Advantages and Disadvantages of Facebook | #facebook #facebookstatus #advantages #motivation
Nov 4, 2024
The pros and cons of Facebook have their own arguments. In this video we have tried to analyze these two points of view impartially. In our opinion, its unnecessary and pointless use is harmful to human health. Waste of time and going into an imaginary world is another aspect. We need to use Facebook as much as we need to. However, for business purposes, running a campaign on social media and using it for the betterment of society is actually the best use of it.
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झाल
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अजय को
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अजय को
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झाल
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हम इसमें लाइन रहमान ए रहीम डॉक्टर अमजद
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अली भाटी एक नए मौजूद के साथ हाइड्रेशन मत
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हमारा आज का मौजूद है फ़ेसबुक के फ़ायदे
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और नुक़सान हुआ है
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कि आज फेसबुक पर एक अरब से ज़्यादा
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रजिस्टर्ड सारे फैन हैं यानी दुनिया का हर
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सातवां फर्द फेसबुक पर मौजूद है
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अच्छा लगता है Facebook सच में हमारे
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जिंदगी का एक हिस्सा बन गई है जिन लोगों
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का शौक है उन्हें यह शौक जरूर पूरा करना
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चाहिए लेकिन सोचने की बात यह है कि आप
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फेसबुक का इस्तेमाल जरूरत के तहत करते हैं
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कि बिलावजह ही इसके आधी बने हुए हैं
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कि एक अंदाजे के मुताबिक पर जो शख्स 24
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घंटों में 1 घंटे से कम वक्त फेसबुक पर
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गुजारता है वह इसका आदी नहीं ऐसे शख्स को
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जो 1 घंटे से कम वक्त फेसबुक को देता है
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तो इसे हम इसका आदी नहीं कह सकते वह अपडेट
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नहीं है
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का निश्चय जगह
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है और यह शख्स 1 घंटे से ज्यादा वक्त अपने
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शौक को देता है तो समझे वह इसका कंडक्टेड
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हो चुका हुआ है वह इसका आदी बन चुका हुआ
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है और हां इसको इस्तेमाल करने का मतलब यह
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हरगिज नहीं कि आप अपने लैपटॉप कंप्यूटर
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आईफोन जैसे स्मार्टफोन को सामने ही रखें
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तो आप फेसबुक इस्तेमाल कर रहे हैं इसके
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इस्तेमाल का मतलब यह भी है कि आप Facebook
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के बारे में सोचते रहें
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है क्योंकि इसी चीज के बारे में सोचना उसे
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अपने दिमाग में जगह देना ही तो असल
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मसरूफ़ियत है और अगर आप का दावा है कि आप
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इसके आदी नहीं है तो फिर दावा करने से
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पहले इन बातों को शुरू जहन में रख ले
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कि वह कौन सी हैं कि आप अक्सर यह सोचते
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हैं कि आपकी पोस्ट करता चीजों पर क्या तब
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से हुए होंगे कितने लोगों ने इसे पसंद
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किया होगा
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कि आपके इस बुक स्क्रीन को बार-बार
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रिक्वेस्ट करते हैं इसके मानी यह होते हैं
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कि आप देखना चाह रहे होते हैं कोई नहीं
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चीज को सामने नहीं आई अगर आपका इंटरनेट
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थोड़ी देर के लिए नहीं चलता या स्लो है तो
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आप मोहल्ले में जिसका पासवर्ड आप जानते हो
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उसके घर के बाहर खड़े हो जाते हैं या ऐसी
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चक्कर काट रहे होते हैं ताकि आप अपने आप
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को अपडेट रखें या फिर साइबर कैफे में
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अपडेट चेक करने के लिए चले जाते हैं या यह
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ना हो सके तो किसी दोस्त को फोन करके
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पूछते हैं कि भाई आपका नेटवर्क ठीक काम कर
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रहा है
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इस बार उनका तो ऐसा भी होता है कि आप
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बाथरूम में मोबाइल या लैपटॉप के साथ रख
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लेते हैं ताकि फेसबुक को इस्तेमाल किया जा
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सके थे
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को बाजुओं सोने से पहले सकुशल बाहर और
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सुबह सवेरे गुड मॉर्निंग करते हैं और फिर
