YouTube जानता है आप कौन हैं | The Mirror Inside Your Feed
Oct 17, 2025
क्या आपने कभी सोचा है कि आपका YouTube Feed आपकी सोच, भावनाओं और भविष्य के बारे में क्या बताता है? यह वीडियो आपको दिखाएगा कि आपका डिजिटल संसार — वास्तव में आपके मन का आईना (Mirror of Mind) है। 🎯 जानिए इस वीडियो में: YouTube का algorithm आपकी सोच को कैसे shape करता है 🧠 आपका feed आपके current phase को कैसे दिखाता है 🌱 अपने feed को देखकर खुद को कैसे समझें 🔍 और सबसे ज़रूरी — कैसे अपने feed को design करके, अपना future design करें। 🌟 यह वीडियो सिर्फ YouTube के बारे में नहीं है, यह वीडियो आपके अंदर झाँकने की कला सिखाता है। अगर आप self-growth, journaling, meditation, और mindful living में विश्वास रखते हैं, तो यह वीडियो आपकी life बदल सकता है। 🎧 Background Music Credit:
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क्या आपने कभी गौर किया है कि YouTube
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आपको हमेशा वही वीडियो दिखाता है जो आप
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बार-बार देखते हैं। कभी मोटिवेशन, कभी
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ट्रैवल, कभी न्यूज़। ऐसा लगता है जैसे
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YouTube हमें बहुत अच्छे से जानता है। पर
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सच यह है कि YouTube का एल्गोरििदम हमें
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सिर्फ एंटरटेन नहीं करता। वो हमें एक्सपोज
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करता है। हमारे अंदर चल रहे पैटर्न्स ऑफ
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थिंकिंग स्कोप।
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YouTube का सिस्टम बहुत सिंपल है। जो
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कंटेंट आप रिपीटेडली देखते हो, जो टॉपिक्स
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पर आप रुकते हो और जिन वीडियोस पर आप
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ज्यादा टाइम स्पेंड करते हो, वो सब
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एल्गोरिदम को सिखाता है कि आप कौन हैं और
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इस समय आपकी जिंदगी में क्या चल रहा है।
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अगर आप रोज मोटिवेशन या सेल्फ इंप्रूवमेंट
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वीडियोस देखते हैं तो YouTube समझता है कि
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यह इंसान अपने अंदर कुछ बेहतर बनाना चाहता
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है। अगर आप ट्रैवल वॉग्स देखते हैं तो
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एल्गोरिदम को लगता है इस व्यक्ति के अंदर
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फ्रीडम की प्यास है। एक्सप्लोरेशन का
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जुनून है। और अगर आपके फील्ड में बार-बार
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न्यूज़, पॉलिटिक्स या केओस वाले वीडियोस आ
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रहे हैं तो शायद आपके माइंड के अंदर भी
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कोई अनसर्टेनिटी या कंट्रोल की नीड चल रही
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है। देखिए यह बहुत सेटल है। YouTube हमारे
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अंदर के इंटरेस्ट, मूड और एनर्जी को
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पहचानता है और उसी वाइब्रेशन के वीडियोस
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हमें दिखाता है। इसीलिए अगर आप ऑब्जर्व
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करें तो आपका YouTube फीड आपके मन का आईना
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है। वो यह नहीं दिखाता कि आप दुनिया को
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कैसे देखते हैं बल्कि यह दिखाता है कि आप
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इस वक्त खुद को कैसे महसूस कर रहे हैं।
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मतलब सीधा है आपका फीड आपके फोकस का
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रिफ्लेक्शन है। जो चीज आप बार-बार देख रहे
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हैं वो आपकी करंट एनर्जी, इमोशंस और
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प्रायोरिटीज का स्नैपशॉट है। YouTube
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सिर्फ वीडियो नहीं दिखाता। वो आपके माइंड
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का मैप खींच रहा होता है। हर क्लिक, हर
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स्क्रॉल, हर सेकंड का वॉच टाइम आपकी
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पर्सनालिटी का डिजिटल फिंगरप्रिंट बन जाता
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है। तो अगली बार जब आप YouTube खोलें
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थोड़ा रुकिए और सोचिए मेरा फीड क्या कह
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रहा है मेरे बारे में। हम अक्सर सोचते हैं
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कि YouTube बस हमारी पसंद को समझता है।
