Qualifications to Become an Agent-Part-1 |#agent #ruler #foreign #humanity #anti #musharaf
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Nov 4, 2024
Third world countries, agentocracy is a lucrative job. Everyone wants to become an agent. But what the qualification to become an agent. What are the role of agent in a society. Whether they are cruel ones or they are innocent. Who are the handlers of agents and what are their objectives to recruit the agents. موجودہ عمرانی حکومت کی انسان دشمن معاشی پالیسیوں کی بدولت ایک محتاط اندازے کے مطابق ڈیڑہ کروڑ انسان بے روزگار ہو چکے ہیں اور یہ سلسلہ جاری ہے۔ اس صورت حال سے کیسے نمٹا جائے۔ اس وی لاگ میں اس کا حل پیش کیا گیا ہے۔
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झाल
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कि बच्चों को
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और अस्सलाम वालेकुम
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ए डॉक्टर अमित पट्टी
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कि एक नए बिल आपके साथ अजेय बढ़त
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को सबसे पहले उन दोस्तों से जिन्होंने
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मेरा चैनल
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को सबस्क्राइब नहीं किया उनसे दरखास्त है
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कि वह सब्सक्राइब कर लें जिन्होंने
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सब्सक्राइब किया हुआ है उनका बहुत
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शुक्रिया और जो अभी सोच रहे हैं कि इसको
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सब्सक्राइब करना चाहिए कि नहीं वह भी सोच
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लें
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कि आज का हमारा मौजूद है एजेंट कौन बन
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सकता है
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में आए रोज हम प्रिंट मीडिया सोशल मीडिया
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और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर यह पॉइंट है वह
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अर्जेंट है तो मैं जॉइंट हो मैं किसी का
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एजेंट नहीं जैसी आवाज़ें पढ़ते और सुनते
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रहते हैं
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कि ऐसी आवाज़ें दुनिया भर में और खासतौर
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पर जिंबॉब्वे स्याही मुल्क में अक्सर
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सुनाई देती हैं
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कि हिमालय की एसेंबलियों में तुम सलाम
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मुल्क के एजेंट हो तुम सलाह एजेंसी के लिए
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काम करते हो तुम ताबूत आयुक्तों के जॉइंट
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हो तो मिश्रा हिल के एजेंट हो तुम
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हिंदुस्तान के जॉइंट हो जैसे बुलंद तो
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भांग नारे भी कानों में रस घोलते रहते हैं
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मेरे फलक के इल्जाम लगाने वाले इन
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इलाहाबाद की तफ़सील अवाम तक नहीं पहुंचने
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देते और ना ही आपको बताते हैं
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है कि हम उन्हें एजेंट क्यों कह रहे हैं
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है और दरमियान में ही अपना हिसाब बटोरकर
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सब अच्छा की रिपोर्ट पेश कर देते हैं
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कि यह शो रोग ना सोनू सोनकर आम आदमी
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मौजूदा सेट अप से बदल चुका है
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है और आप उसके दिलो दिमाग में यह बात घर
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कर गई है कि जो शख्स भी किसी दूसरे को
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एजेंट करता है तो दरअसल अपनी पहचान बतौर
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एजेंट करवाने के लिए बेताब है और यह बातें
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वह महेश एजेंट कहे जाने वाले शख्स की
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ठाठ-बाट से ज्वैलर्स होकर कर रहा है
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कि उसकी बातों से वायरल हो रहा होता है तो
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वह भी एजेंटो कृषि पर ईमान रखता है और खुद
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को अपनी सिद्धांत के लिए पेश कर रहा है
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और पैर यह बात तो युद्ध में आने आ गई अपने
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असल मौजों की जान अब लौटते हैं कि एजेंट
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कौन होता है और कैसा दिखाई देता है वह कौन
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खुशकिस्मत है जो एजेंट बनने के अनुसार पर
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पूरा होता है
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कि चलें मैं आपसे सवाल करता हूं
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कि आपके खेल में एजेंट की मुक्त नाखुश याद
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क्या हो सकती हैं
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कि आपने नहीं बताना या आप बताना नहीं
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चाहते क्योंकि आप मैंने मुश्किल सवाल कर
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लिया है अजय ने छोड़े हम ही बता देते हैं
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है क्योंकि बचपन से जॉइंट एजेंट के बिल्ली
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चूहे वाला खेल हम सुनते चले आ रहे हैं और
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आज तक जो तस्वीर हम उसकी अपने जहन में
