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माता का प्यार होता है ना जो माता अपने
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हृदय से लगा कर के ना ऐसे ऐसे पुछ काती है
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ना वो कहीं त्रिभुवन में नहीं मिलेगा आपको
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अगर कोई प्यार करेगा ना बहुत आपको तो आपका
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रूप देख के रुपया देख केर शरीर देख के भोग
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वासना की लेकिन मां ये सब नहीं देखती अब
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भी जाए इतने बड़े हो घर जाओगे ना भोजन
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पाया रस्ते में भोजन पाया देखो पाओ और सो
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जाओ फिर बात करेंगे मतलब वो आपको सुख देने
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की बात सोचेगी आपके लिए इतने बड़े हो
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लेकिन वो ऐसी बात करेगी कि जैसे लगता है
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छोटे बच्चे से बात कर रहे हो संभाल के
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जाना वहां ये हम दे रहे हैं ये उस समय खा
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लेना और इसे भूलना नहीं मतलब ये प्यार कौन
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देता है संसार में तो सब स्वार्थ का
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व्यवहार चल रहा है माता-पिता को जरूर पूजा
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करनी चाहिए माता-पिता की सेवा करनी चाहिए
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देखो उस अवस्था को सोचो जब आप सोच कर देते
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थे लघु शंका कर देते थे वो अपने वस्त्रों
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को भी पवित्र करते आपको भी और कभी आपको
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मारा नहीं अब आप बोध वान हुए हैं ऐसी
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स्थिति आ जाती है कि उठना मुश्किल होता है
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अपनी सेवा करना मुश्किल होता है अच्छा
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स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है आप लाख
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सेवा करोगे दूसरा कोई आएगा तो आप क्यों
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निंदा करेंगे कि कुछ सेवा नहीं करता फिर
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भी आपको बुरा नहीं मानना उनकी सेवा अगर
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ऐसा कर ले गए माता-पिता का आशीर्वाद भगवान
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से मिला सकता है शास्त्र कहता है हमारा
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उपनिषद कहता है मातृ देव हो पितृ देव हो
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हम जब भगवान के श्री विग्रह को रखकर प्यार
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कर सकते हैं तो चलते फिरते माता-पिता में
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भगवान का भाव क्यों नहीं कर सकते हम तो
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कहते हैं और भगवान विराजमान करो मत करो
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माता-पिता की आराधना कर लो इसी से भगवान
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मिल जाए माता-पिता साक्षात भगवान ही है