0:00
जिले की सबसे बड़ी अधिकारी डीएम नेहा
0:02
शर्मा एक सुबह सादे कपड़ों में बिना किसी
0:05
सरकारी रब के सब्जी खरीदने बाजार पहुंची।
0:08
उनके चेहरे पर सादगी थी। चावल में
0:10
आत्मविश्वास लेकिन किसी को अंदाजा तक नहीं
0:13
था कि यह महिला इस जिले की डीएम है। नेहा
0:16
सीधा एक ठेले के पास जाकर रुकी। जहां एक
0:19
करीब 30 साल की सब्जी वाली औरत सब्जियां
0:22
बेच रही थी। नेहा ने मुस्कुरा कर उससे
0:24
सब्जियों के दाम पूछे ही थे कि तभी एक
0:26
छोटा बच्चा दौड़ता हुआ आया और उस औरत से
0:29
लिपट कर बोला मम्मी मुझे स्कूल छोड़ दो ना
0:32
लेट हो रहा है नहीं तो टीचर डांटेंगे
0:34
सब्जी वाली बोली बेटा थोड़ी देर रुक जा
0:37
मैं पहले इनको सब्जी दे दूं फिर तुझे
0:39
छोड़ने चलेंगे बच्चा जिद करता रहा नहीं
0:42
मम्मी अभी चलो ना प्लीज बहुत देर हो गई है
0:45
यह सब देखकर डीएम नेहा शर्मा का दिल पसीज
0:49
गया वो मुस्कुरा कर बोली आप बच्चे को
0:52
स्कूल छोड़ आइए मैं आपकी दुकान संभालती
0:54
हूं। सब्जी वाली थोड़ी हिचकिचाई पर नेहा
0:57
के भरोसे भरे लहजे ने उसे हिम्मत दी। उसने
1:00
कहा ठीक है बहन मैं जल्दी लौट आऊंगी और
1:04
फिर वो अपने बेटे को लेकर स्कूल की ओर
1:06
निकल गई। इधर नेहा ठेले पर खड़ी थी। चारों
1:09
ओर के माहौल को गौर से देख रही थी। तभी एक
1:12
मोटरसाइकिल ठेले के पास आकर रुकी। उस पर
1:14
बैठा इंस्पेक्टर आदित्य वर्मा था। उसने
1:16
उतरते ही थोड़ा तंज में कहा, तू कब से
1:19
यहां सब्जियां बेचने लगी। यहां तो एक औरत
1:21
हुआ करती थी। वो कहां गई? नेहा कुछ कहती।
1:25
उससे पहले ही वह सब्जी वाली औरत वापस लौट
1:27
आई। इंस्पेक्टर को देखकर उसके चेहरे पर
1:30
घबराहट छा गई। झुक कर बोली क्या चाहिए
1:33
आपको इंस्पेक्टर साहब? जो मन हो ले लीजिए।
1:36
इंस्पेक्टर ने बेजा हुक्म दिया। आधा किलो
1:38
टमाटर दे, 1 किलो भिंडी और आधा किलो परवल
1:41
भी देना। औरत ने बिना कुछ कहे जल्दी-जल्दी
1:44
सब्जियां टोल दी। इंस्पेक्टर बिना एक भी
1:46
पैसा दिए मोटरसाइकिल पर बैठा और चलता बना।
1:50
यह सब देख नेहा शर्मा स्तब्ध रह गई। कुछ
1:53
पल खामोशी में बीते। फिर उन्होंने सब्जी
1:55
वाली से पूछा, बहन, उसने पैसे क्यों नहीं
1:58
दिए? आपने उससे कुछ कहा क्यों नहीं? औरत
2:01
की आंखों में मजबूरी साफ दिख रही थी। धीमे
2:04
स्वर में बोली, बहन, क्या कहूं? यह
2:07
इंस्पेक्टर रोज ऐसे ही सब्जियां ले जाता
2:10
है। जब कुछ बोलती हूं तो धमकाता है। कहता
2:12
है, मुझसे पैसे लेगी, अभी तेरे ठेले को
2:15
उठवा दूंगा। मुझे डर लगता है। अगर ठेला
2:17
