Sir Syed Ahmad Khan's Role for Muslims of India | #india #indian #hindustan #british
Nov 4, 2024
In this video, I'm going to talk about the life of Sir Syed Ahmad Khan and his contributions to the Muslim community in India. You will learn how he founded the first Muslim nationalist organization "All-India Muslim League" and how it led to the creation of Pakistan. #sir syed ahmad khan, #sir syed ahmed khan, #sir syed ahmad khan history, #sir syed ahmed khan history in urdu, #sir syed ahmad khan and aligarh movement, #sir syed ahmed khan biography, #sir syed ahmad khan speech, #sir syed ahmad khan books, #sir syed ahmad khan in urdu, #sir syed ahmad khan biography in hindi, #sir syed,sir syed ahmed khan essay in urdu, #syed ahmad khan, #sir syed ahmad khan death, #sir syed ahmad khan status, #sir syed ahmad khan biography
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[संगीत]
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मुसलमान को खूब दबाकर रखा क्योंकि अंग्रेजों की नजर में मुसलमान
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ज्यादा आक्रामक द फिर हिंदुस्तान पर
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इसके अलावा मुसलमान नई तालीम और सरकारी नौकरियां से कतराते द जिससे अंग्रेजों का
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शक और बढ़ा इसके बाद खिलाफ हिंदुओं ने आसानी से नई
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तालीम अंग्रेजी की और सरकारी नौकरियां को स्वीकार किया और ज्यादा फार्मा बरदार भी
0:43
लगते द इसलिए 1857 तक मुसलमान में अंग्रेजी जानने वाला
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माध्यम वर्ग नहीं के बराबर था और मुस्लिम समाज का वो भाग जिसमें से
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माध्यम वर्ग यानी bujvae तब का उभर सकता था अंग्रेजों से सख्त नफरत भी करता था और
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कदमत पसंद भी था काफी
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मुख्यालय पशुओं और बहस mubarakison के बाद खाने मुसलमान को अंग्रेजी तालीम की तरफ
1:17
आमादा किया उनका ख्याल था की इस नई तालीम के जरिए
1:23
मुसलमान पुराने छोड़ पाएंगे
1:43
अच्छा ठीक है तुम चलो मैं आता हूं
1:48
[संगीत]
2:12
आप अकेले जाएंगे नहीं कुछ वफादार सिपाही मेरे साथ जा रहे
2:19
हैं
2:24
अगर हमारा जाऊं तो इन दो बच्चों को लेकर किसी अमल की जगह चली जाना
2:30
अच्छा अल्लाह हाफ़िज़
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जब तक मैं जिंदा हूं जिस वक्त मेरी लाश आपको कोटि के बाहर पड़ी मिले वो वक्त आपके
2:50
घबराने का वक्त होगा थैंक यू मिस्टर कौन है
2:59
[प्रशंसा] प्लीज टर्न डी आउटसाइड मैं नवाब महबूब को जानता हूं
3:11
[प्रशंसा]
3:23
रुक जाइए नवाब साहब थक जाइए साहब आप यहां से चले जाइए
3:31
ताकि आपकी शराफत की चाची हूं आप अंग्रेजों के नौकर हैं इसलिए उनकी तरफदारी करते हैं
3:39
