0:01
आज आप अपना फोन उठाते हो और एक छोटी सी
0:05
नोटिफिकेशन पॉपअप होती है। Instagram ने
0:09
आपके लिए एक नया रील सजेस्ट किया है। बस
0:12
एक क्लिक और 5 मिनट में आपको लगता है कि
0:15
बस एक ही रील और देख लेते हैं। लेकिन जब
0:18
आप होश में आते हो तो एक घंटा निकल चुका
0:21
होता है। अब सवाल यह है कि यह बस हमारी
0:25
कमजोरी है या फिर कंपनीज ने जानबूझकर
0:27
हमारी आदतें डिजाइन की हैं। यही राज खुलता
0:30
है नीर अयल अपनी किताब हुक में। द पिक
0:34
आईडिया ऑफ हुक्क। नीर अयाल कहते हैं द
0:38
प्रोडक्ट्स वी यूज डेली डोंट जस्ट हैपन।
0:41
दे आर डिज़ टू बी हैविट फॉर्मिंग। हम जो
0:44
प्रोडक्ट रोज इस्तेमाल करते हैं, वह ऐसे
0:47
ही नहीं बनते। उन्हें हमारी आदत बनाने के
0:50
लिए डिजाइन किया जाता है। मतलब WhatsApp,
0:52
YouTube, SWGI, Zomato, Tinder यह सब एप्स
0:56
आपके दिमाग में हैबिट्स क्रिएट करने के
0:59
लिए ही बने हैं। और इंटरेस्टिंग बात यह है
1:01
कि यह हैबिट लूप इतना डीप होता है कि आपको
1:05
लग लगेगा आप कंट्रोल में हो, लेकिन, असली
1:08
कंट्रोल इन एप्स के हाथों में होता है।
1:11
पहले बात करते हैं, हैबिट फॉरमेशन, अ
1:14
सीक्रेट वेपन, द हुक मॉडेल। नियर एल ने एक
1:18
पावरफुल मॉडल डिजाइन किया है जिसे वह कहते
1:21
हैं द हुक मॉडल। यह चार स्टेप्स में काम
1:24
करता है। पहला ट्रिगर, दूसरा एक्शन, तीसरा
1:28
वेरिएबल रिवॉर्ड और चौथा इन्वेस्टमेंट। हर
1:31
बार जब आप इन चारों स्टेप्स से गुजरते हो,
1:34
आपकी आदत और गहरी होती जाती है। चलो इन
1:37
स्टेप्स की कहानी और एग्जांपल्स के साथ
1:40
समझते हैं। स्टेप वन ट्रिगर। आदत की
1:43
शुरुआत। ट्रिगर एक ऐसा संकेत है जो आपको
1:46
एक्शन लेने के लिए पुश करता है। दो टाइप्स
1:50
के ट्रिगरर्स होते हैं। पहला एक्सटर्नल
1:52
ट्रिगर। बाहर से आने वाले सिग्नल्स जैसे
1:55
नोटिफिकेशन, WhatsApp मैसेज, टोन या
1:58
Instagram का नया फॉलो सजेशन। दूसरा
2:01
इंटरनल ट्रिगर। यह और भी ज्यादा पावरफुल
2:04
है। यह आपके अंदर के इमोशंस होते हैं।
2:06
बोडम, लोनलीनेस, स्ट्रेस। इमेजिन करिए आप
2:10
बोरिंग लेक्चर में बैठे हो। अचानक फोन
2:13
वाइब्रेट होता है। यह एक्सटर्नल ट्रिगर
2:16
है। लेकिन एक दिन जब कोई नोटिफिकेशन नहीं
2:19
भी आता फिर भी आप बोर्डम की वजह से फोन
2:22
निकालकर Instagram खोलते हो। यह इंटरनल
2:26
ट्रिगर है। यही वो जगह है जहां से आदत
2:30
स्ट्रांग होनी शुरू होती है। स्टेप टू
2:33
एक्शन। फिंगर मूव्स हैबिट ग्रुप्स। ट्रिगर
2:36
के बाद अगला स्टेप होता है एक्शन। मतलब वो
2:39
छोटा सा काम जो आप इजीली कर सको। नीर अयाल
2:43
बोलते हैं द सिंपलर द एक्शन द मोर लाइकली
2:46
द बिहेवियर। जितना सिंपल एक्शन होगा उतना
2:50
ही ज्यादा चांस है कि आप वो बिहेवियर
2:52
बार-बार करेंगे। सोचिए हंगर लगी है। आप
2:56
स्विगी खोलते हो और बस एक टैप में रिपीट
3:00
लास्ट ऑर्डर पर क्लिक कर देते हो। ज्यादा
3:02
सोचना ही नहीं पड़ता। यही सिंपलीसिटी आपको
3:05
बार-बार वापस खींचती है। स्टेप थ्री
3:09
वेरिएबल रिवॉर्ड डोपामिन का खेल। अब आता
3:12
है सबसे एडिक्टिव पार्ट वेरिएबल
3:14
रिवार्ड्स। ह्यूमन ब्रेन को अनसर्टेनिटी
3:17
पसंद है। जब रिवॉर्ड प्रेडिक्टेबल हो तो
3:20
इंटरेस्ट कम हो जाता है। लेकिन जब रिवॉर्ड
3:23
अनसर्टेन हो तो ब्रेन डोपामिन रिलीज करता
