0:10
के नाम पर हम जनरली भट्टी एक नया मौजूद के
0:16
जो हमारा आज क्या मौजूद थे
0:19
कि विलियम शेक्सपियर के ग्रामीण किंग लीयर
0:22
में से जरिए अखबार तो आइए
0:29
और कुछ जगह मिसाल ज़रिए इक्वल और हिकमत और
0:32
बनाए की बातें सुनते हैं अब तो आप बगैर
0:37
किसी अदब के खाली से कर रह गए हैं
0:43
कि आम लोगों की सालाना मांग कितनी कम न थी
0:50
कि इस दरवाजे को पीठ जिससे हम आपका तेज
0:54
दिमाग में दाखिल हुई है
0:56
कि उसने जवान से शाम की तरफ मेरे दिल को
1:03
कि अगर आदमी का दिमाग इसकी विडियो में
1:06
होता तो क्या उसको पांव के आप नमक डालना
1:12
कि अगर तुम हवा कर सवाल के वक्त अपना
1:15
चेहरा बस शाश्वत नहीं रख सकते तो बहुत
1:18
जल्द घर से बाहर निकाल दिए जाओगे
1:23
कि अगर हकूमत की मस्तक पर कुत्ता बैठ जाए
1:27
तो इसकी आइबी की जाती है इंसान की शादी
1:33
देखें ज्यादा मूर्ख व्यक्ति अपने इरादे से
1:36
तिलक होता है उनके लिए वह सब बातों से आर
1:41
को जिम्मेदार करार देता है फिजूल बात अगर
1:45
मेरी पैदाइश के वक्त मासूम से मासूम सतारा
1:48
जगमगाता होता तो भी मैं वही होता जो इस
1:55
कि मैं आसमान के देवताओं तुम आसमान पर अभी
1:58
मौजूद हो पर इस जमीन पर हमसे जुड़ना शरद
2:02
होते हैं हमें उनकी फोरम सजा देते हो
2:07
ए एस मानी को तो अगर तुमने इन बेटियों के
2:11
दिल पाप के हक में इतने सख्त कर दिए हैं
2:14
तो मुझे इतना हिम्मत ना समना बनाओ
2:18
कि तुम मुझे इतना हिम्मत ना बनाओ कि मैं
2:21
सर झुकाकर बेबसी के साथ इनका यह सूख
2:24
बर्दाश्त करता रहा हूं मेरे अंदर शरीफों
2:28
का सारा गुस्सा पैदा करो और औरत के हथियार
2:30
यानी आंसुओं से मेरे रुखसारों पर दबे ना
2:36
कि मैं बेवकूफ आंखों अगर अब तुमने मेरी इस
2:41
श्यामद पर आंसू बहाए तो मैं तुमको निकाल
2:44
कर फेंक दूंगा और तुम्हारे आंसुओं को मटि
2:47
घूमने के लिए छोड़ दूंगा मैं
2:52
कि यह सीन देवी सुमन अगर तो इस बात करता
2:56
हूं और को बार वार करने के लिए रखती है तो
3:00
इस नियत को तर्क करते इसके पेट को बात
3:03
करते इसके अंदर तो ही तो अफ़साने चैनल की
3:06
कुतों को बेजान और खासकर ने इसकी फ्रिल
3:09
बदन से कभी कोई बच्चा ना पैदा हो जो इसका
3:13
नाम रोशन कर सके और अगर बच्चा होने उसकी
3:16
किस्मत में लिखा गया है तो इस बच्चे को
3:19
ऐसा बुखार और बात किरदार बनाना कि वह इस
3:22
व्रत के लिए खिलाफ पितृत्व मुस्तक अलार्म
3:25
को बना रहे इसकी जवानी में बुढ़ापे की
3:29
झुर्रियां डाल दे और मसल आंसुओं से सिक्त
3:32
चेहरे पर गहरी नींद साड़ियां पड़ जाएं
3:34
इसकी तमाम मशक्कतें और उम्मीद में रुसवा
3:38