हमारे साथ शरीक हो जाइए जितनी बड़ी जागीर चाहिए मिल जाएगी तब आप सब मैं आपकी भलाई
3:45
के लिए एक बात अर्ज करता हूं अंग्रेज हिंदुस्तान से नहीं जाने वाले उनकी जेड यहां बहुत गहरी जा चुकी है और अगर चले भी
3:51
गए तो आपको क्या फायदा आप तो नवाब है नवाब ही रहेंगी इसलिए चंद बेगुनाहो के उनसे
3:57
क्यों अपने हाथ में रखते हैं ठीक है
4:03
कलेक्टर हमें लिखकर दें की हमने उसकी मदद की है मैं लिखवा कर देता हूं आपसे मैन लीजिए की शेक्सपियर साहब और बाकी
4:09
अंग्रेजों को हिफाजत से रोड की जाने देंगी हम लेते हैं
4:16
[संगीत]
4:32
खुदा
4:51
हमारा बिजनौर में रहना खतरनाक है चारों तरफ हालत बिगड़ने चले जा रहे हैं [संगीत]
4:58
इस बार तो नवाब हमारी बात मैन गया है लेकिन उसको बदलते देर नहीं लगेगी
5:04
अगर हम किसी सूरत
5:09
[संगीत]
5:15
मोहल्ले के मोहल्ले जलकर खाक हो गए हैं [संगीत]
5:32
[संगीत]
5:38
[संगीत]
5:48
कहीं से एक बूंद पानी मिल जाता [संगीत]
6:04
[संगीत]
6:16
[संगीत] तू कैसे ए गया बेटा
6:24
तुम्हें लेने आया हूं मामू कहां है
6:42
[संगीत]
6:50
हम तीनों औरतें जो गुजरेगी
6:56
गुजर जाएगी
7:10
[प्रशंसा]
7:25
मौला तेरी अमन में तेरी अमावा में [संगीत]
7:37
अपना पानी मुझे दिया था [संगीत]
7:49
[संगीत] नहीं
8:21
[संगीत] अन्य हम फ्रॉम कमिंग तू डी ब्रिटिश ऑफिसर
8:29
विलियंस एंड फेमस [संगीत]
8:38
[प्रशंसा]
8:44
[संगीत]
8:51
आई वुड लाइक तू मैसेज फ्रॉम डी वॉइस रॉय ऑन डी एजुकेशन [संगीत]
9:05
अली जनाब सैयद अहमद खान साहब बहादुर को उनके खिदमत
9:12
सरकारी इंग्लिश या की तरफ दो नस्लों के लिए
9:19
₹200 माहवार की पेंशन अतः की जाती है इसके अलावा कलेक्टर साहब बहादुर के सिफारिश पर
9:26
सैयद अहमद खान साहब को तालुका जहानाबाद और
9:39
[प्रशंसा]
9:46
मैं अंग्रेजी हुकूमत और आप सब साहिबान का शुक्रिया अदा करता
9:53
लेकिन मैं एक बहुत अदना सा इंसान हूं मेरी जरूरत के लिए ₹200 महीना पेंशन और मेरी
10:01
तनख्वाह काफी है मैं जागीर लेकर क्या करूंगा हुजूर
10:06
खान
10:14
इन आंखों ने जो कुछ देखा है उसके बाद अब हिंदुस्तान में रहने का मेरा दिल नहीं
10:19
करता
10:30
[संगीत]
10:42
कैसे हो सकता है [संगीत]
10:53
आगे चलकर सरकार का मुकाबला करें चंद सिपाहियों के हुक्म ली
10:59
आपस में फसाद बगावत कैसे कहा जाए [संगीत]
11:09
को बगावत नहीं कहा जा सकता और उसकी सजा आमराय को देना तो जुल्म है
11:25
मैं अपनी बात लंदन तक पहुंचने की कोशिश करूंगा
11:49
कितनी देर लगती है सैयद साहब आपके ख्याल में इस बगावत का सबक
11:57
क्या था पंच बुनियादी बातें थी जिनकी वजह
12:08
दूसरी इस्तेमाल
12:15
नहीं खाते द तीसरी उन्हें हमारे असली हालत और
12:20
परेशानियों से नापाक
12:26
अलग पॉलिसी अख्तर की पांचवे फौज में बाद इंतजार में और सबसे हम
12:34
बात यह की लेजिसलेटिव काउंसिल में हम लोगों को शरीयत ना करना
13:15
आपकी जान खतरे में ना डालिए sankatas कुछ कम ऐसे होते हैं जिम अगर जान
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भी चली जाए तो कोई मजाक नहीं तुम्हें अंग्रेजी आती है
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500 से कुछ ज्यादा होंगे मैं तब तक खुदा से दुआ मांगता हूं की वो मेरी मेहनत को
