद आप रो लेते हैं तो शरीर
2:52
हल्का हो जाता है। वो रिलीफ सिर्फ इमोशन
2:55
नहीं एक इनर क्लीज़िंग है। आंसूहार नहीं
3:00
है। जैसे सीता मां का दुख या अर्जुन की
3:03
कमजोरी वह भी डिवाइन जर्नी का हिस्सा थी।
3:06
कमजोर महसूस करना इंसान होने की निशानी
3:11
है। इट्स ओके। किताब हमें एक सिंपल ट्रुथ
3:15
देती है कि हैप्पीनेस कोई डेस्टिनेशन
3:17
नहीं। वो डेली चॉइस है। हर बार रिएक्शन
3:21
देने की जरूरत नहीं। हर बार समझाने की
3:24
जरूरत नहीं। हर बार स्ट्रांग बनने की
3:27
जरूरत नहीं। कभी-कभी बस खुद को सॉफ्टली
3:30
कहना होगा। इट्स ओके।
3:33
लेकिन अगर सब ठीक है तो फिर भी मन बेचैन
3:37
क्यों है? यही जानेंगे। पार्ट टू हाउ टू
3:39
प्रैक्टिस। इट्स ओके इन डेली लाइफ में।
3:44
इट्स ओके। सुनने में आसान लगता है। पर जब
3:47
कोई आपका ट्रस्ट तोड़ दे, जब प्लान फेल हो
3:50
जाए या जब कोई करीबी दूर चला जाए तो खुद
3:53
से कहना इट्स ओके। आसान नहीं होता। चियारी
3:57
कहती हैं इट्स ओके का मतलब इग्नोर करना
4:00
नहीं बल्कि एक्सेप्ट करना है बिना
4:04
कंप्लेंट बिना ब्लेम बिना गिल्ट और
4:08
एक्सेप्टेंस की यह जर्नी शुरू होती है जब
4:11
हम खुद से सॉफ्टनेस से पेश आते हैं।
4:14
एक्सेप्टेंस का मतलब हार नहींलिंग है।
4:18
जिया किशोरी कहती हैं पीस बिगिंस द मोमेंट
4:22
यू स्टॉप रेिस्टिंग योर रियलिटी। शांति
4:26
वहीं से शुरू होती है जहां आप रियलिटी से
4:29
लड़ना बंद करते हैं। मान लीजिए किसी ने
4:32
आपके साथ गलत किया। आप बार-बार सोचते हैं
4:36
ऐसा क्यों हुआ मेरे साथ और यही थॉट आपके
4:39
अंदर का जहर बन जाती है।
4:43
एक्सेप्टेंस का मतलब है कहना। हां, यह
4:46
हुआ। अब मैं इसे बदल नहीं सकता। पर मैं
4:49
इससे कुछ सीख सकता हूं। जो हुआ उसे
4:53
स्वीकार लो क्योंकि वहीं से नया रास्ता
4:55
खुलेगा। जैसे अर्जुन युद्ध से भागना चाहता
4:58
था। पर कृष्ण ने कहा स्वीकार करो यह भी
5:02
जीवन का भाग है। एक्सेप्ट करना मतलब खुद
5:05
को परमात्मा की योजना पर भरोसा देना। जिया
5:09
कहती है फॉरगिवनेस इज नॉट फॉर देम। इट्स
5:12
फॉर यू। माफ करना दूसरों के लिए नहीं अपने
5:16
मन की शांति के लिए है। कभी किसी से गलती
5:19
हुई और आपने कहा मैं उसे कभी माफ नहीं
5:22
करूंगा पर सच में सफर कौन कर रहा है? आप
5:26
फॉरगिवनेस मतलब भूलना नहीं बल्कि यह समझना
5:30
कि अब इस घटना को मुझे डिफाइन नहीं करने
5:34
दूंगा। फॉरगिवनेस कोई फेवर नहीं फ्रीडम
5:37
है। जैसे भगवान राम ने रावण को भी माफ कर
5:40
दिया क्योंकि उन्होंने उसका अध्याय समाप्त
5:43
किया पर बेटरनेस कैरी नहीं की। जिसने माफ
5:46
करना सीख लिया उसने जीना सीख लिया। जिया
5:50
किशोरी कहती हैं, यू कांट कंट्रोल लाइफ बट
5:53
यू कैन कंट्रोल योर सरेंडर। आप जीवन को
5:56
कंट्रोल नहीं कर सकते पर आप उसे ग्रेसफुली
5:59
एक्सेप्ट कर सकते हैं। हम हर दिन फ्यूचर
6:02
प्लान करते हैं। कब शादी होगी, कब सक्सेस
6:05
मिलेगा, कब पीस मिलेगा। पर जब रियलिटी अलग
6:09
चलती है, हम परेशान हो जाते हैं। डिटचमेंट
6:13
का मतलब है आउटकम से डिस्कनेक्ट होकर कर्म
6:16
करना। जो कंट्रोल छोड़ देता है, वह
6:18
कंट्रोल में रहना शुरू कर देता है। भगवान
6:21
कृष्ण ने गीता में यही कहा कर्म करते जाओ।
6:24
