हम कहाँ से आए?
पृथ्वी कैसे बनी?
जीवन कैसे शुरू हुआ?
और Science को इतना सब कैसे पता चला?
Bill Bryson की किताब A Short History of Nearly Everything
एक ऐसी अद्भुत यात्रा है जो हमें:
🌌 Big Bang से शुरू होने वाले Universe तक ले जाती है
🌍 पृथ्वी के जन्म की कहानी समझाती है
🧬 Life के evolution की puzzle सुलझाती है
🔭 महान वैज्ञानिकों की खोज और struggle दिखाती है
😱 और बताती है कि इस विशाल ब्रह्माण्ड में इंसान कितने छोटे हैं!
यह video आपको simple भाषा में
पूरी दुनिया की सबसे दिलचस्प कहानी सुनाएगा…
📚 Book: A Short History of Nearly Everything
✍️ Author: Bill Bryson
🎙️ Hindi Audiobook Summary by: Think Better Hindi
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0:00
हम यहां कैसे पहुंचे? दुनिया कैसे बनी? हम
0:04
कौन हैं? यह तीन सवाल इंसान को हमेशा
0:08
परेशान करते आए हैं। बिल प्रायसन ने यही
0:12
कोशिश की कि दुनिया का इतिहास, विज्ञान और
0:15
ब्रह्मांड की कहानी इतनी आसान भाषा में
0:18
समझाई जाए कि हर इंसान समझ सके। और इस
0:22
किताब की शुरुआत होती है पूरे ब्रह्मांड
0:26
से। क्योंकि अगर कहानी सुननी है तो शुरुआत
0:30
तो वहीं से करनी होगी जहां सब कुछ शुरू
0:34
हुआ। ब्रह्मांड की सबसे बड़ी कहानी बिग
0:38
बैंग। आज से लगभग 13.8 अरब साल पहले कुछ
0:44
भी नहीं था। ना समय ना जगह ना रोशनी ना
0:48
पदार्थ एकदम खाली शून्य। और अचानक एक
0:53
बिंदु जो बिंदु से भी छोटा जिसका कोई आकार
0:57
नहीं, कोई वजन नहीं, उसके अंदर पूरे
1:01
ब्रह्मांड की ऊर्जा भर दी गई थी। फिर एक
1:06
धमाका हुआ जिसे आज हम बिग बैंग कहते हैं।
1:11
उस एक पल ने समय को जन्म दिया। जगह को
1:15
जन्म दिया, रोशनी को जन्म दिया, आकाशगंगा,
1:20
तारे, ग्रह सबको जन्म दिया। अगर बिग बैंग
1:24
1% विधिमा होता, ब्रह्मांड वजूद में ही
1:29
नहीं आता। अगर 1% तेज होता सब कुछ पल भर
1:33
में खत्म। मतलब हमारा अस्तित्व एक चमत्कार
1:38
से कम नहीं है। शुरुआत में सिर्फ केओस
1:42
यानी कंफ्यूजन था। धीरे-धीरे एनर्जी ने
1:46
एटम्स बनाए। एटम्स ने गैस क्लाउड्स बनाए।
1:49
गैस क्लाउड से तारे जले और फिर उन्हीं
1:52
तारों के विस्फोट से धातुएं और मिनरल बने।
1:56
जो तारे आज चमक रहे हैं, वे लगातार
1:59
एलिमेंट्स बना रहे हैं। हाइड्रोजन को
2:01
हीलियम, हीलियम को कार्बन और यही कार्बन
2:04
हमारे शरीर में है। इसीलिए साइंटिस्ट कहते
2:08
हैं हम सितारों की धूल से बने हैं। वी आर
2:11
लिटरली मेड ऑफ स्टार्टस्ट।
2:15
पृथ्वी का जन्म एक वायलेंट शुरुआत।
2:18
हमारी धरती लगभग 4 अरब साल पुरानी है।
2:23
शुरुआत में यह आग का बोला थी। पिघला हुआ
2:26
पत्थर जहरीली ग कैसे ना पानी ना हवा ना
2:30
जीवन। लगातार उल्कापिंडो की बारिश होती
2:33