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उसके इंतजार में काफी देर तक लैपटॉप या
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मोबाइल को देखते रहते हैं कि आपकी शब्बा
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खैर खुदा खैर को किस किस ने
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कि आपके लायक किया है यह इसका जवाब दिया
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है
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कि अगर आप फेसबुक पर रोजाना एक घंटे से
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ज्यादा का वक्त इन कामों में सर्व करते
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हैं तो समझे आप अपना वक्त जाया कर रहे हैं
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है और अगर आप इसके आदि बन चुके हुए हैं
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अलबत्ता अगर आप इसे बिलावजह इस्तेमाल नहीं
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कर रहे तो फिर ठीक है मकसद के तहत
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इस्तेमाल के मैंने यह है कि आप अपने
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कारोबार को फ्रॉक दे रहे हैं युवा शक्ति
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मकसद के लिए मुहिम चला रहे हैं या कोई और
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मानीखेज काम कर रहे हैं
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कि इन मामला आदमी आपका वक्त देना जायज
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बनता है आइए देखते हैं कि किस किस्म के
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लोग फेसबुक को जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल
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करते हैं
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कि हमारे चावल में वह लोग इनकी जिंदगी के
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कोई मायने नहीं होते जनेऊ कि उनकी जिंदगी
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में कोई मकसद नहीं होता यानी घूमने-फिरने
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के अलावा
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कि उनका कोई काम नहीं है हम ऐसे लोगों को
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आवारा गर्दी कह सकते हैं ऐसे लोगों की एक
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और कसम है वह लोग जो दूसरों की त्वचा जो
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अपनी तरफ मौजूद करवाना चाहते हैं यानी
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जिन्हें किसी की त्वचा योग दरकार होती है
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है बालों कैसे भी फेसबुक के आदी होते हैं
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जो अपनी जिंदगी से ज्यादा दूसरों की
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जिंदगी में दिलचस्पी रखते हैं यानी
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बिलावजह ताक-झांक करने वाले ऐसे ही वहीं
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करने वाले आधुनिक दूसरे मामला है
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अरिजीत सिंह के लिए भी जिम्मेदार सिंगा
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जरूरत से ज्यादा फेसबुक का इस्तेमाल करने
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से आपको क्या नुकसान हो सकता है इसकी पहले
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तो बहुत तभी है लेकिन आप से चंद दिनों का
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अहम शेयर करते हैं तो आइए हम को देखते
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मैं पहले मुड़ता है आप अपनी खुशी को ना
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दानिश्ता तौर पर दूसरों के कंट्रोल में दे
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देते थे
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कि कैसे दरअसल आध की खुशी
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मैं इन्हें साफ करने लगती है आप केवल फाइल
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फेसबुक पर आप की तस्वीर पर कितने लोगों ने
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तब इशारा किया है वह कैसे सबसे कर रहे हैं
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वगैरह-वगैरह इसका आपको इंतजार होता है
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मैं एक और विशाल देखिए आप देख नहीं खड़ी
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खड़ी थी इसकी तस्वीर आया कि जहर है आपने
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घड़ी को पसंद किया था तो आपने अफरीदी है
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लेकिन जब Facebook तो ज्यादा लोग पसंद
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नहीं करते दिन कि आप यह तस्वीर हो गई वाली
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को और बाद वैसे भी वह उसका मजाक उड़ाते
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हैं तो आप कम ज्यादा हो जाते हैं और इसके
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ऊपर आफ बहुत आप और जरा कुछ भी हो जाते हैं
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आपको कुछ भी पसंद नहीं है लेकिन था कि लोग
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उसे अच्छा कह रहे होते हैं
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मैं तो आपको खुश होना पड़ता है इस तरह आप
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अपनी खुशी और गर्मी का कंट्रोल अपने
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फेसबुक दोस्तों के हाथ में दे देते हैं
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कि मैं यह नहीं कहता कि यह सब के साथ ऐसा
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होता होगा कुछ लोग इसमें बहुत पर्टिकुलर
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भी होते हैं लेकिन यह कितना अहम है कि हम
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कहीं ना कहीं चीजों से मुतास्सिर जरूर हो
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रहे होते हैं आप ऐसा कहते रहें कि मुझे
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चीजों से फर्क नहीं पड़ता फर्क पड़ता है