3:26
है। Instagram स्क्रॉल करते वक्त आपको कभी
3:28
बोरिंग पोस्ट मिलता है। कभी एकदम धमाका
3:33
कंटेंट। यही अनप्रिडिक्टेबिलिटी
3:35
आपको स्क्रोलिंग कंटिन्यू करने पर मजबूर
3:39
करती है। यह बिल्कुल कैसीो की तरह है। कभी
3:41
जैकपॉट, कभी एम्प्टी लेकिन हर बार कोशिश
3:44
करने का मन करता है। स्टेप फोर
3:47
इन्वेस्टमेंट जब हम खुद कंट्रीब्यूट करने
3:49
लगते हैं। यह वो स्टेज है जब उससे ऊपर
3:53
अपना टाइम, एफर्ट या डाटा इन्वेस्ट करते
3:56
हैं। जैसे WhatsApp ग्रुप्स ज्वाइन करना,
3:58
प्लेलिस्ट बनाना ऑन स्पॉटिफाई या Amazon
4:00
पर विशलिस्ट ऐड करना जितना ज्यादा आप
4:03
इन्वेस्ट करोगे उतना ही ज्यादा आपको लगेगा
4:06
अब तो अब तो छोड़ नहीं सकता। यही वो लूप
4:09
है जो बार-बार रिपीट होता है और हैबिट को
4:12
और डीप बनाता है। मान लीजिए आप Flipkart
4:16
का इस्तेमाल करते हो। ट्रिगर सेल
4:19
नोटिफिकेशन आया पिक बिलियन डेज स्टार्ट
4:21
नाउ। एक्शन ऐप खोलो और प्रोडक्ट्स ब्राउज
4:24
करो। वेरिएबल रिवॉर्ड कभी तो एकदम सही डील
4:27
मिल जाती है। कभी-कभी यही
4:29
अनप्रिडिक्टबिलिटी आपको और ब्राउज करने पर
4:32
मजबूर करती है। इन्वेस्टमेंट आप विश लिस्ट
4:34
बनाते हो, एड्रेसेस सेव करते हो, पेमेंट
4:36
डिटेल्स डालते हो। अब आप Flipkart
4:39
इकोसिस्टम का हिस्सा बन गए हो। अब सोचो
4:41
अगली बार जब शॉपिंग का मन होगा ऑटोमेटिकली
4:44
आप Flipkart खोलोगे ना कि कोई और ऐप।
4:49
अब सवाल यह है यह सिर्फ कंपनीज़ के लिए है
4:52
या हमारे लिए भी। सच यह है कि अगर आपको
4:54
समझ आ गया कि यह हुक मॉडल कैसे काम करता
4:57
है तो आप अपनी जिंदगी में दो काम कर सकते
4:59
हो। पहला अपनी खराब हैबिट्स को पहचान कर
5:02
तोड़ सकते हो। दूसरा न्यू पॉजिटिव हैबिट्स
5:05
लाइक फिटनेस एप्स, लर्निंग एप्स, मेडिटेशन
5:07
एप्स क्रिएट कर सकते हो। याद रखो इफ यू
5:11
डोंट क्रिएट हैबिट्स कॉन्शियसली, समवन
5:13
एल्स विल क्रिएट देम फॉर यू। अगर आप अपनी
5:15
हैबिट्स खुद नहीं बनाएंगे, तो कोई और आपकी
5:21
आदत हमारी जिंदगी का स्टीयरिंग व्हील है।
5:23
जो इन्हें कंट्रोल करेगा वही हमारी
5:25
डायरेक्शन तय करेगा। अब सवाल यह है कंपनीज़
5:29
इतनी गहराई से हमारी साइकोलॉजी को कैसे
5:31
हैक करती हैं? अगले पार्ट में हम बात
5:34
करेंगे इन हिडन साइकोलॉजी ट्रिक्स की
5:36
जिससे आपको लगेगा कि यह कंपनीज लिटरली
5:39
आपका दिमाग पड़ रही हैं। बने रहिए क्योंकि
5:42
अगला हिस्सा और भी ज्यादा शॉकिंग होने
5:47
सोचिए आप जिम ज्वॉइ करने का प्लान बनाते
5:51
हो। एंथूजियाज्म से शूज खरीदते हो। पहले
5:54
दिन जाते भी हो लेकिन एक हफ्ते बाद शूज
5:56
कोने में पड़े रहते हैं और जिम मेंबरशिप
5:58
बेकार हो जाती है। लेकिन दूसरी तरफ
6:01
WhatsApp, Instagram और YouTube को छोड़ना
6:04
तो दूर एक दिन बिना खुले रहना भी मुश्किल
6:06
है। आखिर ऐसा क्यों है? क्यों हमारी गुड
6:09
हैबिट्स टिकती नहीं और बैड हैबिट्स छूती
6:12
नहीं। इसका जवाब मिलता है नीर की हुक्क
6:15
में। कंपनीज ने हमारी साइकोलॉजी को इतने
6:18
अच्छे से समझ लिया है कि उन्होंने ऐसे
6:20
प्रोडक्ट्स बनाए हैं जो हमारे दिमाग के
6:22
हैबिट बटंस को बार-बार प्रेस करते हैं।
6:26
द इनविज़िबल बैटल अटेंशन इकॉनमी। आज की
6:30
दुनिया में सबसे बड़ा करेंसी क्या है?