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बोल करें|
14:03
आपके हिंदुस्तान में किसी अंग्रेज को भी नहीं भेजा अगर मैं बगावत फैलाना चाहता तो
14:10
मैं पहले से हिंदुस्तानी हूं मैं बताता हूं रोंग विद इट एवरीथिंग विद मिस्टर खान
14:26
मिस्टर खान आय अंडरस्टैंड यू हैव टॉर्च डी साइंटिफिक
14:32
सोसाइटी हिंदुस्तान में अल तालीम की रोशनी तब तक नहीं फैल सकती जब तक साइंस की किताबों के
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तर्जुमा देसी जुबान में ना हो मुसलमान अंग्रेजी पढ़ने को गुना समझते हैं और
14:45
हिंदू उसे सिर्फ नौकरी पाने का एक जरिया हमें अपनी तरक्की के लिए अंग्रेजी जुबान
14:50
को अपनाना पड़ेगा
15:31
अरे भाई बेगम कल से मुरादाबाद में हमारा अंग्रेजी स्कूल शुरू हो रहा है तुमने लड़कों के कपड़े
15:38
वगैरा तो ठीक कर दिए है ना पढ़कर रिश्ता नहीं बनाऊंगी
15:52
लेकिन अब सरकारी नौकरी वगैरा
16:01
राज्यपाल फौज का तो वहां तो मुसलमान को भारती किया नहीं जा रहा है रही वकालत
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वकालत में भी उर्दू की जगह अंग्रेजी ए गई अरे अब तो अप के मुसलमान ही नहीं हिंदू भी
16:14
अंग्रेजी से नहीं कटरा सकें
16:19
लेकिन मैं उन्हें आपकी तरफ नहीं
16:28
मिले
16:35
वह हालत को समझने और सही गलत के बीच में तमीज करने के काबिल बने
16:42
कुदरत के करिश्मा पर गौर करने के कुबत उसमें पैदा उसका iklaat दुरुस्त हो| और वह अपना कम
16:49
सही ढंग से अंजाम दे सके लेकिन हुकूमत का ख्याल है की
16:55
हिंदुस्तानियों को ऐसी तालीम की कोई जरूरत नहीं उन्हें सिर्फ उतनी तालीम दी जानी चाहिए
17:02
जितनी की रोजी रोटी कमाने के लिए जरूरी उनके हिसाब से उन्हें तमाम इल्म देने की
17:11
कोई जरूरत नहीं सिर्फ दो इल्म काफी है [संगीत]
17:18
दूसरा हम मसाला जुबान ऑन में हिंदुस्तानियों को तालीम दी जा रही
17:25
है क्या वो जुबान इस काबिल हैं की उनमें अल तालीम दी जा सके यह सही है की यूरोप
17:33
वालों ने और अरबी लोगों ने अपनी अपनी जुबानो में तालीम दी
17:41
लेकिन क्या हमारी जुबान है उन जवानों का मुकाबला कर सकती हो मेरी साफ फ्राय
17:49
की देसी जुबानो में तालीम देने की अपनी पॉलिसी हुकूमत खत्म करते और सिर्फ
17:55
अंग्रेजी मदरसे और स्कूल कायम करें क्योंकि अंग्रेजी
18:01
में हर कसम का अल इल्म दिया जा सकता है इससे
18:07
हम हिंदुस्तानियों की यह बड़गुमानी की सरकार हमें अल तालीम नहीं देना चाहती भी
18:14
खत्म हो जाएगी इन्हीं सब बातों का ख्याल करके मैं यहां
18:20
गाज़ीपुर में एक मदरसा कायम करने जा रहा हूं यह मदरसा सेल्फ हेल्प यानी से बनेगा इसके
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पैटर्न होंगे राजा हरदेव नारायण
18:41
संस्कृत [संगीत]
18:46
अगर अल्लाह की मदद शामिल रही तो एक दिन यह
18:53
मदरसा कॉलेज बनेगा इंशाल्लाह
19:20
एक बार फिर शुरू करके अब अच्छा नहीं करना चाहिए साहब इसलिए मरते भी इसी की वजह से हूं
19:28
एक ही बात है आप ऐसी बातें लिखते ही क्यों है अगर सच लोगों के समझ में ना आए तो क्या
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सच बोलना छोड़ दें ऐसा सच जिसमें फसाद का अंदेशा हो बोलने से माना किया जाए अरे भाई क्या कहता हूं मैं यही कहता हूं की तरक्की