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बिठा चुके हैं
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कि वह आपसे शेयर करते हैं
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तो मेरे ख्याल में एजेंट के सींस होने
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चाहिए
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है मोटी मोटी आंखें होनी चाहिए लंबे बाल
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घनी मूंछें जिन पर वह जानना गली की
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नुक्कड़ पर बैठकर ताऊ देता है और चुडैलों
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जैसे
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के बढ़े हुए ना होने चाहिए
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कि यह बेकारी के रूप में भी हो सकता है
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कुछ बस स्टॉपों पर अखबार पढ़ते हुए भी
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दिखाई देता है कभी पार्कों होटलों और तफरी
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गावों में फैमिली के दरमियान गुब्बारे
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बेचते चाहिए इससे शहद जूस के डिब्बे ठंडे
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या पकौड़े और गर्मी से पिछली हुई टॉफ़ियां
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भी बेचते नजर आता है और कई बार तो यह
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कटारा मोटरसाइकिल पर किसी सरकारी मुलाज़िम
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यह अपने मतलब बाहर धूप को उसके घर तक
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पूंछा जाता भी है बजे रहे बीच ऐसी
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शक्तियों शबाहत वाले एजेंट की मंजरकशी हम
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बचपन से करते आ रहे हैं मुमकिन है आज सूरत
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हाल ही अक्षर मुख्तलिफ यूबीआई जेम्स बॉन्ड
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की फिल्में देखकर तो एजेंट का यह मंजरनामा
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या कदम उठाए ब्रोकर एक इंतहाई ताकतवर
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पुरकशिश चारों हाथों सुमित रजक गद्यांश और
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शुभेंदु देख तेरा रात का मालिक शख्स हमारे
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सामने आ खड़ा होता है मगर जेम्सबांड तो
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पहले दुनिया का एजेंट है जबकि तीसरी
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दुनिया का एजेंट बेचारा तो आज भी ऐसा ही
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होगा खैर जेम्सबांड तो लाइन फ्लेमिंग का
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त्यौहार है दुनिया भर की तारीख में
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बड़े-बड़े जजमेंट उतरे हैं मस्जिद का
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किस्सा तो हम कभी फिर सुनाएंगे हालिया
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तारीख में रूस के सिडनी पहले पोलैंड की
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कृष्ण की नमस्कार बैक पोलैंड के जॉब लेख
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सर्बिया के दुसान पोपो फ्रांस के हेनरी
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डीईए कोर्ट जर्मन की ओर बेटे आलोक बोस
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जर्मनी ही की
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कि जर्मनी ही के क्लाउज फ्यूचर्स और फिर
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जर्मनी के ही रिजल्ट स्वर्गे हालैंड की
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माता हरी अमेरिका की वृद्धि नया हाल जैसे
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एक बीस्वैक्स अधिक नुमाया अर्जेंट है
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को लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस एडवर्ड लांस अल
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मरूफ अलार्म साफ कर दिया का किस्सा किसने
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नहीं सुन रखा हुआ जिसने आबू में ताकत पैदा
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करके सल्तनत ने उस्मानिया की जड़ों में
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ए बैठ गया यह जॉइंट आज भी अपने कारनामों
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की बदौलत ज़माने जयम है
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और पैर एजेंट किसी भी हो लिए लिबास और वजह
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अंकिता में हो उसका तो काम एजेंसी के लिए
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काम करना होता है मगर वह करता क्या है
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इसकी क्वालिफिकेशन क्या होती है इसकी
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पहचान कैसे की जाए कि हमारे आप के दरमियान
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कौन कन्वर्जेंट छुपा बैठा है क्या हमें
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अपने हुक्मरानों के कहे हुए एजेंटों पर
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एकतरफा करना चाहिए या फिर खुद कर देंगे
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इस्तेमाल करना चाहिए
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है मगर खुद का दिन कैसे इस्तेमाल किया जाए
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कि हम तो जॉब भी बाजार में जाते हैं तो
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हमें बट्टी कमीशन एजेंट राजा जी से जजमेंट
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बट सोल प्रोप्राइटर एंड एजेंट जैसे नामों
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के बिलबोर्ड्स दिखाई देते हैं लेकिन यह तो
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वह अर्जेंट नहीं जो में फिल्मों ना बोलो
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या अदब में या फिर असेंबली में सुनाई और
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दिखाई देते हैं तो फिर ऐजेंट को कैसे
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पहचाना जाए यह सवाल आम आदमी के लिए बहुत