6:33
गोल्ड नहीं। ऑयल नहीं। नहीं नहीं भाई।
6:39
कंपनीज़ कंपीट करती हैं कि आपका अगला 5
6:42
मिनट किस स्क्रीन पर बीतेगा। Netflix कहता
6:46
है वॉच अनदर एपिसोड। Instagram कहता है
6:49
स्क्रोल एक और रील। YouTube कहता है ऑटो
6:53
प्ले ऑन है एंजॉय करो। मतलब आपका ध्यान ही
6:58
उनकी कमाई है। नीरल बोलते हैं द
7:01
टेक्नोलॉजीस वी यूज़ हैव टर्न इनू कंपल्शन।
7:04
इफ नॉट फुल फ्लेज्ड एडिकशंस। जो
7:08
टेक्नोलॉजीस हम यूज करते हैं, वह कंपल्शन
7:11
बन चुकी हैं। अगर पूरी तरह एडिक्शन नहीं
7:16
ब्रेन हैक वन द डोपामिन जैकपॉट। आपके
7:19
दिमाग में केमिकल है डोपामिन। यह आपको
7:22
ड्राइव करता है नए एक्सपीरियंसेस की तरफ।
7:25
एप्स ने इसे इसे समझ लिया है। हर बार जब
7:29
आप स्क्रॉल करते हो, एक अनप्रिडिक्टेबल
7:32
रिवॉर्ड मिलता है। कभी एकदम यूज़लेस पोस्ट,
7:35
कभी एकदम फनी रील। बिल्कुल स्लॉट मशीन की
7:38
तरह हर बार बस एक और ट्राई करते हैं।
7:41
इंस्टा रील्स कभी क्रिंजी डांस, कभी कपिल
7:44
शर्मा का फनी क्लिप, कभी मोटिवेशनल 30
7:46
सेकंड स्पीच, YouTube शॉट्स कभी एजुकेशनल
7:49
हैक, कभी वायरल कॉमेडी। यही
7:51
अनप्रिडिक्टेबिलिटी आपको फंसा देती है।
7:55
ब्रेन हैक टू लॉस एवशन का खेल। हम इंसान
7:59
ज्यादा डरते हैं खोने से बजाय पाने के।
8:03
कंपनीज इसको ब्रिलियंटली यूज करती हैं।
8:06
Snapchaat स्ट्रीक्स डोंट लूज योर स्ट्रीक
8:10
डलिंगो योर स्ट्रीक इज अ रिस्क कम बैक
8:13
टुडे ड्रीम 11 लास्ट चांस मिस मत करो ₹50
8:17
का बोनस क्लेम करो हमें डर लगता है कि
8:20
कहीं कुछ मिस ना हो जाए। फोर मोर फियर ऑफ
8:22
मिसिंग आउट। फियर ऑफ मिसिंग आउट का मतलब
8:25
यह है कि हमें लगता है कि बाकियों को बहुत
8:26
कुछ मिल रहा है। हम रह रहे हैं। नीर अयल
8:29
कहते हैं यूज़र्स हु इन्वेस्ट इन अ
8:31
प्रोडक्ट आर मोर लाइकली टू रिटर्न। जो
8:34
यूजर किसी प्रोडक्ट में इन्वेस्ट करता है
8:36
उसके वापस आने की संभावना और बढ़ जाती है।
8:40
ब्रेन हैक नंबर थ्री सोशल वैलिडेशन। आप
8:44
WhatsApp ग्रुप में मीम डालते हो। दो लोग
8:47
हंसते इमोजी डालते हैं। बस अगले दिन फिर
8:50
से मीम भेजने का मन करता है। क्यों?