फल की चिंता मत करो। फ्लो में जीना ही फेथ
6:29
की सच्ची परीक्षा है। चिया कहती है यू आर
6:33
नॉट अ मशीन। यू आर अ मिरेकल। आप इंसान हैं
6:36
परफेक्शन की मशीन नहीं। कभी खुद से कहा
6:39
मैं कितना बेकार हूं। हम दूसरों को माफ कर
6:42
देते हैं। पर खुद से दया नहीं करते। सेल्फ
6:45
लव का मतलब है खुद के साथ वही काइंडनेस
6:48
रखना जो आप अपने किसी प्रिय के लिए रखते
6:50
हैं। खुद से प्यार करना सेल्फिशनेस नहीं।
6:54
स्पिरिचुअलिटी है। जैसे मीरा ने कहा जो
6:57
खुद में भगवान देखे वह किसी में कमी नहीं
7:00
देखता। खुद को सवारना ही या स्वीकारना ही
7:04
परमात्मा को स्वीकारना है। जया किशोरी
7:07
कहती हैं, ग्रेटट्यूड डजंट मीन एवरीथिंग
7:10
इज परफेक्ट। इट मींस यू फाइंड ब्लेसिंग्स
7:13
इवन इन पेन। कृतज्ञता का मतलब सब ठीक होना
7:17
नहीं बल्कि हर परिस्थिति में भगवान की
7:20
कृपा देखना है। कभी किसी छोटी चीज के लिए
7:24
थैंकफुल रहे हैं? एक सुबह की हवा, किसी का
7:27
हल्का सा थैंक यू कि किसी पुराने दोस्त का
7:30
फोन कॉल। यह मोमेंट्स ही लाइफ को सुंदर
7:32
बनाते हैं। जिसने शुक्रिया कहना सीख लिया
7:36
उसे शिकायत की जरूरत नहीं। जैसे संत
7:39
तुकाराम गरीबी में भी कहते थे जो है वही
7:43
बहुत है। ग्रेटट्यूड वो नजर है जो हर दर्द
7:46
में भी प्रकाश ढूंढ लेती है।
7:50
आगे चिया किशोरी कहती है गॉड्स टाइमिंग इज
7:53
नेवर रॉन्ग इट्स जस्ट डिफरेंट फ्रॉम
7:56
योर्स। भगवान का समय कभी गलत नहीं होता।
7:59
बस हमारे समय से अलग होता है। कभी कुछ
8:03
प्लान किया हो और सब उल्टा चला गया वो
8:07
फ्रस्ट्रेशन ही पेशेंस की परीक्षा होती
8:09
है। जिंदगी का हर डिले डिवाइन प्लान का
8:13
पार्ट है। डिले का मतलब डिनाई नहीं होता।
8:17
जैसे सीता मां ने वनवास में सालों इंतजार
8:20
किया पर फेथ नहीं छोड़ा। धैर्य वही रखता
8:24
है जो भरोसे में जीता है। जिया किशोरी
8:27
कहती है फेथ इज नॉट बिलीविंग दैट गॉड विल
8:30
डू व्हाट यू वांट इट्स बिलीविंग दैट
8:33
व्हाटएवर ही डस हस बेस्ट। फेथ का मतलब
8:36
भगवान से अपने हिसाब से करवाना नहीं बल्कि
8:40
उनके फैसले पर भरोसा करना है। हम कहते हैं
8:43
भगवान मेरी सुनते ही नहीं। पर शायद वह कुछ
8:46
बेहतर तैयार कर रहे होते हैं। जो विश्वास
8:49
में टिक गया वह परिणाम से मुक्त हो गया।
8:53
जैसे द्रोपदी ने फेथ रखा। कृष्ण ने देर की
8:56
पर रक्षा जरूर की। फेथ वह शक्ति है जो
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अंधेरे में भी दिशा दिखाती है। इट्स ओके।
9:04
को प्रैक्टिस करना कोई वन डे चैलेंज नहीं
9:06
है। यह हर दिन की अवेयरनेस है। हर बार जब
9:10
मन परेशान हो रुको सांस लो और कहो। यह भी
9:14
ठीक है क्योंकि यही वह शब्द हैं जो आपके
9:17
अंदर के तूफान को शांत कर देते हैं।
9:20
एक्सेप्टेंस ही वह ताकत है जो भीतर की
9:23
लड़ाई जीत लेती है। पर क्या सिर्फ
9:26
एक्सेप्टेंस से ही शांति मिल जाती है या
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फिर जरूरत है थोड़ी और अंडरस्टैंडिंग की
9:32
दिल और दिमाग के बीच संतुलन की। यही
9:35
जानेंगे पार्ट थ्री द बैलेंस बिटवीन हार्ट
9:39
एंड माइंड में।
9:42
कभी दिल कुछ कहता है और दिमाग कुछ और दिल
9:45
चाहता है माफ कर दो पर दिमाग कहता है अब