और खूंखार हो जाएं ताकि उसको मालूम हो कि
3:40
एहसान फरामोश मुलाकात का होना सांप के
3:44
जहरीले पदार्थों से भी कितना तेज होता है
3:50
दौलतमंद तो यह से अपने
3:52
कि दवा लो अपने को कभी-कभी मुसीबत में डाल
3:56
कर इस लार को महसूस करो जो यह बदनसीब
3:59
जिंदगी पर बर्दाश्त करते रहते हैं ताकि
4:02
अपनी दौलत और साइड का पागल हिस्सा उनकी
4:06
नजर करके यह साबित कर सको के कलरव कदर
4:09
इतने बैंक्स आफ नहीं है जितना ज्ञान को
4:15
है और अत जिसने अपने शैतानी करता है को अब
4:18
तक इंसानी शक्ल के लिबास में छुपा रखा है
4:22
सूरत में भी कब्ज और शैतान न
4:26
कि गुलाम टिप्पणी गुलाम तू तो उन गुलामों
4:30
जैसा है जब उनके आकाओं के दिलों में फा सब
4:33
जज्बा पैदा होते हैं तो यह उनको और तेज
4:37
करते हैं आप पर तेल डालते हैं अगर उनके
4:41
दिल सर्द हो तो यह और बर्फ बना लेते हैं
4:44
मालिकों की तबीयत तो में आदि तौर पर जो
4:47
तब्दीलियां हो यह अपनी खुशनुमा पहुंचे
4:51
गिराकर उनकी हां में हां मिलाते रहते हैं
4:54
बगैर कुछ जाने-बूझे कुत्तों की तरह
4:57
मालिकों के पीछे-पीछे चलते रहते हैं एक
5:02
कि मैं तुम पर बहन निकाल राम नहीं लगाता
5:05
मैंने तुमको अपनी सल्तनत नहीं पक्षी तुमको
5:10
अपनी मुलाकात नहीं कहा मेरी फर्म अवतारी
5:12
तुम पर फर्ज नहीं जितना जी चाहे मुझ पर
5:16
अपने अज़ाब नाज़िल करो मैक यह खड़ा हूं
5:19
तुम्हारा दावेदार मौत लेस कमजोर और बेबस
5:23
बुरडक जिसको सब फकीर समझते हैं नंगे और
5:28
भूखे बदनसीब वो जहां तुम हो पर इस बेरहम
5:31
तूफान के सदमे उठा रहे हो तुम्हारे नंगे
5:35
सर जिनके ऊपर कोई छत नहीं और तुम्हारे
5:38
भूखे बदन तुम्हारी फटी हुई गुड़ियां जेल
5:41
में सैकड़ों लाख है तो मैं ऐसे शदीद मौसम
5:44
में कैसे मैं फूल रह सकते हो अब सोर्स
5:47
मैंने इस पर बहुत कम ध्यान दिया है
5:51
और एक गधा भी जानता है कि गाड़ी घोड़े को
5:57
कि आप जानते हैं कि आदमी की नाप चेहरे के
5:59
बीच में क्यों होती है इसलिए कि नाक के
6:02
दोनों तरफ आंखें हूं ताकि जो चीज सुनकर ना
6:06
मालूम की जा सके उसको देख कर जान लिया जाए
6:10
कि आसमान की तमाम इंतकाम लेने वाली खूब
6:13
बातें इसके अवसान पर मोंठ सर पर टूट पड़ते
6:18
कि आसमान की व्याख्याओं को छोड़कर सूरज की
6:22
चिलचिलाती गर्मी में निकल पड़ना अकलमंदी
6:26
कि बदमाश मुसर दूसरों के छोड़े हुए टुकड़े
6:31
खाने वाले क**** घमंडी बीइंग पर बस करने
6:36
वाला बदमाश इसकी गुर्जरों के बाद तीन
6:39
जोड़े कपड़े शॉप पौंड और मोटिव बदली
6:43
उन्हें जरा भी पर हो एक बुजुर्ग झूठे मदद
6:46
में खड़ा करने वाला आईने में अपने को
6:49