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अहम है कि वह एक अरसे से कंफ्यूज दिखाई
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देता है इसीलिए तो वह मराठों की हां में
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हां मिला सोचे-समझे पिछले 7273 सालों से
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मिलाएं जा रहा है
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तो यहां मैं सरकारी
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है और गैर-सरकारी अजय तंज़ीमों प्रेशर
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ग्रुप ओं अभी असोसिएशनों अभी एकेडमियों
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अदबी बोर्डों के चेयरमैनों और डायरेक्टर
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जनरल की बात नहीं कर रहा कि हमें
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पाकिस्तान से लेकर अब तक पर जो हमारी
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जड़ों में बैठे हुए हैं और अस्सी नब्बे
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साल के मुर्दों में शुमार किए जाने वाले
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बाबे पैरासाइट्स की तरह आती खजाने से
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प्रोमाइज इन के टीके लगवाए लगवाकर
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बेशर्मों की तरह आज भी दिए जा रहे हैं
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है कि आप के कार्यकर्ता भी सिर्फ बट आसिफ
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पर बराबर सिफर दिखाई देती है
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कि यह सूडो इंटलेक्चुअल भी दरअसल एंट्री
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होते हैं जिनकी स्पा शॉप पर हकूमत
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अद्वितीय वॉर्ड देती है
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कि अप्रिसिएशन के सर्टिफिकेट मिलते हैं
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है और मुख्तलिफ ओहदों पर उनको अपना बंदा
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समझकर दूसरे मामलों में अपना एजेंट समझ कर
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लगाया जाता है
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मैं यहां एक बात खुले लफ्ज़ों में राज्य
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कर दूं कि मेरा मकसद किसी इंसान की तस ही
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हरगिज नहीं बल्कि इन आधारों की सब राही के
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लिए किसी भी हद तक चले जाने वाले हो के
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लिए मैंने यह बात की है वरना पाकिस्तान
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जैसे वषरे में जो इंसान नव्य साल की उम्र
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में भी जलील होने के लिए तैयार है तो हम
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कौन होते हैं कि उन्हें कोसते हैं
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कि मुझे लगता है कि मैं पूरा बयान
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करदाशियां के बावजूद भी आपके जहन में
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एजेंट की कोई वजह तस्वीर नहीं बनती दिखाई
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दे रहे
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मैं उल्टा एजेंट के बारे में गलतफहमियां
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जन्म ले रही होंगी आपके दिल में दिमाग में
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के पता नहीं वह कोई खिलाड़ी मखलूक है यह
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हमें दिखाई नहीं देती
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का बालवीर है कि हमारी सिलाई मशीन लाख से
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मुराद मुराद नहीं जो हमारे हर दिल अजीज
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मियां साहब ने बयान की थी
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कि हमारे खेल में तो वह बिल्ली चूहे वाला
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खेल है जो हुक्मरान शराब पिया तयशुदा
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शरायत पर आप उसमें हर दो चार साल बाद अवाम
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को कंफ्यूज करने के लिए खेलती रहती है
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कि हमें न मियां साहब से कुछ लेना-देना है
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वह तो अपने मजे में अपने प्लेटलेट्स पूरे
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कर रहे हैं हमें तो यहां इस बात का जिक्र
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करना है कि दुनिया भर के हर मुल्क में
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दुनिया भर के हर मुल्क में 313 के करीब
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एजेंसियां होती हैं
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है और इन सब में से आखिरी एजेंसी आपकी
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बीवी होती है
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है और जो शादीशुदा नहीं
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है जो कि हमारे हैं उनकी एजेंसी वाला काम
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उनकी महबूबा या महबूब सर अंजाम देता है
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अच्छा लगता है मैं अपनी बात को बाध्य नहीं
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कर पा रहा दरअसल एजेंसी का काम आपके बारे
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में मुकम्मल तौर पर आएगा होना होता है और
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आपकी बीवी और महबूब या महबूबा की जानते
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हैं कि आप इस वक्त कहां मौजूद हैं
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है आपने देखा होगा कि घर वाली एजेंसी कैसे
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आपके जरा यह आमदन के मुताबिक खोज लगाने के
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चक्कर में रहती है
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कि अजेंसियों का काम भी बीवी की तरह आपके
