एक छोटे से गांव में प्यार भरा परिवार 💑👭🌾
Sep 14, 2025
एक छोटे से गांव में प्यार भरा परिवार 💑👭🌾
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एक छोटे से गांव में रमेश और सीता अपने
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माता-पिता के साथ रहते थे। परिवार का जीवन
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सादगी और प्रेम से भरा हुआ था। पिता दिनभर
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खेतों में काम करते और मां घर संभालती।
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बच्चों की पढ़ाई, घर का काम और खेत की
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देखभाल सब जिम्मेदारियों के बीच भी परिवार
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में खुशी बनी रहती थी। एक दिन गांव की
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गलियों में घूमते हुए रमेश को एक छोटा सा
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घायल पिल्ला मिला। वह कांप रहा था और भूखा
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भी था। रमेश ने उसे अपनी बाहों में उठाया
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और घर ले आया। मां ने पहले थोड़ी
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हिचकिचाहट दिखाई क्योंकि पहले से ही घर
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में बहुत जिम्मेदारियां थी। पर पिता ने
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कहा, जानवर भी हमारे परिवार का हिस्सा बन
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सकते हैं। इन्हें भी प्रेम और सहारा
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चाहिए। सीता ने पिल्ले का नाम मोती रखा।
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धीरे-धीरे वह परिवार का सदस्य बन गया।
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बच्चे उसके साथ खेलते, पिता खेत पर ले
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जाते और मां उसे दूध रोटी खिलाती। मोती की
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मासूम आंखें और चंचल स्वभाव से घर में
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खुशियों की रौनक और बढ़ गई। एक बार गांव
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में चोरी की घटनाएं बढ़ गई। लोग रात में
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डर कर सोते। एक रात कुछ चोर रमेश के घर
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में घुसने लगे। मोती ने उन्हें देख लिया
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और जोर-जोर से भौंकने लगा। उसकी आवाज
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सुनकर पिता जाग गए और पड़ोसी भी इकट्ठा हो
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गए। चोर डर कर भाग खड़े हुए। उस दिन सबने
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माना कि मोती ने परिवार की रक्षा की। समय
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बीतता गया। मोती बड़ा और समझदार कुत्ता बन
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गया। जब भी पिता खेत में काम करते वह पास
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बैठकर चौकसी करता। मां के साथ बाजार जाती
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तो मोती रास्ते में उनकी रक्षा करता।
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बच्चों का खेल का साथी और माता-पिता का
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भरोसेमंद सहारा बन गया। कभी-कभी पिता कहते
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मनुष्य और जानवर का रिश्ता बहुत गहरा होता
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है। यदि हम इन्हें प्यार दें तो यह अपना
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जीवन हमारे लिए न्योछावर कर देते हैं। मां
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भी मानती कि घर में मोती होने से बच्चों
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में करुणा और जिम्मेदारी की भावना बढ़ी
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है। एक बरसात में नदी का पानी अचानक उफान
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पर आ गया। गांव के कई लोग फंस गए। रमेश भी
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खेत की तरफ गया हुआ था। पानी बढ़ता देख
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परिवार चिंतित था। तभी मोती ने रास्ता
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सूंघतेसंघते गांव वालों को रमेश तक
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पहुंचाया। इस घटना के बाद सबको एहसास हुआ
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कि पालतू जानवर केवल साथी नहीं बल्कि जीवन
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रक्षक भी हो सकते हैं। धीरे-धीरे परिवार
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और मोती का रिश्ता इतना गहरा हो गया कि वह
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सचमुच उनका तीसरा बच्चा जैसा लगने लगा।
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माता-पिता ने बच्चों को समझाया कि जानवरों
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से प्रेम करना इंसानियत का पहला सबक है।
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इस तरह माता-पिता और पालतू मोती की कहानी
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गांव में मिसाल बन गई। यह सिखाती है कि
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प्रेम, जिम्मेदारी और सहयोग से मनुष्य और
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जानवर का रिश्ता अटूट हो जाता