9:49
नहीं दिल बोलता है रुको कोशिश करो दिमाग
9:52
कहता है छोड़ दो आगे बढ़ो हमारी सबसे बड़ी
9:55
लड़ाई बाहर नहीं यही चलती है दिल और दिमाग
9:59
के बीच जिया किशोरी कहते हैं बैलेंस इज
10:02
नॉट अबाउट चूजिंग हार्ट और माइंड इट्स
10:04
अबाउट लेटिंग बोथ वर्क टुगेदर ग्रेसफुली
10:08
दिल में कंपैशन रखो पर दिमाग में क्लेरिटी
10:11
भी रखो। जिया कहती है हार्ट विदाउट माइंड
10:15
इज केओस एंड मैन माइंड विदाउट हार्ट इज
10:18
क्रुलिटी। दिल बिना दिमाग के अंधा है और
10:22
दिमाग बिना दिल के नद। कभी किसी को हेल्प
10:25
करने के चक्कर में खुद को थका दिया है या
10:28
कभी लॉजिक में इतने फंसे कि किसी का पेन
10:31
ही नहीं समझ पाए। दोनों एक्सट्रीम्स हमें
10:34
तोड़ देती हैं। बैलेंस मतलब बीच का रास्ता
10:38
जहां कंपैशन और विडम मिलते हैं। जैसे
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भगवान कृष्ण उन्होंने अर्जुन से कहा करुणा
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रखो पर कर्म से भागो मत। वो परफेक्ट
10:48
बैलेंस थे। दिल के भी और दिमाग के भी।
10:52
कृष्ण का प्रेम दिल से था पर निर्णय
10:55
बुद्धि से। जिया किशोरी कहती है हार्ट इज
10:59
द सीट ऑफ इमोशन बट इमोशंस नीड डायरेक्शन।
11:03
दिल में भावना है पर दिशा दिमाग देता है।
11:07
कभी किसी रिश्ते में इतना इनवॉल्व हो गए
11:10
कि आपने पीस ही खो दी। वो दिल का प्यार था
11:14
पर दिमाग की गाइडेंस गायब थी। इमोशंस
11:17
अच्छे हैं पर उन्हें पपस चाहिए। जैसे माता
11:20
अंजनी ने हनुमान जी से कहा पुत्र अपनी
11:24
शक्ति याद रखो पर उसे सही जगह उपयोग करो।
11:28
यही तो इमोशन में विज़डम का संतुलन है। दिल
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की सुनो पर दिमाग से चलो।
11:35
जिया कहती है द माइंड शुड बी अ सर्वेंट
11:38
नॉट द मास्टर। दिमाग आपका नौकर है मालिक
11:42
नहीं। जब दिमाग ओवरथिंक करने लगता है।
11:47
क्या वो मुझे पसंद नहीं करता? मैं फेल हो
11:49
गया तो अगर सब कुछ गलत हो गया तो तो लाइफ
11:53
कंट्रोल नहीं करती। फियर कंट्रोल करता है।
11:56
ओवरथिंकिंग क्लेरिटी नहीं कंफ्यूजन बढ़ाता
11:59
है। जैसे अर्जुन का डाउट कृष्ण के गाइडेंस
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से क्लियर हुआ। यानी बुद्धि सही है। जब वो
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अहंकार से नहीं विवेक से चलती है। दिमाग
12:10
तब खूबसूरत है जब वह दिल के साथ चले। जया
12:14
किशोरी सिखाती हैं कि कुछ सिंपल
12:16
प्रैक्टिकल स्टेप्स ताकि दिल और दिमाग की
12:19
यह जंक एक ब्यूटीफुल म्यूजिक बन जाए।
12:22
इसमें स्टेप वन है पॉज बिफोर यू रिएक्ट।
12:25
रिएक्शन इज ऑफ माइंड। रिस्पांस इज ऑफ
12:28
अवेयरनेस। जब भी कोई कुछ कहे रुकिए सांस
12:32
लीजिए। उस पॉज में आपका अवेयरनेस है।
12:35
रुकना कमजोरी नहीं मैच्योरिटी है। स्टेप
12:38
टू जर्नल और रिफ्लेक्ट डेली। हर दिन 5
12:42
मिनट लिखिए। आज मेरा दिल क्या कह रहा था
12:45
और दिमाग क्या कह रहा था। धीरे-धीरे आप
12:48
फर्क समझेंगे कि कौन सा सही था। अवेयरनेस
12:52
क्लेरिटी लाती है। क्लेरिटी पीस लाती है।
12:55
स्टेप थ्री प्रे और मेडिटेट टू सेंटर
12:58
योरसेल्फ। प्रेयर अलाइन हार्ट। मेडिटेशन