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यहां पर वक्त गुजरने के साथ साथ यह
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छोटे-छोटे इस रात बड़े होते जाते हैं और
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हमें यह तक पता नहीं चलता कि हमने अपना आप
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कहां छोड़ दिया है
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कि इसका दूसरा उठता है कि आप दूसरों की
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बरकात और अपनी छुट्टियों को देखते हैं
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कि फेसबुक पर लोग आमतौर पर अपनी जिंदगी की
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अच्छी चीज नहीं पाते हैं लोग अपनी खुशी
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समितियों का बढ़ा-चढ़ाकर बयान करते हैं
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मुमकिन हकीकत में ऐसा ही हो क्योंकि आप भी
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तो ऐसा ही करते होंगे लेकिन एक रखी गत
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आपके अंदर की चल रही होती है कि आप झूठ
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बोल रहे हैं
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है लेकिन इसको छोड़कर आप दूसरों के मामला
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आपने ज्यादा दिलचस्पी ले रहे होते हैं
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मैं आपको दोस्त का घर उसकी गाड़ी उसका
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पहाड़ों पर शहरों से आज के लिए जाना वगैरह
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हां उठ कर रहा होता है लेकिन इन सब का एक
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नतीजा निकलना शुरू हो जाता है आप अपने
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दुखों और दूसरों की खुशियों का मुआयना
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करना शुरू कर देते हैं और यह उबला घर ऐसा
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से कम प्रीत आपका उधर बन जाती है
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है इसीलिए मौके कि इस नतीजे पर पहुंचे हैं
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कि फेसबुक की वजह से डिप्रेशन में जाने
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वालों की तादाद में रोज़ बरोज़ इजाफा होता
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जा रहा है
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की मौत रहे हैं कहीं आप किस कष्ट करना
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मुझे
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कि Facebook के हवाले से हम तीसरा मुद्दा
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यह बयान करते हो यह है कि है कि दोस्त और
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तालुकदार दो जाएगी होते हैं फेसबुक का
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इस्तेमाल करने वाले बड़े फक्र से कह रहे
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होते हैं कि मेरे फेसबुक पर इतने हजार
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दोस्त और इतने ताल्लुकदार हैं हमारा मानना
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है कि अगर उनमें से निश्चित रूप से भी
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नेक्स्ट आपके सामने आ जाए तो आप उनको
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पहचान नहीं पाएंगे
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के अतिरिक्त में फेसबुक पर हमारे दोस्त कम
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और जानने वाले ज्यादा होते हैं वैसे तो यह
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बुरी चीज नहीं है लेकिन अगर हम उन कम से
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कम जालिका लक्षित को जरूरत से ज्यादा वक्त
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देते हैं तो कहीं-कहीं हम इस वक्त के साथ
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समझोता भी करते हैं जो हमें अपने खानदान
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और राखी की दोस्तों को देना होता है या
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देना चाहिए हमारे करीबी दोस्त और लद्दाख
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की तो फेसबुक पर ही होते आप यह कह सकते
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हैं लेकिन वाले तौर पर फेसबुक पर बात करें
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तो वह भी हमारे लिए आम लोगों की तरह ही हो
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जाते हैं
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क्योंकि फेसबुक डेढ़ की तरह आती है और मजे
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में का कोई चेहरा नहीं होता आप यहां यह बस
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स्टॉप पर एक मुसाफिर की तरह होते हैं जूही
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बसाई जुट से उसमें बैठ गए यह काम किया तब
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जरा किया यह पोस्ट लगाई उस पर तब जरा सुना
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या तब इशारा किया और आगे बढ़ गए फेसबुक की
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रूप में यह नहीं है तो वह इंफ्रा दी लोगों
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पर तो अच्छे होते एक और बात
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मैं आपको नियमित तौर पर आरती अफ़राद के
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साथ बातचीत करते नजर आते हैं
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कि चाय और आपने पॉजिटिव अ सूर्य के बारे
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में नहीं सुना यह ससुर में कहा गया है कि
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पीस फीसद चीज़ें अस्सी फीसद चीज़ों की
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जिम्मेदार होती हैं
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एक मिसाल के तौर पर किसी कंपनी की अस्सी
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फीसद प्रॉपर 20% सारे चीन की वजह से होती
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है फेसबुक पर भी ऐसा ही होता है अस्सी