देखकर इतराने वाला नाकारा छिछोरा आवाज
6:53
बदमाश एक छोटे से संदूक से में अपना सारा
6:57
सामान रखने वाला गुलाब बदमाश बेक मंगे
7:02
मैं बुज़्दिल और एक दोगले कुत्ते की औलाद
7:05
तुम इन सबका मजमूआ हो बुरे दिनों में जब
7:10
इंसान किस्मत की गर्दिश के हाथों पामाल और
7:14
दबा हाल रहता है तो उसे मजबूत रात का डर
7:18
नहीं रहता बल्कि उसके दिल में अच्छे दिन
7:21
देखने की आस बंधी या किया
7:24
कि बुढ़ापे में इंसान बच्चा बन जाता है
7:27
उसे काबू में रखने के लिए रोक टोक उतनी ही
7:30
जरूरी है जितनी के प्यार और चमकार
7:33
बुजुर्गों की तालीम की रस्म हमारी जिंदगी
7:35
के बेहतरीन आयाम में दुनिया को हमारे लिए
7:38
तरफ बना देती है और हमारी मेरा इसको आप
7:41
हमसे इतनी तस्वीर उधर तक जुदा रखती है कि
7:44
हमारा पड़ा पाया जाता है और आप इससे अलग
7:47
दत्तात्रेय करने की सलाहियत खोज सकते हैं
7:50
तो बस तबीयत तो में प्रदर्शित की चाहत
7:53
होती है और जो ख्वाइश के बावजूद दिल की
7:56
असली रुद्राक्ष ध्यान करने से का सर रहती
8:00
की बीमारी इंसान को सौंप कर देती है और जो
8:03
प्राइस वह क्षेत्र की हालत में मुस्तैदी
8:06
के साथ अदा करता है बीमारी में उनकी तरफ
8:09
से कुत्ता ही बर्तन आपको धरती बात है
8:12
तुम्हारी आंखें पर्दा चीरकर कितनी दूर तक
8:16
देख सकती है मैं नहीं कह सकता इतना जानता
8:19
हूं कि इंसान अच्छी खासी हालात को बेहतर
8:21
बनाने की फिक्र में अफसर इसको पहले से
8:26
मैं तुम्हारे चेहरे पर आंखें तो हैं मगर
8:29
वह इस जर्सी गलत में फर्क नहीं कर सकती थी
8:33
कि जब तुम्हारा दर्जियों को उनके हंसिका
8:37
आने लगेंगे और कोई आग में जलाया जाएगा
8:41
सुबह औरतों के आश्रमों के जब कानून की जब
8:44
शहर मुकदमा दुरुस्त होगा जब कोई मुद्दा है
8:48
मुकेश और इसका पेस्ट खेल मत करना होगा जब
8:53
जुबान ऊपर भी बहुत और बदगुमानी ना होगी जब
8:56
जेब कतरे दौड़ में आना छोड़ देंगे उस वक्त
9:00
इंग्लिश था उनकी लाइफ में बड़ा फसाद और
9:05
कि जब इंसान का दिल फिर से आजाद होता है
9:08
तो उसका यह सब नाटक और हर सांस हो जाता है
9:13
कि जब आपने अपने तारे के दो टुकड़े करके
9:17
दोनों दूसरों को दे डालें तो दो या आप
9:20
अपने गधे को अपनी पीठ पर लादकर कीचड़ में
9:23
से ले जा रहे हैं जब बेटे अच्छी तरह बालक
9:28
हो जाएं और बाकी नाथ का जमाना आ जाए तो
9:31
जायदाद का इंतजाम बेटे को करना चाहिए और
9:34
आपको बेटे की निगरानी और सरपरस्ती में आ
9:39
कि जब दूसरे जिनसे पितरों विधि-व्यवस्था
9:42
की जाएं ज्यादा क**** निकले तो पहले लोग
9:45
जिनकी खबीस तक यह दोनों से हम आज होकर
9:49