13:01
अलाइन माइंड। दैनिक ध्यान या जप आपके
13:05
विचार और भावनाओं दोनों को शांत करते हैं।
13:08
जैसे मीर का भजन वो डिवोशन था पर साथ ही
13:12
क्लेरिटी भी उनका प्रेम डायरेक्शन में था।
13:15
ध्यान वो पुल है जो दिल और दिमाग को
13:19
जोड़ता है। स्टेप फोर डोंट सप्रेस
13:22
इंटीग्रेट। चिया कहती है डोंट किल इमोशंस।
13:26
गाइड देम। भावनाओं को मारो मत। उन्हें मार
13:29
दो। अगर गुस्सा आता है तो पूछो। मुझे किस
13:32
बात से हर्ट हुआ वह क्लेरिटी दिलाएगा।
13:35
इमोशन को समझना ही मास्टरी है। जैसे
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हनुमान जी उनमें गुस्सा भी था पर वो प्रभु
13:41
के लिए कंट्रोलोल्ड एनर्जी थी। गुस्सा भी
13:45
पवित्र हो सकता है अगर दिशा सही हो। आगे
13:49
बात करते हैं द पावर ऑफ न्यूट्रलिटी। जिया
13:52
किशोरी कहती हैं पीस इज नॉट फाइंड इन हाईज
13:55
एंड लोस। इट्स फाइंड इन बैलेंस। शांति
13:58
एक्सट्रीम में नहीं संतुलन में मिलती है।
14:01
कभी बहुत खुश होकर कुछ बोल दिया और बाद
14:04
में रिग्रेट किया या गुस्से में हार्टफुल
14:06
वर्ड्स कह दिए वो इमंबैलेंस है। म्यूट्रल
14:10
रहना मतलब इनडिफरेंट होना नहीं अवेयर होना
14:13
है। जैसे समुद्र लहरें उठती है पर गहराई
14:17
शांत रहती है। अंदर की शांति ही सच्ची
14:20
ताकत है। जिया कहती हैं यू कांट कैरी
14:23
एवरीवनस पेन नॉट इवन योर ओन ऑल द टाइम। हर
14:27
समय सबका दर्द उठाना सर्विस नहीं सेल्फ
14:30
हार्म है। कभी किसी और की प्रॉब्लम इतनी
14:34
महसूस की कि खुद परेशान हो गए। दैट्स एमथी
14:38
विदाउट बाउंड्री। दया रखो पर डायरेक्शन के
14:41
साथ। जैसे करुणा में बुद्ध ने क्लेरिटी
14:43
रखी। वो सबके दुख को महसूस करते थे। पर
14:46
उसे अब्सॉर्ब नहीं करते थे। एमथी बिना
14:50
अवेयरनेस बर्डन बन जाती है। जया किशोरी
14:53
कहती है ट्रू लव इज नॉट अटैचमेंट इट्स
14:56
फ्रीडम। सच्चा प्रेम पजेसिव नहीं मुक्त
14:59
करता है। जब आप किसी से सच में प्यार करते
15:02
हैं तो आप चाहते हैं वह खुश रहे। भले वह
15:05
आपके साथ ना हो वो मैच्योरिटी है। लव में
15:08
पकड़ नहीं प्रार्थना होनी चाहिए। जैसे
15:11
मीरा उन्होंने प्रेम किया पर पकड़ नहीं
15:14
रखी। वो प्रेम परिपक्व था ना कि शर्तों
15:17
वाला। जितना छोड़ेंगे उतना छोड़ोगे। दिल
15:22
और दिमाग दोनों जरूरी है पर डायरेक्शन
15:25
देने वाला दिल नहीं विवेकपूर्ण मन होना
15:28
चाहिए और डिसीजन लेने वाला दिमाग नहीं
15:31
करुणामय दिल होना चाहिए। दिल से महसूस करो
15:34
पर दिमाग से समझो। इट्स ओके। हमें सिखाती
15:38
है कभी दिल को जगह दो, कभी दिमाग को पर
15:41
सबसे ज्यादा जगह अपने संतुलन को दो।
15:45
क्योंकि जब मन और हृदय एक दिशा में चलते
15:48
हैं तो जीवन सिर्फ सही नहीं सुंदर भी बन
15:52
जाता है। तो क्या यही संतुलन शांति देता
15:55
है या फिर जरूरत है सरेंडर की, फेथ की और
15:59
कंप्लीट लेटिंग गो की। यही जानेंगे पार्ट
16:03
फोर द आर्ट ऑफ सरेंडर एंड फाइंडिंग पीस
16:07
विद इन मी। हम हर चीज समझना चाहते हैं।
16:12
क्यों ऐसे हुआ? क्यों वो गया? क्यों मैं
16:16
गिर गया? क्यों मैं जीत नहीं पाया? पर कभी
16:18
आपने नोटिस किया है जितना ज्यादा हम
16:21
कंट्रोल करते हैं उतना ही ज्यादा लाइफ