8:52
क्योंकि आपको मिला है सोशल रिवॉर्ड।
8:55
Instagram लाइक्स इज इक्वल टू आपकी
8:57
तस्वीरों का अप्लॉज़। Twitter रीट्वीट्स
9:01
आपकी बात को फैलाना, Lindin कमेंट्स आपकी
9:05
प्रोफेशनल वैल्यू बढ़ाना। यह छोटी-छोटी
9:08
डोपामिन डोजेस आपको बार-बार लूप में
9:13
इंडिया में 18 से 55 की एज ग्रुप के लोग
9:16
स्पेशली वलनेरेबल है। क्यों? पहला चीप
9:20
डाटा रेवोल्यूशन जिओ इफेक्ट। अब हर कोई
9:23
247 ऑनलाइन है। दूसरा सोशल वैलिडेशन
9:27
क्रेविंग जॉइंट फैमिलीज से न्यूक्लियर
9:29
फैमिलीज अब लोनलीनेस ज्यादा है। लोग
9:32
ऑनलाइन अप्रूवल ढूंढते हैं। तीसरा स्ट्रेस
9:35
एंड कंपटीशन, जॉब्स, स्टडीज, बिजनेस
9:38
प्रेशर। लोग एस्केपिज्म के लिए एप्स यूज
9:41
करते हैं। रिजल्ट स्टूडेंट्स पढ़ाई छोड़कर
9:44
PUBG और रील्स में खोए रहते हैं। ऑफिस
9:47
एंप्लाइज ईमेल्स छोड़कर Instagram स्क्रोल
9:50
करते हैं। हाउसवाइफ्स सीरियल छोड़कर
9:54
YouTube पे वी लॉगिंग और कुकिंग वीडियोस
9:56
पेंच करती हैं। धीरे-धीरे ये एप्स हमारी
9:59
जिंदगी के हर खाली पल में एंट्री मार लेते
10:02
हैं। द हैबिट फैक्ट्री। कैसे हैबिट्स
10:06
मैन्युफैक्चर होती हैं? नीर आयल एक
10:09
इंपॉर्टेंट बात बताते हैं। हैबिट्स अपने
10:12
आप नहीं बनती। उनको डिजाइन किया जाता है।
10:15
हर बार जब आप ऐप ओपन करते हो एक इनविज़िबल
10:18
साइकिल स्टार्ट होता है। ट्रिगर,
10:21
नोटिफिकेशन या इमोशन, एक्शन, ऐप ओपन,
10:24
रिवॉर्ड, लाइक्स, वीडियो, कैशबैक,
10:27
इन्वेस्टमेंट, टाइम स्पेंड, डाटा शेयर,
10:29
मनी स्पेंड। स्लोली यह लूप इतना स्ट्रांग
10:32
हो जाता है कि आप बिना सोचे वही एक्शन
10:35
रिपीट करते हो। एग्जांपल Paytm कैशबैक।
10:39
पहला ट्रिगरर्ड एसएमएस आया। रिचार्ज नाउ
10:41
एंड विन कैशबैक। दूसरा एक्शन। आप रिचार्ज
10:44
करते हो। रिवॉर्ड कभी ₹10 कैशबैक कभी 50।
10:47
इन्वेस्टमेंट कार्ड डिटेल्स सेव कर ली। अब
10:50
अगली बार और भी आसान। नेक्स्ट टाइम
10:53
रिचार्ज करना है। ऑटोमेटिकली Paytm याद
10:55
आता है। द डार्क साइड जब हैबिट्स एडिक्शन
10:59
बन जाती है। आदत अच्छी भी हो सकती है जैसे
11:02
पढ़ाई, फिटनेस, मेडिटेशन लेकिन जब वही
11:06
लूप्स आपको एक्सप्लइट करते हैं तो यह बन
11:08
जाती है एडिक्शन। 5 मिनट स्क्रोल टू आवर
11:12
टाइम वेस्ट। एक ऑर्डर ऑन स्विगी मंथली
11:15
5000 फूड बजट उड़ा। एक एपिसोड ऑफ Netflix
11:19
पूरी रात जाग गया। नीर रॉयल वन करते हैं
11:24
कि यह हैबिट फार्मिंग प्रोडक्ट्स एक नशे
11:27
की तरह काम करते हैं। कंपनीज़ आपकी आदतें
11:32
नहीं बदलती। वह आपकी आदतों को हाईजैक करती
11:36
हैं। हर स्क्रोल हर टैप किसी और की कमाई
11:39
है और आपका टाइम खर्चा है। जिसे आप
11:42
एंटरटेनमेंट समझते हो वो एक्चुअली
11:44
इंजीनियर्ड ट्रैप है। तो अभी तक हमने देखा
11:48
कैसे आप एप्स आपके दिमाग के साथ खेलते
11:50
हैं। कैसे डोपामिन, लॉस एवर्जन और सोशल
11:53
वैलिडेशन का इस्तेमाल करके आपकी जिंदगी को
11:56
कंट्रोल करते हैं। लेकिन अब असली सवाल यह
11:58
है क्या हम इस गेम को उल्टा कर सकते हैं?