19:43
कदम मत परस्ती नहीं हो सकती पुराने ख्याल से चिपके रहने से नहीं हो सकती
19:50
साइंस के जरिए हो सकती तो क्या मैं झूठ कहता हूं और अगर मैं यह कहता हूं की
19:55
अंग्रेजों के तमाम तरह साइंस की वजह से हुई है तो क्या गलत कहता हूं
20:00
देखिए साइंस और मजहब को अलग रखना ही बेहतर है उलमा कहते हैं की साइंस कुरान के खिलाफ है
20:05
गलत है साइंस नेचर का कानून नेचर
20:24
मुझे हर बात की जाए वो गलत हो या सही हो आप टाइप करते हैं मेरी भी एक बात समझ में नहीं ए रही सही है
20:33
मेरे पास करवाया और फिर अंग्रेजों के साथ खाने पीने को भी
20:38
आप गुनाह नहीं समझते इस बात पर आपके खिलाफ फतवे तक जाए हुए हैं आप ₹50000 लगा लीजिए मुझमें पर मैं नहीं
20:45
बदलने मैं सच का रहा हूं आधे से ज्यादा लोगों की समझ में आपकी
20:52
बातें नहीं आती भाई मैं तो बहुत सीधी साधु जुबान में बात करता हूं आपका मकसद समझ में नहीं आता है
20:58
यह साइंटिफिक सोसाइटी या किताबों के तर्जुमा लेक्चर फिर अंग्रेजी तालीम की
21:04
चर्चा अलग है
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की हिंदुस्तानियों से जो कुछ छीन गया है वो उनको वापस मिले और ये कम तालीम के बाहर
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नाम के अल तालीम यहां आम तालीम बने ये मैं चाहता हूं
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मैं तो सोच रहा हूं समय उल्लाह की महमूद को अगर स्कॉलरशिप मिल जाए तो इसके साथ में
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भी लंदन में दिखाई देते हैं
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मैं उनकी तरक्की देखने जा रहा हूं मैं यह देखने जा रहा हूं की एक छोटा सा जीरा किस
21:45
तरह दुनिया भर पर अपना परचम लहरा सकता है मैं वहां जाकर हिंदुस्तान के लिए एक
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नजरिया कायम करना चाहता हूं मैं चाहता हूं की इस तजुर्बे से अपने मुल्क को फायदा पहुंचे मैं उनके स्कूल
22:03
अब हुई बात साहब
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अंग्रेजों की सराहना करते द और उनके यूरोप के सफर ने उन पर और भी गहरा असर छोड़ा
22:20
19वीं सदी का पश्चिमी यूरोप अपनी तहजीब की बुलंदी प्रथा
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इसलिए कोई हैरत की बात नहीं की जो भी हिंदुस्तानी वहां गए वहां की शान और शौकत
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से चकित से रह गए 1869 में हिंदुस्तान से भेजे खत में से
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सैयद दिखते हैं जो कुछ मैंने यहां देखा है वह हिंदुस्तान के किसी भी बाशिंदे के वह गुमान में भी
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नहीं ए सकता इंसान में जो भी खूबियां पाई जा सकती हैं रूहानी या दुनिया भी वो अल्लाह ताला ने
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यूरोप को बख्शी है और खासतौर से इंग्लिश तन को इन खूबियां से नवाज है शायद से सैयद