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हमें वही दिखाता है जो हम देखना चाहते
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हैं। लेकिन सच्चाई इससे कहीं गहरी है।
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YouTube का एल्गोरिदम हमें सिर्फ
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रिफ्लेक्ट नहीं करता। वह हमें धीरे-धीरे
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शेप भी करता है। हर बार जब आप कोई वीडियो
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क्लिक करते हैं। हर बार जब आप किसी थंबनेल
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पर रुकते हैं। हर बार जब आप किसी टॉपिक पर
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ज्यादा टाइम देते हैं। एल्गोरििदम आपके
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दिमाग का एक ब्लूप्रिंट तैयार करता है। वह
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समझता है कि किस तरह का कंटेंट आपको
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खींचता है। कौन सा इमोशन आपके अंदर सबसे
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तेज ट्रिगर होता है और फिर उसी को बार-बार
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आपके सामने रख देता है। धीरे-धीरे बिना
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आपको महसूस कराए। आपका फीड आपकी सोच को
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प्रोग्राम करने लगता है। यह एक इनविज़िबल
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फीडबैक लूप है। आप जो देखते हैं वही
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एल्गोरिदम सीखता है। वही आपको फिर दिखाता
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है और आप और ज्यादा वही देखने लगते हैं।
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यानी हर स्क्रॉल के साथ आपका माइंड एक नए
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पैटर्न में ढलने लगता है। अगर आप रोज-रोज़
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इंस्पिरेशनल वीडियोस देखते हैं, तो आपका
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सबकॉन्शियस सक्सेस के विचारों से भरने
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लगता है। आप खुद ब खुद डिसिप्लिंड, फोकस्ड
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और पॉजिटिव बनने लगते हैं। लेकिन अगर आप
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दिन भर गसप, नेगेटिविटी या कंप्लेंट बेस्ड
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कंटेंट देखते हैं, तो आपका सबकॉन्शियस
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उन्हीं इमोशंस को नॉर्मल मान लेता है।
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धीरे-धीरे आप बिना रीजन के एशियस,
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इरिटेटेड या डिस्ट्रैक्टेड महसूस करने
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लगते हैं। एल्गोरिदम का काम सिंपल है।
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आपके अटेंशन को पकड़े रखना। वो किसी मोरल
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फिल्टर से ऑपरेट नहीं करता। उसे फर्क नहीं
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पड़ता कि कंटेंट आपको ग्रो कर रहा है या
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गिरा रहा है। जब तक आप वॉच टाइम दे रहे
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हैं, वह मानता है कि आप खुश हैं। यही वजह
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है कि एल्गोरिदम एक मिरर नहीं बल्कि एक
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स्कल्प्चर है। वो आपको उस शेप में ढाल
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देता है जिस कंटेंट को आप रोज कंज्यूम
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करते हैं। सोचिए अगर कोई व्यक्ति रोज
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बिजनेस प्रोडक्टिविटी और लीडरशिप वीडियोस
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देखता है वो कुछ महीने में खुद ब खुद उन
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क्वालिटीज को अडप्ट करने लगता है। लेकिन
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अगर कोई रोज कंट्रोवर्सीज, कंपैरिजन और
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डिस्ट्रैक्शंस में खोया रहता है तो वह
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वैसा ही सोचना महसूस करने लगता है। यानी
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एल्गोरििदम सिर्फ आपके पसंद नहीं सीखता।
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वह आपकी आइडेंटिटी रिीडफाइन कर देता है।
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अब जरा इमेजिन कीजिए। आपके फोन की स्क्रीन
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दरअसल आपके माइंड का एक्सटेंशन बन चुकी
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है। हर स्वाइप एक थॉट पैटर्न को स्ट्रेंथन
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करता है। हर क्लिक आपके बिलीव सिस्टम को
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रिवायर करता है और हर सजेशन जो आप देखते