12:01
क्या हम होप मॉडल को अपने बेनिफिट के लिए
12:04
यूज कर सकते हैं? नई पॉजिटिव हैबिट्स
12:06
डिजाइन करने के लिए। पार्ट थ्री में हम
12:08
डिबुक कोड करेंगे। कैसे आप खुद का हैबिट
12:10
इंजीनियर बन सकते हो और वही टूल्स यूज़
12:13
करके अपने ड्रीम्स को डेली हैबिट्स में
12:18
चलिए अब चलते हैं नीर अल की हुक्ड समरी के
12:23
पार्ट थ्री हैबिट इंजीनियर पर। यहां से
12:26
असली मजा शुरू होता है। क्योंकि अब हम
12:29
सिर्फ यह नहीं समझेंगे कि कंपनियां हमें
12:31
कैसे कंट्रोल करती हैं। बल्कि यह भी
12:33
सीखेंगे कि हम खुद अपनी जिंदगी के हैबिट
12:36
इंजीनियर कैसे बन सकते हैं। पार्ट वन और
12:39
पार्ट टू में आपने देखा कि हुक मॉडल कैसे
12:41
काम करता है और कैसे एप्स हमारे दिमाग से
12:44
खेलते हैं। अब पार्ट थ्री में हम इस पूरे
12:47
मॉडल को रिवर्स इंजीनियर करेंगे ताकि हम
12:50
अपने लिए नई पॉजिटिव हैबिट्स बना सकें और
12:54
नेगेटिव हैबिट्स से छुटकारा पा सकें।
12:58
पार्ट थ्री पी योर ओन हैबिट इंजीनियर।
13:01
सोचिए अगर आप हर दिन 20 30 मिनट पढ़ाई कर
13:05
लो, 30 मिनट एक्सरसाइज कर लो और सिर्फ 10
13:07
मिनट मेडिटेशन कर लो तो 1 साल में आपकी
13:10
जिंदगी कहां से कहां पहुंच जाएगी।
13:12
प्रॉब्लम यह है कि हम सब जानते हैं क्या
13:14
करना है लेकिन हमें आदत नहीं पड़ती। जैसे
13:18
जिम मेंबरशिप लेते हैं एक हफ्ते बाद शूज
13:21
कोने में और यह तो एक रिसर्च में भी आया
13:24
है कि 85% लोग जो इयरली मेंबरशिप लेते हैं
13:29
वो नहीं जाते हैं। मतलब अगर किसी जिम में
13:31
100 लोगों ने इयरली मेंबरशिप ली तो उसमें
13:34
से 85 लोग नहीं जाएंगे। सिर्फ 15 होंगे जो
13:37
रेगुलर जाएंगे। हम बुक खरीदते हैं दो
13:40
चैप्टर बाद शेलफ पर। लेकिन क्या होगा अगर
13:43
हैबिट्स बनाने का साइंटिफिक तरीका आपके
13:46
हाथ लग जाए? यही तरीका सिखाता है नीर अयल
13:49
कि कैसे आप खुद अपनी जिंदगी के हैबिट
13:52
इंजीनियर बन सकते हो। स्टेप वन आइडेंटिफाई
13:55
द ट्रिगर। स्टार्ट पॉइंट ढूंढो। हैबिट्स
13:58
हमेशा किसी ना किसी ट्रिगर से शुरू होती
14:01
हैं। अगर आप न्यू हैबिट बनाना चाहते हो तो
14:04
आपको कॉन्शियसली ट्रिगर सेट करना पड़ेगा।
14:08
सुबह उठते ही मोबाइल उठाने की बजाय तुरंत
14:10
शूज पहन लो। यह ट्रिगर बन जाएगा एक्सरसाइज
14:14
का। बेड पे जाते ही मोबाइल के बजाय किताब
14:17
उठाओ। यह ट्रिगर बन जाएगा पढ़ाई का। नीर
14:20
रयल कहते हैं टू बिल्ड बेटर हैबिट्स। टाई
14:24
देम टू ट्रिगरर्स यू ऑलरेडी डू। नई
14:26
हैबिट्स बनाने के लिए उन्हें एकिस्टिंग
14:29
ट्रिगर्स से जोड़ो। इसे कहते हैं हैबिट
14:32
स्टेकिंग। चाय बन रही है इसी टाइम पांच
14:36
पुश अप्स। टीवी ऑन करने से पहले एक पेज
14:39
पढ़ना। छोटा सा ट्रिगर बड़ी हैबिट की
14:42
शुरुआत। स्टेप टू मेक द एक्शन स्टूपिडली
14:47
सिंपल। हैबिट स्टार्ट करना मुश्किल तब
14:50
लगता है जब वह बहुत कॉम्प्लेक्स हो।
14:52
इसीलिए पहला रूल एक्शन इतना सिंपल होना
14:56
चाहिए कि दिमाग बहाना ही ना बना पाए। ऑथर
14:59
लिखते हैं द इज़ियर समथिंग इज टू डू द मोर
15:02
लाइकली वी आर टू डू इट। जितना आसान कोई
15:05
काम होगा उतना ही ज्यादा चांस है कि आप
15:10
जिम नहीं जा सकते। घर पर सिर्फ 10
15:13
स्क्वाट्स। पूरा बुक पढ़ना भारी लगता है।
15:16
सिर्फ टू पेजेस डेली। 30 मिनट मेडिटेशन टफ
15:20
लगता है। सिर्फ 10 मिनट्स स्टार्ट करो।
15:23
रूल ऑफ थंब स्टार्ट सो स्मॉल दैट इट लुक्स
15:26
सिलेली। स्टेप थ्री वेरिएबल रिवार्ड्स यूज
15:30
करो। अपने दिमाग को ट्रीट दो। हैबिट टिकती
15:33
है जब उसमें थोड़ा थ्रिल हो। अगर सिर्फ
15:36
बोरिंग लगेगा तो दिमाग एस्केप कर जाएगा।
15:39
इसीलिए अपनी नई हैबिट में रिवॉर्ड सिस्टम
15:42
डालो। पढ़ाई के 30 मिनट्स के बाद अपने
15:45
फेवरेट गाने सुनो। वर्कआउट के बाद खुद को
15:48
हेल्दी स्मूदीस ट्रीट दो। सेविंग्स ऐप में
15:51
हर बार ₹100 बचाओ और देखो कैसे ग्राफ बढ़
15:55
रहा है। जब दिमाग को छोटी-छोटी जीत का मजा
15:57
मिलेगा हैबिट स्टिक करेगी। स्टेप फोर
16:01
इन्वेस्टमेंट लगाओ। अपने स्किन इन द गेम
16:05
डालो। न्यू रियल कहते हैं द मोर यूज़र्स
16:08
इन्वेस्ट द मोर लाइकली दे आर टू रिटर्न।
16:10
जितना ज्यादा यूजर इन्वेस्ट करता है उतना
16:12
ही ज्यादा वह वापस आता है। अगर आप हैबिट
16:15
बिल्ड करना चाहते हो तो उसमें
16:16
इन्वेस्टमेंट डालो। टाइम एनर्जी या पैसा।
16:19
जिम के लिए एडवांस पेमेंट करो फिर जाने का
16:21
मन करेगा। किंडल या ऑडिबल सब्सक्रिप्शन ले
16:25
लो पढ़ना पड़ेगा। अकाउंटेबिलिटी पार्टनर
16:27
बना लो। दोस्त के साथ टारगेट फिक्स करो।
16:30
जब आप कुछ इन्वेस्ट करते हो छोड़ना
16:34
रिवर्स इंजीनियरिंग हुक मॉडल फॉर गुड
16:37
हैबिट्स। अब हम वही हुक मॉडल इस्तेमाल
16:40
करेंगे जो एप्स आपकी आदतों को हाईजैक करने
16:43
के लिए करते हैं। लेकिन इस बार अपने फायदे
16:45
के लिए एग्जांपल डेली रनिंग हैबिट ट्रिगर।
16:49
रात को शूज बेड के पास रखो। सुबह उठते ही
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दिखेंगे। एक्शन सिर्फ 5 मिनट रन का
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प्रॉमिस करो। वेरिएबल रिवॉर्ड रन के बाद
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हेल्थ ऐप में कैलोरीज बर्न देखो। डोपामिन
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हिट मिलेगा इससे। चौथा इन्वेस्टमेंट
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प्रोग्रेस को नोट करो। सोशल मीडिया पे
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शेयर करो। अब छूटेगा नहीं। धीरे-धीरे यह
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लूप इतना स्ट्रांग बन जाएगा कि रनिंग आपके
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दिन का नेचुरल हिस्सा लगने लगेगा। आगे बात
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करते हैं ब्रेकिंग बैड हैबिट्स। कैसे
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छुटकारा पाए? गुड हैबिट्स बनाने के