16:23
हाथों से फिसल जाती है। जिया किशोरी कहती
16:26
है पीस इज नॉट फाउंड बाय होल्डिंग टाइट
16:30
इट्स फाउंड बाय लेटिंग गो वि फेथ जो छोड़
16:34
देता है वही पा लेता है। जिया किशोरी कहती
16:37
हैं सरेंडर डजंट मीन गिविंग अप। इट मींस
16:41
लिविंग इनटू डिवाइन फ्लो। सरेंडर हारना
16:45
नहीं प्रभु के पढ़ाव प्रवाह में बहना है।
16:48
कभी आप किसी चीज के लिए बहुत कोशिश करते
16:51
हैं। पर जब थक कर छोड़ देते हैं तो अचानक
16:54
सब ठीक हो जाता है। वह सरेंडर का ही जादू
16:57
है। जहां कोशिश रुकती है वहां कृपा शुरू
17:01
होती है। जैसे अर्जुन जब उन्होंने बो नीचे
17:04
रख दिया और कहा हे कृष्ण अब मैं आपका
17:08
शिष्य हूं। तब ही गीता शुरू हुई। सरेंडर
17:11
ने उन्हें ज्ञान दिया। सरेंडर ज्ञान का
17:14
पहला दरवाजा है। ज कहती है ईगो सेस आई कैन
17:19
फिक्स इट। फेथ से गॉड विल गाइड मी। जब कोई
17:23
चीज हमारे हिसाब से नहीं चलती तो हम
17:25
फ्रस्ट्रेट हो जाते हैं। क्यों नहीं हुआ?
17:28
और शायद भगवान कह रहे होते हैं क्योंकि
17:31
तुम्हारे लिए कुछ और बेहतर है। ईगो को
17:34
साइलेंस करना ही सरेंडर का पहला कदम है।
17:37
जैसे माता सीता। उन्होंने परिस्थिति से
17:40
लड़ाई नहीं की। उन्होंने फेथ रखा। फेथ ने
17:43
उन्हें शक्ति दी। ईगो बंद करता है दरवाजे।
17:46
फेथ खोल देता है रास्ते। जिया किशोरी कहती
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है व्हेन यू स्टॉप चीजिंग यू स्टार्ट
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रिसीविंग। जब आप भागना बंद करते हैं तब
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जीवन आपको पकड़ लेता है। कभी किसी चीज के
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पीछे इतना भागो।
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भागे कि खुद को भूल गए। एग्जाम, जॉब,
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रिलेशनशिप, वैलिडेशन सब चीज कंट्रोल करने
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की कोशिश आपको एशियस बना देती है। लाइफ को
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मैनेज नहीं एक्सपीरियंस करना सीखो। जैसे
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गंगा वो बहती है रुकती नहीं। कभी तीव्र
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कभी शांत पर हमेशा अपनी दिशा में। यही
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सरेंडर की सुंदरता है। जो बहना सीख गया वो
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डूबना भूल गया। जिया कहती है फेथ इज
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बिलीविंग दैट इवन इन साइलेंस गॉड इज
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वर्किंग। फेथ का मतलब है जब कुछ नहीं दिख
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रहा तब भी विश्वास रखना कि प्रभु काम कर
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रहे हैं। कभी कोई प्रेयर डिले हो गई आप
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सोचते रहे भगवान सुनते क्यों नहीं पर बाद
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में रियलाइज हुआ उनका टाइमिंग परफेक्ट था।
