beshak ♥️ ♥️ ♥️
Sep 4, 2025
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मोमिनों उसी अल्लाह की तरफ रुजू किए रहो
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और उससे डरते रहो और नमाज कायम करते रहो
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और मुशरिकों में ना होना और ना उन लोगों
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में होना जिन्होंने अपने दीन को
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टुकड़े-टुकड़े कर दिया और खुद भी फिरके
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फिरके हो गए। हर फिरका उसी में मगन है जो
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उसके पास है। और जब लोगों को तकलीफ
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पहुंचती है तो अपने परवरदिगार को पुकारती
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है। उसी की तरफ रुजू करते हुए फिर जब वो
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उनको अपनी रहमत का मजा चखाता है तो एक
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फरीक उनमें से अपने परवरदिगार के साथ
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शिर्क करने लगता है। ताकि जो हमने उनको
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बखशा है उसकी नाशुक्री करें। सो खैर फायदे
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उठा लो। अन करीब तुमको इसका अंजाम मालूम
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हो जाएगा। क्या हमने इन पर कोई ऐसी दलील
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नाजिल की है कि फिर वो इनको अल्लाह के साथ
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शर्क करना बताती है और जब हम लोगों को
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अपनी रहमत का मजा चखाते हैं तो वो उससे
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खुश हो जाती हैं और अगर उनके आमाल के सबब
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जो उनके हाथों ने आगे भेजे हैं उन्हें कोई
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तकलीफ पहुंचे तो नाउद होकर रह जाती हैं।
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क्या इन्होंने नहीं देखा कि अल्लाह ही
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जिसके लिए चाहता है रिज़्क फराख करता है और
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जिसके लिए चाहता है तंग करता है। बेशक
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इसमें ईमान लाने वालों के लिए निशानियां
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हैं। और उसी की निशानियों में से है कि वह
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हवाओं को भेजता है कि खुशखबरी देती हैं
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ताकि तुमको अपनी रहमत के मजे चखाए और ताकि
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उसके हुक्म से कश्तियां चलें और ताकि तुम
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उसके फजलल से रोजी तलब करो और ताकि तुम
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शुक्र करो। और हमने तुमसे पहले भी पैगंबर
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भेजे तो वो उनके पास निशानियां लेकर आए।
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सो जो लोग नाफरमानी करते थे हमने उनसे
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बदला लेकर छोड़ा और मोमिनों की मदद हम पर
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लाजिम थी। अल्लाह ही तो है जो हवाओं को
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भेजता है तो वह बादल को उभारती हैं। फिर
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अल्लाह उसको जिस तरह चाहता है आसमान में
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फैला देता और तह-बतह कर देता है। फिर तुम
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देखते हो कि उसके बीच में से बारिश की
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बूंदे निकलने लगती हैं। फिर जब वो अपने
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बंदों में से जिन पर चाहता है उसे बरसा
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देता है तो उसी वक्त वो खुश हो जाती हैं।
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जबकि वो उसके बरसने से पहले यकीनन नाउद हो
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रहे थे। तो ऐ देखने वाले अल्लाह की रहमत
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की निशानियों की तरफ देख कि वो किस तरह
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जमीन को उसके मरने के बाद जिंदा करता है।
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बेशक वो मुर्दों को जिंदा करने वाला है और
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वो हर चीज पर कादिर है। और अगर हम ऐसी हवा
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भेजें कि वह उसके सबब खेती को देखें के
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जर्द हो गई है, तो उसके बाद वह नाशुक्री
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करने लग जाए, तो तुम मुर्दों को बात नहीं
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सुना सकते और ना बहरों को जब वह पीठ फेर
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कर लौट जाए आवाज सुना सकते हो। और ना
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अंधों को उनकी गुमराही से निकाल कर राहे
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रास्त पर ला सकते हो। तुम तो उन्हीं लोगों
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को सुना सकते हो जो हमारी आयतों पर ईमान
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लाते हैं। सो वही फरमाबरदार हैं। और जिन
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लोगों ने अल्लाह की आयतों से और उसके
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सामने हाजिर होने से इंकार किया वो मेरी
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रहमत से नाउद हो गए हैं और उनको दर्द देने
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वाला अज़ाब होगा। क्या इन लोगों के लिए यह
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काफी नहीं कि हमने तुम पर किताब नाजिल की
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जो इनको पढ़कर सुनाई जाती है? कुछ शक

