صدر ٹاؤن کے نامور چئیرمین منصور شیخ کا معصوم بچوں پر ظلم شدت اختیار کر گیا
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Aug 27, 2025
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सर मुझे यह बताएं एक वीडियो वायरल हो रही
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है जिसके अंदर कहा जा रहा है कि बच्चों को
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स्कूल से बाहर निकाल दिया है। उसकी क्या
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वजूहात है और आप इसमें क्या किरदार है
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आपका?
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अस्सलाम वालेकुम। मेरा नाम इंजीनियर
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रविंद्र कुमार है और ये जो जागृति लिखा
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हुआ है मैं उसका फाउंडर हूं। ये जागृति हम
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चलाते हैं और एक तो वर्ड स्कूल नहीं है।
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एक होता है नॉन फॉर्मल एजुकेशन जिसको पूरी
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मिनिस्ट्री और सब लोग पूरी दुनिया प्रमोट
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करती है। कोविड के बाद सिनेरियो ऐसा हुआ
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कि 26 मिलियन बच्चे आउट ऑफ स्कूल हैं। तो
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उन्हीं स्कूल बच्चों को मेन स्ट्रीम
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एजुकेशन में लाने के लिए हम यहां पे तालीम
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देते हैं। तो ये एक स्कूल नहीं है। नॉन
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फॉर्मल एजुकेशन सिस्टम है। स्ट्रीट स्कूल
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बच्चों को यहां पे लाके उनको फाउंडेशनल
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प्रिपरेशन करवा के देन उनको आसपास के
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अच्छे स्कूलों में हम उनको प्लेस करवाते
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हैं। तो ये तालीमी एक्टिविटी यहां पे हो
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रही है।
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अच्छा अभी जो मंसूर शेख साहब कह रहे हैं
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कि जो बच्चे बाहर हैं जिनको बाहर खड़ा
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करके एतजाज किया गया वो तो कह रहे हैं कि
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मैं इन बच्चों को अपने सरकारी तौर पे खुद
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दाखिला दिलाऊंगा। तो उस बारे में क्या
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कहेंगे?
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अरे शेख साहब आप रहने दें प्लीज। सही है।
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आप कह रहे हैं 54 स्कूल है। इतने स्कूल
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है। अगर इतने ही आप एक्टिवेट होते, इतना
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ही आपको तालीम का वो होता ना तो पहले
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हमारा बयानिया सुनते और यहां से बेदखल
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करने से पहले उनको स्कूल प्लेसमेंट में
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हमारा हाथ बनते। ना कि यहां पे बच्चों को
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तालीम के आवर्स में से निकाल के उनको रोड
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पे खड़ा कर देते आप।
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मगर वो कह रहे हैं कि इनके पास कोई परमिशन
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लेटर नहीं है। अगर चाहे तो मेरे ऊपर
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कानूनी कारवाई करें।
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भाई कानून अब कानून तो उससे भी एक बालातर
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चीज है आपके सेटअप से। सही है? लेकिन आपका
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सेटअप ही इतना स्लो है तो हम उस सेटअप पे
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क्यों और अगर हमें जाना पड़ा तो हम जाएंगे
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भी। लेकिन हमें यकीन है कि हमारे दोस्त
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सिविल सोसाइटी बहुत हमारे साथ खड़ी हुई
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है। हमें उसकी नौबत नहीं आएगी। ये जगह
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खुलेगी और बच्चे यहां पे पड़ेंगे।
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सर मुझे ये बताएं कि कहा जाता है कि
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अब्दुल रहमान साहब जो कि वाइस चेयरमैन है।
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उनके कहने पे आपको जगह दी गई। मगर चेयरमैन
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साहब कहते हैं कि इनके पास कोई ऐसा लीगल
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नोटिस या कोई लीगल फार्म नहीं है जिसकी
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बिहाफ पे ये यहां पे अपना एनजीओ खोल के
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बैठा है।
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भाई एक तो यह हमारा एनजीओ नहीं है। हमारा
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एक यूथ का इनिशिएटिव है। ठीक है? जो हम
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काम करना चाह रहे हैं तालीम के लिए। अब
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अगर आप तालीम के दुश्मन हैं तो हमें रोक
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सकते हैं तो रोक लें। और दूसरा ये बात रही
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बात हमारी ये एप्लीकेशन टाउन जो टाउन से
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भी पहले लोकल गवर्नमेंट से पहले ये
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डिस्ट्रिक्ट म्युनिसिपल कॉरपोरेशन था तब
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हम लोगों ने इनिशिएटिव करवाई थी 2021 में
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लेकिन गवर्नमेंट के प्रोसेस इतने सुस्त
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रवि के साथ होते आपको खुद को पता है फाइनल
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हमारी नोट शीट हुई नोट शीट डीए के पास
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एमसी के पास डीएमसी ऐसे ही घूमती रही अगर
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फाइनल एमओयू होता हमारा सो हम इसमें अपना
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मौकफ बयान करते डिजिटल लाइब्रेरी मैं
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बाहसियत खुद एक कंप्यूटर इंजीनियर हूं एक
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अच्छे इदारे में आईटी हेड भी हूं सो मुझे
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कंप्यूटर लिटरेसी, डिजिटल लाइब्रेरी का और
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ये सारी चीजों का मेरे से ज्यादा इल्म
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किसको होगा? और अगर प्रॉपर एमओयू होता
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हमें 6 महीने से भी कम वक्त दरकार होता हम
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इस जगह को डिजिटलाइज कर देते। सर मुझे ये
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बताएं
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