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साथ-साथ मीर आयल बताते हैं कि बैड हैबिट्स
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से छुटकारा पाने के लिए भी हुक मॉडल का
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उल्टा यूज करो। ट्रिक वन रिमूव द ट्रिगर।
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अगर रात देर तक Netflix देखते हो रिमोट
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बाहर रख दो। अगर अननेसेसरी इंस्टा स्क्रॉल
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करते हो नोटिफिकेशन बंद कर दो। ट्रिक टू
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मेक एक्शन डिफिकल्ट instा या FB अनइंस्टॉल
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कर दो और ब्राउज़र से लॉग इन करो। इतने
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झंझट कि ऑटोमेटिकली काम ओपन होगा। जंक फूड
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खाने का जंक फूड खाने का मन घर में मत
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रखो। ट्रिक थ्री किल द रिवॉर्ड। हर बार
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जंक खाने के बाद गिल्ट जर्नल लिखो। दिमाग
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धीरे-धीरे नेगेटिव फीलिंग एसोसिएट कर
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देगा। बैड हैबिट का लूप तोड़ो और उसकी जगह
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पॉजिटिव लूप लगाओ। अब देखो यह मॉडल कैसे
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डेली लाइफ में काम करेगा। फिटनेस ट्रिगर
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इज इक्वल टू सुबह अलार्म एक्शन 10 पुश
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अप्स करना रिवॉर्ड एनर्जी बूस्ट प्लस
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फिटनेस ऐप स्ट्रीक इन्वेस्टमेंट
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दोस्तों के साथ प्रोग्रेस शेयर स्टडी का
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ट्रिगर है चाय की पहली चुस्की एक्शन 20
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मिनट पढ़ाई रिवार्ड गोल्ड स्टार लिखो अपने
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प्लानर में और इन्वेस्टमेंट नोट्स बनाना
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फ्यूचर में काम आएंगे मनी सेविंग के लिए
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ट्रिगर है सेल सैलरी क्रेडिट होने के
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तुरंत बाद एक्शन 10% अलग अकाउंट में डालना
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रिवॉर्ड प्रोग्रेस ग्राफ बढ़ते देखना
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इन्वेस्टमेंट उस अकाउंट को लॉक कर देना।
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अब बहुत सारे लोग हैबिट्स में फेल हो जाते
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हैं। एंड देयर आर देयर रीज़ंस फॉर दैट।
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पहला वो मोटिवेशन के भरोसे चलते हैं। जब
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मूड नहीं होता तो छोड़ दो। हैबिट्स को
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बोरिंग बना देते हैं। दिमाग एस्केप कर
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जाता है। तीसरा ट्रिगर्स सेट नहीं करते।
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याद ही नहीं रहता स्टार्ट करना। लेकिन अगर
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आप साइंटिफिकली डिजाइन करोगे ट्रिगर,
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एक्शन, रिवॉर्ड, इन्वेस्टमेंट तो हैबिट
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टूटेगी ही नहीं। हैबिट्स विल नॉट चेंज योर
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लाइफ इन वन डे बट दे विल डेफिनेटली चेंज
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योर लाइफ एवरीडे। छोटी-छोटी आदतें ही
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बड़ी-बड़ी जीत दिलाती हैं। अगर आप अपनी
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हैबिट्स को कंट्रोल नहीं करोगे, तो आपकी
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हैबिट्स आपको कंट्रोल करेंगी। तो अब हमने
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देखा कि आप खुद अपनी पॉजिटिव हैबिट्स
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डिजाइन कर सकते हो। नेगेटिव हैबिट्स से
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छुटकारा पा सकते हो। लेकिन अभी तक बहुत
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बड़ा सवाल बाकी है। कंपनीज़ के लिए यह
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एथिकल डलेमा कैसे होता है? क्या हैबिट
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फार्मिंग प्रोडक्ट्स सोसाइटी के लिए अच्छे
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हैं या खतरनाक? और आने वाले टाइम में एआई
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और एल्गोरििदम्स हमारी हैबिट्स के साथ
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क्या करेंगे? यही होगा पार्ट फोर का धमाका
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जहां हम बात करेंगे एथिक्स फ्यूचर ऑफ
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हैबिट फॉर्मिंग टेक और आपकी अल्टीमेट
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जरा इमेजिन करो अगर Instagram आपके दिमाग
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को ऐसा डिजाइन करे कि आप रोज 3 घंटे