रही। वो मिटियोर्स अपने साथ पानी और जरूरी
2:37
मिनरल लाए। धीरे-धीरे धरती ठंडी हुई।
2:41
पहाड़ बने, समंदर बने और फिर कुछ ऐसा हुआ
2:45
जिसने सब बदल दिया।
2:47
जीवन का चमत्कार। वैज्ञानिकों के हिसाब से
2:52
जीवन शुरू हुआ समंदर की गहराइयों में।
2:55
जहां गर्म चट्टानों के बीच एनर्जी और
2:58
मिनरल्स का परफेक्ट मिक्स था। शुरुआती
3:02
लाइफ इतनी छोटी थी कि माइक्रोस्कोप के
3:04
बिना देखी नहीं जा सकती। लेकिन यही सबसे
3:08
बड़ा मिरेकल था। एक छोटा सा मॉलिक्यूल खुद
3:12
को कॉपी करने लगा। यही रेप्लिकेशन लाइफ की
3:16
पहली पहचान थी। अगर वह पहला स्टेप ना होता
3:20
तो आज हम ना होते पृथ्वी पर कोई ना होता।
3:25
जीवन एक खिलाड़ी है जो कभी हार नहीं
3:28
मानता। लाइफ ने शेप्स बदले, साइज बदला,
3:31
स्किल्स बदली, कभी वह कीचड़ में सांस
3:34
लेता, कभी समुंदर में तैरता, कभी जमीन पर
3:38
रेंगता, कभी आसमान में उड़ता। एवोल्यूशन
3:41
का सिंपल रूल जो टिकेगा वही जिएगा जो
3:45
बदलेगा वही बचेगा अर्थ ने कई बार जीवन को
3:49
मिटाया भी महाविनाश यानी मास एक्सटिंशंस
3:53
ज्वालामुखियों से उल्कापिंड से बर्फीले
3:57
युग से लेकिन जीवन हर बार वापस आया और
4:00
पहले से ज्यादा ताकतवर
4:04
इंसान का आगमन सबसे खतरनाक प्रजाति आज से
4:09
लाखों साल पहले हमारे एनसेेस्टर्स बंदरों
4:12
जैसे थे। छोटे-छोटे ग्रुप्स में जंगलों
4:15
में रहते। धीरे-धीरे उन्होंने दो पैरों पर
4:18
चलना सीखा। उपकरण बनाना सीखा। आग जलाना
4:22
सीखा। फिर इंसान के दिमाग ने एक कमाल की
4:25
स्किल सीखी। सोचना और कल्पना करना।
4:29
थिंकिंग प्लस इमेजिनेशन। यही स्किल इंसान
4:34
को हर जानवर से आगे ले आई। क्योंकि जानवर
4:37
दुनिया को जैसा है वैसा देखते हैं। इंसान
4:41
दुनिया को जैसा होना चाहिए वैसा देखता है।
4:45
इंसान ने घर बनाए, भाषा बनाई, औजार बनाए,
4:49
सभ्यता बनाई और फिर धर्म, संस्कृति,
4:52
विज्ञान, गणित सब कुछ इंसान की सोच से
4:56
जन्मा।
4:58
आज की दुनिया एक छोटे से मॉलिक्यूल की
5:01
मेहनत। अगर आप धरती का पूरा टाइमलाइन
5:04
बनाओ। 4:30 अरब साल मतलब 24 घंटे तो
5:09
डायनासोर आए सुबह 10 बजे डायनासोर खत्म
5:12
हुए रात 10 बजे इंसान रात आए 11:58 बजे
5:17
सिविलाइजेशन बनी 11:59
5:21
45 सेकंड
5:23
तुम यह वीडियो सुन रहे हो घड़ी में आखिरी
5:26
1 सेकंड में मतलब इंसान पूरे इतिहास में
5:30
बस एक पल का मेहमान है और फिर भी उसे
5:34
इंसान इंसान ने पूरी पृथ्वी को बदल दिया।
5:37
अच्छा भी और बुरा भी। हम परमाणु बम बनाते
5:40
हैं और स्पेस रॉकेट भी। हम दवाइयां बनाते
5:43
हैं और प्रदूषण भी। हम यान बनाते हैं और
5:46
युद्ध भी करते हैं। हम दुनिया की सबसे
5:49
बुद्धिमान प्रजाति हैं और शायद सबसे
5:52
खतरनाक भी। यह किताब हमें क्या सिखाती है?