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फेथ वो शक्ति है जो अंधेरे में भी देख
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सकती है। जैसे द्रोपदी फेथ ने उनकी लाज
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रखी क्योंकि सरेंडर पूरा था। फेथ और
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सरेंडर एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जिया
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किशोरी कहती हैं, साइलेंस इज नॉट द
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एब्सेंस ऑफ साउंड। इट्स द प्रेजेंस ऑफ
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पीस। शांति का मतलब चुप रहना नहीं भीतर का
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स्थिर होना है। कभी सुबह-सुबह जब आप सो
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रहे हो और आप बस हवा की आवाज सुने। वो
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मोमेंट सीक्रेट लगता है। वही इनर स्टिलनेस
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है। साइलेंस में ही सोल बोलती है। जैसे
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बुद्ध उन्होंने शांति बाहर नहीं ढूंढी।
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भीतर बनाई। जितना भीतर शांत उतना बाहर
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स्पष्ट। चिया कहती है ग्रेटट्यूड ओपन्स द
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डोर टू जॉय। एक्सेप्टेंस कीप्स इट ओपन।
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कृतज्ञता दरवाजा खुलती है और स्वीकार उसे
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बंद नहीं होने देती। कभी किसी छोटी चीज के
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लिए जेनुइनली थैंक कहा। वो वाइब्रेशन
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इंस्टेंटली एनर्जी बदल देती है।
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ग्रेटट्यूड हमें अबंडेंस में रखती है।
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शुक्रिया कहना सबसे सुंदर प्रेयर है। जैसे
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संत कबीर जो कुछ दिया सो तेरा तेरा तुझको
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अर्पण। यही अल्टीमेट ग्रेटट्यूड और सरेंडर
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है। ग्रेटट्यूड बिना पीस इनकंप्लीट है।
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जिया किशोरी कहती हैं समटाइ्स रिजेक्शन इज
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गॉड्स रिडायरेक्शन। कभी-कभी जो ना हमें
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दुख देता है वह भगवान की हां होती है।
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किसी और रूप में आपकी कोई अपॉर्चुनिटी
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नहीं मिली पर कुछ महीनों बाद कुछ और बेहतर
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मिल गया। वह कोइंसिडेंस नहीं डिवाइन प्लान