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स्क्रॉल करते रहो। YouTube आपको लगातार
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रिकमेंड करता रहे और आपको नींद तक
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सैक्रिफाइस करनी पड़े। तो असल में कंट्रोल
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किसके पास है? आपके पास या आपके पास? यही
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सवाल इस फाइनल पार्ट की जान है। नीर अयाल
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यहां एक बहुत इंपॉर्टेंट बात करते हैं।
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हैबिट फार्मिंग टेक्नोलॉजी एक डबल एज्ड
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स्वॉर्ड है। यह एक दो धारी तलवार है। वि
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ग्रेट पावर कम्स ग्रेट रिस्पांसिबिलिटी।
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ज्यादा ताकत आती है तो जिम्मेदारी भी बढ़
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जाती है। पहले बात करते हैं एथिक्स। क्या
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हैबिट फॉर्मिंग टेक सही है? सबसे पहले
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एथिक्स की बात करें। नीर अयाल मानते हैं
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कि कोई भी हैबिट फॉर्मिंग प्रोडक्ट एथिकल
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तभी है जब वह यूजर की जिंदगी को बेहतर
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बनाए। मतलब अगर आपकी प्रोडक्ट हेल्पफुल
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हैबिट्स बनाती है जैसे ड्यूलिंगो लैंग्वेज
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सीखने में या हेड स्पेस मेडिटेशन में तो
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वो एथिकल है। लेकिन अगर आपकी प्रोडक्ट
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और आपको स्लेवरी ऑफ एडिक्शन में डाल देती
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है जैसे अनलेस स्क्रोलिंग गैंबलिंग एप्स
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तो वह अनएथिकल टेरिटरी में जा रही है।
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सोचो दो आदमी हैं। राहुल सुबह उठकर सबसे
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पहले YouTube खोलता है। रील्स देखता है।
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फिर लेट हो जाता है ऑफिस के लिए। प्रिया
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सुबह उठकर वही मोबाइल खोलती है। लेकिन
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उसके पास हैबिट है कि ड्यूलिंगो ऐप पर 10
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मिनट्स प्रैक्टिस करें। दोनों मोबाइल यूज
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कर रहे हैं। लेकिन फर्क देखो। एक की हैबिट
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उसे पीछे खींच रही है। दूसरी की हैबिट उसे
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ग्रो करा रही है। यही एथिक्स का डिफरेंस
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है। टेक्नोलॉजी न्यूट्रल है। लेकिन उसका
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इस्तेमाल पॉजिटिव भी हो सकता है और
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नेगेटिव भी। आगे बात करते हैं फ्यूचर ऑफ
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हैबिट फॉर्मिंग टेक्नोलॉजी के बारे में।
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अब बात करते हैं फ्यूचर की। नीर एल का
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कहना है कि आने वाले टाइम में हैबिट
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फॉर्मिंग टेक्नोलॉजी और भी पावरफुल होगी।
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क्यों? क्योंकि एio और एल्गोरिदम्स और डीप
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डाटा एनालिसिस एप्स को और स्मार्ट बना
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देंगे। आज Instagram और Netflix आपको वही
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दिखाते हैं जो आपको पसंद है। कल को यह
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सिस्टम्स इतने एडवांस्ड हो जाएंगे कि वो
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आपके मूड, आपकी नींद का पैटर्न, आपकी
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हार्ट रेट तक एनालाइज करके आपको हैबिट में
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ट्रैप करेंगे। सोचो एक फिटनेस ऐप है। आज
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वह बस स्टेप्स काउंट करता है। कल वह आपकी
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हार्ट बीट मॉनिटर करेगा। बोलेगा हे अभी
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आपका स्ट्रेस बढ़ रहा है। प्लीज 5 मिनट
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मेडिटेशन करो। यहां टेक आपकी मदद कर रही
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है। लेकिन इमेजिन करो एक शॉपिंग ऐप है जो
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आपके कार्ड की स्पेंडिंग पैटर्न जानती है।
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वो जानती है कि आपको लेट नाइट में इमल्सिव
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बाइंग की आदत है। तो वो रात 11:00 बजे
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नोटिफिकेशन भेजेगी। फ्लैश सेल केवल 30
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मिनट के लिए और आप सोचो भी मत तुरंत क्लिक
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करके खरीद लो। यही है फ्यूचर और यही है