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ने बात को बढ़ा चढ़कर इसलिए कहा हो ताकि वो अपनी कॉम को झकझोर कर आगे बढ़ाने की
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प्रेरणा लें यह कदम पश्चिमी तालीम की ओर ही हो सकता था
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सैयद की जोरदार और पूर्व असर शख्सियत ने मुसलमान को यह रह अपने में काफी mukadsil
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किया और अलीगढ़ में यूनिवर्सिटी कायम करना उनके अरमानों और उम्मीद का एक प्रतीक बन
23:25
गया [संगीत] यूनिवर्सिटी बनाने का ख्याल
23:31
नहीं देगी इसलिए भी की यूनिवर्सिटी के लिए आप 10 लाख रुपए जमा करना चाहते हैं
23:38
10000 भी नहीं दे सकती
23:47
हमारा मकसद क्या सिर्फ किताबी तालीम देना है
23:56
मैं चाहता हूं की केंद्रीय यूनिवर्सिटी की तरह हमारे बच्चों को भी हम आगे फैल हो
24:01
सकते हैं जब तक होम के बच्चों के लिए आना तालीम का इंतजाम नहीं होता अब मैं लियाकत पैदा नहीं
24:08
होगी मैं चाहता हूं
24:14
जिसमें की वह दिलचस्पी रखता हो हम आगे बहुत उम्दा है ऐसे ही है साहब लेकिन ऐसी
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यूनिवर्सिटी इस फॉर्म के भरोसे पर कायम करना आसान कम नहीं है यूनिवर्सिटी यूनिवर्सिटी
24:55
मेरा talbenon से कोई रास्ता नहीं रहेगा मैं सिर्फ इमारत बनवाऊंगा
25:01
जरूरत का सामान्य करूंगा और यूनिवर्सिटी की स्कीम पुरी करूंगा देखिए फिलहाल हमें
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लोगों की जमाने बंद करने के लिए नमूने के तौर पर एक मदरसा खोलना चाहिए ताकि लोगों
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को कम से कम यह तो पता चले की आखिर हम चाहते क्या हैं जो तरक्की करके कॉलेज भी बन सकता है
25:17
ठीक है मगर मैं उसे मदरसा या कॉलेज नहीं कहूंगा दारुल उलूम कहूंगा यूनिवर्सिटी
25:25
वह तो बात की बात है पहले यह तो हो ठीक है
25:35
सुभान अल्लाह अब सुभान अल्लाह
26:00
सब इस तरह से चंदा जमा नहीं होगा
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मगर मैं तो कहता हूं की एलुमन के नाम से यह बयान ही झूठा है क्योंकि जो लोग अलीगढ़ में मदरसा बनाना चाहते हैं वह मुसलमान
26:30
नहीं है एक और मौली फरमाते हैं मदरसे में सर सैयद अहमद खान का बुध होगा
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में तस्वीरें
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जाएगा और सूट के पैसों से मदरसा चलेगा समीउल्लाह साहब
27:08
वह वक्त गया जब हम सर झुकाए सबको सुनता रहते द असल में अब कागज के घोड़े दौड़ने से कम
27:15
नहीं चलेगा
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और इस कम में फुर्सत और मेहनत के अलावा रुपए की तरकर होगी और कमेटी याद रखिए पैसा
27:30
नहीं देखी कृपया अभी हमें अपनी जेब से खर्च कर रहा होगा और हम यह कर दिखाएंगे और
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इंशा अल्लाह हे मदरसा अलीगढ़ में एक हुआ मुकर्रर है
27:43
मदरसा अलीगढ़ में एक हुआ मुकर्रर जिसको किया
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इसमें सब मद्रास से अच्छी सब कलियों से बेहतर अंग्रेजी आम होगी तालीम में मगर हान