5:56
इस किताब का असली मैसेज हमारा अस्तित्व
5:59
संयोग नहीं है। हम एक विशाल ब्रह्मांड में
6:03
एक बहुत नाजुक जगह पर जी रहे हैं। जहां हर
6:07
चीज का बैलेंस परफेक्ट है। धरती अगर सूरज
6:10
से थोड़ी दूर होती हम जम जाते। थोड़ी पास
6:13
होती हम जल जाते। ग्रेविटी 1% ज्यादा होती
6:17
तुम चल भी नहीं पाते। 1% कम होती तुम जमीन
6:21
पर टिकते ही नहीं। यह यूनिवर्स हमारे
6:24
खिलाफ नहीं है। यह यूनिवर्स हमारा घर है
6:28
और यह किताब हमें अपनी छोटी सी अद्भुत
6:31
जादुई रियलिटी की याद दिलाती है। आगे
6:36
बढ़ते हैं। पिछले भाग में हमने जाना कि
6:39
ब्रह्मांड कैसे बना। धरती कैसे बनी और
6:42
जीवन कैसे शुरू हुआ। अब कहानी आगे बढ़ती
6:45
है। धरती पर लाइफ कैसे फैली, बदली और बची।
6:50
लाइफ ने पानी से बाहर कदम रखा। लाखों साल
6:53
तक जीवन सिर्फ समंदर में था। लेकिन फिर
6:57
कुछ जीव धीरे-धीरे किनारे आने लगे। यह एक
7:00
बहुत रिस्की एक्सपेरिमेंट था। क्योंकि
7:03
जमीन पर ना खाना, ना पानी, ना सुरक्षा सब
7:07
कुछ नया था। लेकिन लाइफ हमेशा आगे बढ़ने
7:11
की कोशिश करती है। कुछ मछलियों ने फिस को
7:15
पैरों में बदल लिया। कुछ ने फेफड़े विकसित
7:18
कर लिए और धीरे-धीरे पहले एफीबियंस फिर
7:22
रेप्टाइल्स धरती के राजा बन गए और फिर आया
7:26
एक ऐसा युग जिसमें पूरी धरती कांप उठी।
7:31
डायनासोर धरती के असली शासक लगभग 16 करोड़
7:36
साल तक डायनासोर इस धरती के मालिक थे।
7:40
इतने लंबे समय में इंसान की पूरी हिस्ट्री
7:43
एक पलक झपकने जितनी छोटी है। डायनासोर
7:47
छोटे भी थे और बहुत बड़े भी। चिराफ से
7:51
ऊंचे बस से भी लंबे धरती पर इतना डोमिनेंस
7:55
आज तक किसी स्पीशीज ने नहीं किया। लेकिन
7:58
धरती हमेशा एक जैसी नहीं रहती। मास
8:02
एक्सटिंशन जब सब खत्म हो गया। आज से लगभग
8:06
6.5 करोड़ साल पहले आसमान में एक विशाल
8:10
चट्टान आई। मेक्सिको के पास टकराई। एनर्जी
8:14
का ब्लास्ट हुआ जो दुनिया की सबसे बड़ी
8:17
परमाणु बम से भी कोई करोड़ गुना ज्यादा
8:21
था। धूल आसमान में फैल गई। सूरज की रोशनी
8:25
बंद हो गई। पेड़ पौधे मर गए। भूख से जानवर
8:28
मरने लगे। डायनासोर धरती के राजा कुछ ही
8:32
हजार साल में गायब। यही है नेचर का रूल जो
8:36
बदल नहीं पाता मिट जाता है। इन्हीं खत्म
8:40
होते राजाओं के राख से एक नई कहानी शुरू
8:43
हुई। छोटे-छोटे जीवफ इंसान के पूर्वज
8:48
डायनासोर के समय स्तनधारी यानी मैमल्स
8:51
बहुत छोटे थे। छोटे रैट्स की तरह लेकिन जब
8:54
दिग्गज खत्म हुए तो इन छोटे जीवों को