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था। जो नहीं मिला वह भी कृपा है। जैसे
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श्री राम वनवास भी आशीर्वाद था क्योंकि
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उसी ने उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम बनाया।
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फेथ तब असली होती है जब आप थैंक कहते हैं
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बिना समझे भी। अब बात करते हैं हाउ टू
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प्रैक्टिस सरेंडर एवरीडे। स्टेप वन सुबह
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उठते ही कहिए व्हाटएवर हैप्स टुडे आई
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ट्रस्ट इट। जो भी होगा मैं उसमें विश्वास
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रखूंगा। स्टेप टू जब कुछ मन माफिक ना हो
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इट्स ओके। दिस टू शैल पास। कोई बात नहीं।
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यह भी गुजर जाएगा। स्टेप थ्री रात को सोने
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से पहले तीन चीजों के लिए ग्रेटट्यूड
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लिखिए। मतलब शुक्रगुजारी कीजिए। चाहे आपने
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अच्छा खाना खाया, अच्छे दोस्तों से मिले,
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अच्छी बातें की या कुछ भी जो आपके साथ तीन
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चीजें अच्छी हुई उनको लिखिए। सरेंडर
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प्रैक्टिस है। एक दिन का प्रॉमिस नहीं
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जिया किशोरी कि इट्स ओके। हमें सिखाती है
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कि लाइफ कंट्रोल करने के लिए नहीं
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एक्सपीरियंस करने के लिए है। कभी चीजें
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टूटेंग, लोग बदलेंगे, योजनाएं फेल होंगी,
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इमोशंस उठेंगे। पर जब आप शांत होकर कह
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देंगे इट्स ओके। तो वह शब्द आपको रियलिटी
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से नहीं भगवान से जोड़ देते हैं। इट्स ओके
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कोई वाक्य नहीं। यह एक अवस्था है। तो अब
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अगली बार लाइफ आपको टेस्ट करे तो रेजिस्ट
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मत कीजिए। सरेंडर कीजिए क्योंकि जब आप
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छोड़ देते हैं तब ईश्वर संभाल लेते हैं।
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एवरीथिंग इज अनफोल्डिंग एज इट शुड।
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