चला गया तो घर कैसे चलेगा? मेरे बच्चे
2:19
क्या खाएंगे इसलिए चुपचाप दे देती हूं। यह
2:22
सुनकर डीएम नेहा शर्मा के चेहरे का रंग
2:24
बदल गया। अंदर तक हिल गई वो। उन्हें यकीन
2:27
नहीं हो रहा था कि कानून के रक्षक खुद
2:30
कानून का मजाक उड़ा रहे हैं। उन्होंने
2:32
गंभीर स्वर में कहा बहन अब ऐसा नहीं होगा।
2:35
मैं अब आपके साथ हूं। इंसाफ दिलाना मेरा
2:38
फर्ज है। आप एक काम कीजिए। मेरा नंबर ले।
2:41
लीजिए। कल जब आप ठेला लगाएंगी तो आप नहीं
2:44
मैं बाहर रहूंगी। आप घर पर आराम कीजिए।
2:46
बाकी मैं देख लूंगी कि वह इंस्पेक्टर पैसे
2:48
देता है या नहीं और अगर नहीं देता तो मैं
2:51
उसे कानून की ताकत दिखाकर ही रहूंगी। औरत
2:53
की आंखों में आंसू थे। लेकिन पहली बार
2:56
उसमें राहत और उम्मीद झलक रही थी। अगली
2:59
सुबह नेहा शर्मा ने एक गांव की औरत का भेष
3:01
बनाया। ना कोई मेकअप ना कोई पहचान। साधारण
3:05
साड़ी पहने। सिर पर पल्लू रखे वो ठेले पर
3:08
आ खड़ी हुई। ठेले पर ढेर सारी सब्जियां
3:10
सजाई गई। सब कुछ तैयार था। कुछ ही देर में
3:13
वही इंस्पेक्टर आदित्य वर्मा अपनी
3:15
मोटरसाइकिल पर वहां पहुंचा। इंस्पेक्टर
3:17
आदित्य वर्मा ने अपनी मोटरसाइकिल ठेले के
3:20
पास लगाई और घूरते हुए बोला, "क्या बात
3:22
है? आज फिर तुम यहां वैसे तुम उसकी क्या
3:25
लगती हो? कल भी तुम यहीं थी और आज भी।
3:28
नेहा शर्मा जो अब भी गांव की एक आम महिला
3:30
के रूप में खड़ी थी। धीरे से बोली, "मैंकी
3:34
बहन हूं।" इसलिए आज उसकी जगह ठेला संभाल
3:36
रही हूं। इंस्पेक्टर ने गिनौनी मुस्कान के
3:38
साथ कहा, तो तुम तो अपनी बहन से भी ज्यादा
3:41
खूबसूरत निकली। बहुत प्यारी लग रही हो आज।
3:44
फिर आंखों से उसे ऊपर से नीचे तक देखता
3:46
रहा और बेहूदे लहजे में बोला, वैसे छोड़ो
3:49
यह सब। मुझे 1 किलो टमाटर चाहिए और साथ
3:52
में थोड़ा धनिया और मिर्च भी दे देना।
3:55
नेहा ने बिना कोई प्रतिक्रिया दिए
3:56
सब्जियां तो ली और चुपचाप उसके हाथ में दे
3:59
दी। जैसे ही इंस्पेक्टर सब्जियां लेकर
4:01
पलटने लगा और मोटरसाइकिल स्टार्ट की। नेहा
4:04
ने सख्त आवाज में कहा, रुकिए। आपने अभी तक
4:07
सब्जियों के पैसे नहीं दिए। सब्जियों के
4:09
पैसे दीजिए। ऐसे नहीं चलेगा। इंस्पेक्टर
4:11
झुंझुलाकर बोला, कौन से पैसे? मैं तो रोज
4:14
फ्री में लेता हूं। अपनी बहन से पूछ लेना।
4:16
वो तो कुछ नहीं कहती और तुम ज्यादा जुबान
4:19
मत चलाओ मेरे सामने। वो फिर से जाने लगा।
4:22
तभी नेहा ने तेजी से कहा। आप मेरी बहन से
4:25
चाहे जैसे लेते हो। लेकिन मुझसे नहीं।
4:27