8:57
दुनिया की चाबी मिल गई। धीरे-धीरे वे बड़े
9:00
होने लगे। तेज होने लगे। दिमाग विकसित हुआ
9:04
और फिर इंसानी एववोल्यूशन शुरू हुआ। साइंस
9:09
हम यह सब कैसे जानते हैं? बिल प्राइसन
9:12
बताते हैं कि हमारी ज्यादातर वैज्ञानिक
9:14
जानकारी कितनी मेहनत और गलती के बाद मिली
9:18
है। पहले साइंटिस्ट सोचते थे धरती 6000
9:21
साल पुरानी है। सूरज धरती के चारों तरफ
9:24
घूमता है। जानवर कभी नहीं बदलते। बाद में
9:28
साइंटिस्ट ने फॉसिल्स खोजे। धरती की परतें
9:32
खोदी। पुरानी चट्टानों में प्राचीन जीवों
9:35
के निशान मिले। धीरे-धीरे सच्चाई सामने
9:38
आई। धरती बिलियन साल पुरानी है। सभी
9:42
क्रिएचर्स इवॉल्व होते हैं। हमारा इतिहास
9:45
बहुत ही ड्रामेटिक रहा है। वैज्ञानिक भी
9:49
इंसान है। साइंस परफेक्ट नहीं है। बेल
9:53
ब्रायसन कहते हैं इतिहास में बहुत सी
9:56
डिस्कवरीज, गलतियां थी। किसी साइंटिस्ट ने
10:00
एक बूंद देखी और डायनासोर की जगह एक विशाल
10:04
इंसान घोषित कर दिया। किसी ने कहा अगर
10:07
धरती घूमती है तो हम उड़ क्यों नहीं जाते?
10:11
आज यह बातें फनी लगती है। लेकिन उसी
10:14
क्यूरोसिटी ने हमें सच तक पहुंचाया। साइंस
10:18
आगे बढ़ता है सवालों से ना कि जवाबों से।
10:23
पृथ्वी की सतह के नीचे क्या है? धरती की
10:26
सर्विस तो पतली सी है। उसके नीचे पिघला
10:30
हुआ पत्थर यानी मेंटल बहुत हाई प्रेशर
10:34
लावा जैसा कोर। धरती एक शांत जगह नहीं है।
10:37
यह अंदर से उबलता हुआ ग्रह है। जब प्लेट
10:42
मूवमेंट्स होती हैं। ज्वालामुखी फटते हैं।
10:45
सुनामी आती है। कॉन्टिनेंट्स टकराते हैं।
10:48
पहले धरती एक ही भूभाग थी। पजिया फिर यह
10:52
टूटकर एशिया अफ्रीका
10:56
इंडिया यूरोप अलग-अलग महाद्वीप बन गए।
10:59
इंडिया इतनी तेजी से चली कि टकराई एशिया
11:02
से और हिमालयज बन गए। हम आज जिस पहाड़ को
11:06
देखते हैं वह टकराव का जख्म है। नेचर बहुत
11:11
शक्तिशाली है। हम इंसान सोचते हैं कि हम
11:15
बहुत ताकतवर हैं। लेकिन सच्चाई धरती का
11:18
मूड बदला तो इंसान गायब। एक बड़ा वोल्केनो
11:22
पूरी दुनिया का मौसम बदल सकता है। एक
11:25
एस्ट्रॉइड पूरी सिविलाइजेशन खत्म कर सकता
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है। और धरती को हमारी प्रेजेंस से कोई
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फर्क नहीं पड़ता। हम उसके हिसाब से बस पल
11:35
भर हैं।
11:38
आगे चलते हैं। पिछले भाग में हमने देखा
11:41
जीवनित कितना नाजुक है और धरती कैसे बदलती