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हैं वो आपके फ्यूचर सेल्फ की दिशा तय कर
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रहा होता है। इसलिए एक्सपर्ट्स कहते हैं
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प्रोटेक्ट योर डिजिटल डाइट द वे यू
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प्रोटेक्ट योर बॉडी। जिस तरह जंक फूड शरीर
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को स्लो कर देता है, वैसे ही जंक कंटेंट
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माइंड को डल बना देता है। अगर आप
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कॉन्शियसली चूज़ करें मोटिवेशनल टॉक्स,
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मेडिटेशन प्रैक्टिससेस, जर्नलिंग आइडियाज
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या ब्रीथिंग एक्सरसाइजज़ देखना शुरू करें
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तो एल्गोरििदम एक हफ्ते के अंदर आपकी पूरी
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डिजिटल दुनिया बदल देगा। वह आपको ऐसे
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वीडियोस दिखाने लगेगा जो आपके गोल्स, पीस
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और ग्रोथ से अलाइन हो। धीरे-धीरे आपकी
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पूरी एनर्जी शिफ्ट हो जाएगी। आपका माइंड
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काम रहेगा। फोकस नेचुरली बढ़ेगा और आप
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महसूस करेंगे कि डिजिटल वर्ल्ड भी अब आपकी
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ग्रोथ का साथी बन गया है। सच्चाई यह है कि
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हम एल्गोरििदम को कंट्रोल करते हैं या
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एल्गोरििदम हमें। यह इस बात पर डिपेंड
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करता है कि हम उसे क्या सिखा रहे हैं। अगर
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आप चाहते हैं कि YouTube आपकी लाइफ को
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अपलिफ्ट करें तो उसे वही कंटेंट दिखाइए जो
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आपके बेस्ट सेल्फ से जुड़ा हो। एल्गोरिदम
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बहुत पावरफुल है। लेकिन डायरेक्शन आपके
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हाथ में है। तो आज से तय कीजिए हर बार जब
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आप कोई वीडियो क्लिक करें तो खुद से पूछिए
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क्या यह वीडियो मेरे अंदर क्लेरिटी,
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एनर्जी और पॉजिटिविटी बढ़ाएगा? अगर जवाब
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हां है क्लिक कीजिए। अगर नहीं तो स्किप
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कीजिए क्योंकि याद रखिए आपका फीड सिर्फ
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आपकी पसंद नहीं आपकी पर्सनालिटी की कहानी
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लिख रहा है और हर वीडियो उस कहानी का एक
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नया पेज है। कई लोग सोचते हैं कि उनका
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YouTube फीड उनकी पर्सनालिटी को पूरी तरह
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डिफाइन करता है। लेकिन असल में ऐसा नहीं
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है। आपका फीड आपकी पूरी पर्सनालिटी नहीं
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दिखाता। वह सिर्फ आपकी जिंदगी का वर्तमान
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अध्याय यानी योर करंट फेस ऑफ लाइफ दिखाता
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है। देखिए जिंदगी बदलती रहती है। कभी हम
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ग्रोथ मोड में होते हैं, कभी हीलिंग मोड
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में, कभी एक्सप्लोरिंग मोड में और कभी बस
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सर्वाइवल मोड में। हमारे इंटरेस्ट, इमोशंस
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और प्रायोरिटीज भी इन फसेस के साथ बदलते
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रहते हैं। और YouTube का एल्गोरिदम इन
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बदलावों को बहुत बारीकी से पकड़ लेता है।
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अगर आप एक समय पर फिटनेस वीडियो देख रहे
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हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आप हमेशा
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फिटनेस फ्रीक रहेंगे। शायद उस वक्त आपका
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फोकस हेल्थ पर है। अगर कुछ हफ्तों बाद आप
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फाइनेंशियल एजुकेशन वीडियोस देखने लगते
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हैं तो एल्गोरिदम तुरंत पहचान लेता है कि
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अब आपके अंदर ग्रोथ इन मनी माइंडसेट की