सब्जियों के पैसे देने होंगे। हमें भी
4:29
पैसे खर्च करके ही यह सब्जी लानी पड़ती है
4:31
और अगर हम एक दिन सब्जी ना बेचे तो हमारे
4:33
घर का चूल्हा नहीं जलता। आप जैसे लोग फ्री
4:36
में सब्जी ले जाकर हमारे पेट पर लात मारते
4:38
हैं। इतना सुनना था कि इंस्पेक्टर का घमंड
4:40
भड़क उठा। उसने गुस्से में आकर एक जोरदार
4:43
थप्पड़ नेहा के गांव पर जड़ दिया। नेहा
4:45
लौड़खलाई लेकिन खुद को संभाल लिया। आंखों
4:48
में आंसू थे। लेकिन आत्मसम्मान अब और चुप
4:51
रहने को तैयार नहीं था। नेहा ने कांपती
4:53
आवाज में कहा, आपने एक महिला पर हाथ उठाकर
4:56
बहुत बड़ी गलती की है। इसका अंजाम भुगतना
4:58
पड़ेगा आपको। इंस्पेक्टर और भड़क गया।
5:01
गुस्से में चिल्लाया। तू मुझे सिखाएगी
5:03
तेरी इतनी औकात? अभी बताता हूं। फिर उसने
5:06
नेहा के बाल खींच लिए। नेहा दर्द से उठी
5:10
लेकिन बाल छुड़ा कर बोली कि यह सब बहुत
5:12
गलत हो रहा है। मैं तुम्हारे खिलाफ
5:14
रिपोर्ट करवाऊंगी। तुम्हें सब्जियों के
5:16
पैसे देने ही होंगे। लेकिन इंस्पेक्टर
5:18
अपनी हैसियत के नशे में डूबा हुआ था। बोला
5:21
रिपोर्ट तेरी इतनी औकात है तू एक सब्जी
5:24
बेचने वाली और मैं इस थाने का इंस्पेक्टर
5:27
मैं तुझे यही खड़े-खड़े खरीद सकता हूं।
5:29
ज्यादा जुबान चलाई तो उल्टा तुझे ही जेल
5:31
में डाल दूंगा। इतना कहकर वो मोटरसाइकिल
5:34
स्टार्ट कर वहां से चला गया। नेहा गुस्से
5:37
से कांप रही थी। लेकिन अब भी उन्होंने खुद
5:39
को संयमित रखा। वो जानना चाहती थी कि यह
5:42
इंस्पेक्टर कितनी हद तक गिर सकता है। कुछ
5:44
पल ठेले के पास बैठने के बाद उन्होंने
5:46
सब्जी वाली को फोन किया और कहा अब तुम
5:49
ठेले पर आ जाओ। सब्जी वाली के आते ही नेहा
5:52
वहां से चुपचाप निकल गई। घर जाकर उन्होंने
5:54
अपने साधारण कपड़े बदले और पीले रंग का
5:57
सलवार सूट पहनकर एक सामान्य महिला की तरह
6:00
बिना किसी पहचान के थाने पहुंची। थाने में
6:03
पहुंचते ही उन्होंने देखा कि इंस्पेक्टर
6:05
आदित्य वर्मा वहां मौजूद नहीं था। एक
6:08
हवलदार डेस्क पर बैठा था। नेहा ने सीधा
6:11
उससे पूछा, "मुझे रिपोर्ट दर्ज करानी है।"
6:13
इंस्पेक्टर आदित्य वर्मा कहां है? और एसएओ
6:16
साहब से मिलना है। हवलदार ने जवाब दिया,
6:19
इंस्पेक्टर साहब कुछ काम से घर गए हैं और
6:22
एसएओ साहब भी फील्ड विजिट पर बाहर गए हैं।
6:24
आप चाहे तो कुछ देर बैठ जाइए। नेहा की
6:27
आंखों में अब इंसाफ की आग थी और यह आग अब
6:30
रुकने वाली नहीं थी। थाने में कुछ ही पल
6:32
बीते थे कि अचानक दरवाजा खुला और भीतर
6:35