11:44
रही। अब कहानी पहुंचती है हम इंसानों तक
11:48
जिन्होंने इस दुनिया को पूरी तरह बदल
11:50
दिया। इंसान का दिमाग, एववोल्यूशन की सबसे
11:54
बड़ी जीत। हमारे एनसेेस्टर्स जानवरों जैसे
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थे। लेकिन धीरे-धीरे उनका दिमाग बड़ा होने
12:01
लगा। सबसे बड़ी अचीवमेंट थी सोचने की ताकत
12:05
प्लस कल्पना करने की ताकत। इंसान ने यह
12:09
सीखा योजना बनाना, भविष्य देखना, समस्या,
12:13
का हल ढूंढना, एक दूसरे से कम्युनिकेट
12:16
करना। हमारी सबसे बड़ी शक्ति यही
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कम्युनिकेशन है। हम अपने दिमाग में जो
12:22
देखते हैं, उसे दूसरों तक पहुंचा सकते
12:24
हैं। इसी ने सिविलाइजेशन का जन्म किया।
12:28
जानवर सर्वाइव करते हैं। इंसान क्रिएट
12:32
करता है। आग जिसने सब बदल दिया। फायर मतलब
12:37
सुपर पावर। खाना पकाया जा सकता था। अंधेरे
12:41
में रोशनी मिल गई। जंगली जानवर दूर हो गए।
12:44
दिमाग को ज्यादा एनर्जी मिलना शुरू। इससे
12:48
दिमाग और विकसित हुआ। फायर ने इंसान को
12:51
जानवरों से ऊपर खड़ा कर दिया। सिविलाइजेशन
12:55
जब इंसान एक साथ रहने लगा, धीरे-धीरे
12:58
इंसान ने क्रिप्स बनाए, खेती सीखी, पशुओं
13:02
को पालतू बनाया। गांव बने, फिर शहर, फिर
13:06
राज्य, फिर देश। सिविलाइजेशन का मतलब
13:10
मिलजुलकर ताकत बनाना और जिंदगी को आसान
13:13
बनाना। हमने रोड्स बनाए, घर बनाए, लॉज़
13:17
बनाए और नॉलेज शेयर करना शुरू किया। लिखना
13:22
मेमोरी को अमर बनाने वाला आविष्कार। जब
13:25
लैंग्वेज बनाई गई तो लोग बोलते थे लेकिन
13:28
यादें हो जाती थी। सर इंसान ने लिखना सीखा
13:32
और यहीं से शुरू हुआ इतिहास यानी
13:35
हिस्ट्री, गणित यानी मैथ्स, विज्ञान यानी
13:38
साइंस और धर्म यानी रिलीजन। नॉलेज अब
13:41
पीढ़ियों तक जिंदा रहने लगा। युद्ध जब
13:46
इंसान इंसान का दुश्मन बना। जैसे-जैसे
13:49
सभ्यता बढ़ी, रिसोर्सेज की कमी होने लगी।
13:53
ऊपर से ईगो, पावर और ग्रीड और इंसान ने
13:57
अपने ही जैसे इंसान से लड़ना शुरू कर
14:00
दिया। आयरन एज आया तो हथियार और मजबूत हो
14:04
गए। राज्य बने, राजाओं के बीच युद्ध हुए।
14:09
लाखों लोग मरते रहे। लेकिन सिविलाइजेशन
14:12
बढ़ती रही। हम दुनिया के सबसे समझदार जीव
14:17
हैं और कभी-कभी सबसे मूर्ख भी। साइंस,
14:22
ब्रह्मांड को समझने की कोशिश। धीरे-धीरे
14:25
मन में सवाल उठने लगे। आसमान में तारे
14:29
क्यों चमकते हैं? शरीर कैसे काम करता है?