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इच्छा जागी है। इस तरह आपका फीड आपकी
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जिंदगी के ऑनगोइंग चैप्टर का रियल टाइम
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स्नैपशॉट बन जाता है। वो यह नहीं कह कहता
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कि आप कौन है। वो बस यह बताता है कि आप इस
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वक्त क्या बनना चाह रहे हैं। सोचिए
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कभी-कभी जब आप किसी चैलेंज से गुजर रहे
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होते हैं तो ऑटोमेटिकली आपके फीड में
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मोटिवेशनल या स्पिरिचुअल वीडियोस आने लगते
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हैं। यह सिर्फ एल्गोरिदम का गेम नहीं है।
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यह आपके सबकॉन्शियस की सिग्नल है। आपका
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माइंड उस वक्त स्ट्रेंथ, होप और क्लेरिटी
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ढूंढ रहा होता है और एल्गोरिदम वही आपको
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दिखाता है। वह जैसे आपके अंदर की बेचैनी
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को समझ लेता है और कहता है शायद तुम्हें
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अभी किसी पॉजिटिव डायरेक्शन की जरूरत है।
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इसी तरह अगर आपके फीड में बार-बार सैड
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सॉन्ग्स, ब्रेकअप स्टोरीज या इमोशनल रील्स
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आने लगे तो यह भी एक साइलेंट सिग्नल है कि
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आपके अंदर कहीं ना कहीं हीलिंग चल रही है।
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YouTube एक तरह से आपकी इमोशनल स्टेट का
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डिजिटल रिफ्लेक्शन बन जाता है। वह वह चीज
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दिखाता है जो आप खुद से छिपा रहे हो। अब
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सोचिए अगर आप कुछ हफ्तों तक सिर्फ
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प्रोडक्टिविटी, लर्निंग और ग्रोथ्स से
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जुड़ा कंटेंट देखें तो एल्गोरिदम आपके लिए
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पूरा एनवायरमेंट बदल देगा। आपको ऐसे
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क्रिएटर्स, मेंटर्स और टीचर्स दिखने
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लगेंगे जो आपके नेक्स्ट लेवल के लिए जरूरी
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माइंडसेट सिखाते हैं और तब आपका फीड आपकी
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नई एनर्जी को एंपलीफाई करने लगता है।
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दूसरे शब्दों में YouTube आपको सिर्फ
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समझता नहीं वह आपके साथ इवॉल्व भी करता
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है। आप जैसे बदलते हैं वैसे ही वह भी
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बदलता है। यही कारण है कि फीड हमेशा आपका
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मिरर नहीं होता। वह आपका मूड बोर्ड भी
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होता है। एक ऐसा बोर्ड जो बताता है कि अभी
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आपकी जर्नी किस डायरेक्शन में जा रही है।
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लेकिन यहां एक सबल्ट ट्रुथ है। कभी-कभी
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हमारा करंट फेस हमारा रियल सेल्फ नहीं
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होता। मान लीजिए आप कुछ दिनों से मेंटली
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डाउन हैं तो आप एंटरटेनमेंट और
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डिस्ट्रैक्शन वाली वीडियोस देखने लगते
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हैं। एल्गोरििदम इसे समझकर वैसा ही कंटेंट
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और बढ़ा देगा और बिना जाने आप एक लूप ऑफ
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एस्केप में फंस सकते हैं। इसलिए अवेयरनेस
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बहुत जरूरी है। कभी-कभी अपनी फीड को देखकर
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खुद से सवाल पूछिए। क्या यह कंटेंट मेरे
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अंदर की ग्रोथ को सपोर्ट कर रहा है या
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सिर्फ मेरे मूड को टेंपरेरीली डिस्ट्रैक्ट
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कर रहा है? क्योंकि अगर आप अवेयर हैं तो
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आप अपने फीड को कंपास की तरह यूज कर सकते
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हैं ना कि ट्रैप की तरह। आपका फीड हर दिन
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आपसे साइलेंटली बात करता है। वो कहता है