भागे हो बेहिचक और गनीमत मालूम होते हैं
9:53
कि जब हालत खुशामद के सामने सर झुका देती
9:56
है तो शिद्दत और वर्ष निवासी अपने दिल की
10:00
बात कहने से बाहर रह सकती है जब किसी आदमी
10:03
को अपनी टांगों की ताकत पर बड़ा गुमान
10:06
होने लगता है तब उसकी तब उसको लकड़ी की
10:10
जुराबे पहना देते हैं
10:14
कि जब कोई बाहरी भैया पहाड़ी से नीचे
10:17
लुढ़कने लगे तो उसकी ग्रुप को छोड़ देना
10:19
चाहिए वरना गर्दन टूट जाएगी
10:23
कि जब हम देखते हैं कि हमसे बड़े लोग
10:25
हमारी ही तरह मुसीबतें बर्दाश्त कर रहे
10:27
हैं तो हमें अपनी मुसीबत कम लगती है जब
10:31
हमारे गंवा स्वघोषित और तब आना सोते हैं
10:33
तो हमारे दिल में खतरा हाथ के मकानात का
10:36
एहसास नहीं रहता है लेकिन इन्हीं सवालों
10:38
का जवाब हमारे हाथ में खैरो बरकत का सबब
10:42
बन जाता है और हम ज्यादा मौत और होशियार
10:45
हो जाते हैं जितना पैदल चलो उससे ज्यादा
10:51
है जितना जानते हो इससे बहुत कम दूसरों को
10:55
बताओ जितना दाव पर लगाते हो इससे ज्यादा
10:58
अपने पास रखो इतना सुनकर यकीन करते हो
11:02
इससे ज्यादा जानने की कोशिश कर जितनी दौलत
11:06
दूसरों पर ज़ाहिर करो इससे ज्यादा अपने
11:09
पास महफूज रखो जिस कदर तुम्हारे पास वह
11:14
इससे बहुत कम दूसरों को कर दो
11:17
है जिसके पास सर छुपाने के लिए घर हो उसको
11:21
समझना चाहिए कि उस को मजबूत लोहे का एसआर
11:24
मिल गया जिन खतरों का अंदेशा हो उनको
11:29
हमेशा पहले से दूर करने की तबीर करना
11:32
अच्छा है यह नहीं कि हर वक्त इन खतरों से
11:35
दिल धड़कता रहे जिन लोगों को मध्यमा बाद
11:38
एक प्लेट डाल की तरह गूंज नहीं सकती उनके
11:41
दिल के जज्बात से खाली नहीं होते जो
11:44
अलार्म बर्दाश्त करता है उसके दिमाग पर
11:48
असर हो जाता है और बेफिकरी और व्रत के
11:50
सामान बहुत दूर पीछे रह जाते हैं लेकिन जब
11:54
है लेकिन जब हमें रम में साथियों मुसीबत
11:58
में अंदर मिल जाते हैं तो हमें अपनी मशीन
12:00
से कम कर लेती हैं और हम इन्हें बाहर सांस
12:03
नहीं बर्दाश्त कर लेते हैं जो Aa
12:06
फटी-पुरानी गुड़ियां पहने होते हैं उनकी
12:10
मिला दें उनकी तरफ से आंखें फेर लेती हैं
12:12
लेकिन जो बाप सोने-चांदी की थैलियां अपने
12:15
पास रखते हैं वह अपनी औलाद को शराब पहला
12:21
कि जो शख्स अपने पांव की उंगलियों को वह
12:24
जगह देता है जो अपने दिल को देना चाहिए और
12:27
एक दिन घुटनों की तकलीफ से बेचैन होता है
12:30
और उसको नींद के बदले बेताबी का सामना
12:33
करना पड़ता है उसके साथ सिर्फ हमदर्दी ही
12:39
कि जो लोग अपने आप को छुपाते जिंदगी
12:41