एसएओ रतिक राणा ने प्रवेश किया। बाहरी
6:37
कदमों के साथ अंदर आते ही उसकी नजर पीले
6:40
रंग का सलवार सूट पहने उस साधारण सी दिखने
6:42
वाली लड़की पर पड़ी जो और कोई नहीं बल्कि
6:45
डीएम नेहा शर्मा थी। रतिक राणा ने कड़क
6:48
आवाज में पूछा तुम कौन हो और यहां क्यों
6:51
आई हो? नेहा ने शांत स्वर में कहा मुझे
6:54
रिपोर्ट दर्ज करवानी है यह सुनकर रतिक
6:56
राणा व्यंग में मुस्कुराया और बोला
6:58
रिपोर्ट करवानी है तो पहले कुछ खर्चा पानी
7:01
लाया है यहां रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए
7:03
10 से 2000 लगते हैं लाई हो तो निकालो
7:05
फटाफट फिर लिखवाता हूं तुम्हारी रिपोर्ट
7:08
यह सुनते ही नेहा शर्मा का चेहरा सख्त हो
7:10
गया उन्होंने गंभीर स्वर में कहा किस बात
7:13
का पैसा रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए कोई
7:15
श्ल्क नहीं लगता आप रिश्वत क्यों मांग रहे
7:18
हैं प्रतिक राणा हंसते हुए बोला तुम्हें
7:21
किसने कहा कि मुफ्त में रिपोर्ट होती है।
7:23
यहां जो भी आता है अपनी मर्जी से पैसे
7:25
देता है और अगर नहीं देगा तो उसकी रिपोर्ट
7:28
नहीं लिखी जाएगी। अब तुम्हारी मर्जी है।
7:31
नेहा ने गहरी सांस ली। फिर बोली ठीक है।
7:34
लीजिए ₹10,000 अब रिपोर्ट लिखिए। पैसे
7:37
लेते ही आरिक रैना ने पूछा। बताओ किसके
7:40
खिलाफ रिपोर्ट है? नेहा ने गंभीर होकर
7:43
कहा। इंस्पेक्टर आदित्य वर्मा के खिलाफ।
7:46
उन्होंने एक सब्जी बेचने वाली औरत से
7:47
बदतमीजी की। रोज उसके ठेले से बिना पैसे
7:50
के सब्जियां उठाते हैं और जब मैंने विरोध
7:52
किया तो मुझ पर हाथ उठाया। मैं इस पर सख्त
7:54
कानूनी कार्रवाई चाहती हूं। रतिक राणा का
7:57
चेहरा स्याह पड़ गया। घबराहट उसके चेहरे
7:59
पर साफ दिख रही थी। उसने हकलाते हुए कहा
8:02
वो तो हमारे थाने के सीनियर इंस्पेक्टर
8:04
हैं। और वैसे भी अगर कोई फ्री में सामान
8:06
दे दे तो इसमें क्या गलत है? हम पुलिस
8:08
वाले हैं। थोड़ा बहुत चलता है। नेहा अब सब
8:12
समझ चुकी थी। यह सिस्टम अंदर से सड़ चुका
8:14
था। यह केवल वर्दी नहीं गरीबों की मजबूरी
8:17
का सौदा कर रहे थे। उन्होंने कुछ नहीं
8:19
कहा। बस चुपचाप थाने से निकल गई। लेकिन
8:22
उनकी आंखों में अब एक आग जल चुकी थी। अगले
8:25
दिन सुबह डीएम ने हर शर्मा वर्दी पहनकर
8:28
गाड़ी से सीधे उसी थाने में पहुंची। साथ
8:30
में उनके सरकारी गार्ड्स भी थे। थाने के
8:33
गेट पर वर्दी में उन्हें देखकर सारा स्टाफ
8:35
हक्का-बक्का रह गया। अंदर घुसते ही
8:38
इंस्पेक्टर आदित्य वर्मा और एसएओ रतिक
8:40