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देखो यह वो चीजें हैं जिन पर तुम ध्यान दे
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रहे हो। यह वह बातें हैं जो तुम्हारे
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सबकॉन्शियस को अट्रैक्ट कर रही हैं। यह वह
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दिशा है जिसमें तुम्हारी एनर्जी बह रही
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है। और अगर आप इन बातों को सुन लें तो आप
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अपने अंदर की जर्नी को समझ सकते हैं। आपको
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पता चल जाता है कि आप किस स्टेज में हैं।
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कंफ्यूजन में, मोटिवेशन में, हीलिंग में
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या क्रिएशन में। कभी-कभी फीड को देखकर हम
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सोच सकते हैं क्या मैं अपनी जिंदगी में
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सही चीजों कोेंस दे रहा हूं? क्या मैं
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अपने फोकस को वहीं खर्च कर रहा हूं जहां
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मुझे फ्यूचर में जाना है? यह सवाल बहुत
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गहरे हैं क्योंकि जिस चीज पर आपका अटेंशन
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जाता है वह आपकी एनर्जी को डिफाइन करती है
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और एनर्जी ही रियलिटी बनाती है। इसलिए जब
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आप कॉन्शियसली पॉजिटिव, माइंडफुल और ग्रोथ
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बेस्ड कंटेंट चुनते हैं तो आप सिर्फ अपने
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YouTube फीड को नहीं बदल रहे होते। आप
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अपनी वाइब्रेशन को बदल रहे होते हैं।
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एल्गोरििदम उस वाइब्रेशन को पकड़ कर उसी
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फ्रीक्वेंसी के वीडियोस आपको दिखाने लगता
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है। वो लोग वो आइडियाज और वो फिलॉसोफीस जो
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आपकी ग्रोथ जर्नी को फ्यूल करती हैं।
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सच्चाई यह है आपका फीड कभी भी स्टेटिक
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नहीं रहता। वह आपके साथ सांस लेता है।
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आपके साथ बदलता है और आपके लाइफ स्टोरी के
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साथ इवॉल्व करता है। अगर आज आपका फीड
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थोड़ा स्कैटर्ड लग रहा है। मतलब आप लाइफ
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के किसी क्रॉस रोड पर हैं। क्लेरिटी की
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तलाश में अगर आज आपका फीड काम और पर्पस
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ड्रिवन दिख रहा है। मतलब आपने अपने अंदर
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पैलेस पा लिया है। तो अगली बार जब आप
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YouTube खोलें सिर्फ एंटरटेनमेंट मत
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देखिए। अपनी लाइफ की कहानी पढ़िए क्योंकि
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फीड वह जगह है जहां आपका इनर वर्ल्ड और
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डिजिटल वर्ल्ड एक दूसरे से बात करते हैं
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और जब यह दोनों सिंक्रोनाइज हो जाते हैं
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तब हर वीडियो हर रिकमेंडेशन आपको उसी दिशा
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में धकेलता है जहां आपको असल में पहुंचना
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है। इसलिए याद रखिए YouTube फीड बस एक
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स्क्रीन नहीं है। वो एक स्पिरिचुअल मिरर
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है जो कह रहा है जो तुम भीतर सोचते हो मैं
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वही तुम्हें बाहर दिखाता हूं। तो अपने फीड
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को कॉन्शियसली डिजाइन कीजिए क्योंकि वही
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आपके आने वाले कल की डायरेक्शन लिख रहा
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है। अब तक हमने समझा कि YouTube सिर्फ
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वीडियोस की जगह नहीं है। वो आपके मन का
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आईना है। आपकी एनर्जी का रिफ्लेक्शन है और
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आपके करंट फेस का रियल टाइम मैप भी है।
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लेकिन अब सवाल यह है क्या हम इस मिरर को
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डायग्नोसिस टूल की तरह इस्तेमाल कर सकते