14:32
बिजली क्या है? बीमारी क्यों होती है? इन
14:35
सवालों का जवाब ढूंढते-ढूंढते साइंस
14:38
जन्मा। कई एक्सपेरिमेंट्स हुए, गलतियां
14:41
हुई, लेकिन हर गलती ने हमें आगे बढ़ाया।
14:45
गैलीलियो ने सच कहा, धरती सूरज के चारों
14:49
तरफ घूमती है। लोगों ने उसे जेल में डाल
14:51
दिया। लेकिन सच्चाई जीत गई। साइंस कहता है
14:56
विश्वास से नहीं सवालों से सब मिलता है।
15:00
एट सबसे छोटा नहीं सबसे रहस्यमय।
15:04
साइंटिस्ट ने धरती को समझ लिया। अब नजर गई
15:08
सबसे छोटी चीज पर एटम पहले लगा एटम बांटा
15:12
नहीं जा सकता फिर पता चला एटम के अंदर
15:15
इलेक्ट्रॉन्स प्रोटॉन्स न्यूट्रॉन्स और
15:18
फिर उससे भी छोटा क्वक्स एनर्जी वेव्स
15:22
क्वांटम मतलब जो हमें सॉलिड दिखाई देता है
15:26
वह मोस्टली खाली स्पेस है। हमारी पूरी
15:29
दुनिया एनर्जी का खेल है। स्पेस हमारे ऊपर
15:34
एक अनंत मिस्ट्री इंसान ने टेलिस्कोप
15:38
बनाया और आसमान देखने लगा। पता चला सूरज
15:42
गैलेक्सी का एक छोटा सा तारा है। हमारी
15:45
गैलेक्सी मिल्की वे मतलब अरबों तारे और
15:49
ऐसी अरबों गैलेक्सीस और हैं। मतलब हम
15:52
यूनिवर्स के एक ताहिने कोने में रहते हैं।
15:55
फिर इंसान चांद पर पहुंच गया और आज मार्स
16:00
पर भी नजर है। ब्रह्मांड जितना बड़ा हमारी
16:03
जिज्ञासा उतनी ही बड़ी। साइंस परफेक्ट
16:07
नहीं है। बिल ब्रजन कहता है हमारी नॉलेज
16:11
इनकंप्लीट है। अर्थ पर कितने जानवर हैं।
16:14
आज वैज्ञानिकों को पूरी संख्या भी नहीं
16:17
पता। समुंदर की गहराई में ऐसे ऐसे जीव हैं
16:21
जिन्हें देखकर हम हैरान रह जाए। ब्रह्मांड
16:24
का 95% हिस्सा डार्क मैटर प्लस डार्क
16:27
एनर्जी है। जिसके बारे में हमें कुछ भी
16:30
नहीं पता। हमने बहुत सी चीजें समझ ली।
16:34
लेकिन असली मिस्ट्री अभी शुरू है। इंसान
16:38
की ताकत है प्रश्न पूछना। हमारी असली
16:41
शक्ति यह नहीं कि हम सब जानते हैं। असली
16:45
शक्ति यह है हम जानते हैं कि हम नहीं
16:47
जानते। और यही क्यूरोसिटी हमें आगे ले
16:50
जाती है। अब चलते हैं नेक्स्ट पार्ट की
16:53
तरफ। अब कहानी पहुंचती है हम इंसानों के
16:58
आज और आने वाले कल तक जहां हमारी सोच,
17:02
हमारी तकनीक और हमारी गलतियां पूरी धरती
17:05
का भविष्य तय कर रही हैं। इंसान धरती के
17:08
मालिक या खतरा। हमारी सभ्यता सिर्फ कुछ
17:13
हजार साल पुरानी है। लेकिन इस छोटे से समय
17:16
में हमने पृथ्वी की शक्ल बदल दी। जंगल काट
17:19
दिए। नदियों को प्रदूषित कर दिया। हवा में
17:22
जहर भर दिया। जानवरों की स्पीशीज खत्म कर
17:26
दी। डायनासोर 16 करोड़ साल राज करके मिटे।
17:30
हमने कुछ ही सालों में धरती को संकट में
17:33
डाल दिया। हम सबसे समझदार स्पीशीज हैं और
17:37
शायद सबसे नुकसान करने वाली भी। क्लाइमेट
17:42
चेंज सबसे बड़ा खतरा। पहले धरती का मौसम
17:45
चेंज होते थे। कभी बर्फीला युग, कभी
17:48
गर्माहट। लेकिन अब इंसान की वजह से यह
17:51
बदलाव खतरनाक स्पीड पर है। ग्लोबल
17:54
वार्मिंग, तापमान बढ़ना, बर्फ पिघलना,
17:57
समंदर का बढ़ना। अगर ऐसा चलता रहा, भविष्य
18:01
में कई शहर पानी में डूब सकते हैं। साइंस
18:04
कहता है धरती नहीं हारेगी। हम हारेंगे।
18:08
साइंस हमने क्या सही किया, क्या गलत? हमने
18:12
सब बहुत कुछ खोजा। दवाइयां, बिजली,
18:15
कंप्यूटर, अंतरिक्ष यात्रा। लेकिन साथ ही
18:18
हमने अनुबंब, रासायनिक हथियार और लिविंग
18:22
प्लेनेट को कमजोर करने वाली टेक्नोलॉजी भी
18:25
बनाई। नॉलेज एक शक्ति है और हर शक्ति का
18:28
सही या गलत इस्तेमाल इंसान पर डिपेंड करता
18:32
है।
18:34
बीमारियां, एववोल्यूशन की परीक्षा,
18:37