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फीसद अपडेट 20 फीसद लोग कर रहे होते हैं
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और आप उनसे बार-बार रास्ता करते रहते हैं
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और बुनियादी तौर पर यह वही आती है फरार
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हैं यह वही एडिक्टेड अपराध है जो सिर्फ
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फेसबुक पर डटकर जमीन होते हैं
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है और ऐसे लोगों के साथ बातचीत कर आपको
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काम की चीजें शाम दोनों नाग ही मिलती हैं
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ज्यादातर आपका वक्त जाया करते हैं और जो
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आपका वक्त जाया करता है वह आपका दोस्त
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नहीं फिर तो के हवाले से हमारा 5 मानवता
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है कि आपको औषधि तौर पर मुतहर्रिक होने का
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वह जाता है जबकि हकीकत इसके बरअक्स होती
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है
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को Facebook पर ज्यादा वक्त रहने की वजह
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से और मेरे एक दोस्त के मुताबिक इस का बस
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चले तो रोजाना 25 घंटे फेसबुक से चिंता
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रहे बहुत सारे लोग खुद को समायोजित और
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प्रमुख समझते हैं और दोस्तों अब आपके लिए
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वह उनके किरदार को पूरी तरह समझते हैं
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और आहिस्ता आहिस्ता यह बिल्कुल मैकेनिकल
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बन जाते हैं ऐसे लोग जो 25 घंटे फेसबुक से
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चिमटे रहते हैं या उस पर चढ़े रहते हैं तो
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वह आस्था मैकेनिकल अंदाज में सोचना शुरू
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कर देते हैं आप रात भर फेसबुक से चिपके
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रहने के बाद जीत जब कॉलेज यूनिवर्सिटी या
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ऑफिस में दोस्तों से मिलते हैं तो आपका
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पहला रख दी समय होता है कि इन्होंने तो
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रात को मेरी पोस्ट नहीं देखी थी
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कि मैं सारी राहत इंकलाब लाता राम और यह
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अल्लाह के बंदे उस पर बात ही नहीं कर रही
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है तो अपने रोना रो रहे हैं आप भूल जाते
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हैं कि आप ऑनलाइन नहीं है बल्कि जिंदा
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कॉस्ट कॉस्ट इंसानों में खड़े हैं या बैठे
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हैं लेकिन आप
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है कि नजदीक यह लोग मुर्दा समीर हैं पेश
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हैं और बेमकसद जिंदगी जीने वाले लोग हैं
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इसीलिए तो आपके नजदीक उनकी मौजूदगी बहने
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बन जाती है जब के उनके नजदीक का खेलों की
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दुनिया के पास होते हैं
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कि जब दोस्तों के साथ और को आपके साथ ऐसा
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बर्ताव करते हैं तो आप उनसे वह वहां से
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गुरेज करना शुरू कर देते हैं यूं आप
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के जीते-जागते लोगों के दरमियान में होते
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हुए भी शुद्ध को उनसे अलग और अकेला वृषभ
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करते हैं और आप मुख़्तलिफ़ क़िस्म की
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बीमारियों का शिकार होना शुरू हो जाती हैं
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और फिर आप एक बंदा ढूंढ रहे होते हैं कि
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किस पर यह सारी जिम्मेदारी डाली जाए
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कि अ बदकिस्मती से अगर वह आपका सामान है
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तो चलो उसकी शामत आई और अगर वह आपकी बीवी
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है तो समझे वह भी शामत आई और या घर में
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बुजुर्ग ऐसे ही छोटा मातरम बच्चे पास
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मात्र बच्चे भी होते हैं घर में जो कमजोर
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होते हैं बोलते-चालते काम में आप अ
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कि वह बड़ा शिकार बन जाता है और आप उस पर
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चढ़ते हैं यानी कि आपने फेसबुक की दुनिया
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में बसाई हुई दुनिया जब क्रिकेट की
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दुनियां नहीं होती है
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है तो अब हकीकत से मुंह चुराने के लिए आप
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किसी को उसका निशाना बनाना शुरू करते हैं
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और सारी चीजें इनके जो गुलदस्ता मासी में
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भी आपके साथ हुआ होता है वहीं उसके खाते
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में डालना शुरू कर देते हैं कि जब से तेरे
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गले पड़ी हूं मेरा यह आई हो गया जब से
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तेरे से तड़पता हुआ है काश वह दिन ना आता