गुजारते हैं आखिरकार रुसवाई उनका मुकद्दर
12:44
ठहरती है जो लोग ना किसी रूप में जाते हैं
12:48
अपनी आंखों से काम लेते हैं सुबह आए अंधों
12:54
मैं हद से ज्यादा भरोसा करने से हाथ से
12:56
ज्यादा डरना बेहतर है खुदा की कुदरत के
13:01
करिश्मे मुसीबत के वक्त जाया होते हैं
13:04
कि इस मुद्दे पर मंसूबे मालूम करने के लिए
13:07
उनके दिलों को चाक करना जायस होता है
13:13
का रिवाज के टकलिफ आपको तस्लीम नहीं करना
13:17
चाहिए और दुनिया की झूठी ने फसलों का
13:19
ख्याल करते-करते अपने आपको से मेहरूम नहीं
13:22
हो जाना चाहिए सरकार गिरी जा सकते तो इस
13:28
पके बदमाश को कुचलकर गहरा बना दो और सारी
13:32
शनिवार को इससे रिलेटिड तो शैतान के हुआ
13:35
सख्त इसमें इतनी व्यस्त अंग्रेज नहीं
13:38
मालूम होती जितनी औरत में
13:40
की तबीयत नासाज हो तो हमारे जिस्म के साथ
13:43
दिलो दिमाग भी तकलीफ में मुब्तला रहते हैं
13:47
को क्लोज लूप को हर चीज में ग्लास
13:49
अतिशीघ्र मिलता है किस्मत श्री एक इंसान
13:53
का बहुत जल्दी साथ छोड़ देती है
13:57
मैं कुत्ता अपने मसकन में बैठता है तो
14:00
उसको वहां से बाहर लाने के लिए कूड़े की
14:03
जरूरत होती है और उसकी कुत्तिया आतिशदान
14:06
के पास खड़ी एक बदबू फैलाते रहती है
14:10
के गुणों को मुंह से बांधते हैं कुत्तों
14:13
और रिचा को कर धन से बंदरों को कमर से और
14:16
इंसानों को टांगों से बांधा जाता है मेरी
14:20
तबीयत इतनी असली है जितनी के पास बेगम के
14:23
जले हुए बेटे की फिर भी लोग हम पर हरामीपन
14:27
और कजरा लगा दबा क्यों लगाते हैं
14:31
हूं मैं ना ऐसा नौजवान हूं कि किसी औरत पर
14:34
महज इसकी आवाज से फरिश्ता हो जाऊं और ना
14:37
ऐसा बूढ़ा हूं कि किसी कम आज की औरत के
14:43
की रोशनी और भिलाई की बातें कभी इस
14:47
तबीयतों को बुराइयां ही मालूम होती है
14:52
कि हम पर इसलिए को मत नहीं करते कि वह
14:54
वाक्य ताकत और कुछ रखते हैं बल्कि इसलिए
14:57
कि हमको उनको बर्दाश्त करते चले जा रहे
15:01
कि यह तो ऐसी रात है जो ना कल मदों पर
15:04
खर्च करती है और ना है हमको पर यह दुनिया
15:07
कितनी बड़ी खुद फ्रेडी है कि जब हमारी
15:10
किस्मत में कोई बिगाड़ पैदा होता है जो
15:12
अक्सर हमारे कमाल की बे दलों का नतीजा
15:15
होता है तो हम अपनी शाम तो का इल्जाम सूरज
15:18
चांद और सितारों के साथ रोकते हैं गया हम
15:22
बदमाश तकदीरी मजबूरी से नमक अस्मानी इस
15:27
तरफ से पाजी चोर गद्दार सं आबि रहल बा से
15:31
शराब भी जुटे और बनाकर नजूमी असर से होते
15:36
इस वर्दी यह कि हमने जितनी खराबी हैं वह
15:39
चलाओ कर रखी जबरदस्ती की वजह से हैं