27:59
मजहब की खास होगी तालीम ए बिरादर है जिसमें मदरसे का अंग्रेजी और उसमें तालीम
28:06
में मजहबी है बस जान के बराबर इस मदरसे के पानी की वजह भी ऐसी इस मदरसे के पानी की
28:13
वजह भी है ऐसी जिससे सबूत होगा कायदे का अक्सर पतलू उनका पतलू
28:39
[प्रशंसा]
28:45
यह मदरसा इम्तिहान नहीं आई इसको कायम करने
28:50
का यह मकसद है की जो लोग मुझे खोजते हैं गलियां देते हैं
28:57
बहकने वाला बताते हैं वो खुद देख लें आकर की हम किस तरह की तालीम उनके बच्चों को
29:02
देना चाहते हैं उन्हें क्या सीखना चाहते हैं यह छोटा सा मदरसा जो हम खोलने जा रहे हैं
29:12
अल्लाह के फसल से एक दिन आलीशान यूनिवर्सिटी बनेगा मैंने कलेक्टर साहब
29:19
जनाब हेनरी लॉरेंस को एकदम वस्ति कलेक्टर साहब ने अंग्रेजी हुकूमत को भेज
29:27
भी दी जिसमें हमने कहा है की यह जो 74 एकड़ जमीन बेकार पड़ी
29:35
बनाने के लिए दे दी जाए अगर उतनी नहीं तो कम से कम इतनी जमीन जरूर दी जाए जिसमें हम
29:42
एक अच्छा कॉलेज बना सके बाकी जमीन तो हम परमिशन खरीद लेंगे
29:52
[प्रशंसा]
30:18
शुक्रिया वेलकम
30:23
इसमें
30:37
शुक्रिया
30:49
देखा जा मैं तेरे सवाल का जवाब नहीं देता मजनू तुझे मेरे हर सवाल का जवाब देना
30:54
पड़ेगा नहीं दूंगा तुझे तेरी अल्लाह की कसम नहीं दूंगा तुझे तेरी अब्बा की कसम नहीं दूंगा तो जा तुझे तेरी लैला की कसम
31:04
क्या पूछा तुमने
31:14
भूले क्या देखा बता लैला मैं तूने क्या देखा मैंने लैला मैं नूर ए खुदा देखा
31:23
मैंने लैला मजनू ए खुदा देखा मैंने पहला माह नूर बुलाने का मैंने लैला में नूर ए
31:32
गए
31:54
अरे रईस
32:08
लेकिन आज उनके बच्चों का क्या हाल है यह हाल है की हम उनके लिए स्टेज पर खड़े
32:14
हुए हैं आप मुझे समझते हैं
32:20
गद्दार समझते हैं समझिए लेकिन अगर कोई काफिर अपने हाथों से आपके
32:28
लिए मस्जिद बनाता है तो क्या आप उसे मस्जिद को हटा देते
32:37
कुछ काफिर को यह मस्जिद से बना लेने दीजिए
32:45
मेरी मेहनत पर रहम कीजिए [प्रशंसा] [संगीत]
32:52
[प्रशंसा]
33:15
वैसे ही आपके खिलाफ कौन से कम फैट रहे द जो आपने ये लॉटरी के जरिए चंदा जमा किया
33:21
है लॉटरी
33:38
की जरूरत थी देखिए मैं आपसे पहले भी का चुका हूं की अगर मदरसे में कोई भी कम मजहब
33:45
के खिलाफ हुआ तो मैं यहां से चला जाऊंगा
33:53
अंग्रेज बनाना गुना है अरे भाई क्या हाल है अगर हमारे बच्चे कल्चर में अंग्रेज हो
33:58
और मजहब में मुसलमान मैं आपसे बहस नहीं कर रहा मगर मुझे यकीन है की लॉटरी की सख्त
34:04
मुखालिफत होगी बिल्कुल नहीं होगी बिल्कुल होगी नहीं होगी चाहे तो एक एक अशरफी की शर्त बदली बदली लीजिए लेकिन पहले ये
34:12
दिखाइए की आपके पास है या नहीं थैंक यू ये देखिए
34:18
[संगीत] [हंसी]
34:23
मैंने आपको गुनहगार होने से बचा लिया क्योंकि शर्त पर ना लॉटरी से बड़ा गुनाह
34:28
है अब निकालिए एक और [संगीत] [हंसी]
34:36
[संगीत] अरे भाई मौलवी साहब सलाम वालेकुम अस्सलाम
35:04
यह कॉलेज आज जिसका संघ बुनियाद रखा गया
35:10
[संगीत]
35:16
[संगीत]
35:23
एक ही रास्ता है [संगीत] तालीम
35:30
एक ऐसी तालीम जो सही मानव में तालीम हो
35:35
मेरी जिंदगी का मकसद रहा [संगीत]
35:47