राणा दोनों मौजूद थे। दोनों के चेहरे पर
8:43
हवाइयां उड़ गई जब उन्होंने सामने उसी
8:45
लड़की को देखा जिसे उन्होंने अपमानित किया
8:47
था। लेकिन आज वो आम औरत नहीं थी बल्कि
8:50
जिले की डीएम थी। घबराए हुए दोनों एक साथ
8:53
बोले आप आप कौन है और यह वर्दी क्यों पहनी
8:57
है? नेहा की आंखें अब एक अधिकारी की गरिमा
8:59
से चमक रही थी। उन्होंने गंभीर स्वर में
9:02
कहा वर्दी नहीं दिख रही। मैं हूं इस जिले
9:04
की डीएम नेहा शर्मा और मैं अब सब जान चुकी
9:07
हूं कि इस थाने में किस तरह गरीबों को
9:09
धमकाया जाता है। उनसे पैसे अठे जाते हैं
9:12
और कानून के नाम पर अत्याचार किया जाता
9:14
है। दोनों के पांव तले जमीन खिसक गई।
9:17
घबराहट में उनकी आवाज कांपने लगी। मैडम यह
9:21
क्या कह रही हैं आप? अगर आप वाकई डीएम है
9:23
तो हमें कोई आईडी दिखाइए। नेहा ने बिना एक
9:26
शब्द कहे अपने बैग से सरकारी पहचान पत्र
9:29
निकाला और आरिक राणा के सामने रख दिया।
9:31
आईडी देखकर रतिक राणा के हाथ कांपने लगे।
9:34
उसके चेहरे से सारा रंग उड़ गया। तुरंत
9:36
हाथ जोड़ते हुए नीचे झुक गया। माफ कर
9:39
दीजिए मैडम। मुझे नहीं पता था कि आप आप
9:42
डीएम मैडम है। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो
9:44
गई। पीछे खड़ा इंस्पेक्टर आदित्य वर्मा भी
9:47
अब तक घबराया हुआ था। वह भी हाथ जोड़कर
9:49
बोला, मैडम जी माफ कर दीजिए। जो हुआ गलती
9:53
में हुआ। आगे से कभी नहीं होगा। दोनों
9:56
अधिकारी अब शर्मिंदगीगी में सिर झुकाए
9:58
खड़े थे। लेकिन डीएम नेहा शर्मा की आवाज
10:00
में अब कोई नरमी नहीं थी। उन्होंने कठोर
10:02
स्वर में कहा आज से तुम दोनों सस्पेंड हो।
10:06
वर्दी पहनकर तुमने क्या किया है उसका
10:08
हिसाब अब कानून करेगा। इस जिले में अब
10:10
गरीबों का अपमान नहीं होगा ना ही वर्दी की
10:13
आड़ में लूटपाट। फिर उन्होंने पीछे खड़े
10:15
स्टाफ को निर्देश दिया। इन दोनों को
10:18
तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए और
10:20
इनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो। पूरा
10:23
थाना अब खामोश था। डीएम नेहा शर्मा ने एक
10:26
बार फिर साबित कर दिया था कि वर्दी सिर्फ
10:29
ताकत नहीं जिम्मेदारी का प्रतीक होती है।
10:32
डीएम नेहा शर्मा ने कड़ेश्वर में दोनों
10:34
अफसरों की ओर देखा और बोली तुम दोनों माफी
10:37
के लायक नहीं हो। आज जो तुमने किया है वो
10:40
एक अधिकारी नहीं एक अपराधी करता है। अगर
10:43
मैं तुम्हें माफ कर दूंगी तो तुम फिर वही
10:45
हरकतें करोगे। फिर किसी गरीब को कुचलोगे
10:48