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जब तेरे पास में आती है यह तेरे पास मैं
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आता है जब से तू मेरे साथ यह हुआ तो यह हो
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गया वह इस तरह की गिले-शिकवे लुट हमारा
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ठंडा होता है कि आपकी सेहत इससे मुक्तासर
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होती है
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कि फेसबुक पर रहना आपके लिए जिस्मानी ओर
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से नहीं परेशानी का सबब बन सकता है आपकी
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आंखें कमजोर हो सकती हैं तो ललित पोस्टर
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में बैठने से कमर दर्द या मोरों का मसला
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हो सकता है और हमेशा आप शुद्ध घी में जाने
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का खतरा भी रहता है
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को Facebook ज्यादा यूज करने वाले या जो
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इसकी एडिट हैं उनके लिए सात मानवता है कि
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ऐसे लोग अपनी जिंदगी के सबसे पूर्व जो दिन
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स्वस्थ क्रीम तफरी में गुजार देते हैं
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कि आपने अक्सर देखा होगा कि फेसबुक यूज
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करने वाले लोगों की तादात
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कि जो है वह टीनएजर की ज्यादा है
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कि मेरी आपकी उम्र के लोग भी एक ही नाव तो
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इसको उनको चस्का पड़ गया वह कर रहे होते
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हैं अगर आप इस उम्र ग्रुप से बाहर हैं तो
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फिर यह मुद्दा सदा आप पर लागू नहीं होता
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है लेकिन अगर आप नार्मल हैं और बींस की
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दुहाई में है तो जिंदगी का यह वह वक्त
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होता है जब आप में तब बनाएगी कमी नहीं
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होती कभी सोचा है आपने कि खुदा खुद को
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क्या कभी आपने सोचा है कि खुदा आपको इस
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वक्त सबसे ज्यादा तवा नहीं क्यों देता है
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क्योंकि यह हमारी जिंदगी बनाने वाले साल
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होते हैं इसमें बहुत कुछ करना होता है
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हमारे सामने पढ़ाई का पोज या घर की
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जिम्मेदारियां लेने का चैलेंज दरपेश होता
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है अपने कैरियर का इंतजार करना और जिंदगी
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के मुकाबले की दौड़ में शामिल होने के लिए
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खुद को तैयार करना इसी उम्र से शुरू होता
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है
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मैं अपने दिल की बात भी सुननी चाहिए और
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जिंदगी में कुछ कर गुजरने को भी जीत जाता
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है वाले बहन के सामने आप खिलाने की विजय
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एवं का हाथ थामने का जज्बा ही तो इसी उम्र
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से परवान चढ़ता है
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है और यह सब कुछ करने के लिए तब बनाएगी
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जरूरत होती है लेकिन बदकिस्मती से वह लोग
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जो Facebook को ज्यादा इस्तेमाल करते हैं
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वह गर्ल्स जगह पर शर्मा या कार्य कर रहे
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होते हैं जहां उनके पास बहुत सारी अहम
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चीजें हैं वह इन सब को छोड़कर एक कोने में
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बैठ जाते हैं और बेहतर मामलात में झूठ बोल
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रहे होते हैं वह अपनी जिंदगी के यह पूर्व
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जो दिन त्यौहार पैदावारी कामों में बसर
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करते हैं दोस्तों आकर में मैं यह कहना
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चाहता हूं कि Facebook एक चमकती हुई चीज
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है जो अक्षरों का सोना नहीं होती
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मैं यहां कुछ वक्त गुजारना अच्छा है लेकिन
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अगर आप वहां डालकर बिस्तर रही है कि बैग
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हो मंजू लाख या तो फिर आपकी जिंदगी दूसरों
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के शोर-शराबे में बहरी हो जाएगी ख़ुदारा
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इसे बहरा ना बनने दें अपना वक्त कीमती
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वक्त किसी दिलचस्प काम में लगाएं और जब आप
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ऐसा करेंगे तो ना सिर्फ आपके दोस्त बल्कि
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पूरी दुनिया आपकी मतदाता हो कि
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कि अगर मैं हमारे यही मैसेज है कि सामने
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की करें और दूसरों को भी थामने की करने की
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तरफ बीते अस्सलाम ओ
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हुआ है
17:33
कि बच्चों को
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