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घर आए आमदन से मुतलक मुकम्मल फाइल तैयार
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करना होता है कि ताकि वक्त एक जरूरत अकामा
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पनामा या आप शोर कंपनियों की तब सिला आत्म
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अंधेरा मंदिर यहां पर लाकर आपकी औकात आपको
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याद दिला दी जाए शायद इसीलिए हमारी
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पॉलिटिकल पार्टियां आज तक पुष्टिकर
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एजेंसियों ही की बिगड़ी हुई शक्ल दिखाई
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देती है
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है वरना इलेक्शन के दिनों में पोलिंग
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बूथों पर हर पार्टी पोलिटिकल एजेंट तैनात
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करने की बजाय पॉलीटिकल वर्कर तैनात करती
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तो बात समझ में आती है
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की बात हो रही थी घर में मौजूद है जैसी कि
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के कहां तक हम बेयकीनी और दिन इंतजार का
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शिकार होते हैं कि जीवनसाथी को भी एजेंसी
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का रूप देखकर खुद को बचा रहे होते हैं
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हालांकि के सिकंदर और महमूद गजनवी की तरह
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लूटे हुए माल व स्वास्थ्य को हसरत भरी
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निगाहों से तपते हुए जान देना किसे याद
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नहीं
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एक अच्छा चलिए बात को मुक्तसर करते हैं और
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एजेंट की पहचान करने की कोशिश करते हैं
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कि हमारे खेल में एजेंट की पांच को शोषित
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हो सकती हैं
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है जो एजेंट बनने के काबिल है
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तो आइए आइए हम अपने आसपास घूमते फिरते
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जानवर ने मां कुनै इंसान की पहचान करें
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कि अब यह सवाल न कर बैठना कि मैंने बिना
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सोचे-समझे एक हट्टे-कट्टे इंसान को जानवर
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क्यों करार दिया जब के एजेंट तो मुकद्दस
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काम कर रहा होता है और इन्हें क्रम-क्रम
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से दुश्मन के बड़े-बड़े नेटवर्क पकड़े
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जाते हैं
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में चले यह कहानी फ़िर सही हम अभी अर्जेंट
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की पांच ख़ुसूसियात बताते हैं ताकि मौजूदा
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बेरोजगारी के दौर में अगर आप में यह खुश
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याद मौजूद हो तो क्यों ना एंटी भर्ती होकर
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यह मुकद्दस पिज्जा आप भी सरंजाम दें
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है तो सुनने हैं
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जो पहली घोषित जो किसी इवेंट में या एजेंट
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बनने के लिए हो सकती है वह है इंसान का
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यूनिलैटरल सोच का तालमेल होना आ
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कि ऐसा क्या उस जिंदगी के अहम तरीन मामला
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साथ एक तरफा ट्रैफिक की मांग चलाता है वह
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मशवरा करने का स्टाइल नहीं होता ऐसे ही
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किसी नमूने के लिए जब मिसल मशहूर है कि
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किस शेयर की आमद है कि रन कहां पर है
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तो बस यह शख्स घर में दाखिल हुआ तो सभी
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सेमी से में दिखाई देना शुरू हो जाते हैं
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घर को नज्मो नष्ट में काम करता देखकर वो
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दिल ही दिल में खुश हो रहा होता है एक ऐसा
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देखा कैसा रोग है मेरा अ
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कि हमें तो लगता है कि ऐसा शख्स को जन्नत
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में हूरों को भी हरा साग करने के जुर्म
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में गिरफ्तार कर लिया जाएगा
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में कितना आरोप
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कि ऐसे लोगों की अक्सरीयत जिंदगी के आखिरी
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या आम में
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को अपनाने नहीं तो आंगन खो बैठती है
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है और सचमुच तुम लोग बांधकर दाता दरबार पर
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लंगर की लाइनों में घंटों खड़े होकर दो
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वक्त की रोटी के लिए भीख मांग रहे होते
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हैं
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कि वह अभी भी समझ रहे होते हैं कि वह
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मुकद्दस काम की तामील में ऐसी जगहों पर
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तैनात किए गए हैं
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हुआ है
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