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हैं? क्या हम अपने YouTube फीड से अपने
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भीतर की स्थिति समझ सकते हैं? जवाब है हां
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बिल्कुल आपका फीड रोज-रोज़ आपसे बातें कर
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रहा होता है। बस हमें उसे सुनना सीखना है।
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पहला स्टेप ऑब्जर्व जज मत करो। जब भी आप
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YouTube खोलें बस एक बार कॉन्शियसली
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ऑब्जर्व करें कि आपका की स्क्रीन पर क्या
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दिख रहा है। क्या वहां मोटिवेशनल कंटेंट
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है? क्या वहां डिस्ट्रैक्शंस हैं? क्या
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वहां इमोशनल या एस्केपिज्म वाली वीडियोस
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हैं? यह वहां लर्निंग, मेडिटेशन और कामनेस
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से जुड़ी चीजें हैं। बस देखिए बिना जजमेंट
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के क्योंकि फीड हमेशा आपको बताता है कि इस
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वक्त आपकी अटेंशन किस दिशा में जा रही है।
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अगर आपके फीड में ग्रोथ ओरिएंटेड कंटेंट
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है तो समझ लीजिए कि आपकी एनर्जी प्रोग्रेस
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की तरफ जा रही है। अगर वहां सिर्फ
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एंटरटेनमेंट है तो शायद आपका माइंड फिलहाल
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कंफर्ट ढूंढ रहा है। ऑब्जरवेशन इज
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अवेयरनेस। अवेयरनेस ही पहला कदम है
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ट्रांसफॉर्मेशन का। दूसरा स्टेप जर्नलिंग
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के जरिए कनेक्शन बनाइए। अब अगला स्टेप है
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अपने फीड से बात करना। किसी दिन सुबह या
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रात को बस 10 मिनट निकालिए और अपने फीड के
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बारे में लिखिए। अपने जर्नल में लिखिए आज
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मेरे फीड में सबसे ज्यादा कौन सा कंटेंट
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था? उस कंटेंट ने मुझे कैसा महसूस कराया?
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इंस्पायर्ड, रिलैक्स्ड, डिस्ट्रैक्टेड या
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एशियस? क्या मैं अपने फीड से संतुष्ट हूं
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और अगर नहीं तो मैं क्या देखना चाहता हूं
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आने वाले हफ्तों में? यह चार सवाल आपके
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सबकॉन्शियस को साफ कर देंगे। क्योंकि जब
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आप अपने डिजिटल एनवायरमेंट को एनालाइज
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करते हैं तो आप अपने मेंटल एनवायरमेंट को
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भी साफ करते हैं। जर्नलिंग आपको अपने थॉट
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पैटर्न्स को देखने में मदद करता है। आप
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समझ पाएंगे कि आपके चॉइसेस कॉन्शियस हैं
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या एल्गोरिदम ड्रिवन इंपल्सिव रिएक्शन।
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तीसरा स्टेप रिसेट एंड रियलाइन।
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अब जब आपको क्लेरिटी मिल गई है कि आपका
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फीड क्या दिखा रहा है तो वक्त है रिसेट
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करने का। कभी-कभी हमारा फीड ऐसा लगने लगता
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है जैसे किसी और ने हमारी जगह डिसीजन ले
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लिया हो। लेकिन सच्चाई यह है कि हमेशा
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कंट्रोल हमारे ही हाथ में है। आप YouTube
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के एल्गोरिदम को दोबारा ट्रेन कर सकते
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हैं। बस कुछ छोटे स्टेप्स की जरूरत है।
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पहला वॉच हिस्ट्री क्लियर कीजिए। दूसरा एक
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हफ्ते तक सिर्फ वही कंटेंट सर्च कीजिए जो
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आपकी लाइफ के गोल्स पीस या लर्निंग से
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जुड़ा हो। उन क्रिएटर्स को सब्सक्राइब
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कीजिए जो आपकी ग्रोथ को इंस्पायर करते
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हैं। और जिन वीडियोस को देखकर एनर्जी नीचे