माइक्रोब्स, बैक्टीरिया, वायरसेस धरती पर
18:41
लाइफ के पहले प्लेयर्स थे। हमसे ज्यादा
18:44
पुराने, ज्यादा तेज, ज्यादा एडप्टेबल,
18:47
छोटी सी गलती और वे हमें तबाह कर सकते
18:50
हैं। प्लेग, स्पैनिश फ्लू, कोरोना हम
18:53
जितना स्मार्ट बनते हैं, उधर उतना खेल भी
18:57
और तेज हो जाता है। नेचर का रूल है जो
19:00
कमजोर होगा, वह हारेगा। विज्ञान कितना भी
19:05
बढ़ जाए रहस्य उससे भी बड़े हैं।
19:08
बेलब्राजन कहते हैं हम जो जानते हैं वह
19:11
समुंदर की एक बूंद जैसा है। जो नहीं जानते
19:14
वह पूरा महासागर कुछ बड़े सवाल अभी भी
19:17
अधूरे हैं। यूनिवर्स किसने बनाया? बिग
19:20
बैंग से पहले क्या था? लाइफ शुरू कैसे
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हुई? कॉन्शियसनेस क्या है? क्या हम अकेले
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हैं? साइंस ने कोशिश शुरू की है। लेकिन
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जवाब अभी बहुत दूर है। इंसान में सबसे
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बड़ा जादू क्यूरोसिटी हम लगातार पूछते हैं
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क्यों कैसे क्या होगा यही सवाल हमें आगे
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ले गए भैया गुरुत्वाकर्षण हवाई जहाज
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इंटरनेट स्पेस मिशन विज्ञान का असली आधार
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जिज्ञासा है और यह कभी खत्म नहीं होती
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धरती की कहानी है हमारी कहानी इस किताब का
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सबसे महत्वपूर्ण संदेश हम ब्रह्मांड का एक
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छोटा सा चमत्कार है हमारी हमारी जिंदगी
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दुर्लभ है। हमारा अस्तित्व लकी है। अगर
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बिग बैंक थोड़ा सा अलग होता। अगर धरती
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थोड़ी सी और गर्म या ठंडी होती। अगर
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मिट्योर धरती को बचा लेता और डायनासोर ना
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मिटते। अगर एवोल्यूशन में छोटी सी गलती हो
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जाती तो हम यहां ना होते। हर इंसान पृथ्वी
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के 4 अरब सालों की मेहनत का नतीजा है। बिल
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प्राइसन का अंतिम संदेश हमारे पास यह
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दुनिया उधार में मिली है। हम इसे
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संभालेंगे या बर्बाद करेंगे यह तय हम करते
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हैं। हम भूल से बने हैं लेकिन धूल की तरह
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गायब भी हो सकते हैं। हम सितारों के बेटे
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हैं। लेकिन वही सितारे हमें नष्ट भी कर
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सकते हैं। धरती को हमारे बिना भी जीवन
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मिलता रहेगा लेकिन हमें धरती के बिना जीवन
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नहीं मिलेगा। धन्यवाद।
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