फिर किसी मासूम की आवाज दबाओगे। इतना कहकर
10:51
वो आगे बढ़ने लगी। लेकिन तभी इंस्पेक्टर
10:53
आदित्य वर्मा और एसएओ रतिक राणा दोनों
10:56
उनके पैरों में गिर गए। आंखों में
10:58
पश्चाताप और चेहरे पर शर्म साफ छलक रही
11:01
थी। मैडम आप बिल्कुल सही कह रही हैं। हम
11:04
वाकई माफी के लायक नहीं। रतिक राणा बोला
11:08
लेकिन एक आखिरी मौका दीजिए। हम सच में बदल
11:10
जाएंगे। आज के बाद किसी गरीब को नहीं
11:12
सताएंगे। किसी से फालतू पैसे नहीं लेंगे
11:14
और हर फरियादी की इज्जत करेंगे। आदित्य
11:17
वर्मा ने भी सिर झुका कर कहा। हमें माफ कर
11:20
दीजिए मैडम। वादा करते हैं कि दोबारा ऐसी
11:23
गलती नहीं होगी और अगर हो भी गई तो आप
11:26
हमें सस्पेंड नहीं सीधे जेल भेज देना।
11:29
नेहा शर्मा कुछ देर चुप रही। उनकी आंखें
11:31
दोनों की नम आंखों और डरे हुए चेहरे पर
11:34
टिक गई। फिर उन्होंने गहरी सांस ली और
11:36
गंभीर स्वर में बोली। ठीक है। मैं तुम्हें
11:40
माफ कर रही हूं। लेकिन यह आखिरी मौका है।
11:43
अगली बार अगर किसी भी गरीब की आवाज मुझ तक
11:45
पहुंची अगर फिर किसी ने कहा कि थाने में
11:48
अन्याय हुआ है तो मैं तुम दोनों को सिर्फ
11:50
सस्पेंड नहीं सलाखों के पीछे डालूंगी और
11:52
इस बार कोई माफी नहीं होगी। दोनों अफसरों
11:55
ने सिर झुका लिया। उनका आत्मसम्मान चूरचूर
11:58
हो चुका था। लेकिन अब उनमें सुधार की एक
12:01
सच्ची झलक थी। नेहा शर्मा ने थाने से बाहर
12:04
निकलते वक्त एक नजर पूरे स्टाफ पर डाली और
12:06
बोली पुलिस की वर्दी डराने के लिए नहीं
12:09
भरोसा देने के लिए होती है। इस वर्दी की
12:11
इज्जत तभी होगी जब इसे पहनने वाले खुद
12:14
इज्जत देना सीखेंगे। डीएम के जाते ही पूरे
12:16
थाने में सन्नाटा छा गया। सबके चेहरों पर
12:19
शर्म और सोच की लकीरें थी। उस दिन के बाद
12:22
पूरा थाना जैसे बदल गया। अब ना कोई रिश्वत
12:25
लेता था। ना किसी गरीब की आवाज दबाई जाती
12:27
थी। हर फरियादी की बात सुनी जाती। रिपोर्ट
12:30
बिना पैसों के दर्ज होती और सड़क से बाजार
12:32
तक हर जगह पुलिस लोगों की मदद करती नजर
12:35
आने लगी। सब्जी वाली औरत भी अपने ठेले पर
12:37
मुस्कान के साथ बैठती थी क्योंकि अब उसे
12:40
किसी का डर नहीं था। यह कहानी हमें सिखाती
12:42
है कि हिम्मत और ईमानदारी से बड़ी कोई
12:44
ताकत नहीं होती। अगर किसी पद पर बैठा
12:47
व्यक्ति अन्याय करता है तो उसकी वर्दी
12:49
नहीं उसके कर्म बोलते हैं। और जब सच बोलने
12:52
वाला उठला होता है तो पूरा सिस्टम बदल
12:54
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