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जाती है उन्हें नॉट इंटरेस्टेड मार्क
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कीजिए। विद इन सेवन डेज एल्गोरिदम आपकी नई
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एनर्जी को पकड़ लेगा। और आपका फीड
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धीरे-धीरे उस वर्जन में बदल जाएगा जो आपके
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बेस्ट सेल्फ के साथ अलाइन है। इसे मैं
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कहता हूं डिजिटल डिटॉक्स थ्रू कॉन्शियस
16:05
डायरेक्शन। चौथा स्टेप वीकली रिफ्लेक्शन।
16:09
हर हफ्ते अपने फीड को एक मिरर की तरह
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इस्तेमाल कीजिए। सिर्फ एक सवाल पूछिए।
16:14
क्या मेरा फीड मेरे हायर गोल्स को सपोर्ट
16:16
कर रहा है? अगर जवाब हां है तो समझिए आप
16:19
सही रास्ते पर हैं। अगर जवाब नहीं है तो
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आपको बस डायरेक्शन बदलनी है। ब्लेम नहीं
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एक्शन। थोड़ा समय लगाकर अपने रिकमेंडेड
16:29
वीडियोस को चेक कीजिए। क्या वह आपको काम
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बना रहे हैं या डिस्ट्रैक्टेड? क्या वह
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आपको ग्रो करा रहे हैं या कंपेयर करा रहे
16:37
हैं। यही रिफ्लेक्शन आपको अपने अंदर की
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दिशा बताएगा। पांचवा स्टेप क्रिएट योर
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डिजिटल आइडेंटिटी कॉन्शियसली। हम सभी के
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अंदर दो वर्जनंस होते हैं। एक जो हम हैं
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और दूसरा वह जो हम बनना चाहते हैं।
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YouTube फीड को कॉन्शियसली क्यूरेट करना।
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मतलब अपने फ्यूचर सेल्फ को डिजाइन करना।
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सोचिए अगर आपका फीड हर दिन आपको ऐसी
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वीडियोस या ऐसे आइडियाज दिखाए जो आपके
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ड्रीम्स से जुड़े हो तो आपके सबकॉन्शियस
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में वही वाइब्रेशन फैलने लगेगी। यही कारण
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है कि हाई अचीवर्स अपना डिजिटल एनवायरमेंट
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बहुत केयरफुली चुनते हैं। वह जानते हैं कि
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कंटेंट कंजमशन ही माइंड प्रोग्रामिंग है।
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आप भी कर सकते हैं। बस डिसाइड कीजिए कि आप
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किस तरह की एनर्जी रोज लेना चाहते हैं।
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नॉलेज, कामनेस, इंस्पिरेशन या केओस सब
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आपकी चॉइस है। छठा स्टेप बोनस इनसाइट, फीड
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एस फीडबैक। YouTube का फीड एक तरह का
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फीडबैक सिस्टम भी है। वो हर दिन कहता है
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यह है वह चीजें जिन पर तुम्हारी एनर्जी लग
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रही है। अगर आपको लगता है कि लाइफ में
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क्लेरिटी नहीं है तो अपने फीड को देखिए।
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वह बता देगा कि आप कहां खोए हुए हैं। अगर
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आपको लगता है कि ग्रोथ रुक गई है तो शायद
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आपका फीड भी स्टैग्नेट हो गया है। फीड को
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बदलिए। एनर्जी बदल जाएगी। एनर्जी बदलिए
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डायरेक्शन बदल जाएगी। सेवंथ। अपनी फीड से
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दोस्ती कीजिए। YouTube आपका दुश्मन नहीं
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है। वह एक दोस्त है जो आपको हर दिन आपकी
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रिफ्लेक्शन दिखा रहा है। बस फर्क इतना है
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आप उसे इग्नोर करते हैं। लेकिन जिस दिन
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आपने उसे कॉन्शियसली पढ़ना शुरू किया आप
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खुद को समझना शुरू कर देंगे। और जब इंसान
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खुद को समझ लेता है तो दुनिया में कोई उसे
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रोक नहीं सकता। इसीलिए आज रात जब आप
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YouTube खोलें स्क्रोल करने से पहले एक पल
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रुकिए और पूछिए मेरा फील्ड मुझे क्या सिखा
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रहा है? शायद जवाब छोटा हो पर वही जवाब