मुड़न एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज
35:52
किसी हद तक मेरी हकीर कोशिशें का नतीजा है [संगीत]
35:59
लेकिन मैं अकेला क्या करता अगर मेरे हाथ एन होते मेरे साथी एन होते
36:08
तो शायद इस खाक को हकीकत में तब्दील करना मेरे लिए दुश्वार होता
36:17
मुझे यकीन है की इस कॉलेज की कामयाबी का सेहरा
36:23
मुझसे कहीं ज्यादा मेरे साथियों के सर पर है [प्रशंसा]
36:34
मुझे यह देखकर अपने जिंदगी के आखिरी हिस्से में
36:41
की जिस कम में मुझे इतने अर्से तक बंधे रखा
36:48
उसे कम ने एक तरफ मुझे मेरे humdnon की
36:53
हमदर्दी दिलाई तो दूसरी तरफ अंग्रेज हुकुम रनों की हिमायत भी
37:01
कुछ ऐसा जाता है मैं आप लोगों के बीच में नहीं रहूंगा
37:08
लेकिन अगर अल्लाह ने चाहा [संगीत] तो यह कॉलेज तरक्की करता रहेगा
37:23
[संगीत] [प्रशंसा]
37:39
[प्रशंसा]
37:44
इंडियन नेशनल कांग्रेस के नाम से जिसमें हिंदुस्तान के तमाम मुद्दे लोग
37:50
शामिल हो रहे हैं खुद एनर्जी का और बदरुद्दीन तैयब जी का यह ख्याल है की अगर
37:56
इस दायरे में आप शामिल ना हुए तो यह अधूरा रह
38:04
तुमने 1857 के गदर के बारे में तो सुनाई होगा जरूर सुनाएं मैंने सब कुछ अपनी आंखों
38:11
से देखा है मुसलमान पर जो गुजरी वह मैं खूब समझता हूं और उसके बाद आप ही ने तो सबब में
38:19
bagavathin ने कहा था की वायसराय के काउंसिल में हिंदुस्तानी होने चाहिए नतीजे के तौर पर कई साल तक काउंसिल में
38:28
हिंदुस्तानी मेंबर
38:35
अब यह इलेक्शन की बात कर रहे सरकार से लड़ने झगड़ने की बात कर रहे
38:42
हैं अभी बंगाली लोग पिछले 100 साल से अंग्रेजी पढ़ रहे हैं ऊंचे ऊंचे पौधे का
38:48
गए हैं इनकी माली हालत भी हम लोगों से कहीं ज्यादा बेहतर है ये अपने आप के लिए लड़ सकते हैं
39:00
1857 के बाद जो कुछ हमने पाया है वो भी हमको बैठेंगे तो फिर इस खत का क्या जवाब
39:06
देना है अब जवाब क्या देना है वह लोग अपने हक के लिए लड़ रहे हैं उन्हें
39:13
लड़ने दे हम जो कम कर रहे हैं बच्चों की तालीम का वह हम करते रहेंगे
39:25
[संगीत]
39:38
[संगीत]
39:48
[संगीत]
39:58
[संगीत]
40:04
पश्चिमी तालीम पर ही पूरा जोर देने का फैसला बिल्कुल सही था
40:10
उसके बिना मुसलमान नए राष्ट्रीय आंदोलन में अपनी मुनासिब जगह नहीं ले सकते
40:17
और हमेशा हिंदुओं के छूट भैया बने रहते क्योंकि हिंदुओं की आर्थिक हालत और तालीम
40:22
उनसे ज्यादा विकसित थी
40:29
अब हमें बहुत साधारण लगती हैं उसे जमाने के लिए सही इंकलाबी दिशा में एक कदम था
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वैसे उसे जमाने के मुसलमान और हिंदू दोनों narambaji भी द और अंग्रेजी शासन पर
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निर्भर भी सैयद का नंबर उसे जमीदार वर्ग से वापस था
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जिसमें मुट्ठी भर के खुशहाल मुसलमान शामिल द
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हिंदुओं का narambag एक मोहताज पेशेवर या व्यापारिक था जो उद्योग लगाना और पूंजी की
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वृद्धि चाहते द
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[संगीत]