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डेंजर। आगे बात करते हैं आपकी अल्टीमेट
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फ्रीडम द चॉइस इज योर्स। अब सवाल आता है
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क्या हम इस के गुलाम बन जाएंगे? आंसर है
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नहीं। बिकॉज़ नीर अयाल कहते हैं द अल्टीमेट
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गोल ऑफ हैबिट फार्मिंग प्रोडक्ट्स शुड बी
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टू गिव यूसेस द पावर टू लिव द लाइफ्स दे
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वांट। हैबिट फार्मिंग प्रोडक्ट्स का
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अल्टीमेट गोल यह होना चाहिए कि यूज़र्स को
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वह जिंदगी जीने की ताकत मिले जो वह चाहते
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हैं। मतलब टेक आपको एंपावर करें, कंट्रोल
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ना करें। मोबाइल को सोचो एक रिमोट कंट्रोल
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की तरह। अगर रिमोट आपके हाथ में है तो आप
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जो चाहो वह चैनल बदल सकते हो। लेकिन अगर
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रिमोट किसी और के हाथ में है तो आप बस
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हेल्पलेस स्पेक्टेटर बन जाते हो। आपकी
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अल्टी फ्रीडम अल्टीमेट फ्रीडम है कि आप
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रिमोट वापस अपने हाथ में ले लो।
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अब बात करते हैं प्रैक्टिकल टेकवज़ की।
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कैसे पाएंगे कंट्रोल? मी एल हमें कुछ
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सिंपल लेकिन पावरफुल तरीके बताते हैं।
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पहला बी माइंडफुल ऑफ ट्रिगर्स। नोटिस करो
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कि कौन सी ऐप कब आपको अट्रैक्ट करती है।
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एग्जांपल हर बार जब आप बोर होते हो तो फोन
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उठाकर Instagram खोलते हो सॉल्यूशन। उस
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मोमेंट को रिप्लेस करो किसी पॉजिटिव हैबिट
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से जैसे वॉक करना। दूसरा इन्वेस्ट ओनली इन
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व्हाट मैटर्स। हैबिट में इन्वेस्टमेंट का
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मतलब है अपना समय और एनर्जी सही जगह
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लगाना। एग्जांपल डलिंगो डेली स्ट्रीक बनाओ
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इंस्टेड ऑफ Snapchaat स्ट्रीक। थर्ड यूज़
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टैक फॉर ग्रोथ नॉट डिस्ट्रैक्शन। सेम फोन
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पर YouTube भी है और कोरसे का भी। फर्क बस
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अब इमेजिन करो अगर पूरी सोसाइटी सिर्फ
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एडक्टिव एप्स में फंस जाए तो क्या होगा?
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पहला प्रोडक्टिविटी गिरेगी। मेंटल इश्यूज
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बढ़ेंगे। रिलेशनशिप्स कमजोर होंगे। लेकिन
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अगर हैबिट फॉर्मिंग टैग का सही यूज़ किया
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जाए तो सोसाइटी का लेवल उठ सकता है। लोग
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हेल्थियर होंगे। एजुकेशन एक्सेसिबल होगा।
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क्रिएटिविटी बूस्ट होगी। चॉइस हर बार
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सोसाइटी के हाथ में भी है। टेक को अपना
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मास्टर मत बनने दो। उसे सर्वेंट बनाओ।
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हैबिट्स आपकी आइडेंटिटी बनाती है और
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आइडेंटिटी आपकी डेस्टिनी। फ्यूचर उन लोगों
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का है जो अपनी हैबिट्स पर कंट्रोल रखते
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हैं ना कि उन एप्स का जो हैबिट्स डिजाइन
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करते हैं। तो दोस्तों नीर आया हमें एक
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आखिरी सवाल छोड़ते हैं। क्या आप अपनी
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जिंदगी के डायरेक्टर बनना चाहते हो या बस
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एक ऑडियंस? क्योंकि याद रखो हैबिट्स आपको
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बना भी सकती हैं और बिगाड़ भी सकती हैं।
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टेक आपको एमावर भी कर सकती है और एनस्कप
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भी कर सकती है। फाइनल डिसीजन हमेशा आपके
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हाथ में है। और यही है इस किताब हुक का
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सबसे बड़ा लेसन। यूज़ हैबिट्स। डोंट लेट
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हैबिट्स यूज यू। थैंक यू।