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आपकी नेक्स्ट ट्रांसफॉर्मेशन का
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स्टार्टिंग पॉइंट होगा। याद रखिए आपका
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YouTube फीड कोई रैंडम कलेक्शन नहीं है।
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वह आपके विचारों का रिफ्लेक्शन है। उसे
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समझना मतलब खुद को समझना।
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यही तो असली सक्सेस की शुरुआत है। अब तक
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आपने देखा कि आपका YouTube फीड सिर्फ
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वीडियोस का कलेक्शन नहीं है। वह आपकी सोच,
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आपकी एनर्जी और आपकी जर्नी का रिफ्लेक्शन
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है। लेकिन अब वक्त है एक स्टेप आगे बढ़ने
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का। अपने फीड को डिजाइन करने का। क्योंकि
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जब आप अपने फीड को डिजाइन करते हैं तो आप
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अपना फ्यूचर डिजाइन करते हैं। सोचिए हर
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दिन जब आप YouTube खोलते हैं तो आप अपने
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दिमाग के दरवाजे खोल रहे हैं। हर थंबनेल,
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हर वीडियो, हर वॉइस आपके माइंड के अंदर एक
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नया थॉट इंस्टॉल कर रहा होता है। अब यह आप
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पर डिपेंड करता है आप किन थॉट्स को अंदर
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आने देंगे? क्या आप अपने माइंड को ग्रोथ
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से भरना चाहते हैं या डिस्ट्रैक्शन से?
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क्या आप चाहेंगे कि हर दिन का पहला वीडियो
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आपको इंस्पायर करें या आपको कंपेयर करें
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क्योंकि आपका फीड ही तय करेगा कि आपकी
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सुबह किस वाइब्रेशन से शुरू होगी और आपकी
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रात किस माइंडसेट पर खत्म होगी। आपका
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YouTube एक यूनिवर्सिटी भी बन सकता है या
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एक डिस्ट्रक्शन मशीन भी। फर्क बस इतना है
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आप उसे किस नजर से देखते हैं। अगर आप
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कॉन्शियसली चुने लर्निंग, स्पिरिचुअलिटी,
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सक्सेस, जर्नलिंग, ब्रीथिंग और मेडिटेशन
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तो हर दिन आपकी एनर्जी ऊपर जाएगी। लेकिन
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अगर आप बिना सोचे स्क्रॉल करते रहेंगे तो
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एल्गोरििदम आपको उसी केस में डुबो देगा
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जिससे आप निकलना चाहते हैं। इसीलिए
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कंट्रोल वापस लीजिए। आपका फोन आपका टूल
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है। आपका मास्टर नहीं। एल्गोरिदम पावरफुल
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है लेकिन उससे ज्यादा पावरफुल आपकी
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अवेयरनेस है। हर बार जब आप कोई वीडियो
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देखते हैं सोचिए क्या यह मेरे गोल्स से
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जुड़ा है? क्या यह मेरे माइंड को एंपावर
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करेगा या वीक? बस यही सवाल आपकी डिजिटल
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लाइफ को ट्रांसफॉर्म कर देगा। धीरे-धीरे
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आपका फीड बदलने लगेगा और उसी के साथ आपकी
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सोच, आपकी आदतें और आपकी डेस्टिनी भी।
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क्योंकि जैसा कंटेंट आप कंज्यूम करते हैं,
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वैसा ही इंसान आप बन जाते हैं। तो आज से
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एक प्रॉमिस कीजिए। मैं अपनी फीड का
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आर्किटेक्ट बनूंगा। मैं ऐसा एनवायरमेंट
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बनाऊंगा जहां हर स्क्रॉल मुझे इंस्पायर
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करे। हर वीडियो मुझे ग्रो करे और हर साउंड
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मुझे इनर पीस दे। क्योंकि अल्टीमेटली यू
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डोंट जस्ट वाच योर फीड। यू बिकम योर फीट।
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थैंक यू।
